Rajat Sharma

गोरखनाथ मंदिर हमला : अब्बासी को उकसाने वाले हैंडलर्स का पता लगाएं

akb full_frame_60183उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध गोरखपीठ मंदिर में हमला करने की कोशिश को नाकाम कर दिया गया। दो पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है, क्योंकि गोरक्षपीठ के महंत खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। इससे भी ज्यादा हैरान करनेवाली बात यह है कि हमलावर कोई साधारण युवक नहीं, बल्कि पेशे से केमिकल इंजीनियर है। 29 साल के इस हमलावर का नाम अहमद मुर्तजा अब्बासी है। उसने 2015 में आईआईटी मुंबई से केमिकल इंजीनियरिंग पास की । नौकरी छोड़ने से पहले उसने दो बड़ी भारतीय कंपनियों में काम किया था। मुर्तजा ने मंदिर की सुरक्षा में तैनात पीएसी के दो जवानों पर दरांती से हमला कर दिया। उसने पीएसी के जवान से उसकी राइफल छीनने की भी कोशिश की लेकिन उसे पकड़ लिया गया।

उत्तर प्रदेश पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि रविवार शाम गोरखनाथ मंदिर के बाहर हमला एक बड़ी आतंकी साजिश का हिस्सा हो सकता है।

सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद गोरखपुर बीआरडी अस्पताल पहुंच गए जहां वे हमले में घायल पुलिसकर्मियों गोपाल गौड़ और अनिल पासवान से मिले। इन जवानों ने हमलावर के मंसूबों पर पानी फेर दिया। हमले के दौरान इनके हाथ और पांव में गहरे जख्म लगे हैं। सीएम योगी ने इन जवानों के साहस और पराक्रम की मुक्त कंठ से सराहना की। साथ ही आश्वस्त किया कि उनके इलाज की सारी जिम्मेदारी सरकार उठाएगी। पीएसी के इन पुलिसकर्मियों और नागरिक पुलिस के सिपाही अनुराग राजपूत के लिए पांच लाख रुपये के इनाम की घोषणा मुख्यमंत्री ने की है।

उत्तर प्रदेश पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक प्रशांत कुमार ने बताया कि रविवार शाम को करीब 7 बजे गोरखनाथ मंदिर आम दिनों की तरह खुला था और बड़ी संख्या में लोग नवरात्रि के कारण दर्शन और पूजा के लिए जा रहे थे। इसी दौरान अहमद अब्बास मुर्तजा मंदिर के उत्तर और पूर्वी गेट को पार करके तेजी से आगे बढ़ा। उसने मेन गेट पर तैनात पीएसी जवान गोपाल गौड़ से उसकी राइफल छीनने की कोशिश की। गोपाल कुछ समझ पाता इससे पहले अब्बासी ने उसकी पीठ पर दरांती से वार कर दिया। हमले में गोपाल बुरी तरह जख्मी हो गया लेकिन तब तक दूसरे जवान अलर्ट हो गए। गोपाल का साथी जवान अनिल पासवान मदद के लिए दौड़ा लेकिन उसे भी मुर्तजा ने दरांती से जख्मी कर दिया। पुलिस के मुताबिक जिस वक्त उसे पुलिस के जवान और स्थानीय लोगों ने काबू में किया वह ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगा रहा था। मुर्तजा को 14 दिन के लिए गोरखपुर जेल भेज दिया गया है।

इस हमले के चश्मदीद थे, मंदिर के बाहर मौजूद दुकानदार। उन्होने कहा कि जैसे ही हमला हुआ तुरंत मंदिर के मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया। मुर्तजा ने दरांती से पीएसी जवानों पर वार किए। वह मेन गेट की ओर भागा और पत्थर फेंकने लगा। स्थानीय लोगों ने मुर्तजा को काबू में लाने के लिए उसपर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। मुर्तजा जमीन पर गिर पड़ा और लोगों ने उसे पकड़ लिया। हमले के वीडियो से जाहिर है कि मुर्तज़ा मंदिर के अंदर मौजूद श्रद्धालुओं पर हमला करने के इरादे से आया था।

एडीजी (कानून और व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा- ‘यह हमला एक बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता है और जो सबूत अभी तक मिले हैं उसके आधार पर इसे आतंकी घटना कहा जा सकता है।’ हमलावर के पास से एक लैपटॉप, आईडी कार्ड, सेलफोन और धारदार हथियार बरामद किए गये हैं। मामले की जांच यूपी एटीएस को सौंप दी गई है और वह स्पेशल टॉस्क फोर्स के साथ जांच को आगे बढ़ाएगी।

मुर्तजा अब्बासी के पिता मुनीर अहमद मुंबई में कई कंपनियों के लिए कानूनी सलाहकार के तौर पर काम करने के बाद रिटायर हो गये थे और वो गोरखपुर में रह रहे हैं। मुनीर अहमद ने पुलिस को बताया कि उनका बेटा 2017 से मानसिक रूप से बीमार है और वह आत्महत्या करना चाहता था। वो कब क्या कर बैठे कुछ नहीं कहा जा सकता। मुर्तजा के पिता ने पुलिस को यह भी बताया कि वह पढ़ाई में अच्छा था और मुंबई में उसका इलाज भी हुआ था।

