टारगेटेड किलिंग्स : कश्मीर में क्यों हताश हैं आतंकी
कश्मीर घाटी में आतंकियों द्वारा टारगेटेड किलिंग्स को रोकने के लिए सरकार अब और सख्ती करेगी। घाटी में निर्दोष लोगों की हत्या की घटनाओं से निपटने के लिए शुक्रवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बैक-टू-बैक दो बड़ी मीटिंग हुई। मीटिंग में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल, गृह सचिव अजय भल्ला, खुफिया ब्यूरो, रॉ, सीआरपीएफ, बीएसएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारी शामिल हुए।
बैठक में यह फैसला लिया गया कि सुरक्षा से जुड़ी रणनीति और सुरक्षा तंत्र में बदलाव किया जाएगा। टारगेटेड किलिंग्स रोकने के लिए सिक्योरिटीऔर ज्य़ादा मजबूत की जाएगी। जमीनी स्तर पर पुलिसिंग को और मजबूत करने और आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए श्रेष्ठ पुलिसकर्मियों की पहचान की जाएगी। इन पुलिसकर्मियों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी और थानों में तैनात किया जाएगा।
उन हथियारबंद नौजवानों पर नजर रखी जाएगी जो हाइब्रिड आतंकी के तौर पर काम कर रहे हैं। ऐसे नौजवान कश्मीरी हिंदुओं और कश्मीर में काम करनेवाले प्रवासी लोगों की टारगेट किलिंग करते हैं और पहचान से बचने के लिए आम लोगों के बीच शामिल हो जाते हैं। इनमें से कुछ नौजवानों ने ‘कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स’ (केएफएफ) नामक एक नए आतंकी ग्रुप का हिस्सा होने का दावा किया है। कश्मीरी हिंदुओं और घाटी में काम करनेवाले प्रवासी लोगों के बीच खौफ पैदा करने के लिए पुलिस द्वारा पहले से पहचाने गए आतंकियों ने हाइब्रिड आतंकियों के साथ मिलकर हत्या के लिए सॉफ्ट टारगेट चुनना शुरू कर दिया है। ये सुरक्षा बलों को निशाना नहीं बनाते बल्कि निहत्थे और अकेले सिविलियन्स को निशाना बनाते हैं। टारगेटेड किलिंग्स रोकने के लिए सुरक्षा और ज्य़ादा मजबूत की जाएगी। संवेदनशील इलाक़ों में गश्त बढ़ाई जाएगी। रिजर्व पुलिस बल की मदद से थानों में पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाएगी। ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे आतंकवादियों का पता लगाकर उन्हें खत्म किया जाएगा।
वहीं एक अन्य मीटिंग में अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा प्लानिंग पर चर्चा हुई। आतंकी इस यात्रा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं। यात्रा की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त आर्मी यूनिट और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया जाएगा। यात्रा की निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही यात्रा मार्ग में स्नाइपर्स भी तैनात रहेंगे। इस यात्रा का काफिला बख्तरबंद वाहनों के साये के बीच गुजरेगा। किसी भी हालात से निपटने के लिए आपातकालीन योजनाएं बनाई गई हैं।
मीटिंग में यह बताया कि बड़े आतंकी ग्रुप अपने आकाओं के साथ सरहद के उस पार बैठे हुए हैं और घाटी के हालात में आए व्यापक बदलाव से चिंतित हैं। 31 मई तक घाटी में 9.9 लाख पर्यटक आ चुके हैं और यह सरहद पार बैठे हुए आतंकियों के पाकिस्तानी आकाओं के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।
यही मुख्य वजह है कि घाटी में कश्मीरी हिंदुओं और प्रवासी लोगों की टारगेट किलिंग के लिए ‘हाइब्रिड’ आतंकियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये आतंकी आसानी से आबादी में घुल-मिल जाते हैं। अब आतंकियों की योजना को विफल करने के लिए केंद्र ने यह फैसला लिया कि घाटी में काम कर रहे हिन्दुओं का ट्रांसफर तो नहीं होगा। क्योंकि टारगेट किलिंग के दबाव में आकर ऐसा फैसला लेने से आतंकवादियों का मकसद पूरा हो जाएगा। इसलिए टारगेटेड किलिंग्स रोकने के लिए सुरक्षा और ज्य़ादा मजबूत की जाएगी। कश्मीरी पंडितों और प्रवासी लोग, जो अलग-अलग इलाकों में रह रहे हैं और जहां सिक्युरिटी कम है, उन्हें अस्थाई तौर पर जिला और तहसील मुख्यालयों में सुरक्षित ठिकानों पर ले जाया जाएगा। एक सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘1990 में जिस तरह का जातीय संहार हुआ था, उस तरह के हालात हम फिर नहीं चाहते। हम बहु-सांस्कृतिक समाज में विश्वास करते हैं।’
अच्छी खबर ये है कि घाटी में टारगेटेड किलिंग्स के खिलाफ कश्मीरी मुलमान भी आवाज उठा रहे हैं। पिछले एक महीने में आतंकियों ने 9 बेगुनाह निहत्थे लोगों की हत्या कर दी है। राजस्थान के एक ग्रामीण बैंक मैनेजर और बिहार के एक मजदूर की हत्या के एक दिन बाद शुक्रवार को आतंकियों ने शोपियां जिले के अगलर जैनापोरा इलाके में प्रवासी मजदूरों पर ग्रेनेड से हमला किया। इस हमले में दो प्रवासी मजदूर घायल हो गए।
