Rajat Sharma

महंत नरेंद्र गिरि: खुदकुशी या हत्या?

akb fullअखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रमुख महंत नरेंद्र गिरि महाराज की सोमवार को संदिग्ध हालत में मौत हो गई। प्रयागराज के बाघम्बरी मठ के अंदर उनका शव पंखे से लटका मिला। अखाड़ा परिषद भारत में साधुओं के 13 मान्यता प्राप्त अखाड़ों की शीर्ष संस्था है। इसका उत्तर भारत के हिंदुओं के बीच काफी प्रभाव है।

पुलिस ने बताया कि बंद कमरे से चार पेज का स्यूसाइड नोट बरामद हुआ है। इसमें पेज के दोनों तरफ लिखा हुआ है। स्यूसाइड नोट में महंत ने अपने शिष्य आनंद गिरि पर ‘मानसिक रूप से प्रताड़ित’ करने का आरोप लगाया और लिखा कि इसी वजह से वे यह बड़ा कदम उठाने को मजबूर हुए हैं। स्यूसाइड नोट में नाम आते ही उत्तराखंड पुलिस ने फौरन आनंद गिरि को हरिद्वार से पकड़ लिया। ये कहा जा रहा है कि स्यूसाइड नोट में महंत गिरि ने लिखा है कि ‘मैंने सम्मानपूर्वक जीवन जिया है और सम्मानपूर्वक मरना चाहता हूं।’ स्यूसाइड नोट का एक बड़ा हिस्सा एक तरह से वसीयतनामे की तरह लिखा है जिसमें इस बात उल्लेख है कि उनके किस शिष्य को कितनी संपत्ति मिलनी चाहिए।

महंत नरेंद्र गिरि का कुछ महीने पहले अपने शिष्य आनंद गिरि के साथ संपत्ति विवाद हुआ था। इस विवाद को एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और दो राजनेताओं के दखल के बाद सुलझाया गया था। वहीं गिरफ्तार किए जाने से पहले हरिद्वार में आनंद गिरि ने मीडिया से बात की। आनंद गिरि ने आरोप लगाया कि महंत नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उनकी हत्या की गई है। उन्होंने कहा इसकी जांच होनी चाहिए कि एक बार में चंद पंक्तियों से ज्यादा नहीं लिख पानेवाले महंत नरेंद्र गिरि ने इतना लंबा स्यूसाइड नोट कैसे लिखा।

महंत नरेंद्र गिरि को वर्ष 2014 में अखाड़ा परिषद् का अध्यक्ष चुना गया था और पांच साल बाद हरिद्वार में वे फिर से निर्वाचित हुए। बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों दलों के नेताओं से इनके करीबी संबंध थे। इस साल मई महीने में उनका अपने शिष्य आनंद गिरि, जिसे ‘छोटे महंत’ के नाम से जाना जाता था, के साथ काफी विवाद हुआ था। इस विवाद की सार्वजनिक तौर पर काफी चर्चा भी हुई थी। आनंद गिरि को बाघम्बरी मठ और निरंजनी अखाड़ा दोनों से निकाल दिया था। आनंद गिरि पर ‘संन्यास’ लेने के बाद परिवार के सदस्यों के साथ सभी तरह के संबंधों को खत्म करने के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा था। इसके साथ ही मंदिर के धन के दुरुपयोग का भी आरोप लगा था।

आनंद गिरि ने उस वक्त अपने गुरु के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक शिकायत भेजी थी। हालांकि, कुछ समय के बाद आनंद गिरि ने सार्वजनिक तौर पर अपने गुरु के पैर छूकर उनसे माफी मांग ली थी। आनंद गिरि ने श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के पंच परमेश्वर से भी माफी मांगी थी। तब महंत नरेंद्र गिरि ने उन्हें माफ कर दिया था।

पूरे हालात पर नजर दौड़ाएं तो कुछ बातें स्पष्ट होती हैं। महंत नरेंद्र गिरि का शव अंदर से बंद कमरे में पंखे से लटका मिला है। साथ में स्यूसाइड नोट है और इस नोट में उन्होंने अपने शिष्य आनंद गिरि का नाम लिखा है। आनंद गिरि को गिरफ्तार कर लिया गया है। उनका कहना है कि महंत नरेंद्र गिरी तो चिठ्ठी भी नहीं लिख सकते थे तो इतना बड़ा स्यूसाइड नोट कैसे लिखेंगे? आनंद गिरि ने आरोप लगाया कि महंत नरेंद्र गिरि की हत्या हुई है। हत्या के बाद उनके शव को पंखे से लटका कर आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई है। और हत्यारे ने उन्हें फंसाने के लिए उनका नाम स्यूसाइड नोट में लिख दिया है। ये सही है कि संप्रदाय के नियमों के उल्लंघन और धन-संपत्तियों के दुरुपयोग को लेकर गुरु और शिष्य के बीच सार्वजनिक रूप से विवाद हुआ था। यह भी सही है कि शिष्य ने बाद में गुरु से माफी मांगी थी और गुरु ने उसे माफ भी कर दिया था।

अब इस बात की जांच उत्तर प्रदेश पुलिस कर रही है कि महंत ने आत्महत्या की या उनकी हत्या की गई। महंत ने अपनी चिट्ठी में दो अन्य लोगों का भी नाम लिया है। पुलिस ने उन्हें भी पकड़ा है। चूंकि जांच अभी शुरुआती चरण में है इसलिए न तो किसी को क्लीन चिट दी जा सकती है और न ही किसी को दोषी ठहराया जा सकता है। मैं तो कहूंगा दोषी जो भी हो उसे पकड़ा जाना चाहिए। उसे दंडित किया जाना चाहिए। यदि किसी ने उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाया हो तो उस पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया जाना चाहिए। यह मामला बहुत गंभीर है। इस मामले की हकीकत, इसकी सच्चाई जल्दी से जल्दी सामने आनी चाहिए। महंत नरेंद्र गिरि के बड़ी संख्या में अनुयायी थे और वे बेहद सम्मानित संत थे। संत समाज पूरे समाज को रास्ता दिखाता है। वे हमें जीने की राह बताते हैं। अगर महंत नरेन्द्र गिरि जैसे बड़े और सम्मानित संत अपनी जान देने के लिए मजबूर हो जाएं या फिर कोई उनकी हत्या कर दे तो समाज के लिए इससे ज्यादा दुख और चिंता की बात कोई नहीं हो सकती।

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