वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने मंगलवार को एक दूरदर्शी बजट पेश किया। इस बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर ज्यादा फोकस किया गया है। सरकार का दावा है कि इससे विकास और गुणवत्तापूर्ण रोजगार का रास्ता खुलेगा, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। सड़क, रेलवे, एयरपोर्ट्स, बंदरगाह, जलमार्गों और लॉजिस्टिक्स जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च के लिए सरकार ने बजट में करीब साढ़े सात लाख करोड़ का प्रवाधान किया है।
दूसरी बड़ी घोषणा यह की गई कि सरकार ने देश में डिजिटल करेंसी को मंजूरी दे दी। अब रिजर्व बैंक डिजिटल करेंसी जारी करेगा। सीतारामन ने कहा कि इसी साल से डिजिटल करेंसी में लेन-देन हो सकेगा और इससे होनी वाली इनकम पर 30 प्रतिशत टैक्स लगेगा। डिजिटल करेंसी के ट्रांजैक्शन पर 1 प्रतिशत टीडीएस लगेगा। तीसरी बड़ी खबर यह है कि सरकार ने इनकम टैक्स देनेवालों को ना तो कोई राहत दी है और ना कोई बोझ डाला है।
चौथी बात यह है कि अगर टैक्स पेयर्स को रिटर्न फाइल करते समय अपनी इनकम दिखाने में कोई चूक हुई तो उन्हें दो साल के अंदर ब्याज पर 20 से 50 प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स का भुगतान कर इस गलती को सुधारने का मौका मिलेगा। हालांकि वे लोग इस सुविधा का उपयोग नहीं कर पाएंगे अगर उनके अपडेटेड रिटर्न से कुल टैक्स लायबिलिटी कम हो जाती है या फिर टैक्स रिफंड की रकम बढ़ जाती है। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने एक बड़ी खामी को दूर किया है। उन्होंने ऐलान किया है कि अब इनकम टैक्स छापे में जो भी कालाधन बरामद होगा, वह जब्त हो जाएगा। अब तक छापेमारी के दौरान जब्त अघोषित नगदी पर टैक्स और 30 फीसदी जुर्माना लगाकर बाकी की बची हुई रकम वापस कर दी जाती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
इस बजट की पांचवीं बड़ी बात यह है कि सरकार ने अगले 25 सालों के विकास को ध्यान में रखकर इसे तैयार किया है। जब देश आजादी के 100 साल मना रहा होगा तब तक एक नया भारत बनाने की पूरी रणनीति के साथ इसे तैयार किया गया है। सरकार का दावा है कि इस बजट से किसानों, नौजवानों, व्यापारियों, उद्योग जगत और अर्थव्यवस्था के अन्य सभी क्षेत्रों को फायदा होगा। इससे स्वदेशी का विकास होगा और देश आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ेगा। इसका उद्देश्य ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ‘लोगों के अनुकूल और प्रगतिशील’ बजट बताया। उन्होंने कहा कि यह बजट मौजूदा चुनौतियों और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसमें हर वर्ग का ख्याल रखा गया है। उन्होंने कहा- ‘यह बजट 100 साल की भयंकर आपदा के बीच विकास के एक नए विश्वास के साथ आया है। यह बजट ज्यादा निवेश, ज्यादा अवसर, ज्यादा विकास और रोजगार की संभावनाओं से भरा है।’
बजट में सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के दौरान 60 लाख नई नौकरियां, पीएम आवास योजना के तहत 80 लाख नए घर और 3 करोड़ 80 लाख घरों तक पाइप लाइन के जरिए पीने का पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने बजट में कृषि पर भी फोकस किया है। धान और गेहूं की फसल की खरीद के लिए 2 लाख 37 हजार करोड़ रुपए रखे गए हैं। इससे एक करोड़ 67 लाख किसानों को फसल की कीमत का भुगतान सीधे उनके बैंक अकाउंट में किया जाएगा।
बुंदेलखंड में केन-बेतवा लिंक परियोजना की बात लंबे वक्त से हो रही है। सरकार ने इस बार बजट में केन-बेतवा नदियों को जोड़ने के लिए 1400 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इस परियोजना के पूरे होने से बुंदेलखंड में सिंचाई की समस्या काफी हद तक दूर होगी और किसानों को सिंचाई के लिए पानी आसानी से उपलब्ध हो सकेगा। इसके अलावा सरकार ने गंगा के किनारे पांच किलोमीटर तक के दायरे में ऑर्गेनिंक खेती को बढ़ावा देने की योजना का भी ऐलान किया है।
बहुत लोगों को लगता था कि पांच राज्यों में चुनाव हैं तो एक पॉपुलर, लोकलुभावन बजट आएगा जिसमें बड़े-बड़े सपने दिखाए जाएंगे और बड़े-बड़े वायदे किए जाएंगे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वोटों का ध्यान नहीं रखा। उन्होंने मतदाताओं की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करने का फैसला लिया। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दिया। देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 9.2 प्रतिशत है, और यह दुनिया की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है। कोरोना महामारी के दो साल बाद भी अगर हमारी अर्थव्यवस्था अपने पैरों पर खड़ी हो पाई है तो इसका मतलब है कि सरकार की ‘नीति’ और ‘नीयत’ दोनों ठीक है।
