Rajat Sharma

कोरोना महामारी के खतरे से आंख मूंद लेना ठीक नहीं

हरिद्वार कुंभ के दृश्य सभी देख सकते हैं। इस मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की जांच के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के पालन की कोशिश नहीं की गई। इस मेले में शामिल होने के लिए सभी को खुला निमंत्रण था। मेले के दौरान साधुओं के ठहरने के लिए विशाल टेंट लगाए गए थे। हालांकि उस वक्त आपत्ति जताई गई थी लेकिन उन आपत्तियों पर ध्यान नहीं दिया गया,उन्हें नजरंदाज किया गया। इन टेंटों में रहनेवालों का आरटी-पीसीआर टेस्ट भी नहीं कराया गया। अब जबकि इतने सारे साधुओं और बड़े संतों की कोरोना रिपोर्ट पॉटिजिव आई है और कुछ ‘शाही स्नान’ बाकी हैं, तब उत्तराखंड शासन जनहित में मेला बंद करने का फैसला क्यों नहीं ले सकता?

AKB30 कोरोना की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। गुरुवार को केवल एक दिन में देशभर में 2.16 लाख नए मामले सामने आए जबकि इस घातक वायरस ने 1,184 लोगों की जान ले ली। दिल्ली और उससे सटे उत्तर प्रदेश के इलाकों में इस महामारी के कहर से हालात भयावह हो गए हैं। देश में कोरोना के कुल एक्टिव मामले पहले ही 15 लाख के आंकड़े को पार कर चुके हैं। यह आंकड़ा दो हफ्ते पहले के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा है।

गुरुवार को 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना के मामलों में सबसे ज्यादा उछाल दर्ज किया गया। इनमें महाराष्ट्र 61,695 मामलों के साथ सबसे ऊपर है। उत्तर प्रदेश में 22,439 मामले, छत्तीसगढ़ में 15,256 मामले, कर्नाटक में 14,738 मामले, मध्य प्रदेश में 10,168 मामले और गुजरात में 8152 मामले दर्ज किए गए। वहीं राजधानी दिल्ली में 16,699 मामले सामने आए हैं।

दिल्ली में शुक्रवार की रात से दो दिनों का वीकेंड कर्फ्यू लगेगा। इस दौरान शराब की दुकानें बंद रहेंगी। वहीं मॉल, बार, रेस्टोरेंट, जिम, स्पा, मनोरंजन पार्क और ऑडिटोरियम 30 अप्रैल तक बंद रहेंगे। रेस्टोरेंट से होम डिलीवरी और टेकअवे की इजाजत होगी, जबकि सिनेमा हॉल को 30 प्रतिशत की क्षमता के साथ सोमवार से शुक्रवार के बीच रात 10 बजे तक संचालन की इजाजत होगी।

पूरे देश की हालत बेहद चिंताजनक है। महाराष्ट्र ने पहले ही 1 मई तक कर्फ्यू लागू कर दिया है जबकि मध्य प्रदेश के शहरों में भी इसी तरह का कर्फ्यू लगाया गया है। सांसों की समस्या और अन्य गंभीर रूप से बीमार लोग लगातार अस्पतालों में पहुंच रहे हैं जिससे अस्पतालों में बेड की कमी हो गई है। ज्यादातर राज्यों में अस्पताल बेड की कमी से जूझ रहे हैं।

उधर, हरिद्वार में निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देव दास (65 वर्ष) की कोरोना संक्रमण से मौत के बाद निरंजनी अखाड़े ने कुंभ से हटने का ऐलान कर दिया है। निरंजनी अखाड़ा दूसरा सबसे बड़ा और प्रमुख अखाड़ा है। कुंभ में 68 बड़े साधुओं की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।

कुंभ मेला परिसर 670 हेक्टेयर में फैला है और यहां श्रद्धालुओं के गंगा स्नान के लिए कई घाट बनाए गए हैं। लेकिन परेशानी ये है कि ज्यादातर श्रद्धालु हर की पौड़ी पर ही डुबकी लगाना चाहते हैं और गंगा आरती के दर्शन पर जोर देते हैं। ये स्थानीय प्रशासन के लिए सिरदर्द बन रहा है।

12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या और 14 अप्रैल को चैत्र संक्रांति/बैसाखी के अवसर इन दो दिनों में 48 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया। इस भीड़ की वजह से कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़े। करीब 50 लाख श्रद्धालुओं में से मुश्किल से करीब दो लाख लोगों ने कोरोना का टेस्ट कराया। वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का कहना है कि मां गंगा के आशीर्वाद के कारण श्रद्धालुओं के बीच कोरोना वायरस नहीं फैलेगा।

हरिद्वार कुंभ के दृश्य सभी देख सकते हैं। इस मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की जांच के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के पालन की कोशिश नहीं की गई। इस मेले में शामिल होने के लिए सभी को खुला निमंत्रण था। मेले के दौरान साधुओं के ठहरने के लिए विशाल टेंट लगाए गए थे। हालांकि उस वक्त आपत्ति जताई गई थी लेकिन उन आपत्तियों पर ध्यान नहीं दिया गया,उन्हें नजरंदाज किया गया। इन टेंटों में रहनेवालों का आरटी-पीसीआर टेस्ट भी नहीं कराया गया। अब जबकि इतने सारे साधुओं और बड़े संतों की कोरोना रिपोर्ट पॉटिजिव आई है और कुछ ‘शाही स्नान’ बाकी हैं, तब उत्तराखंड शासन जनहित में मेला बंद करने का फैसला क्यों नहीं ले सकता?

