Rajat Sharma

क्या श्रीलंका अपने संकट से उबर पाएगा?

akb fullश्रीलंका में इस वक़्त अराजकता है, प्रधानमंत्री के दफ्तर और राष्ट्रपति के महल पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा है, और पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे अपनी पत्नी के साथ गुरुवार को सऊदी एयरलाइंस की फ्लाइट पर सवार होकर मालदीव से सिंगापुर पहुंच गए। मालदीव की सेना की स्पेशल फोर्स उन्हें प्लेन तक लेकर गई थी।

शुक्रवार को होने वाले संसद सत्र को रद्द कर दिया गया क्योंकि संसद भवन से कई किलोमीटर दूरी तक हजारों लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों को संसद परिसर में घुसने से रोकने के लिए सेना ने संसद की ओर जाने वाली मुख्य सड़क को रोक दिया है।

इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और पूर्व मंत्री बासिल राजपक्षे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि जब तक उनके खिलाफ मौलिक अधिकारों पर याचिका का निपटारा नहीं हो जाता, वे देश नहीं छोड़ेंगे। विपक्षी श्रीलंका फ्रीडम पार्टी ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाएगी, जो अब बतौर कार्यवाहक राष्ट्रपति काम कर रहे हैं।

कई जगहों से झड़पों की खबरें आई हैं, साथ ही सेना ने आरोप लगाया है कि हिंसक प्रदर्शनकारियों ने बुधवार की रात 2 जवानों पर बेरहमी से हमला कर उनसे दो T-56 ऑटोमैटिक राइफलें और मैगजीन छीन ली। झड़पों में 84 लोग घायल हुए हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

कोलंबो में गुरुवार मध्याह्न 12 बजे से शुक्रवार सुबह 5 बजे तक फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया है और प्रदर्शनकारियों को सार्वजनिक स्थानों पर कब्जा छोड़ने के लिए कहा गया है। हालांकि प्रदर्शनकारियों, जिनमें ज्यादातर युवा हैं, ने सरकार के फरमान को नजरअंदाज ही किया है। इस बीच स्पीकर महिंदा अभयवर्धने ने कहा है कि उन्हें अभी तक राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे का इस्तीफा नहीं मिला है।

प्रदर्शनकारी कार्यवाहक राष्ट्रपति विक्रमसिंघे से इस बात से खफा हैं कि उन्होंने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को देश से भागने दिया। विक्रमसिंघे ने कुर्सी संभालते ही इमरजेंसी का ऐलान कर दिया और कोलंबो में कर्फ्यू लगा दिया। सेना और पुलिस से कहा गया है कि वे प्रदर्शनकारियों से सख्ती से निपटें, लेकिन ज्यादातर जगहों पर सेना और पुलिसकर्मी चुपचाप प्रदर्शन होते हुए देख रहे हैं। फिलहाल देखा जाए तो श्रीलंका में कोई सरकार नहीं है और शासन के स्तर पर सबकुछ ठहरा हुआ है।

इंडिया टीवी के संवाददाता टी. राघवन ने कई प्रदर्शनकारियों से बात की जिन्होंने पूरी सरकार में बदलाव की मांग की। वे खासतौर पर राजपक्षे परिवार के सदस्यों से नाराज थे, जिन्होंने देश पर राज करते हुए इसे ऐसी बर्बाद हालत में पहुंचा दिया।

बुधवार की रात अपने प्राइमटाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कि कैसे हजारों प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री के दफ्तर पर कब्जा कर लिया । बुधवार की सुबह उनका गुस्सा उस समय फूट पड़ा जब खबर आई कि गोटाबाया राजपक्षे अपनी पत्नी के साथ वायु सेना के ट्रांसपोर्ट प्लेन में सवार होकर श्रीलंका से भाग कर मालदीव पहुंच गए।