अब देखते हैं कि बजट पर विपक्ष के नेताओं की क्या प्रतिक्रिया रही। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया -‘मोदी सरकार के बजट में कुछ नहीं है, वेतनभोगी लोगों, मध्यवर्ग, गरीब और वंचित वर्ग, युवाओं, किसानों और एमएसएमई के लिए कुछ नहीं है।’ वहीं तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने ट्वीट किया: ‘बेरोजगारी और महंगाई से पिस रही आम जनता के लिए बजट में कुछ नहीं है। केवल बड़ी-बड़ी बातें हैं और हकीकत में कुछ नहीं है-‘पेगासस स्पिन बजट’ है।’
समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो ने ट्वीट किया: ‘काम-कारोबार सब हुआ चौपट…. ऐतिहासिक मंदी, लाखों की नौकरी कर गयी चट… आम जनता की आमदनी गयी घट..बेकारी-बीमारी में बैंकों में जमा निकली सारी बचत…अब लोगों की जेब काटने के लिए आया भाजपा का एक और बजट…उप्र से भाजपा के दुखदायी युग का अंत शुरू हो रहा है! यूपी कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा।’
कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया: ‘न किसानों की आय दुगनी… न मध्यम वर्ग को टैक्स में छूट… न महंगाई से निजात…न छोटे उद्योगों को राहत… न युवाओं को रोजगार। बस पुराने हो चुके जुमले और सब्सिडी पर प्रहार, यही है मोदी सरकार के बजट का सार।’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने इन आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा, धान और गेहूं की खरीद के लिए 2.37 लाख रुपए सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में भेजा जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार साढ़े सात लाख करोड़ रुपए का कैपिटल इन्वेस्टमेंट कर रही है, इससे सड़कें, मकान, बंदरगाह और एयरपोर्ट बनेंगे। इसके अलावा सरकार छोटे और मध्यम कारोबारियों की भी मदद करेगी। इन सारे प्रयासों से देश में 60 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी। राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए सीतारामन ने कहा, ‘राहुल को देखना चाहिए कि पंजाब में युवाओं को नौकरी क्यों नहीं मिल रही है, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में किसान अभी भी आत्महत्या क्यों कर रहे हैं। राहुल गांधी अगर सोच-समझ कर आलोचना करें तो उनका स्वागत है, वरना लोग उन्हें गंभीरता से नहीं लेंगे।’
अगर इस बजट का पुराने परंपरागत तरीके से विश्लेषण करें तो यह दिखाई देगा कि इनकम टैक्स में राहत नहीं मिली, चीजों के दाम कम नहीं हुए, किसानों को कुछ नहीं मिला, रोजगार के लिए कुछ नहीं हुआ लेकिन अगर इसी बजट को नए आधुनिक भारत के लिहाज से देखें तो बिल्कुल दूसरी तस्वीर दिखाई देती है।
जैसा कि निर्मला सीतारमण ने कहा कि पीएम गति शक्ति योजना के आधार पर इस बजट में ग्रोथ के सात इंजनों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। सड़कें, रेलवे, बंदरगाह, हवाई अड्डे, जलमार्ग, लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर और मास ट्रांसपोर्ट, ये सात इंजन हैं। देश की आजादी के 100 साल पूरे होने पर यह मोदी का सपना है। इस अवधि को सीतारामन ने ‘अमृत काल’ बताया। यह नाम मौजूदा अमृत महोत्सव के आधार पर दिया गया है, जिसे देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर मना रहा है।
इस बजट में आपको हर क्षेत्र में डिजिटल की छाप दिखाई देगी। नए जमाने की हवा दिखाई देगी। लोकसभा में सीतारामन ने पहली बार छपा हुआ बजट भाषण पढ़ने के बजाय डिजिटल आईपैड के जरिए भाषण पढ़ा। डिजिटल एजुकेशन, डिजिटल यूनिवर्सिटी, डिजिटल हेल्थ, डिजिटल रुपया और डिजिटल कांति के लिए टेलीकॉम में 5 जी की तैयारी, किसानों के लिए ड्रोन, गंगा के किनारे ऑर्गेनिक खेती, 400 वंदे भारत ट्रेन, बड़े पैमाने पर पोर्ट्स, एय़रपोर्ट्स और हाइवे का निर्माण और स्टार्ट अप को प्रोत्साहन, ये सब नए जमाने की चीजें हैं।
अगर हमें दुनिया का मुकाबला करना है और देश को वाकई में विकास के रास्ते पर ले जाना है तो ये सब जरूरी है। इसमें रोजगार भी है और ज्यादा कमाई भी है। एक्सपोर्ट भी है और ज्यादा एफडीआई भी है। यह नए डिजिटल इंडिया की तस्वीर है और इसको उसी दृष्टि से देखना चाहिए।
वित्त मंत्री ने इस वित्तीय वर्ष से नए ई-पासपोर्ट लॉन्च करने का ऐलान किया है। इसमें एम्बेडेड चिप्स होंगे जो पासपोर्ट धारकों की पहचान को वेरिफाई करने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) और बायोमेट्रिक्स का उपयोग करेंगे। फिर धीरे-धीरे ई-पासपोर्ट पारंपरिक पासपोर्ट की जगह ले लेंगे। सीतारमण ने एक ई-यूनिवर्सिटी शुरू करने का भी ऐलान किया। देश-स्टैक पोर्टल (DESH-Stack portal) के जरिए ऑनलाइन शिक्षा मिल सकेगी। इसे हब और स्पोक मॉडल पर बनाया जाएगा। देश की विभिन्न यूनिवर्सिटीज के सहयोग से इस ई-यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाएगी।
नरेन्द्र मोदी ने 25 साल के विजन की बात की है। अगर आजादी के बाद सरकारों ने इसी तरह की दूरंदेशी दिखाई होती और आने वाले 20-25 साल को ध्यान में रखकर योजना बनाई होती तो देश बहुत आगे निकल चुका होता।