जहांगीरपुरी के दंगाइयों को बख्शा नहीं जाना चाहिए
केंद्र सरकार ने जहांगीरपुरी दंगों के 5 मुख्य आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के सख्त प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है, लेकिन बुधवार की सुबह उस वक्त तनाव पैदा हो गया जब उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने इलाके से अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए 9 बुलडोजर भेज दिए। जहांगीरपुरी में भारी पुलिसबल तैनात किया गया ।
भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने ‘यथास्थिति’ बनाए रखने का निर्देश दिया, जिसके बाद अतिक्रमण हटाने के अभियान को रोक दिया गया। सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के 2 घंटे बाद बुलडोजर के पहिए थम गए।
दिल्ली बीजेपी प्रमुख आदेश गुप्ता ने उत्तरी MCD के मेयर को एक चिट्ठी लिखकर मांग की थी कि ‘दंगाइयों द्वारा किए गए सभी अवैध अतिक्रमणों की पहचान की जानी चाहिए और उन पर बुलडोजर चलने चाहिए।’ अपनी चिट्ठी में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने आरोप लगाया, ‘इन असामाजिक तत्वों और दंगाइयों को आम आदमी पार्टी के स्थानीय विधायक और पार्षद का समर्थन प्राप्त है और इसके परिणामस्वरूप इन लोगों ने बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किया है।’
सैकड़ों पुलिसकर्मियों के इलाके के चप्पे-चप्पे पर तैनात होने के बाद 9 बुलडोजरों ने जहांगीरपुरी में अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त करना शुरू किया। यह वही जगह थी जहां शनिवार की शाम हनुमान जयंती के जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी, जिसके बाद पथराव, झड़प और आगजनी हुई थी।
जिन 5 मुख्य आरोपियों के खिलाफ सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है, उनके नाम हैं अंसार शेख, सलीम चिकना, सोनू उर्फ इमाम शेख, दिलशाद और अहीद। दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि अंसार अपने 4-5 साथियों के साथ आया और हनुमान जयंती शोभायात्रा के आयोजकों के साथ बहस करने लगा। प्राथमिकी में कहा गया है कि बहस जल्द ही हिंसक हो गई और दोनों पक्षों की तरफ से पथराव किया गया। प्राथमिकी के बाद गृह मंत्रालय ने दंगाइयों के खिलाफ NSA के तहत कड़ी कार्रवाई करने का फैसला किया। सोनू उर्फ इमाम शेख को 4 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है। सोनू ने कुबूल किया है कि उसने गुलाम रसूल उर्फ गुल्ली से पिस्टल ली थी। गुलाम रसूल उर्फ गुल्ली को भी गिरफ्तार किया गया है।
दिल्ली पुलिस की टीमों ने हिंसा से जुड़े करीब 500 वीडियो जब्त किए हैं। एक वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि कुशल चौक के पास हनुमान जी के रथ पर पत्थर, ईंट और कांच की बोतलें बरसाईं जा रही थीं। दूसरा वीडियो हिंसा शुरू होने से ठीक पहले का है, जिसमें साफ दिख रहा है कि हिंसा की शुरुआत किसने की थी। एक अन्य वीडियो में दंगाई लाठियां, तलवारें और बंदूकें लहराते हुए नजर आ रहे हैं।
पहले वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि भगवान हनुमान के ‘रथ’ पर पत्थरों और बोतलों की बौछार हो रही है। वीडियों में कुछ लड़के ये कहते सुनाई दे रहे हैं, ‘चाचा ये ठीक नहीं हो रहा है।’ सड़क पर कांच की बोतलों के टूटने की आवाजें भी सुनाई देती हैं। तभी 2 लोग हिम्मत करके बजरंग बली की मूर्ति को खींच कर ले जाते हैं। उस वक्त भी बजरंग बली की मूर्ति पर कांच की बोतलें और पत्थर बरसाए जा रहे थे।
वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि पत्थर और बोतलें कौन फेंक रहा था। एक अन्य वीडियो में किसी की पिस्तौल से फायरिंग की आवाज आती है। वीडियो में नजर आता है कि C ब्लॉक (एक मुस्लिम बहुल इलाका) में रहने वाले लोग हजारों की तादात में कुशल चौक पर जमा हो जाते हैं और सभी के हाथ में लाठी, डंडे और कांच की बोतले होती हैं। मौके पर कुछ पुलिसवाले भी मौजूद होते हैं लेकिन वे भीड़ के हिंसक हो जाने के चलते हालात को काबू में नहीं कर पाते। भीड़ पुलिस का घेरा तोड़कर बार-बार आगे बढ़ने की कोशिश करती है। इसी बीच पास की मस्जिद से अजान की आवाज आने लगती है।
