Rajat Sharma

मंत्री जी ने पुलिस से कहा: ‘100 करोड़ की वसूली करो’

हम सब कई दिन से इस सवाल का जवाब ढूंढ़ रहे थे कि मुकेश अम्बानी के घर के बाहर बारूद से भरी कार पार्क करने के पीछे मक़सद क्या था ? लगता है मुम्बई पुलिस कमिशनर के पद से हटाये गये परमबीर सिंह की चिट्ठी से इसका जवाब मिल गया. महाराष्ट्र के होम मिनिस्टर सचिन वाज़े का इस्तेमाल उगाही के लिए कर रहे थे. और अब लगता है सचिन वाज़े अपने आक़ाओं के आशीर्वाद के नशे में चूर होकर मुकेश अम्बानी से मोटा माल वसूलने की कोशिश में था. उसने जो कार पार्क की, जो बारूद बिछाया, जो धमकी भरी चिट्ठी लिखी, वो सिर्फ डराने के लिए थी. मुकेश अम्बानी को धमकाने के लिए थी. इस मामले में सचिन वाज़े एक एक्टर था, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर तो अनिल देशमुख लगते हैं. अगर इस नाटक तो मक़सद पैसा वसूली था तो पुलिस के ज़रिये लूट-खसोट का देश का सबसे बड़ा और सबसे संगीन केस है.

AKB30क्या ज़माना आ गया है. पहले मुंबई में अंडरवर्ल्ड वाले लोगों से वसूली करते थे और पुलिस उन्हें पकड़ती थी. अब पुलिस वसूली करती है और मंत्री तक पहुँचाती है. पहले आतंकवादी बम लगाते थे और पुलिस उन्हें पकड़ती थी. अब पुलिस अफ़सर बम लगाते हैं और सबसे बड़े उद्योगपति को धमकाते हैं.
मुम्बई के पुलिस कमिशनर रह चुके परमबीर सिंह की एक चिट्ठी ने महाराष्ट्र सरकार को मुश्किल में ला दिया है. शिव सेना के नेताओं के बयान बताते हैं कि वे परमबीर के साथ हैं, होम मिनिस्टर अनिल देशमुख को हटाना चाहते हैं. NCP के नेता अनिल देशमुख को बचाना चाहते हैं और परमबीर को फंसाना चाहते हैं. लेकिन शिव सेना और NCP के टकराव का एक बड़ा फायदा ये हुआ कि मुम्बई पुलिस कैसे लूट मचाती है, वसूली करती है, ये पूरी तरह से एक्सपोज़ हो गया. ये भी पता चल गया कि बड़े बड़े नेता कैसे पुलिस का एक औज़ार की तरह इस्तेमाल करते हैं, एक हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं. औज़ार पैसा वसूलने के लिए, और हथियार लोगों को डराने के लिए. इस बेख़ौफ़ आतंक का सबसे ताज़ा उदाहरण है, मुकेश अम्बानी को डराने-धमकाने का केस.

हम सब कई दिन से इस सवाल का जवाब ढूंढ़ रहे थे कि मुकेश अम्बानी के घर के बाहर बारूद से भरी कार पार्क करने के पीछे मक़सद क्या था ? लगता है मुम्बई पुलिस कमिशनर के पद से हटाये गये परमबीर सिंह की चिट्ठी से इसका जवाब मिल गया. महाराष्ट्र के होम मिनिस्टर सचिन वाज़े का इस्तेमाल उगाही के लिए कर रहे थे. और अब लगता है सचिन वाज़े अपने आक़ाओं के आशीर्वाद के नशे में चूर होकर मुकेश अम्बानी से मोटा माल वसूलने की कोशिश में था. उसने जो कार पार्क की, जो बारूद बिछाया, जो धमकी भरी चिट्ठी लिखी, वो सिर्फ डराने के लिए थी. मुकेश अम्बानी को धमकाने के लिए थी. इस मामले में सचिन वाज़े एक एक्टर था, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर तो अनिल देशमुख लगते हैं. अगर इस नाटक तो मक़सद पैसा वसूली था तो पुलिस के ज़रिये लूट-खसोट का देश का सबसे बड़ा और सबसे संगीन केस है.

