Rajat Sharma

जहांगीरपुरी के दंगाइयों को बख्शा नहीं जाना चाहिए

akbकेंद्र सरकार ने जहांगीरपुरी दंगों के 5 मुख्य आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के सख्त प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है, लेकिन बुधवार की सुबह उस वक्त तनाव पैदा हो गया जब उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने इलाके से अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए 9 बुलडोजर भेज दिए। जहांगीरपुरी में भारी पुलिसबल तैनात किया गया ।

भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने ‘यथास्थिति’ बनाए रखने का निर्देश दिया, जिसके बाद अतिक्रमण हटाने के अभियान को रोक दिया गया। सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के 2 घंटे बाद बुलडोजर के पहिए थम गए।

दिल्ली बीजेपी प्रमुख आदेश गुप्ता ने उत्तरी MCD के मेयर को एक चिट्ठी लिखकर मांग की थी कि ‘दंगाइयों द्वारा किए गए सभी अवैध अतिक्रमणों की पहचान की जानी चाहिए और उन पर बुलडोजर चलने चाहिए।’ अपनी चिट्ठी में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने आरोप लगाया, ‘इन असामाजिक तत्वों और दंगाइयों को आम आदमी पार्टी के स्थानीय विधायक और पार्षद का समर्थन प्राप्त है और इसके परिणामस्वरूप इन लोगों ने बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किया है।’

सैकड़ों पुलिसकर्मियों के इलाके के चप्पे-चप्पे पर तैनात होने के बाद 9 बुलडोजरों ने जहांगीरपुरी में अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त करना शुरू किया। यह वही जगह थी जहां शनिवार की शाम हनुमान जयंती के जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी, जिसके बाद पथराव, झड़प और आगजनी हुई थी।

जिन 5 मुख्य आरोपियों के खिलाफ सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है, उनके नाम हैं अंसार शेख, सलीम चिकना, सोनू उर्फ इमाम शेख, दिलशाद और अहीद। दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि अंसार अपने 4-5 साथियों के साथ आया और हनुमान जयंती शोभायात्रा के आयोजकों के साथ बहस करने लगा। प्राथमिकी में कहा गया है कि बहस जल्द ही हिंसक हो गई और दोनों पक्षों की तरफ से पथराव किया गया। प्राथमिकी के बाद गृह मंत्रालय ने दंगाइयों के खिलाफ NSA के तहत कड़ी कार्रवाई करने का फैसला किया। सोनू उर्फ इमाम शेख को 4 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है। सोनू ने कुबूल किया है कि उसने गुलाम रसूल उर्फ गुल्ली से पिस्टल ली थी। गुलाम रसूल उर्फ गुल्ली को भी गिरफ्तार किया गया है।

दिल्ली पुलिस की टीमों ने हिंसा से जुड़े करीब 500 वीडियो जब्त किए हैं। एक वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि कुशल चौक के पास हनुमान जी के रथ पर पत्थर, ईंट और कांच की बोतलें बरसाईं जा रही थीं। दूसरा वीडियो हिंसा शुरू होने से ठीक पहले का है, जिसमें साफ दिख रहा है कि हिंसा की शुरुआत किसने की थी। एक अन्य वीडियो में दंगाई लाठियां, तलवारें और बंदूकें लहराते हुए नजर आ रहे हैं।

पहले वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि भगवान हनुमान के ‘रथ’ पर पत्थरों और बोतलों की बौछार हो रही है। वीडियों में कुछ लड़के ये कहते सुनाई दे रहे हैं, ‘चाचा ये ठीक नहीं हो रहा है।’ सड़क पर कांच की बोतलों के टूटने की आवाजें भी सुनाई देती हैं। तभी 2 लोग हिम्मत करके बजरंग बली की मूर्ति को खींच कर ले जाते हैं। उस वक्त भी बजरंग बली की मूर्ति पर कांच की बोतलें और पत्थर बरसाए जा रहे थे।

वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि पत्थर और बोतलें कौन फेंक रहा था। एक अन्य वीडियो में किसी की पिस्तौल से फायरिंग की आवाज आती है। वीडियो में नजर आता है कि C ब्लॉक (एक मुस्लिम बहुल इलाका) में रहने वाले लोग हजारों की तादात में कुशल चौक पर जमा हो जाते हैं और सभी के हाथ में लाठी, डंडे और कांच की बोतले होती हैं। मौके पर कुछ पुलिसवाले भी मौजूद होते हैं लेकिन वे भीड़ के हिंसक हो जाने के चलते हालात को काबू में नहीं कर पाते। भीड़ पुलिस का घेरा तोड़कर बार-बार आगे बढ़ने की कोशिश करती है। इसी बीच पास की मस्जिद से अजान की आवाज आने लगती है।