ज्यादातर अस्पतालों और श्मशानों में हालात भयावह बने हुए हैं। इसके बावजूद ऐसे हजारों लोग हैं जो लापरवाह हैं। राजनीतिक नेताओं ने भी अपना दृष्टिकोण नहीं बदला है जबकि उनपर लोगों को सावधानी बरतने के लिए समझाने की जिम्मेदारी है।

गुरुवार को भी बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर रोड शो जारी रहा और इस दौरान मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग की कोई कोशिश नहीं दिखी। कर्नाटक के बेलगावी उपचुनाव में वोट के लिए नेताओं ने खुलेआम लोगों से हाथ मिलाया और बिना मास्क पहने भीड़ में चले गए। आंध्र प्रदेश के कुरनूल में तेलुगु नववर्ष उगाडी के अवसर पर लोगों का एक भारी जमावड़ा देखने को मिला। इस धार्मिक मेले में हजारों लोगों ने एक-दूसरे पर गोबर फेंका। यहां सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं।

बंगाल में कोरोना प्रतिबंधों को धत्ता बताते हुए रैली और रोड शो के आयोजन को लेकर सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं। यहां मतदान के अभी चार दौर बचे हुए हैं और चुनाव प्रचार अपने चरम पर है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोरोना वायरस फैलाने के लिए ‘बाहरी लोगों’ को दोषी ठहरा रही हैं। उनका कहना है कि ये लोग बीजेपी का प्रचार करने के लिए बाहर से बंगाल आए और यहां कोरोना फैला दिया। वहीं बीजेपी के नेताओं ने ममता सरकार को कुप्रबंधन और दोषपूर्ण योजना के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

ममता बनर्जी ने यहां तक सुझाव दिया है कि बाकी के सभी चरण के चुनाव को एक साथ जोड़ कर एक दौर में ही वोटिंग करा ली जाए, लेकिन चुनाव आयोग ने ऐसी किसी भी संभावना से इंकार किया है। वहीं वामदलों ने बड़ी चुनावी रैलियां नहीं करने का फैसला किया है, जबकि बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार को स्थानीय इलाके तक सीमित रखने का फैसला किया है। ममता बनर्जी अपनी रैलियों को बंद करने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका दावा है कि बीजेपी और वाम मोर्चे की जनसभाओं में लोग नहीं आ रहे हैं। अप्रैल के अंत तक इस तरह से चुनाव प्रचार का अभियान जारी रहेगा और तबतक काफी नुकसान हो चुका होगा। उस हालत में राज्य में कोरोना महामारी की स्थिति क्या होगी और उससे निपटने की चुनौती कैसी होगी इसका अंदाजा आप सहज लगा सकते हैं।

मैंने कई बड़े डॉक्टरों से बात की। उनका कहना है कि यहां लोगों का मास्क न पहनना इस महामारी के फैलने की एक बड़ी वजह है। जापान जैसे देशों में लोगों के बीच मास्क न पहनना एक बड़ा मुद्दा बन जाता है लेकिन भारत में यह नियम के बजाय एक अपवाद है। जब वैक्सीन बन रही थी तो लोग पूछते थे कि वैक्सीन कब आएगी? जब वैक्सीन आ गई तो देश के ज्यादातर लोग ‘इंतजार करना और देखना’ चाहते थे। वे दूसरों पर वैक्सीन के असर को देखना चाहते थे और फिर फैसला लेना चाहते थे। अब जब महामारी तेज गति से फैल गई है तो वैक्सीनेशन के लिए लोगों की भीड़ लगनी शुरू हो गई। इसका नतीजा ये हुआ कि कुछ राज्यों में वैक्सीन के स्टॉक (माल) की कमी हो गई है।

चूंकि शुरुआत में वैक्सीन की देश के अंदर ज्यादा मांग नहीं थी इसलिए वैक्सीन निर्माताओं ने अपने स्टॉक को दूसरे देशों में निर्यात करने का फैसला किया। अब जब वैक्सीन की मांग बढ़ गई तो टीकाकरण के अभियान को आगे बढ़ाने के लिए सभी राज्यों में स्टॉक भेजे जा रहे हैं।

डॉक्टरों ने इस बात पर जोर दिया कि ज्यादातर लोगों को घर के अंदर रहना चाहिए। जबतक कोई बहुत जरूरी काम न हो लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए। अगर लोग कम से कम तीन से चार सप्ताह के लिए खुद को घरों तक सीमित रखें तो महामारी के फैलाव को रोका जा सकता है। अब डबल म्यूटेंट वायरस पूरे भारत में फैल चुका है। आरटी-पीसीआर टेस्ट के रिजल्ट भी गलत आ रहे हैं। यह नया डबल म्यूटेंट स्ट्रेन लोगों पर तेजी से हमला करता है और इसके फैलाव को कंट्रोल करना एक मुश्किल काम है। घरों में रहना, मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग और हाथों को धोते रहने से लोग इस संक्रमण से बच सकते हैं।

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