एक अन्य वीडियो में, हथियारों से लैस पुलिस की एक बड़ी टीम के घटनास्थल पर पहुंचने के बाद भीड़ तितर-बितर होती नजर आ रही है। लेकिन तब तक आस-पास की इमारतों की छतों से पत्थरबाजी शुरू हो गई थी। अंधेरा हो चुका था, पुलिस सड़क पर थी और पत्थरबाज इमारतों की छतों से हमला कर रहे थे, पथराव कर रहे थे, बोतलें फेंक रहे थे। एक अन्य वीडियो में पुलिस दंगाइयों को पत्थर और बोतलें फेंकने से रोकने के लिए इमारतों पर आंसू गैस के गोले दागती हुई दिखाई दे रही है। तभी दूर से गोलियों की आवाज सुनाई देती है।
ये वीडियो कुछ सवालों के जवाब तो देते ही हैं। दावा किया जा रहा था कि हनुमान जयंती मना रहे लोगों ने मस्जिद पर भगवा झंडा फहराने की कोशिश की थी, और तब मस्जिद में नमाज पढ़ने पहुंचे लोगों ने इसका विरोध किया, जिससे हिंसा हुई। यह दावा गलत निकला है। एक के बाद एक वीडियो दिखाते हैं कि यह एक पूर्व नियोजित सांप्रदायिक हिंसा थी। मस्जिद के पास कोई झड़प नहीं हुई थी और शोभायात्रा मस्जिद के सामने से निकल चुकी थी। तब तक मोहल्ले में शांति थी, लेकिन कुशल चौक पर पथराव शुरू हो गया।
ये वीडियो उस झूठ से भी पर्दा उठा देते हैं जिसमें कहा गया था कि जुलूस में शामिल होने वालों ने सबसे पहले पत्थर फेंके। सच तो यह है कि पत्थरबाजी मुस्लिम बस्ती से निकले लोगों ने शुरू की। इससे पहले हनुमान जयंती के दो जुलूस दिन में पहले ही शांति से गुजर गए थे और एक भी पत्थर नहीं फेंका गया था। शाम के जुलूस को निशाना बनाया गया, रथ को तोड़ दिया गया। अब मूर्ति और रथ दोनों इसी इलाके के मंदिर में रखे हैं। इलाके के लोगों में अब भी दहशत है।
मंगलवार की रात अपने शो ‘आज की बात’ में हमने 15 अप्रैल की रात करीब 2.11 बजे का एक अहम वीडियो दिखाया। इस सीसीटीवी वीडियो में दंगाई लाठियां इकट्ठी कर रहे थे, जिसका इस्तेमाल हिंसा के दौरान किया जाना था। पुलिस अब इन बदमाशों की पहचान कर रही है। दिल्ली पुलिस ने शांति बनाए रखने के लिए जहांगीरपुरी को 5 सेक्टरों में बांटा है। कुशल चौक से मस्जिद की तरफ जाने वाले रास्ते को सेक्टर 1, G ब्लॉक जाने वाले रास्ते को सेक्टर 2, जहां आगजनी हुई उसे सेक्टर 3, C ब्लॉक जाने वाले रास्ते को सेक्टर 4 और मस्जिद के सामने वाले इलाके को सेक्टर 5 में बांटा गया है।
अब दंगों के मास्टरमाइंड अंसार शेख के आपराधिक इतिहास पर एक नजर डालते हैं। 40 साल के इस शख्स पर 2009 में आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। उस पर 2011 से 2019 तक जुआ अधिनियम के तहत 3 मुकदमे दर्ज किए गए थे और 2013 में उस पर आईपीसी की धारा 509, 323 और 509 के तहत मामला दर्ज किया गया था। जुलाई 2018 में, अंसार पर धारा 186 और 353 (सरकारी कर्मचारी पर हमला और सरकारी काम में बाधा डालने) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
अंसार कबाड़ का धंधा करता है और चौथी कक्षा तक पढ़ा है। जहांगीरपुरी के C ब्लॉक का रहने वाला अंसार इलाके में काफी पहचाना जाता है। जैसे-जैसे उसका क्रिमिनल रिकॉर्ड बढ़ता गया वैसे-वैसे इलाके में उसकी सक्रियता अवैध पार्किंग से उगाही, सट्टे और नशे के कारोबार में बढ़ती गई। पुलिस का कहना है कि इन तमाम कामों से उसकी हर महीने लाखों की कमाई है। वह प्रोटेक्शन मनी की आड़ में रंगदारी वसूलता है। सूत्रों के मुताबिक, घटना वाली शाम को अंसार के पास मस्जिद से फोन आया था जिसके बाद वह अपने साथियों के साथ पहुंचा और शोभायात्रा में शामिल लोगों से बहस और झगड़ा किया। पुलिस को आशंका है कि अंसार को गुप्त सूत्रों से फंडिंग भी की गई थी।
