Stop Temple Mosque Disputes: Enough Is Enough!
The death of four persons due to violence in Sambhal, Uttar Pradesh, is sad and unfortunate. It appears there was mischief at almost all levels, and at every stage. First, the court’s survey order came in a hurried manner, the survey was started hurriedly, rumours were then spread among communities about the survey, and while photography was being done at the mosque, rumour was spread that excavation has begun. Based on these rumours, a violent mob gathered, armed with stones and weapons. Locals say that several masked persons were brought from outside. Several people incited the angry crowd, and the mob surrounded the police force and attacked policemen. Police officials say, police took action in self-defence.
Had the local administration exercised utmost caution after the court order, a mob would not have gathered at the spot and the crowd would not have been instigated in the name of religion. The survey work, as per court order, could have been carried out peacefully. The order could have been contested in higher courts. What happened was the opposite. Already, communal tension is spreading to other places of UP. 25 people have been arrested, and seven FIRs filed against more than a thousand unidentified persons. They include the MP from Sambhal Ziaur Rahman Barq and local MLA Iqbal Mehmood’s son Sohail Iqbal.
Now, the investigation will take place, rioters will be identified, instigators will be arrested and will have to face court cases, but the lives of four youths will not return. This is the most shocking aspect. Leaders from both communities are now levelling charges and counter-charges. Nobody is going to listen even if they are shown concrete evidence or statements. Both sides will remain adamant and stick to their stands. Both sides will blame each other.
I think, all such dispues about temples and mosques, that are being raised almost daily, must stop. Nobody will benefit from confrontation. Solutions come out only through mutual dialogue. Years ago, the great Hindi poet Harivanshrai Bachchan wrote, “Bair Badhaate Mandir Masjid…” (temples, mosques can lead to enmity). Even the RSS chief Mohan Bhagwat had recently said, it would not be proper to find Shiv Lingams under every mosque. Our laws are quite clear. The laws underline the point that there is no need to create fresh disputes about religious shrines that have already been built.
One must not forget that when people fight in the name of religion, they go the extent of killing one another. Leaders try to grind their political axes in such crises. It is the public which suffered because of whatever happened in Sambhal. And political parties are now trying to score gains.
बैर बढ़ाते मंदिर मस्जिद: ये झगड़े बंद करो !
इस वक्त उत्तर प्रदेश के संभल में जबरदस्त तनाव है. जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में रविवार को जो हिंसा हुई, उसमें चार नौजवानों की मौत हो चुकी है. पुलिस ने 25 लोगों को गिरफ्तार किया है. एक हज़ार से ज्यादा अज्ञात लोगों के खिलाफ सात मुकदमे दर्ज किए गए हैं. संभल के सांसद ज़िया उर रहमान बर्क और संभल के विधायक इक़बाल महमूद के बेटे सोहेल इक़बाल समेत कुल 15 लोगों के खिलाफ नामज़द FIR दर्ज हुई है. 24 पुलिसवाले घायल हुए हैं.
संभल में 4 लोगों की मौत दुखद है, दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसा लगता है इस मामले में हर स्तर पर, हर मोड़ पर शरारत हुई.
पहले तो सर्वे का ऑर्डर जल्दबाजी में आया. फिर सर्वे भी जल्दबाज़ी में शुरु हुआ. फिर सर्वे को लेकर अफवाह फैलाई गई. मस्जिद में जहां सिर्फ फोटोग्राफी हो रही थी, वहां खुदाई की बात फैलाई गई. अफवाह की वजह से पत्थर और हथियार लेकर भीड़ इकट्ठा हुई. इलाके के लोग कहते हैं कि ये नकाबपोश बाहर से आए थे. कुछ लोगों ने इस भीड़ को भड़काया. भीड़ ने पुलिस को घेरकर हमला किया और पुलिस का दावा है कि उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए एक्शन लिया.
अगर प्रशासन ने सावधानी बरती होती, तो इतनी भीड़ इकट्ठी नहीं होती और भीड़ को मज़हब के नाम पर भड़काया न गया होता, तो वो पुलिस पर हमला न करती. सर्वे का काम शांति से हो सकता था. उस पर जंग अदालत में लड़ी जा सकती थी, पर जो हुआ वो बिलकुल उसका उल्टा था.
अब जांच हो जाएगी. दंगा करने वालों की पहचान हो जाएगी. भड़काने वालों को पकड़ा जा सकता है. उन पर केस भी चलाया जा सकता है लेकिन जिन 4 नौजवानों की मौत हुई, उन्हें वापस नहीं लाया जा सकता .ये इस मामले का सबसे शॉकिंग पहलू है.
अब दोनों तरफ के लोग एक दूसरे पर साजिश के इल्जाम लगा रहे हैं. इन्हें कितने भी सबूत दिखा दिए जाएं, कितने भी बयान सुनवा दिए जाएं, कोई नहीं मानेगा. दोनों पक्ष अपनी बात पर अड़े रहेंगे. दोनों एक दूसरे को दोषी ठहराएंगे.
मेरा तो ये कहना है कि मंदिर, मस्जिद के नाम पर रोज़ रोज़ के ये झगड़े बंद होने चाहिए. टकराव से कभी किसी का भला नहीं हुआ. जब भी रास्ता निकला है तो आपसी बातचीत से निकला है.
