काशी में ज्ञानवापी परिसर को लेकर हो रहा विवाद और बढ़ गया है. ये खबर आई कि ज्ञानवापी परिसर में मौजूद व्यास जी के तहखाने में आठ मूर्तियां स्थापित कर दी गईं. ज्ञानवापी के सर्वे में दस मूर्तियां मिली थीं. ASI ने इन मूर्तियों को ट्रेजरी में रखवा दिया था. कोर्ट का फैसला आने के बाद इनमें से आठ मूर्तियों को ट्रेजरी से निकाल कर फिर से व्यास जी के तहखाने में पहुंचा दिया गया. इनकी अब विधिवत पूजा अर्चना, भोग, आरती हो रही है. लेकिन काशी में जो हो रहा है, उसको लेकर मुस्लिम संगठनों में बहुत ज्यादा नाराजगी है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा ए हिन्द, जमात ए इस्लामी जैसे संगठनों के मौलानाओं ने साफ साफ कह दिया कि अयोध्या में समझौता कर लिया, कड़वा घूंट पी लिया, अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे. मौलाना अरशद मदनी, मौलाना महमूद मदनी, मौलाना सैफुल्ला रहमानी, मलिक मोहतसिम और कमाल फारुक़ी जैसे मुस्लिम स्कॉलर्स ने कहा कि अब उन्हें कोर्ट के फैसलों पर भी यकीन नहीं हैं क्योंकि अदालतें एकतरफा फैसले दे रही हैं. अगर यही होता रहा तो देश का माहौल खराब होगा. हालांकि इस बीच अंजुमन इतंजामिया कमेटी की तरफ हाईकोर्ट में अपील भी की गई, वाराणसी कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई, लेकिन हाईकोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं मिली. हाईकोर्ट अब 6 फरवरी को इस केस की सुनवाई करेगा. इसे हिन्दू पक्ष ने अपनी कानूनी जीत बताया है लेकिन सवाल ये है कि आस्था और कानूनी दांव पेंचों के बीच उलझा ये मसला क्या फिर से देश में हिन्दू मुसलमानों के बीच दूरियां बढ़ाएगा और क्या मौलाना, मुस्लिम संगठनों के नेता और राजनीतिक पार्टियों के नेता इस मामले में आग में घी डालने का काम कर रहे हैं. शुक्रवार को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा ए हिन्द, जमाते इस्लामी ए हिंद जैसे मुस्लिम संगठनों के नेताओं ने कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए, वाराणसी जिला जज के आदेश को पक्षपातपूर्ण बताया, मोदी सरकार पर निशाना साधा. जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अब देश में जो हो रहा है, उसकी वजह सिर्फ अयोध्या विवाद के बारे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला है. मदनी ने कहा कि अब अगर ऐसे ही फैसले होने हैं तो कानून की किताबों को आग लगा देनी चाहिए. जमात ए इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मलिक मोहतशिम ने कहा कि देश की अफसरशाही, न्यायपालिका और पूरी व्यवस्था सरकार के इशारों पर काम कर रही है, मुसलमानों का सब्र टूट रहा है, अब वो वक्त ज्यादा दूर नहीं है जब मुसलमान अपने नेताओं की बात भी नहीं सुनेंगे, अगर ऐसा हुआ तो देश को बहुत नुकसान होगा. मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि अदालतों में एकतरफा फैसले हो रहे हैं, ये जिसकी लाठी उसकी भैंस वाला सिस्टम ठीक नहीं हैं. क्योंकि लाठी वही रहती है लेकिन लाठी का इस्तेमाल करने वाले हाथ बदलते हैं. ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में जिस तरह से पूजा शुरू हुई, उसको लेकर मौलानाओं में जो नाराज़गी है, वो समझी जा सकती है. उनके यहां भी ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो आक्रामक हैं, जिनको समझाना मुश्किल होगा. लेकिन मामला हाईकोर्ट के सामने है. 6 फरवरी को सुनवाई होनी है. उससे पहले ये कहना कि अफसरशाही और न्यायपालिका दोनों सरकार के दबाव में हैं, ठीक नहीं है. क्य़ोंकि ज्ञानवापी से जुड़ा एक मामला पहले भी सुप्रीम कोर्ट में गया था. सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को राहत मिली थी. वज़ूखाना सील किया गया था. वज़ूखाने में मिली शिवलिंग जैसी आकृति की जांच पर रोक लगी थी. इसलिए मुझे लगता है कि न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाने से किसी को भी सौ बार सोचना चाहिए. मुझे तो इस बात पर हैरानी हुई कि मौना महमूद मदनी जैसे moderate लोगों ने भी काफी सख्त भाषा का इस्तेमाल किया है. और ओवैसी ने तो इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी को घसीटने की कोशिश की. मुझे लगता है ऐसी बातों से समस्या और बढ़ेगी. कल भी मैंने कहा था कि इस विवाद को आपसी बातचीत से, संयम और विवेक से हल करने की ज़रूरत है.