Rajat Sharma

तूफान : मोदी ने गुजरात को भारी तबाही से बचाया

akb fullगुजरात में आये भयंकर तूफान से तबाही हुई है, हज़ारों बिजली के खंभे गिर गए हैं, करीब एक हज़ार पेड़ उखड़ गये हैं और तकरीबन 4,600 गांवों में कच्चे मकानों को भारी नुकसान पहुंचा है. गुजरात के राहत आयुक्त के मुताबिक, अभी तक किसी की मौत की खबर नहीं आई है. ऐसा लग रहा है कि तूफान से पहले सरकार ने जो तैयारियां की, उसका फायदा मिला, किसी इंसान की जान नहीं गई, कोई बड़ी अनहोनी नहीं हुई, ये बड़ी बात है, लेकिन अभी मुसीबत खत्म नहीं हुई है. तूफान अब दक्षिण राजस्थान की तरफ बढ रहा है. तूफान से हुए नुकसान का अंदाजा तो तूफान के गुजर जाने के बाद लगेगा लेकिन इस तूफान ने आने से पहले ही बहुत नुकसान कर दिया है. ये तूफान गुजरात के जिन ज़िलों से होकर गुज़रा, वो भारी औद्य़ोगिक गतिविधयों वाले इलाके हैं, यहां पर ऑयल रिफ़ाइनरी, इंडस्ट्रियल पार्क और बड़े बड़े पोर्ट हैं. तूफ़ान की वजह से गुजरात के सात ज़िलों के 21 छोटे बड़े पोर्ट्स बंद कर दिए गए हैं. समुद्र में बने ऑयल रिग यानी तेल के कुंओं पर भी काम रुका हुआ है. तेल की रिफाइनरी भी बंद कर दी गई थीं. एक्पर्टर्स का कहना है कि हर रोज कम से कम पांच सौ करोड़ का नुकसान तो सिर्फ पोर्ट्स पर हो रहा है और ये अभी कई दिन तक होगा क्योंकि ऑपरेशन्स को नॉर्मल होने में वक्त लगेगा. मुझे लगता है कि इस भयंकर तूफान की ताकत के सामने ये नुकसान बहुत कम है. आज जो स्थिति है, उसे देखकर कहना पड़ेगा कि नरेन्द्र मोदी ने दिखा दिया कि डिजास्टर मैनेजमेंट के मामले में, बड़ी से बड़ी आपदा से निपटने के मामले में उनका कोई मुकाबला नहीं है. मोदी ने खतरे की गंभीरता को वक्त रहते समझा, तैयारी की, देश ने इस आपदा का मुकाबला किया, ये बहुत बड़ी बात है.