पश्चिम बंगाल के हल्दिया के मूल निवासी अंसार का जन्म 1980 में जहांगीरपुरी C ब्लॉक में हुआ था। हरियाणा के मेवात के नूह में रहने वाले मुस्लिम परिवारों से उसकी रिश्तेदारी है। उसकी लग्जरी कारों के बारे में सूत्रों ने बताया कि उसने किसी को फाइनेंस किया था जिसके बदले में उसने कर्जदार की BMW कार कुछ समय के लिए अपने पास रखी थी। सूत्रों ने कहा कि अंसार के पास पुरानी लग्जरी गाड़ियां और अकूत दौलत हो सकती है, जो कि उसने छिपा रखी हो। राज मल्होत्रा के नाम से उसकी एक फर्जी फेसबुक प्रोफाइल है जिसमें उसने बंदूक पकड़े हुए, सोने की ज्वेलरी पहने, लग्जरी कारों के पास पोज देते हुए और करेंसी नोटों की गड्डियां दिखाते हुए कई तस्वीरें पोस्ट की हैं। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि अंसार ने फेसबुक पर हिंदू नाम से फर्जी प्रोफाइल क्यों बनाई थी।
ये वीडियो इस बात की तरफ साफ इशारा करते हैं कि एक पूर्व नियोजित साजिश के तहत हनुमान जयंती की शोभायात्रा को घेरा गया था और इसमें शामिल लोगों पर पत्थर, ईंट और कांच की बोतलों से हमला किया गया था। इसके जवाब में मुस्लिम नेताओं का कहना है कि शोभायात्रा के लिए कोई इजाजत नहीं ली गई थी। वहीं, हिंदू नेताओं का सवाल है कि क्या बगैर इजाजत के शोभायात्रा निकालने पर उन पर पत्थर बरसाए जाएंगे। हिंदू नेता कहते हैं कि मुसलमान बगैर इजाजत के सड़कों पर ‘नमाज’ पढ़ते हैं, लेकिन हिंदुओं ने तो कभी नमाजियों पर पत्थर नहीं बरसाए।
मुस्लिम नेताओं का आरोप है कि हनुमान जयंती पर शोभायात्रा निकालने वालों के पास तलवारें थी, जिसके जवाब में हिंदू नेता कहते हैं कि ये सब रामलीला का सामान था और तलवारों से लेकर तीर-कमान तक, सब नकली थे। दोनों तरफ से इस तरह के जो तर्क दिए जा रहे हैं, उनका कोई अंत नहीं हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या इन दंगों की भड़काने के पीछे एक बड़ी साजिश थी? क्या इस इलाके के लोगों को हथियार सप्लाई किए गए? क्या लोगों को शोभायात्रा पर हमला करने के लिए उकसाया गया था? चूंकि पुलिस अभी मामले की जांच कर रही है, इसलिए हमें नतीजे का इंतजार करना चाहिए।
आरोपियों के खिलाफ सख्त ऐक्शन लेने के साथ-साथ पुलिस ने पूरी दिल्ली में निगरानी बढ़ा दी है। जिन इलाकों में तनाव की थोड़ी-बहुत भी आशंका है, उन सभी इलाकों में फोर्स तैनात की गई है। कई इलाकों में ड्रोन से नजर रखी जा रही है। शांति समितियां सभी वर्गों से आधारहीन अफवाहें और झूठ न फैलाने की अपील जारी कर रही हैं। मंगलवार को जहांगीरपुरी की जामा मस्जिद से भी शांति बनाए रखने और अफवाहें न फैलाने की अपील की गई। पुलिस ने समुदाय के नेताओं से कहा है कि अगर कोई सोशल मीडिया पर आधारहीन अफवाहें फैलाता है तो इसकी सूचना दी जाए। यह एक अच्छी पहल है। मुझे लगता है कि इसका अच्छा असर होगा।
दंगाइयों पर NSA के तहत मामला दर्ज किया गया है, और एक बड़ी साजिश की जांच चल रही है। पुलिस पहले ही हिंसा में शामिल सभी लोगों की पहचान कर चुकी है। लेकिन पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद आरोपी न तो यह बता रहे हैं कि उन्हें किसने भड़काया, और न यह बता रहे हैं कि हथियार कहां से आए। पुलिस की जांच में इस्लामिक संगठन PFI का जिक्र आया है, लेकिन सबूत जुटाने में समय लगेगा। केंद्र किसी को भी नहीं बख्शने वाला है और पहले से ही कड़ी कार्रवाई की जा रही है। सच जल्द ही सामने आ जाएगा। दंगा करने वाला चाहे हिंदू हो या मुसलमान, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
Jahangirpuri: Rioters must not be spared
Even as the Centre booked five main accused of Delhi Jahangirpuri riots under stringent provisions of National Security Act, there was tension on Wednesday morning as North Delhi Municipal Corporation sent nine bulldozers to raze illegal encroachments made in the locality. Heavy police deployment was made in Jahangirpuri.
The anti-encroachment drive was however stopped after a three-judge bench of Supreme Court headed by Chief Justice of India directed that “status quo” be maintained. The bulldozers stopped razing the encroachments two hours after the SC order was passed.
