Rajat Sharma

दिल्ली में कोरोना के हालात विस्फोटक, आइए मिलकर इस महामारी का मुकाबला करें

रेलवे ने दिल्ली वालों की मदद के लिए शकूर बस्ती स्टेशन पर 50 मेडिकल कोचेज की तैनाती की है। एक कोच में 16 बेड हैं, यानि सिर्फ शकूरबस्ती स्टेशन पर 800 कोरोना मरीजों के इलाज का इंतजाम है। दिल्ली सरकार बड़े पैमाने पर आरटी-पीसीआर कोविड टेस्ट कराने जा रही है और इस महीने के अंत तक इसे बढ़ाकर 60 हजार रोजाना टेस्ट करने की तैयारी की है। दिल्ली हवाई अड्डे के पास DRDO अस्पताल और दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर में 10,000 बेड के कोविड केयर सेंटर में तैनाती के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 45 डॉक्टरों और 160 पैरामेडिक्स को भेजा गया है।

akb1911 दिल्ली में कोरोना वायरस से बुधवार को 131 लोगों की मौत हो गई जो एक दिन में हुई सबसे ज्यादा मौत है। इसके साथ ही राजधानी में कोरोना से मरनेवालों का कुल आंकड़ा 7,943 हो गया है। बुधवार को 7,486 नए मामले आने के साथ ही दिल्ली में कोरोना संक्रमितों का कुल आंकड़ा पांच लाख को पार कर 5,03,084 तक पहुंच गया है। देश की राजधानी में इस महामारी ने अपना उग्र रूप ले लिया है। दिल्ली अब कोरोना से बुरी तरह प्रभावित शहरों की लिस्ट में नंबर वन पर है।

दिल्ली में खतरा कितना बड़ा है, इसका अंदाजा शायद दिल्ली वालों को अभी नहीं है। पिछले 15 दिनों में एक लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं। कोरोना के मामले अचानक बढ़ने से राजधानी का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी प्रभावित हुआ है। अस्पतालों में आईसीयू बेड की कमी हो गई है। वेंटिलेटर सपोर्ट वाले 92 प्रतिशत और बगैर वेंटिलेटर सपोर्ट वाले 88 प्रतिशत आईसीयू बेड फुल हो चुके हैं। कोरोना मरीजों के परिजन वेंटिलेटर वाले बेड की तलाश में एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल का चक्कर लगा रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स हालात की गंभीरता को देखते हुए आपात स्तर पर बेंगलुरु से 250 वेंटिलेटर भेज रहा है। लेकिन जिस तरह से आंकड़े बढ़ रहे हैं, वेटिंलेटर्स की यह संख्या पर्याप्त नहीं हैं।

डायबिटीज और मोटापे से पीड़ित लोगों में मृत्यु दर बहुत ज्यादा है। मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह दिल्ली में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर है। इससे पहले कोरोना संक्रमण की पहली लहर जून में और दूसरी सितंबर में देखी गई थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हालात का जायजा लेने के लिए LNJP और गुरु तेग बहादुर अस्पतालों का दौरा किया। उन्होंने वादा किया है कि अगले कुछ दिनों में 663 ICU बेड बढ़ाए जाएंगे। केंद्र ने 750 अतिरिक्त बेड उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है।

रेलवे ने दिल्ली वालों की मदद के लिए शकूर बस्ती स्टेशन पर 50 मेडिकल कोचेज की तैनाती की है। एक कोच में 16 बेड हैं, यानि सिर्फ शकूरबस्ती स्टेशन पर 800 कोरोना मरीजों के इलाज का इंतजाम है। दिल्ली सरकार बड़े पैमाने पर आरटी-पीसीआर कोविड टेस्ट कराने जा रही है और इस महीने के अंत तक इसे बढ़ाकर 60 हजार रोजाना टेस्ट करने की तैयारी की है। दिल्ली हवाई अड्डे के पास DRDO अस्पताल और दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर में 10,000 बेड के कोविड केयर सेंटर में तैनाती के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 45 डॉक्टरों और 160 पैरामेडिक्स को भेजा गया है।

अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में दशहरा के बाद से दिल्ली के प्रमुख बाजारों और दुकानों में भारी भीड़ को लेकर मैं चेतावनी दे रहा था। भीड़ ऐसी कि जिसमें एक इंच भी जगह नहीं थी। दिवाली खत्म होने के बाद भी बुधवार को हमने फिर से साउथ दिल्ली के सरोजिनी मार्केट में भारी भीड़ की तस्वीरें दिखाई। कमोबेश ऐसी ही तस्वीरें चांदनी चौक, गांधी नगर, सदर बाजार और लाजपत नगर में भी देखने को मिलीं। अब समय आ गया है कि कोरोना के गाइडलाइंस, इससे जुड़े दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए नहीं तो हालात नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं।

