महाराष्ट्र के रायगड, रत्नागिरी और सतारा जिलों पर मौत का साया मंडरा रहा है। यहां पिछले 48 घंटों के दौरान लैंडस्लाइड (भूस्खलन) और बाढ़ से 129 लोगों की मौत हो चुकी है। वैस्टर्न घाट में लैंडस्लाइड से सड़कें और इमारतें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं। बाढ़ का पानी कई गांवों, कस्बों और शहरों में कहर बरपा रहा है। पहाड़ों के खिसकने से पूरा का पूरा गांव पत्थर और कीचड़ में दब गया है। बिजली आपूर्ति ठप होने से लोगों के मोबाइल की बैटरी खत्म हो चुकी हैं और सारा कम्युनिकेशन सिस्टम ठप पड़ गया है। किसी से सपंर्क नहीं हो पा रहा है। मौसम विभाग का कहना है कि अगले तीन दिन तक बारिश होगी, यानि मुसीबत और बढ़ने वाली है। रेस्क्यू टीम को प्रभावित इलाकों तक पहुंचने में मुश्किल हो रही है। इंडिया टीवी के रिपोर्टर रायगड, रत्नागिरि और सतारा के उन इलाकों में पहुंचे जहां बारिश के कारण बहुत ज्यादा तबाही हुई है।
सबसे ज्यादा तबाही महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में हुई है। वैसे तो ये इलाका अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है लेकिन 48 घंटे की भयंकर बारिश और लैंडस्लाइड ने इस इलाके को तहस-नहस कर दिया है। रायगड के तलई इलाके में चट्टान खिसकने से 35 घर पहाड़ के मलबे में दब गए। इस हादसे में 49 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। अबतक 38 शव मलबे से निकाले जा चुके हैं। मलबे में 35 और लोगों के दबे होने की खबर है। रायगड के पोलादपुर इलाके में लैंडस्लाइड से 11 लोगों की मौत हो गई जबकि सतारा जिले में 13 लोगों की मौत हुई। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार ने राहत और बचाव के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से सेना के जवानों को भेजने का आग्रह किया है। नौसेना और वायुसेनाकर्मी भी रेस्क्यू में जुटे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायल लोगों के लिए 50 हजार के मुआवजे का ऐलान किया है।
रेस्क्यू ऑपरेशन युद्धस्तर पर चल रहा है लेकिन मौसम खराब होने के कारण बार-बार इसमें बाधा आ रही है। चिपलून का पूरा कस्बा ही आठ से दस फीट पानी में डूबा हुआ है। हालांकि बारिश रुकने के बाद पानी कम होना शुरू हो गया है, लेकिन बाढ़ ने बड़े पैमाने पर तबाही मचा रखी है। इंडिया टीवी के रिपोर्टर राजेश सिंह शुक्रवार को चिपलून पहुंचे। वहां के हालात देखकर उन्हें भी यकीन नहीं हुआ कि ये वही शहर है जिसे देखने और घूमने के लिए दुनिया भर से सैलानी आते हैं। चिपलून शहर में सिर्फ तबाही के निशान हैं। बर्बादी का मंजर है। पूरे कस्बे में कारें उल्टी-पुल्टी पड़ी हैं। बाढ़ में बहे ट्रक और टैंपो नालों में प़ड़े हैं। पानी के बहाव के कारण गाड़ियां एक-दूसरे पर चढ़ी हुई हैं। हमारे रिपोर्टर को चिपलून तक पहुंचने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा क्योंकि सड़कें टूटी हुई हैं, बिजली नहीं है और कम्युनिकेशन सिस्टम भी क्रैश हो चुका है। असल में चिपलून कोंकण क्षेत्र का कमर्शियल और बिजनेस हब है। ये बहुत ही विकसित इलाका है। यहां रोजाना सैकड़ों पर्यटक आते हैं। महाराष्ट्र के चितपावन ब्राह्मणों का मूल स्थान चिपलून ही है। प्राकृतिक सुंदरता के चलते .चिपलून को महाराष्ट्र का गोवा भी कहा जाता है। अब यह कस्बा खंडहर में तब्दील हो चुका है। भारी बारिश, बाढ़ और लैंडस्लाइड से घाटों पर बने महलनुमा बंगले तबाह हो गए हैं।
