Rajat Sharma

शर्मनाक: छात्रों ने अपने शिक्षक को पेड़ से बांधकर पीटा

akbझारखंड के दुमका से एक शर्मसार कर देने वाली खबर सामने आई है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय के आदिवासी छात्रों ने सोमवार को कक्षा 9 की प्रैक्टिकल परीक्षा में कम नंबर देने के लिए अपने गणित के टीचर और एक क्लर्क की पेड़ से बांधकर पिटाई की।

इसके बाद छात्रों ने पूरी घटना के वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। वीडियो के वायरल होने के बाद स्थानीय अधिकारियों ने मामले का संज्ञान लिया। कक्षा में 32 छात्रों में से 11 को ग्रेड डीडी (डबल डी) मिला था, जिसे फेल होने के बराबर माना जाता है। झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) की ओर से शनिवार को नतीजे घोषित किए गए थे।

स्कूल टीचर कुमार सुमन की पिटाई को मोबाइल फोन में रिकॉर्ड किया गया और सोशल मीडिया पर लाइव दिखाया गया। छात्रों ने अपने गुरू को अपने इरादों की भनक तक नहीं लगने दी। उन्होंने टीचर और क्लर्क से कहा कि वे उनसे पढ़ाई में बेहतर करने के तरीकों के बारे में पूछना चाहते हैं और इसीलिए उन्हें बुला रहे हैं। क्लर्क ने छात्रों को उनका नंबर बताने से इनकार कर दिया था।

टीचर और क्लर्क जैसे ही मौके पर पहुंचे, छात्रों ने उन्हें एक पेड़ से बांध दिया और लाठियों से पीटना शुरू कर दिया। दोनों की पिटाई करते हुए छात्रों ने खुलेआम कहा कि वे इस वीडियो को सोशल मीडिया पर लाइव पोस्ट करेंगे। घायल टीचर का अभी अस्पताल में इलाज चल रहा है।

इंडिया टीवी को अपनी आपबीती बताते हुए अध्यापक ने कहा कि उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनके छात्र उनके साथ इस तरह का व्यवहार करेंगे। कुमार सुमन ने कहा, प्रैक्टिकल एग्जाम में नंबर देने में उनका कोई हाथ नहीं था। मामले की जांच स्थानीय शिक्षा विभाग कर रहा है। विभाग के 3 अधिकारियों ने स्कूल का दौरा किया, हेडमास्टर और बाकी के अध्यापकों से बात की और आवासीय स्कूल में की गई तलाशी के दौरान कई मोबाइल फोन जब्त किए गए। इस स्कूल में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पाबंदी है।

गोपीकांदर के प्रखंड शिक्षा अधिकारी सुरेंद्र हेम्ब्रम ने आरोप लगाया कि कुमार सुमन ने कुछ समय पहले कुछ छात्रों के खिलाफ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया था और उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला भी दर्ज हुआ है।

गोपीकांदर के खंड विकास अधिकारी अनंत झा ने कहा कि आवासीय विद्यालय में लगभग 200 छात्र पढ़ते हैं और इनमें से अधिकांश ने शिक्षक और क्लर्क की पिटाई की घटना में शामिल थे। झा ने कहा कि पिटने वाले अध्यापक पहले प्रधानाध्यापक थे, लेकिन बाद में अज्ञात कारणों से उन्हें हटा दिया गया था। नए प्रधानाध्यापक रामदेव केसरी हैं। झा ने इशारा किया कि यह शिक्षकों के बीच आपसी तकरार का नतीजा हो सकता है।

कक्षाएं 9 और 10 सस्पेंड कर दी गई हैं और सभी छात्रों को उनके गांव वापस भेज दिया गया है। कुछ छात्रों ने आरोप लगाया कि अध्यापक ने उन्हें कम नंबर दिए और क्लर्क सोनेराम चौरे ने उन्हें JAC की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया।

बीडीओ ने कहा कि स्कूल के वर्तमान हेडमास्टर ने गणित की प्रायोगिक परीक्षा के अंक और जिस तारीख को ये अंक ऑनलाइन अपलोड किए गए थे, उसे बता नहीं पाए । उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि छात्रों ने महज अफवाह के आधार पर शिक्षक और क्लर्क की पिटाई की है।

स्थानीय थाना प्रभारी नित्यानंद भोक्ता ने कहा कि उन्होंने स्कूल प्रबंधन से शिकायत दर्ज कराने को कहा था, लेकिन उन्होंने मना करते हुए कहा कि इससे छात्रों का कॅरियर बर्बाद हो सकता है। पुलिस ने कहा कि न तो प्राथमिकी दर्ज की गई और न ही स्कूल प्रबंधन की ओर से कोई शिकायत दर्ज कराई गई है।

एक अध्यापक को पेड़ से बांधना और फिर उसे लाठियों से पीटना, यह इस बात का एक शर्मनाक उदाहरण है कि हमारे ग्रामीण इलाकों में शिक्षा प्रणाली किस हद तक गिर गई है। अध्यापकों की पिटाई के इस वीडियो में कई सारे शर्मनाक चेहरे उजागर होते हैं, और हर चेहरे ने शर्मनाक काम किया है।

शर्म आनी चाहिए उन छात्रों को जिन्होंने अपने अध्यापकों की पिटाई की, गुरुजनों का अपमान किया। शर्म आनी चाहिए उन अध्यापकों को जिन्होंने आपसी रंजिश के लिए, बदला निकालने के लिए छात्रों का इस्तेमाल किया। यह घटना दिखाती है कि आजकल स्मार्टफोन का, सोशल मीडिया का दुरुपयोग किस तरह ब्लैकमेल और अपमानित करने के लिए किया जाता है। स्कूल में न कोई अनुशासन है, न अध्यापकों का सम्मान और ना ही पुलिस का डर।

यह घटना परेशान करने वाली है, चिंता में डालने वाली है। कौन कहेगा कि ये उस देश के छात्र और अध्यापक हैं जहां गुरु को भगवान के ऊपर का दर्जा दिया गया है। यह कौन सी संस्कृति है जिसमें छात्र अपने अध्यापक को पेड़ पर बांधकर उनकी पिटाई करें और अपमानित करने के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल करें। इसके बारे में पूरे समाज को बार-बार सोचना चाहिए।

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