इन टारगेट किलिंग्स के ख़िलाफ़ शुक्रवार को श्रीनगर के लाल चौक पर विरोध प्रदर्शन हुआ जबकि अनंतनाग मस्जिद के इमाम ने जुमे की नमाज के बाद कहा कि बेगुनाह लोगों को मारना जिहाद नहीं है। वो इसका कड़ा विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि इस्लाम ने ऐसे जिहाद की इजाजत नहीं दी है कि किसी अल्पसंख्यक पर या किसी और पर जुल्म किया जाए या मजहब की वजह से किसी का कत्ल किया जाए। उन्होंने अपील की कि कश्मीर के मुसलमान बाहर निकलकर इन आतंकवादी हमलों का विरोध करें।
कश्मीर घाटी के ग्रैंड मुफ़्ती ने भी बेगुनाह इंसानों की हत्या की मजम्मत की है। मुफ़्ती नसीर उल इस्लाम ने कहा कि कश्मीरी पंडित हों या फिर डोगरा समुदाय के लोग, ये कश्मीर और कश्मीरियत का अभिन्न हिस्सा हैं। उन्हें कश्मीर छोड़कर नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा-‘कश्मीरी मुसलमान अपने पंडित भाइयों के साथ हैं।’
कश्मीर में जिस तरह से निहत्थे और बेकसूर लोगों की हत्याएं हुई हैं, वो दुखद है। ये बड़ा चैलेंज है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं लगाया जाना चाहिए कि कश्मीर में पिछले तीन साल में हालात नहीं बदले हैं। मुझे तो लगता है कि ये टारगेटिड किलिंग्स कश्मीर में हो रहे बदलाव का सबूत हैं। आतंकवादियों द्वारा बेगुनाह लोगों का खून बहाना इस बात का सबूत है कि कश्मीर में दहशतगर्दी दम तोड़ रही है। अब आतंकवादी मारे जा रहे हैं। अब कश्मीर में आतंकवादी एके-47 लेकर फायरिंग नहीं करते, सुरक्षा बलों को निशाना नहीं बनाते, वो निहत्थे अकेले सिविलियन्स को निशाना बनाते हैं। अब कश्मीर में पत्थरबाज नजर नहीं आते, वहां टूरिस्ट दिखाई देते हैं। कश्मीर में इन्वेस्टमेंट का रिकॉर्ड बना है। डल लेक में शिकारे फिर आबाद हो रहे हैं। कश्मीर में पिछले दिनों जो टारगेट किलिंग्स हुई हैं वो कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं है। ये आतंकवादियों की बदली हुई रणनीति का असर है। कश्मीरी पंडितों और प्रवासियों में डर पैदा करने की साजिश है। अगर सरकार की कोई कमी है तो वो ये कि उसने आतंकियों की इस बदली हुई रणनीति का अंदाजा नहीं लगाया था।
कश्मीर में टारगेटेड किलिंग्स के ख़िलाफ़ जम्मू में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कश्मीरी पंडितों के संगठन, अपने परिजनों का घाटी से बाहर ट्रांसफर करने की मांग कर रहे हैं। दरअसल, यह समझना चाहिए कि आतंकवादी और उनके आका यही चाहते हैं। वे सुरक्षाबलों से खुद को बचाने के लिए सॉफ्ट टारगेट चुन रहे हैं।
असल में आतंकवादी, ऐसे सॉफ्ट टारगेट चुन रहे हैं, जिनको अपने ऊपर हमले का अंदेशा न हो। जो अब तक टेरर टारगेट न रहे हों। जैसे बडगाम में गुरुवार रात आतंकियों ने ईंट भट्ठे में काम करने वाले दो मज़दूरों को गोली मार दी। यह ईंट भट्ठा आबादी से थोड़ी दूरी पर है। रात के वक़्त जब वो ख़ाना बना रहे थे, तो नक़ाबपोश आतंकवादी आए और उन्होंने दो मज़दूरों को गोली मार दी। एक मजदूर दिलखुश कुमार की मौत हो गई। वह बिहार का रहनेवाला था। वह सात दिन पहले ही ईंट भट्ठे पर काम करने के लिए बडगाम पहुंचा था। आतंकवादियों ने दोनों ईंट भट्ठा मज़दूरों को इसलिए निशाना बनाया कि वो निहत्थे थे। वे बाहर से आकर कश्मीर में रह रहे थे।
इसी तरह कुलगाम में आतंकवादियों ने राजस्थान के रहनेवाले बैंक मैनेजर को बैंक के भीतर घुसकर गोली मार दी थी। उससे दो दिन पहले उन्होंने एक गांव में टीचर रजनीबाला की हत्या कर दी थी। इन टारगेटेड किलिंग्स का एक पैटर्न है। अब आतंकवादी बड़े हमले नहीं कर रहे, सिक्योरिटी फ़ोर्सेज़ को निशाना नहीं बना रहे, अब वो गांवों में, दूर-दराज़ की बस्तियों में रह रहे नौकरी पेशा कश्मीरी पंडित या प्रवासी लोगों को टारगेट कर रहे हैं। कश्मीरी हिंदुओं और प्रवासी लोगों के बीच दहशत फैलाने के लिए आतंकवादियों द्वारा इस तरह की हत्याएं की जा रही हैं। हमें आतंकवादियों के नापाक मंसूबों को कभी सफल नहीं होने देना चाहिए।
Targeted killings: Why terrorists in Kashmir are desperate
Two back-to-back top-level meetings took place in Delhi on Friday, presided over by Home Minister Amit Shah to deal with the spurt in ‘targeted killings’ of innocent people by terrorists in Kashmir Valley. The meetings were attended by Lt. Governor of Jammu and Kashmir Manoj Sinha, Army Chief Gen Manoj Pandey, National Security Adviser Ajit Doval, Hoe Secretary Ajay Bhalla and officials of Intelligence Bureau, RAW, CRPF, BSF and J&K Police.