मालदीव में राजपक्षे के विमान को शुरू में एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने माले एय़रपोर्ट पर उतरने की इजाजत नहीं दी, लेकिन मालदीव के स्पीकर मोहम्मद नशीद के हस्तक्षेप के बाद एयरपोर्ट पर उसकी लैंडिंग हो गई। इसके बाद राजपक्षे और उनकी पत्नी को एक काफिले में किसी गुप्त जगह पर ले जाया गया। प्रदर्शनकारी कोलंबो में श्रीलंकन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन के हेडक्वॉर्टर में जबरन घुस गए और सरकारी टेलीविजन पर प्रसारण रोक दिया। जब तक प्रोग्राम को ऑफ एयर किया जाता, प्रदर्शनकारियों में से एक न्यूज ऐंकर की टेबल से बोलने लगा।

कई प्रदर्शनकारी श्रीलंका फ्रीडम पार्टी और जनता विमुक्ति पेरामुना जैसे विपक्षी दलों के समर्थक लग रहे थे। राजपक्षे परिवार के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ यूनाइटेड नेशनल पार्टी की हालत अब बिखराव की ओर है। श्रीलंका की जनता राजपक्षे परिवार के शासन के दौरान हुए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार से नाराज़ है। वह गोटाबाया राजपक्षे की इस बात से काफी नाराज है कि पहले उन्होंने इस्तीफा देने का वादा किया और फिर कहा कि वह विदेश यात्रा पर गए हैं और विक्रमसिंघे को अस्थायी तौर पर अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया है।

श्रीलंका की वायु सेना को एक बयान जारी करके सफाई देनी पड़ी कि गोटाबाया ने बतौर राष्ट्रपति उन्हें आदेश दिया था कि मालदीव की यात्रा के लिए उन्हें एयरफोर्स का एक प्लेन उपलब्ध कराया जाए। मालदीव के स्पीकर मोहम्मद नशीद ने गोटाबाया और उनकी पत्नी को मालदीव में लैंड होने में मदद की। दरअसर, कुछ साल पहले जब मालदीव में मोहम्मद नशीद का परिवार संकट का सामना कर रहा था, तब राजपक्षे परिवार ने ही उन्हें श्रीलंका में शरण दी थी। उस समय राजपक्षे परिवार ने मोहम्मद नशीद की पत्नी और उनकी बेटियों को अपने घर में रखा था। अब जब राजपक्षे परिवार मुसीबत में है, तो मोहम्मद नशीद ने उनकी मदद की।

श्रीलंका में अब आगे क्या होगा, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने स्पीकर से अपील की है कि संसद एक नया प्रधानमंत्री चुने जो जनता के साथ-साथ सत्ता पक्ष और विपक्ष, सभी को मंजूर हो।

इस बात में कोई शक नहीं कि श्रीलंका में अगर सरकार बदल भी जाए तो आर्थिक हालात सुधरने में और रोजमर्रा की चीजें सस्ती मुहैया कराने में वक्त लगेगा। श्रीलंका को न्यूनतम विकास दर हासिल करने के लिए दूरदर्शी आर्थिक नीतियों के साथ बड़े पैमाने पर पूंजीनिवेश की जरूरत है। श्रीलंका पर इस वक्त 4 लाख करोड़ रुपये का विदेशी कर्ज है, जिसमें से करीब 2 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ 2026 तक चुकाना है। इसी साल 56 हजार करोड़ रुपये का विदेशी कर्ज वापस करना है, जबकि श्रीलंका का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 250 करोड़ रुपये ही रह गया है।

कुल मिलाकर श्रीलंका की हालत इस वक्त काफी खस्ता है । भारत ने अपनी तरफ से दवा, उर्वरक, डीजल-पेट्रोल और अनाज के रूप में श्रीलंका को सहायता भेजी है, और ये ऐसी चीजें हैं जिनकी उसे सख्त जरूरत भी है। भारत ने कहा है कि मुसीबत के वक्त में वह श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा रहेगा।

जब तक मौजूदा अराजक हालात खत्म नहीं हो जाते और नई सरकार नहीं बन जाती, तब तक इस बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता कि भविष्य में क्या होगा। हम सिर्फ उम्मीद कर सकते हैं कि श्रीलंका में राजनीतिक स्थिरता लौटेगी और हालात जल्द सामान्य होंगे ।

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