26/11 मुंबई हमले के मास्टर माइंड तहव्वुर राणा को 15 साल की कानूनी लड़ाई के बाद अमेरिका से भारत लाना कोई साधारण घटना नहीं है. तहव्वुर राणा मुंबई हमले की साज़िश का बड़ा राज़दार है. उसे सब पता है कि पाकिस्तानी सेना के कौन-कौन से अफसर इस साजिश में शामिल थे, लश्कर-ए-तैयबा ने कैसे साजिश को अमली जामा पहनाया और उसमें डेविड कोलमैन हेडली का रोल क्या था. तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडियन नागरिक है. वो पाकिस्तानी सेना में डाक्टर रह चुका है. 1990 में कनाडा गया, फिर अमेरिका में बस गया. अमेरिका में उसकी मुलाकात डेविड कोलमैन हैडली से हुई. डेविड हेडली का असली नाम दाऊद गीलानी है. वो भी पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी नागरिक है. तहव्वुर राणा ने शिकागो में फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन कंसलटेंसी कंपनी खोली, और इस कंपनी के जरिए दुनिया भर में लश्कर के आतंकी हमलों को अंजाम देने लगा. डेविड कोलमैन हेडली तहव्वुर राणा की कंपनी का ऑफिस खोलने के बहाने मुंबई आया, हेडली ने मुंबई के उन जगहों की रेकी की, उनके नक्शे पाकिस्तानी सेना और लश्कर के आतंकवादियों को भेजे, जिनके आधार पर 26/11 के हमले के टारगेट सेट किए गए और इन्ही जगहों पर पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 26 नवंबर 2008 को 166 बेगुनाहों का कत्ल किया जिनमें 6 अमेरिकी नागरिक भी थे. तहव्वुर राणा को भारत लाने के लिए मोदी सरकार को पूरी ताकत लगानी पड़ी. कहते हैं, दुनिया झुकती है, झुकाने वाला चाहिए, नरेंद्र मोदी ने ये करके दिखाया. पहले भारत पर आतंकवादी हमले होते थे, कभी सीरियल ब्लास्ट, तो कभी ट्रेन में धमाके. 26/11 का हमला तो भारत के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन हम अमेरिका के पास जाकर रोते थे, शिकायत करते थे. नरेंद्र मोदी ने इस नैरेटिव को बदला. मुझे याद है 2009 में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो मैंने आप की अदालत शो में उनसे 26/11 के हमले को लेकर सवाल किया था. पूछा था कि अगर आप दिल्ली में होते तो कैसे हैंडल करते.मोदी ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए. प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने ये करके दिखाया. पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर मारा. अब तो मामला उल्टा है. हर थोड़े दिन में खबर आती है कि किसी ने पाकिस्तान में आतंकवादी को मार गिराया. अब पाकिस्तान रोता है कि कोई उसके घर में घुसकर मार रहा है. जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, उन्होंने आतंकवाद का सफाया किया है, जो जहां है उसे वहां सबक सिखाया. इस बात का असर आज दिखाई देता है. अब पहले की तरह आतंकवादी हमले नहीं होते. इस बात में कोई शक नहीं है कि तहव्वुर राणा को उसके पाप की सज़ा मिलेगी. और जल्दी मिलेगी.
ट्रंप की टैरिफ में राहत : भारत के लिए फायदा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सहित बहुत से देशों को भारी राहत देते हुए अगले 90 दिनों के लिए जवाबी (reciprocal) टैरिफ पर रोक लगा दी लेकिन उसके साथ ही चीन से आात होने वाली वस्तुओं पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया. लक्ष्य था, चीन को दूसरे देशों से अलग-थलग करना. इसके फौरन बाद अमेरिकी और एशियाई शेयर बाज़ारों में उछाल आया. ट्रंप ने X सोशल मीजिया हैंडल पर लिखा, ‘मुझे उम्मीद है कि निकट भविष्य में चीन को इस बात का अहसास हो जाएगा कि अमेरिका और दूसरे देशों को लूटने की नीति न तो अब स्वीकार्य होगी और न ही ये टिकाऊ होगी.’ ट्रंप की नीयत और नीति दोनों को समझने में कोई परेशानी नहीं है. ट्रंप पक्के बिजनेसमैन हैं, डील मेकर हैं. वो सिर्फ अमेरिका का फायदा देख रहे हैं. ट्रंप मानते हैं कि बरसों तक चीन ने अमेरिका को लूटा, अब उनकी बारी है और वो हिसाब बराबर करेंगे. यूरोप और दुनिया के बाकी देश ट्रंप से टकराना नहीं चाहते, उनकी अमेरिका पर काफी निर्भरता है. इसीलिए वो बातचीत के जरिए रास्ता निकालना चाहते हैं, लेकिन ट्रंप ने उनका मजाक उड़ाने में भी देर नहीं लगाई. लेकिन ये ट्रंप का स्वभाव है, इसीलिए किसी को आश्चर्य नहीं होता. जहां तक भारत का सवाल है, हमारी सरकार ने अमेरिका से ट्रेड और टैरिफ को लेकर बहुत पहले बात शुरू कर दी थी. ट्रंप के टैरिफ का अंदाजा पहले ही लगा लिया था. इसीलिए बाकी देशों के मुकाबले भारत बेहतर स्थिति में है. चीन से अमेरिका के टकराव का फायदा भी भारत को होगा. इसके अलावा बांग्लादेश, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों पर ट्रंप ने भारत के मुकाबले ज्यादा टैरिफ लगाया है. इसका फायदा भी भारत की अर्थव्यवस्था को हो सकता है.
