Rajat Sharma

My Opinion

समान नागरिक संहिता : सबको समान अधिकार

akbयूनीफॉर्म सिविल कोड के मसले पर विचार करने के लिए कानून मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति की बैठक सोमवार 3 जुलाई को होगी और इसमें कानून मंत्रालय और विधि आयोग के आधिकारियों को बुलाया गया है. इस बीच समान नागरिक संहिता को लेकर देश भर में बहस का दौर जारी है. गुरुवार को ईद की नमाज़ के बाद मौलानाओं ने अपनी तकरीरों में इस पर अपनी अपनी राय रखी. ज्यादातर मुसलमान समान नागरिक संहिता के पक्ष में नहीं है. उनका कहना है कि समान संहिता आने से इस्लाम में लागू शरीयत के नियम कायदे प्रभावित होंगे. कोई कह रहा है कि इसे सिर्फ मुसलमानों को परेशान करने की नीयत से लाया जा रहा है. किसी ने कहा कि यूनीफॉर्म सिविल कोड का सिर्फ शिगूफा छोड़ा गया है, ये सिर्फ सियासी जुमला है, होगा कुछ नहीं. हालांकि कुछ मौलानाओं का मानना है कि अगर समान नागरिक संहिता सभी धर्मों के लोगों से बात करके, सबकी सहमति से लागू की जाती है, तो इसमें कोई हर्ज नहीं, लेकिन इसे जबरन नहीं थोपा जाना चाहिए. विरोधी दलों के नेताओं ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जोरदार हमला बोला. फारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि कहीं ऐसा न हो कि यूनीफॉर्म सिविल कोड लागू करने से देश में कोई तूफान आ जाए. शरद पवार ने कहा कि मोदी की नीयत में खोट है और उन्होंने विरोधी दलों की एकता से घबरा कर ये मुद्दा उछाला है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के स्टालिन ने कहा कि यह वोटों का ध्रुवीकरण करने की बीजेपी की चाल है, लोगों को इसमें नहीं फंसना चाहिए. कुल मिलाकर अब इस मुद्दे पर आम लोग भी अपनी राय जाहिर कर रहे हैं और राजनीतिक दल भी सक्रिय हो गए हैं. अब सवाल ये है कि क्या ये मसला सिर्फ सियासी है, या वाकई में सरकार संसद के मॉनसून सत्र में सिविल कोड पर बिल पास कर सकती है? यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर जो तस्वीरें पेश की जा रही है, उनमें से एक है कि ये कानून मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए लाया जा रहा है. दूसरी तस्वीर ये है कि अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो गया तो धार्मिक आजादी खत्म हो जाएगी, शादी ब्याह के तौर तरीके बदल जाएंगे, रीति रिवाज़ छोड़ने पड़ेंगे. ये कहकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है कि मुसलमानों और ईसाइयों को मरने के बाद दफनाने नहीं दिया जाएगा, सबको हिंदू रिवाजों के मुताबिक शवों को जलाना होगा. लेकिन असलियत में यूनिफॉर्म सिविल कोड का ऐसे रीति रिवाजों और परंपराओं से कोई सरोकार नहीं है. यूनिफॉर्म सिविल कोड तो कुछ सामाजिक नियमों में बदलाव है. ये कानून सबको बराबरी का हक देगा. जैसे अभी अलग अलग धर्मों में लड़की की शादी की उम्र अलग अलग है, वो सबके लिए एक होगी, कई शादियां करने पर रोक लगेगी, हलाला जैसी प्रथाएं खत्म होंगी, अभी सबके लिए शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं हैं, यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा. अभी सभी धर्मों में पिता की जायदाद में लड़कियों को मिलने वाले हिस्से के नियम अलग अलग हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड में लड़कियों को उत्तराधिकार में मिलने वाली संपत्ति का नियम सबके लिए बराबर होगा. इसी तरह अभी बच्चा गोद लेने के नियम भी अलग अलग हैं. कई जगह महिलाओं को बच्चा गोद लेने का हक नहीं है. यूनिफॉर्म सिविल कोड में ये हक महिलाओं को भी मिलेगा और सबको बराबर मिलेगा. पति की मौत के बाद अभी पत्नी को मुआवजा मिलता है लेकिन अगर बाद में वो महिला शादी कर लेती है तो मुआवजे को लेकर अलग अलग नियम हैं, इसको लेकर भी एकरूपता लायी जाएगी. हालांकि कुछ सवाल हैं जिनके जवाब अभी नहीं हैं – जैसे गोवा में जो यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है, वहां हिदुओं में भी पहली पत्नी से बेटा न हो तो उन्हें दूसरी शादी करने का अधिकार है. क्या ऐसे नियमों को भी बदला जाएगा? इसी तरह आदिवासी समाज में कई जगह विवाह को लेकर कुछ परंपराएं सदियों से चली आ रहीं हैं, उनका क्या होगा? इसलिए अभी लॉ कमीशन बड़े पैमाने पर लोगों की राय ले रहा है. अब तक नौ लाख से ज्यादा लोगों की राय लॉ कमीशन को मिल चुकी है. 13 जुलाई के बाद लॉ कमीशन का ड्राफ्ट सामने आएगा तब और स्थिति साफ होगी लेकिन अभी तक जो जानकारी मिली है, जो मैंने आपके साथ शेयर की है, उसमें तो ऐसा कुछ नहीं है जिसको लेकर ये कहा जाए कि यूनिफॉर्म सिविल कोड मुसलमानों को निशाना के लिए लाया जा रहा है या इससे किसी के रीति रिवाजों पर कोई असर पढ़ेगा. इसीलिए मैंने कहा कि ये सरकार की जिम्मेदारी है कि वो लोगों के मन में बैठाई गई शंकाओं को दूर करे. उसके बाद ही यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार किया जाए.

राहुल गांधी की मणिपुर यात्रा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी दो दिनों से मणिपुर के दौरे पर हैं. शुक्र वार को राहुल ने मोइरंग के एक राहत शिविर में जाकर हिंसा से प्रभावित बेघर लोगों से मुलाकात की. गुरुवार को ड्रामा हुआ, जब पुलिस ने राहुल को चूड़ाचांदपुर जाते समय रास्ते में रोक लिया और वापस इम्फाल भेज दिया. राहुल बाद में हेलीकॉप्टर से चूड़ाचांदपुर गए और राहत शिविरों में बेघर लोगों से मुलाकात की. राहुल ने एक ट्वीट के ज़रिये कहा कि वह ” मणिपुर मे सभी भाई-बहनों को सुनने के लिए आये हैं. सभी समुदायों के लोगों से उन्हें प्यार मिला. ..मणिपुर के घावों पर मरहम लगाने की जरूरत है. हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए कि राज्य में शांति स्थापित हो . ” मणिपुर में गुरुवार को सुबह हथियारबंद लोगों ने इम्फाल वेस्ट के पास एक गांव पर हमला कर दो लोगों की हत्या कर दी. असम राइफल्स ने जवाबी कार्रवाई की. शाम को एक बड़ी भीड़ ने इम्फाल में बीजेपी के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और पुलिस को आंसूगैस छोड़नी पड़ीं. राहुल गांधी मणिपुर गए, अच्छा किया. वहां के लोगों से मिले, ये भी अच्छा किया. लेकिन कांग्रेस का ये कहना उचित नहीं है कि मोदी मणिपुर इसलिए नहीं गए कि वो नहीं चाहते कि मणिपुर के हालात के बारे में लोगों को पता चले. आज के ज़माने में जहां मीडिया के कैमरे हर जगह मौजूद रहते हैं, हालात को कोई कैसे छिपा सकता है ? पूरे देश ने टीवी पर देखा है कि मणिपुर में कैसे हिंसा भड़की, कैसे टकराव हुआ. दूसरी बात ये कि गृह मंत्री अमित शाह कई बार मणिपुर गए. कई दिन वहां रुके. अगर मोदी वहां जाते तो यही लोग कहते कि वो पब्लिसिटी लेने हर जगह पहुंच जाते हैं. यही लोग कहते कि उन्हें गृह मंत्री को भेजना चाहिए था, लेकिन विरोधी दलों में ये होता ही है, ‘चित भी मेरी पट भी मेरी’. इसका किसी को बुरा भी नहीं मानना चाहिए.

नीतीश पर अमित शाह का तंज़

गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को बिहार के लखीसराय में एक रैली को संबोधित करते समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बार बार पलटू राम कहा. 23 जून को पटना में विरोधी दलों की मीटिंग के बाद अमित शाह पहली बार बिहार गये थे. अमित शाह ने कहा कि नीतीश कुमार बार-बार घर बदलते हैं, इसलिए उन पर किसी को भरोसा नहीं करना चाहिए. अमित शाह ने कहा कि नीतीश कुमार तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने का सपना दिखाकर लालू यादव को मूर्ख बना रहे हैं. अमित शाह ने राहुल गांधी पर भी हमला किया, कहा कि विपक्षी एकता के बहाने कांग्रेस एक बार फिर राहुल गांधी को लॉंच करना चाहती है, लेकिन सबको पता है ये लॉन्चिंग भी फेल होगी. राजनीति में बाजी कैसे पलटती है, ये लखीसराय में देखने को मिला. पहले तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को पलटू चाचा कहते थे. आज अमित शाह ने नीतीश कुमार को पलटूराम कहा. अमित शाह की ये बात सही है कि नीतीश कुमार इधर उधर से जोड़ तोड़ कर, दायें बाएं पलटी मारकर 18 साल से मुख्यमंत्री बने हुए हैं, लेकिन लगता है कि अब उनका नंबर लगने वाला है. इस बात की चर्चा है कि लालू यादव अब तेजस्वी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखने के लिए उतावले हैं. विरोधी दलों की एकता के लिए उन्होंने इसीलिए नीतीश का चेहरा आगे किया. लालू की कोशिश है कि विरोधी दलों का मोर्चा जल्दी बने. नीतीश उसके संयोजक बनें, मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली करें और तेजस्वी का रास्ता भी साफ हो जाए.

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UCC : EQUAL RIGHTS TO ALL

AKBThe Parliament Standing Committee on Personnel, Public Grievances, Law and Justice headed by BJP leader Sushil Modi will hear on July 3 officials from Law Ministry and the Law Commission on the issue of reviewing personal laws. This comes in the backdrop of the Law Commission inviting views from the public including all stakeholders on the need to bring a Uniform Civil Code. On Eid ul Azha, most of the maulanas and other Islamic clerics pointed out difficulties in adopting a uniform civil code in the light of Islamic sharia laws. They pitched for continuing with separate personal laws for different religions, as has been the practice since independence. AIMIM MLA in Malegaon Mufti Ismail Qasmi told a gathering at Eidgah ground that the pitch for uniform civil code is being made only to ‘harass Muslims’. Addressing a gathering at Eidgah ground in Lucknow, Maulana Khalid Rashid Firangi Mahali described uniform civil code as an “unessential issue” and said, in a pluralist country like India having diverse religions, customs, food habits and traditions, a single uniform civil code cannot be implemented. However, All India Imam Association chairman Maulana Umar Ahmed Ilyasi said it is illogical to oppose the uniform civil code, even before the Law Commission has drafted a bill. He said, a meeting of muftis of Central Darul Kazaa will be called where a draft will be prepared for submitting to Law Commission after consultation among all imams. Several political parties are adding fuel to the fire. National Conference leader Dr Farooq Abdullah warned that a storm can occur if the government went ahead with the UCC, because Muslims follow Shariat rules and there should not be any interference in their personal laws. Shiromani Akali Dal leader Daljit Singh Cheema said, Law Commission had earlier said, a UCC is not required, but if the government pushed ahead, it can create tension. Cheema said, Sikhs will not support the UCC because the community has its own traditions and rules. NCP supremo Sharad Pawar advised the Law Commission to speak to leaders of Sikh, Christian, Jain, Buddhist and Parsi communities first before preparing any UCC draft. An impression is being created that the uniform civil code is being brought “to target Muslims”. The second impression that is being created is that UCC may end religious freedom, and may change marriage practices and traditions. People are being misled by spreading rumours that Muslims and Christians may not get decent burials and they may be cremated as per Hindu rituals. The ground reality is that the uniform civil code has nothing to do with religious practices and traditions. The code is meant for changing some social rules. The UCC will ensure equal rights for all. For example, at present there are different minimum age limits for marriage in different religions. This age limit will be made uniformly applicable. The UCC may ban polygamy, and abolish the tradition of ‘Halala’ among Muslims. At present registration of marriages is not compulsory, and the UCC can make now make all marriage registrations mandatory. For succession, share of daughters in parental property is different in all communities. The UCC will bring uniformity and enact rules for daughters to get equal rights on parental property. In some religions, adoption is restricted. The UCC will provide equal adoption rights to women of all religions. Similarly, there will be uniformity in giving compensation to women after death of their husbands, even if the widows remarry. There are however some questions that still require solutions. For example, in Goa, there is the uniform civil code which says if the first wife does not give birth to a son, the husband has the right to marry a second time. Will such rules be changed? Similarly, among tribal communities, there are marriage traditions that have been continuing since centuries. The Law Commission’s draft is expected to come after July 13 and only then the situation can become clear. I have tried to share with you some of the information that we have collected. There is nothing to show that the UCC is being brought to “target” Muslim community or change social practices and customs. It is the responsibility of the Centre to first remove confusions from the mind of the people and then go ahead with preparing a draft UCC.

