मॉनसून की पहली ही बारिश में मुंबई बेहाल हो गई. मुंबई वालों के लिए सोमवार का दिन मुसीबतों से भरा रहा. रात एक बजे बारिश शुरू हुई और सुबह चार बजे तक मुंबई के ज्यादातर इलाके पानी में डूब गए. सुबह जब लोगों की नींद खुली,तो हर तरफ पानी ही पानी था. सरकार की तरफ से कहा गया कि मुंबई में सिर्फ चार घंटे में तीन सौ मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हो गई, इसलिए हालात खराब हुए. दादर, सायन, हिंदमाता, अंधेरी, वाकोला, माटुंगा, भांडुप, सांताक्रूज़ और बांद्रा-कुर्ला जैसे तमाम इलाकों में सड़कें दरिया में तब्दील हो गईं. सड़कों पर 3 से 4 फीट तक पानी भर गया. अंधेरी, मिलन और मलाड सबवे के आसपास तो सबसे बुरा हाल था, जहां पांच से छह फीट तक पानी भर गया. लोग जब दफ्तरों के लिए निकले तो रास्ते में फंस गए. स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए और सरकार ने लोगों से घरों में रहने की अपील की, BMC के कर्मचारी सड़कों पर उतरे, रेल की पटरियों पर पानी भर गया. मुंबई की लाइफ लाइन लोकल ट्रेन्स की रफ्तार भी कम हो गई. पन्द्रह ट्रेनों के समय बदले गए, कुछ ट्रेनों को रद्द करने पड़े, कई उड़ानों में देर हो गई, भारी बारिश और Low visibility की वजह से 50 उड़ाने रद्द करनी पड़ीं. दर्जनों विमानों को अहमदाबाद, हैदराबाद, इंदौर जैसे शहरों की तरफ डाइवर्ट किया गया. भारी बारिश के कारण मंत्री और विधायक भी विधानसभा नहीं पहुंच पाए जिसके कारण विधानसभा की कार्यवाही सोमवार को नहीं हो पाई. सबसे बुरा हाल तो मुंबई के तमाम सबवे का रहा, जहां दिन भर पानी भरा रहा. कई इलाकों में बारिश का पानी घरों में भऱ गया. वकोला में पुलिस वाले भी बारिश के पानी में फंस गए क्योंकि थाने के चारों तरफ पानी भरा था. न अंदर जाना मुमकिन था, न बाहर निकलना. BMC के कर्मचारियों ने पंप से थाने में भरे पानी को निकाला, इसके बाद ही पुलिस वाले थाने से बाहर निकल पाए. मुंबई में रविवार रात से सोमवार तक 400 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई. अगले चार दिन तक भारी बारिश का रेड अलर्ट घोषित किया गया है. बारिश के मौसम में मुंबई की सड़कों का डूबना कोई नई बात नहीं है. हर साल मुंबई में ऐसा ही होता है, जब तमाम निचले इलाके डूब जाते हैं और कई पॉश इलाकों में भी पानी भर जाता है. मुंबई में मीठी नदी, ओशिवारा, दहिसर और पोइसर, ये चार जलाशय हैं और अगर ज्यादा बारिश हुई तो इन जलाशयों का पानी ओवरफ्लो करने लगता है और आसपास के इलाके डूब जाते हैं. अगर बारिश के दौरान समंदर में ऊंचे ज्वार आएं हो तो हालात और खराब हो जाते हैं क्योंकि नालों और नदियों का पानी संमदर में जाने के बजाए, समंदर का पानी शहर में आ जाता है. सोमवार को भी यही हुआ. तीसरी बड़ी समस्या ड्रेनेज की है. नालों की सफाई न होने के कारण बारिश का पानी सड़कों पर आता है. सोमवार को जब कई इलाकों में पानी भरा तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सीधे BMC के डिजास्टर कंट्रोल रूम पहुंचे जहां पूरे मुंबई शहर के सात हज़ार सीसीटीवी कैमरों से शहर के हालात पर नजर रखी जाती है. एकनाथ शिंदे ने कंट्रोल रूम से पूरी मुंबई के हालात का जायज़ा लिया. लेकिन विपक्ष ने मुंबई में जलभराव के लिए सीधे-सीधे एकनाथ शिंदे की सरकार पर निशाना साधा. महाराष्ट्र में कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्री फोटो सेशन करा रहे हैं, जबकि उन्हें जो जरूरी कदम उठाना था, वो नहीं उठाया. मुंबई में भारी बारिश हर साल होती है. हर साल सरकार और BMCकी तरफ से मॉनसून के लिए तैयारियों के दावे किए जाते हैं और हर साल मुंबई वाले इसी तरह के हालात का सामना करते हैं.आपको जानकर हैरानी होगी कि BMC का बजट कई राज्यों के बजट से ज्यादा है. BMC का इस साल का बजट साठ हजार करोड़ का है, जबकि हिमाचल प्रदेश का बजट 53 हजार करोड़ रुपये का है. BMC अपने बजट का दस परसेंट हिस्सा मॉनसून से पहले सड़कों को दुरूस्त करने, गड्ढों को भरने, नालों की सफाई और दूसरे कामों के लिए करता है. इस साल छह हजार करोड़ रूपए इसके लिए रखे गए जिसमें से सड़कों को ठीक करने और गड्ढों को भरने के लिए 545 करोड़ का बजट था. इतना पैसा खर्च होने के बाद भी हालात क्या है, ये तस्वीरो में सबके सामने है. हर साल पानी भरता है, हर साल लोग परेशान होते हैं और हर साल राजनीतिक पार्टियां हालात के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराती हैं. ये सही है कि एकनाथ शिन्दे ये कहकर नहीं बच सकते कि उनकी सरकार तो दो साल पहले बनी है. उनसे पहले की सरकारों ने मुंबई की हालत क्यों नहीं सुधारी? ड्रेनेज सिस्टम को पहले ठीक क्यों नहीं किया गया? अब कोई एकनाथ शिन्दे से पूछे कि BMC में पिछले तीस साल से शिवसेना का ही कब्जा था और एकनाथ शिन्दे इस दौरान शिवसेना में ही थे, विधायक रहे, मंत्री रहे, उनके पास ये विभाग भी रहा, फिर उन्होंने ये काम पहले क्यों नहीं किया, जो करने का दावा वो आज कर रहे हैं? कुल मिलाकर गड़बड़ी सिस्टम की है. इसके लिए किसी एक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. सबको मिलकर काम करना होगा, तभी मुंबईकरों को हर साल आने वाली इस मुसीबत से निजात मिलेगी.