It was decided that there would be changes in strategy and the security apparatus in the valley would be overhauled. Best police personnel will be identified, given specialized training and posted in police stations, for better grassroot policing and keeping a watch on movements of terrorists.
Tabs will be kept on armed youths who have emerged as ‘hybrid terrorists’, who carry out targeted killings of Kashmiri Hindus and outsiders working in the Valley, and then mix with the civilian population to evade detection. Some of these youths have claimed to be part of a new fledgling terror group called ‘Kashmir Freedom Fighters’ (KFF). Terrorists who are already identified by police have now resorted to proxy arrangement with ‘hybrid terrorists’ for targeted killings of soft targets, in order to strike terror among Kashmiri Hindus and outsiders working in the Valley. The staff strength at police stations will be raised by inducting reserve police staff to help in law and order and beat policing.
In the other meeting, security plans were chalked out for the oncoming Amarnath Yatra, which the terrorists may try to derail by carrying out attacks. Additional army units and central paramilitary forces will be deployed, drones will be used for surveillance, snipers will be deployed on the entire route and yatra convoys will be led by pilot armoured vehicles. Contingency plans have been chalked out to meet all eventualities.
It was pointed out at the meeting that major terror groups, with their masterminds sitting across the border, are worried over the sea change that has come in the situation in the Valley. More than 9.9 lakh tourists visited the Valley till May 31 and this has been the cause of worry for Pakistani handlers sitting across the border.
This is the main reason why unknown ‘hybrid’ terrorists are being used to kill soft targets like Kashmiri Hindus and outsiders in the Valley. To nix their plan, the Centre has decided not to allow mass transfer of all Kashmiri Pandits from Valley to Jammu division. They will now be shifted to safer locations at district and tehsil headquarters as part of a temporary move. A senior official said, “ethnic cleansing took place in 1990, but we will not allow this to happen now. We believe in a multi-cultural society”.
The good news is that Kashmiri Muslims have come forward to raise their voice against ‘targeted killings’. In the last one month, more than nine people have been killed by terrorists. A day after a rural bank manager from Rajasthan and a labourer from Bihar were killed, two non-local labourers were hurt when terrorists threw a grenade at them in Aglar Zainapora area of Shopian district on Friday.
There was protest at Lal Chowk, Srinagar against ‘targeted killings’, while the imam of Anantnag mosque said after Friday prayers that “killing of innocents cannot be termed as jihad”. “If some people think that a Musalman is doing jihad by attacking minorities, then I oppose such acts. Islam has not allowed such jihad where minorities are killed because of their religion”, the imam said. He appealed to all Kashmiri Muslims to come out and protest such killings.
The Grand Mufti of Kashmir Valley also said, he condemns killing of innocent persons. Mufti Nasir-ul-Islam said, Kashmiri Pandits or Dogra Hindus are an inviolable part of Kashmir and Kashmiriyat, and they should not be allowed to leave the Valley. “The Muslims of Kashmir are with their Pandit brothers”, he said.
The killing of innocent Kashmiri Pandits and non-locals by terrorists is indeed sad, and it poses a big challenge. Such targeted killings must not spread the false assumption that the situation has not changed in the Valley in the last three years. On the contrary, I feel, this is concrete evidence that terrorism in the Valley is taking its last breath. Terrorists are being killed in encounters. They no more attack our security forces with AK-47 rifles. They are targeting innocents by firing from pistols. Those who used to throw stones at security forces have vanished. Tourists are coming to the Valley in large numbers. Kashmir is creating records in industrial investments. All these are the results of the changed strategy of the Centre in the Valley. If innocent people are being killed to spread fear, the only shortcoming that I find is that the local administration did not anticipate a sudden change in the strategy of terror groups.
There have been protests in Jammu demanding that Kashmiri Pandits be moved to Jammu division immediately. One must realize that this is what the terrorists and their masterminds want. They are choosing soft targets to save themselves from security forces.
Take the instance of the two non-local labourers shot by terrorists at a brick kiln in Badgam district on Thursday. The brick kiln is located away from the village at an isolated spot. These poor labourers were cooking their diner, when terrorists, with their faces covered, came and fired at them. The labourer, Dilkhush Kumar, who died, hailed from Bihar. He had reached Budgam a week ago n search of work at this brick kiln. The terrorists targeted the labourers because they were unarmed and not local residents.
Similarly, in Kulgam, they killed a rural bank manager Vijay Kumar, who hailed from Rajasthan. Two days prior to that, they shot a lady teacher, Rajni Bala, a Kashmiri Pandit, while she was teaching in school. These are all cold-blooded murders planned by terrorists carefully, to strike terror among Kashmiri Hindus and non-locals. We must never allow the evil designs of terrorists to succeed.
