Rajat Sharma

क्या पुतिन की शर्तों को मानेगा यूक्रेन?

rajat-sirरूस की सेनाएं उत्तर, पूर्व और दक्षिण-पूर्व की तरफ से यूक्रेन में लगातार आगे बढ़ती जा रही हैं। दोनों देशों के बीच जंग का आज तीसरा दिन है। रूस की एयरफोर्स, जिसमें पैराट्रूपर्स भी शामिल हैं, ने राजधानी कीव से 7 किमी दूर स्थित होस्टोमेल एयरपोर्ट पर कब्जा कर लिया है। एयरपोर्ट पर कब्जा करने के लिए लगभग 200 हेलीकॉप्टर लगाने वाले रूस ने दावा किया कि उसने कब्जे के लिए हुई भीषण लड़ाई में यूक्रेन की स्पेशल फोर्स के लगभग 200 सैनिक मार गिराए।

रूसी मीडिया ने दावा किया कि दक्षिणपूर्वी शहर मेलितोपोल पर रूसी सेना ने कब्जा कर लिया है, लेकिन शहर के मेयर ने बाद में इस रिपोर्ट का खंडन किया। कुछ ऐसे वीडियो सामने आए थे जिनमें रूसी बख्तरबंद गाड़ियां शहर की सड़कों से गुजरते हुए दिखाई दी थीं। रूसी सेना ने मेलितोपोल और मारियुपोल के बीच एक जगह पर नेवल इंफैंट्री के अपने सैनिकों को उतार दिया है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा है कि सेना के 10 अधिकारियों सहित 137 ‘हीरो’ शहीद हुए हैं। शनिवार की सुबह रूस की एक मिसाइल ने राजधानी कीव में एक बड़े अपार्टमेंट के ब्लॉक को तहस-नहस कर दिया। इस घटना का वीडियो भी सामने आया जो कि दिल दहलाने वाला था। हालांकि इस घटना में कोई हताहत हुआ है या नहीं, इसका पता नहीं चल पाया। भारत में यूक्रेन के राजदूत ने आरोप लगाया कि रूस के हमले में एक किंडरगार्टन नर्सरी को भी नुकसान पहुंचा है।

एक्सपर्ट्स ने कहा है कि रूसी सेना ने अब तक चेर्नोबिल, खार्किव, चेरसन और मारियुपोल के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया है, और कीव समेत कई अन्य शहरों की तरफ बढ़ रही है। राजधानी कीव के कई इलाकों में गनफाइट चल रही है, जिसमें यूक्रेनी लड़ाकों के रूसी सैनिकों से भिड़ने की खबरें सामने आ रही हैं। सिटी सेंटर से 5 किमी दूर एक स्टेशन के पास गनफाइट के वीडियो भी सामने आए थे।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा करने वाले अमेरिका द्वारा पेश किए गए एक प्रस्ताव को रूस ने वीटो कर दिया, जबकि चीन, भारत और यूएई ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। भारत ने कहा, ‘मतभेदों और विवादों को दूर करने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। यह खेद की बात है कि कूटनीति का रास्ता त्याग दिया गया।’

शुक्रवार की रात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेनी सेना से अपने प्रेसिडेंट और राजनीतिक नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करने का आह्वान किया। पुतिन ने यूक्रेनी सेना से अपने नेताओं को सत्ता से हटाने का आह्वान करते हुए उन्हें ‘आतंकवादी, नशेड़ी और नियो-नाजी’ बताया। दूसरी ओर, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने पुतिन और उनके विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को ‘अकारण और गैरकानूनी आक्रमण’ के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ प्रतिबंध लगा दिए। यूरोपीय संघ सर्वसम्मति से उनकी संपत्ति को फ्रीज करने पर सहमत हो गया।

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने राजधानी कीव से निकलने के अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। एक वरिष्ठ अमेरिकी खुफिया अधिकारी के मुताबिक जेलेंस्की ने कहा, ‘यहां जंग चल रही है। मुझे गोला-बारूद चाहिए, सवारी नहीं।’

