Rajat Sharma

ममता को चोट: ‘हमला’ या राजनीतिक ‘ड्रामा’

ईश्वर से प्रार्थना है कि ममता जल्दी से जल्दी स्वस्थ हो जाएं। मैं जानता हूं कि वो फाइटर हैं और जल्द स्वस्थ होकर सामने आएंगी। एक बार फिर चुनावी मैदान में बीजेपी को ललकारेंगी। लेकिन अभी की स्थिति है कि ममता की चोट बंगाल की चुनाव सियासत का बड़ा मुद्दा बन गया है। बीजेपी और कांग्रेस का कहना है कि यह उनका ‘पॉलिटिकल ड्रामा’ है। एक नेता ने कहा कि ममता के साथ 300 पुलिसवाले रहते हैं। ऐसे में अटैक कैसे हो सकता है? इतने सुरक्षाकर्मियों के बीच चार से पांच लोग कैसे उनपर हमला कर सकते हैं? एक अन्य नेता ने कहा कि ये सिर्फ सहानुभूति लेने की कोशिश है और कुछ नहीं।

AKB30 इस वक्त देश में सबसे ज्यादा चर्चा नंदीग्राम में ममता बनर्जी को लगी चोट को लेकर हो रही है। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी का कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में इलाज चल रहा है। बुधवार देर शाम चुनाव प्रचार के दौरान उनके बाएं पैर, एड़ी और कंधे में चोट लगी थी। ममता का इलाज कर रहे डॉक्टर्स का कहना है-‘उनकी बाईं एड़ी और टखने की हड्डी में गंभीर चोट आई है। उनके दायें कंधे और दाहिने हाथ में भी चोट लगी है।’

फिलहाल मुख्यमंत्री को मेडिकल ऑब्जर्वेशन में रखा गया है। अगले 48 घंटे तक उनके स्वास्थ्य पर नजर रखी जाएगी और कई तरह की मेडिकल जांच भी होगी। इस घटना की तस्वीर कुछ स्पष्ट नहीं है कि कैसे और किन परिस्थितियों में उन्हें चोट लगी। हालांकि ये जांच का विषय है कि इतनी सुरक्षा के बीच ममता बनर्जी को चोट लगी कैसे। घटना के बाद ममता ने रिपोर्टर्स से कहा कि उन पर हमला किया गया है। उनका अभिवादन करने के लिए जुटी भीड़ में मौजूद चार-पांच लोगों ने उन्हें धक्का दिया। उनकी गाड़ी का दरवाजा तेजी से बंद कर दिया। इस दौरान वो गिर पड़ी और उनका पैर बुरी तरह घायल हो गया। उन्होंने कहा कि उनका बायां पैर सूज गया है और वो फीवर महसूस कर रही हैं। ममता के काफिले के साथ चल रहे सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उनके पैर पर बर्फ का टुकड़ा रखा। फिर उनके काफिले को ग्रीन कॉरीडोर बनाकर कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल तक लाना पड़ा।

इस घटना से कुछ घंटे पहले ही ममता ने नंदीग्राम विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल किया था। लेकिन अचानक कोलकाता लौटने से ठीक पहले ये घटना हो गई और ममता बनर्जी ने जितनी तकलीफ और दर्द में अपनी बात पत्रकारों से कही उसे देखकर दुख हुआ। ममता ने दर्द से कराहते हुए पूरी घटना के बारे में बताया। चूंकि चुनाव का माहौल है इसलिए ममता का इल्जाम सनसनीखेज है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह एक ‘साजिश’ थी, भीड़ में केवल चार-पांच लोग थे जिन्होंने धक्का दिया। यह घटना नंदीग्राम के बिरुलिया बाजार में हुई।

ईश्वर से प्रार्थना है कि ममता जल्दी से जल्दी स्वस्थ हो जाएं। मैं जानता हूं कि वो फाइटर हैं और जल्द स्वस्थ होकर सामने आएंगी। एक बार फिर चुनावी मैदान में बीजेपी को ललकारेंगी। लेकिन अभी की स्थिति है कि ममता की चोट बंगाल की चुनाव सियासत का बड़ा मुद्दा बन गया है। बीजेपी और कांग्रेस का कहना है कि यह उनका ‘पॉलिटिकल ड्रामा’ है। एक नेता ने कहा कि ममता के साथ 300 पुलिसवाले रहते हैं। ऐसे में अटैक कैसे हो सकता है? इतने सुरक्षाकर्मियों के बीच चार से पांच लोग कैसे उनपर हमला कर सकते हैं? एक अन्य नेता ने कहा कि ये सिर्फ सहानुभूति लेने की कोशिश है और कुछ नहीं।

मेरा मानना है कि बीजेपी और कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने इस घटना पर रिएक्ट करने में थोड़ी जल्दबाजी की। इन नेताओं ने पूरी खबर आने का इंतजार भी नहीं किया। इन लोगों ने फैक्ट्स जानने की कोशिश नहीं की और ममता की चोट को नौटंकी करार दिया। मुझे लगता है कि पहले सच्चाई जानने की कोशिश करनी चाहिए थी। डॉक्टर्स की रिपोर्ट आने का इंतजार करना चाहिए था, फिर कुछ कमेंट करते तो ठीक रहता। लेकिन चुनाव का मौका है और इन नेताओं को डर था कि कहीं इस घटना से ममता बनर्जी को बंगाल के वोटर्स की सहानुभूति ना मिल जाए इसलिए उन्होंने तुरंत इसे नाटक बता दिया।

राजनीति कितनी निष्ठुर होती है ये बंगाल में दिखाई दिया। चुनाव हो तो सियासत और भी क्रूर हो जाती है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चोट लगी, दर्द उनके चेहरे पर दिखाई दे रहा था, वे हॉस्पिटल में हैं, इलाज हो रहा है लेकिन कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी इसे पाखंड कह रहे हैं। बीजेपी के सांसद अर्जुन सिंह इसे राजनीतिक नाटक बता रहे हैं।

इन नेताओं को यह याद रखना चाहिए कि ममता का भी अपना इतिहास है। पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे के शासन के दौरान उनपर हमले हुए। उन्होंने कई बार मार खायी और जनता उनके साथ खड़ी हुई। उस वक्त भी लोग ममता के सिर पर बंधी पट्टी को ड्रामा बताते थे। लेकिन परिणाम क्या हुआ यह सबके सामने है। बंगाल की जनता इस तरह की टिप्पणियों को हल्के में नहीं लेती है। किसी भी नेता के साथ अगर इस तरह की घटना होती है तो राजनीति से जुड़े लोगों को जल्दबाजी में, मनगढ़ंत या सच्चाई जाने बगैर बयान देने से बचना चाहिए।

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