
बिहार की जिन 121 सीटों पर गुरुवार को पहले चरण का मतदान होना है, वहां प्रचार का शोर थम गया. प्रचार के आखिरी दिन नेताओं के बीच जबरदस्त जुबानी जंग हुई. बात धमकी तक पहुंच गई. दो FIR दर्ज हो गईं.
एक FIR केन्द्रीय मंत्री ललन सिंह के खिलाफ हुई, दूसरी FIR ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ दर्ज हुई. ललन सिंह ने मोकामा में अपने समर्थकों से कहा कि यहां एक शख्स है, बड़ा नेता बनता है, उसे वोटिंग के दिन घर से मत निकलने देना.
दूसरी तरफ असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार तौसीफ आलम ने RJD नेता तेजस्वी यादव को जीभ काट लेने, आंख निकाल लेने की धमकी दी. चुनाव आयोग ने कार्रवाई की और FIR दर्ज हुई.
लेकिन सबसे बड़ी सियासी खबर आई, गौरा बौराम सीट से. इस सीट पर VIP(विकासशील इंसान पार्टी) के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने अपने भाई संतोष सहनी की उम्मीदवारी को वापस लेने का एलान कर दिया.
मुकेश सहनी ने कहा कि अब वो इस सीट पर RJD के टिकट पर चुनाव मैदान में डटे अफजल अली का समर्थन करेंगे. सीटों के बंटवारे के समय गौरा बौराम की सीट VIP के खाते में गई थी लेकिन इससे पहले लालू यादव अफजल अली को टिकट दे चुके थे. अफजल अली ने पर्चा भी भर दिया था. अफजल अली ने नाम वापस लेने से इंकार कर दिया. तेजस्वी ने उन्हें समझाया, MLC बनाने का वादा किया, लेकिन वह नहीं माने. आखिरकार कैंपेन खत्म होने के बाद, वोटिंग से सिर्फ 40 घंटे पहले तेजस्वी और मुकेश सहनी को झुकना पड़ा.
लेकिन सवाल ये है कि गौरा बौराम सीट के लिए भेजे गये EVM में VIP का चुनाव निशान – नाव – छप चुका है. अब उम्मीदवारी वापस लेने से क्या होगा. मुकेश सहनी ने कहा कि EVM में दोनों पार्टियों के चुनाव निशान होने से खास नुकसान नहीं होगा. वोटिंग से पहले महागठबंधन के कार्यकर्ता वोटर्स का कन्फ्यूज़न दूर कर देंगे.
गौरा बौराम सीट पर मुकेश सहनी का इस तरह सरेंडर करना हैरान करने वाला है क्योंकि तेजस्वी यादव गौरा बोराम में मुकेश सहनी की पार्टी के लिए वोट मांगने पहुंचे थे. सोमवार को ही तेजस्वी ने बागी उम्मीदवार अफजल खान को RJD से निकालने का फैसला किया था. मंगलवार सुबह भी तेजस्वी यादव ने एक स्पेशल वीडियो मैसेज जारी करके बनाकर गौरा बौराम की सीट पर संतोष सहनी को जिताने की अपील की थी. 12 बजे तेजस्वी का वीडियो आया और शाम सात बजे मुकेश सहनी ने अफजल अली का समर्थन करने का फैसला किया.
सात घंटे में ऐसा क्या हुआ जिसके कारण तेजस्वी और मुकेश सहनी को सरेंडर करना पड़ा. ये बड़ा सवाल है. इस सवाल के जवाब के लिए गौरा बोराम सीट के जातिगत समीकरण को समझना जरूरी है.
गौरा बौराम सीट पर हार जीत के फैसले में मुस्लिम वोटर्स का बड़ा रोल होता है. यहां करीब 25 परसेंट मुस्लिम वोटर्स हैं. इसके अलावा 18 परसेंट दलित, 9 परसेंट यादव, और 23 परसेंट ब्राह्मण हैं. अफजल अली का इलाके में अच्छा प्रभाव है. वो मुस्लिम वोट काटते, इसका फायदा NDA के उम्मीदवार को मिलता. यही बात आखिरी वक्त में तेजस्वी और मुकेश सहनी की समझ में आ गई. इसलिए मुकेश सहनी ने अपने भाई को पीछे करके अफजल अली का समर्थन करने का फैसला किया.
