Rajat Sharma

कब अपने चरम पर होगी कोरोना की तीसरी लहर, कब होगी इसकी विदाई?

akb fullभारत में कोविड के नए मामलों की संख्या रोजाना तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि देश में कोरोना की तीसरी लहर अपने चरम पर कब पहुंचेगी। सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर कोविड के नए मामलों के बढ़ने की रफ्तार कब कम होगी और सामान्य स्थिति बहाल होगी। सोमवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने महामारी की मौजूदा लहर के बारे में कई बड़े विशेषज्ञों से बात की। ये वे लोग हैं जिनके आकलन पिछले साल अप्रैल-मई में तबाही मचाने वाली दूसरी लहर के बारे में सही साबित हुए थे।

विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा लहर इस साल मार्च के दूसरे हफ्ते तक खत्म हो जाएगी। बताया जा रहा है कि 10 मार्च के बाद हालात सामान्य हो सकते हैं। अब तक के रुझानों और आंकड़ों विश्लेषण करने के बाद एक्सपर्ट्स ने कोरोना के संकट बारे में कई ऐसी बातें बताई हैं जो राहत देती हैं। जैसे विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में, जो इस वक्त महामारी के केंद्र बने हुए हैं, जल्द ही सामान्य स्थिति लौट आएगी। उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक इन शहरों में हालात सामान्य हो जाएंगे। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम निश्चिंत हो जाएं। ये ध्यान रखिए कि हालात ठीक होने में समय लगेगा और फिलहाल खतरा बड़ा है। जानकारों का ये भी कहना है कि इन तीनों शहरों में अभी कोरोना की तीसरी लहर का पीक नहीं आया है, यानी कि मामले अभी और तेजी से बढ़ेंगे।

लोगों के मन में ये सवाल भी उठ रहे हैं कि जिन राज्यों में फरवरी और मार्च में चुनाव होने हैं, क्या चुनाव प्रचार, वोटिंग और मतगणना के दौरान वहां कोरोना नहीं फैलेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और पंजाब में कोरोना के मामले जनवरी के आखिर में कम होने शुरू हो जाएंगे।

सबसे पहले आप ये जान लीजिए कि अगर कोई ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है तो उसे संक्रमित होने में मुश्किल से 6 सेकंड लगते हैं। ऑमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से यह वायरस बहुत तेजी से फैल रहा है। यह पिछले डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले 6 गुना तेजी से फैलता है। राहत की बात इतनी सी है कि डेल्टा की तुलना में नया वैरिएंट कम घातक है। सोमवार को पिछले 24 घंटों के दौरान पूरे भारत में 1.80 लाख से अधिक नए मामले सामने आए। पिछले एक हफ्ते में कोरोना के केस 1.3 लाख से बढ़कर 7.8 लाख हो गए, जबकि दूसरी लहर के दौरान कोरोना के केस 1.3 लाख से बढ़कर 7.8 लाख केस होने में 5 हफ्ते का वक्त लगा था।

ओमिक्रॉन की रफ्तार इतनी तेज है कि अब देश भर में पॉजिटिविटी रेट 13 पर्सेंट से ज्यादा हो चुका है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बैंगलुरू जैसे बड़े शहरों में पॉजिटिविटी रेट 25 परसेंट से ज्यादा है। राहत की बात बस इतनी है कि इस बार हॉस्पिटलाइजेशन की रेट और डेथ रेट, दूसरी लहर के मुकाबले काफी कम है।

एक्पर्ट्स का दावा है कि जितनी रफ्तार से ओमिक्रॉन वैरिएंट बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से कम भी होगा और खत्म भी होगा। महामारी के पैटर्न की स्टडी करने वाले आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने कहा है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर का पीक अब ज्यादा दूर नहीं है। उनका मानना है कि जनवरी के अंत या फरवरी के पहले हफ्ते तक भारत में कोरोना की तीसरी लहर अपने चरम पर होगी। उस वक्त एक दिन में कोरोना के 4 से 8 लाख तक नए केस आएंगे। चूंकि मामलों की संख्या तेजी से बढ़ेगी इसलिए उस वक्त देश के अस्पतालों में 1.5 लाख बिस्तरों की जरूरत पड़ सकती है।

दिल्ली में शनिवार को कोरोना वायरस से संक्रमण के 23,751 नए मामले सामने आए। पिछले 24 घंटों के दौरान कम जांच होने के कारण रविवार को 19,166 मामले दर्ज किए गए, लेकिन पॉजिटिविटी रेट 25 प्रतिशत थी। मुंबई में 13,648 नए मामले, बेंगलुरु में 9,221 मामले और कोलकाता में 5,556 नए मामले दर्ज किए गए।