बरसों पहले डॉ हरिवंशराय बच्चन ने लिखा था, “बैर बढ़ाते मंदिर मस्जिद…”. धार्मिक स्थलों के विवाद से किसी का उपकार नहीं होता. R S S प्रमुख मोहन भागवत ने थोड़े दिन पहले कहा था “हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग ढूंढना उचित नहीं है “. हमारा कानून भी यही कहता है कि जो धार्मिक स्थल बन चुके हैं, उनको लेकर नये सिरे से विवाद उठाने की ज़रूरत नहीं.
जब मज़हब के नाम पर लोग लड़ते हैं, एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं, तो नेताओं को अपनी लीडरी चमकाने का मौका मिलता है. संभल में जो कुछ हुआ, उसका नुकसान आम जनता को हुआ और राजनीतिक दलों ने उसका पूरा पूरा फायदा उठाया.
अडानी बहाना, मोदी निशाना : संयोग या प्रयोग ?
एक बार फिर गौतम अडानी राजनीति का मुद्दा बन गए. राहुल गांधी ने एक बार फिर गौतम अडानी का नाम लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला किया. राहुल गांधी ने इस बार बहाना बनाया अमेरिका के कोर्ट में गौतम अडानी पर लगे इल्जाम का.
अमेरिका की एक कोर्ट में FBI ने आरोप लगाया है कि गौतम अडानी ने भारत में सौर बिजली के वितरण का ठेका दिलवाने के लिए एक अमेरिकन कंपनी से की राज्य सरकारों के अफसरों को रिश्वत दिलवाने की कोशिश की. छत्तीसगढ़, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु और ओड़िशा के अफसरों को दो हजार करोड़ रु. से ज्यादा की रिश्वत ऑफर करवाई..
FBI का कहना है कि गौतम अडानी ने अमेरिका में बॉन्ड्स के जरिए लोगों से पूंजी ली, लेकिन रिश्वत की बात निवेशकों से छुपाई. फेडरल कोर्ट ने इसे निवेशकों के साथ धोखा मानकर इसकी जांच का आदेश दिया. इस आधार पर गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और कंपनी के डायरेक्टर विनीत जैन समेत सात लोगों पर आपराधिक मुकदमा चलाया जाएगा.
अमेरिका में देर रात ये हुआ और सुबह सूरज निकलने से पहले विपक्ष के नेता सक्रिय हो गए. राहुल गांधी ने राशन पानी लेकर नरेन्द्र मोदी पर हमला बोल दिया. इसके बाद अखिलेश यादव, संजय राउत, फारुक़ अब्दुल्ला समेत तमाम नेताओं ने मोदी सरकार पर हमला बोला.
राहुल गांधी ने कहा कि वो लिखकर दे सकते हैं कि गौतम अडानी गिरफ्तार नहीं होंगे क्योंकि अडानी बीजेपी की फंडिग का स्रोत हैं, नरेन्द्र मोदी अडानी के कब्जे में हैं.
न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में FBI ने ये आरोप लगाया है कि 2020 से 2024 के बीच गौतम अडानी और उनकी कंपनी के अधिकारियों ने सोलर एनर्जी का प्लांट लगाने और प्लांट में बनी बिजली को बेचने के ठेकों के लिए सरकारी अफसरों को 2029 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की.
FBI का कहना है कि गौतम अडानी ने अमेरिकी निवेशकों से करीब पौने दो हजार करोड़ रूपए इन्वेस्ट कराए , लेकिन इस रिश्वत की जानकारी निवेशकों को नहीं दी. इसलिए ये धोखाधड़ी का मामला बनता है.
FBI ने अदालत में दावा किया कि अडानी ने जो ठेका हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को घूस ऑफर की, उस कॉन्ट्रैक्ट से अडानी ग्रुप को अगले 20 साल में करीब 17 हजार करोड़ रु. का मुनाफ़ा होने वाला था. इसके बाद अमेरिका के सिक्योरिटीज़ ऐंड एक्सचेंज कमीशन ने भी गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी के अलावा सीरिल कैबनीज़ के ख़िलाफ़ सिविल सूट दाख़िल किया.
अमेरिका में अडानी के खिलाफ इल्जाम लगे. पहला असर शेयर बाज़ार पर हुआ. अडानी ग्रुप के शेयर्स में 10 से 20 परसेंट तक की गिरावट आई, जिसके कारण निवेशकों के करीब ढाई लाख करोड़ रुपए डूब गए.
दूसरा असर ये हुआ कि अडानी ग्रीन कंपनी ने अमेरिका में शेयर मार्केट से पैसे जुटाने के लिए 60 करोड़ डॉलर का जो बॉन्ड जारी किया था, उसको वापस ले लिया गया.
अडानी ग्रुप ने अपने बयान में ग्रुप पर लगाए गए सारे इल्ज़ामात को ग़लत और बेबुनियाद बताया. बयान में कहा गया कि अडानी ग्रुप क़ानून का पालन करता है, जो आरोप लगाए गए हैं, उनका जवाब कानूनन दिया जाएगा.