बृज भूषण के खिलाफ चार्जशीट
बृजभूशण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन कर रहे पहलवानों से सरकार ने जो वादा किया था, उसे गुरुवार को पूरा कर दिया गया. छह पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ यौन शोषण के इल्जाम लगाए थे. इन लड़कियों के आरोपों के आधार पर दर्ज केस में दिल्ली पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने राउज एवेन्यू कोर्ट में एक हजार से ज्यादा पन्नों की चार्जशीट पेश की है. इसमें बृजभूषण को दफा 354, 354A और 354D के तहत आरोपी बनाया है. इस केस में रेसलिंग फेडरेशन के सचिव विनोद तोमर को भी आरोपी बनाया गया है. इस मामले में बजभूशण शरण सिंह को जिन धाराओं में आरोपी बनाया गया है, उनमें एक साल से लेकर पांच साल तक की सज़ा का प्रावधान है. ज्यादातर दफाएं जमानती हैं. सिर्फ 354A गैरजमानती है लेकिन इसमें भी ये जांच अधिकारी के विवेक पर निर्भर है कि आरोपी को गिरफ्तार करना है या नहीं. अगर आरोपी जांच में सहयोग नहीं करता, तभी उसकी गिरफ्तारी होती है. लेकिन दिल्ली पुलिस ने जो चार्जशीट फाइल की है उसमें कहा गया है कि आरोप लगाने वाली पहलवानों ने सबूत के तौर पर पांच फोटोग्राफ्स दी हैं, कुछ डिजिटल एवीडेंस दिए हैं. दिल्ली पुलिस ने 25 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं. इन सबके आधार पर बृजभूषण के खिलाफ मामला बनता है. बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दर्ज नाबालिग के यौन शोषण के केस में दिल्ली पुलिस ने कैंसिलेशन की एप्लीकेशन फाइल की है, यानी दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कह दिया कि उसे इस मामले में केस चलाने लायक कोई सबूत नहीं मिले, जिस लड़की ने ये इल्जाम लगाए थे, उस लड़की ने अपने बयान वापस ले लिए हैं. यानी अब बृजभूषण शरण सिंह को तुरंत गिरफ्तार करने की नौबत नहीं आएगी. कुल मिलाकर खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने साक्षी मलिक और बजंरग पूनिया से 15 जून तक चार्जशीट फाइल होने का जो वादा किया था, वो पूरा हो गया. दिल्ली पुलिस ने तय डेडलाइन खत्म होने से पहले चार्जशीट फाइल कर दी. अब राउज एवेन्यू कोर्ट के चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट 22 जून को इस मामले में सुनवाई करेंगे. बृज भूषण कई महीनों से एक दबंग की तरह खुलेआम घूम रहे थे, बयानबाजी कर रहे थे, सबूत मांग रहे थे. दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ गवाहों के बयान, सबूत और लड़कियों के बयानों के आधार पर तैयार चार्जशीट फाइल कर दी. अब नेताजी को लेने के देने पड़ सकते हैं, अगर वो ये सोच रहे हैं कि नाबालिग लड़की ने अपना बयान बदला उसके पिता ने शिकायत वापस ली और इस आधार पर दिल्ली पुलिस ने बृज भूषण के खिलाफ पाक्सो एक्ट में दर्ज केस को वापस लेने की एप्लीकेशन कोर्ट में दे दी, इसलिए वो बच गए, तो वो गलत सोच रहे हैं. ये इतना आसान नहीं है, अब ये अदालत तय करेगी कि दिल्ली पुलिस की एप्लीकेशन मंजूर की जाए या न की जाए. अदालत पूछ सकती है लड़की ने बयान क्यों बदला, अपनी मर्जी से बदला या उस पर कोई दबाव था, लेकिन ये सही है कि इस मामले में शुरू से ही दिल्ली पुलिस का जो रवैया रहा है, उससे ऐसा परसेप्शन बना था कि बृजभूषण को बचाने की कोशिश की जा रही है. जब आरोप लगाने वाली बेटियों को जंतर मंतर पर सड़क पर घसीटे जाने की तस्वीरें आई तो दिल्ली पुलिस की और बदनामी हुई. इसलिए जब दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट फाइल की तो उसे भी शक की निगाह से देखा गया. पहली बात तो ये है कि अनुराग ठाकुर ने खिलाडियों से जो वादा किया था उसे आज दिल्ली पुलिस ने पूरा कर दिया. बृजभूषण खुश होंगे कि सिर पर अब तुरंत गिरफ़्तारी की तलवार नहीं लटकेगी और महिला पहलवानों को लगेगा कम से कम चार्ज शीट तो फाइल हुई है . इसके साथ साथ ये साफ हो गया कि भारतीय कुश्ती संघ अब बृज भूषण के चंगुल से आजाद हो जाएगा. अब महिला पहलवानों को नेता जी के आतंक के साये में नहीं जीना पड़ेगा.

विपक्ष कॉमन सिविल कोड से क्यों डर रहा है ?