मोहन भागवत ने क्यों कहा, ‘हर मस्जिद में शिवलिंग खोजना ठीक नहीं’
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने गुरुवार को एक बहुत बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि अब ज्ञानवापी के मुद्दे पर कोई आंदोलन नहीं होगा। नागपुर में RSS अधिकारियों के प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि ज्ञानवापी का मुद्दा लाखों हिंदुओं की आस्था से जुड़ा है, लेकिन इस पर कोई आंदोलन नहीं होगा।
भागवत ने कहा, ‘अब ज्ञानवापी का मामला अदालत में है। हम इतिहास को नहीं बदल सकते। वह इतिहास हमारे द्वारा नहीं बनाया गया और न ही आज के हिंदुओं और मुसलमानों द्वारा बनाया गया। यह उस समय हुआ, जब इस्लाम आक्रांताओं के साथ भारत आया। RSS ने अयोध्या राम जन्मभूमि मुद्दे को कुछ ऐतिहासिक कारणों से हाथ में लिया था, और वह संकल्प पूरा हो गया है। यह पहले ही कह दिया गया है कि हमारा संगठन किसी नए आंदोलन का हिस्सा नहीं होगा। हर दिन नए मुद्दे उठाना ठीक नहीं है। हर मस्जिद में शिवलिंग खोजने की जरूरत नहीं है। ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मुद्दा हिंदुओं और मुसलमानों को मिल-बैठकर सुलझा लेना चाहिए। अगर कोर्ट की तरफ से कोई फैसला आता है तो उसे दोनों पक्षों को मानना चाहिए।’
पूरे भारत में धार्मिक स्थलों के बारे में नए-नए दावों और जवाबी दावों पर RSS प्रमुख ने कहा, ‘आक्रांताओं ने हिंदुओं के मनोबल को गिराने और धर्मांतरण करने वाले नए मुसलमानों के बीच एक धारणा बनाने के लिए मंदिरों को तोड़ा था। इतिहास में हुई इन घटनाओं को अब न तो हिंदू बदल सकते हैं और न ही मुसलमान।’
भागवत ने कहा कि मुसलमान ‘हिंदुओं और यहां तक कि क्षत्रियों के ऐसे वंशज हैं जिन्होंने दूसरा धर्म अपना लिया। हिंदुओं को यह समझना चाहिए कि मुसलमान उनके अपने पूर्वजों के वंशज हैं। वे मुसलमान केवल इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने अपना धर्म बदल दिया। अगर वे वापस आना चाहते हैं तो उनका खुली बाहों से स्वागत करेंगे। अगर वे वापस नहीं आना चाहते, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। पहले ही हमारे 33 करोड़ देवी-देवता हैं, कुछ और जुड़ जाएंगे। हमारे देश में कई मजहब हैं और इस्लाम भी उनमें से एक रहेगा।’
भागवत ने कहा, ‘धैर्य बनाए रखने की जिम्मेदारी हिंदुओं और मुसलमानों दोनों की है। दोनों तरफ से डराने-धमकाने की बात नहीं होनी चाहिए। हालांकि, हिंदू पक्ष की ओर से ऐसा कम है। हिंदुओं ने सदियों तक बहुत धैर्य रखा है। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन हिंदुओं को यह भी समझना चाहिए कि न तो उन्हें किसी से डरना चाहिए और न ही दूसरों को डराना चाहिए। हम भाईचारे में विश्वास रखते हैं। हम चाहते हैं कि भारत ‘विश्वगुरु’ बने। लेकिन ऐसे लोग हैं जो जाति, भाषा, धर्म के बीज बोकर हमें आपस में लड़ाना चाहते हैं। हमें सजग रहना चाहिए।’
RSS प्रमुख ने कहा, ‘हमारा संगठन किसी भी प्रकार की पूजा पद्धति का विरोध नहीं करता और उन सभी को पवित्र मानता है। उन्होंने (मुसलमानों ने) पूजा के अन्य रूपों को भले ही अपना लिया हो, लेकिन वे हमारे ऋषियों, मुनियों, क्षत्रियों के ही वंशज हैं। हम सब एक ही पूर्वजों के वंशज हैं।’
मोहन भागवत ने जो कहा वह देश की सियासत की दिशा बदलने वाली बात है। यह उन लोगों को जवाब है जो कहते हैं कि अब वह दिन दूर नहीं जब हर मस्जिद को मंदिर बताया जाएगा, मुसलमानों से 30,000 मस्जिदें छीनी जाएंगी। असदुद्दीन ओवैसी हों, अबू आजमी हों, महबूबा मुफ्ती हों, उमर अब्दुल्ला हों या फारूक अब्दुल्ला हों, ये सारे लोग लगातार हिंदू-मुसलमान के मुद्दे पर बयान दे रहे हैं। मथुरा में ईदगाह और ज्ञानवापी का मुद्दा ये जानबूझकर राजनीतिक कारणों से उठा रहे हैं, और यह मुसलमानों को दबाने का एक गेमप्लान है। वे बीजेपी और RSS पर आरोप लगा रहे हैं कि ये मिलकर मुसलमानों को परेशान कर रहे हैं, देश में माहौल खराब कर रहे हैं, लेकिन मोहन भागवत का भाषण एक स्पष्ट परिप्रेक्ष्य में है।
भागवत ने कहा कि भारत में रहने वाले मुसलमान भी हमारे भाई हैं, उनके पूर्वज भी हिंदू हैं, सिर्फ पूजा पद्धति अलग हो गई है। भागवत ने हिंदुओं से साफ कहा कि हर मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने की कोशिश करना ठीक नहीं है। भागवत की बातें ओवैसी और महबूबा मुफ्ती की बातों के लहजे से बिल्कुल अलग हैं। मुझे लगता है कि मोहन बागवत की इस बात के लिए तारीफ होनी चाहिए। जैसा कि भागवत ने कहा, हिंदुओं और मुसलमानों को सौहार्दपूर्ण ढंग से अपने मसलों को सुलझाना चाहिए और भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाने के लिए एकजुट होना चाहिए।
Why Mohan Bhagwat said: “Don’t look for Shivling in every mosque”
In a major development, Rashtriya Swayamsevak Sangh supremo Mohan Bhagwat on Thursday ruled out any agitation on the ongoing Gyanvapi mosque issue. Addressing the RSS officers’ training camp in Nagpur, Bhagwat said the issue of Gyanvapi relates to the belief of millions of Hindus, but there will be no agitation on this.
