Rajat Sharma

My Opinion

Quota Within Quota : The Secret Weapon !

AKB Prime Minister Narendra Modi is doing his best to explain to voters of Jharkhand and Maharashtra the exact meaning of his slogan, “Ek Hain, Toh Safe Hain”. On Thursday, at his rallies in Sambhaji Nagar, Raigadh and Mumbai, Modi read out the names of different backward and scheduled castes, and alleged that Congress wants to pit castes like Maani against Ghamandi, Luhar against Sutar, Sonar against Kumbhar, etc. “We must remain united, then only we can remain safe”, Modi said.

Caste reservation has emerged as a big issue in Maharashtra. It has emotional overtones. Already, Maratha and Dhankar communities have been agitating for reservation. But the question is: Why did Modi today read out the names of castes?

One must understand the background. Scheduled castes and scheduled tribes have their fixed reservation quota in government jobs. Some leaders have been complaining that some particular castes are cornering most of the reservation benefits, while other castes lag behind. The issue came up before the Supreme Court recently, and the apex court in August ruled by a 6:1 majority judgement that sub-classification within the scheduled castes and scheduled tribes was permissible.

The Supreme Court ruled that there was need for identifying creamy lawyer in SC/STs. By giving this verdict, the Supreme Court has changed the 20-year-old SC-ST reservation system. It said, those castes who need reservation more must be given benefits within the quota.

The SC ruling had come before the Haryana assembly elections. BJP had promised deprived castes that it would implement the apex court order. In the Haryana assembly on Wednesday, Chief Minister Nayab Singh Saini said, his cabinet has decided to notify sub-classification of scheduled castes for reservation in government jobs, which shall come into effect immediately.

Under the new sub-classification, 10 pc quota for “deprived” scheduled castes and remaining 10 pc quota for other scheduled castes will be implemented. Fifteen castes have been kept in the “other scheduled castes” and 66 castes have been kept in “deprived scheduled castes” lists. Haryana will become the first state which will implement “quota within quota” for scheduled castes.

If one goes through Modi’s remarks about caste reservation at his rallies in Maharashtra, one can easily understand what he wants to convey and what he wants to do. There are several scheduled castes in Maharashtra, which get less benefits from reservation. If “quota within quota” system is implemented in Maharashtra, it will benefit a large number of scheduled castes and tribes, who have been hitherto deprived of the benefits of reservation. No need to explain, who is going to benefit during the Maharashtra assembly election.

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कोटे में कोटा : जीत का छुपा मंत्र

AKB महाराष्ट्र में नरेन्द्र मोदी ने ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के नारे का मतलब समझाया. मोदी ने कहा कि कांग्रेस आरक्षण को खत्म करने का मंसूबा पाल रही है. मोदी ने कहा कि इस साजिश का पहला कदम है, आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्ग को जातियों में बांटों, फिर जातियों को आपस में लड़वाओ, इसके बाद जब समाज के ये वर्ग और कमजोर हो जाएं, तो आरक्षण को खत्म कर दो. महाराष्ट्र की रैलियों में मोदी ने कहा इसीलिए वो आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों को सावधान कर रहे हैं, बार-बार कह रहे हैं, ‘एक रहेंगे, तो सेफ रहेंगे’.
संभाजी नगर, रायगढ और मुंबई की तीनों रैलियों में मोदी ने पहली बार जातियों के नाम गिनाए. अब तक रैलियों में मोदी ये कहते थे कि कांग्रेस आरक्षण विरोधी हैं, आरक्षण को खत्म करना चाहती है लेकिन आज पहली बार मोदी ने जातियों के नाम गिनाकर कहा कि कांग्रेस की साजिश क्या है, कांग्रेस चाहती क्या है, आरक्षण को खत्म करने के लिए कांग्रेस क्या क्या चालें चल रही है?
महाराष्ट्र के चुनाव में आरक्षण बड़ा मुद्दा है, जज़्बों से जुड़ा मुद्दा है. मराठा और धनकर समाज के लोग सड़कों पर है और चुनाव का वक्त है. इसलिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों हालात को अपने पक्ष में करने के लिए ताकत लगा रही हैं. लेकिन आज मोदी ने जातियों के नाम क्यों गिनाए?
इसकी पृष्ठभूमि को समझने की जरूरत है. अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था है, जिसका सब सम्मान करते हैं, पालन करते हैं. कुछ लोगों की शिकायत थी कि कुछ जातियों को आरक्षण का लाभ ज्यादा मिलता है और कुछ जातियां पीछे रह जाती हैं. ये मामला कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के सामने आया. सुप्रीम कोर्ट ने सबकी बात सुनने के बाद कोटे में कोटे की व्यवस्था कर दी. सबसे बड़ी अदालत ने कहा की SC-ST के आरक्षण में अलग से उपवर्गीकरण (sub-classification) किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल पुरानी व्यवस्था को बदल दिया. कहा, ज्यादा जरूरत वाले वंचित लोगों को आरक्षण के भीतर आरक्षण दिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के चुनाव से पहले आया था. बीजेपी ने लोगों से वादा किया कि वो इसे लागू करेगी. बुधवार को ही हरियाणा की विधानसभा ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने ऐलान कर दिया कि उनके मंत्रिमंडल ने कोटे में कोटा की व्यवस्था लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी है.
इसके तहत सरकारी नौकरियों में 10 परसेंट कोटा वंचित अनुसूचित जातियों के लिए और 10 परसेंट अन्य अनुसूचित जातियों के लिए होगा. अन्य अनुसूचित जातियों की श्रेणी में 15 जातियां और वंचित अनुसूचित जातियों की श्रेणी में 66 जातियां शामिल की गई हैं. इसका लाभ सबसे वंचित अनुसूचित जाति श्रेणी में शामिल 66 जातियों को मिलेगा. हरियाणा ऐसा पहला राज्य बन गया जिसने दलितों के आरक्षण में भी आरक्षण की व्यवस्था को लागू कर दिया.
इस संदर्भ में आप मोदी की बात सुनेंगे तो समझ जाएंगे कि वो क्या कहना चाहते हैं और क्या करना चाहते हैं. महाराष्ट्र में कुछ ऐसी जातियां हैं जिन्हें आरक्षण का लाभ कम मिलता है. अगर महाराष्ट्र में भी कोटे में कोटा का सिस्टम लागू किया गया तो उसका लाभ अनुसूचित जातियों और जनजातियों के एक बड़े वर्ग को मिलेगा. अब ये बताने की जरूरत नहीं कि चुनाव में इसका फायदा किसको होगा.

