पाकिस्तान हमारी नौजवान पीढ़ी को बर्बाद करने के लिए भारत में भारी मात्रा में ड्रग्स भेजने के एक खतरनाक प्लान पर काम कर रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की तरफ से इस साल 50 हजार किलो से भी ज्यादा हेरोईन, अफीम, ब्राउन शुगर और मेथा-एंफेटा-माइन जैसी ड्रग्स भारत में भेजी गई हैं।
इंडिया टीवी पर सोमवार की रात प्रसारित मेरे प्राइमटाइम शो ‘आज की बात’ में हमने कोस्ट गार्ड (तटरक्षक दल) और गुजरात पुलिस एटीएस (आतंकवाद विरोधी दस्ते) की एक जॉइंट टीम और ड्रग तस्करों के बीच एनकाउंटर का लाइव वीडियो दिखाया। यह मुठभेड़ गुजरात तट के पास समंदर की उफनती लहरों के बीच हुई। हमने दो कथित तस्करों के बीच हुई बातचीत का एक ऑडियो क्लिप भी चलाया जिसमें लब्बोलुआब यह था कि समंदर के रास्ते से ड्रग्स को भारत में लाना उनके लिए कितना मुश्किल होता जा रहा है।
अंधेरी रातों में ये स्मगलर्स छोटी नावों में ड्रग्स लेकर में भारत के तटीय इलाके में घुसने की कोशिश करते हैं। गुजरात के कच्छ इलाके के समुद्र तट के पास कोस्ट गार्ड और गुजरात एटीएस पाकिस्तान से नाव पर सवार होकर आने वाले ड्रग तस्करों को लगातार दबोच रहे हैं।
वीडियो में साफ नजर आ रहा था कि कोस्ट गार्ड कैसे मोटर बोट को सर्चलाइट और फ्लेयर्स के जरिए ढूंढ़ती है और फिर एटीएस और कोस्ट गार्ड की जॉइंट टीम तस्करों को सरेंडर करने की वॉर्निंग देती है। ऑपरेशन अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के पास हुआ। समुद्र में किसी भी देश की सीमा का और वह भी रात के वक्त अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल होता है।
वीडियो में सर्चलाइट ‘अल हज’ नाम की एक बड़ी मोटर बोट पर थी जो पाकिस्तान से भारत की ओर बढ़ रही थी। ऐक्टिव सर्विलांस के जरिए बोट को ट्रेस कर लिया गया। जब बार-बार चेतावनी देने और सरेंडर करने को कहने के बाद भी ड्रग तस्कर रात के अंधेरे का फायदा उठाकर भागने लगे, तो कोस्ट गार्ड के शिप ने उन्हें खदेड़ा और सरेंडर की चेतावनी के साथ ही भागते हुए तस्करों को पकड़ने के लिए फायरिंग भी शुरू हो गई। लगातार फायरिंग और वॉर्निंग के कारण ड्रग तस्करों को समझ आ गया कि वे भाग नहीं पाएंगे, इसलिए आखिरकार उन्होंने सरेंडर कर दिया।
बोट से 56 किलोग्राम हेरोइन के साथ 9 पाकिस्तानी तस्कर पकड़े गए। बोट से पकड़ी गई हेरोइन की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कुल कीमत करीब 280 करोड़ रुपये है। यह गुजरात ATS और कोस्ट गार्ड की बड़ी कामयाबी थी। जिस बोट में ड्रग तस्करी की जा रही थी, उसे समुद्री कारोबार की भाषा में लॉन्च कहते हैं। इस लॉन्च में पाइप लदे हुए थे। ड्रग्स को पाइप के भीतर छिपाकर रखा गया था, जिससे ऊपरी तौर पर देखने पर पता ही न चले कि पाइप के भीतर भी ड्रग्स हो सकती हैं। इस ऑपरेशन के दौरान जो लोग गिरफ्तार किए गए, उनमें पाकिस्तान के बड़े ड्रग तस्कर हाजी हसन का बेटा और उसका दामाद भी शामिल था।