अहमद मुर्तजा शादीशुदा है लेकिन कुछ गंभीर मनमुटाव के बाद पत्नी ने उसे छोड़ दिया था। मुर्तजा मुंबई में एक प्राइवेट फर्म में काम कर रहा था लेकिन वहां उसकी नौकरी चली गई। पिछले साल वह गोरखपुर के सिविल लाइंस स्थित अपने घर लौट आया। यूपी पुलिस अहमद मुर्तजा के बारे में और ज्यादा जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है। इस संबंध में मुंबई पुलिस से भी संपर्क किया गया है। हमलावर मुर्तजा के चाचा डॉक्टर हैं और वे गोरखपुर के अब्बासी हॉस्पिटल के मालिक हैं।

यूपी पुलिस को कुछ ऐसे सुराग हाथ लगे हैं जिससे पता चलता है कि अहमद मुर्तजा को यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए कट्टरपंथी बनाया जा रहा था। मुतर्जा से बरामद लैपटॉप और सेलफोन से साफ है कि वह कट्टरपंथी इस्लामी उपदेशक ज़ाकिर नाइक को फॉलो करता था। ज़ाकिर नाइक गिरफ्तारी से बचने के लिए इन दिनों विदेश में छिपा हुआ है। मुर्तजा के पेनड्राइव से भी कई जिहादी वीडियो मिले हैं। जांच एजेंसियां उसके सेलफोन में सेव किये गये सभी नंबरों की जांच कर रही है।

मामले की जांच करनेवाले इस बात को खारिज कर रहे हैं कि मुर्तजा ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि वह मानसिक रूप से बीमार था। पुलिस का कहना है कि रविवार शाम का हमला किसी बड़े आतंकी साजिश का हिस्सा हो सकता है। जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश में जुटी हैं कि अहमद मुर्तजा के आका कौन हैं जिन्होंने उसे इस्लामिक कट्टरपंथ की राह पर जाने के लिए उसका ब्रेनवॉश किया। इस हमले को हल्के में नहीं लिया जा सकता।

इस हमले को गंभीरता से लेने के तीन मुख्य कारण हैं। पहला, अहमद मुर्तजा अब्बासी गोरखपुर के एक पढ़े-लिखे मुस्लिम परिवार से है। दूसरा, गोरखपुर का स्थानीय नागरिक होने के कारण उसे इस हमले का महत्व पता था, और तीसरा कारण यह है कि मुर्तजा यह भी जानता था कि उसके पकड़े जाने का नतीजा क्या होगा। इस काम के लिए अब्बासी का ब्रेनवॉश किया गया ताकि अन्य इस्लामी कट्टरपंथियों के बीच एक संदेश दिया जा सके और उत्तर प्रदेश समेत देश के बाकी हिस्सों में माहौल को बिगाड़ा जा सके। इस मामले की गहराई से जांच करने की जरूरत है।

गोरखपुर मंदिर में हमले की कोशिश को लेकर तमाम नेताओं के बयान आए हैं। लेकिन मैं इस बहस में पड़ना नहीं चाहता। मुझे लगता है कि यह मसला न तो सियासत का है, न हिन्दू मुसलमान का, यह मुद्दा आंतरिक सुरक्षा का है, देश के अमन-चैन का है। इसलिए इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।

मुर्तजा के पिता से सबको सहानुभूति है जो अपने बेटे की मानसिक हालत को लेकर चिंतित हैं। एक पिता जिसने बेटे को मेहनत से पढ़ा लिखाकर इंजीनियर बनाया और वो बेटा मंदिर पर हमला कर दे, जिहादी नारे लगाने लगे तो उस पिता पर क्या बीतेगी उसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

लेकिन यह भी सच है कि रूस की पर्ल हुए हमले का मामला हो या फिर लंदन के चर्च पर हमले का केस, हर बार आरोपी के बचाव में यही दलील दी गई कि वो मानसिक तौर पर बीमार है, लेकिन बाद में ये घटनाएं आतंकवादी घटनाएं साबित हुई। चूंकि गोरखनाथ मंदिर में हुए हमले का मामला सुरक्षा से जुड़ा है और मुर्तजा ने जो किया वह गुनाह बहुत बड़ा है। इससे देश का माहौल खराब हो सकता था इसलिए इसकी गहराई से जांच तो होनी चाहिए। यह पता लगना ही चाहिए कि एक पढ़े-लिखे इंजीनियर लड़के के दिमाग में नफरत का जहर भरने वाले कौन हैं? मुर्तजा को मौत बांटने के लिए और मौत के मुंह में भेजने वाले कौन है?

मैं तो उन सुरक्षाकर्मियों की तारीफ करूंगा जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर मुर्तजा को मंदिर में घुसने से रोका। सुरक्षाकर्मियों ने संयम से काम लिया और हथियारबंद मुर्तजा पर गोली नहीं चलाई, उसे सही सलामत पकड़ा। क्योंकि अगर मुर्तजा को कुछ हो जाता तो उन लोगों के नाम कभी सामने नहीं आते जो पढ़े-लिखे मुस्लिम नौजवानों को बरगला रहे हैं, उन्हें गुमराह कर रहे हैं। इस तरह की घटनाओं को अंजाम देकर हिन्दू-मुसलमानों के बीच नफरत की खाई पैदा करके देश के खिलाफ साजिश कर रहे हैं। उम्मीद करनी चाहिए यूपी पुलिस जल्दी से जल्दी अहमद मुर्तजा अब्बासी के आकाओं के चेहरे बेकनाब करेगी और उन्हें कानून के सामने हाजिर करेगी। यह जितना जल्दी होगा, उतना बेहतर।

Get connected on Twitter, Instagram & Facebook

Comments are closed.