The anti-encroachment drive was ordered by municipal authorities after Delhi state BJP chief Adesh Gupta wrote a letter to North MCD Mayor demanding that all “illegal encroachments made by rioters should be identified and bulldozers should demolish them.” In his letter, the state BJP chief alleged, “these anti-social elements and rioters have the support of local AAP MLA and Councillor, and as a result of these, these people have done large-scale encroachment.”
Hundreds of policemen in riot gear surrounded the locality, as nine bulldozers started razing illegal encroachments in Jahangirpuri. This was the place where communal violence had broken out on Saturday evening during Hanuman Jayanti procession, which was followed by stoning, clashes and arson.
The five main accused who have been booked under the stringent National Security Act are: Ansar Sheikh, Salim Chikna, Sonu alias Imam Sheikh, Dilshad and Aheed. FIR filed by Delhi Police says, Ansar came with his four to five associates and started arguing with the organizers of the Hanuman Jayanti Shobha Yatra. The FIR said, the argument soon turned violent and stones were pelted from both sides. Following the FIR, the Home Ministry decided to take stringent action under NSA against the rioters. Sonu alias Imam Sheikh has been sent to four days police custody. He has admitted that he took the pistol from Ghulam Rasool alias Gulli, who has also been arrested.
Delhi Police teams have seized nearly 500 videos related to the violence. One of the videos clearly shows stones, bricks and glass bottles being rained on the ‘rath’ of Lord Hanuman near Kushal Chowk. Another video relates to the time preceding the violence, which makes it clear that who started the violence. Another video shows, lathis, swords and guns being brandished by rioters.
The first video clearly shows stones and bottles being thrown on Lord Hanuman’s ‘rath’(chariot). There is a voice in the background saying, “chacha yeh theek nahin ho raha hai” (uncle, this is not fair). Sounds of glass bottles striking on the road are heard. Two persons tried their best to take the idol of Lord Hanuman, amidst raining of stones and glass bottles.
The video clearly shows who were throwing stones and bottles. In another video, there is the sound of somebody firing from a pistol. It shows nearly a thousand strong mob coming on the road in C Block(a Muslim dominated locality). A few policemen are unable to take control of the evolving situation as the mob turns wild and violent. The mob of rioters forces its way through police human chain barrier, amidst shouting of slogans, and the call of ‘azaan’ is heard from the nearby mosque.
In another video, the mob melts away as a large enforcement of police equipped with weapons arrives on the scene. By that time, stoning continued from the terraces of nearby buildings. Dusk was setting in and the rioters continued to throw stones and bottles at police in the dark. Another video shows police firing tear gas shells at buildings, to deter the rioters from throwing stones and bottles. Gunfire is heard from a distance.
These videos prove one point. It was being alleged that Hanuman Jayanti participants tried to hoist saffron flag on the mosque, and people who had offered ‘namaaz’ opposed it, leading to violence. This allegation now stands rubbished. The chain of sequences in these videos clearly shows that it was a pre-planned communal violence. There was no clash near the mosque, and the ‘shobhayatra’ had already crossed the mosque. Till that time, there was peace in the locality, but trouble began at Kushal Chowk, when stoning began.
The videos also nail the lie that those who took part in the procession were the first to throw stones. The fact is: Stoning began from the Muslim locality at the procession. Two Hanuman Jayanti processions had already passed during the day peacefully and not a stone was thrown. The evening procession was the target, the chariot was broken, and both the idol and chariot now lie in the local temple premises. There is panic among local residents.
In my show ‘Aaj Ki Baat’ on Tuesday night, we showed a vital video dated April 15 at 2.11 am (past midnight). In this CCTV video, rioters were collecting lathis, meant to be used during violence. Police is now identifying these miscreants. In order to maintain peace, Delhi Police has divided Jahangirpuri into five sectors. Sector 1 is from Kushal Chowk to the road leading to the mosque, Sector 2 is the road leading to G Block, Sector 3 is where the arson took place, Sector 4 is the road leading to C Block, and Sector 5 is the area right in front of the mosque.
A look now at the criminal profile of riot mastermind Ansar Sheikh. This 40-year-old man was booked in 2009 under Arms Act. He was booked in three cases from 2011 to 2019 under gambling Act, and in 2013 he was booked under sections 509, 323 and 509 of IPC. In July, 2018, he was booked under sections 186 and 353 (attacking government servant and obstructing govt work).
A scrap dealer by profession, he has studied till Class four. A resident of C Block, Ansar has a criminal record of forcibly collection parking charges, indulging in gambling and drugs trade. His earnings per month runs into several lakhs of rupees. He has been carrying out extortions under the guise of protection money. Sources said, a call went from the mosque to Ansar on Sturdy evening, and when he reached there with his associates, an argument ensued and this was followed by violence. Police sources say, Ansar may be getting funds from secret sources.