Bhagwat said: “Gyanvapi issue is now before the court. We cannot change history. Neither Hindus of today nor Muslims of today created this issue. It took place at a time when Islam came to India from outside through invaders. RSS had taken part in Ayodhya Ram Janmabhoomi issue due to certain very important reasons. It was also made very clear that our organisation will not be part of any new movement. There is no need to raise fresh disputes every day. There is no need to look for Shivling in every mosque. Even the Gyanvapi-Shringar Gauri issue can be resolved amicably between Hindus and Muslims. If any decision comes from the court, it should be accepted by both sides.”
On fresh claims and counter-claims about religious shrines across India, the RSS chief said, “Invaders went on breaking temples to crush the morale of the Hindus and create an impression among newly converted Muslims. These historic incidents cannot be changed by either Hindus or Muslims now.”
Bhagwat described Muslims as “descendants of Hindus and even Kashatriyas, who were converted to a different faith. Hindus should understand that Muslims are their own people. They are Muslims only because they changed their faiths. If they are ready to return (to Hindu fold), we would welcome them with open arms. Even if they do not want to, there is no reason to be dissatisfied. Hindus already worship 33 crore deities. There are many faiths in our country and Islam will remain one of them.”
Bhagwat said, “the responsibility of maintaining restraint lies both of Hindus and Muslims. They should not provoke each other. Hindus have always shown restraint. They restrained themselves for centuries. This is a historical fact which cannot be ignored, but Hindus should also understand that they should not fear anybody nor should they intimidate others. We believe in brotherhood. We want India to be the ‘vishwaguru’. But there are people who want to sow seeds of caste, language religion and make us fight among ourselves. We should be on our guard.”
The RSS chief said, his organisation was not opposed to any form of worship and considers all of them holy. They(Muslims) may have adopted other forms of worship but they are the descendants of our rishis, munis, Kshatriyas. We are all descendants from the same ancestors.”
Whatever the RSS chief has said can change the course of domestic politics. This is a strong reply to those who are trying to strike fear among minorities by saying that the day is not far off when every mosque will be converted into temples, and that nearly 30,000 mosques will be taken away by Hindus. Muslim leaders like Asaduddin Owaisi, Abu Azmi, Mehbooba Mufti, Omar Abdullah and Dr. Farooq Abdullah are regularly giving statements on the Hindu-Muslim issue. They are insinuating that the Mathura Eidgah and Kashi Gyanvapi controversies are being raked up for political reasons, and it is part of a game plan to suppress the Muslims. They have been alleging that BJP and RSS have been tormenting Muslims in recent months and are trying to spoil the atmosphere. But Mohan Bhagwat’s speech today has clearly put everything in perspective.
Bhagwat has said that Muslims living in India are not only our brothers but are descendants from the same ancestors, only their form of worship has changed. Bhagwat has clearly told Hindus not to go out searching for Shivling inside very mosque. Bhagwat’s remarks are completely against the tone and tenor of speeches by Owaisi and Mehbooba Mufti. I think, the RSS chief’s remarks should be praised. Let Hindus and Muslims amicably settle their issues and join hands in making, as Bhagwat said, India a ‘vishwaguru’.
