भारतीय इतिहास में 5 अगस्त को एक ऐतिहासिक घटना होगी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के लिए भूमिपूजन करेंगे। वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत तथा अमित शाह, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस कार्यक्रम में बुलाया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी मंदिर परिसर के गर्भगृह में पांच में से दो चांदी की ईंटें रखेंगे, जिसके लिए राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने योजना तैयार की है। ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के प्रवक्ता महंत कमल नयन दास ने बताया कि चांदी की 5 ईंटें हिंदू ज्योतिष शास्त्र के पांच मुख्य ग्रहों का प्रतीक होंगी।
राम मंदिर की भव्यता बढ़ाने के लिए डिजाइन में कुछ बदलाव किए गए हैं। मंदिर की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई को बढ़ाया जाएगा। देश-विदेश से बड़ी संख्या में हिंदू भक्त भगवान राम लला का दर्शन करने आने वाले हैं, इसे ध्यान में रखते हुए पूरे मंदिर परिसर को एक विशाल क्षेत्र में फैलाया जाएगा। इसके लिए भारत के 10 मुख्य मंदिरों के बिल्डिंग प्लान का अध्ययन किया गया है और एक-एक बारीकी को समझा गया है।
इंडिया टीवी संवाददाता निर्णय कपूर ने, जिन्होंने मंदिर के नए डिजाइन को देखा है, बताया कि पहले के डिजाइन में सिर्फ दो गुंबद थे, लेकिन नए नक्शे में कुल पांच गुंबद हैं। पुराने नक्शे के मुताबिक राम मंदिर की लंबाई 310 फीट थी, चौड़ाई 160 फीट और सबसे ऊंचे शिखर की ऊंचाई 141 फीट थी। लेकिन बदले हुए प्लान के हिसाब से अब राम मंदिर की लंबाई 310 फीट से बढ़ाकर 360 फीट कर दी गई है और मंदिर की चौड़ाई 160 फीट से बढ़ाकर 235 फीट की गई है। नए प्लान के मुताबिक, मंदिर का सबसे ऊंचा शिखर गर्भ गृह के ऊपर बनेगा और उसकी ऊंचाई 141 फीट से बढ़ाकर 161 फीट कर दी गई है।
पुराने डिजाइन में तीन मंडप थे लेकिन अब उन्हें बढ़ाकर पांच कर दिया गया है। मंदिर के ढांचे में संतुलन लाने के लिए मुख्य मंडप में एक फ्लोर और जोड़ा गया है। 98 फीट ऊंचे गूढ़ मंडप के अगल-बगल 62.5 फीट ऊंचे कीर्तन मंडप और प्रार्थना मंडप बनाए जाएंगे। मुख्य मंडप के गुंबद को पहले ग्राउंड तथा पहले फ्लोर के ऊपर बनना था, लेकिन अब एक और फ्लोर जोड़ा गया है। इसलिए गूढ़ मंडप अब सेकेन्ड फ्लोर के ऊपर बनेगा, लेकिन मंडप के सेकंड फ्लोर पब्लिक की एंट्री के लिए नहीं खुलेंगे।
गूढ़ मंडप के आगे रंग मंडप होगा, इसकी ऊंचाई 76 फीट होगी। रंग मंडप ग्राउंड और पहली मंजिल पर होगा, इसके आगे यानि मंदिर की एंट्री पर 56 फीट ऊंचा नृत्य मंडप होगा, इसमें गुंबद ग्राउंड फ्लोर के ऊपर ही बना होगा।
शिखर के ग्राउंड फ्लोर पर जहां पर गर्भगृह है, वहां रामलला की मूर्ति स्थापित की जाएगी। उसके ऊपर वाले फ्लोर पर राम दरबार की मूर्तियां लगेंगी। ग्राउंड से फर्स्ट फ्लोर पर जाने के लिए सीढ़ियां होंगी, जिनकी चौड़ाई अब 6 फ़ीट से बढ़ाकर 16 फ़ीट करने की योजना है।
मंदिर की नक्काशी में कोई खास बदलाव नहीं है, क्योंकि पहले से जो पत्थर तराशे गए हैं उन सभी पत्थरों को मंदिर निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा। मंदिर की नींव मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर 60 मीटर नीचे से शुरु होगी।
मंदिर को विशाल रूप देने से पहले कई कारणों को ध्यान में रखा गया है। राम मंदिर का पुराना मॉडल गुजरात के जाने-माने आर्किटेक्ट चंद्रकांत सोमपुरा ने 1989 में तैयार किया था। 31 साल पहले जब राम मंदिर का पुराना मॉडल तैयार किया गया था तब अंदाजा ये लगाया गया था कि राम मंदिर में हर साल पांच लाख श्रद्धालु आएंगे। लेकिन अब लग रहा है कि हर साल साढ़े तीन करोड़ भक्त अयोध्या में रामलला के दर्शन करने पहुंचेंगे, यानि रोजाना एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु राम मंदिर में आएंगे।
