Rajat Sharma

ओवैसी पर हमले की एक स्वर में निंदा होनी चाहिए

AKBचुनाव में जुबानी जंग और तीखी तकरार तो हो रही है लेकिन इस सियासी संग्राम में बोली की जगह गोली चलेगी यह नहीं सोचा था, लेकिन गुरुवार को ऐसा ही हुआ। एक बेहद निंदनीय घटना हुई। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के एक टोल प्लाजा पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी के काफिले पर दो युवकों ने 9 एमएम की पिस्टल से फायरिंग की। ओवैसी उस समय पश्चिमी यूपी में चुनाव प्रचार के बाद दिल्ली वापस लौट रहे थे।

पुलिस ने दोनों हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया है और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूछताछ में इन्होंने जो खुलासा किया है उसके मुताबिक दोनों एक हिंदू संगठन से जुड़े हैं। इनकी पहचान ग्रेटर नोएडा स्थित बादलपुर के रहनेवाले सचिन शर्मा और सहारनपुर निवासी शुभम के तौर पर हुई है। सचिन शर्मा लॉ का स्टूडेंट है। घटनास्थल से एक आल्टो कार भी बरामद की गई है।

सचिन शर्मा के फेसबुक अकाउंट में हिंदू कट्टरपंथी नेता यति नरसिंहानंद का एक वीडियो पाया गया। नरसिंहानंद को हाल ही में मुसलमानों के खिलाफ जहरीले बयान देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सचिन ने अपने एक पोस्ट में राम भक्त गोपाल के कारनामे का भी समर्थन किया था। राम भक्त गोपाल को वर्ष 2020 में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

ओवैसी पर फायरिंग हापुड़ जिले के पिलुखवा के पास छिजारसी टोल प्लॉजा पर हुई। पुलिस ने आगे की जांच के लिए कार, हथियार और टोल प्लाजा के वीडियो को जब्त कर लिया है। गुरुवार रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में मैंने ओवैसी से बात की। उन्होंने बताया कि किस तरह से उनपर हमला हुआ।

ओवैसी ने कहा- ‘हमलोग मेरठ से लौट रहे थे और जब हमारे काफिले की चार गाड़ियां टोल प्लाजा पर रुकीं तो अचानक मैंने एक तेज आवाज सुनी। मुझे बताया गया कि हमारे काफिले पर फायरिंग हो रही है। मैंने दो हमलावरों को देखा, एक लाल रंग की जैकेट पहने हुए था जबकि दूसरा सफेद रंग के कपड़े में था। मैंने अपने ड्राइवर को कार तेज करने को कहा और सामने वाली कार को टक्कर मार दी। दूसरी कार ने लाल जैकेट पहने शख्स को टक्कर मारी। इसी बीच दूसरे हमलावर ने हमारी फॉर्च्यूनर गाड़ी पर फायरिंग शुरू कर दी। गोली लगने से हमारी कार का टायर पंचर हो गया और टोल प्लाजा से करीब 5-6 किमी की दूरी पर हमलोग रुके।’

एआईएमआईएम चीफ ने कहा- ‘हमने तुरंत गाड़ी पर लगी गोलियों के निशान की तस्वीरें लीं और वीडियो बनाया। इसके बाद हमने वहां से तुरंत निकलने का फैसला किया। मैंने अपनी गाड़ी बदली और दिल्ली अपने घर पहुंचा। बाद में हमारे लोग घटनास्थल पर पहुंचे तो पता चला कि लाल रंग की जैकेट वाला हमलावर पकड़ लिया गया है और उसकी पिस्टल जब्त कर ली गई है। एडिशनल एसपी से मेरी बात हुई। उन्होंने कहा कि पुलिस हमारी गाड़ी का टेक्निकल और फॉरेंसिक जायजा लेगी। मैंने उनसे कहा कि जो भी करना है आप कीजिए लेकिन मेरी मांग है कि पुलिस इन दोनों हमलावरों के पीछे जो मास्टमाइंड है, उसका पता लगाए। क्योंकि जाहिर सी बात है कि वे लोग दिल्ली या मेरठ से मेरा पीछ कर रहे होंगे। और उन्हें पता था हमारा काफिला इस टोल प्लाजा पर रुकेगा।

