Rajat Sharma

महाराष्ट्र और बिहार की तनातनी का फायदा सुशांत केस की जांच के घेरे में आए लोगों को होगा

बिहार पुलिस के डीजीपी ने ‘आज की बात’ में अपने इंटरव्यू के दौरान सुशांत के जीजा ओपी सिंह, जो खुद एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं, के द्वारा 25 फरवरी को डीसीपी बांद्रा को भेजे गए व्हाट्सऐप मैसेज का सवाल उठाया। इन व्हाट्सऐप मैसेज में सुशांत के जीजा ने अभिनेता की जान को खतरा होने की बात कही थी। मुंबई पुलिस के मुताबिक, तत्कालीन डीसीपी ने सिंह को बताया कि किसी भी जांच और कार्रवाई के लिए एक लिखित शिकायत की जरूरत है, लेकिन ओपी सिंह चाहते थे कि इसे अनौपचारिक तरीके से हल किया जाए। उन्हें बताया गया कि ऐसा करना संभव नहीं है।

AKB2103 फिल्म ऐक्टर सुशांत राजपूत की मौत की जांच के मुद्दे पर महाराष्ट्र और बिहार की पुलिस आमने-सामने है। इन दोनों के बीच की तनातनी ने एक गंभीर रुख अख्तियार कर लिया है। पटना के सिटी एसपी विनय तिवारी जब रविवार को अपनी जांच टीम का नेतृत्व करने के लिए रविवार को मुंबई पहुंचे तो उन्हें म्यूनिसिपल अथॉरिटी ने 14 दिनों के लिए क्वॉरन्टीन कर दिया। मुंबई के पुलिस कमिश्नर ने कहा है कि मामले की जांच बिहार पुलिस के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती, क्योंकि यह घटना मुंबई में हुई थी।

बिहार पुलिस का कहना है सुशांत के पिता बुजुर्ग हैं और उन्हें मुंबई पुलिस द्वारा की जा रही जांच पर भरोसा नहीं है। बिहार पुलिस ने कहा कि चूंकि सुशांत के पिता ने पटना में FIR दर्ज की है, इसलिए बिहार पुलिस को इस मामले की जांच करने का पूरा अधिकार है। मुंबई के पुलिस प्रमुख का कहना है कि पटना पुलिस को जीरो FIR दर्ज करनी चाहिए थी और इसे मुंबई पुलिस को ट्रांसफर करना चाहिए था, क्योंकि ऐक्टर की मौत मुंबई में हुई थी।

सोमवार को मेरे प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में मैंने बिहार के DGP गुप्तेश्वर पांडेय से पूछा कि बिहार पुलिस जांच मुंबई पुलिस को ट्रांसफर क्यों नहीं कर रही है। उन्होंने जवाब दिया कि कार्रवाई का आंशिक कारण बिहार में मौजूद है, क्योंकि सुशांत की पूरी संपत्ति, जो कि अविवाहित थे, उनके पिता के. के. सिंह की है, और वह मुंबई पुलिस पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं हैं। पांडेय ने कहा कि यह साफतौर पर ‘क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट’ और पैसे की हेराफेरी का मामला है और बिहार पुलिस को इस मामले की जांच करने का हर अधिकार है।

गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत के बैंक खातों में लगभग 55 करोड़ रुपये थे, जिनमें से पिछले 4 वर्षों के दौरान 53 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए, जबकि उन्होंने कोई बड़ी प्रॉपर्टी भी नहीं खरीदी थी। वहीं दूसरी तरफ, मुंबई पुलिस का कहना है कि सुशांत के बैंक खातों में कुल 18 करोड़ रुपये थे, जिसमें से 4 करोड़ रुपये अभी भी उनके खातों में मौजूद हैं। मुंबई पुलिस ने दावा किया है कि उन्हें पैसे के किसी भी संदिग्ध ट्रांसफर के बारे में अब तक कोई सबूत नहीं मिला है।

बिहार पुलिस के डीजीपी ने कहा कि यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीएमसी ने पटना सिटी एसपी को रविवार देर रात 14 दिनों के लिए क्वॉरन्टीन कर दिया, और उनकी कलाई पर क्वॉरन्टीन स्टैंप भी लगा दिया। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने हमारे एसपी को एक तरह से हाउस अरेस्ट किया है। वे हमारी जांच में बाधा डालना चाहते हैं।’ वहीं दूसरी तरफ मुंबई पुलिस कमिश्नर ने कहा है कि इस केस से जुड़ी जानकारी और दस्तावेज बिहार पुलिस को नहीं दिए जाएंगे। जवाब में, बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने ‘आज की बात’ पर अपने इंटरव्यू के दौरान मुंबई पुलिस प्रमुख को चुनौती दी है कि वह आधिकारिक रूप से लिखित रूप में यही बात कहें। वास्तव में यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।

मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की यह बात सुनकर हैरानी तो होती है कि सुशांत के बैंक अकाउंट्स से रिया चक्रवर्ती के अकाउंट्स में कोई पैसा ट्रांसफर नहीं हुआ। ऐसा आरोप तो किसी ने लगाया भी नहीं है। सवाल तो ये है कि सुशांत के अकाउंट में जो पैसे थे वे गए कहां। इसके अलावा, मुंबई के पुलिस चीफ ने कहा है कि रिया चक्रवर्ती के खिलाफ अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है। उल्टा उन्होंने सुशांत के ही परिजनों की मंशा पर सवाल उठा दिए। पुलिस कमिश्नर अगर ऐसे बयान देते हैं तो इसे कैसे जस्टिफाई किया जा सकता है? क्या इससे निष्पक्ष जांच कराने में मदद मिलेगी?