डिजाइन में बदलाव से पहले सोमनाथ मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर, अंबाजी मंदिर, अक्षरधाम दिल्ली, काशी विश्वनाथ मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, जगन्नाथ पुरी, बद्रीनाथ मंदिर, अमृतसर स्वर्ण मंदिर और सांवलिया जी तीर्थ, चित्तौड़गढ़ मंदिर का अध्ययन किया गया, जिसके बाद तय किया गया कि राममंदिर के डिजायन में बदलाव जरूरी है।
राम जन्मस्थान पर मंदिर का पुनर्निर्माण 500 साल बाद होगा। सन् 1528 में मुगल बादशाह बाबर के समय मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी। भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम के जन्मस्थान पर मंदिर के पूनर्निर्माण के लिए कई सदियों से हिंदू साधू संत संघर्ष कर रहे थे।
अब जो मंदिर बनेगा वो हजारों सालों तक रहे, भव्य रहे, इस बात को ध्यान में रखते हुए मंदिर के डिजायन में बदलाव किए गए हैं। दूसरी बात ये है कि रामभक्त चाहते हैं मंदिर की भव्यता भी ऐसी होनी चाहिए जो दुनिया देखे। अब जो डिजायन बनाया गया है वो इसी भावना को ध्यान में रखकर बनाया गया है। जो डिजायन तैयार किया गया है उसके हिसाब से मंदिर का पूरा परिसर करीब 120 एकड़ पर फैला होगा। इसके लिए सरकार को कम से कम पचास एकड़ जमीन और अधिगृहित करनी होगी।
जब मंदिर बन कर तैयार होगा तो विशालता के लिहाज से यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मंदिर होगा। सबसे बड़ा मंदिर कंबोडिया में अंकुर वट का मंदिर है, इसके शिखर की ऊंचाई 213 फीट है और इसका परिसर 410 एकड़ में फैला है। विशालता के लिहाज से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर तमिलनाडु के तिरुचिरपल्ली में बना श्रीरंगनाथ स्वामी मंदिर है, भगवान विष्णु का ये मंदिर करीब 156 एकड़ में फैला है। इसके बाद तीसरे नंबर पर अयोध्या में बनने वाला भगवान राम लला का मंदिर होगा।
मंदिर का सिर्फ आकार बदला है, भव्यता और बढ़ाई गई है। लेकिन मूल प्लान में कोई बदलाव नहीं हुआ है, मंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय ही होगा और यह नागर स्थापत्य शैली में ही बनेगा।
आजाद भारत के इतिहास में ऐसा दूसरी बार होगा जब इतने बड़े मंदिर का पुर्नर्निमाण होगा। स्वतंत्रता के तुरंत बाद गुजरात में सोमनाथ मंदिर का पुर्ननिर्माण किया गया था और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उसका उद्घाटन किया था।
अयोध्या में राम जन्मस्थान को लेकर अंग्रेज़ों के ज़माने से कानूनी विवाद जारी था, जिसका समापन पिछले साल 2019 में हुआ । सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले को पूरे देश ने स्वीकार किया, और तब जाकर राम मंदिर के पुनर्निर्माण का रास्ता प्रशस्त हुआ। हमारे मुस्लिम भाइयों ने भी राम मंदिर के पुनर्निर्माण पर सहमति जताई।
वैसे देश में अभी भी ऐसे शरारती तत्व हैं जो आस्था से जुड़े मुद्दे पर सवाल उठाकर हमारे बहु-सांस्कृतिक समाज में जहर घोलने की कोशिश कर रहे हैं। इस तरह की साजिशों का जड़ से ही खात्मा कर देना चाहिए। ऐसे तत्वों को समझना चाहिए कि भगवान राम भारतीय आस्था और संस्कृति के आधार हैं। महात्मा गांधी की समाधि पर “हे राम” शब्द लिखे हैं, 1989 में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी के आदेश पर रामलला मंदिर के ताले खोले गए थे और सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि भगवान राम करोड़ों भारतीयों की आस्था के प्रतीक हैं।
आइए हम सभी अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान पर मंदिर के पुनर्निर्माण को एक उत्सव का रूप दें और 500 साल पहले की गई एक ऐतिहासिक भूल को ठीक करें।
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