Rajat Sharma

40 साल बाद आई मुरादाबाद दंगा रिपोर्ट : योगी का प्रशंसनीय कदम

AKBउत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने विधानसभा में तैंतालीस साल पहले हुए मुरादाबाद दंगे की जांच रिपोर्ट पेश की. 13 अगस्त 1980 को मुरादाबाद में दंगे हुए हुए थे, 83 लोगों की जानें गई थी, 100 से ज्यादा लोग बुरी तरह से जख्मी हुए थे, दर्जनों घर जलाए गए थे. उस वक्त यूपी में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार थी. वी पी सिंह ने दंगों की जांच के लिए जस्टिस मथुरा प्रसाद सक्सेना की अगुवाई में जांच आयोग बनाया. आयोग ने तीन साल बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी, लेकिन इसके बाद चालीस साल तक इस रिपोर्ट को दबा कर रखा गया. योगी आदित्यनाथ को इस रिपोर्ट को खोजने में ताकत लगानी पड़ी, लेकिन योगी खोज लाए और आज जब ये रिपोर्ट सामने आई, तो पता लगा कि मुरादाबाद के दंगों में न किसी हिन्दू का हाथ था, न RSS या किसी दूसरे हिन्दूवादी संगठन का हाथ था. जांच आयोग ने पाया कि मुरादाबाद के दंगों में किसी आम मुसलमान का कोई हाथ नहीं था. दंगा सिर्फ दो लोगों ने भड़काया. मुस्लिम लीग के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. शमीम अहमद और एक दूसरे मुसलिम लीग नेता हमीद हुसैन ने ईद की नमाज के मौके पर एक साजिश के तहत अफवाह फैलाई. मुसलमानों को भड़काया, इसके बाद दंगा शुरू हो गया और 83 लोगों की मौत हो गई. आज जब 43 साल पुराने दंगे का सच सामने आ गया, तो समाजवादी पार्टी के नेताओं ने कहा कि अब गड़े मुर्दे उखाड़ने की क्या जरूरत है? उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसी पार्टियां सच छुपाना चाहती थी , योगी उसी सच को बाहर लाए हैं, इसीलिए विपक्ष को परेशानी हो रही है. 13 अगस्त 1980 की सुबह मुरादाबाद में ईद की नमाज के दौरान ये दंगा भड़का था। साठ से सत्तर हजार लोग ईदगाह मैदान में ईद उल फितर की नमाज पढ़ने के लिए जमा थे. नमाज के दौरान अफवाह फैली, ईदगाह के पास एक अपवित्र जानवर (सुअर) घुस आया है, नमाज नापाक हो गई है. अफवाह फैलते ही, लोग सड़कों पर आ गए, हंगामा शुरू हो गया, ईदगाह के पास तैनात पुलिसवालों, अफसरों पर लाठी, डंडे, ईंट पत्थर से भीड़ ने हमला कर दिया. तत्कालीन एसएसपी विजयनाथ सिंह का सिर फट गया, नगरपालिका के OC को पीट-पीटकर भीड़ ने मारा डाला. आंसू गैस के गोले, लाठीचार्ज से भी जब दंगाइयों की भीड़ काबू में नहीं आई तो अपर जिला मजिस्ट्रेट ने फायरिंग के आदेश दे दिए. जस्टिस सक्सेना की रिपोर्ट में इस फायरिंग से जुड़ी एक-एक बात का जिक्र है. रिपोर्ट में कहा गया है कि फायरिंग होते ही लोगों की भीड़ इधर-उधर भागने लगी. इस भगदड़ में बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए। दंगाइयों ने पुलिस थानों में, चौकियों में आग लगा दी , पुलिसवालों के हथियार लूट लिये, लोगों पर गोलियां चलाईं गईं, कर्फ्यू लगा दिया गया, लेकिन हिंसा को पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका. कई दिन तक लोगों ने हिंसा का दंश झेला. उत्तर प्रदेश में पिछले चार दशकों में जितनी भी सरकारें आईं, सभी ने इस रिपोर्ट को अब तक दबाए रखा, सिर्फ इसीलिए कि इन दंगों में मुस्लिम लीग के नेताओं का हाथ पाया गया था. इन दंगों में किसी साधारण मुसलमान या हिंदू का हाथ नहीं था, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने हिम्मत दिखाई. जो सच 43 साल से दबा पड़ा था, उसे योगी सरकार ने उजागर करने का फैसला किया. दंगे में हिंदू भी मारे गए थे, मुसलमान भी मारे गए थे. आज भी कई ऐसे परिवार हैं जिनके बारे में पता ही नहीं चला कि वो कहां गए. योगी पिछले 6 साल से मुख्यमंत्री हैं. दावे के साथ कहते हैं, यूपी को दंगा मुक्त बनाया है. आज मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई. भले ही 43 साल बाद, तो इसके पीछे सियासत नहीं देखी जानी चाहिए. सच सामने आया, चाहे वो कितना कड़वा हो, इसका स्वागत किया जाना चाहिए.

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