कोंकण इलाके में बारिश होना कोई नई बात नहीं है। यहां हर साल खूब बारिश होती है। हालांकि कोंकण का इलाका महाराष्ट्र के कुल क्षेत्रफल का केवल 10 प्रतिशत है, लेकिन मानसून के दौरान यहां 46 प्रतिशत बारिश होती है। इस इलाके में छह बड़े बांध बनाए गए हैं, और चूंकि ये इलाका अरब सागर के किनारे है और सहयाद्री हिल्स में बसा है, इसलिए अरब सागर से उठा मानसून इस इलाके में जबरदस्त बारिश का कारण बनता है।
सवाल ये है कि इस साल ऐसा क्या हो गया कि ऐसी आपदा आ गई। इस सवाल का जवाब दिया रत्नागिरी के कलेक्टर बीएन पाटिल ने जिन्होंने15 दिन पहले ही काम संभाला है। बीएन पाटिल ने शहर में हुई तबाही के लिए भारी बारिश के साथ-साथ इंसानी लापरवाही को भी जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि ये मानव निर्मित आपदा भी है। दरअसल चिपलून शहर वशिष्ठ नदी के किनारे बसा है और पास में ही कोलकेवाड़ी डैम (बांध) भी है। लोगों ने वशिष्ठ नदी के रिवर बेड (नदी तल) पर अवैध निर्माण किया है इसकी वजह से नदी का रास्ता रुक गया है। भारी बारिश के बाद कोलकेवाड़ी डैम भर गया तो डैम के 4 गेट खोलकर पानी छोड़ना पड़ा। लेकिन वशिष्ठ नदी के रिवर बेड पर हुए अवैध निर्माण की वजह से पानी को निकलने का रास्ता नहीं मिला और पानी शहर में घुस गया। पाटिल का कहना है कि मौजूदा संकट खत्म होने के बाद वे रिवर बेड पर हुए अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। शुक्रवार को चिपलून के अस्पताल के अंदर कोरोना के 8 मरीजों की मौत की खबर आई। ये कोरोना मरीज वेंटिलेटर पर थे और बिजली नहीं थी। स्थानीय युवकों ने 12 कोविड मरीजों को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कर उन्हें बचा लिया।
रायगड की तरह सतारा और कोल्हापुर में भी लैंडस्लाइड हुआ और 14 लोगों की मौत हो गई। कई लोग लापता हैं और उनके मलबे में दबे होने की आशंका है। सतारा जिले के पाटन के पास अंबेघर में लैंडस्लाइड से कई इमारतें मलबे में तब्दील हो गईं। रास्ते में मलबा आने से एनडीआरएफ की टीम को रेस्क्यू के लिए मौके पर पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। शुक्रवार को कोएना डैम के पास 640 मिलीमीटर तक बारिश दर्ज की गई।
कुल मिलाकर तबाही के ये दृश्य बेहद पीड़ादायक हैं। महाराष्ट्र के कम से कम 12 जिले भारी बारिश, बाढ़ और लैंडस्लाइड से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। चिंता की बात ये है कि अगले तीन दिन तक भारी बारिश की आशंका है। अगर बारिश जारी रही तो हालात और खराब हो सकते हैं। इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद लगातार हालात पर नजर रख रहे हैं। पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बात करके स्थिति की जानकारी ली है और हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। चूंकि कई इलाकों के लोगों का सबकुछ बर्बाद हो गया है इसलिए फिलहाल सरकार सबसे पहले लोगों के लिए खाना और पीने के पानी का इंतजाम कर रही है। जिन इलाकों में लैंडस्लाइड या बाढ़ का खतरा है, वहां से लोगों को निकाला जा रहा है और सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा रहा है। सरकार तो महाराष्ट्र के लोगों की मदद की हरसंभव कोशिश कर रही है लेकिन इन पीड़ितों की मदद करना हमारा भी कर्तव्य है। हम सबको भी दुआ करनी चाहिए कि महाराष्ट्र के लोगों को जल्दी से जल्दी इस मुसीबत से मुक्ति मिले।