कोरोना के खतरे का सबसे भयानक और डरावना असर दिख रहा है दिल्ली के कब्रिस्तानों और श्मशानों में। श्मशान घाटों से फिर वही तस्वीरें आ रही हैं जो मई-जून में आती थीं। चार महीने पहले हालात ऐसे थे कि सिर्फ सीएनजी और इलैक्ट्रिक क्रीमेटोरियम से काम नहीं चल रहा था इसलिए लकड़ी की चिता पर लाशें जलाई जा रही थी। अब दिल्ली में फिर से लकड़ी की चिताएं जलने लगी है। प्रशासन ने कोरोना की वजह से हो रही मौतों की संख्या को देखते हुए लकड़ी की चिता पर अन्तिम संस्कार की इजाजत दी गई है। इसके आलावा निगमबोध घाट पर अन्तिम संस्कार के लिए तीन और इलेक्ट्रिक भट्टियां बनाई गई हैं।

ऐसे समय में जब महामारी से लड़ने के लिए सभी दलों के नेताओं को हाथ मिलाना चाहिए था, लेकिन इसकी बजाय नेता राजनीति में व्यस्त हैं। खासकर यमुना के किनारे छठ पूजा को लेकर खूब राजनीति हो रही है। दिल्ली में सार्वजनिक जगहों पर छठ पूजा बैन करने के दिल्ली सरकार के फैसले का बीजेपी तीखा विरोध कर रही है। इसे लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के नेताओं में तीखी जुबानी जंग हुई। दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी ने सीएम अरविंद केजरीवाल को अपशब्द तक बोल दिया। मनोज तिवारी ने ट्वीट करके..केजरीवाल को ‘नमक हराम’ कह दिया। मनोज तिवारी ने कहा कि गाइडलाइंस के नाम पर केजरीवाल झूठा ड्रामा कर रहे हैं। उनका कहना था कि केजरीवाल ने अपने समर्थकों की भीड़ के साथ अक्षरधाम में दिवाली क्यों मनाई? और अब लोगों को छठ पूजा करने से मना कर रहे हैं। मनोज तिवारी ने अपने इसी ट्वीट में पूछा कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में बार-रेस्तरां को 24 घंटे खोलने की अनुमति क्यों दी है?

बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने छठ पूजा को लेकर दिल्ली सरकार के फैसले को बरकरार रखा। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने सार्वजनिक जगहों पर छठ पूजा करने पर रोक लगाई थी। केजरीवाल सरकार के फैसले को दुर्गा जन सेवा ट्रस्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई और दिल्ली सरकार के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सार्वजनिक जगहों पर छठ पूजा के लिए लोगों को इकट्ठा होने की इजाजत देना संक्रमण को तेजी से बढ़ने की अनुमति देना होगा। हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है और लोगों को भीड़ की इजाजत देने से महामारी और तेजी से फैलेगी। हाईकोर्ट ने कहा कि त्योहार के लिए ज़िंदा रहना ज़रूरी है। सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सुब्रमनियम प्रसाद की बेंच ने याचिकाकर्ता पर तीखे कमेंट किए। ट्रस्ट ने अपनी याचिका में छठ पूजा के लिए एक हजार लोगों के जमा होने की इजाजत मांगी थी। हाईकोर्ट ने कहा-‘ओह रियली..आज जब दिल्ली सरकार शादी के लिए पचास से ज्यादा लोगों को इकट्ठा होने की इजाजत नहीं दे रही है, आप चाहते हैं कि एक हजार लोगों को पूजा की इजाजत दी जाए। ऐसा कैसे हो सकता है? कोर्ट ने कहा-‘आज के समय में ऐसी याचिका जमीनी हकीकत से कोसों दूर है।’

दिल्ली में कोरोना इतनी तेजी से क्यों बढ़ा ये कोई राज नहीं है। पिछले पंद्रह दिनों में लोग खरीददारी करने बाजारों में पहुंचे, ये तो हम सबने देखा है। लेकिन कितने लोग एक-दूसरे से गले मिले ये हमने नहीं देखा। परिवार में पार्टियां हुई और पूरे के पूरे परिवार संक्रमित हो गए। जिन्होंने दीवाली घर में मनाई, पूजा भी ऑनलाइन की वो सुरक्षित हैं। अब शादियां आने वाली हैं तो पार्टियां शुरू हो गई और पार्टियों में न तो संख्या पर कोई रोक लगी और न किसी ने कोरोना से बचने के बारे में सोचा। इस मस्ती के माहौल का असर ये हुआ कि दिल्ली में कोरोना के मामलों में अचानक से उछाल आ गया। अब सरकार भी कन्फ्यूज है कि करे तो क्या करें….कितने लोगों का मास्क न पहनने पर चालान करें..जब हजारों लोग एक साथ नियम तोड़ते हैं तो कौन किसको पकड़े? बाजार बंद करें तो कोराबार का नुकसान और बाजार खोले तो लोगों की भीड़ बेकाबू। दूसरी बात ये कि अगर कुछ बाजार बंद कर भी दिए जाएं तो इससे क्या फर्क पड़ेगा, कुछ दुकानदारों की रोजी-रोटी मारी जाएगी। जिन लोगों को बाजार जाना है, घर से निकलना है, वो लोग उन मार्केट में भीड़ लगाने पहुंच जाएंगे जो खुले रहेंगे। इसलिए लॉकडाउन या बाजार बंद करने का अब फायदा नहीं दिखता। एक बात और है- ये त्योहारों का मौसम है। दिल्ली सरकार ने दीवाली की भीड़ से सीख ली और दिल्ली में घाटों पर छठ पूजा पर पाबंदी लगा दी, लेकिन दिल्ली सरकार को इस बात का अंदाजा नहीं था कि लोग छठ के लिए अपने अपने घर जाने के लिए भी निकलेंगे। बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन्स पर लोगों की भारी भीड़ नजर आ रही है।