अडानी के मामले के दो पहलू हैं. एक राजनीतिक, दूसरा वित्तीय. राहुल गांधी पिछले 10 साल से गौतम अडानी को नरेन्द्र मोदी पर हमला करने का हथियार बनाए हुए हैं. अडानी बहाना, मोदी निशाना, लेकिन राहुल इसमें ज्यादा कामयाब नहीं हो पाए. आज भी जिन राज्यों में अफसरों को रिश्वत देने का इल्जाम लगा, उनमें कहीं बीजेपी की सरकार नहीं है. इसमें कोई मोदी कनेक्शन नहीं मिला. इसीलिए मोदी की इमेज पर तो चोट नहीं पहुंची लेकिन शेयर मार्केट में अडानी के शेयरों में पैसे लगाने वालों को भारी नुकसान हुआ.
ये भी एक पैटर्न है. केस उस वक्त आया जब अमेरिका में अडानी की कंपनी का 600 मिलियन डॉलर का बॉन्ड मार्केट में था. इस खबर के बाद अडानी को बॉन्ड वापस लेना पड़ा.मार्केट में अडानी के शेयर बहुत बुरी तरह गिरे.
पिछली बार जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई थी, उस वक्त भी अडानी 20 हजार करोड़ का FPO लाने वाले थे.उस वक्त भी उन्हें शेयर मार्केट में नुकसान हुआ था.
तो क्या ये महज संयोग है? पिछली बार जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई थी. उस वक्त संसद का सत्र शुरू होने वाला था और पूरा सत्र हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर हंगामे की भेंट चढ़ गया.
इस बार भी जब अमेरिका से अडानी के खिलाफ चार्जशीट की खबर आई तो तीन दिन बाद संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है और आज राहुल गांधी ने ऐलान कर दिया कि विपक्ष अडानी के मुद्दे पर सरकार को घेरेगी, यानी फिर संसद में हंगामा होगा. क्या ये भी एक संयोग है? या सोचा समझा प्रयोग है?
Adani and Modi: Coincidence or Conspiracy?
The indictment of billionaire Gautam Adani by US prosecutors in a New York court has become a hot political issue in India. Taking a cue, Leader of Opposition in Lok Sabha Rahul Gandhi launched an attack on Prime Minister Narendra Modi and demanded Adani’s arrest and interrogation. US Department of Justice charged Gautam Adani, his nephew Sagar Adani and few others for giving $265 million bribery to secure solar power supply contracts in India.
Separately, US Securities Exchange Commission (SEC) charged Gautam and Sagar Adani and fomer Azure director Cyril Cabanes with Freign Corruption Prevention Act (FCPA) violations. SEC accused them of raising money from US investors through bonds by giving “false and misleading statements” that they were not involved in bribery.
These development took place in the US on Wednesday night, and by early Thursday dawn, Rahul Gandhi, Shiv Sena (UBT) leader Sanjay Rout, SP supremo Akhilesh Yadav, National Conference leader Dr Farooq Abdullah and others began launching attacks on Narendra Modi. Rahul Gandhi said, he was ready to give it in writing that Gautam Adani would not be arrested by Indian government because he alleged that Adani was “source of funding” for BJP.
In its statement, Adani Group dismissed bribery allegations as “baseless”. The Adani Group said, “As stated by the Department of Justice itself, charges in the indictment are allegations and the defendants are presumed innocent unless and until proved guilty. All possible legal recourse will be sought…..The Adani Group has always upheld and is steadfastly committed to maintaining the highest standards of governance, transparency and regulatory compliace across all jurisdictions of its operations.”
There are two aspects, political and financial, to this Adani issue. For the last ten years, Rahul Gandhi has been using Gautam Adani as his tool to attack Narendra Modi. For him, Adani was the issue, and Modi continues to be the target (Adani Bahaana, Modi Nishaana). Rahul could not make his allegations stick. Even today, the FBI’s bribery charges do not mention any state government where BJP is in power.
According to FBI, Rs 2029 crore were promised as bribes to officials, following which Tamil Nadu, Odisha, Jammu & Kashmir, Chhattisgarh and Andhra Pradesh signed power sharing agreements with central public sector undertaking, SECI, between July 2021 and February 2022. Tamil Nadu is ruled by DMK, Odisha was then ruled by Biju Janata Dal, Chhattisgarh was ruled by Bhupesh Baghel’s Congress government and Andhra Pradesh was ruled by YSRCP chief Jagan Mohan Reddy. There was no “Modi connection” in any of these deals. Modi’s image is not going to be dented because of this indictment. But Indian stock exchanges were hit badly on Thursday.
This is part of a pattern. The indictment was done at a time when Adani Group was going to raise $600 million in the US bond market. The group had to withdraw itself from the US bond market, and Adani group shares were hit badly at the stock exchanges. Earlier, when the Hindenburg report came, Adani group was going to come with Rs 20,000 crore FPO. At that time too, Adani group shares were badly hit at the stock exchanges.
Are both these developments a coincidence (‘sanyog’)? When the Hindenburg report came, Parliament session was going to begin and the entire session was stalled due to continuous pandemonium.
This time too, the indictment came three days before Parliament session was to begin. On Thursday, Rahul Gandhi said, the opposition would launch attacks on the government inside the House. In other words, Parliament proceedings will be stalled. Is it also a coincidence (sanyog)? or, an experiment (prayog)?
महाराष्ट्र, झारखंड : क्या इस बार एग्जिट पोल सही साबित होंगे ?