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बाबा का बुलडोज़र : दम ना होगा कम

akb full सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोज़र कार्रवाई पर सख्त दिशानिर्देश बना दिए. दिल्ली नगर निगम के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिन्द की अर्ज़ी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया. देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि बुलडोज़र चल सकता है लेकिन क़ानून में तय प्रक्रिया का पालन किए बगैर किसी के घर या जायदाद पर बुलडोजर चलाना असंवैधानिक और गैरकानूनी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी एक व्यक्ति के अपराध की सजा उसके पूरे परिवार को नहीं दी जा सकती. ये अमानवीय है. इस मामले में अफसरों की मनमानी नहीं चल सकती. कोर्ट ने कहा कि अगर किसी घर या संपत्ति को गिराना है, तो उसके मालिक को कम से कम 15 दिन का नोटिस देना जरूरी है. मकान मालिक को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका देना होगा. पेशी के जरिए सुनवाई करनी होगी. फिर ये बताना होगा कि उसके जवाब में कमी क्या है और किस आधार पर बुलडोज़र चलाना ही एकमात्र विकल्प है.
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि नोटिस देने के बाद घर गिराने तक की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए, बुलडोजर एक्शन की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग होनी चाहिए. जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि अगर कोई अफसर दिशानिर्देशों की अनदेखी करता है तो उसके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी. दोषी पाए जाने पर अधिकारी को अपने खर्चे पर गिराए गए घर को दोबारा बनाना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने आज सख्त लहजे का इस्तेमाल किया. जो दिशानिर्देश बनाए गए, वो बिल्कुल स्पष्ट हैं, सारी प्रक्रिया तय कर दी है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दो मुख्य बातें समझने वाली है. पहली, कोर्ट ने बुलडोज़र एक्शन पर रोक नहीं लगाई है. सिर्फ गाइडलाइन्स जारी की हैं. दूसरी बात, बुलडोजर एक्शन के लिए 15 दिन के नोटिस का प्रावधान पहले भी था. पहले भी आरोपी को सुनवाई का मौका दिया जाता था. अपील का अधिकार था. सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ ये तय करने की कोशिश की है कि बुलडोज़र एक्शन जल्दबाजी में न हो, जो निर्धारित प्रक्रिया है, उसके तहत कार्रवाई हो और वह पारदर्शी हो.
इसका असर ये होगा कि अगर कहीं आज कोई अपराध हुआ, तो आरोपी के घर पर कल बुलडोज़र नहीं चल पाएगा. बुलडोज़र पहुंचने में पन्द्रह दिन लगेंगे. जहां तक आज से पहले हुए बुलडोजर एक्शन का सवाल है, मेरे पास कुछ आंकड़े हैं. उसके मुताबिक, 2017 के बाद उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे सात राज्यों में दो हजार से ज्यादा बुलडोज़र एक्शन हुए. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा योगी आदित्यनाथ के राज में हुए एक्शन की हुई. क्योंकि योगी ने माफिया और दंगाईयों की संपत्ति को पूरी दंबगई से ज़मींदोज़ किया. मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, विकास दुबे, विजय मिश्रा जैसे तमाम माफिया की अवैध प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चलाकर उस जमीन पर गरीबों के लिए घर बनवा दिए.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार से कोई लेना देना नहीं हैं. जिन अर्ज़ियों पर कोर्ट का फैसला आया है, उसमें यूपी सरकार पक्षकार नहीं थी. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने ये केस दिल्ली नगर निगम के खिलाफ फाइल किया था लेकिन जब राजनीति बयानबाजी हुई, तो शाम को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. यूपी सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि इस फैसले से माफिया और पेशेवर अपराधियों पर लगाम लगाने में आसानी होगी. मतलब ये है कि योगी के तेवर नर्म नहीं होंगे.

