Rajat Sharma

पाकिस्तान में आटे का संकट : नेता और फौज के जनरल ज़िम्मेवार

akbपाकिस्तान के लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। यहां की आधी-आबादी को दो वक्त की रोटी नहीं मिल रही है। संकट की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां आटे की लूट मची है। सब्सिडी वाली अनाज की दुकानों के बाहर लंबी कतारें देखी जा रही हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में आटा लेने के चक्कर में हुई भगदड़, हाथापाई और मारपीट में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई है। सिंध के शहीद बेनजीराबाद जिले के सकरंद कस्बे में एक आटा मिल के बाहर भगदड़ मच गई जिससे तीन महिलाओं की मौत हो गई।

सिंध के मीरपुर खास जिले में आटे से भरी बोरी ले जा रहे खाद्य विभाग के ट्रक के पास भगदड़ मच गई। इस भीड़ और भगदड़ में भीड़ ने एक मजदूर को कुचल दिया । पाकिस्तान के पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा, सिंध और बलूचिस्तान प्रांतों में लोग आटे के लिए तरस रहे हैं। ज्यादातर लोग काम पर जाने के बजाय आटा खरीदने के लिए घंटों लाइन में लगे रहते हैं।

मंगलवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने आपको बलूचिस्तान में एक आटा मिल के बाहर लंबी कतारें और आटे की बोरियां ले जा रहे ट्रकों के पीछे भागते लोगों के दृश्य दिखाए। यहां लोग खुलेआम ट्रकों से आटे की थैलियां लूटी जा रही हैं, जिसके चलते आपस में हाथापाई और मारपीट हो रही है।

हमने आपको सिंध प्रांत के सक्खर का दृश्य दिखाया जहां लोगों ने एक शख्स से आटे की थैली छीन ली। वह शख्स अपने बच्चों की जान बचाने की दलील देता रहा लेकिन किसी ने उसकी दलील नहीं सुनी। लोग फुटपाथ पर बैठकर रो रहे हैं और इस संकट के लिए सरकार को दोष दे रहे हैं। कराची में आटा 140 रुपये से 160 रुपये किलो के भाव से बिक रहा है, जबकि इस्लामाबाद और पेशावर में 10 किलो आटा 1500 रुपये और 20 किलो आटा 2800 रुपये में बिक रहा है।

पंजाब में मिल मालिक 160 रुपए किलो के भाव से आटा बेच रहे हैं। खैबर पख्तूनख्वा में 20 किलो आटे के एक बैग की कीमत 3,100 रुपये तक पहुंच गई है, जबकि बलूचिस्तान में आटे की कीमत 200 रुपये प्रति किलो हो गई है। सरकार रियायती दरों पर आटा बांटने की कोशिश तो कर रही है लेकिन यह समुद्र में एक बूंद की तरह नजर आ रहा है। लोग मायूस हैं और आटे के लिए 200 रुपये किलो भी देने को तैयार हैं।

हताश और परेशान लोगों की भीड़ से ट्रकों और आटा मिलों की सुरक्षा के लिए हथियारों से लैस पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। पेशावर में एक शख्स आटे की बोरियां ले जा रहे एक ट्रक के आगे सड़क पर लेट गया। वह आटे की मांग कर रहा था। वह पुलिसकर्मियों से कह रहा था कि अगर उसे आटा नहीं दिया गया तो जान दे देगा। वह कह रहा था, ‘हम सबको मार दो, हमें आटा नहीं चाहिए, हमारे शरीर पर ट्रक चढ़ा दो। हम जिंदा नहीं रहना चाहते हैं और आटे के लिए लाइन में नहीं लगेंगे। हम सबको मार डालो।’

एक महिला ने कहा, ‘हमारा परिवार पिछले तीन दिनों से भूखा है। मैं रोटी बनाने के लिए 50 रुपये से 100 रुपये तक आटा खरीद रही थी। मैं अपने बच्चों को कैसे बचाऊं?’ क्वेटा, मुल्तान, झंग, स्यालकोट, मीरपुर खास, हैदराबाद या वजीराबाद में हर जगह एक जैसे हालात हैं। हर तरफ लोगों की लंबी कतारें हैं।

