पंजाब के सीमावर्ती इलाकों से बेहद सनसनीखेज और चौंकानेवाली रिपोर्ट आई है। इन इलाकों में मिशनरियों द्वारा सिख युवकों को बहला फुसला कर, लालच देकर उनका धर्म बदलवाने की कोशिश की जा रही है। उन्हें सिख से क्रिश्चियन बनाने का अभियान चलाया जा रहा है। धर्मांतरण का यह अभियान खासकर पंजाब के उन इलाकों में चलाया जा रहा है जो पाकिस्तान बॉर्डर से जुड़े हुए हैं। बटाला, गुरदासपुर, जालंधर, लुधियाना, फतेहगढ़ चूड़ियां, डेरा बाबा नानक, मजीठा, अजनाला और अमृतसर के ग्रामीण इलाकों से ऐसी खबरें आई हैं। श्री अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने आरोप लगाया है कि ईसाई मिशनरी गरीब सिख युवकों को लालच देकर उनका धर्मातरण करवा रही है।
कुछ मामलों में तो इन सिख युवकों को पैसे और अन्य चीजों जैसे अमेरिका, कनाडा के वीजा का लालच भी दिया जा रहा है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर ने मिशनरी के इस अभियान का जवाब देने के लिए सिख प्रचारकों और उपदेशकों की करीब 150 टीमों को भेजा है। इस टीम का मकसद सिख युवाओं को धर्म परिवर्तन नहीं करने के लिए उन्हें समझाने की कोशिश करना है। इस टीम के लोग गांव-गांव जाकर सिख धर्म के महत्व बात रहे हैं ताकि किसी तरह की धर्मांतरण की कोशिशों का मुकाबला किया जा सके। हर टीम में सात प्रचारक हैं और उन्हें पंजाब के माझा, मालवा और दोआबा वाले इलाकों में भेजा गया है। एजीपीसी ने इस अभियान का नाम ‘घर घर अंदर धर्मसाल’ दिया है। जिसका मतलब है ‘हर घर के अंदर एक पवित्र मंदिर’।
बीबी जागीर कौर ने कहा –‘हमारे प्रचारकों की टीम हर गांव में एक सप्ताह तक रहती है, वे सिख संगत को गुरबानी, सिख ‘रेहत मर्यादा’ (आचार संहिता), सिख इतिहास और धार्मिक सिद्धांतों के पाठ के लिए उन्हें बुलाते हैं। लोगों को धर्मांतरण से रोकने के लिए सिख धर्म पर मुफ्त धार्मिक साहित्य बांटे जाते हैं।”
ईसाई धर्म में धर्मांतरण के बढ़ते मामलों ने सिख धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों के बीच चिंता पैदा कर दी है। ईसाई प्रचारकों की ‘प्रार्थना सभा’ का मुकाबला करने के लिए, सिख प्रचारक हर शाम गुरुद्वारों के अंदर बच्चों को बुलाकर उन्हें गुरबानी का सही उच्चारण के साथ पाठ सिखाने के साथ ही सिख धर्म के बारे में जागरूकता पैदा करने का काम करते हैं। इस अभियान का समापन ‘अमृत संचार’ (दीक्षा संस्कार) के साथ होता है।
ईसाई मिशनरी के लोग पाकिस्तान की सीमा से लगे पंजाब के ग्रामीण इलाकों में बसों से जाते हैं और वहां वे अपने धर्म को फैलाने की कोशिश करते हैं। उनका ध्यान ज्यादातर दलित मजहबी सिखों पर रहता है और उन्हें धर्मांतरण के लिए प्रलोभन देते हैं। मिशनरी के लोग गांवों में मीटिंग करते हैं और दलित मजहबी सिख युवाओं को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करते हैं। इतना ही नहीं युवाओं को लालच भी दिया जाता है। उन्हें अमेरिका और कनाडा जैसे विकसित देशों में अच्छा जीवन जीने का प्रोलभन दिया जाता है। सोशल मीडिया पर इस तरह के वीडियो सर्कुलेट हो रहे हैं जिसमें ज्यादातर बार्डर इलाकों में सिख युवाओं का धर्मांतरण करने की कोशिश की जा रही है। बॉर्डर इलाकों में चल रही इस गतिविधि से स्वाभाविक तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
बुधवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने आपको अकाली दल नेता मनजिंदर सिंह सिरसा द्वारा भेजा गया वीडियो दिखाया। यह वीडियो लुधियाना जिले के गांव का हैं। यहां सिख बुजुर्गों ने ईसाई प्रचारकों की एक टीम को गांव छोड़ने के लिए कहा। मिशनरी के लोग घर-घर जाकर लोगों से धर्म बदलने के लिए कह रहे थे। गांव के बुजुर्ग सिखों ने मिशनरी के लोगों से कहा कि पंजाब दसवें बादशाह की भूमि है और उन्हें यहां ईसाई धर्म का प्रचार करने की जरूरत नहीं है।
हमारे रिपोर्टर पुनीत परिंजा ने धनूर गांव के एक स्थानीय सिख नेता गुरमेल सिंह बात की और उनसे वीडियो की सच्चाई के बारे में पूछा। गुरमेल सिंह ने कहा- करीब 10 से 15 दिन पहले 25 से 30 ईसाई प्रचारक गांव में आए और पर्चे बांटने लगे, जिसमें लिखा था, ‘हमारे साथ जुड़ें, हम आपको भगवान के रास्ते पर ले जाएंगे’। गांव के कुछ लोगों ने हमारे रिपोर्टर को बताया कि मिशनरी के लोग ईसाई धर्म अपनाने के लिए नौकरी और पैसे का ऑफर दे रहे थे।
अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इंडिया टीवी को बताया कि मिशनरी के लोगों ने सिख युवकों को वीजा का इंतजाम और उन्हें अमेरिका या कनाडा में बसाने की पेशकश कर उन्हें लुभाने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे प्रचारक पंजाब के कई जिलों में सक्रिय हैं। श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा, ‘जो कुछ भी हो रहा है वह सिख धर्म पर हमला है। चर्च के मिशनरी लोगों को गुमराह कर रहे हैं और प्रलोभन दे रहे हैं। यह एक बड़ा खतरा है। सिख समाज को आगे आना चाहिए और इस खतरे से पूरी ताकत से लड़ना चाहिए।’
हमारे रिपोर्टर ने पंजाब पुलिस के सीनियर अधिकारियों को यह वीडियो दिखाया। डीएसपी रैंक के एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें अब तक जबरन धर्म परिवर्तन की कोई शिकायत नहीं मिली है, लेकिन अब जब ये वीडियो सामने आया है, तो पुलिस गांववालों से बात करेगी और इस मामले की जांच करेगी।
एसजीपीसी प्रमुख बीबी जागीर कौर ने इंडिया टीवी से कहा कि जो लोग सिखों को अपना धर्म अपनाने को लेकर भ्रम फैला रहे हैं, उन्हें मालूम होना चाहिए कि सिख धर्म की जड़ें बहुत गहरी हैं। हमारा धर्म इतना मज़बूत है कि कोई भी इस पर अपना प्रभाव नहीं डाल सकता। किसी भी धर्म का साया यहां नहीं पड़ सकता। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह के प्रलोभन या लालच से धर्मांतरण में मदद नहीं मिलेगी।