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Bulldozer and Baba: Action to continue

AKB The Supreme Court, in its landmark judgement on “instant bulldozder justice”, has framed strict pan-India guidelines for demolition of properties. The guidelines say, no demolition of any alleged structure will be carried out without 15-day prior notice to the owner, both by registered post and pasting it on the outer walls of the property. The time period will tick from the date of receipt of notice by the owner. Notice shall delineate nature of unauthorised construction, specify violations, grounds of demolition and fix a date for personal hearing for the owner before a designated authority. The final order for demolition will not be implemented for 15 days to allow the aggrieved person to approach the courts.

Demolition must be videographed and the authorities will have to send a report to the civic authorities. Violations of guidelines will lead to initiation of contempt proceedings in addition to prosecution. Officers concerned will be asked to restore the demolished structure to its original state at their personal cost and they will also be liable to pay damages.

One must understand two major points relating to the judgement. One, the apex court has not imposed a “ban” on use of bulldozers for razing illegal properties. Only guidelines have been issued that must be followed strictly. Two, provision for giving 15-day prior notice was already there in the rule book. There was also provision to hear the accused and they had the right to appeal. What the apex court on Wednesday decided was to ensure that the bulldozers are not used in a hurry, and a transparent procedure must be followed.

The implications now will be that if any heinous crime takes place, bulldozers will not be used to raze the properties of the criminal immediately. Fifteen days’ time has been given. As far as bulldozer actions prior to the apex court verdict are concerned, I have some data. These data say, there were more than 2,000 bulldozer actions since 2017 in the states of Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Rajasthan, Haryana, Maharashtra and Gujarat. But the biggest hue and cry was raised over demolitions done during UP CM Yogi Adityanath’s rule.

This was because Yogi’s administration had razed the ill-acquired properties of top gangster leaders and rioters like Mukhtar Ansari, Atiq Ahmed, Vikas Dubey, Vijay Mishra and others. Ill-gotten properties of mafia dons were razed and homes were built for the poor on those plots. The Supreme Court verdict has nothing to do with Yogi Adityanath’s government. UP government was not a party to the case which was before the Supreme Court. The apex court was hearing a petition filed by Jamiat Ulama-e- Hind against North Delhi Municipal Corporation and others. But when political leaders started reacting to the Supreme Court verdict, the UP government had to respond.

A spokesperson from UP government welcomed the verdict as a significant step forward and said, “this ruling will increase criminals’ fear of the aw, and it will make easier for the administration to keep a leash on mafia elements and organised professional criminals. The first requirement of good governance is rule of law. The rule of law applies to everyone.” The implication is quite clear. Yogi’s government is not going to tone down its drive against gangsters, rioters and criminal elements.

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खरगे को योगी की चुनौती : रज़ाकारों के खिलाफ बोलकर दिखाओ

AKB30 महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार इस वक्त एक रोचक दौर में है। ज़बरदस्त जुबानी जंग देखने को मिल रही है। मंगलवार को योगी आदित्यनाथ ने अमरावती, अकोला और नागपुर में रैलियां की और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को जवाब दिया। खरगे ने कहा था कि अगर योगी को ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारे लगाने हैं, तो भगवा चोला उतार देना चाहिए।

इस पर योगी ने कहा कि भगवा तो सनातन की पहचान है, वह योगी हैं, सच बोलते हैं, इसलिए खरगे को इतिहास याद दिला रहे हैं। खरगे के परिवार वालों को निज़ाम के रजाकारों ने 1946 के दंगों में जला दिया था क्योंकि उस वक्त हिन्दू जातियों में बंटे थे। योगी ने कहा कि वोट के चक्कर में खरगे अपने परिवार के साथ हुई त्रासदी को भी छुपा रहे हैं लेकिन वह तो खुलकर कह रहे हैं कि एक रहना जरूरी है, क्योंकि बंटेंगे तो कटेंगे।

मल्लिकार्जुन खरगे के जिस बयान का जवाब योगी ने दिया, वह उन्होंने पिछले साल 17 अगस्त को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते समय दिया था। खरगे ने बताया था कि कैसे 1946 के दंगों में उनका घर जला दिया गया, उनकी मां, बहन, भाई, चाचा सबको निर्ममता के साथ जला दिया गया था। उस समय खरगे बच्चे थे। उनके पिता किसी तरह उनको बचा कर गांव से भागे, और बाद में कर्नाटक के गुलबर्गा में जा कर बसे। लेकिन ये बताते समय खरगे इस बात का जिक्र नहीं करते कि इन दंगों के पीछे कौन था?

