प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण की नींव रखी। इसके साथ ही पांच सौ साल पुराने विवाद का पटाक्षेप हो गया है। आरएसएस चीफ मोहन भागवत, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मौजूदगी में पीएम मोदी ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भूमि पूजन किया।
पीएम मोदी जब पुजारियों के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भूमि पूजन का अनुष्ठान कर रहे थे उस समय वहां पंडाल में सैंकड़ों की तादाद में प्रमुख संत भी मौजूद थे जो इस ऐतिहासिक आयोजन के गवाह बने। इससे पहले प्रधानमंत्री ने रामलला के सामने साष्टांग प्रणाम किया। पीएम ने हनुमान गढ़ी में हनुमान जी की भी पूजा की। अयोध्या में रामलला के दर्शन करनेवाले मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले वे आखिरी बार 1991 में अयोध्या गए थे।
भूमि पूजन के दौरान मोदी द्वारा रखी गई ईंटों में, 1989 में पत्थर से बनी दो ईंटें भी थीं जिन पर जय श्री राम लिखा हुआ था। कांची कामकोटि पीठम के शंकराचार्य द्वारा भेजी गई एक तांबे की पट्टिका भी समारोह के दौरान भेंट की गई। इस पट्टिका पर राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण की कहानी संस्कृत में लिखी गई है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज का भूमि पूजन समारोह भारत के इतिहास में एक ऐतिहासिक बदलाव के तौर पर जाना जाएगा। यह एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। इतिहास की भूलभुलैया में उलझा हुआ पांच सदी पुराना विवाद आज राम मंदिर भूमि पूजन के साथ समाप्त हो गया।
यह ऐसा पल था जिसका सपना दुनिया के करोड़ों हिंदुओं ने देखा था और उन्हें इसका इंतजार था। हमारे महान राष्ट्रीय प्रतीक भगवान श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या की पावन नगरी ने पिछले पांच सौ वर्षों में इतना भव्य उत्सव कभी नहीं देखा था।
राम जन्मभूमि मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए पिछले 500 वर्षों के दौरान साधुओं द्वारा किये गए आंदोलन की दर्दनाक यादें अब मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास का हिस्सा बन गई हैं। जिस विवाद के कारण सैकड़ों बार आंदोलन हुए, झगड़े हुए, खून बहा और कुछ लोग (इतिहासकार) तो बताते हैं कि 1 लाख 74 हजार लोगों की जान इतने वर्षों में गई। उस अयोध्या विवाद का हल सब की सहमति से हो गया, सब की खुशी से हो गया, खून बहना तो दूर की बात, किसी की आंख से आंसू भी नहीं बहा, ये बहुत बड़ी बात है।
यह देश के आपसी भाईचारे की जीत है, देश की तहजीब की जीत है। सब मिलकर रहें यही संदेश है और यही रामराज्य है। यह भारतीय संस्कृति की जीत है जो विदेशी आक्रमणों के बाद भी सदियों से हमारी राष्ट्रीय अवचेतना में निहित है। संक्षेप में यही आज की ऐतिहासिक घटना का संदेश है। यह राम राज्य मॉडल की स्थापना के लिए एक आह्वान का प्रतीक है, एक ऐसा कल्याणकारी राज्य जहां सभी जाति, समुदाय और धर्म के लोग शांतिपूर्ण तरीके से मिलजुल कर रह सकें। दूसरे शब्दों में कहें तो यह प्रधान मंत्री मोदी द्वारा दिये गए नारे, ‘सबका साथ, सबका विकास’ के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए कदम को भी दर्शाता है।
वास्तव में, अयोध्या विवाद के शांतिपूर्ण समाधान का क्रेडिट नरेन्द्र मोदी को मिलना चाहिए। मोदी ने इस विवाद को खत्म करने के लिए अत्यंत धैर्य और दूरदर्शिता का परिचय दिया और मेहनत करते रहे। इससे बड़ी बात क्या होगी कि जिस इकबाल अंसारी के पिता हाशिम अंसारी अयोध्या विवाद के सबसे पुराने मुद्दई हैं, जिन्होंने 1949 से लेकर 2016 तक अदालत में बाबरी ढांचे की पैरवी की और राम मंदिर का विरोध किया, उसी इकबाल अंसारी को राम मंदिर के भूमिपूजन का पहले न्योता मिला और इकबाल अंसारी ने खुशी से ये न्योता कबूल भी किया। अंसारी के अलावा अयोध्या के एक और मुसलमान को भूमिपूजन कार्यक्रम का न्योता दिया गया है। मोहम्मद शरीफ खुद के खर्च पर लावारिस और गरीबों की लाशों का उनके धर्म के मुताबिक अंतिम संस्कार करते हैं।
उधर, कांग्रेस के नजरिये में अद्भुत बदलाव आया है। जिस कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में राम को मिथक और किस्से-कहानियों का पात्र बताया था, जिस कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के केस की सुनवाई अगले चुनाव तक टालने की मांग की हो और कल तक जिस कांग्रेस के नेता राम मंदिर के भूमिपूजन के मुहूर्त को अशुभ बताकर इसे टालने की बात कर रहे थे, आज उसी कांग्रेस के नेता रामभक्त बन गए हैं। । मंगलवार को कांग्रेस की प्रियंका गांधी से लेकर कमलनाथ तक ने भगवान राम की भक्ति के गीत गाए और देश के मूड को भांपते हुए राम मंदिर भूमि पूजन का स्वागत किया। कमलनाथ ने तो अपनी पार्टी के नेताओं के साथ मंगलवार को भोपाल में सार्वजनिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ किया।
मैं केवल यही कह सकता हूं कि इसे राम की कृपा ही कहा जाएगा, इसे हरि इच्छा ही कहा जाएगा कि ये नेता सकारात्मक सोचने लगे हैं। राम के गुण गा रहे हैं और हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं।
यह सब शांतिपूर्वक और सांप्रदायिक सद्भाव के साथ इसलिए हो रहा है क्योंकि जिस दिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था उस दिन नरेन्द्र मोदी की सरकार, RSS और विश्व हिन्दू परिषद ने लोगों से कहा था कि संयम बरतें और किसी तरह का अति उत्साह ना दिखाएं। आज भी लोगों से कहा गया कि वो अति उत्साह में ना आएं और कोई ऐसी बयानबाजी नहीं करें जिससे मुस्लिम समुदाय को दुख पहुंचे या ठेस पहुंचे। ये काम सब मिलकर करें, शांति से करें, यही भगवान राम के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धा होगी।
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