Rajat Sharma

अग्निपथ: कोचिंग सेंटर चलाने वाले कुछ लोग कैसे भड़का रहे हैं हिंसा

akbअग्निपथ स्कीम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के चौथे दिन बिहार और पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आगजनी और पथराव की घटनाएं देखने को मिलीं। जहानाबाद, तारेगना, मसौढ़ी और अन्य जगहों से ट्रक, बस और अन्य गाड़ियों को जलाने, पथराव और तोड़फोड़ की खबरें आईं।

बिहार के तारेगना स्टेशन पर RPF दफ्तर में आग लगा दी गई और बाहर खड़े एक दर्जन से भी ज्यादा गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को मसौढ़ी रेलवे स्टेशन में आग लगाने की कोशिश की। जहानाबाद में एक पुलिस चौकी के पास करीब एक दर्जन गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया और बाद में एक बस और एक ट्रक को भी फूंक दिया गया।

दानापुर मंडल रेल प्रबंधक ने बताया कि रेलवे की संपत्तियों को 200 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि 50 डिब्बे, 5 इंजन पूरी तरह जल गए हैं और प्रदर्शनकारियों ने प्लैटफॉर्म, कंप्यूटर और कई टेक्निकल डिवाइसेज को तोड़ दिया है। हिंसा को बढ़ने से रोकने के लिए बिहार के 12 जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं, और RJD एवं लेफ्ट पार्टियों ने शनिवार को बिहार बंद का आह्वान किया।

उत्तर प्रदेश के जौनपुर, कन्नौज और गौतम बुद्ध नगर में विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने कन्नौज के पास आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे को जाम करने की कोशिश की। चेन्नई में, प्रदर्शनकारियों ने योजना के विरोध में युद्ध स्मारक तक मार्च निकाला।

एक ताजा खबर के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सेना में 4 साल की सेवा पूरी करने वाले सभी अग्निवीरों के लिए अर्धसैनिक बलों और असम राइफल्स की वैकेंसी में 10 प्रतिशत कोटा देने की घोषणा की है। साथ ही अग्निवीरों के लिए निर्धारित ऊपरी आयु सीमा से 3 वर्ष की छूट की घोषणा की गई है, जबकि पहले बैच के लिए निर्धारित ऊपरी आयु सीमा से 5 साल ज्यादा छूट देने का ऐलान किया गया है।

भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा, ‘हिंसा और आगजनी समाधान नहीं है। यदि उम्मीदवारों को कोई संदेह है, तो मिलिट्री स्टेशन, एयरफोर्स और नेवी के बेस हैं, जहां जाकर वे अपनी शंकाओं को दूर कर सकते हैं। यदि आप योजना को समग्र रूप से देखें, तो कई फायदे हैं जिन पर प्रकाश डालने की जरूरत है। युद्ध के क्षेत्र बदल रहे हैं, हमें सेना में युवा और ज्यादा टेक-सेवी लोगों की जरूरत है। IAF में हमें तकनीकी रूप से ज्यादा योग्य लोगों के चयन का फायदा मिलेगा।’

बिहार में शुक्रवार को सबसे ज्यादा हिंसा हुई, सबसे ज्यादा आग यहीं लगी। सूबे के बेतिया, आरा, बक्सर, समस्तीपुर, दानापुर, हाजीपुर, गया, सुपौल, बेगूसराय, बक्सर, नालंदा, नवादा, लखीसारी, भागलपुर, सासाराम, मुजफ्फरपुर, औरंगाबाद, भोजपुर, मुंगेर, अरवल, जहानाबाद, पटना, वैशाली, खगड़िया, जमुई, रोहतास, शेहपुरा, सीवान, बगहा और मधेपुरा, हर जगह से दिल दहलाने वाली तस्वीरें आईं। जलती हुई ट्रेनें, चीखते-चिल्लाते मुसाफिर, डरे हुए बच्चे, पानी के पाइप लेकर आग बुझाने की कोशिश करते रेलवे के कर्मचारी और बेबस खड़े जीआरपी के जवान, दिन भर यही सब दिखा। पड़ोस के सूबे यूपी में भी आगरा, मथुरा, वाराणसी, अलीगढ़, बांदा और बस्ती में विरोध प्रदर्शन हुए।

अग्निपथ के विरोध का सबसे खतरनाक मंजर आरा जिले में देखने को मिला। यहां के कुल्हड़िया रेलवे स्टेशन पर खड़ी गाड़ी में प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी। जैसे-जैसे आग डिब्बों की तरफ बढ़ी, वैसे-वैसे रेलवे के कर्मचारी डिब्बों को अलग करके बाकी बोगियों को बचाने की कोशिश करने लगे, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। पूरी ट्रेन जलकर खाक हो गई। कुछ यही स्थिति समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर देखने को मिली, जहां दरभंगा से दिल्ली जा रही बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस को आग के हवाले कर दिया गया। इससे पहले उपद्रवियों ने ट्रेन में तोड़-फोड़ की, सामान भी लूटा, और फिर ट्रेन के डिब्बों में आग लगा दी।