एक अन्य वीडियो में, हथियारों से लैस पुलिस की एक बड़ी टीम के घटनास्थल पर पहुंचने के बाद भीड़ तितर-बितर होती नजर आ रही है। लेकिन तब तक आस-पास की इमारतों की छतों से पत्थरबाजी शुरू हो गई थी। अंधेरा हो चुका था, पुलिस सड़क पर थी और पत्थरबाज इमारतों की छतों से हमला कर रहे थे, पथराव कर रहे थे, बोतलें फेंक रहे थे। एक अन्य वीडियो में पुलिस दंगाइयों को पत्थर और बोतलें फेंकने से रोकने के लिए इमारतों पर आंसू गैस के गोले दागती हुई दिखाई दे रही है। तभी दूर से गोलियों की आवाज सुनाई देती है।

ये वीडियो कुछ सवालों के जवाब तो देते ही हैं। दावा किया जा रहा था कि हनुमान जयंती मना रहे लोगों ने मस्जिद पर भगवा झंडा फहराने की कोशिश की थी, और तब मस्जिद में नमाज पढ़ने पहुंचे लोगों ने इसका विरोध किया, जिससे हिंसा हुई। यह दावा गलत निकला है। एक के बाद एक वीडियो दिखाते हैं कि यह एक पूर्व नियोजित सांप्रदायिक हिंसा थी। मस्जिद के पास कोई झड़प नहीं हुई थी और शोभायात्रा मस्जिद के सामने से निकल चुकी थी। तब तक मोहल्ले में शांति थी, लेकिन कुशल चौक पर पथराव शुरू हो गया।

ये वीडियो उस झूठ से भी पर्दा उठा देते हैं जिसमें कहा गया था कि जुलूस में शामिल होने वालों ने सबसे पहले पत्थर फेंके। सच तो यह है कि पत्थरबाजी मुस्लिम बस्ती से निकले लोगों ने शुरू की। इससे पहले हनुमान जयंती के दो जुलूस दिन में पहले ही शांति से गुजर गए थे और एक भी पत्थर नहीं फेंका गया था। शाम के जुलूस को निशाना बनाया गया, रथ को तोड़ दिया गया। अब मूर्ति और रथ दोनों इसी इलाके के मंदिर में रखे हैं। इलाके के लोगों में अब भी दहशत है।

मंगलवार की रात अपने शो ‘आज की बात’ में हमने 15 अप्रैल की रात करीब 2.11 बजे का एक अहम वीडियो दिखाया। इस सीसीटीवी वीडियो में दंगाई लाठियां इकट्ठी कर रहे थे, जिसका इस्तेमाल हिंसा के दौरान किया जाना था। पुलिस अब इन बदमाशों की पहचान कर रही है। दिल्ली पुलिस ने शांति बनाए रखने के लिए जहांगीरपुरी को 5 सेक्टरों में बांटा है। कुशल चौक से मस्जिद की तरफ जाने वाले रास्ते को सेक्टर 1, G ब्लॉक जाने वाले रास्ते को सेक्टर 2, जहां आगजनी हुई उसे सेक्टर 3, C ब्लॉक जाने वाले रास्ते को सेक्टर 4 और मस्जिद के सामने वाले इलाके को सेक्टर 5 में बांटा गया है।

अब दंगों के मास्टरमाइंड अंसार शेख के आपराधिक इतिहास पर एक नजर डालते हैं। 40 साल के इस शख्स पर 2009 में आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। उस पर 2011 से 2019 तक जुआ अधिनियम के तहत 3 मुकदमे दर्ज किए गए थे और 2013 में उस पर आईपीसी की धारा 509, 323 और 509 के तहत मामला दर्ज किया गया था। जुलाई 2018 में, अंसार पर धारा 186 और 353 (सरकारी कर्मचारी पर हमला और सरकारी काम में बाधा डालने) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

अंसार कबाड़ का धंधा करता है और चौथी कक्षा तक पढ़ा है। जहांगीरपुरी के C ब्लॉक का रहने वाला अंसार इलाके में काफी पहचाना जाता है। जैसे-जैसे उसका क्रिमिनल रिकॉर्ड बढ़ता गया वैसे-वैसे इलाके में उसकी सक्रियता अवैध पार्किंग से उगाही, सट्टे और नशे के कारोबार में बढ़ती गई। पुलिस का कहना है कि इन तमाम कामों से उसकी हर महीने लाखों की कमाई है। वह प्रोटेक्शन मनी की आड़ में रंगदारी वसूलता है। सूत्रों के मुताबिक, घटना वाली शाम को अंसार के पास मस्जिद से फोन आया था जिसके बाद वह अपने साथियों के साथ पहुंचा और शोभायात्रा में शामिल लोगों से बहस और झगड़ा किया। पुलिस को आशंका है कि अंसार को गुप्त सूत्रों से फंडिंग भी की गई थी।