तेजस्वी ने अफजल अली को समझाया भी, धमकाया भी, लेकिन अफजल अली अड़े रहे. ये रिस्क तेजस्वी ने क्यों लिया, ये समझने की ज़रूरत है.
जिस दिन से तेजस्वी ने मुकेश सहनी को डिप्टी चीफ मिनिस्टर का चेहरा घोषित किया, उसी दिन से असदुद्दीन ओवैसी बिहार के मुसलमानों को ये समझाने में लगे हैं कि तेजस्वी ने मुसलमानों को साथ धोखा किया.
ओवैसी सीमांचल के इलाके में नारे लगवा रहे हैं कि तीन परसेंट वाला डिप्टी सीएम बनेगा और 17 परसेंट वाला अब्दुल दरी बिछाएगा, मुसलमानों को बीजेपी का डर दिखाकर कब तक ठगा जाएगा, अब बिहार में ये नहीं चलने देंगे.
ओवैसी के इस नारे का असर मुस्लिम वोटर्स पर हो रहा है. तेजस्वी को मुस्लिम वोट बंटने का डर है. इसी डर के कारण अफजल मियां की लॉटरी लग गई.
ओवैसी की पार्टी के नेता तेजस्वी के खिलाफ कैसी कैसी बातें कर रहे हैं, इसका उदाहरण भी देखने को मिला. किशनगंज में AIMIM के उम्मीदवार तौसीफ आलम ने सैकड़ों लोगों की भीड़ के सामने तेजस्वी यादव की आंख निकालने, उंगली और जीभ काटने की धमकी दी. जिस वक्त तौसीफ आलम ने ये जहरीली बात कही, उस वक्त असदुद्दीन ओवैसी भी मंच पर थे लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी के नेता को संभलकर बोलने की हिदायत तक नहीं दी.
चूंकि तेजस्वी यादव ने असदुद्दीन ओवैसी को चरमपंथी कहा था, बस इसी बयान को मुद्दा बनाकर तौसीफ आलम ने तेजस्वी को कोसा. पहले उन्होंने तेजस्वी को नौंवी फेल बताया, फिर एक्सट्रिमिस्ट की स्पैलिंग पूछी, इसके बाद धमकी दी कि अगर ओवैसी के खिलाफ तेजस्वी यादव इसी तरह की बयानबाजी करते रहे तो उनकी ज़ुबान काट ली जाएगी और आंखें निकाल ली जाएंगी.
जैसे ही तौसीफ आलम का वीडियो सामने आया, RJD के कार्यकर्ताओं ने चुनाव आयोग कमीशन से शिकायत की. कुछ ही देर के बाद तौसीफ आलम के खिलाफ FIR दर्ज हो गई. तौसीफ आलम ओवैसी के पुराने साथी नहीं हैं. ओवैसी के प्रति उनका प्रेम नया-नया है. इससे पहले तौसीफ आलम चार बार बहादुरगंज से चुनाव जीत चुके हैं. चारों बार कांग्रेस के टिकट पर जीते. दबंग छवि वाले हैं. इसलिए ओवैसी ने उन्हें अपनी पार्टी के टिकट पर मैदान में उतार दिया. लेकिन ओवैसी से वफादारी साबित करने के चक्कर में तौसीफ धमकी वाली भाषा पर उतर आए. ओवैसी ने उन्हें टोका तक नहीं क्योंकि खुद को चरमपंथी कहे जाने से ओवैसी भी तेजस्वी से खफा हैं.
