Rajat Sharma

I.N.D.I.A. सम्मेलन से ठीक पहले अडानी के खिलाफ OCCRP रिपोर्ट क्यों छपी?

AKBदो बड़ी और चौंकाने वाली खबरें आई, पर दोनों खबरों मे वस्तुस्थिति कम, अटकलें ज्यादा है. पहली खबर ये कि सरकार ने अचानक संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक बुलाने का ऐलान किया. दूसरी खबर, OCCRP (Organized Crime and Corruption Reporting Project) नामक पत्रकारों की एक संस्था ने अड़ानी ग्रुप पर शेयरों के दाम बढ़ाने के लिए फर्जी निवेश का इल्जाम लगा दिया. आरोप लगाया गया कि अड़ानी ने अपना पैसा विदेश भेजकर अपनी ही कंपनियों में पूंजी लगाई. शेयर खरीदे, कीमत बढ़ाई. OCCRP नाम के इस संगठन ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि उसके पास इन आरोपों को साबित करने के सबूत नहीं हैं लेकिन अड़ानी ग्रुप के इंटरनल कम्युनिकेशन और फाइनेंशियल ट्रांजिक्शनस इसकी तरफ इशारा करते हैं. अगर जांच हो तो आरोप साबित हो सकते हैं. अब सवाल ये है कि जो संगठन रिपोर्ट जारी कर रहा है, वो खुद कह रहा है कि सबूत नहीं हैं तो फिर उसने इल्जाम क्यों लगाए? रिपोर्ट जारी क्यों की? इसका मकसद क्या है? और इस रिपोर्ट के आधार पर जो खबरें छपीं उसको लेकर राहुल गांधी ने एक बार फिर अडानी का नाम लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला किया. OCCRP कहने को तो ये दुनियाभर के इन्वेस्टीगेटिव जर्नलिस्ट्स का संगठन है, लेकिन हकीकत ये है कि ये संगठन जॉर्ज सोरोस जैसे अरबपति कारोबारी के पैसे से चलता है. जॉर्ज सोरोस ने ही हिंडनबर्ग की फंडिंग की थी जिसने इससे पहले अडानी ग्रुप के खिलाफ रिपोर्ट पब्लिश की थी. OCCRP की रिपोर्ट भी हिंडनबर्ग जैसी ही है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अड़ानी ग्रुप में अपनी कंपनियों में गुमनाम विदेशी फंड के जरिए करोड़ों डॉलर इन्वेस्ट किए गए. अडानी ग्रुप ने गुपचुप तरीके से खुद अपना ही पैसा विदेश भेजा और फिर उसी पैसे से अडानी ग्रुप के शेयर खरीदे. इसके लिए पैसे को मॉरीशस से रूट किया गया. OCCRP का दावा है कि उसने मॉरीशस के रास्ते हुए ट्रांजेक्शंस और अडानी ग्रुप के इंटरनल ईमेल्स को देखा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि उसकी जांच के मुताबिक कम से कम दो मामले ऐसे हैं जहां निवेशकों ने विदेशी कंपनियों के जरिए अडानी ग्रुप के शेयर खरीदे और बेचे हैं. OCCRP की रिपोर्ट में दो निवेशकों नासिर अली शबान अली और चांग चुंग-लिंग का नाम शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये लोग अडानी परिवार के सम्बे समय से बिजनस पार्टनर्स हैं. हालांकि इसी रिपोर्ट में OCCRP ने दावा किया है कि इस बात का अभी तक कोई सबूत नहीं है कि चांग और नासिर अली ने जो पैसा लगाया है वह अडाणी परिवार ने दिया था, लेकिन रिपोर्टिंग और दस्तावेजों से साफ है कि अडानी ग्रुप में उनका निवेश अडानी परिवार के साथ अंडरस्टैंडिंग के साथ किया गया था. इस रिपोर्ट में गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी का नाम भी आ रहा है. डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक जिन OffShore कंपनियों से पैसा इंवेस्ट किया गया, उसके जो 2 लाभार्ती हैं, वे दोनों विनोद अडाणी के जानकार हैं. विनोद अडाणी दुबई में ही रहते हैं और वहीं से सिंगापुर और इंडोनेशिया में ट्रेडिंग का काम करते हैं. OCCRP की ये रिपोर्ट London के गार्जियन और फिनेंशियल टाइम्स जैसे अखबारों ने छाप दी और कांग्रेस को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला करने का मौका मिल गया. राहुल गांधी गार्जियन और फिनेंशियल टाइम्स की कटिंग लेकर आए थे. उन्होंने इन्हें रिपोर्टर्स को दिखाया और कहा कि दिल्ली में G-20 का शिखर सम्मेलन होने जा रहा है, ऐसे वक्त में अगर प्रधानमंत्री पर एक औद्योगिक घराने के साथ मिलीभगत का इल्जाम लगता है, ये गंभीर मसला है. इसलिए सबसे पहले तो ये पता लगना चाहिए कि जो पैसा विदेश गया .