A native of Haldia, West Bengal, Ansar was born in 1980 in Jahangirpuri C Block. He has connections with Muslim families living in Nooh, Mewat of Haryana. About his luxury cars, sources said, he had financed somebody and in return he had kept the debtor’s BMW car with him for some time. Ansar might be hiding his luxury cars and properties, sources said. He has a fake Facebook profile in the name of Raj Malhotra in which he has posted pictures of himself holding a gun, wearing gold ornaments, posing near luxury cars and showing wads of currency notes. Police is probing why Ansar posted a fake Hindu profile on Facebook.
Now that the videos clearly establish that, as part of a pre-planned conspiracy, the Hanuman Jayanti procession was surrounded and stones, bricks and glass bottles were thrown at the participants. While Muslim leaders allege, no permission was taken for the procession, Hindu leaders question whether stones will be thrown at them, if they bring out a procession without prior permission. Hindu leaders point out that Muslims perform ‘namaaz’ on roads without taking prior permission, but Hindus never stoned the devotees.
Muslim leaders allege that those who took part in Hanuman Jayanti were brandishing swords, but Hindu leaders say, they were artificial and ornamental weapons used during Ramlila. The arguments from both sides are endless but the moot question is whether this was the result of a big conspiracy? Were the rioters inciting to attack the procession? Since police is thoroughly carrying out its probe, we should wait for the result.
Delhi Police has put its entire force on alert. Forces are being deployed at the slightest indication of communal tension. Drones are being used to keep a watch on miscreants. Peace committees have been issuing appeals to all sections not to spread baseless rumours and lies. An appeal was also issued from the Jama Masjid of Jahangirpuri on Tuesday. Police have asked community leaders to inform if anybody was spreading baseless rumours on social media. This is a good initiative. I think it will have a good impact.
The rioters have been booked under NSA, and the probe into a larger conspiracy is on. Police have already identified all those who took part in violence. But all those who have been rounded up are not disclosing who were the people who instigated them, and who provided the weapons. Islamic outfit PFI has been named in the probe, but it will take time to collect evidences. The Centre is not going to spare anybody and already stringent action is being taken. The truth will soon come out. Whether the rioter is a Hindu or a Muslim, action must be taken against the person.
जहांगीरपुरी: नफरत और झूठ न फैलाएं, पुलिस को जांच पूरी करने दें
दिल्ली के अपराध-बहुल जहांगीरपुरी इलाके में शनिवार को हनुमान जयंती की शोभायात्रा के दौरान हुईं हिंसक झड़पों के मामले में नए खुलासे सामने आए हैं। इन खुलासों से साफ है कि जहांगीरपुरी में हुईं ये झड़पें अचानक शुरू नहीं हुई थीं बल्कि एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा थीं।
दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्रालय को अपनी शुरुआती रिपोर्ट भेजी है जिसमें उसने दंगे को ‘पूर्व नियोजित आपराधिक साजिश’ करार दिया है। इसमें बताया गया है कि कैसे साजिशकर्ताओं ने ईंट, पत्थर और खाली बोतलों से भरे कई बैग छतों पर जमा किए गए थे। जुलूस पर हमला करने वाले उपद्रवियों के बारे में दिल्ली पुलिस ने जो तथ्य जुटाए हैं, वे हैरान करने वाले हैं। अब तक मास्टरमाइंड अंसार सहित 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 15 अन्य से पूछताछ की जा रही है।
पुलिस ने दंगाइयों और बगैर इजाजत जुलूस निकालने वालों, दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। विश्व हिंदू परिषद के जिला सेवा प्रमुख प्रेम शर्मा से पुलिस ने सोमवार को पूछताछ की। जहां हिंदू नेताओं का आरोप है कि जुलूस पर पूर्व नियोजित साजिश के तहत पथराव किया गया था, वहीं मुस्लिम नेताओं का आरोप है कि जुलूस में शामिल कुछ लोगों ने तलवारें और तमंचे लहराए थे।