असल में 1946-1947 के इन दंगों के पीछे हैदराबाद के तत्कालीन निज़ाम के रजाकारों का हाथ था। योगी ने इसी बात को पकड़ा। योगी ने जो कहा उसका मतलब है कि खरगे जान बूझकर निज़ाम के रजाकारों का ज़िक्र नहीं करते क्योंकि कांग्रेस पार्टी को मुसलमानों के वोटों की चिंता है। बीजेपी के एक नेता ने कमेंट किया कि खरगे के परिवार को निज़ाम के जिहादी रज़ाकारों ने मारा और वह हिंदुओं को आतंकवादी करार देते हैं। ये कैसा सेक्युलरिज्म है? महाराष्ट्र के चुनाव में राजनीति के इस पैंतरे की खूब चर्चा है।

अकोला की रैली में योगी ने कहा कि खरगे उनसे बेवजह खफा हैं। वो योगी हैं और योगी के लिए देश सबसे ऊपर होता है लेकिन कांग्रेस के नेताओं के लिए तुष्टिकरण सबसे ऊपर है। इसीलिए खरगे वो हकीकत बताने से भी डर रहे हैं जो उन्होंने खुद झेली है। चूंकि खरगे तीन दिन से लगातार योगी पर वार कर रहे थे, उन्होंने योगी की तुलना आतंकवादियों से कर दी थी, कहा था कि योगी भगवा चोला पहनकर बांटने-काटने की राजनीति करते हैं, हिंदू-मुसलमान के बीच नफरत फैलाते हैं, इसलिए उन्हें गेरुआ वस्त्र पहनने का कोई हक नहीं है। योगी आदित्यनाथ ने तीन दिन का हिसाब बराबर कर दिया। खरगे के परिवार के बारे में योगी ने जो कहा, वो गलत नहीं है क्योंकि खरगे कई मौकों पर खुद सार्वजनिक तौर पर ये बता चुके हैं कि हैदराबाद के दंगों में उनके परिवार को निजाम के रज़ाकारों ने जला दिया था।

महाराष्ट्र के चुनाव में भगवा का जिक्र खरगे के बयान की वजह से हुआ। ये बात तो तय है कि योगी का नारा हिट हो गया है। साधु-संत अब खुलकर योगी के समर्थन में खड़े हैं। मंगलवार को जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि योगी ने जो कहा, सच कहा। भगवाधारियों ने हमेशा समाज को सच्चाई बताई है, सही रास्ता दिखाया है, इसलिए खरगे भगवा पर न बोलें तो बेहतर होगा। खरगे ने कहा था कि भगवा धारण करने वाले राजनीति से दूर रहें तो अच्छा रहेगा। इस पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि भगवाधारी राजनीति करेंगे, तो राजनीति बेहतर होगी वरना इसमें अपराधियों का जमावड़ा हो जाएगा।

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Yogi to Kharge : Why silence on killer Razakars?

AKB30 Uttar Pradesh chief minister Yogi Adityanath on Tuesday, at his Akola, Maharashtra, rally, launched a direct attack on Congress President Mallikarjun Kharge. He mentioned about how Razakars owing allegiance to the then Nizam of Hyderabad had burnt his ancestral village, Warwatti, in 1946, killing his mother and sister.

Yogi said, “Kharge Ji is unnecessarily getting angry with me. I respect his age. He should express his anger with the Nizam of Hyderabad, whose Razakars burnt his village, mercilessly killed Hindus and took the lives of his mother, sister, and family members. He should bring this truth before the nation and the world. Only then people will know the meaning of my slogan, ‘Bantogey Toh Katogey’. He is refraining from placing this truth before the nation due to vote bank compulsions. He is deceiving the nation. I am only a Yogi. I have learnt only one thing. Do whatever is good for your country. For me, there can be nothing greater than my country and Sanatan Dharma.”

Yogi was only quoting from history. Kharge, while addressing a Congress workers’ convention at Delhi’s Talkatora stadium on August 17 last year, had said, “It is my misfortune that I could not see my mom, my brother, sister and uncle, because our home was burnt during the riots that led to Hyderabad liberation. Only my father and I were alive. It was in 1946, as riots went on from 1946 till 1948. My father and I fled the village and we later settled in Gulbarga.”

Yogi was responding to Kharge’s criticism that he made at his Maharashtra and Jharkhand rallies. Kharge had said, “A true yogi cannot use language like ‘Bantogey Toh Katogey’. Such language is used by terrorists. Yogi is the head of a mutt, wears saffron robes, but believes in ‘Munh me ram, Bagal Mein Chhuri’ (a wolf in lamb’s clothing).”

One must understand why Yogi raised the Hyderabad Razakar’s atrocities while replying to Kharge’s charge. The Congress President has often disclosed how he and his father fled their village during the 1946 riots and their family members died at the hands of Razakars. But Kharge never mentioned the Razakars or Nizam in his speeches.

It was Yogi who grabbed this point and put a poser to Kharge. Yogi alleged that Kharge was avoiding mention of Nizam and Razakars because his Congress party was concerned about keeping its Muslim votes intact. One BJP leader remarked, how can you call it secularism, when Kharge lost his family to jihadi Razakars and yet he speaks about Hindus as terrorists.