वक्फ और मोदी : मुसलमानों में अविश्वास किसने फैलाया?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार सार्वजनिक रूप से नये वक्फ कानून की अहमियत बताई, कहा कि कैसे पुराने वक्फ कानून का भू-माफिया बेजा इस्तेमाल करते थे और वक्फ की जायदाद को हड़प लेते थे. मोदी ने कहा कि नये कानून से गरीब मुसलमानों को वक्फ की जायदाद से फायदा पहुंचेगा. मोदी ने अपनी नीति भी साफ कर दी, नीयत भी बता दी, पुराने कानून में क्या खामियां थी, उससे क्या परेशानियां पैदा हो रही थी और नए कानून से आम मुसलमानों को कैसे फायदा होगा, ये सब बता दिया लेकिन विरोधी दलों के नेता वक्फ कानून को मोदी के खिलाफ राजनीतिक हथियार बना रहे हैं, नया कानून दिखा कर मुसलमानों को डरा रहे हैं. ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल के मुसलमानों को वक्फ एक्ट से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस कानून को वह बंगाल में लागू नहीं होने देंगी. ममता ने कहा कि मोदी सरकार अंग्रेजों की ‘बांटो और राज करो’ की नीति पर चल रही है और ये सब हिन्दू मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण के लिए हो रहा है. ममता के भाषणों का असर बंगाल में दिख रहा है. पूरे देश में सिर्फ बंगाल ही अकेला राज्य है जहां वक्फकानून के विरोध के दौरान आगजनी और हिंसा हुई है. मुर्शिदाबाद में जबरदस्त हिंसा हुई, पुलिस पर हमला हुआ था, उसके बाद अब मुर्शिदाबाद में इंटरनेंट बंद है. मुस्लिम मौलाना भीड़ के सामने बंगलादेश की मिसाल देते हुए आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं. मोदी की ये बात सही है कि वक्फ की प्रॉपर्टी की बड़े पैमाने पर लूट हो रही थी. इसे पिछली सरकारों और लालू यादव जैसे नेताओं ने भी माना है. मोदी की ये बात भी सही है कि वक्फ पर नया कानून इस्लाम के आदर्शों के मुताबिक है, गरीब मुसलमानों की भलाई के लिए हैं लेकिन मुस्लिम वोटों के ठेकेदार न तो ये सुनना चाहते हैं, न समझना चाहते हैं. वक्फ के कानून में बदलाव को लेकर मुसलमानों की बेचैनी उनको सूट करती है. वो तो चाहते हैं कि मुसलमान ये मान लें कि नए कानून का इस्तेमाल करके सरकार मस्जिदों, ईदगाहों और कब्रिस्तानों पर कब्जा करना चाहती है. ममता बनर्जी जैसे नेता तो मुसलमानो को ये समझा रहे हैं कि वक्फ के नए कानून का इस्तेमाल उनकी प्रॉपर्टी छीनने के लिए किया जाएगा जबकि वक्फ के कानून में बदलाव का प्राइवेट प्रॉपर्टी से कोई लेना देना नहीं है. इसीलिए इस आरोप में कोई दम नहीं है. मसला है मुसलमानों में सरकार के प्रति अविश्वास की कमी का, मोदी के विरोधी इस अविश्वास की आग में घी डालने का काम करते हैं ताकि उनकी ठेकेदारी बनी रहे. इसीलिए आवश्यकता है मोदी और मुसलमान के बीच अविश्वास की खाई को कम करने की. सब का साथ, सब का विश्वास पर मुसलमानों के साथ डायलॉग शुरू करने की. उनका विश्वास जीतने का प्रयास करने की.