Rajat Sharma

असम-मिज़ोरम सीमा विवाद का स्थाई हल निकालें

AKB4असम और मिजोरम के पुलिसकर्मियों के बीच सोमवार को हुई हिंसक झड़प में असम के सात पुलिसकर्मियों की जान चली गई। इस घटना ने देशवासियों को काफी आहत किया है। दोनों राज्य हर देशवासी को प्रिय हैं और दोनों ही राज्यों में चुनी हुई सरकारें हैं। दुख की बात है कि दोनों राज्यों के पुलिसकर्मियों ने एक-दूसरे पर फायरिंग की।

असम और मिजोरम में चुनी हुई सरकारें हैं।असम में बीजेपी की सरकार है और मिजोरम में भी बीजेपी की मदद से चलनेवाली मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है। मिजो नेशनल फ्रंट एनडीए का हिस्सा है। असम पुलिस के जवान भी हिन्दुस्तान के बेटे हैं और मिजोरम में तैनात फोर्स भी हिन्दुस्तानी है। फिर भी जमीन के टुकड़े को लेकर एक-दूसरे का खून बहाया गया। इससे ज्यादा दुख और चिंता की बात और क्या हो सकती है कि अपनी ही धरती पर, अपने ही जवानों पर, अपने ही लोग गोलियां बरसा दें।

यह घटना देश, सरकार और सभी राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के लिए चिंता की बात है। औऱ सबसे ज्यादा परेशानी की बात असम और मिजोरम के लोगों के लिए है। जब सोमवार की रात इस घटना की खबर आई तो इंडिया टीवी पर अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में मैंने आपको इसकी शुरुआती जानकारी दी थी और कुछ तस्वीरें दिखाई थी। लेकिन जब इस घटना की पूरी वीडियो फुटेज देखी तो रौंगटे खड़े हो गए। दोनों पक्षों के बीच लगातार हो रही गोलियों की बौछार का वीडियो देखकर बहुत दुख हुआ।

ये देखकर मेरे जेहन में सबसे पहले यही सवाल आया कि आखिर ऐसा क्या हो गया जिससे दो अलग-अलग राज्यों के पुलिसकर्मी एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए? मैंने अपने रिपोर्टर पवन नारा को तुरंत दिल्ली से गुवहाटी भेजा और वहां से असम- मिज़ोरम की सरहद पर जाकर ये समझने को कहा कि आखिर इस तरह की हिंसा की असली वजह क्या है। क्योंकि ये तो मैं चालीस साल से जानता हूं कि असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद है, लेकिन कभी एक-दूसरे पर गोलियां बरसाते नहीं देखा और न इस तरह की हिंसा की खबरें सुनीं। इसलिए ये जानना जरूरी है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिसके कारण पहले लोग आमने-सामने आए, फिर पुलिस फोर्स में झड़प हुई, गोलियां चलीं और मौतें हुईं।

मंगलवार की रात ‘आज की बात’ में हमने जो फायरिंग की वीडियो फुटेज दिखाई उसे देखकर हर भारतीय का खून खौल उठेगा। जितनी तस्वीरें देखेंगे, उतना दुख होगा, उतना गुस्सा आएगा। दोनों तरफ से लगातार फायरिंग होती रही और दोनों तरफ से हमलावरों ने गाली-गलौज की। असम सरकार इस सारे खून-खराबे के लिए मिजोरम की सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है और मिजोरम की सरकार असम सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है। लेकिन सबसे बड़ा सच ये है कि जो जवान शहीद हुए वो हिन्दुस्तानी थे। असम सरकार का दावा है कि मिजोरम की तरफ से पहले अतिक्रमण की कोशिश हुई। लैलापुर इलाके में इनर लाइन रिजर्व फॉरेस्ट को नष्ट किया गया, सड़क और एक पुलिस पोस्ट भी बना ली गई। मिजोरम सरकार का आरोप है कि असम पुलिस ने बॉर्डर क्रॉस किया और कोलासिब में एक पुलिस चौकी पर कब्जा कर लिया। इसी पर विवाद हुआ और गोलियां चल गईं।

पुलिसकर्मियों की हत्या के विरोध में असम की बराक घाटी में बुधवार सुबह से शाम तक बंद का आह्मन किया गया है। मिजोरम के कोलासिब जिले के वैरेंगटे में सीआरपीएफ की पांच कंपनियां (500 जवान) तैनात की गई हैं। यह इलाका असम के कछार जिले के लैलापुर से सटा हुआ है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें मिजोरम के पुलिसकर्मी और कुछ ‘गुंडे’ फायरिंग में असम के पुलिसकर्मियों की मौत का जश्न मना रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि मिजोरम के पुलिसकर्मियों द्वारा लाइट मशीनगनों का इस्तेमाल ‘हालात की गंभीरता को बताता है’।