Senior Congress leader and former Rajasthan chief minister Ashok Gehlot hit back saying, “BJP leaders are intimidating the public. They brought the “Ek Rahengey, Safe Rahengey” slogan later, to control the damage, but their original slogan was ‘Bantogey Toh Katogey’. This is a dangerous slogan. Is this not at attempt to intimidate people? This is a clear indication of the way they want to do politics in the name of religion during elections.”

Hindu sadhus have openly lent support to Yogi. Jagadguru Rambhadracharya said, “despite many sects, Hindus must remain united. Only then nobody can harm us. United we remain strong. Saffron is the colour of Bhagwan. It was this saffron flag which Shivaji used to unite Maharashtra. Bhagwadharis should remain in politics, not those who are suited-booted.” It was Mallikarjun Kharge who had questioned Yogi’s saffron robes.

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महाराष्ट्र, झारखंड : क्या मोदी, योगी के नारे बाज़ी पलट देंगें?

AKB30 योगी आदित्यनाथ ने नारा दिया – ‘बंटोगे तो कटोगे’. बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नारा दिया – ‘एक हैं, तो सेफ हैं’ . अब ये दोनों नारे महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों में सबसे बड़े मुद्दे बन गए हैं. उद्धव ठाकरे हों, शरद पवार हों, मल्लिकार्जुन खरगे हों, या कांग्रेस के दूसरे नेता, किसी को इनका जवाब नहीं सूझ रहा है. इसीलिए कोई योगी को गाली दे रहा है, तो कोई योगी को कोस रहा है.

योगी आदित्यनाथ का ये अंदाज कांग्रेस के नेताओं को बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सोमवार को झारखंड में थे. पलामू की रैली में खरगे ने योगी आदित्यनाथ की तुलना आतंकवादियों से कर दी. खरगे ने कहा कि योगी आदित्यनाथ साधू हैं, गेरुआ वस्त्र पहनते हैं लेकिन बांटने-काटने की बात करते हैं, ये सनानत का अपमान है, बांटने-काटने की बात तो आतंकवादी करते हैं.

खरगे ने रविवार को नागपुर में भी कहा था कि ‘योगी का चोला तो संत का है लेकिन भगवा वस्त्र की आड़ में वह गंदी राजनीति करते हैं, इसलिए उन्हें भगवा वस्त्र उतारकर नेताओं के सफेद कपड़े पहनने चाहिए’. खरगे यही नहीं रुके. उन्होंने कहा कि ‘अगर योगी जैसे नेता चुनाव जीतते रहे तो वो एक दिन संविधान खत्म कर देंगे, मनु स्मृति को लागू कर देंगे और खुद महंत बनकर देश चलाएंगे.’

इस पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ‘खरगे के बयान से साफ हो गया है कि कांग्रेस भगवा से, सनातन से कितनी नफरत करती है.’ कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि ‘जो भगवा के विरोधी है, वो सनातन विरोधी हैं, और जो सनातन के विरोधी हैं, वो देश भक्त हो ही नहीं सकते, इसलिए अब हिन्दू समाज कांग्रेस को सबक सिखाएगा. ‘

सोमवार को बीजेपी ने महाराष्ट्र के अखबारों में फ्रंट पेज पर एक विज्ञापन दिया. इसमें प्रधानमंत्री मोदी का नारा, ‘ एक हैं तो सेफ हैं’ लिखा हुआ था. इस विज्ञापन में एकता दिखाने के प्रतीक के तौर पर समाज के अलग अलग वर्गों की टोपियों की तस्वीर इस्तेमाल की गई है. लेकिन इसमें मुस्लिमों की जालीदार टोपी गायब थी. इसको महाविकास आघाडी के नेताओं ने मुद्दा बना लिया.

संजय राउत ने कहा कि बीजेपी के पास सिर्फ एक ही टोपी है और वो है RSS की काली टोपी. जवाब में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश के 140 करोड़ लोगों की बात की है.

वैसे महा विकास आघाड़ी के कुछ नेताओं को लगता है कि अगर बीजेपी हिन्दू वोटों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है, तो जवाब में मुस्लिम वोटर अपने आप गोलबंद होंगे और इसका फायदा मोदी विरोधी मोर्चे को मिलेगा.

और ऐसा हो भी रहा है. वक्फ संशोधन बिल को लेकर पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है. जगह-जगह मौलाना और मुस्लिम संगठनों के नेता कॉन्फ्रैंस कर रहे हैं . वक्फ संशोधन बिल को मुसलमानों की संपत्ति हड़पने की बीजेपी की साजिश बताई जा रही है. मुस्लिम संगठनों ने 24 नंबवर को ‘दिल्ली चलो’ की कॉल दी है.

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Maharashtra, Jharkhand : Modi, Yogi Slogans Game Changers ?

AKB30 Opposition parties in both Maharashtra and Jharkhand assembly elections are foxed by two slogans given by Prime Minister Narendra Modi and UP chief minister Yogi Adityanath. They are unable to work out a proper response. It was Yogi who coined the slogan “Bantoge Toh Katogey” (Divided, You Will Be Finished). A few weeks later, Prime Minister Narendra Modi, in his Jharkhand and Maharashtra rallies, coined the slogan “Ek Hain, Toh Safe Hain” (United, We Are Safe).