बिहार पुलिस के डीजीपी ने ‘आज की बात’ में अपने इंटरव्यू के दौरान सुशांत के जीजा ओपी सिंह, जो खुद एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं, के द्वारा 25 फरवरी को डीसीपी बांद्रा को भेजे गए व्हाट्सऐप मैसेज का सवाल उठाया। इन व्हाट्सऐप मैसेज में सुशांत के जीजा ने अभिनेता की जान को खतरा होने की बात कही थी। मुंबई पुलिस के मुताबिक, तत्कालीन डीसीपी ने सिंह को बताया कि किसी भी जांच और कार्रवाई के लिए एक लिखित शिकायत की जरूरत है, लेकिन ओपी सिंह चाहते थे कि इसे अनौपचारिक तरीके से हल किया जाए। उन्हें बताया गया कि ऐसा करना संभव नहीं है।

बिहार के डीजीपी ने कहा कि जिंदगी और मौत के मामले में पुलिस एक ई-मेल, फोन कॉल और यहां तक कि व्हाट्सऐप मैसेज पर भी कार्रवाई कर सकती है और जान बचा सकती है, लेकिन मुंबई पुलिस ने इस मामले में कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पटना सिटी एसपी को क्वॉरन्टीन किया गया है, उससे साफ पता चलता है कि मुंबई पुलिस एक साफ और निष्पक्ष जांच में बाधा डालना चाहती है। इंटरव्यू के दौरान बिहार के डीजीपी ने कहा, ‘मैं केवल सुशांत के लिए न्याय चाहता हूं।’

डीजीपी ने बताया कि कैसे पटना सिटी एसपी फ्लाइट से मुंबई पहुंचे और उनके खुद के रहने की जगह के लिए पहले से भेजे गए औपचारिक अनुरोध के बावजूद मुंबई पुलिस ने कोई व्यवस्था नहीं की। उन्होंने कहा, एसपी ने अपने व्यक्तिगत संपर्कों के जरिए खुद के रहने की व्यवस्था की। शाम को जब मुंबई पुलिस ने पटना पुलिस को फोन कर ऑफिसर के रहने के ठिकाने के बारे में पूछा, तो उन्हें पता दिया गया और उसके तुरंत बाद बीएमसी के अधिकारी मौके पर पहुंचे और पटना सिटी एसपी को 15 अगस्त तक के लिए क्वॉरन्टीन कर दिया।

अगर मुंबई पुलिस के दावे के मुताबिक जांच सही दिशा की ओर बढ़ रही है, तो इतने सारे सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं? मुझे लगता है कि बिहार पुलिस ने जो सवाल उठाए हैं वे जेनुइन हैं और इन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके पहले पटना पुलिस के 4 जांचकर्ता जब मुंबई आए और मामले की जांच शुरू की तो उन्हें बीएमसी ने क्वॉरन्टीन में नहीं रखा, लेकिन जब एक IPS अफसर जांच का नेतृत्व करने के लिए मुंबई पहुंचे तो उन्हें रात के 11 बजे क्वॉरन्टीन कर दिया। मुंबई में इतने सारे लोग फ्लाइट से पहुंचते हैं, तो क्या इन सभी को क्वॉरन्टीन किया जाता है? रात के 11 बजे आईपीएस अधिकारी को क्वॉरन्टीन करने की क्या जरूरत थी?

यह सिर्फ दो राज्यों की पुलिस के बीच का झगड़ा नहीं रह गया है। सोमवार को शिवसेना नेता संजय राउत के बयान से राजनीति झलक रही थी। उन्होंने मुंबई पुलिस की तुलना स्कॉटलैंड यार्ड के साथ की, और बिहार पुलिस पर इशारे में तंज कसते हुए राजकुमार का एक डायलॉग कहा, ‘जिनके अपने घर शीशे के हों, वे दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते।’

साफ है कि संजय राउत ने जिस तरह से बिहार पुलिस पर कमेंट किया वह सियासत का हिस्सा है। एक मशहूर अभिनेता की मौत के जिस मामले को दोनों राज्यों की पुलिस प्रोफेशनल तरीके से सुलझा सकती थी, वह अब पॉलिटिकल हो गया है। ऐसा कतई नहीं होना चाहिए। शिवसेना के नेताओं को लगता है कि बिहार में चुनाव होने वाले हैं, इसलिए नीतीश कुमार मुंबई में हुई इस घटना में बिहार पुलिस को घुसा रहे हैं ताकि इसे मुद्दा बनाया जाए। वहीं, बिहार के नेताओं को लगता है कि महाराष्ट्र की पुलिस बिहार की पुलिस को जलील कर रही है और उसके साथ दुर्व्यवहार कर रही है क्योंकि वह कुछ लोगों को बचाना चाहती है।

मैंने इस मामले को लेकर कई एक्सपर्ट्स से बात की। इन सभी का मानना था कि बिहार और महाराष्ट्र के बीच की तनातनी परोक्ष रूप से उन लोगों की मदद करेगी जो वर्तमान में जांच के दायरे में हैं। यदि दोनों राज्यों की पुलिस साथ मिलकर नहीं चलेंगी, तो सुशांत सिंह राजपूत की मौत के पीछे के रहस्य को सुलझाना और मुश्किल होता जाएगा।

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