Rajat Sharma

पाकिस्तान की साजिश नाकाम, खुफिया एजेंसियों को हमारा सलाम

akbपाकिस्तान ने फिर वही नापाक और शर्मनाक हरकत करने की कोशिश की जिसकी फिराक में वह पिछले एक साल से था। रात के अंधेरे में पाकिस्तानी दहशतगर्दों ने गोला-बारूद से भरे ट्रक में बैठकर कश्मीर में घुसने की कोशिश की। लेकिन हमारे सुरक्षा बलों के बहादुर जवानों ने सूरज उगने से पहले सभी आतंकवादियों को अंजाम तक पहुंचा दिया। जो लाशों की ढ़ेर लगाने आए थे, वो खुद लाश में तब्दील हो गए।

सुरक्षाबलों और खुफिया एजेंसियों ने बेहतरीन तालमेल का परिचय देते हुए गुरुवार को जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर नगरोटा में बान टोल प्लाजा के पास जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को मार गिराया। ये चारों आतंकवादी पाकिस्तान के रहनेवाले थे। सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में चारों आतंकवादी मारे गए। 11 एके 47 राइफल, तीन पिस्तौल, चार दर्जन से अधिक हथगोले और 10 किलो आरडीएक्स से लैस ये आतंकवादी चावल और रेत की बोरियों से लदे ट्रक में छिपे थे। ट्रक ड्राइवर फायरिंग और अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकला।

जब ट्रक को हाईवे के चेक प्वॉइंट पर रोका गया तो चारों आतंकवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी और ग्रेनेड फेंकने लगे। आतंकियों की घुसपैठ और नगरोटा में एनकाउंटर में इन्हें मार गिराना कश्मीर में सेना और बीएसएफ द्वारा स्थापित बॉर्डर ग्रिड की एक बड़ी सफलता है। मैं अपनी खुफिया एजेंसियों की तारीफ करना चाहुंगा। उन्होंने बहुत पुष्ट जानकारी हासिल की थी। ये कोई आसान काम नहीं होता। इसमें खतरा बहुत होता है। इस जानकारी की वजह से सुरक्षाबलों ने पूरी प्लानिंग के साथ आतंकवादियों का सफाया किया। चूंकि जानकारी पक्की थी इसलिए हमारे सुरक्षाबलों का ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन जरा सोचिए, अगर जानकारी वक्त पर न मिलती, अगर कहीं चूक हो जाती तो 10 किलो आरडीएक्स, 11 एके 47, 29 हथगोलों से कितना भारी नुकसान हो सकता था। पाकिस्तान अपने मंसूबों में कामयाब हो जाता तो न जाने कितने बेकसूर लोगों की जान चली जाती। जो आतंकवादी मारे गए वो पाकिस्तानी थे। आरडीएक्स पाकिस्तान का था, हथियारों पर चीन की मुहर लगी थी, आतंकियों की पैंट पर कराची का टैग था, उनके पास जो दवाइयां थी उन पर कराची की पैकिंग थी।

इन पाकिस्तानी आतंकवादियों ने एक बड़ी वारदात को अंजाम देने की योजना बनाई थी। ये हथियारों और गोला-बारूद की बड़ी खेप लेकर पूरी तैयारी के साथ आए थे, लेकिन हमारे बहादुर जवानों ने सुबह होने से पहले ही उन्हें ढेर कर दिया। तीन घंटे तक हुई फायरिंग में पुलिस के दो जवान घायल हो गए। मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों ने ट्रक को उड़ा दिया। ट्रक के अंदर से चार लाशें, बड़ी मात्रा में हथियार और बहुत सारी बोरियां मिलीं। आतंकवादी इस बात के लिए तैयार थे कि अगर घिर गए तो ट्रक में छिपकर ही सुरक्षाबलों पर हमला करेंगे। उन्होंने वही किया भी। रेत से भरी बोरियों को ढाल की तरह रखा गया था। आतंकवादी बोरियों के बीच में बैठे थे जिससे गोलियां उन तक न पहुंच सकें। लेकिन वो यह नहीं सोच पाए कि गोली की बजाए बम से पूरे ट्रक को भी उड़ाया जा सकता है।

हमारे सुरक्षाबलों के पास पक्की खुफिया जानकारी थी कि जैश-ए-मोहम्मद के कुछ दहशतगर्द हीरानगर और उसके आस-पास के इलाक़े में सरहद पार करने में कामयाब हुए हैं और वो हमला कर सकते हैं। इस सूचना के बाद सारे सिस्टम एक्टिव हो गए। खुफिया एजेंसियों ने वक्त पर बता दिया कि एक ट्रक में आंतकवादी हो सकते हैं। रूट भी पता था और जिस ट्रक पर शक था उसे लगातार ट्रैक किया गया। इस ट्रक ने सुबह 3 बजकर 44 मिनट पर सांबा के ठंडी खुई इलाके का टोल प्लाजा क्रॉस किया। उस वक्त इसे जाने दिया गया। इसके बाद ट्रक को नगरोटा के बान टोल प्लाजा पर रोका गया। इस वक्त तक टोल पर सारी तैयारी हो चुकी थी, सुरक्षाबलों के जवान पूरी तरह से तैयार थे। जैसे ही टोल प्लाजा पर जवानों ने ट्रक के ड्राइवर को जांच के लिए उतारा और पूछताछ करने लगे, ट्रक की जांच कराने को कहा तो ड्राइवर भागने लगा्। इसी बीच ट्रक में मौजूद आतंकवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षा बलों का शक सही था, खुफिया जानकारी पक्की थी। ट्रक में दहशतगर्द थे, लेकिन उनकी फायरिंग से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ क्योंकि तैयारी पूरी थी। करीब तीन घंटे तक फायरिंग होती रही क्योंकि ट्रक में मौजूद आतंकवादी रेत से भरी बोरी की आड़ में छिपे थे। अंत में सुरक्षाबलों ने ट्रक को उड़ा दिया और चारों आतंकवादियों को ढेर कर दिया।

सवाल ये है कि बार-बार मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान ऐसे हमले की कोशिश क्यों करता है और इस वक्त इतने बड़े हमले की प्लानिंग का मकसद क्या था? दरअसल इस समय कश्मीर में जिला विकास परिषद के चुनाव होने वाले हैं। 28 नवंबर से आठ चरणों में ये चुनाव हर जिले में होंगे। स्थानीय स्तर पर विकास का काम इन्हीं चुनी गई जिला परिषद के जरिए होगा। पूरे कश्मीर में जिला विकास परिषदों का गठन किया गया है। हर जिले में लोग जिला विकास परिषद के 14 सदस्यों को चुनेंगे और ये 14 सदस्य अपने चेयरमैन का चुनाव करेंगे। ये जिला परिषद कश्मीर में स्थानीय स्तर पर विकास के लिए जिम्मेदार होंगी। जाहिर है इन परिषदों के पास विकास के लिए काफी फंड होगा। ये जिला परिषद जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को मजबूत करेगी और एक नई लीडरशिप को सामने आने का मौका मिलेगा। अब पाकिस्तान की कोशिश है कि इस वक्त लोगों को डराया जाए। इस चुनाव प्रक्रिया में रुकावट पैदा की जाए। दुर्भाग्य की बात ये है कि हमारे यहां भी ऐसे लोग, ऐसे नेता हैं जो पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं। जो जानते हैं कि अगर कश्मीर में विकास हुआ तो उनकी दुकान बंद हो जाएगी।

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