लखीसराय स्टेशन पर खड़ी एक ट्रेन को भी प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया। यह ट्रेन वहां आकर रुकी ही थी, इसमें यात्री भी सवार थे, लेकिन उपद्रवियों ने इसका भी ख्याल नहीं किया। इसी दहशत में एक यात्री की जान चली गई। नालंदा जिले के इस्लामपुर रेलवे स्टेशन पर खड़ी मगध एक्सप्रेस की 4 बोगियों में भी आग लगा दी गई।

यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से उठता है कि बिहार अग्निपथ विरोधी प्रदर्शनों का केंद्र क्यों नजर आ रहा है। बिहार में शुक्रवार को एक दिन में 12 ट्रेनों को जला दिया गया और 234 से ज्यादा ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। 24 जगहों पर हिंसा हुई। हजारों मुसाफिर भूखे प्यासे ट्रेनों में फंसे रहे और पटरियों पर, सड़कों पर अग्निपथ स्कीम से नाराजगी के नाम पर छात्र आग लगाते रहे, तोड़फोड़ करते रहे। मैंने बिहार के कई एक्सपर्ट्स से बात की और उनके जवाबों ने काफी कुछ साफ कर दिया।

ऐसा लगता है कि दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार में सरकारी नौकरी के प्रति लोगों का आकर्षण बहुत ज्यादा है। फौज में भर्ती हो, अर्धसैनिक बलों में भर्ती हो, रेलवे में भर्ती हो या शिक्षा विभाग में, बिहार के बच्चे सबसे आगे रहते हैं। एक बार किसी की सरकारी नौकरी लग जाए तो पूरे परिवार की जिंदगी बदल जाती है। सेना में बिहार का कोटा 5 पर्सेंट का है, लेकिन सेना की नौकरियों की डिमांड इस कोटे से कई गुना ज्यादा होती है। अगर किसी की सरकारी नौकरी लग जाती है, भले ही वह चतुर्थ श्रेणी (चपरासी) की हो, तो अच्छी जगह शादी हो जाती है, दहेज मिल जाता है। बहनों की शादियां अच्छे परिवारों में हो जाती है।

जो नौजवान फिटनेस टेस्ट पास करने के बाद पिछले 2 साल से जॉइनिंग का इंतजार कर रहे थे, वे ज्यादा परेशान हैं क्योंकि अब उन्हें लगता है कि उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। यही उनके गुस्से और हताशा का एकमात्र कारण है। उनमें से कई की शादी भी तय हो चुकी थी, लेकिन अग्निपथ स्कीम के ऐलान के बाद एग्जाम के पिछले सभी नतीजों का कोई मतलब नहीं रहा। मुझे इस बारे में एक और हैरान करने वाली बात पता चली जिससे थोड़ा सुराग मिला कि इन सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों के पीछे कौन हैं।

पूरे बिहार में ऐसे तमाम कोचिंग सेंटर्स हैं, जहां ये युवा सेना में भर्ती होने के लिए फिजिकल ट्रेनिंग और लिखित परीक्षा की प्रैक्टिस करते हैं। ये कोचिंग सेंटर सेना में नौकरी का सपना देखने वाले नौजवानों के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बिहार में सेना की नौकरी के लिए काफी ज्यादा क्रेज है, और इसीलिए यह राज्य भर्ती की तैयारी कर रहे नौजवानों की कोचिंग का हब बन चुका है। आज वही नौजवान बिना-सोचे समझे सड़क पर उतर कर आग लगा रहे हैं।

अग्निपथ स्कीम आने के बाद कोचिंग सेंटर चलाने वाले अधिकांश लोगों को अपनी दुकान बंद होने का डर सता रहा है। बताया जा रहा है कि इनमें से ही कुछ कोचिंग सेंटरों के मालिकों ने, जिन्हें सेना में भर्ती की तैयारी करने वाले नौजवान अपना ‘गुरु’ मानते हैं, ने अग्निपथ स्कीम की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो डालना शुरू कर दिया। ऐसे तमाम वीडियो मुझे भेजे गए। उनमें से कुछ वीडियो साफतौर पर राजनीति से प्रेरित हैं।

पटना में ही एक कोचिंग सेंटर चलाने वाला शख्स नौजवानों से कह रहा है कि ‘विरोध का कोई तरीका छोड़ना नहीं है।’ यह शख्स झूठा दावा कर रहा है कि अब तक इस स्कीम के खिलाफ 63 लड़के जान दे चुके हैं। इसी तरह सोशल मीडिया के जरिए नौजवानों को भड़काया जा रहा है। नौजवानों से कहा जा रहा है कि 4 साल सेना की सेवा करने के बाद उन्हें कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी।

