Rajat Sharma

चुनाव में फेक वीडियो : एक खतरनाक खेल

AKB30 लोकसभा चुनाव में डीप फेक और फेक वीडियो की भी एंट्री हो गई. दिल्ली में केस दर्ज हुआ. दिल्ली की पुलिस तेलंगाना तक पहुंच गई. तेलंगाना के मुख्यमंत्री को पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया गया. रेवंत रेड्डी के फोन की जांच भी होगी. इस मामले में असम से कांग्रेस से एक कांग्रेस समर्थक की गिरफ्तारी हुई है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी चुनाव में डीप फेक के इस्तेमाल पर चिंता जताई. लोगों से सावधान रहने को कहा. IT मंत्री अश्विनी वैष्णव की अगुआई मे बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला. इस वीडियो को फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. कांग्रेस के नेता अब इस मामले में सफाई देते घूम रहे हैं. असल में हुआ ये कि गृह मंत्री अमित शाह ने तमिलनाडु की एक चुनाव रैली में कहा कि तीसरी बार केन्द्र में बीजेपी की सरकार आएगी तो जहां जहां असंवैधानिक तौर पर मुस्लिम आरक्षण लागू है, उसे खत्म किया जाएगा. लेकिन उनके वीडियो की editing की गई. ‘मुस्लिम’ शब्द हटाकर ‘दलित आदिवासी’ जोड़ दिया गया. यानि अमित शाह को ये कहते हुए दिखाया गया कि बीजेपी की सरकार आएगी तो असंवैधानिक तौर पर लागू दलित, पिछड़े और आदिवासियों का आरक्षण तुंरत खत्म कर देगी. चूंकि आवाज अमित शाह की थी, एडीटिंग इतनी सफाई से की गई कि किसी भी सुनने वाले को लगेगा कि अमित शाह ने यही कहा कि बीजेपी की सरकार आरक्षण को खत्म करेगी. इस वीडियो को सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म्स पर खूब वायरल किया गया. इसके बाद बीजेपी हरकत में आई, पुलिस एक्शन भी हुआ, चुनाव आयोग से शिकायत भी हुई, बड़े-बड़े नेताओं ने कैंपेन के दौरान इसकी हकीकत बताई लेकिन सवाल ये है कि आखिर इस वीडियो का तेलंगाना से क्या कनैक्शन है? चूंकि अमित शाह का ये वीडियो तेलंगाना में कांग्रेस की स्टेट यूनिट के ऑफिशियल हैंडल से X पर पोस्ट किया गया, इसलिए दिल्ली पुलिस की टीम हैदराबाद में कांग्रेस दफ्तर में पहुंची. तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं. इसलिए दिल्ली पुलिस ने रेवंत रेड्डी को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है. रेवंत रेड्डी के अलावा तेलंगाना कांग्रेस के नेता सतीश, नवीन, शिवाशंकर और अस्मा तस्लीम को भी नोटिस भेजा गया है. इन सभी लोगों से अपने मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक गजेट्स साथ लाने को कहा गया है. इन पर आईटी एक्ट और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने और समाज मे विद्वेष फैलाने की कोशिश की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है. जिस वक्त दिल्ली पुलिस ने तेलंगाना कांग्रेस के नेताओं को नोटिस सर्व किया उस वक्त रेवंत रेड्डी कर्नाटक के कलबुर्गी में प्रियंका गांधी की एक चुनावी सभा में थे. रेवंत रेड्डी ने कहा कि बीजेपी अब तक चुनाव में ED, CBI और Income Tax का ही इस्तेमाल कर रही थी, लेकिन अब इस सूची में दिल्ली पुलिस का नाम भी जुड़ गय़ा है. रेवंत रेड्डी ने कहा कि चुनाव में हार के डर से बीजेपी ये सब करवा रही है. मंगलवार को अमित साह ने गुवाहाटी में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि उनके भाषण का फेल वीडियो बनवाने में कांग्रेस का हाथ है. उन्होने कहा कि जिन लोगों ने भी ये हरकत की कि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उधर, महाराष्ट्र के सतारा और कर्नाटक के बागलकोट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रैलियों को संबोधित करते हुए लोगों को आगाह किया कि एक बहुत बड़ी साज़िश पर काम हो रहा है ताकि Artificial Intelligence, Deepfake के जरिए नकली वीडियो बना कर लोगों को गुमराह किया जाय और समाज में वैमनस्य को बढावा दिया जाय. मोदी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटैलीजेंस और सोशल मीडिया के जमाने में जो इसका दुरूपयोग कर रहे हैं, जो समाज को भड़काने और आग लगाने की कोशिश कर रहे हैं, उनसे सावधान रहने की जरूरत है. मोदी ने कहा कि पुलिस तो इस तरह की हरकत करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि चुनाव आयोग भी इस मामले को गंभीरता से लेगा. टैक्नोलॉजी के ज़माने में असली नकली में फर्क करना मुश्किल है. नेता वही, आवाज़ वही, हाव-भाव वही, लेकिन शब्द नकली. ये फिल्मों और टीवी सीरियल्स में हो, तो बात समझ में आती है लेकिन जब चुनाव के दौरान नेताओं के ऐसा बोलते हुए दिखाया जाए, जो उन्होंने कहा ही नहीं हैं, तो बहुत मुश्किल हो जाएगी. आजकल हर हाथ में मोबाइल है. सबके फोन में व्हाटसैप, ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब जैसे तमाम सोशल मीडिया एप हैं. एक नकली वीडियो कुछ ही सेकेन्ड में लाखों लोगों तक पहुंच जाता है और लोग इस सच मानकर forward कर देते हैं. इसलिए ये भयानक