RAHUL’S MANIPUR VISIT

Congress leader Rahul Gandhi is on a two-day visit to Manipur meeting families displaced by ethnic violence. On Friday, he met homeless people living in a camp in Moirang and later met civil society leaders and activists of like-minded parties. There was high drama on Thursday, when police stopped him in Bishnupur citing law and order problems. Rahul had to return to Imphal and take a helicopter to meet affected people in Churachandpur. In a tweet, Rahul wrote, “I came to listen to all my brothers and sisters of Manipur. People of all communities being very welcoming and living. It’s very unfortunate that the government is stopping me. Manipur needs healing. Peace has to be our only priority.” On Thursday, two persons were killed after a pre-dawn attack by assailants on a village on Imphal West-Kangpokpi border, and Assam Rifles men had to retaliate. In the evening, hundreds of people protested outside BJP regional office in Imphal, and police had to fire tear gas shells to disperse the mob. I would like to say, Rahul Gandhi did a good thing in going to Manipur and meeting people, but I don’t think that the Congress allegation is justified that Prime Minister Modi did not go to Manipur because he did not want the world to know about what’s happening in the state. In today’s digital age, where nothing can be hidden from media cameras, how can the situation in Manipur be hidden from the rest of the world? The entire nation saw how there was violence in Manipur and thousands had to leave their homes in fear for their lives. Secondly, Home Minister Amit Shah went to Manipur several times to restore peace. Had Modi gone to Manipur, the same parties would have commented that the Prime Minister rushes to such places to get publicity. They would have demanded that the Home Minister should have gone to Manipur. Opposition parties cannot have it both ways.

AMIT SHAH’S JIBE AT NITISH KUMAR

Home Minister Amit Shah on Thursday addressed a rally in Lakhisarai, Bihar. This was his first visit to Bihar after 15 top opposition parties met at a conclave in Patna on June 23. Amit Shah described chief minister Nitish Kumar as “Paltu Ram”(opportunist) several times. He alleged that Nitish “befooled Lalu Yadav” by promising to make his son Tejashwi Yadav the chief minister. He also hit out at Rahul Gandhi saying that Congress, in the guise of opposition unity, is trying to launch Rahul again, but everybody knows this launching will fail again. The Lakhisarai rally clearly showed how things change fast in politics. Earlier, it was Tejashwi Yadav who had coined the sobriquet ‘Paltu Ram’ for Nitish Kumar for changing camps. On Thursday, it was Amit Shah who used the same sobriquet for the Bihar CM. Amit Shah seems to be right. Nitish Kumar managed to stay as chief minister for 18 years, by switching camps several times. But his days as chief minister seem to be numbered. There is speculation that Lalu Yadav is desperate to see his son Tejashwi as chief minister. It was because of this that Lalu Yadav prodded Nitish Kumar to start working for opposition unity. Lalu wants an opposition front soon, so that Nitish Kumar can become its convenor and, in the process, vacate, the throne of chief minister. Tejashwi will then become chief minister.

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यूनीफॉर्म सिविल कोड : दुविधा में विपक्ष

akbयूनीफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर बुधवार को दो घटनाएं हुई. पहली, विधि आयोग (लॉ कमीशन) के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने साफ कह दिया कि वो समान नागरिक संहिता के मसले पर गंभीरता से आगे बढ़ रहे हैं. अब तक इस मसले पर साढे आठ लाख सुझाव मिल चुके हैं. जस्टिस रितुराज अवस्थी ने लोगों से अपील की है कि वो ज्यादा से ज्यादा संख्या में इस मसले पर अपनी राय दें. दूसरी घटना ये हुई कि समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर विपक्ष में फूट पड़ गई. आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया कि वो सैद्धान्तिक तौर पर यूनीफॉर्म सिविल कोड का समर्थन करती है. अरविन्द केजरीवाल की पार्टी के इस रुख से विरोधी दलों में खलबली है. अब कांग्रेस, आरजेडी, समाजवादी पार्टी और जेडी-यू जैसी पार्टियां परेशान हैं. हालांकि केजरीवाल की पार्टी ने ये साफ नहीं किया है कि अगर सरकार यूनीफॉर्म सिविल कोड का बिल लाती है, तो पार्टी इसका समर्थन करेगी या नहीं, लेकिन इतना जरूर कहा है कि सैद्धान्तिक तौर पर पार्टी कॉमन सिविल कोड के पक्ष में हैं. केजरीवाल की पार्टी के इस रुख पर कांग्रेस और जेडीयू ने हैरानी जताई है. अब सवाल ये है कि क्या कॉमन सिविल कोड का मुद्दा विपक्षी एकता के लिए खतरा बन जाएगा? या फिर केजरीवाल कांग्रेस पर दवाब बनाने के लिए इस तरह का दांव चल रहे हैं ? जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष अरशद मदनी समेत तमाम मौलानाओं ने समान नागरिक संहिता पर एतराज जताया, लेकिन कुछ ऐसे मुस्लिम विद्वान सामने आए जिन्होंने कहा कि यूनीफॉर्म सिविल कोड का इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है, अगर इसे लागू किया जाता है तो ये मुसलमानों की बेहतरी के लिए उठाया गया बड़ा कदम होगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भोपाल में यूनीफॉर्म सिविल कोड की जो बात कही थी. आम आदमी पार्टी ने जो रुख अपनाया उससे विरोधी दल सावधान हो गए हैं, इस मुद्दे पर संभल कर बोल रहे हैं. NCP के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि यूनीफॉर्म सिविल कोड का विरोध तो NCP भी नहीं करती, लेकिन पहले ये पता तो चले कि सरकार क्या करना चाहती है. जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना अररशद मदनी ने कहा कि ये मसला वोटों की खातिर उठाया गया है वरना मुसलमान तो इस देश में 1300 साल से रह रहे हैं, अब तक तो किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई. फिर अचानक इस तरह के कानून की जरुरत क्यों पड़ गई? ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने भी यूनीफॉर्म सिविल कोड का विरोध किया और कहा कि अगर यूनीफॉर्म सिविल कोड आया तो इससे मुसलमानों को दिक्कत होगी. मध्य प्रदेश में चुनाव होने हैं, इसलिए मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेता भी ये बात समझ रहे हैं, इसलिए वो इस मसले को ज्यादा तूल नहीं देना चाहते. मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी ये सब असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कर रही है. कांग्रेस बीजेपी की चाल में नहीं फंसेगी. कमलनाथ ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा बीजेपी को उठाने दीजिए, कांग्रेस मंहगाई, बेरोजगारी की बात करेगी. जिस तरह से यूनीफॉर्म सिविल कोड पर सियासत शुरू हुई है, उससे ये तो साफ हो गया कि मोदी का तीर निशाने पर लगा है. ये ऐसा मसला है जिससे विरोधी दलों में फूट के आसार दिखाई देने लगे है. इसका पहला सबूत केजरीवाल की पार्टी के रुख से मिल गया. दूसरी बात ओबैसी की पार्टी, फारूक़ अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की पार्टी को छोड़कर दूसरी विपक्षी पार्टियां न तो इसका विरोध कर सकती है, न खुलकर समर्थन कर पाएंगी. अगर विरोध किया तो हिन्दुओं को वोट जाने का खतरा होगा और समर्थन किया तो मुसलमानों की नाराजगी झेलनी पड़गी. इसीलिए अब सभी पार्टियों ने ये कहना शुरू कर दिया है कि सरकार पहले बिल का ड्राफ्ट सामने रखे, सभी पार्टियों की मीटिंग बुलाए, उसके बाद ही वो इस मुद्दे पर अपनी राय देंगे. लेकिन मुझे लगता है कि बीच का ये रास्ता भी काम नहीं आएगा क्योंकि जिस तरह से मोदी ने कल इस पर खुल कर बात की है, उसका संकेत साफ है कि सरकार इस मामले में अपना मन बना चुकी है. संसद का मानसून सत्र 17 जुलाई से शुरू हो सकता है. अगर सरकार ने मॉनसून सत्र में बिल का ड्राफ्ट पेश कर दिया तो कांग्रेस और दूसरे विरोधी दलों की वही हालत होगी, जो कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकिल 370 को खारिज करने के वक्त हुई थी. सबने मजबूरी में ही सही, इसका समर्थन किया था. इसीलिए मैंने कहा कि आज नहीं तो कल, विरोधी दलों को इस मुद्दे पर साफ स्टैंड लेना ही पड़ेगा और नरेंद्र मोदी विरोधी दलों को इसके लिए मजबूर करेंगे. चूंकि कई मुस्लिम उलेमा ने यूनीफॉर्म सिविल कोड का खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया है, इसलिए विपक्षी दल इस वक्त दुविधा वाली स्थिति में हैं.

बिहार को बाहर से शिक्षकों की ज़रूरत क्यों पड़ी ?

बिहार में स्कूली शिक्षकों की भर्ती को लेकर हंगामा चल रहा है. बिहार सरकार ने शिक्षकों की भर्ती में बिहार के अलावा दूसरे राज्यों के लोगों को भी इम्तहान में बैठने की छूट दे दी है. इसका जमकर विरोध हो रहा है. दरअसल बिहार सरकार ने इसी महीने की शुरूआत में 1 लाख 70 हजार शिक्षकों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की थी. उसके बाद इसके नियमों में बदलाव हुए. मंगलवार को राज्य सरकार ने एक विज्ञापन जारी किया जिसमें बताया गया कि शिक्षकों की भर्ती वाली परीक्षा में शामिल होने के लिए बिहार का मूल निवासी होने की शर्त हटा दी गई है. अब देश के सभी राज्यों के नौजवान बिहार में शिक्षकों की भर्ती की परीक्षा दे सकते हैं. नीतीश कुमार की सरकार के इस फैसले से परीक्षा की तैयारी कर रहे बिहार के नौजवान नाराज हो गए और सरकार के खिलाफ प्रोटेस्ट की कॉल दे दी. बीजेपी ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया. बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने जो बात कही, उससे लोगों का गुस्सा और बढ़ गया. चन्द्रशेखर ने कहा कि चूंकि इससे पहले हुई भर्तियों में गणित, विज्ञान और अंग्रेज़ी के अच्छे शिक्षक नहीं मिल पाते थे, जगह खाली रह जाती थी, इसलिए इस बार दूसरे राज्यों के लोगों को भी परीक्षा में मौका देने का फैसला किया गया. इससे मेधावी उम्मीदवार भर्ती प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे. लेकिन नौकरी की उम्मीद में सालों से तैयारी कर रहे बिहार के नौजवानों को सरकार के ये तर्क नागवार गुजरे हैं. छात्र संगठनों ने फैसला वापस लेने के लिए बिहार सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. छात्र नेताओं का कहना है कि शिक्षा मंत्री एक तो बिहार के बच्चों के मौके छीन रहे हैं और दूसरी तरफ उनकी मेधा पर सवाल उठा रहे हैं, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बिहार के बीजेपी नेता पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि बिहार के लोगों का गुस्सा जायज है, अगर दूसरे राज्यों के बच्चे शिक्षक भर्ती परीक्षा में बैठेंगे तो बिहार के बच्चों का क्या होगा? सुशील मोदी ने कहा कि हकीकत ये है कि नीतीश कुमार की सरकार की मंशा शिक्षकों की भर्ती की है ही नहीं, सरकार चाहती है कि केस कोर्ट में चला जाए और भर्ती की प्रक्रिया लटक जाए.
बिहार सरकार की ये बात तो सही है कि देश के किसी भी हिस्से के नौजवानों को बिहार में रोजगार के मौके से वंचित नहीं किया जा सकता, लेकिन सवाल ये है कि क्या नीतीश कुमार को ये बात पहले से नहीं मालूम थी…उन्होंने बार बार नियमों में बदलाव क्यों किया….फिर दूसरे राज्यों के नौजवानों को भर्ती में शामिल करने के लिए अलग से विज्ञापन क्यों निकाला? इसके बाद सरकार अपनी बात सही तरीके से छात्रों को समझाती. ऐसा करने के बजाए शिक्षामंत्री ने बिहार के बच्चों के टैलेंट पर ही सवाल उठा दिया. ये ठीक नहीं हैं, इससे छात्रों का गुस्सा और बढ़ेगा. छात्र संगठन सड़कों पर उतरेंगे, फिर इस पर सियासत होगी और सुशील मोदी की ये बात सही है कि कोई कोर्ट चला जाएगा और भर्ती की प्रक्रिया लटक जाएगी. इससे नुकसान बिहार के नौजवानों का ही होगा.