कई वीडियो सामने आए हैं जिनमें हजारों परिवार पोलैंड में घुसने की कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं। इन परिवारों में बच्चे भी थे, और बॉर्डर पर 40 किलोमीटर तक गाड़ियों की कतारें लगी थीं। कुछ ऐसे लोगों के वीडियो भी थे जो शून्य से भी नीचे के तापमान में 10 घंटे से ज्यादा पैदल चलकर पहुंचे थे, वहीं कई परिवार बर्फ पर ही सो रहे थे। कीव मेट्रो के अंदर कतारों में मास्क लगाकर बैठे बच्चों की तस्वीरें भी सामने आईं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से 50,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं।

शुक्रवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने लुहान्स्क के स्टारोबिल्स्क में रूसी मिसाइलों द्वारा तहस-नहस किए गए अपार्टमेंट के एक हिस्से के दृश्य दिखाए। मिसाइल हमले में पूरा आवासीय ब्लॉक खंडहर में तब्दील हो गया है। वीडियो में नजर आ रहा था कि मलबे में लोग अपनों को खोज रहे हैं।

अपने शो में हमने राजधानी कीव में सायरन बजने के तुरंत बाद बच्चों और उनके माता-पिता के डर से चीखने के वीडियो भी दिखाए। एक रूसी बमवर्षक विमान आसमान में उड़ते हुए आता है, बम गिराता है, और जल्द ही आस-पास के अधिकांश अपार्टमेंट मलबे में तब्दील हो जाते हैं।

रूस बार-बार दावा कर रहा है कि उसकी सेना आम लोगों को निशाना नहीं बना रही है, लेकिन जमीन पर हालात बिल्कुल अलग हैं। रूस के लड़ाकू विमानों ने रिहायशी इलाकों में भी बम बरसाए हैं। रूसी टैंकों ने भी नागरिकों पर हमला किया है। यूक्रेन की सरकार ने लोगों ने घरों में रहने का कहा है, या फिर सुरक्षित स्थानों पर, बम शेल्टर्स में जाने को कहा है। शहर में लोगों को सावधान करने के लिए सायरन बजाए जाते हैं। कीव के पास ही ओबीलोन के मेट्रो स्टेशन में रूस की सेना ने जबरदस्त गोलीबारी की और लोग बदहवास होकर इधर-उधर भागते हुए नजर आए।

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के भावुक शब्द सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं: ‘हमारा देश हमलावर रूसी सेना से अकेले ही लड़ रहा है। हमारे साथ लड़ने के लिए कौन तैयार है? मुझे कोई नजर नहीं आ रहा। यूक्रेन को NATO सदस्यता की गारंटी देने के लिए कौन तैयार है? हर कोई डरता है। हम अकेले यूक्रेन की रक्षा कर रहे हैं।’

यूक्रेन पर रूस का हमला शीत युद्ध के बाद की दुनिया के बारे में कई जरूरी सवाल खड़े करता है। यह दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं के बीच शक्ति संतुलन से भी संबंधित है। क्या अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन के नेतृत्व में पश्चिमी देश पुतिन के रुख से डर गए हैं? क्या रूस और चीन के गठजोड़ ने दुनिया का समीकरण बदल दिया है? रूस के खिलाफ धमकी भरे बयान देने के बाद अमेरिका और NATO ने यूक्रेन की रक्षा के लिए सेना भेजने से इनकार क्यों कर दिया?

पुतिन अपने मकसद को लेकर बिल्कुल स्पष्ट हैं। वह कीव में वर्तमान सरकार को हटाकर एक कठपुतली सरकार बैठाना चाहते हैं। यूक्रेन पर बरसाए गए बमों और मिसाइलों ने आम नागरिकों को भारी नुकसान पहुंचाया है।

जो बायडेन रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा करके चैन से सो गए, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी पुतिन के खिलाफ बड़ी-बड़ी बातें करके चले गए, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉन भी रूस को आंखें दिखाकर निकल गए, लेकिन बर्बाद कौन हुआ, किसको फर्क पड़ा?

