Rajat Sharma

कोरोना महामारी: रूस भारत को 85 करोड़ स्पूतनिक V वैक्सीन उपलब्ध कराएगा

AKBकोरोना के मामले हर रोज बढ़ते ही जा रहे हैं। हर दिन मौत और संक्रमण के नए मामलों का रिकार्ड टूट रहा है। गुरुवार को देशभर में कोरोना वायरस के 3,86,452 नए मामले सामने आए और 4 लाख के आंकड़े को छूने के करीब है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक गुरुवार को देशभर में 3,498 लोगों की मौत के साथ ही इस संक्रमण से अबतक कुल 2,08,330 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर का गंभीर संकट लगातार बना हुआ है। इसके बावजूद पिछले 24 घंटे में कोरोना के 2,97,540 मरीजों ने इस संक्रमण को मात दी है।

मैंने तमाम स्वास्थ्य विशेषज्ञों से बात की और पूछा कि ये ट्रेंड कब रूकेगा, हम पीक पर कब पहुंचेंगे, कोरोना की लहर कब खत्म होगी? सबका एक ही जबाव है कि कोई नहीं जानता कि ये लहर कब खत्म होगी? अगर दूसरी लहर खत्म हो गई तो तीसरी आएगी। महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही अपने डॉक्टर्स को कोरोना की तीसरी लहर का सामना करने के लिए अलर्ट कर दिया है। कोरोना को पर काबू पाने का एक ही उपाय है और वो है वैक्सीनेशन। इसीलिए इस वक्त देश में सबसे ज्यादा फोकस वैक्सीनेशन पर है।

तीसरे चरण के वैक्सीनेशन के लिए शुक्रवार सुबह तक 3.45 करोड़ लोगों ने CoWin ऐप पर अपने नाम रजिस्टर्ड करा चुके थे। देश में अबतक 15.22 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। पिछले 24 घंटों में 19 लाख से ज्यादा कोविड टेस्ट किए गए। अब सवाल ये है कि देश में 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन देने के लिए इतनी डोज (खुराक) कहां मिलेगी? देश की कुल जनसंख्या 135 करोड़ में से 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों की आबादी 91 करोड़ हैं। सबको वैक्सीन को दो डोज देने के लिए कम से सम 180 करोड़ डोज की जरूरत होगी। पिछले तीन महीने में भारत सरकार राज्यों को 16 करोड़ 16 लाख वैक्सीन डोज ही उपलब्ध करा पाई है। अब तक 15.22 करोड़ डोज लोगों को दिए जा चुके हैं। राज्यों के पास फिलहाल उनके स्टॉक में एक करोड़ डोज बाकी हैं और अगले तीन दिन में केन्द्र सरकार बीस लाख डोजे औऱ सप्लाई करेगी। लेकिन इतने से काम तो चलने वाला नहीं है। सौ करोड़ से ज्यादा डोज कहां से आएगी? केन्द्र सरकार इसी का इंतजाम करने में लगी है, सारे रास्ते तलाशे जा रहे हैं।

कुछ न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक पता ये चला है कि इस काम में रूस भारत की मदद करेगा। रूस भारत को स्पूतनिक V की 85 करोड़ डोज उपलब्ध कराएगा। रूस के डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड ने स्पुतनिक V वैक्सीन की 85 करोड़ डोज बनाने के लिए पांच भारतीय कंपनियों के साथ करार किया है। मई के शुरुआती सप्ताह से स्पूतनिक V वैक्सीन की डोज बड़े पैमाने पर भारतीयों को दी जाएगी। स्पूतनिक V को 12 अप्रैल को भारत सरकार की एक्सपर्ट कमेटी से आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिली, जिससे यह भारत में उपयोग के लिए मंजूरी पाने वाला तीसरा टीका बन गया। मई के पहले हप्ते से स्पूतनिक V की डिलीवरी भी शुरू हो जाएगी। रूस सबसे पहले 1.5 लाख से 2 लाख डोज की आपूर्ति करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सप्ताह की शुरुआत में वैक्सीनेशन के मुद्दे पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत की थी। स्पूतनिक V की वैक्सीन की पहली खेप थोक में आएगी और फिर यहां पर इस कंपनी की भारतीय पार्टनर डॉ. रेड्डीज इसका डिस्ट्रिब्यूशन का इंतजाम करेगी। इसके बाद स्पूतनिक V का निर्माण भारत में डॉ. रेड्डीज की लैब में होगा। अन्य वैक्सीन की तरह स्पूतनिक V की भी दो डोज 21 दिन के अंतराल पर लेनी होगी।