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UCC : OPPOSITION CAUGHT IN A DILEMMA

AKb (1)Two developments took place on the issue of uniform civil code on Wednesday. Law Commission chairman Justice Rituraj Awasthi said, the commission has, till now, received 8.5 lakh responses on UCC after it sought views from the public, religious organizations and other stakeholders within 30 days deadline. He said, commission will have wide consultations with all stakeholders. The second development points towards division among opposition parties on the question of opposing uniform civil code. Aam Aadmi Party general secretary Sandeep Pathak said, his party supports uniform civil code “in principle”, but later senior AAP leader Sanjay Singh said, the Centre must first reveal details of the bill and hold discussion with all parties, and only then will his party decide. Congress, RJD, Samajwadi Party and JD-U are shocked over AAP’s stance. Congress leader Kamal Nath, who is leading his party in the forthcoming Madhya Pradesh assembly polls, said, his party will not “fall into BJP’s trap. Let BJP raise uniform civil code issue, we will raise issues of price rise and unemployment among the people.” NCP working president Praful Patel said, his party does not oppose UCC, but the Centre should come with the details first. Looking at the political thrusts and counter-thrusts, it seems Modi’s arrow has hit the target. It is an issue on which division has appeared among opposition parties. The first sign came from Arvind Kejriwal’s Aam Aadmi Party. Secondly, almost all major opposition parties, except Asaduddin Owaisi’s AIMIM, Farooq Abdullah’s National Conference and Mehbooba Mufti’s PDP, are in a position where they can neither oppose nor openly support uniform civil code. If these parties oppose UCC, they run the risk of losing Hindu voters, and if they support UCC, they may have to face the anger of Muslim voters. To be on the safe side, all these parties have now started saying, let the Centre come with the draft bill first and call an all-party meeting, only then will they reveal their views. But I think this middle path will not work. The emphatic manner in which Prime Minister Narendra Modi pushed the uniform civil code issue on Tuesday, is indicative that the government has already made up its mind on UCC. Parliament’s monsoon session may begin on July 17, and if the government introduces a draft bill on UCC, Congress and other opposition parties will be caught in a bind. A similar thing happened in Parliament on August 5, 2019, when the Centre suddenly came up with a bill to abrogate Article 370 that gave special status to Jammu and Kashmir. All the opposition parties had to fall in line and support the bill. This time, too, Modi may force the opposition parties to fall in line again. Since several top Muslim ulema, including those from All India Muslim Personal Law Board and Jamiat Ulama-e-Hind have opposed UCC, the opposition is now caught in a dilemma.

WHY BIHAR NEEDS TEACHERS FROM OUTSIDE ?

The Bihar government has amended teacher recruitment rules allowing candidates from all over India to apply for the posts of school teachers. Education Minister Chandrashekhar said, this amendment has been made in order to fill up vacancies for Science, English and Maths teachers. “Talented job aspirants from across India can appear for recruitment since there is a dearth of competent candidates for subjects like Science and English. This will improve quality of education in government schools”, he said. A meeting of Bihar cabinet, presided over by chief minister Nitish Kumar, on Tuesday took the decision to amend Bihar State School Teachers (appointment, transfer, disciplinary action and service condition) Rules, 2023 waiving off Bihar domicile for candidates. Notification for recruitment of 1,70,000 school teachers was issued earlier this month. BJP and several student organisations have opposed this move. Former deputy CM and BJP leader Sushil Modi said, people’s anger is justified. “If candidates from other states sit in exams, what will be the fate of candidates from Bihar? Actually, Nitish Kumar’s government has no intention of hiring teachers and it wants that the matter should go to court, and the entire process comes to a standstill”, he said. Bihar government’s view that it cannot refuse jobs to youths from outside the state is alright, but the question is: didn’t Nitish Kumar know about this earlier? Why was a separate ad brought out inviting applications from candidates outside Bihar? Why were the rules changed? The state government could have convinced aspirants from Bihar about this decision. Instead of doing this, the state education minister has questioned the talent of candidates from Bihar, which is not justified. This has already fuelled anger among job aspirants in Bihar and some students’ organizations have given 72 hours’ ultimatum. I think, Sushil Modi is right when he says that the matter could go to court and the hiring process will linger on. Ultimately, the youths of Bihar will be the ultimate losers.

मोदी, मुसलमान और समान नागरिक संहिता

akb fullप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए जनता के सामने अपना एजेंडा रख दिया है. मोदी ने भोपाल में मंगलवार को बीजेपी के कार्यकर्ताओं को समझाया कि उन्हें जनता के बीच जाकर क्या कहना है. मोदी का एजेंडा नंबर 1 है, यूनिफॉर्म सिविल कोड. पहली बार मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सीधी और साफ बात की. मोदी ने कहा कि एक ही घर में परिवार के लोगों के लिए अलग अलग कानून होंगे तो घर कैसे चलेगा, सबके लिए समान कानून होना जरूरी है. मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी बार बार यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की बात कहता है लेकिन विरोधी दलों के नेता इसे सिर्फ मुसलमानों से जोड़कर वोट के चक्कर में उन्हें डराते हैं, गुमराह करते हैं. मोदी ने पसमांदा मुसलमानों की बात की, दूसरे देशों का उदाहरण दिया. मोदी का संदेश यह था कि सरकार समान आचार संहिता लागू करने पर आगे बढ़ेगी. जैसे ही मोदी का बयान आया तो विरोधी दलों में हलचल मच गई. शरद पवार, भूपेश बघेल, तारिक अनवर, मनोज झा, विजय चौधरी और असदुद्दीन ओवैसी से लेकर अबु आज़मी और जमीयत उलेमा ए हिन्द के नेता तक सब बोले. सब ने मोदी पर हमला किया. आज मोदी ने जितने विस्तार से समान नागरिक संहिता की बात की, उससे ये साफ हो गया कि मोदी सरकार जल्द ही इसे लेकर कानून ला सकती है. मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट तो कब से कॉमन सिविल कोड लाने को कह रहा है. मोदी ने कहा कि अगर एक घर में दो कानून नहीं चल सकते तो फिर एक देश में दो कानून कैसे चल सकते हैं ? मोदी ने कहा जो लोग समान नागरिक संहिता का विरोध कर रहे हैं, वो इसी तरह तीन तलाक़ को इस्लाम का जरूरी हिस्सा बता कर उसे खत्म करने का विरोध कर रहे थे. मोदी ने कहा, हकीकत ये है कि तमाम इस्लामी मुल्कों ने तीन तलाक को 90 साल पहले खत्म कर दिया है. अगर तीन तलाक़ इस्लाम का जरूरी अंग होता, तो पाकिस्तान, इंडोनेशिया, कतर, जॉर्डन जैसे मुस्लिम देश इसे खत्म क्यों करते? मोदी ने उन लोगों को भी जबाव दिया जो बीजेपी को मुसलमान को दुश्मन बताते हैं. मोदी ने कहा कि उन्होंने सबका साथ सबका विकास के मंत्र पर काम किया है, पसमंदा मुसलमानों के लिए किए गए सरकार के काम इसका सबूत हैं. मोदी ने कहा कि कुछ पार्टियां और लोग पसमंदा मुसलमानें को मुसलमान नहीं समझते, उनसे भेदभाव करते हैं, उन्हें अछूत मानते हैं. मोदी के भाषण के तुरंत बाद हैदराबाद से AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी का रिएक्शन आया. ओवैसी ने पूछा, क्या हिन्दू मैरिज एक्ट खत्म हो जाएगा? क्या मोदी अविभाजित हिन्दू परिवार कानून खत्म कर देंगे? क्या ईसाइयों और दूसरी जनजातियों की परंपराओं पर पबांदी लगा दी जाएगी? ओवैसी ने कहा कि यूनीफॉर्म सिविल कोड़ संविधान की भावना के खिलाफ है. अगर मोदी यूनीफॉर्म सिविल कोड लागू करेंगे तो क्या कुरान की आयातों का पालन करने पर रोक लग जाएगी? बैरिस्टर असदुद्दीन ओबैसी ने तमाम दलीलें देकर ये साबित करने की कोशिश की कि मोदी सिर्फ चुनावी झुनझुना बजा रहे हैं, वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं, पर होगा कुछ नहीं. ममता बनर्जी ने कहा, मोदी का मुसलमानों के प्रति प्रेम सिर्फ दिखावा है, मोदी सरकार सिर्फ छह महीने की मेहमान है, इसलिए इस तरह के छलावे में फंसने की जरूरत नहीं है. यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर मुस्लिम संगठन और मौलाना भी एक्टिव हो गए हैं. मंगलवार रात को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मीटिंग हुई, जिसमें तय हुआ कि लॉ कमिशन को बो4ड की तरफ से ब्य़ौरा दिया जाएगा. इस मीटिंग में बोर्ड के चेयरमैन सैफुल्लाह रहमानी और ज़मीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी मौजूद थे. जमीयत के सचिव नियाज़ फारुकी ने कहा कि जब विधि आयोग इस पर काम कर रहा है तो प्रधानमंत्री को बयान देकर उस पर दबाब बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी. मोदी के बयान पर इतना हंगामा क्यों हो रहा है, इसकी वजह भी जान लीजिए. मोदी अगर सिर्फ कॉमन सिविल कोड की बात करते तो विरोधी दलों से इतना तीखा रिएक्शन न आता. चूंकि मोदी ने पसमंदा मुसलमानों की बात कर दी, उनके प्रति हमदर्दी जता दी, इससे ज्यादा दिक्कत है. पसमंदा फारसी शब्द है, इसका मतलब होता है – जो पीछे छूट गए हैं, जो पिछड़े हैं, सताए हुए हैं. भारत में मुसलमानों की कुल आबादी का 85 प्रतिशत पसमंदा मुसलमान है. सिर्फ 15 परसेंट मुसलमान उच्च वर्ग के हैं जिन्हें अशरफ कहते हैं. इनके अलावा 85 परसेंट पिछड़े, शोषित, वंचित हैं, जिन्हें अरजाल और अज़लाफ़ कहा जाता है. मोदी ने मुसलमानों के 85 परसेंट तबके के प्रति हमदर्दी दिखाई है, उनकी तरक्की की बात की है, इसीलिए ओवैसी से लेकर ममता तक सब परेशान हैं, क्योंकि सबको मुस्लिम वोट बैंक में सेंध की फिक्र है. मोदी ने जिस तरह से पसमंदा मुसलमानों की बात की, जिस तरह समान नागरिक संहिता पर साफ साफ शब्दों में बात की , उससे ये तो साफ हो गया कि अब 2024 के चुनाव का यूनीफॉर्म सिविल को एक बड़ा सियासी इश्यू बनेगा. जिस तरह से प्रधानमंत्री ने कॉमन सिविल कोड़ पर सीधी और साफ बात की, उससे लग रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले यूनीफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाएगा और विरोधी दल ये बात जानते हैं कि अगर नरेन्द्र मोदी ने ये काम कर दिया तो फिर न मोदी-विरोधी मोर्चे से बात बनेगी, न विपक्षी एकता काम आएगी.

भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी की ‘गारंटी’