Both these slogans have become main issues in the assembly elections in both these states. Shiv Sena (UBT) chief Uddhav Thackeray, NCP founder Sharad Pawar, Congress President Mallikarjun Kharge and other top Congress leaders are busy trying to chalk out a proper response. While some leaders are abusing Yogi in public, others are cursing the UP CM.

Let me cite some examples: Congress President Kharge said in his Nagpur and Jharkhand rallies “A true yogi cannot use language like ‘Bantogey Toh Katogey’. Such language is used by terrorists. Yogi is the head of a mutt, wears saffron robes, but believes in ‘Munh me ram, Bagal Mein Chhuri’ (a wolf in lamb’s clothing).”

BJP leaders promptly demanded apology from Kharge for making such remarks. Kalki Dham Peeth chief Acharya Pramod Krishnam, who spent most part of his life in Congress, said, “leaders who oppose saffron robes, are anti-Hindus, they cannot be patriots and the people will teach Congress a lesson this time.”

In Maharashtra, BJP published front-page ad displaying PM Modi’s “Ek Hain Toh Safe Hain” slogan, but Shiv Sena (UBT) leader Sanjay Raut objected to the ad. He said, the ad shows people of all sections wearing headgears, but the caricature of a Muslim wearing ‘jaalidar topi’ was missing. Raut alleged, BJP has only a single cap, and that’s the RSS black cap.

Some Maha Vikas Aghadi leaders, however, hold a different view. They feel that since BJP is trying mobilize Hindu votes, it will definitely have a backlash and may result in polarization of Muslim voters, which will surely help the anti-Modi bloc. Already Muslim leaders are active.

On Monday in Jaipur, qazis, moulvis and other Muslim leaders, including a Congress MP, gathered at a convention to demand the withdrawal of Waqf Amendment Bill, which is presently before a Joint Parliamentary Committee. The convention was named Tahaffuz-e-Auqaf, meaning ‘protection of Waqf properties’. The convention gave a ‘Chalo Delhi’ call on November 24 to all Muslim organisations.

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बच्चों पर सोशल मीडिया बैन काफ़ी नहीं : मां-बाप खुद को सुधारें

AKBऑस्ट्रेलिया की सरकार ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर बैन लगाने का फ़ैसला किया है. एंथनी अल्बनीस की सरकार इस बारे में एक क़ानून इसी महीने ऑस्ट्रेलिया की संसद में पेश करने जा रही है. इस नए क़ानून का एलान करते हुए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस ने कहा कि बच्चों पर सोशल मीडिया का बहुत बुरा असर पड़ रहा है और उन्होंने बहुत से माता-पिताओं, अभिभावकों, विशेषज्ञों और बच्चों से बात करने के बाद ये फ़ैसला किया है.

इस नए क़ानून के तहत, सोशल मीडिया को 16 साल तक के बच्चों के लिए बैन लागू करने की ज़िम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनियों की होगी. 16 साल तक के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन करने वाला ऑस्ट्रेलिया दुनिया का पहला देश होगा.

अल्बनीस ने कहा कि ‘सोशल मीडिया हमारे बच्चों को बहुत नुक़सान पहुंचा रहा है और अब मैं इसको बंद करने जा रहा हूं. मैंने हज़ारों अभिभाकों से बात की है. मेरी तरह वो भी ऑनलाइन दुनिया में अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित है, और मैं ऑस्ट्रेलिया के अभिभावकों और परिवारों को ये बताना चाहता हूं कि अब सरकार उनके साथ है. अब अभिभावक अपने बच्चों से कह सकेंगे कि सोशल मीडिया उनके लिए नहीं है. क़ानून उनको इसकी इजाज़त नहीं देता.’

पूरी दुनिया में इस बात को लेकर चिंता है कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल से, डिजिटल मीडिया से बच्चों का कितना नुकसान होता है और ये चिंता जायज़ है लेकिन हमें ये याद रखना चाहिए कि नुकसान तो बड़ों का भी होता है, दूरियां तो मां-बाप में भी बनती हैं और बच्चे इसी से सीखते हैं. घर में एक कमरे में चार लोग बैठे होते हैं, आपस में बात करने की बजाय सब फोन देखने और मैसेज भेजने में लगे रहते हैं. इसीलिए कानून बनाने से कुछ नहीं होगा.

अगर बच्चों को इस त्रासदी से बचाना है तो मां-बाप को अपने ऊपर भी पाबंदी लगानी होगी, उन्हें अपने मोबाइल और डिजिटल मीडिया के इस्तेमाल पर कंट्रोल करना होगा. तभी वो बच्चों को समझा पाएंगे. आजकल तो जब बच्चा रोता है, तो मां-बाप उसे चुप कराने के लिए प्यार करने की बजाय उसके हाथ में मोबाइल फोन पकड़ा देते हैं. जबतक हम ऐसी आदतों से बाज नहीं आएंगे तब तक बच्चों को मोबाइल फोन के इस्तेमाल से नहीं रोक पाएंगे.