बीबी जागीर कौर ने कहा, ‘हमारा किसी से कोई मुकाबला नहीं है और हमें किसी का डर नहीं है। हमारा धर्म इतना मज़बूत है कि कोई भी इस पर अपना प्रभाव नहीं डाल सकता। किसी भी धर्म का साया यहां नहीं पड़ सकता। हमें अपना काम करना है। हमारा अपना फर्ज है कि हम अपने लोगों के बीच सिख धर्म के सिद्धांतों को फैलाने के लिए अपने स्वयं के अभियान को जारी रखेंगे। अगर कोई कमज़ोर व्यक्ति होगा तो फिर वो किसी लालच के वास्ते किसी और धर्म में जा सकता है। सिख कभी भी अपना धर्म परिवर्तन नहीं कर सकता। जिन लोगों ने धर्म परिवर्तन किया है मैं उन्हें सिख ही नहीं मानती। उसकी सोच सिख की नहीं हो सकती। उसका कोई सिद्धांत नहीं हो सकता। सिख कभी बहक नहीं सकता। जो सिख होता है वो अपने धर्म पर कभी आंच नहीं आने देता। सिखों को बचपन से ही धर्म की खातिर सर्वोच्च बलिदान देना सिखाया जाता है।’
हमने ईसाई मिशनरी का भी पक्ष जानना चाहा और चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया के रेवरेंड सुनील सोलोमन से इस संबंध में पूछा तो उन्होंने कहा- ‘हमारे प्रचारक ईसा मसीह के बताए रास्ते पर चलते हुए प्यार से लोगों को अपने धर्म के बारे में बताते हैं। हम जबरन धर्मांतरण के खिलाफ हैं। अब यह लोगों पर निर्भर है कि वे किस धर्म को चुनना चाहते हैं।’
जब मैंने पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय ईसाई मिशनरियों के बारे में रिपोर्ट पढ़ी तो मुझे हैरत हुई। क्रिश्चियन मिशनरी सिख समाज के लोगों को कनवर्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। क्या वो नहीं जानते कि सिख समाज का इतिहास अपने धर्म की रक्षा के लिए बलिदान की गाथाओं से भरा पड़ा है।
क्या उन्हें नहीं मालूम कि गुरु तेग बहादुर ने कश्मीरी पंडितों को कन्वर्जन से बचाने के लिए तलवार उठाई थी। गुरु तेग बहादुर ने इस्लाम कबूल करने से इनकार कर दिया था और हंसते-हंसते कुर्बान हो गए थे। गुरु गोविंद सिंह के बहादुर बेटों ने भी इस्लाम कबूल करने से इनकार किया तो उन्हें दीवार में चिनवा दिया गया। धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने अपनी जान न्योछावर कर दी। अगर ईसाई मिशनरियों ने सिखों के बलिदान का इतिहास पढ़ा होता तो शायद वो कभी ऐसी कोशिश नहीं करते।
दूसरी बात ये कि सिख समाज में सेवा की भावना कूट कूट कर भरी है। कोई भूखा ना सोए इसलिए गुरुद्वारों में लंगर चलते हैं। चाहे प्राकृतिक आपदा हो या फिर मानवजनित घटनाएं, सिख समाज के लोगों को भोजन मुहैया कराने के लिए सबसे आगे रहते हैं। हर गरीब के इलाज का, पढ़ाई का, दवाई का मुफ्त इंतजाम किया जाता है। इसीलिए मुझे ये देखकर हैरानी हुई कि दूरदराज गांवो में रहने वाले सिखों को लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की गई।
हालांकि ये सही है कि पंजाब के नौजवानों में कनाडा और अमेरिका जाकर काम करने का और वहां बसने का बहुत क्रेज़ है। वहां का वीजा मिलना, नौकरी मिलना बहुत मुश्किल हो गया है। ये ऐसा लालच है जो कुछ लोगों को क्रिश्चन बनने के लिए ललचा सकता है लेकिन मुझे यकीन है कि अब एसजीपीसी अलर्ट है। जत्थेदार और सिख साहेबान मैदान में उतर गए हैं। क्रिश्चियन मिशनरी का ये मिशन सफल नहीं हो पाएगा। सिख धर्म में गुरु नानक देव की वाणी में इतनी शक्ति है कि भूले-भटकों को भी घर वापस ले आती है। सिख समाज ने देश की रक्षा के लिए जो बलिदान दिए हैं उसके लिए देश हमेशा-हमेशा उनका ऋणी है।