नरेंद्र मोदी का एजेंडा नंबर दो है – विरोधी दलों के नेताओं के भ्रष्टाचार को जनता के सामने उजागर करना. मोदी ने पहली बार नाम लेकर कांग्रेस, आरजेडी, NCP, तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के इल्जामात आंकड़े देकर गिनाये – किसने कितने हजार या लाख करोड़ का घोटाला किया. मोदी ने कहा कि विरोधी दलों की गारंटी है कि वो भ्रष्टाचार नहीं छोड़ेंगे, लेकिन मोदी की गारंटी है कि किसी भ्रष्टाचारी को नहीं छोड़ेंगे, सबका हिसाब करेंगे. मोदी का एजेंडा नंबर 3 है, परिवारवाद की राजनीति का पुरजोर विरोध. मोदी ने कहा विरोधी दलों के नेता मुफ़्त की गारंटियाँ देते है, सिर्फ अपने अपने परिवार के फायदे के लिए काम करते हैं और बीजेपी जनता के फायदे के लिए काम करती है. 23 जून को जब पटना में 15 विपक्षी दलों की मीटिंग हुई थी तब मोदी अमेरिका की सरकारी यात्रा पर थे, इसलिए मोदी इस मीटिंग पर आज बोले. मोदी ने कहा कि जो विरोधी दल एक-दूसरे को देखना तक पसंद नहीं करते, वो भी उनके खिलाफ एक साथ आ रहे हैं. मोदी ने 2014 और 2019 के चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके खिलाफ इस तरह का गठबंधन पहले भी बना था और हारा था. इस बार भी देश की जनता ने तय कर लिया है कि 2024 में एक बार फिर बीजेपी की सरकार बनानी है. मोदी ने कहा कि विपक्षी पार्टियों में आजकल गारंटी देने का फैशन चल रहा है. कोई फ्री बिजली की गारंटी देता है तो कोई फ्री राशन की. जबकि हकीकत ये है कि इन पार्टियों की सरकारें सिर्फ करप्शन की गारंटी दे सकती है. मोदी ने नाम लेकर हर पार्टी के घोटालों की लिस्ट गिना दी. मोदी ने कहा कि ये विपक्षी पार्टियां तो घोटाले की गारंटी देती हैं लेकिन आज वो देश को इस बात की गारंटी देना चाहते हैं कि जो भी जनता के पैसों को लूटेगा, भ्रष्टाचार करेगा, उनकी सरकार उसे छोड़ेगी नहीं. मोदी ने कहा कि अगर लोग शरद पवार की बेटी की भलाई चाहते हैं तो एनसीपी को वोट दें, अगर लोग लालू के बेटों और बेटियों की भलाई चाहते हैं, तो वे आरजेडी को वोट दें, अगर लोग मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश की भलाई चाहते हैं तो वे समाजवादी पार्टी को वोट दें, अगर लोग के. चंद्रशेखर राव की बेटी की भलाई चाहते हैं, तो वे बीआरएस को वोट दें, अगर लोग करुणानिधि के परिवार की भलाई चाहते हैं, तो वे डीएमके को वोट दें, लेकिन अगर लोग अपने बेटों- बेटियों ओर पोतों की भलाई चाहते हैं, तो वे बीजेपी को वोट दें. मोदी ने जो कहा वो विरोधी दलों के पिछले कई महीनों के कैंपेन के एक एक पॉइंट का जवाब था. मोदी ने जो कहा वो आने वाले चुनाव के लिए बीजेपी की रणनीति का संकेत था. विरोधी दलों का सबसे संगीन इल्जाम ये है कि मोदी सरकार अपने विरोधियों के खिलाफ सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल करती है. मोदी ने विरोधी दलों के नेताओं के भ्रष्टाचातार के मामले गिना दिए और साफ कर दिया कि इस मामले में विरोधी दलों के नेताओं को राहत देने का उनका कोई इरादा नहीं है, भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी सरकार का अभियान ,सीबीआई, ईडी का एक्शन बदस्तूर जारी रहेगा. विरोधी दलों का दूसरा बड़ा इल्जाम ये है कि मोदी के राज में मुसलमान परेशान हैं, मोदी सरकार मुस्लिम विरोधी है और ये सवाल इंटरनेशनल मीडिया में भी उठाए जाते हैं. मोदी ने साफ कर दिया कि वो इस तरह की बयानबाजी से डरने वाले नहीं हैं. उन्होंने समझा दिया कि वो देश में मुसलमानों की भलाई के नाम पर की जाने वाली सियासत को नहीं चलने देंगे, तुष्टीकरण की राजनीति को बर्दाश्त नहीं करेंगे. जले पर नमक छिड़कने के लिए मोदी ने ये भी कह दिया कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड होना चाहिए, सबके लिए एक जैसा कानून होना चाहिए. मोदी के एजेंडे की तीसरी बड़ी बात ये है कि विरोधी दलों की एकता उनके अपने फायदे के लिए है. पटना में जितने भी विरोधी दलों के नेता इकट्ठे हुए थे मोदी ने बताया कि वो सब अपने परिवार की विरासत को बचाने के लिए अपने बेटे और बेटियों को राजनीति में चमकाने के लिए इकट्ठा हुए. हालांकि पटना में जो नेता मौजूद थे वो मानते हैं कि अगर उनके बेटे या बेटियां राजनीति में आते हैं उनकी पार्टियों को संभालते हैं तो इसमें कुछ भी बुरा नहीं है. लालू यादव तेजस्वी को आगे करें या शरद पवार सुप्रिया को आगे बढ़ाएं इसमें क्या गलत है? अगर राहुल राजीव के बेटे हैं, अखिलेश मुलायम के बेटे हैं तो इसमें क्या प्रॉब्लम है? मोदी ने आज इस बात को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा ये सब लोग अपने बच्चों का अपने परिवार का भला चाहते हैं अगर देश की जनता अपने परिवार का अपने बेटे बेटियों का कल्याण चाहती है तो उन्हें बीजेपी का, मोदी का साथ देना चाहिए. विरोधी दलों की राजनीति का एक और पहलू है चुनाव के मौके पर मुफ्त की चीजें बांटना, बिजली, पानी और सर्विस फ्री देने की गारंटी देना. आज ये भी मोदी के एजेंडे पर था. मोदी ने कहा ऐसा करने वाले नेता सिर्फ अपनी पार्टी का भला चाहते हैं वो ये सब इसलिए करते हैं कि उन्हें कमीशन मिले, कट मनी मिले. कुल मिलाकर मोदी ने आज अपने भाषण से दो काम किए – विरोधी दलों के कैंपेन के एक-एक प्वाइंट का जवाब दिया और दो, अपने कार्यकर्ताओं को टॉपिक प्वाइंट दिए, उन्हें समझाया कि जनता के बीच जाकर उन्हें क्या कहना है.

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Modi, Musalman and UCC

AKBPrime Minister Narendra Modi on Tuesday set the agenda for next year’s general elections. Point 1 – he pitched for a uniform civil code, Point 2 – he promised to continue his drive against corruption and dynastic politics. This was the first time Modi spoke bluntly about uniform civil code. He said, “in a family, there cannot be one law for one member and another law for another. If a family cannot run on two different laws, how can the country run on different laws? We must remember that the Constitution guarantees equal rights for all and even the Supreme Court has called for uniform civil code.” Modi said, those supporting triple talaq are doing grave injustice to Muslim daughters. He said, “triple talaq was abolished in Egypt 80-90 years ago, and if at all it is necessary, then why has it been abolished in Pakistan, Qatar, Jordan, Indonesia and other Islamic countries?” Modi said, BJP follows the path of ‘santushtikaran’ (satisfaction) and not ‘tushtikaran’(appeasement). Soon after Modi’s speech, Congress, RJD, NCP, Samajwadi Party and AIMIM strongly opposed the UCC alleging that efforts are being made to incite communities and crush pluralism and diversity in India. The All India Muslim Personal Law Board sat in a late night virtual conference and decided to submit its views to the Law Commission, since the Commission had sought views from all stakeholders. Jamiat Ulama-e-Hind secretary Niaz Farooqui said, at a time when the Law Commission is working on this issue, the Prime Minister should not have put pressure on it by making this pitch. He alleged that BJP is only trying to target Muslims by bringing the issue of uniform civil code. AIMIM chief Asaduddin Owaisi posed a question: “Will the Prime Minister end ‘Hindu Undivided Family’? Because of HUF, the country is losing Rs 3,064 crore every year in taxes. On one hand, Modi is shedding crocodile tears for Pasmanda (backward Muslims), and on the other, his pawns are attacking their mosques, snatching away their livelihoods, bulldozing their homes and lynching them. If Pasmanda Muslims are being exploited, what is Modi doing about it?” In his speech, Modi had alleged that the opposition was only chanting Musalman, Musalman, but had they really been working in the interests of Muslims, then Muclims would have been lagging behind in education and employment. Modi said, Pasmanda Muslims are not even treated as equal because of vote bank politics. “Those who do vote bank politics have ruined Pasmanda Muslims. They are not getting any benefit, nor are they getting equal rights. They are considered untouchables. In UP, Bihar, south India, especially in Kerala, Andhra Pradesh, Telangana and Tamil Nadu, many castes were left behind because of the policy of appeasement”, Modi said. The question is: Why are opposition leaders angry over Modi’s remarks? Let me tell you the real reason. Had the PM spoken only about uniform civil code, the opposition parties would not have reacted strongly. Since Modi expressed sympathy about Pasmanda Muslims, the opposition leaders are furious. In India, Pasmanda (backward) Muslims constitute nearly 85 per cent of total Muslim population. Only 15 per cent Muslims belong to the upper class called ‘Ashraf’. Among the 85 per cent Pasmanda Muslims are those who are considered low castes and they have remained exploited and oppressed since centuries. They are called Arzaal and Azlaaf. Modi has sympathized with 85 per cent backward Muslims, and has spoken about their upliftment. This is the reason why leaders from Owaisi to Mamata Banerjee are worried because they fear their vote banks could break. The manner in which Modi spoke about Pasmanda Muslims and the need for Uniform Civil Code, one thing is clear: UCC is going to be a major issue in 2024 elections. From the tone of the Prime Minister’s speech, it seems the UCC will be implemented before next year’s elections due in April and May. The opposition parties have realized this and they know if UCC is implemented by Modi, opposition unity or anti-Modi front may become a non-starter.

MODI’S ANTI-CORRUPTION ‘GUARANTEE’

Modi then launched a stinging attack on opposition parties, and listed out, in public, the past and present scams allegedly involving some of the top opposition leaders. Describing the Patna conclave of 15 opposition parties as a ‘photo-op’, Modi accused opposition parties of being involved in scams worth at least Rs 20 lakh crore. He said, “nowadays a new word ‘guarantee’ has become popular and is gaining currency. All these opposition parties are a guarantee of corruption, they are a guarantee for scams worth lakhs of crores…Today I want to give you a guarantee. Our government will take action against all those involved in scams and corruption.” Modi said: “If you see the history of parties which attended that (Patna) meeting, all those seen in the photographs are the guarantee for Rs 20 lakh crore worth scams. The scams of Congress alone are worth lakhs of crores, including coal scam, 2G scam, Commonwealth scam and other scams. If you want development of Gandhi family, then vote for Congress. If you want welfare for Mulayam Singh yadav’s son, then vote for Samajwadi party. If you want welfare of Lalu’s sons and daughter, then vote for RJD. If you want welfare of Sharad Pawar’s daughter, then vote for NCP. If you want welfare of Abdullah family, then vote for National Conference. If you want welfare of Karunanidhi’s family, then vote for DMK. If you want welfare of K. Chandrashekhar Rao’s daughter, then vote for BRS. But if you want the welfare of your sons and daughters and grandchildren, then vote for BJP….Those whom people earlier used to call their enemies and abuse them, today then prostrate in front of them. Their panic shows the people of India have made up their mind to bring back BJP in 2024 elections.” What Narendra Modi said was a point-by-point rebuttal of the campaign that was launched by opposition parties during the last several months. Modi’s speech was a clear pointer about BJP’s strategy for 2024 elections. The most serious charge levelled by opposition was that Modi government misuses CBI and ED against its political rivals. Modi listed out the corruption cases of opposition leaders, and made it quite clear that he has no intention of giving them any breather as far as corruption cases are concerned. CBI, ED actions against the opposition leaders will continue as usual. The second biggest charge made by opposition was that Muslims are suffering under Modi’s rule, Modi government is anti-Muslims and this topic is being raised on international media. Prime Minister Modi made it quite clear that he is not going to be cowed down by such allegations. He has also made it clear that he would not allow politics going on in the name of welfare of Muslims and politics of appeasement will not be tolerated any more. To put salt to the wounds of opposition, Modi said, there must be a uniform civil code. All civil laws must apply equally to all communities in India. The third important point in Modi’s agenda is that opposition unity will work to his advantage. All the opposition leaders had gathered in Patna to protect the political legacy for their sons and daughters. Opposition leaders had been saying, there is nothing wrong if Lalu Yadav projects his son Tejashwi, and Sharad Pawar projects his daughter Supriya Sule in politics. If Rahul Gandhi is Rajiv’s son and if Akhilesh is Mulayam Singh Yadav’s son, then where is the problem? Modi took the bull by its horns. He said, these leaders want the welfare of their children and family members, and if the people of India want the welfare of their own offsprings, they should support Modi and BJP. Another aspect of opposition politics is distribution of freebies at the time of elections, like free electricity, free water and free services. Modi also took up this topic in his agenda. He said, such leaders do this only for the betterment of their own parties, so that they can get commission or ‘cut money’. Overall, Modi told his party workers how to convey his message to the people before the elections.

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पाकिस्तान के बरखास्त फौजी अफसर : गद्दार या इमरान समर्थक

AKBपाकिस्तानी सेना ने सोमवार को ऐलान किया कि एक लेफ्टनेंट जनरल सहित तीन बड़े अफसरों को फौज से बरखास्त कर दिया गया है, और 15 फौजी अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है, इनमें तीन मेजर और 7 ब्रिगेडियर शामिल हैं. इन सब पर आरोप है कि 9 मई को इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पूरे मुल्क में फौजी ठिकानों और घरों पर इमरान समर्थकों ने जो हमले किये और आगज़नी की, उसके लिए ये फौजी अफसरान ज़िम्मेवार हैं. सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने बरखास्त अफसरों के नाम तो नहीं बताये, लेकिन माना जा रहा है कि जो सर्वोच्च अफसर बरखास्त हुए, उनका नाम लेफ्टनेंट जनरल सलमान फैय्याज ग़नी है. ये 9 मई को लाहौर के कोर कमांडर थे और उनके सरकारी आवास (जिन्ना हाउस) पर इमरान समर्थकों ने हमला किया था, पूरे घर को तहस नहस किया था और आगज़नी की थी. इसी तरह रावलविंडी, पेशावर, सरगोधा, मुल्तान, मियांवाली, साहौर, मरदान, चकदरा और फैसलाबाद में फौजी ठिकानों पर इमरान समर्थकों ने हमले किये और आगज़नी की. जिन तीन बड़े फौजी अफसरों को बरखास्त किया गया, उन पर आरोप है कि “उन्होने जिन्ना हाउस, जनरल हैडक्वार्टर्स, फोजी छावनियों और ठिकानों की सुरक्षा और सम्मान की हिफाजत नहीं की”. एक रिटायर्ड 4-स्टार जनरल की पोती और दामाद सहित दो रिश्तेदारों, एक 3-स्टार और एक 2-स्टार जनरल की बीवियों के खिलाफ भी जवाबदेही की कार्यवाही चल रही है. कुल 20 फौजी ठिकानों पर हमले हुए, और कुल 102 लोगों के खिलाफ 17 फौजी अदालतों में केस चल रहे हैं. इतने बड़े अफसरों पर इस तरह एक्शन होगा, इसकी उम्मीद पाकिस्तान के लोगों को नहीं थी. सोमवार को रावलपिंडी में पाकिस्तानी फ़ौज की प्रेस कांफ्रेंस में सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अहमद शरीफ़ चौधरी ने 9 मई को हुई हिंसा की पूरी कथा सुनाई और वीडियो दिखाया. इसके बाद फौजी अफसरों के खिलाफ हुए एक्शन के बारे में बताया. जिस अंदाज में इसका एलान किया गया, जिस तरह से वीडियो दिखाए गए, उसका मकसद इमरान खान के समर्थक फौजी अफसरों को गद्दार साबित करना था, उन्हें जलील करना था, क्योंकि अगर किसी फौजी अफसर के खिलाफ एक्शन होता है, तो उसका इस तरह ढिंढोरा नहीं पीटा जाता. फौजी प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान के दुश्मन जो काम 76 साल में नहीं कर सके, वो देश के ग़द्दारों ने एक दिन में कर डाला. प्रवक्ता ने इमरान ख़ान का नाम तो नहीं लिया, लेकिन 9 मई को पूरे वाकये का ठीकरा इमरान के सिर पर ही फोड़ा. प्रवक्ता ने कहा, 9 मई को जो हुआ, उसकी प्लानिंग कई महीनों से चल रही थी. फ़ौज ने जिस तरह 3- स्टार लेफ्टिनेंट जनरल और 2-स्टार मेजर जनरल से लेकर ब्रिगेडियर लेवल के ऑफ़िसर्स पर कार्रवाई की है, उससे साफ हो गया है कि इमरान ख़ान को लेकर पाकिस्तानी फ़ौज बुरी तरह बंटी हुई है. 9 मई को फ़ौज के कई अफ़सरों ने आर्मी चीफ़ का हुक्म मानने से इनकार कर दिया था. अब पाकिस्तानी ये सवाल उठ रहे हैं कि इस तरह के एक्शन से फौज में बगावत की चिंगारी पर भले ही राख डालने की कोशिश की जाए, लेकिन आर्मी चीफ के खिलाफ आग तो सुलगती रहेगी. लेकिन फ़ौज के प्रवक्ता ने बार बार ज़ोर देकर कहा कि गद्दारों के खिलाफ एक्शन हो रहा है, पूरी फ़ौज आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर के पीछे एकजुट है. जिस मुल्क में फौज के अफसर आपस में लड़ रहे हों, जिस मुल्क में फौज सियासत का मोहरा बन गई हो, जिस मुल्क में फौजी अफसरों को बगावत के इल्जाम में बर्खास्त किया जा रहा हो, जिस मुल्क की फौज अपनी ही अवाम को कुचलने में लगी हो, उस मुल्क का वही हाल होता है, जो पाकिस्तान का हो रहा है. पाकिस्तान के लोगों के पास खाने को रोटी नहीं है, सरकार के पास पैसा नहीं हैं, खज़ाना खाली हो चुका है, इसलिए जनता परेशान होकर सड़कों पर उतर रही है, विद्रोह की आग सुलग रही है, और इस सबसे ध्यान हटाने के लिए फौज ने बड़े बड़े अफसरों पर एक्शन ले लिया. अब इसके बाद पाकिस्तान के हालात के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा दिया जाएगा, लेकिन मुझे लगता है कि पाकिस्तान की जनता भी हुकूमत औऱ फौज की इन चालों को समझ चुकी है.