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Social media ban on kids not enough: Parents, heal thyself!

AKBThe Australian government has decided to pass new laws banning children under the age of 16 years from accessing social media. Prime Minister Anthony Albanese said, the new laws will be presented to state and territory leaders this week, before being placed in Parliament towards the end of this month. Albanese said, “social media is doing real harm to kids and I’m calling time on it”.

The government will crack down on tech companies that fail to protect young users, he said. Tech companies and social media platforms will bear responsibility for ensuring that their users are above the age of 16 years.

The Australian PM said, “parents are worried sick about the safety of their kids online. The onus will not be on parents or young people. There will be no penalties for users”.

If the laws are passed, Australia will become the first country in the world to ban social media for users below the age of 16 years. Already, parents throughout the world are worried over the rampant use of social media on smart phones by children, who gain access to content that they are not supposed to.

These worries are justified, but we must remember that even those above the age of 16 years are also influenced by social media and they maintain distance from their parents.

It has been noticed that four persons sitting inside a room are usually seen busy either texting or watching content on phones instead of being engaged in one-to-one conversation.

Merely framing laws will not be enough. If children are to be protected from social media, parents will also have to impose a self-ban. They should control their use of mobile and digital media. Only then can parents convince their children effectively.

Nowadays when a kid bawls, parents, instead of trying to soothe the kid, hand a cellphone to the child to stop him from crying. Until and unless we discard these habits, no force on earth can stop children from using cell phones.

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बांग्लादेश : हिन्दुओं पर ज़ुल्म फौरन बंद करो

AKB जिस दिन देश में छठ का महापर्व मनाया जा रहा था, बांग्लादेश से परेशान करने वाली तस्वीरें आईं. हिन्दुओं को घरों से घसीट-घसीट कर पीटा गया. चिंता की बात ये है कि इस बार हिन्दुओं पर हमला कट्टरपंथियों ने नहीं, बांग्लादेश की सेना ने किया. बांग्लादेश की सेना रात के अंधेरे में हिन्दुओं के घरों में घुसी, सोते हुए लोगों को पीटा, बुरी तरह लाठियां बरसाई गईं, जान बचाकर भागे हिन्दुओं को सड़कों पर दौड़ा-दौड़ा कर बुरी तरह बेरहमी से पीटा गया.
इसके बाद जुल्म के सबूत मिटाने के लिए बांग्लादेश की पुलिस ने हिन्दुओं के मुहल्लों में लगे सीसीटीवी कैमरे तोड़े. घरों में घुसकर सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को डिलीट किया और जाते-जाते हिन्दुओं को धमकी दी कि अगर घरों से निकले, मुसलमानों के खिलाफ एक लफ्ज़ भी बोला, तो गोली मार दी जाएगी.
भारत सरकार ने इस तरह की घटनाओं पर चिंता और सख्त नाराजगी जाहिर की है. मोदी सरकार ने बांग्लादेश की सरकार से हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार को बंद करने, इस मामले की जांच कराने और हिन्दुओं को सुरक्षा देने को कहा है.
हिन्दुओं पर जुल्म का ये कोई पहला मामला नहीं हैं. शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से हर रोज़ हिन्दुओं पर हमले हो रहे हैं. बांग्लादेश में हिन्दू खौफ के माहौल में जी रहे हैं. अब तो वहां की फौज भी हिन्दुओं को निशाना बना रही है. हिन्दुओं की गलती सिर्फ ये थी कि उन्होंने देवी देवताओं के अपमान का, मंदिरों पर हमलों का विरोध किया था. इसके बाद फौज ने हिन्दुओं के मुहल्लों को पूरी तरह तहस नहस कर दिया .
सवाल पैदा होता है कि क्या बांग्लादेश में हिन्दुओं के अधिकार खत्म हो गए हैं? क्या हिन्दुओं को पूजा का अधिकार नहीं है? क्या बांग्लादेश में मुहम्मद युनूस की सरकार ने कट्टरपंथियों को हिन्दुओं के अपमान का लाइसेंस दे दिया है? क्या बांग्लादेश की फौज भी वहां रहने वाले हिन्दुओं की दुश्मन हो गई है? अब ऐसे हालात में भारत सरकार को हिन्दुओं की हिफाजत के लिए क्या करना चाहिए?
बांग्लादेश के दूसरे सबसे बड़े शहर चट्टोग्राम की हज़ारी गली में मंगलवार की रात को फौज ने हिन्दुओं पर कहर ढाया. वहां के डिप्टी कमिशनर की अगुआई में अचानक सेना और पुलिस के सिपाही हिंदुओं के उस इलाके में दाखिल हुए. घरों की पहचान पहले से कर ली गई थी. बिल्कुल टारगेटेड हमला हुआ. इलाके में रहने वाले हिन्दुओं को संभलने तक का मौका नहीं मिला. सेना के सिपाही घरों में घुसे और लोगों पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी. डरे, सहमे, घबराए लोग बदहवास होकर इधर उधर छुपने लगे तो फौज के सिपाहियों ने लोगों को घसीट-घसीटकर घर से बाहर निकाला और सड़क पर गिराकर लाठियों से पीटा.
दरअसल हुआ ये था कि हज़ारी गली इलाक़े के एक मुस्लिम कारोबारी ने हिंदू संगठन इस्कॉन के बारे में बुरा भला कहा था. उसकी स्पीच जब सोशल मीडिया पर अपलोड हुई, तो हिंदू समुदाय ने मुस्लिम कारोबारी के घर के बाहर प्रोटेस्ट किया. इसी के बाद हज़ारी गली मुहल्ले में रहने वाले हिंदुओं की शामत आ गई. बांग्लादेश की पुलिस और सेना के जवान वहां पहुंच गए और चुन-चुनकर हिंदुओं को निशाना बनाया.
सेना की दरिंदगी से डरी महिलाएं और सहमे बच्चे कुछ घरों में छुप गए, तो फौज के सिपाहियों ने इन घरों को घेर लिया. हिन्दुओं से घर से बाहर निकलने को कहा. जब लोग घरों से बाहर नहीं निकले, तो सिपाहियों ने हवाई फायरिंग करके लोगों को जान से मारने की धमकी दी. आप कल्पना करिए इस तरह के हालात में इन घरों में कैद हिन्दुओं का क्या स्थिति रही होगी?
भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे ज़ुल्म को लेकर गहरी चिंता जताई है और बांग्लादेश की सरकार से कहा है कि वो हिंदू समुदाय के लोगों की हिफ़ाज़त करे और फिरकापरस्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हिंदुओं पर हमले के जो वीडियो सामने आए हैं, वो बहुत डराने और परेशान करने वाले हैं.
बांग्लादेश में हिंदुओं पर जुल्म के वीडियो दिल दहलाने वाले हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि इस बार ये काम फौज ने किया और अपनी हरकतों को छुपाने के लिए सीसीटीवी फुटेज डिलीट कर दी. हालांकि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार अब कोई नई बात नहीं है. शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद हिंदुओं पर जुल्म बढ़ गये थे. उसकी तस्वीरों ने रोंगटे खड़े कर दिए थे. इसीलिए डॉनल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान बांग्लादेश के हिंदुओं पर हुए ज़ुल्म की निंदा की थी.
अब चुनाव में ट्रंप की जीत के बाद बांग्लादेश के सियासी गलियारों में सन्नाटा है.कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि हवा बदलने लगी है. शेख हसीना की अवामी लीग में अब नई जान आ गई है, लेकिन ये वाकई में कितना असरदार साबित होगा, इसका पता चलने में अभी वक्त लगेगा. जहां तक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का सवाल है, अब इसमें सरकार के साथ फौज भी शामिल है. इसीलिए इसके खिलाफ दुनिया भर में माहौल बनाने और आवाज़ उठाने की ज़रूरत है.