महाराष्ट्र, झारखंड में विधानसभा चुनाव, 5 राज्यों की 15 सीटों पर उपचुनाव और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए वोट डाले गए। चुनाव आयोग ने बताया कि महाराष्ट्र में 65.08 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि झारखंड में 68.45 प्रतिशत वोट डाले गए। आयोग ने कहा कि इनमें पोस्टल बैलट शामिल नहीं हैं, और कई मतदान केंद्रों से पूरे आंकड़े नहीं आये हैं। दोनों राज्यों में माहौल गर्म था लेकिन वोटिंग शान्तिपूर्ण तरीके से हुई। कहीं से किसी तरह की हिंसा या तनाव की खबर नहीं आई। किसी भी चुनाव में मतदान के बाद लोगों की सबसे ज्यादा दिलचस्पी ये जानने में होती है कि लोगों ने किसको वोट दिया? कौन जीतेगा? सरकार किसकी बनेगी? ये जानने का एक ही पैमाना है, एग्जिट पोल। लेकिन एग्जिट पोल इतनी बार गलत साबित हो चुके हैं कि कुछ कहना मुश्किल है।
कई एजेंसीज के एग्जिट पोल सामने आए हैं। मोटे तौर पर सारे एग्जिट पोल इस बात पर एकमत हैं कि महाराष्ट्र और झारखंड में दोनों जगह NDA की सरकारें बनेगी। दोनों राज्यों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। असलियत तो 23 नवम्बर को ही पता चलेगी। आजकल एग्जिट पोल की विश्वसनीयता काफी कम है। हमारे देश में लोकसभा चुनाव और हरियाणा चुनाव में दोनों जगह एग्जिट पोल गलत साबित हुए। अमेरिका में भी ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच कांटे की टक्कर दिखा रहे थे। सब गलत साबित हुए। ट्रंप ने जबरदस्त जीत हासिल की लेकिन तो भी एग्जिट पोल में दर्शकों की दिलचस्पी तो रहती है।
एक्जिट पोल के मुताबिक, महाराष्ट्र में बीजेपी और उसके साथी दलों की सरकार बन सकती है। लोकसभा चुनाव में इसका उल्टा हुआ था। वहां महाविकास अघाड़ी ने ज्यादा सीटें हासिल की थी। इसीलिए जब विधानसभा चुनाव की शुरुआत हुई तो बीजेपी वाले अलायंस की जीत मुश्किल मानी जा रही थी लेकिन शिंदे सरकार ने वेलफेयर स्कीम्स का मेला लगा दिया और फिर लोग कहने लगे कि हवा बदल गई है। अगर महाराष्ट्र के एग्जिट पोल सही निकले तो ये बात सही साबित हो जाएगी।
इसी तरह झारखंड में जब हेमंत सोरेन को जेल भेजा गया तो लोग कहते थे, ये बीजेपी ने बड़ी गलती कर दी। विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन को सहानुभूति वाला वोट मिलेगा पर ये एग्जिट पोल में दिख नहीं रहा। अगर एग्जिट पोल सही साबित होते हैं तो लगेगा कि लोग हेमंत सोरेन सरकार से नाराज थे, उनके खिलाफ एंटी इनकम्बैंसी फैक्टर ने काम किया। दूसरी बात ये है कि इस बार बीजेपी ने मजबूत गठबंधन बनाया, मिलकर चुनाव लड़ा। हो सकता है इसका फायदा मिला हो, लेकिन ये सब अटकलें हैं, अनुमान हैं, 23 नवम्बर को पता चलेगा कौन जीता, कौन हारा, किसकी सरकार बनी, किसकी सरकार गई।
Maharashtra, Jharkhand : Will exit polls prove right this time?
Maharashtra recorded 62.05 per cent polling, while Jharkhand, in its second phase, recorded 68.01 per cent voting on Wednesday, according to Election Commission of India, which described these figures as “approximate trend”.
The Commission said, this “approximate trend” does not include data of postal ballot voting, and that the trends were approximate because data from some polling stations take time to reach. EC said, final data for each polling station is shared in Form 17C with all polling agents.
There were no reports of violence in both these states.
All eyes were on exit polls from Maharashtra and Jharkhand, which hinted at advantage for BJP-led NDA in both the states, while some pollsters predicted neck-and-neck contests. The results will be known on Saturday November 23 (Counting Day).
Credibility of exit polls has taken a nose dive after pollsters were proved wrong during the Lok Sabha and Haryana assembly elections. In the United States too, while most exit polls had predicted a tough contest between Donald Trump and Kamala Harris, the pollsters were proved wrong, and Trump recorded an emphatic win, even in the swing states.
Exit polls for Lok Sabha elections in Maharashtra were proved wrong because Congress-led Maha Vikas Aghadi won more seats than the NDA. When electioneering began for assembly polls, BJP leaders were worried about the trends, but Eknath Shinde’s government brought in welfare schemes to change the wind in its favour. If the results go in favour of NDA, the pollsters may be proved right this time.
In Jharkhand, chief minister Hemant Soren was sent to jail and this led to experts predicting that BJP took a wrong step, because Soren would be getting sympathy votes. But this has not been reflected in Wednesday’s exit polls.
If exit polls are proved right this time, then it will be established that the anti-incumbency factor against JMM government worked. Secondly, BJP forged a strong alliance in Jharkhand and all the constituent parties fought together. The results may prove this right, but all these are speculations. On Counting Day, people will know who won and lose.