मोदी की अमेरिका यात्रा : इमरान, पाकिस्तान और मुसलमान

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान बहुत नाराज़ हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफल अमेरिका यात्रा के बाद इमरान खान ने अपने मुल्क के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और पूर्व आर्मी चीफ जनरल क़मर जावेद बाजवा को लताड़ा है. इमरान खान ने कहा, अमेरिका का राष्ट्रपति, भारत के प्रधानमंत्री को गले लगाता है, अमेरिकी संसद भारत के प्रधानमंत्री के सम्मान में खड़े होकर तालियां बजाती है और दूसरी तरफ पाकिस्तान के हुक्मरान को अमेरिका के अफसर पूछते तक नहीं है. इमरान खान ने कहा कि भारत दुनिया में बड़ी ताकत के तौर पर उभर रहा है, जबकि पाकिस्तान की छवि पूरी दुनिया में एक गरीब और बदहाल मुल्क की बन चुकी है. इमरान खान ने भारत-अमेरिका संयुक्त घोषणापत्र का उल्लेख किय़ा और कहा कि इसमे साफ तौर पर पाकिस्तान की सरज़मीं से होने वाले सीमा पार आतंकवाद की कड़े शब्दों में न केवल निंदा की गई है बल्कि पाकिस्तान सरकार से कहा गया है कि वो सीमापार आतंकवादी हमलों के लिए अपनी ज़मीन का इस्तेमाल न हो, ये सुनिश्चित करे. साझा घोषणापत्र में पाकिस्तान से ये भी कहा गया है कि वह 26/11 मुम्बई हमलों और पठानकोट हमले के लिए ज़िम्मेवार सरगनाओं पर क़ानूनी शिकंजा कसे. इस पर इमरान खान ने अपने ट्वीट में लिखा – “जनरल बाजवा और PDM (शरीफ-ज़रदारी गठबंधन) में उनके अनुयायी अब तक ये इल्ज़ाम लगा रहे थे कि मैने पाकिस्तान को पूरी दुनिया में अलग थलग रखा. मैं जनरल बाजवा और PDM से पूछना चाहता हूं कि अब उनकी सरकार को बने एक साल बीत गया, पाकिस्तान के विदेश मंत्री कई बार अमेरिका गये, लेकिन भारत-अमेरिका साझा घोषणापत्र में सीमापार आतंकवाद को बढावा देने का इल्ज़ाम पाकिस्तान पर लगा है. इस घोषणापत्र में कश्मीर में मानवाधिकार की हालत और भारत में मुसलमानों के साथ हो रहे सलूक का कोई ज़िक्र नहीं है. ये इम्पोर्टेड सरकार पाकिस्तान को दुनिया में अप्रासंगिक बना चुकी है और हमारी आंखों के सामने पाकिस्तान में लोकतंत्र, कानून का राज , अर्थव्यवस्था और सारे संस्थान टूट कर गिर रहे हैं.”

राजनाथ सिंह : PoK भारत का अंग बनेगा

सोमवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जम्मू में national security conclave को संबोधित कर रहे थे. राजनाथ सिंह ने कहा कि वो दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले PoK से गैरकानूनी कब्जा छोड़ना होगा, इसके लिए फौजी कार्रवाई की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि PoK की अवाम ही पाकिस्तान से अलग होने का एलान कर देगी. राजनाथ सिंह ने कहा कि वो दिन दूर नहीं, जब पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाला कश्मीर भी भारत को वापस मिलेगा और इसके लिए भारत को कोई ख़ास कोशिश भी नहीं करनी पड़ेगी.
राजनाथ ने कहा कि PoK को भारत में फिर से शामिल करने का समय अब पास आ गया है क्योंकि, PoK के लोग ख़ुद पाकिस्तान के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं, बग़ावत कर रहे हैं. रक्षा मंत्री ने कहा कि PoK की जनता को पाकिस्तान से न खाना मिल रहा है, न बिजली- पानी, इसलिए आये दिन वहां पाकिस्तान के ख़िलाफ़ प्रोटेस्ट हो रहे हैं. भारत को बस PoK की जनता को इशारा भर करना है., वो ख़ुद ही भारत के साथ जुड़ने को तैयार हैं. पाकिस्तान ने भारत-अमेरिका साझा घोषणापत्र में सीमापार आतंकवाद को बढावा देने के आरोप को “एकतरफा, गुमराह करने वाला और अवांछित” बताया था. इसके जवाब में राजनाथ सिंह ने कहा, “पाकिस्तान इस घोषणापत्र से अपमानित महसूस कर रहा है और वही पुरानी बात दोहरा रहा है कि भारत दुनिया का ध्यान कश्मीर से हटा रहा है. मैं पाकिस्तान से सहमत हूं. दुनिया का ध्यान कश्मीर से हटाने में हम सफल हुए हैं. हम पाकिस्तान सरकार को कहना चाहते हैं कि बार बार कश्मीर का राग अलापने से उसे कोई फायदा नहीं होना वाला. अपना घर संभालिए.” इसमें तो कोई दो राय नहीं है कि पाकिस्तान ने PoK पर अवैध कब्जा कर रखा है, उसे ये कब्जा छोड़ना ही होगा. पाकिस्तान ने कश्मीर के जिस इलाके पर कब्जा किया है, उसके संसाधनों का वो पूरा दोहन कर रहा है, लेकिन उसने कभी PoK के लोगों को अपना नहीं माना, उनके साथ जुल्म ज्यादती की, PoK के लोगों को बुनियादी हक तक नहीं दिए, इसीलिए वहां पाकिस्तान की सरकार और फौज के खिलाफ नाराजगी लगातार बढ़ रही है, रोज़ प्रदर्शन हो रहे हैं, फौज के खौफ के बाद भी लोग घरों से निकल रहे हैं, खुलेआम भारत में शामिल होने की मांग कर रहे हैं. इसीलिए राजनाथ सिंह ने कहा कि वो दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान को अवाम के दवाब में PoK से कब्जा छोड़ना पड़ेगा. राजनाथ सिंह ने कहा कि अब दुनिया में पाकिस्तान को कोई नहीं पूछता, पाकिस्तान की पहचान सिर्फ आंतकवादी और कंगाल देश के तौर पर बन चुकी है. पहले जब भारत के नेता दूसरे देशों में जाते थे, तो हर बार कश्मीर का मुद्दा उठता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका के दौरे पर गए और वहां भी किसी ने पाकिस्तान का नाम तक नहीं लिया. राजनाथ सिंह ने कहा कि मोदी ने 2014 में कहा था कि मुझे सौगंध है इस मिट्टी की देश कभी नहीं झुकने दूंगा, इस कसम को मोदी ने पूरा करके दिखाया है. आज पूरी दुनिया में भारत एक बड़ी ताकत बनकर उभरा है, इमरान खान ने भी अब इस बात को कबूल किय़ा है.

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PAK ARMY’S SACKED OFFICERS: TRAITORS OR IMRAN SUPPORTERS?

akbThe Pakistani army on Monday announced it has dismissed three senior officers, including a Lieutenant General, and concluded disciplinary proceedings against 15 army officers, including three Majors and seven Brigadiers, for their role in the May 9 nationwide violence after Imran Khan was arrested from High Court premises. Though the army spokesman Maj Gen Ahmed Sharif Chaudhary did not name the officers, it is understood that the seniormost officer sacked was Lt Gen Salman Fayyaz Ghani, former Lahore Corps commander, who was removed from the corps and attached to Army HQ. It was the Lahore Corps commander’s house (known as Jinnah House) which was ransacked by a violent mob on May 9. Several other military installations were attacked on that day by Imran Khan’s supporters. The three top officers were sacked for “failing to keep the security and honour of garrisons, military installations, Jinnah House and General Headquarters intact”. Two close relatives of retired four-star generals, including a granddaughter and son-in-law, wives of a retired three-star and a retired two-star general were facing “self-accountability proceedings”, the spokesman said. Over 20 military installations in Rawalpindi, Peshawar, Lahore, Sargodha, Mardan, Chakdara, Faisalabad, Mianwali and Multan were attacked by protesters, he said, adding that 102 individuals were facing trials in 17 military courts. The overall scene in Pakistan is worrisome. The action taken against army officers clearly show that the army is divided between pro- and anti-Imran Khan camps. There were reports that during May 9 violence, several senior army officers had refused to obey the orders of the army chief to fire on protesters. Questions are now being raised. Those in the know say even though the latest action could be an attempt to douse the sparks of mutiny in the army, the embers of fire and anger against the present army chief Gen Asim Muneer will continue to burn. The army spokesman, at his briefing, consistently harped on the theme that the entire army stands united behind Gen Asim Muneer. Looking at the overall picture, Pakistan has become a nation, where army officers are at loggerheads, the army has become a pawn in the hands of politicians, senior army officers are being sacked on charge of mutiny and the army is muzzling the voice of its own people. This, at a time, when the nation’s foreign exchange reserve is almost empty, there are riots over wheat and the government is fast going bankrupt. People have come out on the streets and a sort of revolt is brewing. In order to divert people’s attention from this, the army has taken action against its own officers. And very soon, there are chances that India may be blamed for the present crisis in Pakistan. But I think the people of Pakistan have become wiser and they will soon realize the tricks that the army and government are up to.

MODI’S US VISIT : IMRAN, PAKISTAN AND MUSALMAN

Former Pakistan Prime Minister Imran Khan is angry. He has lashed out at Prime Minister Shahbaz Sharif and former Army Chief Gen Qamar Jawed Bajwa, in a tweet while commenting on Prime Minister Narendra Modi’s successful USA visit. Imran in his tweet quoted India-US joint declaration which says, both Modi and Joe Biden “strongly condemned cross-border terrorism, the use of terrorist proxies and called on Pakistan to take immediate action to ensure that no territory under its control is used for launching terrorist attacks. They called for the perpetrators of 26/11 Mumbai and Pathankot attacks to be brought to justice”. And this is what Imran Khan tweeted: “ General Bajwa along with his followers of PDM claimed that I have isolated Pakistan internationally. We would like to ask Gen Bajwa and PDM that after one year of government and countless visits of Pakistani Foreign Minister to America, the India-US joint declaration has mentioned Pakistan’s role in inciting terrorism in India across border. There is no mention of human rights violations in Kashmir or about the treatment meted out to Muslims in India. This imported government has not only made Pakistan irrelevant at the international level, but our democracy, rule of law, economy and institutions are crumbling before our eyes.” Imran Khan said, the American President is hugging the Indian PM in public, the members of US Congress stand and clap in honour of the Indian PM, and on the other hand, American officials do not even bother to speak to Pakistan’s rulers. Imran Khan said, India is emerging as a big world power, and on the other hand, Pakistan’s image before the world now is that of an impoverished nation.”