और वापस अडानी की कंपनी में लगा, वो पैसा किसका है? अडानी ग्रुप ने बिना देर किए बयान जारी किया, साफ कर दिया कि OCCRP ने जो दावे किए हैं, वह सच्चाई से कोसों दूर, कल्पना पर आधारित, मनगढ़ंत और बदनीयती से भरे हैं. बयान में कहा गया कि जॉर्ज सोरोस के फंड से चलने वाले संगठन ने विदेशी मीडिया की मदद से एक बार फिर हिंडनबर्ग रिपोर्ट को ज़िंदा करने की कोशिश की है. ये रिपोर्ट एक ऐसे दावे पर आधारित है जिसे DRI यानी डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस दस साल पहले जांच के बाद खारिज कर चुका है. अडानी ग्रुप ने कहा कि कि इस तरह के दावों की जांच एक स्वतंत्र adjudicating authority और एक अपील ट्राइब्यूनल ने भी की थी और ये पाया कि इसमें ओवर वेल्यूएशन जैसा कोई मामला नहीं था और जो कुछ किया गया सब कानून के मुताबिक था. बयान में कहा गया कि ये केस सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था और इसी साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने अडाणी ग्रुप के पक्ष में फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए जो एक्सपर्ट कमेटी बनायी थी उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग की सीमा को तोड़ा नहीं गया है. अडाणी ग्रुप ने साफ कहा कि इस तरह की रिपोर्ट जारी करने वाले संगठन ने कंपनी का पक्ष जानने के लिए सवाल तो भेजे थे लेकिन ग्रुप की तरफ से जो जवाब भेजे गए उनको नहीं छापा गया. ये इस संगठन की बदनीयती का सबूत है. अब आपको एक दिलचस्प बात बताता हूं. .राहुल गांधी की इस प्रैस कॉन्फ्रैस को OCCRP ने भी प्रमोट किया था. OCCRP ने राहुल की प्रैस कॉन्फ्रैस से पहले अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा कि उसकी रिपोर्ट पर भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी प्रेस क़ॉन्फ्रेंस करने वाले हैं. अब बीजेपी के नेता पूछ रहे हैं कि ये रिश्ता क्या कहलाता है. दूसरी बात, OCCRP की रिपोर्ट में जिस चांग चूंग लिंग का नाम आया है, उसे राहुल गांधी ने अपनी प्रैस कॉन्फ्रैस के दौरान बार बार चीनी नागरिक बताया और मोदी से सवाल पूछे. लेकिन हकीकत में चांग चूंग ताइवान का है और ये बात OCCRP की रिपोर्ट में लिखी है. अब ये गलती राहुल ने जानबूझ कर की या अनजाने में, ये वही बता सकते हैं. वैसे राहुल गांधी ने अडानी का नाम लेकर नरेन्द्र मोदी को निशाना कोई पहली बार नहीं बनाया है. राहुल गांधी कांग्रेस के नेताओं से कह चुके हैं कि किसी भी तरह नरेन्द्र मोदी की छवि को बर्बाद करना है, इसके लिए जो भी करना पड़े, करेंगे, कोई मौका नहीं छोड़ेंगे. पहले राहुल ने राफेल डील में भ्रष्टाचार का इल्जाम लगा कर मोदी पर कीचड़ उछाला लेकिन सुप्रीम कोर्ट में लिखकर माफी मांगनी पड़ी. फिर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आ गई. राहुल गांधी पिछले आठ महीने से हिंडनबर्ग की रिपोर्ट लेकर घूम रहे हैं. उन्होंने संसद में उठाया, JPC की मांग को लेकर संसद में हंगामा किया, संसद का एक पूरा सत्र बेकार गया. फिर विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल ने इसको लेकर मोदी पर हमले किए. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी गठित करके जांच करवा ली. कमेटी ने अडानी ग्रुप को क्लीनचिट दे दी. मैंने भी इस मुद्दे पर गौतम अडानी से “आपकी अदालत” में तीखे सवाल पूछे थे. गौतम अडानी ने कहा था कि उन्होंने एक पैसा का भी हेरफेर नहीं किया है, पूरी जिंदगी में नियम कायदों का पालन किया है. वो न जांच से डरते हैं, न आरोपों से घबराते हैं. उनकी बात सही साबित हुई. अब राहुल गांधी का सबसे फेवरेट जुमला “अडानी-मोदी भाई भाई” बेकार हो गया तो अचानक जॉर्ज सोरेस के पैसे से चलने वाली OCCRP ने फिर एक रिपोर्ट जारी कर दी. जार्ज सोरेस को “एजेंट ऑफ केयोस” (अराजकता का एजेंट) कहा जाता है. वो कई बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ ग्लोबल फोरम में बयानबाजी कर चुका है. उस जॉर्ज सोरेस की मदद से बनी इस रिपोर्ट पर भरोसा करके राहुल गांधी फिर मोदी पर हमला कर रहे हैं. अब राहुल को इस रिपोर्ट से कोई राजनीतिक फायदा होगा या इससे मोदी की छवि धूमिल होगी, इसकी संभवना तो नहीं दिखती. लेकिन इस रिपोर्ट की टाइमिंग पर गौर करना जरूरी है. जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई थी, उसी दिन संसद का सत्र शुरू होना था. और क्या ये इत्तेफाक है कि जब मुंबई में विरोधी दलों के नेताओं की मीटिंग शुरू हो रही है, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, लालू यादव जैसे 28 पार्टियों के 63 बड़े बड़े नेता मुंबई पहुंच चुके हैं, उसी वक्त OCCRP की रिपोर्ट छपी ?

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