खेल है. लोकतन्त्र के लिहाज़ से खतरनाक खेल हैं. चूंकि लोगों के पास वीडियो की असलियत को जानने का तो कोई ज़रिया नहीं हैं, इसलिए कम से कम आप इतना कर सकते हैं कि बिना सोचे समझे किसी वीडियो को forward न करें, वरना मुसीबत में पड़ सकते हैं क्योंकि IT एक्ट बहुत सख्त हैं. अगर आप किसी गलत वीडियो को पोस्ट करते हैं या फॉरवर्ड करते हैं तो जेल जा सकते हैं. इसीलिए मोदी ने कहा कि सावधान रहिए. जहां तक विरोधी दलों के नेताओं का सवाल है, तो ये साफ हो गया कि अमित शाह का नकली वीडियो जानबूझ कर सोची समझी रणनीति के तहत फैलाया गया क्योंकि जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, उसके बाद गुजरात से लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार तक कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और RJD के नेताओं ने रैलियों में कहना शुरू कर दिया कि बीजेपी ने दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण को खत्म करने की तैयारी कर ली है. अगर मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो आरक्षण खत्म हो जाएगा. गुजरात के पाटन में राहुल गांधी ने एक रैली में कहा कि बीजेपी के नेता कहते हैं कि वो किसी कीमत पर आरक्षण खत्म नहीं करेंगे, लेकिन हकीकत ये है कि बीजेपी के लोग संविधान और आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं, इसीलिए वो सरकारी नौकरियां खत्म कर रहे हैं, निजीकरण को बढावा दे रहे हैं क्योंकि निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू नहीं होता. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आगरा और एटा की रैलियों में कहा कि बीजेपी के लोग आरक्षण के घोर विरोधी हैं. वो संघ के इशारे पर धीरे धीरे आरक्षण को ख़त्म करते जा रहे हैं. बिहार के सारण में अपनी बेटी रोहिणी आचार्य का प्रचार करने पहुंचे लालू प्रसाद यादव ने भी कहा कि अब लड़ाई सरकार बनाने की नहीं, संविधान और आरक्षण को बचाने की है. लालू ने कहा कि संविधान को बचाने के लिए ही सारे दल इकट्ठा हुए हैं और सब मिलकर बीजेपी को हराएंगे. इसके बाद लालू ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में भोजपुरी गीत गुनगुनाते हुए कहा कि बीजेपी को जनता ऐसा धक्का लगाएगी कि वो सत्ता से हट जाएंगे. विरोधी दलों के नेताओं के आरोपों का जवाब प्रधानमंत्री मोदी ने दिया. मोदी ने महाराष्ट्र के सोलापुर की रैली में कहा कि वो तो क्या, बाबा साहब अंबेडकर भी अब आरक्षण को खत्म नहीं कर सकते. इसलिए विरोधी दलों के नेता जो झूठ फैला रहे हैं, उस पर यकीन करने की जरूरत नहीं हैं. मोदी ने कहा कि कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन के लोगों को अपनी हार साफ दिख रही है, इसलिए वो परेशान हैं और अब लोगों के बीच झूठ फैलाने में जुट गए हैं और कह रहे हैं कि मोदी सरकार आरक्षण खत्म कर देगी.मोदी ने कहा कि जब तक मैं जिंदा हूं मैं आरक्षण को खत्म नहीं होने दूंगा. इस चुनाव में कांग्रेस की कोशिश है कि किसी तरह बीजेपी पर ये बात चिपका दी जाए कि मोदी और उन की पार्टी आरक्षण विरोधी है. अमित शाह का फेक वीडियो , राहुल और लालू के बयान इसी सोची समझी नीति का हिस्सा हैं. लेकिन आजकल लोग काफी जागरूक हैं. सब समझते हैं कि doctored वीडियो क्या होते हैं, कैसे तैयार किए जाते हैं. लोग ये भी जानते हैं कि जहां तक आरक्षण का सवाल है, आज के ज़माने में कौन इसे हटाने की बात कहेगा? न कोई आरक्षण हटा सकता है, न कोई इसके बारे में सोच सकता है. और ये कोई आखिरी चुनाव तो है नहीं. बीजेपी को आगे भी चुनाव लड़ने हैं. आगे भी सरकारें बनानी है. आगे भी पार्टी चलानी है. इसीलिए ये नैरेटिव बिलकुल बेकार है कि मोदी आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं. इस बात की शुरुआत लालू यादव ने की थी. राहुल गांधी ने भी यही बात बड़ी चालाकी से फैलाने की कोशिश की. इसको 400 पार के नारे से जोड़ा. ये कहा कि मोदी इसीलिए 400 सीटें चाहते हैं ताकि आरक्षण खत्म कर दें. इस बात पर कोई यकीन नहीं करेगा. पहली बात तो ये है कि मोदी को यहीं रहना है. इसी देश में रहना है. यहीं चुनाव लड़ने हैं. और दूसरी बात ये कि OBC, दलित, SC-ST को लेकर मोदी का पिछले 23 साल का ट्रैक रिकॉर्ड बिलकुल साफ है. अब मोदी ने ये कहकर पलटवार किया है कि कांग्रेस ओबीसी का कोटा काटकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है. चुनाव के मैदान में इस तरह के आरोप प्रत्यारोप लगते रहते हैं. बहस भी होती है. लेकिन फेक वीडियो बनाना, लोगों को गुमराह करना, ये अपराध है. इसीलिए ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. न सिर्फ ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, इस बात की गहराई में भी जाना चाहिए कि ऐसा वीडियो किसने बनवाया और झूठ किसने फैलाया? वैसे तो मैं मानता हूं कि ‘ये पब्लिक है, सब जानती है’.

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