पाकिस्तान में पिछले कुछ हफ्तों में आटे की कीमत दोगुनी और तिगुनी हुई है। 10 किलोग्राम आटे के बैग के लिए लोग 20 से 24 घंटे कतार में खड़े रहते हैं। मिल मालिक आटे की कमी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं जबकि प्रांतीय सरकारें संकट के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही हैं। दरअसल, पाकिस्तान में पिछले कई सालों से गेहूं का उत्पादन घट रहा है। गेहूं का आयात हो रहा है, लेकिन सरकार संकट से उबर नहीं पा रही है।

नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) और बिलावल भुट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी इस संकट के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को जिम्मेदार ठहरा रही है। ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत के बन्नू शहर में एक डॉक्टर ने आटे की कमी का विरोध करते हुए एक व्यस्त चौराहे पर ख़ुद को पिंजरे में बंद कर लिया। डॉक्टर ने कहा कि हुकूमत किसी की भी हो, अवाम हर सरकार के दौर में लुटती आई है।

पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है। उसके पास केवल 6.7 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है। बाहर से आनेवाले सामानों का भुगतान करने के लिए मुश्किल से एक सप्ताह का विदेशी मुद्रा पाकिस्तान के पास बचा है। भारत के सबसे अमीर बिजनेसमैन गौतम अडानी के पास पाकिस्तान के रिजर्व से 22 गुना ज्यादा संपत्ति है। मुकेश अंबानी की संपत्ति पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार से 15 गुना अधिक है। यहां तक कि पाकिस्तान के सबसे भरोसेमंद सहयोगी चीन ने भी आर्थिक मदद देने से इनकार कर दिया है।

सऊदी अरब और कुछ अन्य देश पहले ही कर्ज दे चुके हैं, लेकिन पाकिस्तान के पास किस्त चुकाने के लिए पैसे नहीं है। बुधवार को वित्त मंत्री इशाक डार ने खुलासा किया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित जिनेवा सम्मेलन में बाढ़ प्रभावित पाकिस्तान के लिए दी गई 10 बिलियन डॉलर की मदद का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा परियोजना ऋण के रूप में है, जो अगले तीन वर्षों के लिए रोलओवर किया जाएगा। जिस वक्त डार यह ऐलान कर रहे थे उस वक्त पीएम शाहबाज शरीफ भी उनके पास बैठे थे। डार ने कहा कि 8.7 अरब डॉलर की मदद लोन के रूप में है।

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर ने पिछले दो दिनों में सऊदी अरब के प्रिंस सलमान और यूएई के राष्ट्रपति से मुलाकात कर उनसे मदद मांगी, लेकिन किसी तरह का कोई ऐलान नहीं हुआ। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि पाकिस्तान के किसी नेता के घर में आटे की कमी नहीं है। सबके घर में तंदूरी परांठों के साथ चिकन मटन और बिरयानी की दावतें हो रही हैं और पाकिस्तान की अवाम भूख से मर रही है।

पाकिस्तान के लोगों की परेशानी और उनकी तकलीफ को देखकर दुख होता है। उनकी इस हालत के लिए कोई और नहीं खुद पाकिस्तान की सरकारें, वहां की सियासी पार्टियां और पाकिस्तान की फौज जिम्मेदार है। जबसे पाकिस्तान बना है तब से वहां की सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के बजाए हथियार बनाने पर जोर दिया। लोक कल्याण पर खर्च करने के बजाए आतंकवाद और फौज पर पैसा खर्च किया।

मैं कुछ आंकड़े देख रहा था जो हैरान करने वाले थे। पाकिस्तान की सरकार शिक्षा पर जितना खर्च करती है उससे छह गुना ज्यादा पैसा अपनी फौज पर खर्च करती है। पाकिस्तान में कारखाने बिजनेसमैन नहीं लगाते बल्कि फौज वहां फैक्ट्रियां चलाती हैं। फौजी जनरल्स के पास हजारों एकड़ जमीन है। पाकिस्तान का सारा पैसा या तो नेताओं के पास है…या फौजी अफसरों के पास। इस पूरे संकट की जड़ यही है।

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