ऑपरेशन के दौरान पकड़े गए पाकिस्तानी तस्करों से पूछताछ में पता चला कि पाकिस्तान से भेजी गई इन ड्रग्स का ‘रिसीवर’ तो दिल्ली में मौजूद है। दिल्ली से इन ड्रग्स को पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सप्लाई किया जाना था। इस जानकारी को गुजरात ATS ने NCB के साथ शेयर किया, जिसके बाद दिल्ली के जामिया नगर, शाहीन बाग और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में छापे मारे गए। इन सभी जगहों से 351 किलोग्राम हेरोइन और बरामद हुई है। ड्रग की इतनी भारी तादाद के साथ भारत के ड्रग माफिया रज़ी हैदर, इमरान और अवतार सिंह उर्फ़ सन्नी को पकड़ा गया।
भारतीय तस्करों से मिली जानकारी के बाद, भारत-पाकिस्तान के वाघा-अटारी बॉर्डर के पास से भी 100 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई। इस मामले में अभी कुछ और आरोपियों की तलाश की जा रही है। अब तक की जांच में पता ये चला है कि अफगानिस्तान से हेरोइन को ईरान और पाकिस्तान के रास्ते भारत भेजा जा रहा था। गुजरात से इस हेरोइन को दिल्ली के आसपास के इलाकों में लाकर डाइल्यूट किया जाता था, यानी की इनकी डोज को हल्का किया जाता था। इस काम के लिए ड्रग माफिया ने अफगानिस्तान के एक नागरिक को भी दिल्ली में खास तौर से रखा हुआ था। पुलिस ने अफगान को अब गिरफ्तार कर लिया है।
गुजरात एटीएस के डीआईजी दीपन भद्रन ने इंडिया टीवी के संवाददाता निर्णय कपूर को बताया कि पिछले 2 सालों में उनके दस्ते ने 65 ड्रग तस्करों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 30 पाकिस्तानी, 17 ईरानी, 2 अफगान और एक नाइजीरियाई हैं। भद्रन ने बताया कि पिछले 6 महीने के दौरान कई हजार करोड़ रुपये कीमत की 25,700 किलोग्राम ड्रग्स जब्त की गई हैं।
पाकिस्तान में बैठे ड्रग तस्कर समुद्र के रास्ते ड्रग की सप्लाई से तौबा कर रहे हैं। ‘आज की बात’ शो में, हमने 2 कथित पाकिस्तानी तस्करों के बीच हुई बातचीत का एक ऑडियो क्लिप चलाया, जो कह रहे थे कि अब भारत में ड्रग्स भेजना काफी मुश्किल हो गया है।
ऑडियो क्लिप में फोन करने वाला व्यक्ति हाशिमभाई नाम के शख्स से कहता है, ‘सलाम अलैकुम भाईजान। क्या हाल हैं? ठीक-ठाक हैं, मजे में हैं? आप कैसे हैं? देखो हाशिम भाई, मेरी तकरीबन डेढ़-दो घंटे मीटिंग हुई है। उस नाख़ुदा को भी बुला लिया। अपने वालों को भी बुला लिया सबको। कोई नाख़ुदा उस पॉइंट पर जाने के लिए तैयार नहीं है। उसने बोला 190 मील तो छोड़ो 400 मील पर भी इंडिया घूम रहा है। 400 मील पर। ठीक है न! ये इसका सबसे बड़ा मेनगेट है और बोला कौन यहां पर जाएगा। 15 पर भी घूम रहा है। ये तो 20 हैं न। 