अब तक तो हम सिर्फ सुनते थे कि महाराष्ट्र में कुछ मंत्री उगाही करते है, जानते भी थे कि पुलिस के माध्यम से हफ्ता वसूली होती है. पर सबूत कोई नहीं देता था. लेने वाले किसी से डरते नहीं थे और देने वाले अपनी परछाईं से भी डरते थे. अब तो मुम्बई के पूर्व पुलिस कमिशनर परमबीर सिंह ने लिख कर दिया है कि महाराष्ट्र के होम मिनिस्टर पुलिस अफसरों को अपने घर बुला कर 100 करोड़ रूपये वसूली करने का टार्गेट देते थे. कैसे रेस्त्रां वालों से, बार के मालिकों से पैसा वसूल करना है, कितना करना है, ये भी मंत्री जी समझा देते थे. साफ लगा, मंत्री अनिल देशमुख इस काम के एक्सपर्ट हैं. उन्हें किसी का डर नहीं था. वो बड़ी बेशर्मी से अपने खास पुलिसवालों से वसूली करवाते थे. चूंकि पुलिस कमिशनर उनके खास नहीं थे, इसलिये वो उनकी परवाह किये बग़ैर नीचे के पूलिसवालों को आदेश देते थे. अनिल देशमुख के लिए मुम्बई पुलिस उनकी जागीर थी और होम मिनिस्टर किसी सत्ता के नशे में चूर बादशाह की तरह काम कर रहे थे. अगर वो अपने इसी नशे के कारण कमिशनर परमबीर को हटाये जाने पर कमेंट न करते तो शायद वसूली का ये गोरखधंधा इसी तरह चलता रहता.

हुआ ये कि जब सचिन वाज़े पर इल्ज़ाम लगे – NIA ने अपनी जांच में पाया कि पुलिस के एक जूनियर अफसर वाज़े ने ही मुकेश अम्बानी के घर के बाहर बारूद से भरी गाड़ी पार्क करवाई थी, जब इस बात के सबूत मिले कि सचिन वाज़े से जुड़ी पांच-पांच गाड़ियां इस डराने की घटना में शामिल थीं और वाज़े ने सारे सबूत मिटाने की कोशिश की थी तो अचानक होम मिनिस्टर को लगा कि मुम्बई पुलिस की छवि खराब हुई है. तो उन्होने इसी बहाने पुलिस कमिशनर परमबीर सिंह का तबादला करवा दिया. मौके का फायदा उठा कर परमबीर को किनारे कर दिया. और मीडिया से साफ कह दिया कि परमबीर का ट्रान्सफर रूटीन ट्रान्सफर नहीं है, ये तो परमबीर के कर्मों का नतीजा है. ये बात परमबीर को चुभ गई और उन्होने अनिल देशमुख को एक्सपोज़ कर दिया. परमबीर ने इसके लिए मुख्यमंत्री को जो चिट्ठी लिखी, उसमें साफ साफ लिख दिया कि होम मिनिस्टर की काली करतूतों के बारे में पहले भी उद्धव ठाकरे को और शरद पवार को बता चुके थे.

लेकिन ये मामला सिर्फ देशमुख और परमबीर के टकराव का नहीं है. मामला मुम्बई पुलिस पर किसका कब्ज़ा हो, इसका है. मुम्बई पुलिस शिव सेना के कहने से चले या NCP के, ये झगड़ा है. मुम्बई पुलिस से वसूली कौन करवाये, लोगों को कौन लूट कर नेताओं को पैसा कौन पहुंचाए, इसका है. अब ये टकराव शरद पवार और उद्धव ठाकरे का है.

त्रासदी देखिए, जो जनता इसमें पिस रही है, उसकी परवाह किसी को नहीं है. जो रेस्त्रां चलाने वाले, बार चलाने वाले अपना पेट काट कर रिश्वत देते हैं, उनका तो कहीं ज़िक्र ही नहीं आता. उन्हें तो बस पैसे पहुंचाना है – लेने वाला कौन है, उससे उन्हें कोई मतलब नहीं है. वे तो पुलिस के सामने बेबस और लाचार हैं. होम मिनिस्टर बदले या पुलिस कमिशनर, वसूली देने वालों की हालत पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.

लेकिन जनता को जब वोट देने का मौका आता है, वो हिसाब बराबर कर देती है. आज जनता शिव सेना से, उद्धव ठाकरे से, दु:खी है, नाराज़ है, लेकिन हताश जनता अवसर के इंतज़ार में है. परमबीर सिंह ने हिम्मत दिखाई है. महाराष्ट्र की राजनीति के इतिहास में आज तक किसी पुलिस अफसर ने ये काम नहीं किया. हो सकता है, परमबीर को इसकी क़ीमत चुकानी पड़े लेकिन जो काम उन्होने किया है, वो महाराष्ट्र में वसूली करने वालों को डरायेगा. उम्मीद तो ये है कि अब होम मिनिस्टर या चीफ मिनिस्टर वसूली का आदेश देने से पहले डरेंगे. अब मीडिया और ज़्यादा एलर्ट रहेगा. अब और पुलिस अफसर भी बोलेंगे. अगर इस घटनाक्रम में हफ्तावसूली में थोड़ी भी कमी आ गई, तो उसके लिए लोग परमबीर सिंह को हमेशा याद रखेंगे. परमबीर को भी कुछ याद रखना होगा:
“कुछ लोग तुम्हें समझाएंगे
वो तुमको ख़ौफ़ दिखाएँगे
जो है, वो भी खो सकता है
कुछ भी यहाँ हो सकता है
पर ये लम्हा तुम से ज़िंदा है
ये वक्त नहीं फिर आएगा
तुम अपनी करनी कर गुज़रो
जो होगा देखा जाएगा.”

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