Rajat Sharma

खेल मंत्री ने स्ट्रेंथ लिफ्टर सुनीता देवी की मदद का वादा क्यों किया

akbआज जब करोड़ों भारतीय 23 जुलाई से शुरू होने जा रहे तोक्यो ओलंपिक गेम्स में हिस्सा ले रहे अपने प्लेयर्स को चीयर्स करने की तैयारी कर रहे हैं, मैं आपके सामने एक ऐसी खिलाड़ी का केस सामने लाना चाहता हूं, जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता, भारत का नाम रोशन किया, लेकिन आज दो जून की रोटी के लिए लोगों के घरों में बर्तन धोने को मजबूर है।

हरियाणा के रोहतक जिले के सीसर खास गांव की रहने वाली सुनीता देवी ने पिछले साल बैंकॉक में हुई वर्ल्ड स्ट्रेंथ लिफ्टिंग चैंपियनशिप में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता था। उन्होंने 2019 में छत्तीसगढ़ में आयोजित नेशनल स्ट्रेंथ लिफ्टिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल और इस साल पश्चिम बंगाल में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता।

सुनीता देवी के परिवार की आर्थिक हालत आज इतनी खराब है कि उन्हें अपने परिवार का पेट पालने के लिए बतौर घरेलू सहायिका काम करना पड़ रहा है। उनके पिता ईश्वर सिंह दिहाड़ी मजदूर हैं और उनकी मां जमुना देवी घरेलू सहायिका हैं। एक वेटलिफ्टर, जिसे अपनी ताकत बढ़ाने के लिए रोजाना पौष्टिक आहार की जरूरत होती है, वह रोटी और हरी मिर्च खाकर अपनी भूख मिटा रही है। सुनीता इस पेड़ों की शाखाओं और ईंटों से प्रैक्टिस करके अपने आपको इस स्पोर्ट के लिए फिट रखती रही हैं। वह अब शादियों और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में खाना बनाती हैं, बर्तन धोती हैं जिसके बदले में उन्हें 500 रुपये की दिहाड़ी मजदूरी मिलती है।

एक वर्ल्ड चैंपियन, जिसे लगातार जिम में प्रैक्टिस करनी चाहिए, लोगों के घरों में काम करके दो वक्त की रोटी कमा रही है। सुनीता ने बचपन से ही वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना देखा था और इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की। पिछले 3 सालों में उन्होंने स्ट्रेंथ लिफ्टिंग में 20 से ज्यादा मेडल जीते हैं।

जब उन्हें वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए बैंकॉक जाने का मौका मिला, तो उनके परिवार के पास पैसे नहीं थे। सुनीता के पिता ने अपनी बेटी का दिल टूटने नहीं दिया और उन्हें बैंकॉक भेजने के लिए ऊंची ब्याज दर पर 1.5 लाख रुपये का लोन लिया। सुनीता बैंकॉक गईं, अपनी कैटिगरी में वर्ल्ड चैंपियन बनीं और अपना सपना पूरा किया। सुनीता को लगता था चैंपियन बनने के बाद उनकी जिंदगी बदल जाएगी, बहुत सारे इनाम मिलेंगे, सरकार की तरफ से मदद मिलेगी, लेकिन उनकी सारी उम्मीदें धराशायी हो गईं। उनके पास लोन का ब्याज चुकाने के लिए भी पैसे नहीं रह गए। इसी बीच कोरोना का कहर टूटा और लॉकडाउन की वजह से पिता को मिलने वाली मजदूरी भी बंद हो गई, मां को भी काम मिलना बंद हो गया, और परिवार की आर्थिक हालत बदतर होती गई।

अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने ग्राम पंचायत की जमीन पर बने उनके टूटे-फूटे घर की हालत दिखाई थी। हमने शो में सुनीता और केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू के बीच एक विशेष बातचीत की भी व्यवस्था की। मंत्री ने सुनीता को आश्वासन दिया कि वह और उनका मंत्रालय उनकी मदद करेंगे और हर संभव तरीके से उनका मार्गदर्शन करेंगे ताकि वह अपने स्पोर्ट्स करियर को जारी रख सकें। बातचीत के दौरान सुनीता ने रिजिजू से कहा कि चूंकि एशियान गेम्स या ओलंपिक गेम्स में स्ट्रेंथ लिफ्टिंग को खेल के रूप में मान्यता नहीं दी गई है, इसलिए उन्हें सरकार से कोई मदद नहीं मिल पाई। उन्होंने मंत्री से कहा कि उन्होंने वेटलिफ्टिंग का विकल्प इसलिए नहीं चुना क्योंकि इसके लिए प्रॉपर ट्रेनिंग और अच्छी डाइट चाहिए थी, जिसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे।

रिजिजू ने कहा कि चूंकि स्पोर्ट्स राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए वह अपेक्षा करते हैं कि राज्य सरकार उनकी मदद करेगी। खेल मंत्री ने कहा कि उन्हें सभी तरह के स्पोर्ट्स पसंद हैं, लेकिन ओलंपिक गेम्स में स्ट्रेंथ लिफ्टिंग को मान्यता न होने के कारण वह नियमों से बंधे हैं। ओलंपिक गेम्स में मेडल जीतने वाले प्लेयर्स को ही मदद दी जाती है। रिजिजू ने वादा किया, ‘इसके बावजूद मैं सुनीता की मदद करूंगा और उनका मार्गदर्शन करूंगा।’

मैं जानता हूं कि किरन रिजिजू वाकई में बहुत अच्छे इंसान हैं और वह सुनीता देवी के सपनों को पूरा करने में उनकी मदद जरूर करेंगे। भारत के लोग अपने प्लेयर्स से प्यार करते हैं चाहे वह विराट कोहली हों, सानिया मिर्जा हों, साइना नेहवाल हों, पीवी सिंधु हों या बॉक्सिंग चैंपियन एम. सी. मैरी कॉम हों। पी.टी. उषा जैसी खिलाड़ियों ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के दम पर वर्ल्ड स्पोर्ट्स में अपनी पहचान बनाई है। लेकिन जब हम सुनीता देवी जैसे खिलाड़ियों को अपने सपनों को हासिल करने में नाकाम होते हुए देखते हैं, तो दुख होता है। हमें उनका हौसला बरकरार रखने की कोशिश करनी चाहिए और सुनीता देवी जैसे गरीब खिलाड़ियों की हर संभव मदद करने के लिए आगे आना चाहिए।

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