Rajat Sharma

मोदी की कूटनीति : क़तर में कैसे 8 भारतीयों की फांसी की सज़ा क़ैद में तबदील हुई

AKBक़तर की कोर्ट ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसरों की मौत की सज़ा को कैद में तब्दील कर दिया है. इन पूर्व अफसरों को जासूसी के इल्जाम में मौत की सजा सुनाई गई थी लेकिन भारत सरकार के कूटनीतिक प्रयासों को पहली और बड़ी कामयाबी मिली. कतर के कोर्ट ऑफ अपील्स ने उनकी मौत की सजा को कैद में तब्दील कर दिया. विदेश मंत्रालय ने बताया कि कतर की कोर्ट ऑफ़ अपील्स में जिस वक्त सुनवाई हुई उस वक्त 8 भारतीय नागरिकों के परिवार वालों के साथ साथ, क़तर में भारत के राजदूत और इंडियन मिशन के कई अफसर कोर्ट में मौजूद थे. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अभी फैसले का ब्यौरा सामने नहीं आया है, और चूंकि मामला नाज़ुक है इसलिए फिलहाल इस पर ज्यादा जानकारी नहीं दी जा सकती. क़तर की कोर्ट ऑफ अपील्स का विस्तृत फ़ैसला मिलने के बाद इन 8 भारतीयों के परिवारों के साथ मिलकर आगे की रणनीति तय की जाएगी. कतर की कोर्ट ऑफ अपील्स का फैसला राहत देने वाला है. सरकार ने पिछले दो महीनों में कतर सरकार के साथ हर स्तर पर मुद्दे को उठाया, कोर्ट में जबरदस्त पैरवी की और इसका नतीजा देश के सामने हैं. विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि सरकार इस मामले को यही नहीं खत्म नहीं करेगी. नौसेना के पूर्व अधिकारियों की सजा को और कम कैसे करवाया जा सकता है या उन्हें भारत कैसे लाया जा सकता है, इस रणनीति पर काम जारी रहेगा. क़तर की गुप्तचर एजेंसी स्टेट सिक्यूरिटी ब्यूरो ने पिछले साल अगस्त में कतर की एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे नौसेना के आठ पूर्व अफसरों को जासूसी के इल्जाम में गिरफ्तार किया था, कोर्ट में गुपचुप चरीके से सुनवाई हुई और दो महीने पहले अक्टूबर में सभी को सजा-ए-मौत सुनाई गई. जैसे ही भारतीय नागरिकों को मौत की सजा की खबर आई, तो नरेन्द्र मोदी सरकार ने बिना देर किए कतर की सरकार से संपर्क किया. वहां की न्यायिक प्रणाली के तहत कदम उठाए, सजा के खिलाफ अपील की, मजबूती से अपना पक्ष रखा और आज बड़ी कामयाबी हासिल की. राजनयिकों और रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अरब मुल्कों में मौत की सजा पा चुके किसी भी व्यक्ति को छुड़वाना या उसकी सजा को कम करवाना बहुत ही पेचीदा काम होता है, भारत सरकार इसमें कामयाब हुई है, ये छोटी बात नहीं है. भारतीय नौसेना के जो 8 पूर्व अधिकारी कतर की कंपनी में काम करते समय गिरफ्तार हुए थे, उनके नाम हैं – कैप्टन (रि.)नवतेज सिंह गिल, कैप्टन (रि.)सौरभ वशिष्ठ, कमांडर (रि.)पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर (रि.)अमित नागपाल, कमांडर (रि.)बी के वर्मा, कमांडर (रि.)सुगनकर पकाला, कमांडर (रि.)एस के गुप्ता और सेलर (रि.)