मूसेवाला मर्डर: पंजाब में इस गैंगवार को रोकें
मशहूर पंजाबी सिंगर शुभदीप सिंह सिद्धू उर्फ सिद्धू मूसेवाला की 29 मई को हत्या कर दी गई । इस हत्याकांड को 8 से 10 हमलावरों ने अंजाम दिया था। घटना के वक्त मूसेवाला मानसा जिले में अपनी चाची के गांव जा रहे थे। हमलावरों ने उनकी महिंद्रा थार एसयूवी का रास्ता रोक लिया गया और तीनों तरफ से घेरकर रूसी राइफलों से 30 राउंड से ज्यादा फायरिंग की।
मूसेवाला ने भी अपनी पिस्तौल से 2 राउंड गोलियां चलाई, लेकिन ये नाकाफी था। हमलावर 2 गाड़ियों में सवार होकर मौका-ए-वारदात से फरार हो गए और अब तक पकड़ में नहीं आए हैं। मूसेवाला उन 424 लोगों की लिस्ट में थे, जिनकी पर्सनल सिक्योरिटी पंजाब की भगवंत मान सरकार ने घटा दी थी। अपने सुरक्षाकर्मी घटाए जाने के बावजूद वह बचे हुए दो सुरक्षा गार्डों को हत्या वाले दिन अपने साथ जीप में नहीं ले गए थे।
सिद्धू मूसेवाला की हत्या के तुरंत बात इसकी जिम्मेदारी कनाडा में रह रहे गैंगस्टर गोल्डी बराड़ ने फेसबुक पर ली थी। गोल्डी बराड़ ने कहा कि पिछले साल युवा अकाली नेता विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्की मिड्डूखेड़ा की हत्या हुई थी, और उसी का बदला लेने के लिए मूसेवाला का कत्ल किया गया । विक्की की हत्या के बाद मूसेवाला के मैनेजर शगनप्रीत सिंह का नाम सामने आया था। शगनप्रीत पिछले साल ऑस्ट्रेलिया भाग गया। गोल्डी बराड़ का एक अन्य गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से संबंध है, जिससे अब पूछताछ की जा रही है, लेकिन दिल्ली पुलिस का कहना है कि वह पूछताछ में ‘सहयोग नहीं कर रहा है।’ बिश्नोई का दावा है कि उसका इस हत्या से कोई लेना-देना नहीं है।
पंजाब पुलिस SIT के चीफ SSP गौरव तुरा ने दावा किया कि उनकी टीम को हमलावरों के बारे में कुछ जरूरी सुराग मिले हैं। SIT चीफ ने कहा, ‘अब हमें पता है कि वे कहां से आए थे, उन्होंने कैसे रेकी की और कैसे फरार हुए।’ SIT पूछताछ के लिए फिरोजपुर और भटिंडा जेल से 2 गैंगस्टरों को पहले ही ला चुकी है।
मूसेवाला हत्याकांड आम आदमी पार्टी के मौजूदा मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गया है। हत्या हुए 4 दिन बीत चुके हैं लेकिन एक भी हमलावर पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया है। पंजाब पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि हत्या की प्लानिंग जेल के अंदर से की गई थी और इस बात को लेकर पूछताछ की जा रही है कि इसे अंजाम देने के लिए गाड़ी की व्यवस्था किसने की। कुछ दिन पहले दिल्ली पुलिस ने शाहरुख नाम के एक शूटर को उठाया था, जिसने पूछताछ के दौरान बताया था कि लॉरेंस बिश्नोई ने मूसेवाला की हत्या के लिए ‘सुपारी’ दी थी। शाहरुख ने माना कि उसने कई दिनों तक मूसेवाला की रेकी की थी, लेकिन करीब नहीं जा सका क्योंकि उनके साथ बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी मौजूद रहते थे।
मूसेवाला की हत्या के तुरंत बाद पंजाब के एक दूसरे गैंग ने, जिसका सरगना दविंदर बंबीहा है, एक सोशल मीडिया पोस्ट में गायक मनकीरत औलख को धमकी दी। धमकी में कहा गया कि औलख का मैनेजर मूसेवाला की हत्या में हाथ था, और दो दिन के अन्दर इस हत्या का बदला लिया जाएगा। मनकीरत औलख ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर सुरक्षा की गुहार लगाई है। औलख ने एक वीडियो जारी कर सफाई दी, ‘मूसेवाला मेरे भाई जैसे थे, उनकी हत्या से मेरा नाम जोड़ना गलत है।’
औलख का डर जायज़ है। एक गायक की हत्या हो चुकी है और कनाडा में बैठा गैंगस्टर इसकी जिम्मेदारी ले रहा है। लॉरेंस बिश्नोई के वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल पिछले एक हफ्ते से तिहाड़ जेल की हाई सिक्योरिटी सेल में बंद है, तो वह क़त्ल का ऑर्डर कैसे दे सकता है? क़त्ल की साजिश कैसे कर सकता है? वकील साहब की दलील अदालत में तो चलेगी, लेकिन जनता की अदालत में नहीं चलेगी क्योंकि लॉरेंस बिश्नोई के लोग फेसबुक पर जेल के अंदर उसके क्रियाकलापों की तस्वीरें लगातार पोस्ट करते रहते हैं। एक बार तो लॉरेंस विश्नोई ने खुद कहा था कि उसने जोधपुर जेल से फोन पर सिद्धू मूसेवाला से बात की थी, और विकी मिड्डू खेड़ा की हत्या का बदला लेने की बात कही थी।
पंजाब पुलिस के अफसर भी मानते हैं कि राज्य में 70 से ज्यादा गैंग्स एक्टिव हैं। ये गैंग्स सेलेब्रिटीज से वसूली, कबड्डी लीग पर कंट्रोल और प्रॉपर्टी पर कब्जा करने, ड्रग्स और हथियारों की तस्करी करने जैसे अपराधों के सिंडिकेट चला रहे हैं। पंजाब की म्यूजिक इंडस्ट्री में भी इन गैंगस्टर्स की काफी दिलचस्पी है। इनमें से कई बड़े अपराधी विदेश में रह रहे हैं, जैसे कि गोल्डी बराड़ कनाडा में है, लकी पटियाल आर्मेनिया में है। लॉरेंस बिश्नोई, काला जठेड़ी और जग्गू भगवानपुरिया जैसे कई बड़े गैंगस्टर जेल में बंद हैं, लेकिन वहां बैठकर भी अपना गैंग चला रहे हैं। बीजेपी सांसद और गायक हंसराज हंस और अशोक मस्ती जैसे पंजाबी सिंगर्स भी मानते हैं कि म्यूजिक इंडस्ट्री में अपराधियों का दखल हो गया है।