मुस्लिम नेताओं का आरोप है कि मस्जिद के सामने भड़काऊ नारे लगाए गए जिसके बाद मुसलमानों ने जवाबी कार्रवाई की। दोनों पक्षों ने अपने आरोपों को सही ठहराने के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो डालना शुरू कर दिया है।
मुस्लिम नेताओं ने आरोप लगाया कि मस्जिद पर भगवा झंडा फहराया गया, जबकि हिंदू नेताओं का कहना है कि न तो भगवा झंडा फहराया गया और न ही जुलूस में से कोई जबरन मस्जिद में घुसा।
मुस्लिम नेताओं का आरोप है कि दिल्ली पुलिस ने केवल मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई की, जबकि दिल्ली पुलिस चीफ राकेश अस्थाना ने कहा कि दोनों समुदायों के लोगों को हिरासत में लिया गया। अस्थाना ने कहा कि पुलिस कभी भी धर्म के आधार पर नहीं बल्कि सबूतों के आधार पर कार्रवाई करती है।
फिलहाल पुलिस टीम मास्टरमाइंड अंसार और उसके अन्य साथियों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड खंगाल रही है। साजिश की जांच के लिए जहांगीरपुरी और इसके आसपास के थाना इलाकों के अपराधियों की लिस्ट भी खंगाली जा रही है। अब तक दिल्ली पुलिस को दंगों से जुड़े लगभग 150 वीडियो फुटेज मिली हैं। FRS (Facial Recognition System या चेहरा पहचानने वाली प्रणाली) सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल दंगों में भाग लेने वालों के चेहरों से मिलान करने के लिए किया जा रहा है।
दिल्ली पुलिस की टीमें अब तक करीब 100 संदिग्धों से पूछताछ कर चुकी हैं। संदिग्धों के मोबाइल फोन खंगाले जा रहे हैं और उनके WhatsApp, टेलीग्राम ग्रुप्स के बारे में पता लगाने की कोशिश की जा रही है। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही हैं कि संदिग्ध लोग किन सोशल मीडिया अकाउंट्स को फॉलो कर रहे थे।
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीमों ने सोमवार को जहांगीरपुरी के कुशल चौक, सी ब्लॉक और अन्य ब्लॉक्स से 8 संदिग्धों को हिरासत में लिया। पुलिस ने सोमवार शाम को दंगों के दौरान अपनी पिस्तौल से फायरिंग कर रहे सोनू शेख को भी गिरफ्तार कर लिया जो कि 2 दिन से फरार चल रहा था। फायरिंग में एक गोली पुलिस सब-इंस्पेक्टर को लगी थी, जिसका अभी इलाज चल रहा है।
इंडिया टीवी के रिपोर्टर अभय पाराशर सोनू शेख के घर गए, जहां उसकी मां आसफिया ने बताया कि वे लोग पश्चिम बंगाल के हल्दिया के रहने वाले हैं और सोनू पार्किंग में पर्ची काटने का काम करता है। सोनू की मां ने माना कि वीडियो में पिस्तौल से फायरिंग करता दिख रहा शख्स उसका बेटा ही है, लेकिन यह भी कहा कि सोनू के पास कभी ऐसा कोई हथियार नहीं था। उसकी मां ने कहा कि सोनू ने पिस्तौल किसी और से ली होगी। उसने कहा, सोनू ‘रोजा’ खोलने के लिए घर आया था, लेकिन इलाके में शोरगुल सुनकर जल्द ही बाहर चला गया।
पुलिस अभी तक सोनू के पास से पिस्तौल बरामद नहीं कर पाई है। दंगे के तुरंत बाद उनके भाई सलीम शेख को गिरफ्तार कर लिया गया था। सलीम की चिकन की दुकान है और पुलिस ने उस पर पथराव करने, शांति भंग करने, पुलिसकर्मियों पर हमला करने और अवैध हथियार रखने का आरोप लगाया है।
जहांगीरपुरी की हिंसा का मास्टरमाइंड अंसार एक दिलचस्प शख्स है। जब पुलिस उसे कोर्ट ले जा रही थी तो उस वक्त वह मुस्कुरा रहा था और फिल्म ‘पुष्पा: द राइज’ के हीरो की तरह पोज दे रहा था। कबाड़ का धंधा करने वाले अंसार की कई तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें वह सोने की भारी-भरकम ज्वैलरी पहने दिख रहा है। वह इलाके में लोगों से वसूली भी करता है और कुछ पैसा जरूरतमंदों और गरीबों में बांटता है। इस जाने-माने हिस्ट्रीशीटर के खिलाफ पहले से ही 7 मामले दर्ज हैं।
एक अन्य तस्वीर में अंसार महंगी इंपोर्टेड शराब की बोतलों के साथ दिख रहा है। बी ब्लॉक के रहने वाले 35 वर्षीय अंसार को पहले भी 2 बार गिरफ्तार किया जा चुका है और वह जेल भी जा चुका है। उसने 2 साल पहले CAA के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में भी हिस्सा लिया था। हमारे रिपोर्टर को पता चला कि मोहम्मद अंसार ने जहांगीरपुरी में मेन रोड के कई हिस्सों पर कब्जा कर रखा है। इसके साथ ही उसने एमसीडी पार्क की सैकड़ों करोड़ रुपये की जमीन पर भी कब्जा किया हुआ है। वह MCD की जमीन छोटे-मोटे काम करने वालों को किराए पर देता है और इलाके के लोगों से प्रोटेक्शन मनी भी वसूलता है।