ओवैसी ने कहा- ‘हमलावर हमसे मुश्किल से 10 कदम की दूरी पर होंगे। अल्लाह का करम है कि हमलोग बच गए। वरना वो लोग बुरा इरादा लेकर आए थे। यामीन और हमारी प्रजेंस ऑफ माइंड ने काम किया और हमने हाजी साहब की गाड़ी को पीछे से टक्कर मारी। हालांकि उस गाड़ी का बंपर डैमेज हो गया, हम आगे बढ़े तो पता चला कि गाड़ी की टायर पंचर हो गई है। लेकिन हमने वहां से तुरंत निकलने का फैसला किया। दरअसल यह दो लोगों की हरकत नहीं है, देश की जिस्म में नफरत के जहर का पैगाम घोला जा रहा है। हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश प्रशासन इस मामले की तह में जाएंगे।’

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस से घटना की पूरी रिपोर्ट मांगी है। यूपी के आईजीपी, एसएसपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके का दौरा किया। राज्य प्रशासन को यह पता लगाना चाहिए कि कौन लोग इस हमले के मास्टमाइंड हैं? इस हमले के पीछे उनका असली मकसद क्या था? वे कौन लोग हैं जिन्होंने इन दोनों हमलावरों को हमले के लिए उकसाया? जानकारों का कहना है कि बिना पूरी प्लानिंग के यह हमला नहीं हो सकता था। हमलावरों को यह मालूम था कि ओवैसी किस कार में हैं। यही वजह है कि उन्होंने सीधे ओवैसी की कार पर फायरिंग शुरू कर दी।

इंटरव्यू में ओवैसी ने कहा कि वह 1994 में विधायक बने लेकिन वे लगातार व्यक्तिगत सुरक्षा लेने से इनकार करते रहे हैं। वे अपने लिए किसी भी तरह की पुलिस सुरक्षा नहीं लेंगे। उन्होंने कहा-‘मुझे पसंद नहीं है कि लोग हथियार लेकर मेरे साथ रहें, मुझे परेशानी होती है, खुद से पुलिसकर्मियों को घिरा देख मुझे अजीब लगता है।’ मैंने जब ओवैसी से यह पूछा कि उस वक्त उन्हें डर नहीं लगा जब हमलावरों को अपनी कार पर फायरिंग करते देखा, इस पर ओवैसी ने कहा-‘मैंने तुरंत कलमा पढ़ना शुरू कर दिया।’

टोल प्लाजा के सीसीटीवी फुटेज को देखकर एक बात तो साफ है कि ओवैसी पर गोलियां पूरी प्लानिंग के साथ चलाईं गईं। उन पर हमला करने वाले घात लगाकर बैठे थे। यह भगवान का शुक्र है कि ओवैसी को जरा सा भी चोट नहीं आई। ओवैसी ने सही कहा कि यह किसी राजनीतिक दल के प्रमुख पर नहीं बल्कि हमारे लोकतंत्र और देश के संविधान पर हमला है। इस घटना को गंभीरता से लेते हुए जांच को उसके तार्किक परिणाम तक ले जाना चाहिए।

मैं ओवैसी के गुस्से और दुख को समझ सकता हूं। अपने भाषणों में वे अपने राजनीतिक विरोधियों पर जोरदार हमले करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उनकी आवाज गोलियों से दबा दी जाए। ओवैसी पर हुए हमले के बाद मेरे पास बोलने के लिए उनके साहस की तारीफ के सिवा और कुछ नहीं है। ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के चुनाव में 100 उम्मीदवार उतारे हैं और वो जबरदस्त प्रचार कर रहे हैं। वह बीजेपी, समाजवादी पार्टी, बीएसपी, कांग्रेस, सब पर जोरदार हमला करने में लगे हैं। अगर हमला करने वाले अपने नापाक मंसूबों में कामयाब हो जाते और ओवैसी को जरा सी भी चोट लग जाती तो कितनी गड़बड़ी होती, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यह उत्तर प्रदेश के माहौल को खराब करने की कोशिश है।

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