इन गैंग्स द्वारा अंजाम दी जा रही हत्याएं यह बताने के लिए काफी हैं कि वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। लॉरेंस बिश्नोई गिरोह पहले लोकल लेवल पर जबरन वसूली और जमीन हथियाने जैसे अपराधों को अंजाम देता था, लेकिन अब उसने अपना दायरा बढ़ा लिया है। विदेशों से इशारा मिलने पर सुपारी किलिंग से लेकर, कबड्डी टूर्नामेंट्स पर कंट्रोल और YouTube पर पंजाबी गायकों के एल्बम की लॉन्चिंग अब पैसे कमाने के नए रास्ते हैं। उसने दिल्ली में जितेंद्र गोगी और हरियाणा में संदीप उर्फ काला जठेड़ी के गैंग्स से हाथ मिलाया, जबकि राजस्थान में उसने एनकाउंटर में मारे गए गैंगस्टर आनंदपाल के गुर्गों के साथ गठजोड़ किया है।
बिश्नोई गैंग को पंजाब में दविंदर बंबीहा और गौरव उर्फ लकी पटियाल की सरपरस्ती वाले गैंग्स से कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। बंबीहा की एक एनकाउंटर में मौत हो गई, लेकिन उसका गैंग खालिस्तानी गैंगस्टर रिंदा संधू की मदद से फिर खड़ा हो गया। इसका मुकाबला करने के लिए बिश्नोई ने कनाडा से ऑपरेट करने वाले गोल्डी बराड़ के साथ करार किया। वहीं, बिश्नोई गैंग का मुकाबला करने के लिए बंबीहा-पटियाल गैंग ने हरियाणा के गैंगस्टर कौशल, जितेंद्र गोगी के प्रतिद्वंद्वी सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया और नीरज बवाना के साथ गठजोड़ किया है। गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की रोहिणी कोर्ट परिसर में दिनदहाड़े हत्या हो गई थी। गैंगस्टर्स ने पंजाब में दो महीने पहले इंटरनेशनल कबड्डी प्लेयर संदीप सिंह सिद्धू की जालंधर में हत्या कर दी थी।
उत्तर भारत के एक बड़े इलाके में इस तरह के आपराधिक गैंग्स के दायरे का बढ़ना वास्तव में चिंताजनक है। मूसेवाला एक पंजाबी गायक थे। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर पंजाब का विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जांच के दौरान सिंगर्स के साथ गैंगस्टर्स के रिश्तों के बारे में जो बातें सामने आ रही हैं, वे पंजाब और दिल्ली के लोगों को पहले से पता हैं। यहां तक कि पुलिस और नेता भी इसके बारे में जानते हैं लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया।
शुरुआती दौर में पंजाब के गैंगस्टर ‘प्रोटेक्शन मनी’ के नाम पर सिंगर्स से वसूली करते थे, लेकिन बाद में पैसों के लिए उनका लालच बढ़ता ही गया। गैंगस्टर अब गायकों के एल्बम के वीडियो राइट्स लेने लगे, और इसमें उन्हें दो फायदे थे। एक तो यूट्यूब पर गाने की रिलीज से कमाई होती थी, और दूसरा, जो ‘एक्सटोर्शन मनी’ थी, जो पैसा गलत कामों से कमाया जा रहा था, उसकी मनी लॉन्ड्रिंग होने लगी, उस पैसे को गैंगस्टर्स गाने से हुई कमाई बताने लगे।
इसके बाद गैंगस्टर्स इन सिंगर्स को इस बात के लिए मजबूर करने लगे कि वे अपने गानों में गैग्स का नाम डालें, और इन गानों में दूसरे गैंग को नीच दिखाया जाए। कभी लालच, कभी दादागिरी तो कभी डर के चक्कर में सिंगर्स फंसते गए। वे गैंग्स की दुश्मनी में बलि का बकरा बन गए। सिंगर्स पर दिनदहाड़े गोलियां चलने लगी, और अब तो मर्डर भी हो गया। मूसेवाला बहुत ही लोकप्रिय पंजाबी सिंगर थे, और वह भी इस गैंगवार का शिकार हुए। ऐसे में दूसरे सिंगर्स का डरना लाजिमी है।
इसीलिए मैं कहता हूं कि यह मामला एक हत्या का नहीं है, यह गैंगवार है। यह पंजाब पुलिस और पंजाब की सरकार की जिम्मेदारी है कि वे गैंगस्टर्स का खात्मा करें, अपराधियों में दहशत पैदा करे। उन्हें ऐसे कदम उठाने ही होंगे जिनसे पंजाबी सिंगर्स के दिल से खौफ और दहशत कम हो।
Moose Wala murder: Stop this gang war in Punjab
Shubhdeep Singh Sidhu alias Sidhu Moose Wala was a popular Punjabi singer, who was killed by 8 to 10 gangsters in a gruesome attack on May 29. He was going to his aunt’s village in Mansa district, when his Mahindra Thar SUV was blocked and the attackers fired more than 30 rounds with the help of Russian assault rifles from three sides.
Moose Wala fired back two rounds from his pistol, but this was no match against the attack. The attackers fled in two vehicles and are yet to be caught. Moose Wala was on the list of 424 persons, whose personal security was reduced by the AAP government in Punjab. Though his personal security was reduced, he did not take his remaining two security guards with him in his jeep.