तौसीफ से माइक लेने के बाद ओवैसी ने भी तेजस्वी पर हमले जारी रखे. उन्होंने कहा कि मुसलमानों के कंधों पर बैठकर ही लालू यादव और तेजस्वी यादव सत्ता तक पहुंचे लेकिन कुर्सी मिलने के बाद दोनों ने सबसे पहले मुसलमानों को किनारे लगाया. इसलिए इस बार सीमांचल के लोग सारा हिसाब बराबर करेंगे.
ओवैसी तेजस्वी पर हमले करें, मुसलमानों को धोखा देने का इल्जाम लगाए, यहां तक तो ठीक है. लेकिन तौसीफ आलम ने तेजस्वी यादव के खिलाफ जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया, वो न तो लोकतंत्र की भाषा है और न ही सभ्य समाज की. इसीलिए उनके खिलाफ action तो बनता है. बेहतर होता ओवैसी अपनी पार्टी के नेता को मंच पर ही टोकते लेकिन उनकी अपनी राजनीतिक मजबूरियां हैं.
उधर योगी आदित्यनाथ बिहार में बीजेपी के स्टार कैम्पेनर बने हैं. योगी जहां भी जाते हैं, अच्छी खासी भीड़ उमड़ती है. लोग योगी की बातें सुनकर जोश में आ जाते हैं. योगी ने ज्यादातर प्रचार उन सीटों पर किया है, जहां मुस्लिम मतदाता ज्यादा हैं. योगी ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारों का इस्तेमाल करते हैं. योगी की दूसरी USP माफिया के खिलाफ action है. इसीलिए योगी जहां जाते हैं bulldozer अपने आप आ जाते हैं.
योगी ने कहा, उत्तर प्रदेश अब माफिया राज से बाहर आ चुका है, बिहार में भी अपराधियों की संपत्ति पर बुलडोजर चलेगा, यूपी में उनकी सरकार ने न सिर्फ माफिया को मिट्टी में मिलाया बल्कि उनकी अवैध संपत्ति पर बुलडोजर चलवाकर उस जमीन पर गरीबों के लिए मकान बना दिए हैं, यूपी में जब तक माफिया मौजूद हैं, तब तक उनका बुलडोजर न रुकेगा, न थमेगा.
योगी का प्लान : माफिया के महलों की मिट्टी पर गरीबों के मकान
बिहार की चुनावी रैली में योगी ने जो कहा उसका एक उदाहरण लखनऊ में दिखा. लखनऊ के पॉश डालीबाग कालोनी इलाके में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कब्जे से जो जमीन छुड़ाई गई थी, उस जमीन पर बने फ्लैटस की चाभी गरीबों को दे दी गई. लखनऊ विकास प्राधिकरण ने डालीबाग में बने 72 फ्लैट्स का आवंटन कर दिया. फ्लैट आर्थिक रूप से पिछड़े यानि EWS कैटेगरी के लोगों को दिए गए हैं.
सरदार पटेल के नाम पर बनी इस सोसाइटी में साफ पीने का पानी, सिक्योरिटी और दोपहिया वाहनों के लिए पार्किंग की सुविधा होगी. सोसाइटी के आसपास रोड्स और पार्क को भी डेवलेप किया गया है.
पहले इस जमीन पर मुख्तार अंसारी के बेटों के नाम पर एक बंगला बना था. तीन साल पहले इस बंगले पर बुलडोजर चला दिया गया था. मुख्तार के बेटों ने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक केस लड़ा लेकिन अदालतों ने फैसला लखनऊ विकास प्राधिकरण के पक्ष में दिया.
योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद इस ज़मीन पर गरीबों के लिए फ्लैट बनाए गए.
माफिया की जमीन पर गरीबों के लिए फ्लैट बनाने का Idea अच्छा है. मुख्तार अंसारी जैसे गुंडों ने सरकारी जमीन पर कब्जा किया था. कहीं महल, तो कहीं मार्केट बनाए थे.इन इलाकों में रहने वाले लोगों ने इसी को किस्मत का खेल मानकर सब्र कर लिया था लेकिन योगी आदित्यनाथ ने बाज़ी पलट दी. इससे समाज में एक अच्छा संदेश जाएगा.
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