उधर, कोरोना वैक्सीन के घटते स्टॉक के कारण गुरुवार को मुंबई में कई जगहों पर वैक्सीनेशन को रोकना पड़ा। मुंबई में NESCO के वैक्सीनेशन सेंटर में सुबह-सुबह स्टॉक खत्म हो गया और सैकड़ों लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ा। कुछ अन्य सेंटर्स पर भी दो-दो किमी लंबी कतार में लोगों को तेज धूप और गर्मी में अपनी बारी का इंतजार में देखा गया। लॉकडाउन के बावजूद ये लोग वैक्सीन की उम्मीद में इन सेंटर्स में आते हैं, धूप में खड़े रहते हैं और फिर खाली हाथ घर लौटना पड़ता है। यही वजह है कि गुरुवार को इनका सब्र जवाब दे गया। वैक्सीनेशन सेंटर्स के कर्मचारियों से इनकी बहस हो गई और फिर बीच-बचाव करने के लिए पुलिस को आना पड़ा। यही दृश्य मुंबई के राजावाड़ी अस्पताल में भी देखने को मिला। गुरुवार देर शाम को बीएमसी ने स्टॉक में कमी के कारण 30 अप्रैल से 2 मई तक तीन दिनों के लिए वैक्सीनेशन अभियान स्थगित करने की घोषणा कर दी।

महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब सरकार ने घोषणा की है कि वैक्सीन के बहुत कम स्टॉक के कारण वे 1 मई से 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए वैक्सीन अभियान को शुरू नहीं कर पाएंगे। पंजाब के पंचकुला में 45 साल से ऊपर के लोगों को भी वैक्सीन नहीं मिल रही है। ये चारों राज्य ऐसे हैं जहां गैर-बीजेपी सरकार है। अच्छा तो ये होता कि वे केंद्र के साथ मिलकर, सहयोग के जरिए इस अभियान को फिलहाल छोटे पैमाने पर शुरू करते और फिर स्टॉक की स्थिति में सुधार होने पर वैक्सीनेशन अभियान को गति देते।

उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले ही इस कमी से निपटने के लिए एक करोड़ वैक्सीन डोज इम्पोर्ट (आयात) करने का ऑर्डर दे दिया और यह घोषणा की है कि वह 1 मई से प्रतीकात्मक रूप से राज्य में यूनिवर्सल वैक्सीनेशन अभियान शुरू करने जा रही है।

इस बीच, पिछले नौ दिनों में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन 67 फीसदी बढ़ा है। हालांकि जमीनी स्तर पर अभी-भी ऑक्सीजन की भारी कमी है। अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के कारण हाल ही में मेरठ में 21 मरीजों की मौत हो गई है। कोरोना मरीजों के रिश्तेदार ऑक्सीजन सिलेंडरों को भरने के लिए इधर-उधर मारे फिर रहे हैं, लेकिन ज्यादतर को खाली हाथ लौटना पड़ता है। ग्रेटर नोएडा में एक ऑक्सीजन प्लांट के बाहर अपने ऑक्सीजन सिलेंडर को रिफिल करने के लिए लोगों की लंबी कतारें लगी हुई थीं। मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई यूपी, दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र में तेज गति से हो रही है। लेकिन कोरोना के मरीजों को अस्पताल में बेड और वेंटिलेटर नहीं मिल पा रहे हैं।

अगर कोरोना के ताजा मामलों में बढ़ोतरी को नियंत्रण में लाया जाता है तो आनेवाले दिनों में ऑक्सीजन की सप्लाई और अस्पताल में बेड की उपलब्धता में सुधार हो सकता है। आर्म्ड फोर्स और रेलवे की मदद से केंद्र और राज्य सरकारें मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं। हम सभी को हालात सुधरने की उम्मीद करनी चाहिए।

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