RAJNATH : PoK TO BECOME PART OF INDIA

On Monday, Defence Minister Rajnath Singh, while addressing a national security conclave in Jammu, slammed Pakistan government for describing India-US joint declaration as “unwarranted, one-sided and misleading”. Rajnath Singh said, “Pakistan felt insulted by this joint declaration and they made the same old remark that India is diverting world’s attention from Kashmir. I agree with them. We have been successful in diverting world attention from Kashmir. I want to tell Pakistan government it won’t gain anything by constantly harping on Kashmir. Apna ghar sambhaliye (get your house in order).” Rajnath Singh mentioned how people in Pak Occupied Kashmir have come out on the streets protesting price rise and shortage of food. “You are seeing what’s happening in PoK now. We won’t have to do much. The oppressed people of PoK will themselves demand that they become a part of India. They have been raising slogans in support of India.” Rajnath Singh also said, ‘Pakistan’s illegal occupation of a part of Kashmir does not grant them any legitimacy over the territory’. There is no doubt that Pakistan forcibly occupied the part known as Pak Occupied Kashmir, and it must vacate this territory. Pakistan has been exploiting the resources of PoK but never considered the people of PoK as its own citizens. Atrocities have been committed on them and their fundamental rights have been ignored. That is why people of PoK are now out on the streets. It was in this context that Rajnath Singh said, the days are not far off when people of PoK will start demanding that their territory be merged with India. Already, Pakistan’s image across the world is that of a poor country that sponsors terrorist outfits. Earlier, when Indian leaders used to visit foreign countries, the issue of Kashmir was raised almost every time. No more. Prime Minister Modi visited the USA for three days, and not a single leader mentioned about Pakistan or Kashmir.

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पटना बैठक : क्या एक मजबूत विपक्ष बन पाएगा ?

AKBशुक्रवार को पटना में 15 बड़े विपक्षी दलों की बैठक में यह सहमति हुई कि 2024 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और बीजेपी को हराने के लिए सभी पार्टियां मिलकर लड़ेंगी. लेकिन आम आदम पार्टी के नेता साझा प्रेस कॉंफ्रेंस से पहले उठ कर चले गये. बाद में आम आदमी पार्टी ने अपने बयान में कहा कि वो इस गठबंधन का तब तक हिस्सा नहीं बनेगी जब तक कांग्रेस दिल्ली अध्यादेश का सार्वजनिक रूप से विरोध नहीं करती. सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग शुरू होते ही केजरीवाल ने केंद्र के अध्यादेश का मुद्दा उठाया और कांग्रेस से इसका विरोध करने को कहा. ये सुनते ही उमर अब्दुल्ला बीच में बोल पड़े. उमर अब्दुल्ला ने अरविंद केजरीवाल से आर्टिकल 370 पर अपनी पार्टी का रुख साफ करने को कहा. उमर अब्दुल्ला ने केजरीवाल से पूछा कि आर्टिकल 370 के मुद्दे पर उन्होंने विपक्ष का साथ क्यों नहीं दिया. कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी अपने साथ अखबारों की कुछ कतरनें लेकर गए थे. खरगे ने केजरीवाल से पूछा कि मीटिंग से ठीक एक दिन पहले उनकी पार्टी की तरफ से इस तरह के आपत्तिजनक बयान क्य़ों दिए गए. मीटिंग में मौजूद कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि ये तो बिल्कुल ऐसा ही है जैसे कनपटी पर पिस्टल रखकर फैसला करने को कहा जाए. राहुल गांधी ने कुछ नहीं कहा. एक बात समझने की है कि केजरीवाल के लिए इस ऑडिनेंस को संसद में हराना बहुत जरूरी है क्योंकि अगर ये बिल पास हो जाता है तो दिल्ली में अफसरों की नियुक्ति का अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा और केजरीवाल कुछ नहीं कर पाएंगे. लेकिन कांग्रेस की परेशानी ये है कि दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस के स्थानीय नेता किसी कीमत पर आम आदमी पार्टी के साथ नहीं जाना चाहते. उन्हें लगता है कि अगर पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस को पुनर्जीवित करना है तो आम आदमी पार्टी से लड़ना होगा और वो कोई ऐसा काम नहीं करना चाहते जिससे केजरीवाल और मजबूत हों. ये समस्या सिर्फ केजरीवाल और राहुल गांधी के बीच में नहीं है. इस तरह की स्थानीय समस्या हर नेता और हर पार्टी के साथ है. पटना में जो नेता इकट्ठे हुए उनका तर्क है कि मोदी तानाशाह हैं, मोदी ने लोकतंत्र को खत्म कर दिया है, देश को बचाना है, संविधान को बचाना है, इसलिए विरोधी दलों को साथ आना है., मिलकर मोदी को हराना है. अगर बीजेपी की बात सुनें , तो लगेगा पटना में जितने नेता इकट्ठा हुए शरद पवार और बेटी सुप्रीया सुले, लालू और बेटे तेजस्वी, उद्धव और बेटे आदित्य – ये सब अपनी विरासत को बचाने के लिए खड़े हैं. बीजेपी का कहना है कि इन नेताओं को देश के संविधान से कुछ लेना देना नहीं है. चाहे राहुल गांधी हों, स्टालिन हों, महबूबा हों, अखिलेश हों, हेमंत सोरेन हों या उमर अब्दुल्ला – ये सब अपने अपने पिता श्री की पार्टियां संभाल रहे हैं. बीजेपी कहती है ये देश बचाने के लिए नहीं, अपने परिवारों को बचाने के लिए निकले हैं लेकिन मुझे लगता है कि इन सब नेताओं को जोड़ने वाला फैविकॉल कुछ और है. एक चीज कॉमन है जिसने इन नेताओं को सारे मतभेद भुलाकर इकट्ठे होने पर मजबूर कर दिया, वो है ईडी, सीबीआई और आईटी के केस. ये सारे नेता प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी न किसी केस में फंसे हैं, कुछ ज़मानत पर हैं, कुछ के साथी जेल में हैं और बाकी सब जांच के दायरे में हैं. ईडी और सीबीआई के केसे ने इन नेताओं के आत्म सम्मान पर गहरी चोट पहुंचाई है. मोदी सरकार आने से पहले भी केस होते थे पर उनका़ी संख्या कम थी. कोई न कोई किसी न किसी नेता को बचा लेता था, जांच होती थी, कोर्ट में पेशी होती थी, पर जेल जाने का डर नहीं होता था.आज 15 पार्टियों के जो 30 नेता पटना में साथ साथ दिखाई दिए, उनमें से हर किसी के दो चार करीबी अभी भी जेल में हैं. सब जानते हैं कि जब तक मोदी सरकार में हैं, बचना मुश्किल है. जो बीजेपी में शामिल हो सकते थे, वो चले गए. जो जा नहीं पाए, वो विरोधी दलों की मुहिम में लगे हैं. ये चोट खाए हुए घायल सेनापतियों का गठबंधन है. अगर ये गठबंधन बना रहा, इसका असर तो जरूर होगा. आज की तारीख में लगता है कि ये लोग सरकार तो नहीं बना पाएंगे, लेकिन कम से कम एक मजबूत विपक्ष जरूर बन पाएगा.

ममता की समस्या

मीटिंग में जब ममता बनर्जी कांग्रेस अध्यक्ष खर्गे और राहुल गांधी के साथ बैठ कर विपक्षी एकता पर बात कर रही थी, उस समय कोलकाता में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ममता सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे थे. अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ममता के साथ चलना नामुमकिन है, बंगाल में कांग्रेस ममता से लड़ती रहेगी क्योंकि ममता की कोशिश बंगाल में कांग्रेस को खत्म करने की है और वो ये होने नहीं देंगे. चौधरी ने आरोप लगाया कि तृणमूल के समर्थकों ने कांग्रेस उम्मीदवारों को पंचायत चुनाव में नामांकन भरने नहीं दिया, बम फेंके और खूनखराबा किया.
सीपीएम से ममता बनर्जी की नाराज़गी भी जगजाहिर है. बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने कहा कि अगर ममता बनर्जी सब कुछ भूलकर भी इस गठबंधन का हिस्सा बनती हैं तो इसका मतलब साफ है कि उन्हें स्वाभिमान से ज्यादा स्वार्थ की चिंता है. लेकिन हकीकत ये है कि ममता बनर्जी की समस्या कांग्रेस और सीपीएम नहीं, सीबीआई और ईडी हैं. ममता बनर्जी की समस्या पश्चिम बंगाल के गर्वनर हैं. ममता बनर्जी जानती हैं कि बीजेपी से वो अकेले लड़ सकती हैं, पश्चिम बंगाल में उनका जलवा है लेकिन वो ईडी, सीबीआई और गर्वनर से अकेले नहीं लड़ सकतीं. जैसे केजरीवाल को ऑडिनेंस खारिज करवाने के लिए कांग्रेस की जरूरत है, ममता को केंद्र में बाकी दलों के समर्थन की जरूरत है.

महबूबा और उमर की समस्या

कश्मीर में महबूबा मुफ्ती और अब्दुल्ला परिवार के बीच सियासी तकरार है, लड़ाई है. सवाल इस बात का है कि एक दूसरे के खिलाफ लड़ने वाली ये पार्टियां एक साथ कैसे आएंगी. दरअसल जो चीज इन्हें करीब ला रही है वो हैं प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी की ताकत.. पटना की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सारे नेताओं ने अपने अपने एजेंडे पर ही बात की. महबूबा मुफ्ती ने कहा कि देश में धर्मनिरपेक्षता खत्म हो रही है, मुसलमानों के साथ ज्यादती हो रही है. इस सबकी शुरुआत कश्मीर से हुई है, अब कश्मीर और देश की धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए सबको साथ आना पड़ेगा. महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला दोनों के सामने यही मुश्किल है कि कश्मीर में चुनाव नहीं हुए तो उनका क्या होगा. उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर का राज्य का दर्ज़ा बीजेपी ने छीन लिया. वहां चुनाव नहीं करवाए जा रहे हैं, कश्मीर की इस लड़ाई को सबको साथ मिलकर लड़ना होगा. महबूबा मुफ्ती आज आइडिया ऑफ इंडिया की बात कर रही हैं, गांधी और नेहरु की बात कर रही हैं. लेकिन यही महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि अगर कश्मीर से धारा 370 हटाया गया तो कश्मीर में तिरंगा उठाने वाला कोई हाथ नहीं होगा, लेकिन आज कश्मीर काफी आगे बढ़ चुका है. उमर अब्दुल्ला कश्मीर को बदनसीब इलाका बता रहे हैं लेकिन कोई उनसे पूछे कि कश्मीर में तब बदनसीबी नहीं थी जब उनकी सरकार थी ? तब बदनसीबी नहीं थी जब वहां आतंकवाद था, अलगाववादी थे, हुर्रियत थी, पत्थरबाज थे? अब जब कश्मीर में अमन है, विकास है, तरक्की के रास्ते खुल रहे हैं , ये उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती दोनों के लिए चैलेंज है. मजे की बात ये कि उमर भी बीजेपी की सरकार में रह चुके हैं और महबूबा मुफ्ती भी बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला चुकीं हैं. यही हाल उद्धव ठाकरे का है.

उद्धव ठाकरे की समस्या

उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक ही बात कही. कहा, इस मीटिंग में आई पार्टियों की विचारधाराएं अलग-अलग है, तालमेल बिठाना मुश्किल हो सकता है लेकिन बीजेपी को अगर हराना है तो सबको साथ आना ही होगा. उद्धव ठाकरे प्रेस कॉन्फ्रेंस में महबूबा मुफ्ती के ठीक बगल में बैठे थे. इसी को लेकर देवेंद्र फडणवीस ने ठाकरे की चुटकी ली. फडणवीस ने कहा कि कल तक उद्धव ठाकरे महबूबा मुफ्ती के साथ सरकार बनाने को लेकर बीजेपी से सवाल पूछते थे और आज उन्हीं के बगल में बैठकर साथ चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. फडणवीस ने कहा कि ये मोदी को हटाने के लिए नहीं बल्कि अपना परिवार बचाने के लिए साथ आ रहे हैं. उद्धव ठाकरे की मुश्किल ये है कि विचारधारा से वो बीजेपी के नज़दीक हैं लेकिन कुर्सी के लिए उन्हें शरद पवार और राहुल गांधी का साथ चाहिए. जब उद्धव ठाकरे ने महाआघाड़ी के साथ मिलकर सरकार बनाई, मुख्यमंत्री बने, तो उन पर सबसे बड़ा इल्जाम यही लगा कि उन्होंने विचारों से समझौता कर लिया. इसलिए आज उन्होंने अलग अलग विचारधारा की बात की लेकिन अब उद्धव ठाकरे के पास न पार्टी बची, न सिंबल बचा और न ही पार्टी का नाम बचा. इसलिए अपने अस्तित्व के लिए उद्धव ठाकरे का इस गठबंधन में शामिल होना उनकी मजबूरी है.