अंसार की एक और तस्वीर सामने आई जिसमें वह आम आदमी पार्टी की टोपी पहने दिख रहा था, लेकिन हमारे रिपोर्टर ने बताया कि तस्वीर के साथ छेड़छाड़ की गई थी। दिल्ली पुलिस चीफ ने कहा कि दंगों के मास्टरमाइंड अंसार के खिलाफ सबूत हैं, लेकिन AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया कि वह कई सालों से स्थानीय निवासियों की मदद कर रहा था। ओवैसी ने आरोप लगाया कि पुलिस सिर्फ मुसलमानों को गिरफ्तार कर रही है, जबकि जुलूस के दौरान तलवार लहराने वाले हिंदुओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
ओवैसी ने दावा किया कि अंसार भीड़ को शांत करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। ओवैसी भले ही आरोप लगा रहे हैं कि सिर्फ 14 मुसलमानों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन सच तो यह है कि दंगे के बाद 7 हिंदुओं को भी गिरफ्तार किया गया है। इनमें सूरज, नीरज, सुकेन, सुरेश और सुजीत सरकार शामिल हैं। 2 नाबालिग हिंदू लड़कों को भी गिरफ्तार किया गया है। उनके नाम कानून के तहत गोपनीय रखे गए हैं।
दिल्ली पुलिस चीफ राकेश अस्थाना ने ओवैसी के इस आरोप को खारिज किया है कि जुलूस में शामिल लोगों ने मस्जिद पर जबरन भगवा झंडा फहराया था। इंडिया टीवी के रिपोर्टर ने एक चश्मदीद मोहम्मद इब्राहिम से बात की, जिनका घर मस्जिद के पास ही है। इब्राहिम ने हमारे रिपोर्टर को बताया कि स्थानीय लोगों द्वारा समझाने-बुझाने के बाद जुलूस शांतिपूर्वक मस्जिद से आगे बढ़ गया था, और विवाद शोभायात्रा के चौराहे पर पहुंचने के बाद शुरू हुआ।
सोनू की मां मानती है कि उसके बेटे ने गुस्से में गोली चलाई। मस्जिद के बगल वाले घर में रहने वाले मोहम्मद इब्राहिम कहते हैं कि मस्जिद में भगवा लहराने जैसी कोई बात नहीं हुई। कबाड़ी मोहम्मद अंसार इलाके का रॉबिनहुड है, वह ‘पुष्पा’ फिल्म का बागी हीरो बना हुआ है। मैंने वह वीडियो भी देखा है जिसमें शोभायात्रा निकालने वालों के हाथ में तमंचे और तलवारें हैं।
ये सारी बातें चिंता में डालने वाली हैं, परेशान करने वाली हैं। दोनों पक्ष सच्चाई जानते हैं, लेकिन स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। कोई एक-दूसरे की बात मानने को तैयार नहीं है। सब अपनी नाक ऊंची रखना चाहते हैं, एक-दूसरे पर दंगा फैलाने, नफरत फैलाने का इल्जाम लगा रहे हैं।
सच का पता लगाने के लिए दिल्ली पुलिस को निष्पक्षता से और सख्त होकर जांच करनी होगी। जब तक जांच पूरी न हो, ये सुनिश्चित करना होगा कि लोग झूठ न फैलाएं, अफवाहें फैलाकर टकराव और बढ़ाने की कोशिश न करें।
नफरत फैलाने का काम तो गिने-चुने लोग करते हैं, जबकि समाज में दोनों समुदायों के ज्यादातर लोग प्यार-मोहोब्बत से रहना चाहते हैं। दिल्ली में जगतपुरी और सीलमपुर जैसे इलाके भी हैं, जहां रोजा रखने वाले मुसलमानों ने हनुमान जयंती के जुलूसों पर फूल बरसाए। हमें उनसे कुछ सीखना चाहिए।
Jahangirpuri: Do not spread hatred and lies, let police finish its probe
Fresh revelations have come forward that clearly establish that the violent clashes that took place during Hanuman Jayanti in Delhi’s crime-prone Jahangirpuri area on Saturday, was not a spontaneous clash, but was part of a pre-planned conspiracy.
Delhi Police has sent its preliminary report to the Ministry of Home Affairs in which it described the riot as a “pre-planned criminal conspiracy”. It describes how several bags filled with stones, bricks and empty bottles were stored on terraces by the conspirators. The facts that Delhi Police have collected about the miscreants who attacked the procession are surprising. Till now, 24 persons including the mastermind Ansar have been arrested and 15 others are being interrogated.
Police have registered FIRs against both the rioters and the organizers of the procession who had not taken prior permission. Prem Sharma, the district Sewa Pramukh of Vishwa Hindu Parishad, was interrogated by police on Monday. While Hindu leaders allege that the procession was stoned as part of a pre-planned conspiracy, Muslim leaders allege that swords and guns were brandished by some of those who took part in the procession.
Muslim leaders alleged that inflammatory slogans were chanted outside the mosque, and Muslims retaliated. Both sides have started circulating videos on social media to justify their allegations.
Muslim leaders alleged that saffron flag was hoisted on the mosque, but Hindu leaders say that no saffron flag was hoisted nor did anybody from the procession forcibly enter the mosque.
