Rajat Sharma

गुजरात में तूफान : सभी सुरक्षित रहें, यही प्रार्थना

akb fullइस वक्त पूरे देश में गुजरात तट पर पहुंचे भयंकर तूफान को लेकर चिंता है. साइक्लोन बिपरजॉय गुजरात में बड़ी तबाही मचा सकता है. गुजरात में सागर तट से दस किलोमीटर तक के इलाके को खाली करवा लिया गया है. NDRF, SDRF, कोस्ट गार्ड्स के साथ साथ थल सेना, नौसेना, वायु सेना को भी आपदा के वक्त मदद के लिए तैयार रहने को कहा गया है. करीब 94 हज़ार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है, गुजरात के सात जिलों पर भारी खतरा है. बिपरजॉय अति भयंकर कैटेगरी का तूफान है, इसके रास्ते में आने वाले हर इलाके में तबाही तय है. ये ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसे रोकना, या उसकी तीव्रता को कम करना इंसान के बस का नहीं हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी की मदद से नुकसान को कम करने का वक्त हमें मिल गया है. तूफान जब तट से डेढ़ हजार किलोमीटर दूर था उसी वक्त इसकी ताकत का अंदाज हो गया. इसके नुकसान को कम करने के लिए सरकार को छह दिन का वक्त मिल गया. सरकार ने इस वक्त का पूरा इस्तेमाल करके पूरे इलाके को खाली करवा लिया है. बचाव के सारे इंतजाम कर लिए गये हैं, इसलिए उम्मीद तो है कि गुरुवार को जब तूफान तट से टकराएगा, तो कोई बुरी खबर नहीं आएगी. लेकिन फिर भी सावधानी जरूरी है.

बिहार में नीतीश को टक्कर देने का बीजेपी फॉर्मूला

नीतीश कुमार 23 जून को पटना में विपक्षी नेताओं के जमावड़े की तैयारी में लगे हैं, लेकिन बीजेपी उससे पहले बिहार को छोटे दलों को NDA में शामिल करके नीतीश की इस कोशिश को हल्का करने की रणनीति बना रही है . जीतनराम मांझी के बेटे ने नीतीश के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. इंडिया टीवी के पॉलीटिकल एडीटर देवेन्द्र पारशर ने जानकारी दी है कि एक दो दिन में जीतनराम मांझी NDA में शामिल होने का एलान कर सकते हैं. .देवेन्द्र ने बताया कि मांझी के अलावा उपेन्द्र कुशवाहा NDA में शामिल हो सकते हैं. इन सभी सहयोगियों को कितनी सीटें दी जाएंगी, कौन सी सीटें दी जाएंगी, उन सीटों को चिन्हित करने का काम चल रहा है. जीतनराम मांझी, उपेन्द्र कुशवाहा और चिराग पासवान की पार्टियों को कौन सी सीट देनी है, किन किन सीटों पर बीजेपी का उम्मीदवार होगा, ये सब तय हो चुका है. अब बिहार बीजेपी के नेताओं को इसके बारे में विश्वास में लिया जा रहा है. बुधवार को केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के घर पर बीजेपी के बड़े नेताओं की बैठक हुई. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी को दिल्ली बुलाया गया था. बिहार बीजेपी के नेताओं की राय लेने के बाद छोटी पार्टयों के साथ सीटों के बंटवारे पर फैसला हो सकता है. खबर है कि जीतनराम मांझी अपने बेटे संतोष सुमन को लोकसभा का चुनाव लड़वाना चाहते हैं. बीजेपी संतोष सुमन के लिए गया की सीट छोड़ने को तैयार है. इसी तरह कोशिश ये की जा रही है कि रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस के बीच समझौता करा दिया जाए. चिराग़ पासवान हाजीपुर सीट पर दावा ठोंक रहे हैं. इस सीट से फिलहाल उनके चाचा और केन्द्रीय मंत्री पशुपति पारस सांसद हैं. चिराग को साथ लेने के लिए बीजेपी, पशुपति पारस को हाजीपुर सीट छोड़ने के लिए मनाने की कोशिश कर रही है. कुल मिलाकर कोशिश ये है कि पटना में विरोधी दलों के नेताओं की मीटिंग से पहले बीजेपी बिहार में NDA का विस्तार कर ले. बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी होने के बावजूद नीतीश कुमार 2005 के बाद से अब तक यानी करीब 18 साल से सत्ता पर काबिज़ हैं. इसकी एक ही वजह है, बिहार के जातिगत समीकरण ऐसे हैं जिसमें नीतीश भले ही अकेले चुनाव न जीत पाएं लेकिन वो जिसके साथ हो जाते हैं, उसके जीतने की संभावना बढ़ जाती है. वह जब बीजेपी के साथ होते हैं तो बीजेपी को फायदा होता है. इसीलिए गहरी राजनीतिक दुश्मनी होने के बाद भी लालू ने नीतीश को गले लगाया और सरकार में आ गए. चूंकि नीतीश ने दो दो बार बीजेपी को धोखा दिया इसलिए अब बीजेपी नीतीश के राजनीतिक समीकरणों को तोड़ना चाहती है. बीजेपी बिहार की सभी छोटी पार्टियों को एकजुट करके ऐसा फॉर्मूला तैयार करना चाहती है जिससे बिहार में ही नीतीश को मात दी जा सके. इससे दो फायदे होंगे, एक – बिहार जाति की राजनीति से मुक्त होगा, दूसरा – नीतीश बिहार से विपक्षी एकता का जो संदेश देना चाहते हैं, उसकी धार कम हो जाएगी.