पश्चिम बंगाल के हल्दिया के मूल निवासी अंसार का जन्म 1980 में जहांगीरपुरी C ब्लॉक में हुआ था। हरियाणा के मेवात के नूह में रहने वाले मुस्लिम परिवारों से उसकी रिश्तेदारी है। उसकी लग्जरी कारों के बारे में सूत्रों ने बताया कि उसने किसी को फाइनेंस किया था जिसके बदले में उसने कर्जदार की BMW कार कुछ समय के लिए अपने पास रखी थी। सूत्रों ने कहा कि अंसार के पास पुरानी लग्जरी गाड़ियां और अकूत दौलत हो सकती है, जो कि उसने छिपा रखी हो। राज मल्होत्रा के नाम से उसकी एक फर्जी फेसबुक प्रोफाइल है जिसमें उसने बंदूक पकड़े हुए, सोने की ज्वेलरी पहने, लग्जरी कारों के पास पोज देते हुए और करेंसी नोटों की गड्डियां दिखाते हुए कई तस्वीरें पोस्ट की हैं। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि अंसार ने फेसबुक पर हिंदू नाम से फर्जी प्रोफाइल क्यों बनाई थी।

ये वीडियो इस बात की तरफ साफ इशारा करते हैं कि एक पूर्व नियोजित साजिश के तहत हनुमान जयंती की शोभायात्रा को घेरा गया था और इसमें शामिल लोगों पर पत्थर, ईंट और कांच की बोतलों से हमला किया गया था। इसके जवाब में मुस्लिम नेताओं का कहना है कि शोभायात्रा के लिए कोई इजाजत नहीं ली गई थी। वहीं, हिंदू नेताओं का सवाल है कि क्या बगैर इजाजत के शोभायात्रा निकालने पर उन पर पत्थर बरसाए जाएंगे। हिंदू नेता कहते हैं कि मुसलमान बगैर इजाजत के सड़कों पर ‘नमाज’ पढ़ते हैं, लेकिन हिंदुओं ने तो कभी नमाजियों पर पत्थर नहीं बरसाए।

मुस्लिम नेताओं का आरोप है कि हनुमान जयंती पर शोभायात्रा निकालने वालों के पास तलवारें थी, जिसके जवाब में हिंदू नेता कहते हैं कि ये सब रामलीला का सामान था और तलवारों से लेकर तीर-कमान तक, सब नकली थे। दोनों तरफ से इस तरह के जो तर्क दिए जा रहे हैं, उनका कोई अंत नहीं हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या इन दंगों की भड़काने के पीछे एक बड़ी साजिश थी? क्या इस इलाके के लोगों को हथियार सप्लाई किए गए? क्या लोगों को शोभायात्रा पर हमला करने के लिए उकसाया गया था? चूंकि पुलिस अभी मामले की जांच कर रही है, इसलिए हमें नतीजे का इंतजार करना चाहिए।

आरोपियों के खिलाफ सख्त ऐक्शन लेने के साथ-साथ पुलिस ने पूरी दिल्ली में निगरानी बढ़ा दी है। जिन इलाकों में तनाव की थोड़ी-बहुत भी आशंका है, उन सभी इलाकों में फोर्स तैनात की गई है। कई इलाकों में ड्रोन से नजर रखी जा रही है। शांति समितियां सभी वर्गों से आधारहीन अफवाहें और झूठ न फैलाने की अपील जारी कर रही हैं। मंगलवार को जहांगीरपुरी की जामा मस्जिद से भी शांति बनाए रखने और अफवाहें न फैलाने की अपील की गई। पुलिस ने समुदाय के नेताओं से कहा है कि अगर कोई सोशल मीडिया पर आधारहीन अफवाहें फैलाता है तो इसकी सूचना दी जाए। यह एक अच्छी पहल है। मुझे लगता है कि इसका अच्छा असर होगा।

दंगाइयों पर NSA के तहत मामला दर्ज किया गया है, और एक बड़ी साजिश की जांच चल रही है। पुलिस पहले ही हिंसा में शामिल सभी लोगों की पहचान कर चुकी है। लेकिन पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद आरोपी न तो यह बता रहे हैं कि उन्हें किसने भड़काया, और न यह बता रहे हैं कि हथियार कहां से आए। पुलिस की जांच में इस्लामिक संगठन PFI का जिक्र आया है, लेकिन सबूत जुटाने में समय लगेगा। केंद्र किसी को भी नहीं बख्शने वाला है और पहले से ही कड़ी कार्रवाई की जा रही है। सच जल्द ही सामने आ जाएगा। दंगा करने वाला चाहे हिंदू हो या मुसलमान, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

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