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Bangladesh: Stop atrocities against Hindus

AKB Videos of Bangladesh army soldiers forcibly breaking into Hindu homes on a dark night, dragging out men and women, thrashing them with lathis and then destroying CCTV cameras to hide evidence, are scary and worrying. This brutal crackdown took place soon after Hindus staged protest after a Jamaat-e-Islami supporter businessman posted derogatory remarks against Hindus and ISKCON (International Society for Krishna Consciousness) on social media.

Army soldiers along with policemen entered the Hindu locality of Hazari Lane, dragged Hindus out of their homes and beat them with lathis mercilessly. This attack was led by the local Deputy Commissioner, a Hindu victim alleged. The victim said, “the interim government of Nobel Prize winning Dr Mohammad Yunus is restorting to dictatorship. On Tuesday night, in Hazari Lane, the Deputy Commissioner led policemen and army soldiers, who dragged Hindus out of their homes and beat them mercilessly with lathis. Hindus had staged a protest against an inflammatory social media post against ISKCON.”

Women and children hid themselves in the homes of others to save themselves from army crackdown. One uniformed soldier fired in the air to intimidate Hindus and force them to come out of their hiding places.

In New Delhi, Ministry of External Affairs spokesperson condemned the incident and urged Bangladesh government to take action against extremist elements and ensure safety of Hindus. The MEA spokesperson said, “It is understood that there are extremist elements who are behind such posts and such illegal criminal activities. This is bound to create further tensions in the community.”

Atrocities on Hindu minorities in Bangladesh are not new. There has been a spate of such attacks after Prime Minister Sheikh Hasina was deposed. Even US President-elect Donald Trump, during his election campaign. had expressed concern over the atrocities against Hindus in Bangaldesh. It was a strong statement. After Donald Trump’s victory, there is silence in Bangladesh political circles. Some people have started claiming that the wind might blow in a reverse direction now. Sheikh Hasina-led Awami League has got a new life, in the face of atrocities from the new ruling dispensation.

Time will tell what will happen after the regime change in the US, but as far as atrocities on Hindus in Bangladesh are concerned, since the army has now entered the scene and is launching a crackdown against Hindus, there is need to raise a loud voice and create worldwide outrage against such atrocities.

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