वहीं दूसरी ओर मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथंगा ने दावा किया कि 24 जुलाई को शिलॉन्ग में असम के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई मीटिंग में उन्होंने सीमा का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि जिस क्षेत्र का दावा असम के द्वारा किया जा रहा है उस क्षेत्र का इस्तेमाल मिजो के लोगों द्वारा 100 साल से ज्यादा समय से किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बराक घाटी में आबादी बढ़ने के कारण असम ने इस इलाके पर अपना दावा करना शुरू कर दिया है।

हिमंत बिस्व सरमा मंगलवार को सिलचर अस्पताल गए और वहां भर्ती घायल पुलिसकर्मियों का हालचाल जाना। उन्होंने इस घटना में मारे गए प्रत्येक पुलिसकर्मी के परिजनों के लिए 50 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया। उन्होंने असम-मिजो सीमा पर तैनात सभी पुलिसकर्मियों को एक महीने का अतिरिक्त वेतन देने की भी घोषणा की।

हिमंत बिस्व सरमा ने कहा, असम सरकार जल्द ही असम- मिजोरम बॉर्डर पर तैनात करने के लिए कमांडोज की 3 नई बटालियन का गठन करेगी। इसमें 3000 जवानों को भर्ती किया जाएगा। इसके बाद हिमंत बिस्व सरमा ने आरोप लगाया कि उन्होंने सोमवार को मिजोरम के मुख्यमंत्री को 6 बार फोन किया और ये बताया कि असम और मिजोरम के बॉर्डर पर फायरिंग हो रही है। लेकिन मिजोरम के मुख्यमंत्री की तरफ से ‘सॉरी’ कहने के अलावा कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि ये मसला कोई दो राज्यों के बीच का सीमा विवाद नहीं है। असल में झगड़ा फॉरेस्ट लैंड (जंगल की जमीन) का है। असम जंगल बचाना चाहता है और मिजोरम की सरकार जंगल को उजाड़ना चाहती है।

देश की आजादी से पहले मिजोरम को लुशाई हिल्स कहते थे। ये असम का हिस्सा था। 1950 में असम भारत का हिस्सा बना। इसके बाद असम के विभाजन से नॉर्थ-ईस्ट (पूर्वोत्तर) के सारे राज्य बने। 1986 में मिजोरम शांति समझौते पर साइन होने के बाद 1987 में मिजोरम एक अलग पूर्ण राज्य बन गया । उस समय राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। तत्कालीन केंद्र सरकार ने मिजोरम को राज्य बनाने के लिए 1933 के एग्रीमेंट को आधार माना लेकिन मिजो ट्राइब्स का दावा है कि समझौता 1875 के इनर लाइन रेगुलेशन यानि ILR के तहत हुआ था। यहीं से विवाद शुरू हो गया। यही झगड़े की जड़ है।

1995 के बाद कई दौर की बातचीत हुई, पर कोई नतीजा नहीं निकला। पिछले साल अक्टूबर में भी झड़प हुई थी, लेकिन ऐसी हिंसा कभी नहीं हुई। गोलियां कभी नहीं चलीं। किसी की जान कभी नहीं गई। लेकिन सोमवार को पहली बार गोलियां चलीं, खून बहा और लाशें गिरीं।

असम और मिजोरम के बॉर्डर पर जो हुआ वो भविष्य में अब कभी नहीं होना चाहिए। जो भी विवाद हैं, वो सब मिल बैठकर सुलझाए जा सकते हैं। अच्छी बात ये है कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री यही बात कह रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों मुख्यमंत्रियों से बात की है, गृह सचिव दोनों राज्यों के पुलिस प्रमुखों से मिल रहे हैं। अफसरों को उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराया जाएगा। हर कीमत पर हिंसा से बचने के लिए साफ तौर पर कहा जाएगा। इस कवायद ये असर होगा कि अब गोलियां नहीं चलेंगी, खून नहीं बहेगा, असम और मिजोरम के बॉर्डर पर शान्ति होगी। लेकिन इसका स्थाई समाधान निकालना होगा।

मुझे लगता है कि भले ही अब से पहले की सरकारों ने इस मामले को दशकों से लटका कर रखा हो, राज्यों के बीच चल रहे सीमा विवादों को तवज्जो नहीं दी हो, लेकिन नरेन्द्र मोदी की सरकार को इन विवादों का जल्द स्थाई समाधान निकालना चाहिए जिससे इस तरह की घटनाओं की संभावना हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो जाए। पिछले सात वर्षों में पीएम नरेन्द्र मोदी ने नॉर्थ ईस्ट को काफी तवज्जो दी है। मोदी ने नॉर्थ ईस्ट के लिए अलग नीति बनाई। सीनियर मंत्रियों को नॉर्थ ईस्ट के विकास की जिम्मेदारी दी। इन्फ्रास्ट्रक्चर की परियोजनाओं पर काम चल रहा है। लेकिन अगर इस तरह के झगड़े होंगे तो विकास की बात पीछे रह जाएगी। इसलिए अब सरकार को सबसे पहले सीमा विवाद सुलझाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस समस्या का स्थाई समाधान निकालने की कोशिश जरूर करेगी।

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