एक वीडियो में, पटना में एक कोचिंग सेंटर चलाने वाला कह रहा है, ‘सबसे पहले TOD के खिलाफ विद्रोह करो। जितने लेवल तक हो सकता है, पूरा का पूरा विद्रोह करो, एक भी लेवल नहीं छोड़ना है। हिम्मत, जोश और जुनून अगर दिखाना है,तो सरकार के सामने दिखाएंगे, मम्मी पापा के सामने नहीं। कल तक 42 लोगों की मौत हुई थी और आज आत्महत्या का रिपोर्ट 63 पहुंच चुका है। ये हमें मिली जानकारी पर आधारित हैं। न जाने कितने सारे गांवों में बच्चे ऐसा किए होंगे। आत्महत्या बेकार है, इस चीज को मत करो। किसी भी गांव से आत्महत्या की जानकारी मिले तो वहां जाकर नौजवानों से कहो कि आत्महत्या न करें। उन्हें अच्छी बातें समाझाओ। TOD को जबरन लागू किया गया है।’

ऐसे एक नहीं, दर्जनों कोचिग सेंटर हैं। हर कोचिंग सेंटर में फौज में भर्ती होने की इच्छा रखने वाले 200-400 नौजवान ट्रेनिंग ले रहे हैं। कुल मिलाकर ऐसे बच्चों की संख्या हजारों में है, और कोचिंग सेंटर चलाने वालों की इससे काफी कमाई होती है। कोचिंग देने वालों को छात्र अपना ‘गुरू’ मानते हैं, और उनकी हर बात पर यकीन करते हैं।

पटना में ही एक और कोचिंग सेंटर चलाने वाला शख्स साफतौर पर नौजवानों को बसों और ट्रेनों में आग लगाने के लिए उकसा रहा है। एक वीडियो में वह कहता दिख रहा है, ‘देश की स्थिति युवाओं के हाथ में है, लेकिन युवाओं के बारे में सोचा नहीं जा रहा है। युवा आहत होकर सुसाइड कर रहे हैं। कोई भी ऐसा कदम न उठाए। अपना हक मांगने का अधिकार सभी नौजवानों के पास है। कई ऐसे शहर हैं जहां ट्रेनों में आग लगाई जा रही है। आपके पास विरोध करने का अधिकार है। विरोध कर सकते हैं,लेकिन जो आत्महत्या वाला सिस्टम है, उसको बहुत जल्दी बंद करना होगा। अगर मरना ही है तो सिस्टम से लड़कर मरेंगे। जब जिंदा रहेंगे तो लड़ सकते हैं,मगर मरने के बाद कौन लड़ेगा, कोई नहीं लड़ेगा। सरकार का झुकना तय है। यह मैसेज मोदी जी तक पहुंचना चाहिए।’

ये वीडियो मैसेज Facebook, YouTube और Telegram जैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स के जरिए फॉरवर्ड किए जा रहे हैं। लाखों नौजवानों को ये वीडियो मैसेज मिल रहे हैं और वे आगजनी, पथराव और हिंसा का सहारा ले रहे हैं। कोचिंग सेंटर चलाने वाले लोगों द्वारा नौजवानों को भड़काया जा रहा है। शुक्रवार रात इंडिया टीवी पर अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में मैंने इनमें से कुछ वीडियो दिखाए। ये वीडियो लाखों नौजवानों तक पहुंचाए गए हैं। इसीलिए सरकार ने बिहार के 12 जिलों में अगले 48 घंटों के लिए इंटरनेट सर्विसेज बंद कर दी हैं, और तमाम ऐप्स को ब्लॉक कर दिया गया है।

पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में कानपुर पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर एपी तिवारी ने शुक्रवार को कहा कि ‘Boycott TOD’ नाम का एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया गया है जिसके जरिए युवाओं को सड़कों पर उतरकर विरोध करने के लिए उकसाया जा रहा है। पुलिस ने इस ग्रुप से जुड़े कई लोगों की पहचान कर ली है और उन सभी के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

पुलिस के लिए इस तरह के मैसेज को ट्रैक करना, उनके मेंबर्स की पहचान करके उन्हें पकड़ना, और फिर सर्कुलेट हो चुके मैसेज को वायरल होने से रोकना एक बड़ी चुनौती है। राजनीतिक दल पहले ही मैदान में उतर चुके हैं क्योंकि उन्हें नौजवानों के विरोध में सियासी फायदा दिख रहा है, लेकिन इस मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की खामोशी हैरान करने वाली है। उनकी पार्टी जनता दल (युनाइटेड) इन विरोध प्रदर्शनों को मौन समर्थन देती दिख रही है।

नौजवानों के लिए मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि उन्हें अपनी बात कहने का, प्रदर्शन करने का पूरा अधिकार है, लेकिन इसका तरीका शांतिपूर्ण होना चाहिए। विरोध का मतलब ट्रेनों में आग लगाना नहीं हैं, विरोध का मतलब हाइवे को जाम करके बसों पर पथराव करना नहीं है। जो नौजवान देश की सेवा करने का दावा कर रहे हैं, वे देश की संपत्ति को आग लगाकर खाक कैसे कर सकते हैं।

उन्हें पता होना चाहिए कि सेना में अनुशासन सबसे ज्यादा जरूरी होता है। जो नौजवान इस तरह से उपद्रव कर सकते हैं, वे सेना का हिस्सा बनने का सपना कैसे देख सकते हैं। मुझे लगता है कि नौजवानों को ठंडे दिमाग से सोचना चाहिए, और किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए।

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