लालू हैं सूत्रधार

लालू यादव बहुत दिन बाद पूरे रंग में दिखाई दिए. उन्होंने जता दिया कि विरोधी दलों की एकता के प्रयास के सूत्रधार वही हैं. लालू और नीतीश दोनों ने सबसे ज्यादा भाव राहुल गांधी को दिया. लालू यादव बहुत दिनों के बाद अपने पुराने अंदाज में नजर आए. मीटिंग में उन्होंने क्या कहा ये तो मुझे नहीं मालूम, लेकिन मीडिया के सामने लालू ने पहले राहुल गांधी की दाढ़ी का जिक्र किया. राहुल को सलाह दी कि उनको अपनी दाढ़ी और नहीं बढ़ानी चाहिए. और इसके बाद लालू ने राहुल गांधी से कहा कि अब उन्हें शादी कर लेनी चाहिए. राहुल इस कमेंट को सुनकर थोड़े परेशान थे. कुछ कहना चाहते थे लेकिन लालू तो लालू हैं, उन्होंने राहुल से कहा कि अभी भी टाइम है शादी कर लेनी चाहिए, अब देर नहीं करनी चाहिए. लालू यादव ने पिछले कई साल में कई तरह की चुनौतियों का सामना किया है. लंबे समय तक जेल में रहे, उसके बाद बहुत बीमार रहे, किडनी ट्रांसप्लांट करवाया लेकिन आज ये देखकर अच्छा लगा कि वो अब काफी रिकवर कर गए हैं. उनके चेहरे पर वो शरारत वाली हंसी लौट आई है. लालू के विरोधी भी मानते हैं कि लालू हाजिर जवाबी में और कमेंट करने में कमाल करते हैं. मेरा लालू से अलग तरह का रिश्ता रहा है. 30 साल पहले ‘आपकी अदालत’ का पहला शो लालू की इसी हाज़िरजवाबी के कारण हिट हुआ था. लालू आज भी जब मिलते हैं, तो रॉयल्टी मांगते हैं. आज उन्हें पुराने रंग, पुराने अंदाज में देखकर अच्छा लगा.

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PATNA MEET : A STEP TOWARDS A STRONG OPPOSITION?

akbLeaders of 15 opposition parties met in Patna on Friday and expressed their resolve to fight the 2024 Lok Sabha elections unitedly to defeat Narendra Modi and BJP. However, towards the end of the meeting, Aam Aadmi Party skipped the joint press conference saying it will not be part of any alliance with Congress unless it denounces Delhi ordinance. All the leaders who attended the meeting said, Narendra Modi is an autocrat, he has crushed democracy, all parties must unite to save the republic and Constitution. But BJP leaders pointed out that most of the leaders actually want to save their legacies. They said, among those who attended the meeting were Sharad Pawar and his daughter Supriya Sule, Lalu Yadav and his son Tejashwi, and Uddhav Thackeray and his son Aditya. BJP leaders allege that these parties and leaders have nothing to do with Constitution, whether it is Rahul Gandhi, or M K Stalin, Mehbooba Mufti or Akhilesh Yadav, Hemant Soren or Omar Abdullah. They also say that all these leaders are presently running the parties of their parents, and they have come together not to save India, but to save their families. However, my view is that the ‘fevicol’ that joins all these leaders is something different. One thing that I noticed as common about these leaders, who have been forced to sink their differences and come together, is the pile-up of ED, CBI and I-T cases. All these leaders or their relatives are tied up in the mesh of investigations. ED and CBI cases have deeply hurt their self-respect. In earlier regimes, there used to be cases before Modi became PM, but the number of these cases used to be few. Someone or other used to save some leader, investigations used to took place and they appeared in courts, but there was no fear of going to jail. The 30 leaders from 15 parties who were seen today in Patna, have one, two or four close relatives languishing in jail. All these leaders know, that till the time Narendra Modi is Prime Minister, it will be difficult to protect their skin. Those who managed to join BJP, left their parties, and those who could not leave their parties are now busy in the opposition unity drive. This, in my view, is an alliance of wounded satraps. If the alliance continues, it will definitely have effect. As of today, I can only say, they may not be able to form a government, but they can surely emerge as a strong opposition.

WHY IS KEJRIWAL UNHAPPY?

At the Patna meeting, Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal raised the Delhi ordinance issue and asked Congress to oppose it in Parliament. He was interrupted by Omar Abdullah who asked why AAP did not join the opposition in opposing revocation of Article 370 in Parliament. Congress President Mallikarjun Kharge came with a bunch of newspaper clippings and asked why AAP leaders issued provocative statements against Congress a day before the Patna meeting. Congress general secretary K C Venugopal said, it was just like putting a pistol to someone’s head in the name of seeking support. Rahul Gandhi did not say anything on the issue. One thing we must understand, it is essential for Kejriwal to get the Delhi Ordinance Bill defeated in Parliament. If the ordinance is approved in Parliament, powers of appointing officers in Delhi government will rest with the Centre and Kejriwal will be reduced to a helpless chief minister. But the problem with Congress leadership is that its local units in Delhi and Punjab do not want to support AAP at any cost. They feel that if Congress has to be revived in both these states, it will have to fight AAP, and the party cannot do anything that could strengthen Kejriwal’s hands.

MAMATA’S PROBLEM

This problem is not only between AAP and Congress. In West Bengal, Congress leader Adhir Ranjan Chowdhury sat on dharna against Mamata Banerjee’s government on panchayat election violence issue. He has alleged TMC activists have prevented Congressmen from filing nominations by carrying out bomb blasts and causing bloodshed. BJP leader Smriti Irani said, if Mamata Banerjee wants to forget her past enmity with the Left and be part of the alliance, it will mean she is more worried about her self-interest rather than her self-respect. But the problem with Mamata Banerjee is not Congress or the Left or BJP. Her main problem is with CBI, ED and the Governor. Mamata knows she can fight BJP on her own in Bengal, but she cannot fight CBI, ED and the Governor alone. Just like Kejriwal needs Congress to defeat the Delhi Ordinance bill, Mamata needs the support of other opposition parties in her fight with the Centre.

MEHBOOBA AND OMAR’S PROBLEMS

In Jammu and Kashmir, Mehbooba Mufti’s PDP and Omar Abdullah’s National Conference are political rivals, but they are now on the same platform because of Modi’s power. At the joint presser, Mehbooba alleged India is fast losing its secular moorings, Muslims are facing excesses and the beginning has been made in Kashmir. Omar Abdullah blamed Modi for depriving Jammu and Kashmir of its statehood and delaying elections. Today Mehbooba Mufti is speaking about Idea of India, about Gandhi and Nehru, but in 2019, it was she who had said, if Article 370 is revoked, there will not be a single hand in the Valley that will raise the national tricolour. Kashmir has today marched much beyond all this rhetoric. Omar Abdullah described Kashmir as a ‘badnaseeb’ (unfortunate) land, but one should ask him whether Kashmir was not ‘badnaseeb’ when his party’s government was in power. There was terrorism, separatists, Hurriyat, stone throwers, and now that there is peace in the Valley, and it is marching towards progress, it has become a challenge for Omar and Mehbooba.

UDDHAV THACKERAY’S PROBLEM

Shiv Sena (UT) chief Uddhav Thackeray briefly said at the joint presser that all the parties belong to different ideologies and it could be a problem in bringing about coordination, but all of them will have to come together to defeat BJP. Mehbooba Mufti was sitting near Uddhav Thackeray at the press conference. BJP leader Devendra Fadnavis commented on this wryly, “till yesterday Uddhav was questioning why BJP had formed a coalition with Mehbooba, and today he is sitting with her to plan how to fight the elections unitedly….It is not ‘Save Democracy’, it is ‘Save Family’.” Uddhav Thackeray’s problem is that Shiv Sena is closer to BJP as far as ideology is concerned, but in order to grab power, he needs the help of Sharad Pawar and Rahul Gandhi. When Uddhav Thackeray formed the Maha Vikas Aghadi government and became CM, the allegation was made that he compromised with his ideology. Now Uddhav has neither the party with him, nor its election symbol or party name, and for his survival, it is a compulsion for him to join the alliance.

LALU : THE STRATEGIST

Bihar Chief Minister Nitish Kumar was the host of the meeting, but the actual strategist who brought the top 15 opposition leaders together was Lalu Prasad Yadav. After several years, Lalu was in his element on Friday. With his wisecracks and loaded remarks, Lalu made it quite clear that it was he who brought the opposition parties together. At the joint press conference, both Lalu and Nitish Kumar gave importance to Rahul Gandhi. Lalu joked about Rahul’s beard and publicly advised him not to grow his beard longer. He then advised Rahul to marry early. Rahul was feeling uneasy, he wanted to say something, but Lalu interrupted him and said, he had still time to marry, and all the opposition will join his ‘baraat’. Lalu Yadav has faced several serious challenges during the last few years. After staying in jail for a long period, he fell ill, got kidney transplant done in Singapore, and on Friday, I felt happy seeing that he has recovered. He had his trademark mischievous smile on his lips. Even his rivals admit that there is no other leader who can make instant repartees and wisecracks like Lalu. I have a different type of relationship with Lalu. Thirty years ago, my first episode of ‘Aap Ki Adalat’ with Lalu Prasad Yadav was a super hit. Whenever Lalu meets me, he demands royalties. I was happy to see him get his old flair back.

अमेरिका यात्रा : मोदी का पर्सनल टच

AKb (1)नरेंद्र मोदी भारत के पहले नेता हैं, जिन्होने दो बार अमेरिकी संसद को संबोधित करके इतिहास रचा है. अपने ऐतिहासिक संबोधन में मोदी ने चीन, रूस, पाकिस्तान के नाम तो नहीं लिये, लेकिन यूक्रैन युद्ध, ताइवान और आतंकवाद के मसले पर भारत की सोच को साफ तौर पर रखने में कोई संकोच नहीं किया. अमेरिकी सांसदों ने 15 बार खड़े होकर तालियां बजाई और 79 बार मोदी के भाषण के दौरान बैठ कर तालियां बजाई. मोदी ने कहा कि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में दबाव और टकराव के घने काले बादल मंडरा रहे हैं. मोदी ने कहा कि हमें हिन्द-प्रशांत को एक ऐसा क्षेत्र बनाना है जहां छोटे-बड़े सभी देश आज़ाद और निडर होकर रहें, जहां भारी कर्ज़ इन मुल्कों की तरक्की में रुकावट न बनें, जहां कनेक्टिविटी की आड़ में सामरिक फायदे न उठाए जाएं और जहां सभी देश साझी समृद्धि के ज्वार में एक साथ तरक्की कर सकें. यूक्रेन युद्ध पर पुतिन का नाम लिये बगैर मोदी ने कहा कि मैं पहले ही सीधे और सार्वजनिक तौर पर कह चुका हूं कि ये जंग का ज़माना नहीं है, बातचीत और कूटनीति का ज़माना है और हम सब को मिल कर कुछ करना चाहिए ताकि खूनखराबा और इंसानी मुसीबतें खत्म हो. पाकिस्तान का नाम लिये बगैर, मोदी ने कहा कि आतंकवाद मानवजाति का दुश्मन है और इस बुराई से निपटने में कोई किन्तु-परन्तु नहीं होना चाहिए. मोदी और बाइडेन के बीच शिखर वार्ता के बाद जारी साझा बयान में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित सभी आतंकवादी संगठनों जैसे अल-कायदा, आएसआईएस, दाएश, जैशे मुहम्मद, लश्कर ए तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई होनी चाहिए. बाइडेन के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस में जब एक अमेरिकी पत्रकार ने भारत के अल्पसंख्यकों के बारे में सवाल किया तो मोदी ने उत्तर दिया – “मुझे आश्चर्य हो रहा है कि आप कह रही हैं कि लोग कहते हैं. लोग कहते हैं नहीं, भारत लोकतंत्र है, जैसा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों के डीएनए में लोकतंत्र है. लोकतंत्र हमारा आधार है. हमारी रगों में है. हम लोकतंत्र को जीते हैं. हमारे पूर्वजों ने लोकतंत्र को शब्दों में ढाला है, संविधान के रूप में. हमारी सरकार लोकतंत्र के मूलभूत मूल्यों को आधार लेकर के बने संविधान के आधार पर चल रही है. हमने सिद्ध किया है कि हम लोकतंत्र के ज़रिए डिलीवर कर रहे हैं. जब मैं डिलीवर कहता हूं. तब जाति, धर्म, लिंग किसी भी भेदभाव के लिए वहां जगह नहीं होती.” मोदी की अमेरिका यात्रा के बारे में सबसे सही बात अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने ट्विटर पर लिखी. उन्होने लिखा – “भारत-अमेरिका साझेदारी पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है. यह 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारियों में से एक है. यह यात्रा हमारी साझेदारी को एक ऊंचे स्तर तक ले जाएगी, अंतरिक्ष से लेकर रक्षा, नयी उभरती टेकनोलोजी और सप्लाई चेन तक.” आऱिक नरेंद3 मोदी ने वाशिंगटन में अपने मेजबानों को कैसे साधा ? हमने व्हाइट हाउस में मोदी की यात्रा की तस्वीरें देखीं. ये तो पूरी तरह सुनियोजित था. राजकीय यात्रा में एक – एक कदम नपा तुला होता है, लेकिन कल शाम प्रेसिडेंट बाइडन और उनकी पत्नी जिल ने जिस गर्मजोशी से मोदी का स्वागत किया वो कमाल की बात है. बाइडन परिवार ने मोदी के व्हाइट हाउस आगमन को घर पर आये अतिथि जैसा बनाया. पूरे आयोजन पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान दिया गया. जिस तरह से जिल बाइडेन ने नरेंद्र मोदी के शाकाहारी खाने का ध्यान रखा, वो भी एक बड़ी बात है. मोदी शराब नहीं पीते, पानी पी कर टोस्ट करते हैं, पर डिनर पर जो लोग आए थे उनके लिए पटेल वाइन सर्व की गई जो कैलिफॉर्निया में बनती है. व्हाइट हाउस में इतनी छोटी छोटी बात का ख्याल रखा गया, ये बड़ी बात है. मोदी ने भी अपनी तरफ से जिस तरह की गिफ्ट बाइडन परिवार को दी उसमें उनका पर्सलन टच था. ये मोदी की संबंध बनाने की कला का एक नमूना है, लेकिन रिश्ते बनाना और उन्हें निभाना ये मोदी का स्वभाव है. मोदी दुनिया में अकेले ऐसे नेता हैं जिन्होंने पहले बराक ओबामा, फिर डोनाल्ड ट्रंप और अब जो बाइडेन के साथ तीनों के राष्ट्रपति रहते, उन के साथ पारिवारिक रिश्ते बनाए. मुझे याद है 2019 में चुनाव के मौके पर सलाम इंडिया शो के दौरान मैंने मोदी से पूछा था कि उन्होंने अमेरिका जैसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति के साथ रिश्ते कैसे बनाए. उस दिन उन्होंने पूरी बात बताई. आज भी उन्होंने व्हाइट हाउस में अपने भाषण में जिक्र किया कि 30 साल पहले वे एक साधारण इंसान की तरह बाहर से व्हाइट हाउस को देखने गए थे और इसके बाद जब प्रधानमंत्री बनने के बाद वो बराक ओबामा से मिलने पहली बार व्हाइट हाउस के अंदर गए तो ओबामा ने जिस तरह का अपनापन दिखाया वो उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था. ओबामा के साथ पारिवरिक रिश्ते अपने आप नहीं बने, इसके लिए मोदी ने प्रयास किया. दूसरा उन्होंने बताया कि जब वो पहली बार ट्रंप से मिले तो वो व्हाइट हाउस में 9 घंटे ट्रंप के साथ रहे. डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें पूरा व्हाइट हाइस दिखाया. मोदी ने उस दिन मुझे बताया था कि अब्राहम लिंकन जिस कमरे में रहते थे, ट्रंप उन्हें वहां लेकर गए और बिना कोई कागज देखे अपनी याददाश्त के दम पर ट्रंप ने मोदी को बताया कि वहां क्या क्या हुआ था, कौन कौन से समझौते साइन हुए थे. इसके बाद ट्रंप मोदी को अपना कमरा दिखाने ले गए और दोनों के बीच पारिवारिक रिश्ता कायम हुआ. और मुझे याद है कि बाद में जब ट्रंप भारत आए और मोदी उन्हें क्रिकेट स्टेडियम में मौजूद 1 लाख लोगों के सामने ले गए उस नजारे को डोनाल्ड ट्रंप कभी नहीं भूल पाए. वो बार बार उसका जिक्र करते थे. दोस्त बनाने की, रिश्ते जोड़ने की मोदी की खासियत देश के काम आती है. रिश्तों में जब मजबूती होती है, गर्मजोशी होती है, तो इसका असर औपचारिक वार्ता के समय दिखाई देता है और आज बाइडन और मोदी के बीच जो औपचारिक मुलाकात हुई उसमें इसका असर दिखाई दिया.