देश में एक बार फिर यूनीफॉर्म सिविल कोड पर चर्चा शुरू हो गई है. चूंकि लॉ कमीशन ने आम लोगों से अगले तीस दिन में यूनीफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू करने पर राय मांगी है, जिसके आधार पर लॉ कमीशन अपनी रिपोर्ट तैयार करके सरकार को देगा. जैसे ही लॉ कमीशन के इस कदम की जानकारी आई तो प्रतिक्रियाएं आनी शुरु हो गई. सबसे पहले मौलानाओं ने, मुस्लिम नेताओं ने इस पर एतराज जताया. सबसे तीखी प्रतिक्रिया जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की आई. मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि देश में किसी भी सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को नहीं छेड़ा, लेकिन मौजूदा सरकार जानबूझकर ये कर रही है. मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि कुछ लोग मुसलमानों के हौसले को तोड़ना चाहते हैं, मुसलमानों के साथ दुश्मनी की मिसाल पेश करना चाहते हैं, .देश इसे कभी भूलेगा नहीं. दारुल उलूम फिरंगी महल के मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड की कोई ज़रूरत नहीं है. समाजवादी पार्टी के MP शफीकुर रहमान बर्क ने कहा कि लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं, कई राज्यों के चुनाव करीब हैं, इसलिए बीजेपी इस तरह के मुद्दे उठा रही है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इल्जाम लगाया कि मोदी सरकार अपनी नाकामियों से ध्यान भटकाना चाहती है, ध्रुवीकरण करना चाहती है, इसलिए एक बार फिर यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे को फिर से हवा दी जा रही है. असल में नेताओं की परेशानी लॉ कमीशन के कदम से नहीं है. उनकी परेशानी ये है कि बीजेपी के एजेंडा में तीन बड़े मुद्दे थे (1) अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण, (2) जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म करना और (3) देश मे कॉमन सिविल कोड़ लागू करना. नरेन्द्र मोदी की सरकार राम मंदिर और आर्टिकिल 370 का वादा पूरा कर चुकी है. सिर्फ कॉमन सिविल कोड का मसला बचा है. चूंकि अगले साल चुनाव होना है इसीलिए विपक्ष को, मुस्लिम संगठनों को, .मौलानाओं को लग रहा है कि सरकार अगले कुछ महीनों में कॉमन सिविल कोड लागू करगी और बीजेपी इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाएगी. अगर नरेन्द्र मोदी की सरकार ने कॉमन सिविल कोड बिल चुनाव पहले पार्लिय़ामेंट में पेश कर दिया तो सबसे ज्यादा परेशानी कांग्रेस नेताओं को होगी, जो अभी अभी नए हिंदू हितैषी बने हैं, जिन्होंने मध्यप्रदेश में राम और हनुमान के नाम का जाप शुरु किया है. कांग्रेस के अलावा NCP, JD-U, RJD और उद्धव ठाकरे की शिवसेना जैसे तमाम दलों के सामने भी बड़ा कन्फ्यूजन होगा, जो बिल का विरोध करेगा उस पर हिन्दू विरोधी होने का टैग लगेगा, और अगर वो सपोर्ट में आए तो ओवैसी जैसे नेता कहेंगे कि सिर्फ वही मुसलमानों के हितों की बात करते हैं, वो कहेंगे कि कांग्रेस और दूसरे दल तो मुसलमानों के खिलाफ मोदी के साथ खड़े हैं, लेकिन अगर सरकार ने वाकई में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर दिया तो ये बहुत बड़ा राजनीतिक कदम होगा और इसीलिए जैसे ही लॉ कमीशन ने कॉमन सिविल कोड पर पब्लिक की राय मांगी तो नेताओं ने शोर मचाना शुरू कर दिया है. मैं आपको बता दूं कि इस वक्त देश में गोवा अकेला ऐसा राज्य है जहां यूनीफॉर्म सिविल कोड लागू है, और उत्तराखंड ने कॉमन सिविल कोड लागू करने का एलान किया है. इसके लिए एक्सपर्ट्स की कमेटी इस महीने के अंत तक अपनी रिपोर्ट सरकार को दे देगी. इसके बाद पुष्कर धामी की सरकार यूनीफॉर्म सिविल कोड बिल लेकर आएगी.

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