रागेश. भारत सरकार के पूर्व विदेश सचिव शशांक ने बड़ी अहम बात कही. उनका कहना है कि कई भारत विरोधी मुल्क खाज़ी के क्षेत्र में सक्रिय हैं. वो चाहते हैं कि भारत और खाडी के मुल्कों के बीच रिश्ते बिगड़ें, मोदी सरकार की छवि ख़राब हो, क्योंकि 2014 के में प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही मोदी खाड़ी के मुल्कों के साथ भारत के रिश्ते बेहतर बनाने पर ज़ोर देते रहे हैं. सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, ओमान और क़तर जैसे देशों के साथ भारत के संबंध काफ़ी बेहतर हुए हैं. इसलिए अब क़तर की अदालत के इस फ़ैसले ने भारत के दुश्मन देशों की साज़िशों पर पानी फेर दिया है. विदेश मंत्रालय की तरफ़ से सबसे पहले सारे भारतीयों के लिए कॉन्सुलर एक्सेस मांगा गया. कॉन्सुलर एक्सेस मिलने के बाद भारतीय दूतावास के अधिकारी इन आठ भारतीयों से जेल में मिले, उनसे पूरे मामले की जानकारी ली, परिवारों के लोग भी जेल जाकर उनसे मिले, इसके बाद इस मामले को कतर में सर्वोच्च स्तर पर उठाया गया. ख़ुद प्रधानमंत्री मोदी सक्रिय हुए. इसी महीने मोदी जब COP28 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने दुबई गए थे, तो वहां उन्होंने क़तर के अमीर, शेख़ तमीम बिन हमाद अल थानी से मुलाक़ात की. बातचीत के दौरान मोदी ने भारतीय पूर्व नौसैनिकों को मौत की सज़ा का मुद्दा उठाया. इसके बाद भारतीय राजनयिकों ने मौत की सज़ा के ख़िलाफ़ क़तर की अदालत में अपील करने में परिजनों की मदद की और अब ये राहत भरी ख़बर आई है. विदेशी मामलों के जानकार मानते हैं कि आगे चलकर, क़तर में क़ैद इन 8 भारतीयों को वापस लाने के दो विकल्प हो सकते हैं. एक तो क़तर के अमीर हर साल अपने देश की जेलों में बंद लोगों की सज़ाएं माफ़ करते हैं. हो सकता है वो इन भारतीयों की सज़ा को माफ़ करके उन्हें भारत लौटने की छूट दे दें, या फिर ये भी हो सकता है कि दोनों देशों की सरकारों के बीच ये समझौता हो जाए कि ये आठों रिटायर अधिकारियों को बाक़ी की सज़ा, भारत की जेल में काटने की इजाज़त दे दी जाए. रिटायर्ड वाइस एडमिरल अनिल चावला ने उम्मीद जताई कि बहुत जल्द ये आठों भारतीय नागरिक भारत देश लौट आएंगे क्योंकि 2015 में भारत और क़तर के बीच एक समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत क़तर में सज़ा काटने वाले भारतीय नागरिकों और भारत की जेलों में बंद क़तर के नागरिकों को सज़ा काटने के लिए उनके देश भेजने का प्रावधान है. नौसेना के 8 रिटार्यड अफसरों की किस्मत का आखिरी फैसला कतर के अमीर के हाथ में होगा. अमीर के पास किसी भी अपराधी की सजा माफ करने का अधिकार है, परंपरा के मुताबिक क़तर के अमीर रमादान के दौरान सजा माफ करते हैं. सजा माफ करने का एक और मौका कतर का राष्ट्रीय दिवस होता है, जो 18 दिसंबर को पड़ता है. इसीलिए इस बार राष्ट्रीय दिवस का विकल्प तो सामने नही हैं और रमादान के महीने का इंतजार करना पड़ेगा. कतर में अमीर द्वारा सजा की माफी तभी होती है जब कानूनी प्रक्रिया द्वारा अपील करने के बाकी सारे विकल्प खत्म हो जाते हैं. इसीलिए एक तरफ तो हमारे रिटायर्ड नेवी अफसरों के लिए बड़ी राहत की बात है कि उनकी सजा-ए-मौत उम्र कैद में तबदील कर दी गई है और दूसरी राहत की बात ये है कि उन्हें रिहा करने के कई विकल्प अभी खुले हैं. क़तर और भारत के संबंध हमेशा अच्छे रहे हैं. जब जब पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ शरारत की तो क़तर ने हमेशा भारत का समर्थन किया. इसीलिए उम्मीद है कि इस बार भी क़तर हमारे नागरिकों के साथ उदार रवैया दिखाएंगा.

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