विपक्षी बैठक : ताना-बाना लालू ने बुना

2024 के लोकसभा चुनावों में मोदी और बीजेपी को हराने के इरादे से आज पटना में विपक्षी पार्टियों के बड़े नेताओं की बैठक हुई . बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित इस बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, ममता बनर्जी, लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, अरविन्द केजरीवाल, भगवन्त मान, एम के स्टालिन, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, हेमंत सोरेन, अखिलेश यादव, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सीताराम येचुरी, डी. राजा और अन्य नेताओं ने शिरकत की. बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती को इस बैठक के लिए नहीं बुलाया जया, जबकि राष्ट्रीय लोक दल के जयन्त चौधरी बैठक में आ नहीं सके. बैठक में तय हुआ कि सभी पार्टियां मिल कर चुनाव लडेंगी और 10 या 12 जुलाई को शिमला में फिर एक बैठक होगी. बीजेपी नेताओं ने इसे ठगों का गठबंधन बताया, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये तो महज एक फोटो सेशन था, और मोदी 2024 में फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे और बीजेपी को 543 में से 300 से ज्यादा सीटें मिलेगी. बैठक से एक दिन पहले गुरुवार को ममता बनर्जी लालू प्रसाद यादव से मिलने उनके घर गईं. जब लालू यादव ममता बनर्जी से मिले तो एक लंबे अरसे के बाद लालू के चेहरे पर वही पुरानी शरारत वाली मुस्कान दिखाई दी जिसके लिए वो मशहूर हैं. पटना में विरोधी दलों के नोताओं की बैठक भले ही नीतीश कुमार ने बुलाई हो, पर इस मीटिंग का ताना बाना लालू यादव ने बुना है. जो नेता पटना में इकट्ठे हुए, उन सबके लालू यादव से पुराने और अच्छे रिश्ते हैं. सब जानते हैं कि लालू पहले दिन से मोदी विरोधी रहे हैं. उन्होंने कभी अपना स्टैंड नहीं बदला, लेकिन नीतीश कुमार के बारे में ये बात नहीं कही जा सकती. वो तो दो – दो बार मोदी के साथ हाथ मिलाकर अपनी सरकार बना चुके हैं. ज़ाहिर है, जो लोग मोदी के खिलाफ मोर्चा बनाने के लिए मिल रहे हैं वो नीतीश पर उतना भरोसा नहीं कर सकते. विरोधी दलों की इस एकता में एक और कमजोरी दिखाई दी अरविंद केजरीवाल के नाम पर. अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली और पंजाब में अकेले अपने दम पर चुनाव जीते, कांग्रेस और बीजेपी जैसी बड़ी पार्टियों को बिल्कुल उखाड़कर फेंक दिया. पिछले कुछ महीनों में केजरीवाल ने शरद पवार, केसीआर और ममता बनर्जी जैसे नेताओं से रिश्ते बनाए हैं, इसलिए कांग्रेस केजरीवाल पर भरोसा नहीं करती. लेकिन विरोधी दलों की एकता के मामले में चाहे जितनी समस्याएं हों, देश की राजनीति में ये बड़ा डेवलपमेंट हैं. 18 विरोधी दलों के जो नेता इकट्ठे हो रहे हैं उनमें आपस में कितने भी झगड़े हों वो मोदी को हराने के लिए एक साथ आए, ये बड़ी बात है. ये सब नेता जानते हैं, इस बार अस्तित्व की लड़ाई है. सबको लगता है कि एक बार मोदी से निपट लें, आपस के झगड़े बाद में सुलझा लेंगे.

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USA VISIT : MODI’S PERSONAL TOUCH

AKb (1)Prime Minister Narendra Modi became the first Indian leader to address the joint session of US Congress twice on Thursday. In his historic address, Modi did not name China, Russia or Pakistan, but put forth India’s views on Ukraine war, Taiwan and terrorism succinctly, drawing applause from American lawmakers. There were 15 standing ovations and 79 applauses during the PM’s speech. Without naming China, Modi said, “dark clouds of coercion and confrontation are casting their shadow in Indo-Pacific.” He called for making Indo-Pacific “ a region where all nations, small and large, are free and fearless in their choices, where progress is not suffocated by an impossible burden of debt, where connectivity is not leveraged for strategic purposes, where all nations are lifted by the high tide of shared prosperity”. Similarly, on Ukraine war, Modi, without naming Putin, said, “I have said directly and publicly, this is not an era of war, but it is one of dialogue and diplomacy and we all must do what we can to stop bloodshed and human suffering.” In an oblique attack on Pakistan, Modi said, “Terrorism is an enemy of humanity and there can be ‘no is or buts’ in dealing with the scourge.” In the India-US joint statement released after Modi-Biden talks, both the leaders called for “concerted action against all UN-listed terrorist groups including al-Qaeda, ISIS/Daesh, Lashkar-e-Tayyiba, Jaish-e-Mohammad and Hizb-ul-Mujahideen.” At the joint press conference with Biden, Modi, replying to a question about rights of minorities in India, minced no words, and said, “India is a democracy, and as President Biden said, democracy is in the DNA of both India and America. Democracy is in our spirit. Democracy flows in our veins. We live democracy…We have proved that democracy can deliver, and when I say deliver, it means there is no place for discrimination on grounds of caste, creed, gender, religion or geographical location”. The most significant remark about Modi’s US visit came on Twitter from none other than US Vice President Kamala Harris. She said, “US-India partnership is stronger than ever. ..The partnership is one of the most important of the 21st century, and this visit will take our partnership to the next level from space to defense, to emerging technology and supply chains.” How did Narendra Modi manage to charm his hosts in Washington? From the visuals that we saw throughout Modi’s state visit, every minutest detail was pre-planned. At dinner, the manner in which President Joe Biden and the First Lady Jill Biden welcomed Modi, was really charming. The Biden family made Modi’s White House visit as if he was visiting a friend’s home. Jill Biden brought in Chef Nina Curtis, a specialist in plant-based cuisine, who showcased the best in American cuisine, seasoned with Indian elements and flavors. It was the first time in recent history that the White hosted a state dinner that was entirely plant-based: no meat, no dairy and no eggs, keeping in mind that Modi is a strict vegetarian. Since Modi is a teetotaller who normally raises a toast with water, Patel Red Wine from California was served to guests. Each minutest detail was taken care of in the White House. Modi, on his part, brought gifts with a personal touch for the First family. He gifted a special sandalwood box from Mysuru crafted in Jaipur containing a silver idol of Lord Ganesh, an oil lamp, a copper plate and 10 silver boxes that contained symbols – Das Danam or the 10 donations, that included salt, ghee, silver coin, gold coin, jaggery, rice, sesame seeds, tusser cloth, handcrafted silver coconut and a sandalwood piece. This is Modi’s style of putting his personal touch. He has the knack of striking personal relationship. Modi is the world’s only leader who struck family friendship with three US Presidents – Barack Obama, Donald Trump and Joe Biden. I remember, in my ‘Salaam India’ show in 2019, I had asked Modi, how he made friendship with the powerful presidents of America. He told me, as a common Indian tourist 30 years ago, he had visited the White House and stood outside to watch the US President’s residence. Modi repeated the same in his speech at the White House on Thursday. Modi also told me how President Obama took personal care, which he never expected, when he first entered the White House as Prime Minister of India. He continued to maintain friendly relations with the Obama family. Modi also told me, when he visited the White House again, he spent nine hours with Donald Trump in the official residence. Trump took him on a trip around the White House, showed him the room where Abraham Lincoln stayed, and without going through a single piece of paper, spoke about what happened in the past there, the agreements that were signed. Trump showed Modi his personal rooms and the two struck a family relationship. I remember, when Trump came to India, Modi took him to the Ahmedabad stadium packed with nearly one lakh people, an event which Trump still remembers. In later days, Trump used to mention his Ahmedabad event frequently to others. Striking personal friendship with world leaders helps a country in matters of state too. The warmth in relations is reflected in official and formal talks. It had its effect on the officials talks that Modi and Biden had on Thursday.

OPPOSITION MEETING : LALU IS THE STRATEGIST

The first meeting to forge a common opposition front against Narendra Modi in 2024 general elections took place in Patna on Friday with top leaders of most of the anti-Modi parties attending. Hosted by Bihar chief minister Nitish Kumar in his official residence, the meeting was attended by Mallikarjun Kharge, Rahul Gandhi, Mamata Banerjee, Lalu Prasad Yadav, his son Tejashwi, Arvind Kejriwal, M K Stalin, Sharad Pawar, Uddhav Thackeray, Bhagwant Mann, Hemant Soren, Akhilesh Yadav, Omar Abdullah, Mehbooba Mufti, Sitaram Yechury, D. Raja and others. BSP supremo Mayawati was not invited, and RLD chief Jayant Chaudhary did not attend. BJP leaders promptly described this as “a gathbandhan of thugs”, while Home Minister Amit Shah dismissed the meeting as a “photo session”. Shah said, Modi will become the PM again in 2024 and the BJP will win more than 300 out of 543 Lok Sabha seats. A day before, Mamata Banerjee called on Lalu Prasad at the latter’s residence. After a long time, I noticed the typically mischievous smile on Lalu’s face that has been his trademark for years. Nitish Kumar may be the host, but the main strategist behind this conclave is none other than Lalu Prasad. Most of the leaders assembling in Patna have good relations with Lalu Prasad. Since Day One, Lalu Prasad has been opposing Modi and he never changed his political stand. But, the same thing cannot be said about Nitish Kumar. He ran governments in Bihar twice by joining hands with BJP. Naturally, leaders who gathered at the conclave to forge an anti-Modi front, cannot trust Nitish completely. Another weak link in the opposition parties’ move appears to be Arvind Kejriwal. The AAP supremo won both Delhi and Punjab assembly polls on his own, toppling big parties like BJP and Congress. Kejriwal has struck relationships with Sharad Pawar, K Chandrashekhar Rao and Mamata Banerjee recently, but Congress cannot trust Kejriwal. Whatever may be the obstacles in the path of opposition unity, this is a big development in national politics. Leaders of 18 opposition parties gathering inside a room for four hours, despite numerous quarrels among them, with the sole aim of defeating Modi, is, in itself, a big development. These leaders and their partymen know that this is a fight for existence. Almost all of them feel that once Modi is toppled, they can iron out their differences later.

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