क्या बीजेपी स्टालिन की सरकार को गिराना चाहती है?

चेन्नई में बुधवार को सुबह जब ED ने 18 घंटे की पूछताछ के बाद तमिलनाडु के बिजली मंत्री सेंथिल बालाजी को गिरफ्तार किया, तो मंत्री जी रो-रो कर चीखने लगे, कहा, उनके सीने में दर्द है, उन्हें फौरन सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने कहा कि उनकी बाइपास सर्जरी होगी. ये गिरफ्तारी 2011 से 2016 के बीच हुई परिवहन निगम में भर्तियों में पैसे लेकर नौकरियां देने के मामले में हुई. सेंथिल बालाजी पर कैश फॉर जॉब स्कैम का इल्जाम लगा था, उस वक्त जयललिता की सरकार थी, सेंथिल बालाजी परिवहन मंत्री थे. सरकारी नौकरी देने के बदले बड़े पैमाने पर रिश्वत लेने के इल्जाम लगे थे. चेन्नई पुलिस ने जांच के बाद इस केस में सेंथिल समेत 47 लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी. इसके बाद सेंथिल DMK में शामिल हो गए और स्टालिन की सरकार में मंत्री बन गए. चूंकि इस केस में बड़े पैमाने पर कैश के लेन देन की बात सामने आई थी, इसलिए ED ने जांच शुरू की. सेंथिल को समन किया, लेकिन हाईकोर्ट ने रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने रोक हटा ली, तो ED फिर सक्रिय हो गई. पिछले तीन दिन में ED ने सेंथिल और उनके सहयोगियों के ठिकाने पर छापे मारे, सेंथिल के घर और उनके दफ्तर में भी तलाशी हुई. हर जगह ED की टीम सेंथिल को साथ लेकर गई. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. सेंथिल इस वक्त अस्पताल में हैं लेकिन उनकी गिरफ्तारी को लेकर सियासत शुरू हो गई. रात में तमिलनाडु सरकार के तमाम मंत्री सेंथिल से मिलने अस्पताल पहुंच गए. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन भी सेंथिल से मिलने पहुंचे. स्टालिन ने कहा कि बीजेपी के इन हथकंडों से उनकी पार्टी डरने वाली नहीं है, 2024 में बीजेपी को सबक सिखाया जाएगा. स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने CBI को राज्य में जांच के लिए दी गई सहमति भी वापस ले ली है. तमाम विरोधी दलों ने बीजेपी को कोसा. कांग्रेस, RJD, आम आदमी पार्टी, जेडीयू, NCP समेत कई विरोधी दलों के नेताओं ने कहा कि अब तो इस बात में कोई शक नहीं है कि बीजेपी डर गई है, .इसीलिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल हथियार की तरह किया जा रहा है. चूंकि सेंथिल DMK के नेता हैं, स्टालिन की सरकार में मंत्री हैं, स्टालिन विपक्ष के साथ हैं, 23 जून को पटना में होने वाली विरोधी दलों के नेताओं की बैठक में हिस्सा लेने भी जाएंगे, इसलिए अगर उनकी सरकार के मंत्री को सेंट्रल एजेंसी गिरफ्तार करती है तो विपक्षी दलों का समर्थन मिलना लाजमी है, इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए. लेकिन इस घोटाले के जो तथ्य़ हैं, उनको नज़रअंदाज नहीं किय़ा जा सकता. स्टालिन आज कुछ भी कहें लेकिन वो इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि कैश फॉर जॉब घोटाले का मामला उन्हीं की पार्टी ने उठाया था. चूंकि उस वक्त सेंथिल AIADMK में थे, इसलिए स्टालिन ने सेंथिल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. पुलिस इस केस में चार्जशीट फाइल कर चुकी थी. सेंथिल को आरोपी बनाया गया था लेकिन जब वही सेंथिल DMK में शामिल हो गए तो स्टालिन की सरकार ने उनके खिलाफ लगे सारे आरोप वापस ले लिए. ये भी नहीं भूलना चाहिए कि ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने ED को जांच करने और कार्रवाई करने का आदेश दिया. उसके बाद ही कार्रवाई शुरु हुई. इसलिए मुझे लगता है कि कानून को अपना काम करने देना चाहिए. हां, ये सही है कि सेंथिल की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए उन्हें बेहतर से बेहतर इलाज मिले, इसकी चिंता होनी चाहिए लेकिन इसको लेकर मल्लिकार्जुन खरगे, सुप्रिया सुले और संजय राउत ये कहें कि जैसे एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र में तोड़ा, उसी तरह अब बीजेपी तमिलनाडु में सरकार को अस्थिर करना चाहती है, तो मुझे लगता है कि ये बात किसी के गले नहीं उतरेगी.

बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को उनकी जगह बता दी

महाराष्ट्र में एक दूसरे किस्म का ड्राम चल रहा है. बुधवार को सीएम एकनाथ शिन्दे ने यू-टर्न ले लिया. असल में हुआ ये कि एकनाथ शिन्दे की शिवसेना की तरफ से बुधवार को फिर सारे अखबारों में एक विज्ञापन छपा. मंगलवार को जो विज्ञापन छपा था, उसमें एकनाथ शिन्दे को देवेन्द्र फडनवीस से ज्यादा लोकप्रिय मुख्यमंत्री बताया गया था. मंगलवार के विज्ञापन में देवेन्द्र फडनवीस की तस्वीर नहीं थी, लेकिन बुधवार को जो विज्ञापन छपा उसमें बाला साहेब ठाकरे और फडनवीस की भी तस्वीरें थी. इसमें कहा गया था कि एकनाथ शिन्दे और देवेन्द्र फडनवीस की सरकार को महाराष्ट्र की जनता पसंद कर रही है, 49 परसेंट से ज्यादा लोगों ने सरकार के काम पर संतोष जताया है. दावा किया गया कि बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन अटूट है, दोनों पार्टियां मिलकर काम करती रहेंगी. जैसे ही ये विज्ञापन छपा, महाराष्ट्र के विरोधी दलों के नेताओं ने चुटकी ली. संजय राउत ने पूछा कि सिर्फ चौबीस घंटे में एकनाथ शिन्दे की हीरोगिरी खत्म कैसे हो गई? ऐसा क्या हुआ कि शिन्दे को फडनवीस की भी फोटो छापनी पड़ी? राउत ने कहा है कि नए विज्ञापन में शिंदे की पार्टी के मंत्रियों की तस्वीरें तो हैं लेकिन बीजेपी के मंत्रियों की नहीं. उन्होंने कहा कि 40 विधायकों वाली पार्टी 105 विधायकों वाली पार्टी पर राज कर रही है, बीजेपी-शिंदे सरकार दो महीने से ज्यादा नहीं चलने वाली है. संजय राउत जो कह रहे हैं उसमें सच्चाई है. ये बात बिल्कुल सही है कि जिस तरह से कल एकनाथ शिन्दे की पार्टी ने बड़े बड़े विज्ञापन छपवाकर शिन्दे को देवेन्द्र फडनवीस से ज्यादा लोकप्रिय बताने का दावा किया, उससे बीजेपी में जबरदस्त नाराजगी है. बीजेपी के नेताओं ने पार्टी के भीतर और सार्वजनिक मंचों पर भी इसको लेकर नाराजगी जाहिर की. बीजेपी के राज्यसभा सांसद अनिल बोंडे ने कहा, मेंढक खुद को कितना भी फुला ले हाथी नहीं बन सकता, लगता है शिंदे को भी वैसी ही गलतफहमी हो गई है जैसी उद्धव ठाकरे को थी. उधर, शिंदे की सरकार मे मंत्री शंभूराजे देसाई ने कहा कि जांच करके इस बात का पता करेंगे कि विज्ञापन किसने छपवाया. इस पर एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा कि इसमें जांच की क्या जरुरत है, ये तो अखबार के दफ्तर से आसानी से पता लग सकता है, अजित पवार ने कहा कि असली बात ये है कि एकनाथ शिंदे को ये समझ में आ गया था कि अगर विज्ञापन से यू टर्न नहीं लिया था उनकी कुर्सी खतरे में आ जाएगी. अब बीजेपी के नेता थोड़ा नरम रूख अपना रहे हैं. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि विज्ञापन को लेकर खटास जरुर थी लेकिन अब नए विज्ञापन के बाद सब कुछ ठीक हो गया है. बावनकुले ने कहा कि परिवार में झगड़े होते रहते हैं, लेकिन अब मामला सुलझ गया है. बावनकुले भी जानते हैं कि एकनाथ शिन्दे ने जानबूझकर खुद को देवेन्द्र फडनवीस से बड़ा नेता साबित करने के लिए विज्ञापन छपवाया था. लेकिन जब बीजेपी के तेवर देखे तो यू-टर्न ले लिया और अब ये बहाना बनाया जा रहा है कि कल पता नहीं किसने विज्ञापन छपवा दिया. मैं अजित पवार की दाद देना चाहूंगा. उन्होंने कल ही कह दिया था कि कल सुबह देखिएगा दूसरा विज्ञापन छपेगा, जिसमें शिन्दें छोटे हो जाएंगे. उनकी बात सही निकली. लेकिन ये कैसे हुआ? क्यों हुआ? इसकी हकीकत मैं आपको बता देता हूं. मुझे जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक, मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में बीजेपी के नेताओं ने शिन्दे को उनकी जगह दिखा दी. बैठक में देवेन्द्र फडनवीस भी मौजूद थे. जैसे ही बैठक में सरकारी कामकाज खत्म हुआ, अफसरों को बाहर जाने को कहा गया. इसके बाद बीजेपी के मंत्रियों ने शिन्दे से साफ पूछा कि वो आखिर क्या चाहते हैं? इस तरह का विज्ञापन क्यों छपवाया? शिन्दे के पास कोई जबाव नहीं था. बीजेपी के नेताओं ने यहां तक कहा कि हकीकत ये है कि अगर बीजेपी मदद न करे तो शिन्दे की रैलियों में इतने लोग भी नहीं पहुंचते कि कुर्सियां भर जाएं. बीजेपी के कुछ मंत्रियों ने शिन्दे से कहा कि अगर इस तरह गलती को ठीक न किया गया तो बीजेपी दिखा देगी कि कौन कितने पानी में है. इसके बाद एकनाथ शिंदे बैकफुट पर आ गए. उन्होंने उसी वक्त वादा किया कि कल ही इस गलती को ठीक करेंगे, कल नया विज्ञापन देंगे. उसी के बाद रात में ही मैटेरियल तैयार हुआ, अखबारों को फुल पेज विज्ञापन दिया गया जो बुधवार को छपा. हालांकि इससे देवेन्द्र फडनवीस की नाराजगी कम नहीं हुई है. बुधवार को महाराष्ट्र राज्य परिवहन के प्रोग्राम में एकनाथ शिंदे और देवेन्द्र फडणवीस दोनों को शामिल होना था, लेकिन फडणवीस नहीं गए. उन्होंने तबीयत खराब होने की बात कही. हालांकि जब ये कार्यक्रम चल रहा था उसी वक्त फडणवीस अपने घर में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश खन्ना से मुलाकात कर रहे थे. मतलब साफ है कि शिन्दे की हरकत से देवेन्द्र फडणवीस के दिल पर चोट लगी है. और इसे भरने में वक्त लगेगा.

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