क्या दिल्ली में नक़ली बारिश हो सकती है ?
दिल्ली-NCR में तमाम कोशिशों के बावजूद भीषण वायु प्रदूषण कम नहीं हो रहा है. पिछले तीन दिन से दिल्ली में Air Quality Index Severe-Plus category में है. दिल्ली के बहुत से इलाकों में AQI 500 से ऊपर था. दिल्ली के कई इलाकों में एंटी स्मॉग गन का इस्तेमाल किया गया, पानी का छिड़काव किया गया. ग्रैप-4 के तहत तमाम पाबंदियों को सख्ती से लागू कराया जा रहा है लेकिन इन सबका कोई खास असर नहीं दिख रहा है.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यही हाल रहा, अगर आसमान में धुंध की मोटी चादर छाई रही, तो अगले दो हफ्ते तक तो दिल्ली वालों को ज़हरीली हवा में ही सांस लेनी पड़ेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि सर्दी बढ़ रही है, तापमान गिरेगा, ऐसे में अगर हवा की रफ्तार न बढ़ी, बारिश न हुई तो दिल्ली वालों को फरवरी तक वायु प्रदूषण की मुसीबत झेलनी होगी.
दिल्ली में सबसे ज्यादा परेशानी आसमान में छाए धुंध की वजह से हो रही है और उसके दो ही उपाय हैं – या तो बहुत तेज़ हवा चले या फिर बारिश हो जाए. इसलिए अब दिल्ली में नकली बारिश कराने की चर्चा शुरू हो गई है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को चिट्ठी लिख कर सुझाव दिया है कि नकली बारिश पर फैसला लेने के लिए केंद्र सरकार तुरंत एक मीटिंग बुलाए. गोपाल राय ने कहा कि वो केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को इससे पहले भी तीन बार चिट्ठी लिख चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया. इसलिए अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में दखल देना चाहिए.
नेता चाहें कितनी ही बातें कर लें, एक दूसरे पर चाहें जितने भी आरोप लगा लें, किसी के पास दिल्ली के वायु प्रदूषण का कोई ठोस हल नहीं है. मोटी सी बात है कि अगर तेज़ हवा चलेगी, तो प्रदूषण कम हो जाएगा. अगर बारिश होगी तो प्रदूषण खत्म हो जाएगा.
हवा चलाना किसी के बस में नहीं हैं. लेकिन कुछ लोग नकली बारिश की बात करते हैं. बनावटी बारिश cloud seeding के जरिए की जाती है. कई लोगों ने पूछा कि अगर दुबई में cloud seeding के जरिए बारिश कराई जा सकती है तो ये दिल्ली में क्यों नहीं हो सकता?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 और 2021 में artificial rain की कोशिश की गई थी पर नाकाम रही. इसका कारण ये है कि cloud seeding के लिए थोड़े बहुत बादल होना जरूरी है. हवा में नमी का होना ज़रूरी है, पर सर्दियों में दिल्ली की हवा ठंडी और सूखी होती है..cloud seeding या नकली बारिश का प्रोसेस हवा में नमी को बारिश में कन्वर्ट करता है. अगर बादल होते, हवा में नमी होती, तो कृत्रिम दबाव बनाकर बरसात कराई जा सकती थी लेकिन जानकार कहते हैं कि दिल्ली में इस समय तो ये संभव नहीं.
Artificial Rain in Delhi: Is it possible?
Air pollution in Delhi-National Capital Region has touched ‘severe-plus’ category for the third consecutive day, with people in the capital gasping for breath. Delhi government has asked 50 pc of its staff to work from home.
As early morning smog covered the capital, visibility at Delhi airport was 800 meters on Tuesday at 7 am. Since Monday morning, GRAP (Graded Response Action Plan) Stage 4 is in force, with all schools and colleges of Delhi University closed. Blanket ban has been imposed on construction/demolition activities, while entry of diesel trucks into Delhi has been prohibited.
Despite all-out efforts, air quality index is not improving. Experts say, if the situation continues, people in the capital region will be forced to inhale poisonous air. Everything now depends on wind speed and light rain, which can improve the air quality index.
Delhi Environment Minister Gopal Rai has requested Union Environment Minister Bhupendra Yadav to convene an urgent meeting to explore carrying out of artificial rain through seeded clouds as an emergency measure.
Leaders of different political parties are presently engaged in blame game, but the only solution available is this: If strong winds blow in the capital, or if there is sudden rain, the air quality index will improve dramatically. Blowing of wind cannot be controlled artificially, but artificial rain is being projected as one of the solutions.
Some people have suggested that if Dubai can carry out artificial rain through cloud seeding, why can’t Delhi? According to one report, efforts were made to bring artificial rain in Delhi in 2019 and 2021, but proved futile.
For cloud seeding, one needs clouds in the sky and a bit of moisture in the air. In winter, air in Delhi is usually cold and dry. Cloud seeding process can only convert moisture in the air into rain drops. Had there been clouds in Delhi’s sky and a bit of humidity in air, artificial rain was possible. Experts are ruling out this option for the moment.
