Rajat Sharma

‘आप की अदालत’ में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल

akb0110 इस बार ‘आप की अदालत’ शो में मेरे मेहमान हैं केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल। मैंने उनसे पूछा कि क्या बजरंगबली कर्नाटक में बीजेपी को शानदार जीत दिलाएंगे? इस पर उन्होंने जो जवाब दिया उसे आपको जरूर सुनना चाहिए। पीयूष गोयल ने जनता को बताया कि वो हनुमान जी के भक्त हैं। हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान मंदिर में पूजा करने जाते हैं। पीयूष गोयल को पूरा भरोसा है कि कर्नाटक में इस बार बजरंगबली उनकी पार्टी को आशीर्वाद देंगे। उन्होंने कहा कि बजरंग बली तो हर जगह मौजूद रहते हैं पर कर्नाटक उनकी जन्मस्थली है। पीयूष गोयल ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि बजरंग बली कर्नाटक की जनता पर कोई संकट नहीं आने देंगे।

‘आप की अदालत’ के इस शो में पीयूष गोयल ने राहुल गांधी पर करारा हमला किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लोग राहुल गांधी को कर्नाटक में प्रचार करने से रोक रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि राहुल गांधी के प्रचार से कांग्रेस को नुक़सान होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री पद के तीन दावेदार हैं: सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे। पीयूष गोयल ने कहा कि कर्नाटक में राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के बजाय कर्नाटक में ‘पार्टी जोड़ो’ यात्रा निकाली थी। पीयूष गोयल ने महाराष्ट्र की राजनीति पर भी बात की। मैंने ज़िक्र किया कि इस बात की बहुत चर्चा है कि महाराष्ट्र में अजित पवार, बीजेपी के साथ आना चाहते हैं और एनसीपी को अपने साथ लाना चाहते हैं। मैंने पीयूष गोयल से पूछा कि क्या बीजेपी को लगता है कि एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री रहते चुनाव लड़ा, तो नुक़सान होगा? क्या महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री को बदला जाएगा? गोयल ने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बने रहेंगे और महाराष्ट्र में अगला विधानसभा चुनाव उन्हीं के नेतृत्व वाली शिवसेना और भाजपा मिलकर लड़ेंगे। पीयूष गोयल ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के इस्तीफे को ‘नाटक’ बताया। पीयूष गोयल के साथ ‘आप की अदालत’ शो आप शनिवार और रविवार रात 10 बजे और रविवार सुबह 10 बजे इंडिया टीवी पर देख सकते हैं।

कर्नाटक : संकट में कांग्रेस

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव का प्रचार जोरों पर है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बेंगलुरू में एक विशाल रोड शो निकाल रहे हैं । उधर, राहुल और सोनिया गांधी भी चुनावी रैलियों को संबोधित कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने यह आरोप लगाकर चुनाव प्रचार में नई गर्मी ला दी कि फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ का विरोध करके कांग्रेस परोक्ष रूप से आतंकवाद का समर्थन कर रही है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म इस्लामिक आतंकी साजिश पर बनी है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इंडिया टीवी के संवाददाता देवेंद्र पाराशर को दिए एक इंटरव्यू में आरोप लगाया कि प्रियंका गांधी ने 2019 के चुनाव प्रचार के दौरान अमेठी में नमाज पढ़ी थी। कांग्रेस के नेताओं को प्रियंका से इस बात की पुष्टि कर लेनी चाहिए कि स्मृति ईरानी का आरोप सही है या नहीं।

कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि किसी तरह बजरंग बली के मुद्दे से पीछा छुड़ाया जाए। आस्था और धर्म के मुद्दों को प्रचार में हावी नहीं होने दिया जाए। इसीलिए कांग्रेस के नेता इन पर बात नहीं कर रहे हैं। लेकिन बीजेपी का पूरा फोकस इस बात पर है कि कांग्रेस पर बजरंग दल को बैन करने के वादे पर कैसे घेरा जाए। दूसरी ओर, मोदी तुमकुरु और बेल्लारी में अपनी जनसभाओं में ‘जय बजरंगबली’ का जयकार लगाते रहे। कांग्रेस के नेताओं की मुश्किल ये है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी उन्हें बजरंग बली मुद्दे के संकट से बचा नहीं पाएंगे। कांग्रेस के नेताओं को इस बात का एहसास हो गया है कि चुनाव घोषणा पत्र में पीएफआई और बजरंग दल को एक जैसा बताकर उन्होंने बड़ी ग़लती कर दी है। नरेंद्र मोदी ने इसे बजरंगबली से जोड़कर इतना बड़ा मुद्दा बना दिया है कि कांग्रेस के प्रचार मैनेजर्स के हाथ-पांव फूल गए हैं। इस मुद्दे से छुड़ाने के लिए, तरह तरह की कोशिश की गई। कांग्रेस के नेता दरियादिली से सफाई दे रहे हैं कि पार्टी का बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का कोई इरादा नहीं है। कभी कांग्रेस के कुछ नेता मतदाताओं को यह दिखाने के लिए हनुमान चालीसा ले जा रहे हैं कि वे बजरंगबली के भक्त हैं। प्रियंका गांधी हनुमान जी की पूजा करने के लिए मंदिरों का चक्कर लगा रही हैं। कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार ने राज्य भर में आंजनेय (बजरंगबली) मंदिर बनाने का वादा किया है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेताओं ने चुनाव आयोग से भी शिकायत कर दी कि पीएम मोदी ने बजरंग बली का नाम क्यों लिया? कुल मिलाकर, जो कनफ्यूज़न पैदा हुआ उसका बीजेपी भरपूर फ़ायदा उठा रही है।

पवार: इस्तीफा वापस

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा के चार दिन बाद शुक्रवार अपना इस्तीफा वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं और बड़े नेताओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस्तीफा वापस लेने का फैसला किया है। इसमें कोई शक नहीं कि राजनीतिक अनुभव, चतुराई, दांव-पेंच में शऱद पवार का कोई मुकाबला नहीं। उन्होंने अपनी एक चाल से अजित पवार को चारों खाने चित कर दिया जो पार्टी अध्यक्ष पद पर नजर गड़ाए हुए थे। हालांकि शरद पवार की उम्र हो गई है। वे 82 साल के हैं और स्वास्थ्य उनका साथ नहीं देता। लेकिन, राजनीति में उनका दिमाग़ बहुत तेज़ी से चलता है। 63 साल उन्होंने राजनीतिक में जी-तोड़ मेहनत की है इसलिए, अच्छा होता कि वो एक मार्गदर्शक बनकर रहते। लेकिन, परिस्थितियों ने उन्हें मजबूर कर दिया कि वो अध्यक्ष बने रहें। लेकिन, इस पूरे संकट से एक बात यह निकलकर आई कि जितनी भी पार्टियां, एक व्यक्ति के नाम और काम पर चलती हैं, उनमें से किसी के पास, उत्तराधिकार को लेकर कोई योजना नहीं है। बड़े नेता के शीर्ष पर रहते उत्तराधिका का प्लान बनाने की हिम्मत कौन कर सकता है? और कोई नेता शीर्ष पर रहते हुए अपना उत्तराधिकारी तय नहीं करना चाहता। एनसीपी में शरद पवार के इस्तीफ़े और उनकी वापसी के दौरान जो मंथन हुआ उसका एक अच्छा परिणाम ये निकला है कि इस पार्टी में थोड़े दिन बाद,उत्तराधिकारी तय हो जाएगा। शरद पवार ने ख़ुद ये एलान किया कि वो संगठन में फेर-बदल करेंगे और इस हिसाब से करेंगे कि एक उत्तराधिकार की योजना बन जाए। अगर दूसरी पार्टियों के नेता भी अपने रिटायरमेंट के पहले, ऐसे ही प्लान बना लें तो देश की राजनीति के लिए अच्छा होगा।

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