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर के मॉडल के मुताबिक, यह स्थिति ज्यादा दिन तक नहीं रहेगी। दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में तीसरी लहर की पीक 15 जनवरी तक आ सकती है। 15 जनवरी तक दिल्ली में रोजाना 40-50,000 तक नए केस आ सकते हैं। मुंबई में चरम पर पहुंचने के बाद रोजाना 35-40,000 केस आ सकते हैं।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन सभी शहरों में डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी और पुलिसकर्मी बड़े पैमाने पर संक्रमित हो रहे हैं। अकेले दिल्ली में करीब एक हजार पुलिसकर्मियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। दिल्ली और मुंबई में कोरोना की तीसरी लहर की पीक के दौरान मरीजों के इलाज के लिए अस्पतालों में 13-15,000 बेड्स की जरूरत पड़ सकती है।

वैसे तो दिल्ली में नाइट कर्फ्यू और वीकेंड कर्फ्यू सख्ती से लागू किया जा रहा है, लेकिन बाजारों और शॉपिंग सेंटरों में अभी भी भीड़ है और कई लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं। ओमिक्रॉन वैरिएंट तेजी से फैलता है, लेकिन यह कम घातक होता है। ज्यादातर मामलों में, संक्रमित व्यक्तियों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, और दिक्कत की बात यही है।

संक्रमित व्यक्ति को यह नहीं पता होता है कि वह पॉजिटिव है और उसे होम आइसोलेशन में जाना चाहिए। जो सिम्टोमैटिक केस हैं, यानी जिन्हें बुखार, बदन दर्द, पेट खराब होना, गले में खराश होना या खांसी-जुकाम जैसे लक्षण होते हैं, वे ज्यादातर मरीज घर में ही 3 दिन में बिना किसी दवा के ठीक हो जाते हैं। केवल ऐसे मामलों में जहां लोग कोरोना के अलावा मधुमेह, हृदय, फेफड़े और गुर्दे से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं, एक संक्रमित मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़त सकती है, क्योंकि ऐसे में वायरस शरीर के विभिन्न अंगों में फैलता जाता है।

दिल्ली में इस समय 60,733 ऐक्टिव केस हैं और सरकार ने अस्पतालों में 14,222 बेड्स की व्यवस्था की है। अभी तक केवल 1,999 मरीज ही अस्पताल में भर्ती हुए हैं, जिनमें से 443 मरीज आईसीयू में हैं। केवल 503 मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ी है। दिल्ली के अस्पतालों में लगभग 88 प्रतिशत इस समय खाली पड़े हैं। मुंबई के अस्पतालों में 34,960 बिस्तर तैयार रखे गए हैं, जिनमें से 7,432 बिस्तरों पर मरीज हैं। आईसीयू में 30 फीसदी बिस्तरों पर मरीज भर्ती हैं। दूसरी लहर की तुलना में दवाओं, ऑक्सीजन और अस्पताल के बिस्तरों के लिए मारा मारी नहीं है। मुंबई के बाजारों में अभी भी भीड़ है और कई लोग मास्क लगाने से परहेज कर रहे हैं।

‘आज की बात’ शो में हमने दिखाया कि कैसे कर्नाटक में एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता डी के शिवकुमार ने, जो बिना मास्क के पदयात्रा पर निकले थे, एक डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार किया। वह डॉक्टर रैंडम सैंपलिंग के लिए उनके पास गए थे। कांग्रेस की एक पदयात्रा के दौरान, पूर्व सीएम सिद्धरामैया पॉजिटिव पाए गए और उन्हें होम आइसोलेशन के लिए जाना पड़ा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने पदयात्रा के दौरान कांग्रेस नेताओं द्वारा कोविड के दिशानिर्देशों की धज्जियां उड़ाने पर चिंता जाहिर की। बाद में बोम्मई खुद भी कोविड पॉजिटिव पाए गए और उन्हें होम आइसोलेशन में जाना पड़ा।

अन्य बड़े नेताओं में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट भी वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। ये सही है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट कम खतरनाक है, ये भी सही है कि इससे कम लोगों को हॉस्पिटल में जाना पड़ता है, लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि लापरवाही की जाए या कोरोना को हल्के में लिया जाए।

Get connected on Twitter, Instagram & Facebook

Comments are closed.