दिल्ली में कोरोना की हालत कितनी खराब है, ये डॉक्टर्स से ज्यादा बेहतर कोई नहीं बता सकता। बुधवार को मैंने दिल्ली के 5 बड़े डॉक्टर्स से बात की। ये सब डॉक्टर्स ब़ड़े-बड़े हॉस्पिटल के साथ जुड़े हुए हैं। सबने कहा कि दिल्ली में हालत विस्फोटक और खतरनाक हैं। डॉक्टर्स ने कहा कि हमें अपने मरीज़ों के लिए आईसीयू में बेड्स नहीं मिल रहे हैं। 10-10 हॉस्पिटल में फोन करके आईसीयू बेड के लिए गुहार लगानी पड़ती है, हाथ जोड़ने पड़ते हैं। इन डॉक्टर्स ने बताया कि इतनी मारामारी है कि कई मामलों में आईसीयू बेड के इंतजार में मरीजों की मौत हो गई। डॉक्टर्स का कहना है कि ये कहना तो बहुत आसान है कि और आईसीयू बेड्स बढ़ा दिए जाएंगे। लेकिन आईसीयू बेड को मैनेज करने के लिए डॉक्टर्स चाहिए.. नर्सेस चाहिए, ये कहां से आएंगे? डॉक्टर्स ने कहा कि अगर लोग नहीं संभले तो हालात भयानक हो जाएंगे, कैजुअल्टीज बहुत बढ़ जाएंगी।

जब मैंने डॉक्टर्स से पूछा कि रास्ता क्या है? करें क्या? तो उन्होंने कहा कि रास्ता वही है जो आप पिछले 8 महीने से रोज बताते हैं। मास्क लगाइए, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करिए और बार – बार हाथ धोते रहिए। डॉक्टर्स का कहना है कि हम जिस व्यक्ति से भी मिलते हैं उसको पॉजिटिव मान कर चलना चाहिए। मास्क लगाने के लिए जिद करनी चाहिए और दो लोगों ने मास्क लगाया हो तो भी 2 गज की दूरी रखनी चाहिए। मैं तो आपसे फिर यही कह सकता हूं 2 गज की दूरी और मास्क है जरुरी। त्योहार तो बाद में भी मना सकते हैं, दोस्तों से गले बाद में भी मिल सकते हैं, लेकिन ये सब करने के लिए जिंदा रहना जरुरी है।

छठ पूजा को लेकर दिल्ली में जो राजनीति चल रही है उसके बारे में तो मेरा कहना है कि दिल्ली में तीस से पैंतीस प्रतिशत वोटर बिहार से, पूर्वांचल से हैं। दिल्ली में कुल एक करोड़ चालीस लाख वोटर है। इनमें से बिहार, पूर्वांचल के वोटर्स की तादाद करीब चालीस लाख है। इसलिए सभी पार्टियों की कोशिश होती है कि पूर्वांचल के लोगों के साथ खड़े रहें, उनका समर्थन हासिल करें, उनकी भावनाओं का ख्याल रखें। लेकिन कोरोना के वक्त में घाटों पर छठ पूजा की मांग करना मैं ठीक नहीं मानता। कोरोना के इस वक्त में तो ये जरूरी है कि पूर्वांचल के लोगों को ये समझाया जाए कि घऱ में रहिए, घाटों से दूर रहेंगे तो कोरोना से बचे रहेंगे। जब दिवाली पूजन घर में रहकर हो सकती है तो छठ की पूजा और भगवान को अर्घ्य भी दिया जा सकता है। लेकिन सब बातें सियासी पिच पर फिट नहीं बैठती क्योंकि सिर्फ दिल्ली में नहीं मुंबई में भी छठ को लेकर सियासत हो रही है। वजह भी वही है। मुंबई में भी बिहार और पूर्वांचल के लोगों की संख्या सियासी समीकरण तय करने लायक है, जीत हार का फैसला करती है। इन लोगों से भी मेरी यही अपील है कि घर में रहिए और कोरोना से बचिए।

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