यूक्रेन के मासूम, बेकसूर और बेगुनाह लोगों को, जो रूस के हमले के बाद बदहवास होकर इधर-उधर भाग रहे हैं, बंकरों में छिप रहे हैं। एक लाख से ज्यादा यूक्रेनी नागरिकों ने सुरक्षित ठिकानों के तलाश में अपने घरों से निकल चुके हैं और उनकी जीवनभर की कमाई मिट्टी में मिल गई है। उनके आशियाने उनकी आंखों के सामने ध्वस्त हो रहे हैं। यह एक बेवकूफाना जंग का नतीजा है।

अमेरिका की कमजोर प्रतिक्रिया से दुनिया को निराशा हुई है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडेन ने खुद ही बार-बार रूस को यूक्रेन पर हमले को लेकर चेतावनी दी थी, पुतिन को नतीजे भुगतने की बात कही थी। जो बायडेन लगातार बयानबाजी करते रहे, लेकिन जब पुतिन ने अपनी सेना को यूक्रेन में भेज दिया, उन्होंने और उनके सहयोगियों ने फैसला किया कि वे यूक्रेन में अपनी फौज नहीं भेजेंगे। इस समय यूक्रेन के लोग भगवान भरोसे हैं, रूसी सेना की दया पर निर्भर हैं।

दुनिया के कई शहरों में रूस के हमलों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। न्यूयॉर्क, पेरिस और यहां तक कि रूस के सेंट पीटर्सबर्ग समेत कई शहरों में ये प्रदर्शन हुए हैं। सेंट पीटर्सबर्ग में कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया। दुनिया में कोई भी जंग नहीं चाहता। सच तो यह है कि रूस के लोग भी जंग नहीं चाहते। कई रूसियों का कहना है कि यह पुतिन की लड़ाई है, रूस के लोगों की नहीं। दुनियाभर में शांतिप्रिय लोग इस लड़ाई के जल्द से जल्द खत्म होने की प्रार्थना कर रहे हैं। जिन लोगों को शून्य से नीचे के तापमान में अपने घरों से भागना पड़ रहा है, जो बर्फ पर, सबवे में और बंकरों में सो रहे हैं, वे जल्द से जल्द लड़ाई को खत्म होते हुए देखना चाहते हैं।

इन आम लोगों का इस बेवकूफाना जंग से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन लड़ाई की वजह से उनके लोगों की जिंदगियां जा रही हैं, वे अपनों को खो रहे हैं। इस जंग की वजह से बच्चे अनाथ हो रहे हैं, माता-पिता के सामने उनकी औलादों की मौत हो रही है। दुनियाभर के लोग यूक्रेन के लोगों पर थोपी गई इस मुसीबत के लिए सहानुभूति जता रहे हैं।

मुसीबत की इस घड़ी में, मैं भारत सरकार द्वारा युद्धग्रस्त यूक्रेन से अपने नागरिकों को निकालने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करना चाहता हूं। एयर इंडिया की 4 उड़ानें, 3 रोमानिया के लिए और एक हंगरी के लिए, भारतीय नागरिकों की घर वापसी के लिए उड़ान भर रही हैं। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को व्यक्तिगत रूप से आश्वासन दिया है कि रूसी सेना को भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। पोलैंड, हंगरी और रोमानिया में भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारी यूक्रेन से आए हमारे नागरिकों को बिना किसी दिक्कत के निकालने की व्यवस्था करने के लिए सक्रिय हैं।

एक सवाल यह भी है: आगे क्या? यह अब साफ हो गया है कि पुतिन पोजिशोन ऑफ स्ट्रेन्थ में पहुंचने के बाद ही यूक्रेन से बात करना चाहते हैं। वह कह चुके हैं कि सबसे पहले तो यूक्रेन घोषणा करे कि वह NATO में शामिल नहीं होगा, दूसरी बात कि यूक्रेन ऐलान करे कि वह ‘न्यूट्रल स्टैटस’ वाला मुल्क होगा और तीसरी ये कि यूक्रेन अपनी आर्मी को कम करे। इन तीनों शर्तों को मानने का मतलब होगा कि यूक्रेन हमेशा रूस के अंगूठे के नीचे रहेगा।

पहले दिन से ही रूस का मकसद यही था, इरादा यही था। पुतिन ने यह बात पहले भी कही थी कि यूक्रेन, अमेरिका और NATO के इशारे पर चल रहा था। अगर वह अपना रास्ता छोड़ देता है तो फिर रूस भी अपना शिकंजा हटा लेगा। एक बात साफ है कि पुतिन ने प्रेशर बनाया, और अब यूक्रेन को अपनी शर्तें मानने के लिए मजबूर करने के करीब पहुंच चुके हैं। दुनिया इन घटनाक्रमों पर नजर रखे हुए है।

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