14 और 15 में भी घूम रहा है। इसका राउंड ही आजकल यहीं लग रहा है। और ये बिल्कुल नामुमकिन है इस काम को हाथ में मत लो। क्योंकि यहां से नहीं हो सकता बिल्कुल। क्योंकि यहां से कोई बंदा अगर ईरानी गाड़ी निकाल दे तो मुझे नहीं लगता कि ये गाड़ी कामयाब होगी। क्योंकि बंदे पकड़े जाएं माल के साथ अल्लाह न करे, या फिर वही बड़ा परेशानी वाला मसला है। बात ये है कि मेरी 2 दिन मीटिंग होने के बावजूद दिलेर से दिलेर नाखुदा भी मैंने पकड़े हैं। कोई जाने के लिए तैयार नहीं है। वो बोल रहा है कि अगर ख़ुदकुशी करना चाहते हो तो कर लो। तो उन लोगों ने बोला कि ये अभी ईरानी लॉन्चेज के बस की बात नहीं है। ठीक है।’
ऑडियो क्लिप के दूसरे हिस्से में कॉल करने वाला बोलता है, ‘जितना भी हो सकता है आपको तो पता है ख़ुद भी। और वह जामनगर, राजकोट, पोरबंदर और ये 200 मील दूर हैं। ज़्यादा भी नहीं ये 180 या 200 मील दूर हैं। उसने बोला, भाई यहां बिल्कुल नामुमकिन है। बोला यहां बचने का एक पर्सेंट भी चांस नहीं है, एक पर्सेंट भी बचने का चांस नहीं है। यह सवाल ही पैदा नहीं होता कि यहां से एक पर्सेंट भी बचकर जाएं। बोला पैसे किसे अच्छे नहीं लगते। पांच लोग। माल। माल पहुंचेगा तो किसी को पैसे मिलेंगे न। लोग बचेंगे तो ये काम करेंगे। तो ये हालात हैं। आप तो ख़ुद समझदार हो। जानते हो सब। चीज़ों से थोड़ा-बहुत वाक़िफ़ हो इस इलाक़े के बारे में। वो हमारे ईरान की लॉन्च जो है, वो बहुत ख़तरनाक हो गई है। सिर्फ़ एक रूट जो है, वही उनके लिए बचा हुआ है, वो भी बचके निकलना होगा। ये रूट तो नामुमकिन है भाई को बता दो। ठीक है न। हम तो कह रहे हैं कि इस काम को अभी छोड़ दें लॉन्च के हिसाब से। दूसरा, उसके पास अगर ईरान से जहाज़ भी निकलेगा न तो वह भी उसके रेंज में आता है। इतना ख़तरनाक हो गया है।’
सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ने लगभग एक जैसे ट्वीट किए, जिसमें सरकार से सवाल किए गए थे। राहुल गांधी ने ट्वीट किया: गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर सितंबर 2021 में 21,000 करोड़ रुपये कीमत की 3,000 किलोग्राम ड्रग्स पकड़ी गई, मई 2022 में 500 करोड़ रुपये की 56 किलो ड्रग्स पकड़ी गई और जुलाई 2022 में 375 करोड़ रुपये की 75 किलो ड्रग्स जब्त की गईं। डबल इंजन सरकार में बैठे कौन लोग हैं जो लगातार ड्रग्स-शराब माफिया को संरक्षण दे रहे हैं? गुजरात के युवाओं को नशे में क्यों धकेला जा रहा है? मेरे सवाल: 1. एक ही पोर्ट पर 3 बार ड्रग्स बरामद होने के बावजूद, उसी पोर्ट पर लगातार ड्रग्स कैसे उतर रही है? 2. क्या गुजरात में कानून व्यवस्था खत्म है? माफिया को कानून का कोई डर नहीं? या ये माफिया की सरकार है? AAP सांसद संजय सिंह ने पूछा, ‘क्या मुंद्रा बंदरगाह ड्रग तस्करों का अड्डा बन गया है?’
बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, ‘याद कीजिए कि भारत पर सबसे बड़ा आतंकी हमला कांग्रेस के राज में समंदर के रास्ते हुआ था। जब मुंबई में आतंकी हमले हुए तब राहुल गांधी अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने में बिजी थे और आज वह सवाल उठा रहे हैं।’
इंडिया टीवी के संवाददाता ने DIG दीपन भद्रन से इस बारे में पूछा। उन्होंने कहा, ‘इस साल अफगानिस्तान और ईरान में अफीम की खेती बहुत ज्यादा हुई है। अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद ड्रग्स की तस्करी बढ़ी है। यही वजह है कि भारत में भी बड़ी मात्रा में ड्रग्स पकड़ी जा रही हैं।’
गृह मंत्री अमित शाह ने नशीले पदार्थों के खिलाफ सख्त नीति अपनाई है। 30 जुलाई को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने चंडीगढ़ से शाह की वर्चुअल मौजूदगी में, दिल्ली, चेन्नई, गुवाहाटी और कोलकाता में जब्त किए गए 30,000 किलोग्राम से ज्यादा नशीले पदार्थों को आग के हवाले कर दिया। अमित शाह ने कहा, ‘पिछले साल हमने 75,000 किलो नशीले पदार्थों को नष्ट करने का संकल्प लिया था, और अब मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि आज तक हम 82,000 किलो नशीले पदार्थों को जला चुके हैं और 15 अगस्त तक एक लाख किलोग्राम के आंकड़े तक पहुंच जाएंगे।’
शाह ने कहा, 81 फीसदी ड्रग्स समुद्र के रास्ते आती हैं, लेकिन अब सरकार ने नशीले पदार्थों के कारोबार को खत्म करने के लिए सारे रास्ते बंद कर दिए हैं। उन्होंने कहा, ‘नौजवानों को ड्रग्स के क़हर से बचाना और तस्करी रोकना, दोनों ही बेहद अहम हैं।’
मैं अमित शाह की तारीफ करूंगा कि उन्होंने ड्रग माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। मौजूदा सरकार के शासन में अब तक यूपीए शासन की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा मात्रा में तस्करी किए गए ड्रग्स को जब्त किया जा चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष इस साल 15 अगस्त तक एक लाख करोड़ रुपये के ड्रग्स को जब्त करने का लक्ष्य रखा था, और गृह मंत्री अमित शाह उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
ये सब महज आंकड़े नहीं हैं। यह एक बहुत बड़े खतरे से देश को बचाने का काम है। ये ड्रग्स कितनी खतरनाक होती हैं, यह आपको सिर्फ उन परिवार वालों से मिलकर पता चलेगा जिनका कोई अपना ड्रग्स के नशे के जाल में फंस जाता है। मैंने कई परिवारों को ड्रग्स की वजह से बर्बाद होते देखा है। कौन नहीं जानता कि ‘हंसते खेलते पंजाब’ को ‘उड़ता पंजाब’ किसने बनाया? स्कूल और कॉलेज के स्टूडेंट्स हॉस्टल और इवेंट्स में ‘रेव पार्टी’ करते थे जहां धड़ल्ले से ड्रग्स का इस्तेमाल होता था।
मुझे लगता है कि ड्रग्स का मसला ऐसा है जिसके खिलाफ सरकार और विपक्ष को मिलकर लड़ना चाहिए। नौजवान आसानी से ड्रग्स का शिकार बन जाते हैं और देश खोखला होता जाता है। यह ऐसा मुद्दा है जिस पर नेताओं को पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर उठकर सोचना चाहिए, सियासत से ऊपर उठकर बोलना चाहिए।
ऐसे समय में जब सुरक्षा एजेंसियां तस्करों को पकड़ने और पाकिस्तानी मंसूबों को नाकाम करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रही हैं, राहुल गांधी द्वारा ड्रग्स की बरामदगी को तस्करों के साथ मिलीभगत से जोड़ना हैरान करता है। उन्हें तो हमारे सुरक्षा बलों की सराहना करनी चाहिए।