महाराष्ट्र : शांतता, खेल चालू आहे
महाराष्ट्र के चुनाव में प्रचार खत्म हुआ. दिनभर ज़बरदस्त जुबानी जंग देखने को मिली. जहर भरे तीर चलाए गए. ऐसे ऐसे डायलॉग सुनाई दिए कि आप भी सुनकर चौंक जाएंगे. उद्धव ठाकरे ने कहा कि जो महाराष्ट्र को काटेगा, हम उसको काटेंगे, गद्दारों को जेल में डालेंगे. जवाब में एकनाथ शिन्दे ने कहा कि गद्दार तो वो हैं जिसने कुर्सी के लालच में बाला साहेब के विचार को छोड़ दिया, उसे जनता ज़रूर सज़ा देगी.
शरद पवार ने कहा कि सबसे पंगा लेना, लेकिन शरद पवार से नहीं, क्योंकि शरद पवार हिसाब बराबर करता है. जवाब में अजित पवार ने कहा कि पवार साहब बड़े है, लेकिन हिसाब तो जनता करती है. मल्लिकार्जुन खरगे ने बीजेपी और RSS को जहरीला सांप बता दिया. राहुल गांधी तो एक तिजोरी लेकर आ गए. तिजोरी दिखाकर कहा,अडानी मोदी एक हैं, इसीलिए सेफ हैं. विनोद तावड़े ने कहा..राहुल गांधी फेक हैं, धारावी के शेख हैं.
आज जो नेता एक दूसरे को ज़हरीला सांप और गद्दार कह रहे हैं, वो 23 नवम्बर के बाद एक दूसरे का दामन पकड़े दिखाई दे तो आश्चर्य नहीं होगा.
महाराष्ट्र की राजनीति के पिछले पांच साल छल-कपट और धोखे की सियासत के साथ थे. शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. महाराष्ट्र की जनता ने फडणवीस की सरकार के नाम पर वोट दिया पर चुनाव जीतने के बाद उद्धव ठाकरे ने धोखा दिया. मुख्यमंत्री बनने की शर्त रख दी. शरद पवार मैदान में आए. उन्होंने रातों रात बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का प्लान बनाया. अमित शाह के साथ मीटिंग हुई. फडणवीस मुख्यमंत्री और अजित पवार डिप्टी सीएम बने. लेकिन ये शरद पवार का फरेब था. उन्होंने सरकार गिरा दी. फिर उद्धव और कांग्रेस को बीजेपी का डर दिखाकर नई सरकार बनाई जो उनके काबू में थी.
उद्धव मुख्यमंत्री बने पर उनके अपने एकनाथ शिंदे ने उद्धव के नीचे से कुर्सी खींच ली. शिवसेना तोड़ दी. बीजेपी के साथ मिलकर मुख्यमंत्री बन गए. उद्धव से बदला पूरा हो गया लेकिन शरद पवार से हिसाब चुकाना बाकी था.
इस बार अजित दादा ने चाचा पवार के नीचे से पार्टी खींच ली. चुनाव निशान पर कब्जा कर लिया.
पांच साल में सबने एक दूसरे को धोखा दिया और ये सिलसिला आज भी जारी है. चुनाव के बाद क्या होगा, कौन किसके साथ जाएगा, कोई नहीं कह सकता. उद्धव बीजेपी के साथ आ सकते हैं, अजित फिर शरद पवार के घर जा सकते हैं. शिंदे मातोश्री में शरण ले सकते हैं, कुछ भी हो सकता है.
सच तो ये है कि पिछले पांच साल में जनता ने महाराष्ट्र की राजनीति में इतना बिखराव, इतनी तोड़फोड़, इतनी जोड़तोड़ देखी है कि अब किसी पर भरोसा करना मुश्किल है. प्रचार तो खत्म हो गया, पर छल-कपट और धोखे की राजनीति का दौर अभी बाकी है. मतदान खत्म होने के बाद सब बदल जाएंगे. ना कोई गद्दार होगा, ना ज़हरीला सांप, ना कोई किसी को डाकू कहेगा, ना चोर.
‘तू चल, मैं आया’ का खेल शुरू होगा. दरवाजे खुल जाएंगे. दरबार सज जाएंगे. सब एक दूसरे के करीब आ जाएंगे. इसीलिए कौन सा ऊंट किस करवट बैठेगा आज कहना मुश्किल है.
Maharashtra : Behind the scene, game is on
As the curtain fell on high decibel electioneering in Maharashtra, top leaders used cuss words and threats against their rivals, but it is the common voter which will take the last call on November 20. On the last day of campaigning, Uddhav Thackeray threatened to put “traitors” in jails who have cheated Maharashtra. In response, CM Eknath Shinde said, “traitors” were those who abandoned Balasaheb Thackeray’s ideology in order to grab the throne of power.
Sharad Pawar reminded rivals that he never forgets those who betrayed him, but his nephew Ajit Pawar said, it is the “janata which will do hisaab baraabar” (square up the account). Mallikarjun Kharge labelled BJP-RSS as “a poisonous snake”, while Rahul Gandhi brought a safe at a press conference to explain his view about Modi’s slogan “Hum Ek Hain Toh Safe Hain”. In response, BJP leader Sambit Patra dubbed Rahul as a “Chhota Popat”.
Let me explain in a nutshell what I think about these jibes and counter-attacks.
I will not be surprised if leaders who describe others as ‘snakes’ or ‘traitors’, may seek the help of the same political rivals after November 23 (Counting Day). The last five years of Maharashtra politics have witnessed several instances of treachery, tricks and backstabbings.