Soon after the muder, Canada-based gangster Goldy Brar claimed responsibility for this murder on Facebook. Goldy Brar said the murder was committed in retaliation over the murder of Youth Akali leader Vikramjit Singh alias Vicky Middukhera last year. The name of Moose Wala’s manager Shaganpreet Singh had cropped up after Vicky’s murder. Shaganpreet fled to Australia last year. Goldy Brar is a close aide of another gangster Lawrence Bishnoi, who is now being questioned, but according to Delhi Police, he “is not cooperating”. Bishnoi claims he has nothing to do with this murder.
The chief of Punjab Police SIT (Special Investigation Team) SSP Gaurav Toora claimed that his team has found some vital leads about the attackers. “We now know from where they came, how they conducted a recce and how they escaped”, the SIT head said. Already two gangsters have been brought from Ferozepur and Bhatinda jails for questioning by SIT.
The Moose Wala murder case has become a big headache for the incumbent AAP Chief Minister Bhagwant Singh Mann. Not a single attacker has been arrested four days after the murder took place. Punjab Police officials say, the murder was planned from inside jail, and the questioning is on who provided the vehicles for carrying out the murder. A few days ago, Delhi Police had picked up a shooter named Shahrukh, who told, during questioning, that Lawrence Bishnoi had given ‘supari’ for Moose Wala’s murder. Shahrukh admitted that he had conducted recce on Moose Wala for several days, but could not get close to the singer as he had a large number of security personnel with him.
Soon after Moosewala’s murder another criminal gang from Punjab led by Davinder Bambiha, in a social media post, had threatened singer Mankirat Aulakh. It was said that Aulakh’s manager was actively involved in the murder of Moose Wala, and that retaliation would take place within two days. Mankirat Aulah, in a letter to Prime Minister Narendra Modi has sought protection. In a video released by him, Aulakh said, “Moose Wala was like my brother…it is incorrect to link my name to his murder.”
Aulakh’s fear is understandable. One singer has been killed and a gangster sitting in Canada has taken responsibility. Lawrence Bishnoi’s lawyer may well claim that his client is inside high-security jail and he could not have been involved in the murder. But the fact is, Lawrence Bishnoi’s men have been regularly posting on Facebook about he was living inside jail. Lawrence Bishnoi had once claimed that he spoke to Moose Wala over phone from Jodhpur jail and had sought retaliation for Vicky Middukheda’s murder.
Punjab Police officials admit that there are more than 70 criminal gangs presently active in the state. They indulge in extortions from celebrities, indirectly control kabaddi league, grab properties and run crime syndicates for drugs and weapon smuggling rackets. These gangs take much interest in Punjabi music industry. Some of the big gangsters live abroad, like Goldy Brar in Canada, Lucky Patial in Armenia. Other gangsters like Lawrence Bishnoi, Kala Jathedi and Jaggu Bhagwanpuria are behind bars, but they effectively run their gangs from inside jails. Punjabi singers like Ashok Masti and BJP MP-cum-singer Hansraj Hans admit that gangsters are openly involved in the music industry.
The killings by these gangs are clear indications about a battle for supremacy that is going on. The Lawrence Bishnoi gang, which earlier used to be a localised one, engaged in extortions and land grabbing, has now spread its wings. From targeted killings by taking orders from foreign shores, controlling Kabaddi tournaments, and launching albums of Punjabi singers on YouTube are now new avenues of raking in money. He joined hands with gangs led by Jitender Gogi in Delhi and Sandeep alias Kala Jathedi in Haryana, and in Rajasthan he tied up with slain gangster Anandpal’s henchmen.
Bishnoi gang is facing fierce competition from the criminal gang led by Davinder Bambiha and Gaurav alias Lucky Patial in Punjab. Bambiha was killed in an encounter, but his gang was resurrected with the help of Khalistani gangster Rinda Sandhu. To counter thim, Bishnoi tied up with Canada-based Goldy Brar. On the other hand, to counter Bishnoi gang, Bambiha-Patial gang has tied up with gangster Kaushal in Haryana, Jitender Gogi’s rivals Sunil alias Tillu Tajpuriya and Neeraj Bawana. Gangster Jitender Gogi was kille din broad daylight inside the Rohini court premises. In Punjab, they murdered international kabaddi player Sandeep Singh Sidhu in Jalandhar two months ago.
The spread of tentacles of rival criminal gangs across a wide swathe of northern India is really worrying. Moosewala was a Punjabi singer, and he contested Punjab assembly elections on Congress ticket and lost. The singer-gangster nexus that is emerging during the investigation, was already known to people in Punjab and Delhi. Even political leaders knew about this nexus but remained silent.
In the earlier stage, gangsters in Punjab used to extort money from singers in the name of protection money, but later, it was difficult to suppress their greed for money. The gangsters now wanted video rights of singers’ albums, which had a two-fold advantage. The white money earned from YouTube from video rights was used for money laundering too. They showed that they were making earnings from singers’ albums.
The gangsters then forced the singers to put the names of their gangs on the albums, to upstage other gangs. The singers were caught in a web of fear, ‘dadagiri’ and greed. They became scapegoats in the battle for supremacy among gangs. Singers were killed in broad daylight. Moose Wala was a popular Punjabi singer who became the scapegoat in this gang war. Other Punjabi singers are also fearing for their lives.
This is not the case of a single murder. It is clearly a gang war. It is the responsibility of Punjab government Punjab Police to put an end to this gang war and strike fear in the minds of all gangsters. They must take steps so that Punjabi singers stop fearing for their lives.