BJP fought the assembly elections in alliance with undivided Shiv Sena five years ago. The people of Maharashtra voted for Devendra Fadnavis to lead the new government, but soon after the results were out, Uddhav Thackeray ditched BJP and insisted that he be made the CM.
Sharad Pawar entered the scene, and a late night meeting was held with BJP, with Amit Shah attending. Fadnavis was sworn as CM and Ajit Pawar as Deputy CM, but it was a cunning move by Sharad Pawar, who later pulled out. He showed the BJP bogey and convinced Congress and Shiv Sena to ally with his party NCP.
The new government led by Uddhav was now under his remote control. Uddhav became the CM, but his trusted confidante Eknath Shinde brought the government down, after breaking away with his MLAs. Shinde became the CM in alliance with BJP. The revenge against Uddhav was complete and now it was time for teaching Sharad Pawar a lesson. Ajit ‘Dada’ was roped in to grab the party from uncle Pawar’s control. Ajit ‘Dada’ got the NCP symbol.
For five years, almost all the top politicians of Maharashtra were engaged in deceiving one another. The trend continues even today. Nobody knows what will happen after the election results are out. Nobody can say definitely who will go with whom after the elections. Uddhav may join hands with BJP, Ajit may do a homecoming. Shinde can go and take shelter in Matoshree. Anything can happen.
The sad truth is that Maharashtra politics, during the last five years, witnessed splits, treachery, deceit, political cut-and-thrust, on a massive scale. It is now difficult to trust any top politician in this state. The electioneering may have ended, but the rounds of treachery and deceit will continue.
Everything will change after the votes are cast. There will no “traitors” left, no “poisonous snakes” left, no “dakus” left, no “chor” left. It will be a “you go ahead, I will follow” (Tu Chal, Main Aaya) routine. The doors will reopen. As the political durbar begins, leaders may be drawn to one another like magnets. In Hindi, there is a proverb “Oont Kis Karwat Baithega” (which way the wind will blow), nobody knows. It is really difficult to predict.
बांग्लादेश में मौलाना हिन्दुओं का सर कलम करने की धमकी क्यों दे रहे हैं ?
बांग्लादेश में कट्टरपंथियों ने एक बार फिर हिन्दुओं को मारने काटने की सरेआम धमकी दी. कट्टरपंथियों ने बांग्लादेश के इस्कॉन मंदिरों को ज़मींदोज़ करने की धमकी दी है. सड़कों पर उतरी हज़ारों की भीड़ ने नारे लगाए, इस्कॉन वालों को पकड़ों, उनकी गर्दनें काट दो, इस्कॉन को मिटा दो. बांग्लादेश के हिन्दुओं को ‘मोदी का दलाल’ कहा, हिन्दुओं के नरसंहार की धमकी दी गई.
हैरानी की बात ये है कि इस तरह के नारे सरेआम लगाए गए. मौलानाओं ने ज़हरीली तकरीरों में हिन्दुओं की गर्दन काट कर, यज्ञकुंड में डालने की धमकियां खुलेआम दी लेकिन बांग्लादेश की सरकार ने कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. उनके खिलाफ एक बयान तक नहीं दिया. इसलिए बांग्लादेश के हिन्दू डरे हुए हैं. इस्कॉन ने भारत सरकार से दखल देने की मांग की है.
राजधानी ढाका में, कामचलाऊ सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनूस के घर के करीब कट्टरपंथियों ने प्रदर्शन किया. मौलानाओं ने हिन्दुओं के खिलाफ तकरीरें की. हिन्दुओं को खुलेआम मारने, हिन्दुओं का गला काटने की धमकियां दी. हिन्दुओं के खिलाफ ये रैली उलेमा ऐक्य (एकता) परिषद ने आयोजित की थी.
इस रैली में ढाका के बड़े-बड़े उलेमा शामिल हुए. सबसे पहले बांग्लादेश सचिवालय के आसपास इंसानी ज़जीर बनाकर इस्कॉन पर पाबंदी लगाने की मांग की गई. इस्कॉन को आतंकवादियों की जमात बताया गया. इस्कॉन मंदिरों को काफिर दहशतगर्दों का अड्डा बताया गया. इसके बाद मौलानाओं की तकरीरें हुई.
मौलानाओं ने कहा कि अगर सरकार इस्कॉन पर पांबदी नहीं लगाती तो बांग्लादेश के मुसलमान खुद इस्कॉन का खात्मा करेंगे, इस्कॉन के लोगों का सर कलम करेंगे. ढाका उलेमा परिषद ने इल्ज़ाम लगाया कि इस्कॉन, बांग्लादेश में भारत के एजेंट के तौर पर काम कर रहा है.
इस्कॉन के ख़िलाफ़ इस मुहिम की शुरुआत दो हफ़्ते पहले बांग्लादेश के दूसरे सबसे बड़े शहर चट्टग्राम से हुई थी. चट्टग्राम में मुस्लिम कट्टरपंथियों ने इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग की थी जिसका इस्कॉन ने विरोध किया. वहीं के हिंदुओं ने जिहादियों का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करने का विरोध किया, जिसके बाद बांग्लादेश की पुलिस और सेना ने हिंदुओं के मुहल्ले में जमकर तांडव किया था. हिंदुओं को घर से घसीट-घसीटकर मारा-पीटा गया था. विश्व हिंदू परिषद ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे ज़ुल्म की निंदा की है.
बांग्लादेश के हिन्दुओं पर जुल्म के खिलाफ हमारे देश के मुस्लिम नेताओं ने भी आवाज़ उठाई है. समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा कि भारत सरकार को बांग्लादेश के हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए, बांग्लादेश की सरकार से बात करनी चाहिए और अगर फिर भी हिन्दुओं पर अत्याचार बंद न हों तो बांग्लादेश के हिन्दुओं को हिन्दुस्तान में पनाह देनी चाहिए.
प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार को महाराष्ट्र के रायगड में इस्कॉन के साधु संतों से मिले थे. बाद में प्रधानमंत्री ने इस्कॉन के साधु संतों से बांग्लादेश के हालात को लेकर भी चर्चा की थी और उन्हें हर तरह से मदद का भरोसा दिया था.
असल में इस्कॉन ऐसा संगठन नहीं है कि इससे किसी को डरने की जरूरत हो. यह संगठन भगवान कृष्ण के भजन गाने, भगवद्गीता का प्रचार प्रसार करने वाले लोगों का हैं. ये कोई भारत का संगठन भी नहीं है और न ही इस्कॉन को कोई राजनीतिक झुकाव है.
मुझे लगता है कि बांग्लादेश में इस्कॉन तो बहाना है.असल में हिंदू समाज निशाना है, बांग्लादेश में हिंदुओं को डराने की कोशिश हो रही है, उनपर जुल्म हो रहा है, उनका जीना दूभर हो गया है क्योंकि इस्लामी कट्टरपंथियों में कुछ लोग ऐसे हैं जो बांग्लादेश को पूरी तरह इस्लामी मुल्क बनाना चाहते हैं. वहां तालिबानी तरीकों वाली सरकार चलाना चाहते हैं.
वैसे तो ये बांग्लादेश का मूल चरित्र नहीं है लेकिन इस समय की बांग्लादेश की सरकार इन्हीं कट्टरपंथियों के कब्जे में है. उन्हें किसी को भी धमकाने, मारने, काटने का लाइसेंस मिला हुआ है और हिंदुओं के पास एकजुट रहने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है. हालांकि बांग्लादेश को जानने समझने वालों को लगता है कि कट्टरपंथियों की मनमानी अब ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी.
Why Maulanas in Bangladesh are giving death threats to Hindus?
Islamic radical elements have now started giving threats to kill Hindus in Bangladesh and destroy all ISKCON (International Society For Krishna Consciousness) temples. Several thousand Jihadi protesters came out on the streets chanting slogans for beheading all ISKCON devotees. They have blamed Bangladeshi Hindus as pro-Modi ‘dalaals’ (brokers).
The interim government of Bangladesh headed by economist Chief Adviser Mohammed Yunus has not taken any action against the Islamic radicals and has chosen to remain a mute spectator. The top legal officer of Bangladesh government Attorney General Mohammed Asaduzzaman has already given a call to remove the word “secularism” from the Constitution, citing the reason that more than 90 per cent population is now Muslim. Hindus comprise only 8 per cent of Bangladesh’s 17 crore population.
There have been more than 2,000 attacks on Hindus and on their properties and temples in Bangladesh since August 4. ISKCON has appealed to the Indian government to intervene.
Top Islamic clerics addressed a rally held by Ulema Oikya (Unity) Parishad in Dhaka demanding immediate ban on ISKCON. The maulanas described ISKCON as a “terrorist group” and their temples as “dens of terrorists”.
Several maulanas alleged that ISKCON devotees are working as “agents of India” and are trying to defame Bangladesh.
The agitation against ISKCON began from Chittagong, where some Islamic radicals had demanded ban on this group of Krishna devotees. This led to counter-protests from Hindus, and Bangladesh army soldiers along with police dragged Hindus out of their homes and brutally beat them up.
Vishwa Hindu Parishad has condemned the atrocities on Hindus in Bangladesh. Samajwadi Party MP Mohibullah Nadvi has demanded that the Indian government should take steps to protecgt Hindus in Bangladesh. A delegation of ISKCON sadhus met Prime Minister Narendra Modi in Raigad, Maharashtra and discussed the situation in Bangladesh.
Contrary to jihadist views, the fact is ISKCON is an organization of Lord Krishna’s devotees founded by Bhaktivedanta Swami Prabhupada. It propagates the teachings of Bhagwad Gita among people. It is not an Indian organization. ISKCON has its branches in many countries and it has no political leanings.
I believe, Islamic radicals are only using the plea for ban on ISKCON as an excuse, and their real targets are Hindus living in Bangladesh. Since the ouster of Sheikh Hasina’s regime, Islamic radicals are openly using intimidatory tactics against Hindus to achieve their aim of making Bangladesh an Islamic state. They want a Taliban-type rule in Bangladesh and the present interim government is being remotely controlled by Islamic radicals led by Jamaat-e-Islami.
Islamic radicals seem to have got a licence to carry out violence against Hindus and other minorities. Hindus living in Bangladesh have now no other means but to remain solidly united to face these Islamic bigots. Those who understand Bangladesh politics and its governance feel that the arbitrary tactics of Islamic radicals will not last long.