Muslim leaders alleged that Delhi Police took action only against Muslims, but Delhi Police chief Rakesh Asthana said, people from both communities were rounded up. Asthana added that police never takes action on the basis of religion but on the basis of evidences.
Presently, police teams are combing through all call detail records of mastermind Ansar and his other associates. List of local criminals active in Jahangirpuri area are also being checked to probe the conspiracy. So far, Delhi Police have collected nearly 150 videos about the riots. FRS (facial Recognition System) software is being used to match the faces of those who took part in the riots.
Nearly 100 suspects have been interrogated by Delhi Police teams till now. All cell phones used by suspects are being checked for traces about their WhatsApp, Telegram groups. Police teams are also checking which social media accounts were being followed by the suspects.
Delhi Police Crime Branch teams picked up eight suspects on Monday from Kushal Chowk, C Block and other blocks of Jahangirpuri. On Monday evening, Police arrested Sonu Sheikh, who was firing with his pistol during the riots and was absconding for two days. One of the bullets hit a police sub-inspector who is still undergoing treatment.
India TV reporter Abhay Parashar went to Sonu Sheikh’s house, where his mother Asafiya said, they hailed from Haldia, West Bengal and Sonu used to earn money by collecting parking charges. She recognized her son firing from a pistol in the video, but said Sonu never had any such weapon. He might have taken the pistol from somebody else, his mother said. She said, Sonu had come home to break ‘roza’(fast) but went out soon after hearing commotion in the locality.
Police is yet to recover the pistol from Sonu. His brother, Salim Sheikh was arrested soon after the riot. Salim has a chicken shop and police has charged him for indulging in stoning, breaking peace, attacking policemen and keeping illegal weapons.
The mastermind, Ansar, is an interesting fellow. He was smiling and posing like the hero of the movie ‘Pushpa: The Rise’, when he was being taken to court by police. A scrap dealer (kabaadi) by profession, Ansar, has posed in several photographs wearing costly gold ornaments. He has been in the business of extorting money, and helping the poor and the needy. A known history sheeter, there are already seven cases registered against him.
In another photograph, Ansar is showing with costly imported liquor bottles. A resident of B Block, this 35-year-old man was arrested twice earlier and had been to jail. He also took part in the anti-CAA protests two years ago. Our reporter found that Mohammed Ansar has grabbed several parts of the main road in Jahangirpuri and has also occupied MCD park area worth several hundred crores of rupees. He handed out portions of grabbed land to others to stay on rent, and used to collect protection money.
In another photograph, he was shown wearing an Aam Aadmi Party cap, but our reporter later found the photo to be morphed. Delhi Police chief said, there are evidences against the mastermind of the riot, Ansar, but AIMIM chief Asaduddin Owaisi claimed that Ansar had been helping local residents since several years. Owaisi alleged that police is only arresting Muslims, but no action was taken against Hindus who were brandishing swords during the procession.
Owaisi claimed that Ansar was trying to pacify the mob, but he was arrested by police. Owaisi may allege that 14 Muslims were arrested, but it is also a fact that seven Hindus have also been arrested after the riot. They include Suraj, Neeraj, Suken, Suresh and Sujit Sarkar. Two Hindu juveniles were also arrested. Their names have been kept confidential under law.
Delhi Police chief Rakesh Asthana has rubbished Owaisi’s charge that those who took part in the procession forcibly hoisted a saffron flag on the mosque. India TV reporter spoke to an eyewitness Mohammed Ibrahim, who lives in a house near the mosque. Ibrahim told our reporter that the procession had already crossed the mosque peacefully, after locals persuaded them to move head, but the trouble began when the procession reached a square.
Sonu’s mother admits that her son fired from a pistol out of anger, Ibrahim, who stays near the mosque, says no saffron flag was hoisted there, the scrap dealer Mohammed Ansar is a local ‘Robin Hood’ who swaggered like the rebel hero of the movie Pushpa. I have seen the video in which people brandishing swords and guns in a procession has been shown.
All these evidences are very much perturbing. Both the sides know the truth, but are unwilling to admit it. Neither side is ready to accept the other side’s opinion. This seems to be a battle of egos, where both sides are alleging that the other camp is spreading hatred and inciting people.
To reach to the bottom of the truth, Delhi Police will have to investigate impartially, vigorously and dispassionately. Till the time, the probe is not over, police must ensure that people show not spread lies and falsehood and incite feelings of others.
Only a handful of people try to spread hatred, while the vast majority in both communities want to live in peace. There are localities like Jagatpuri and Seelampur in Delhi, where Muslims, observing Ramzan, showered flowers on Hanuman Jayanti processions. Let us learn from them.
पीएफआई पर जल्द प्रतिबंध लगा सकती है केंद्र सरकार
देश के कई शहरों में रामनवमी जुलूस के दौरान हिंसा भड़काने की साजिशों में कथित संलिप्तता के कारण इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार गंभीरता से विचार कर रही है।
शुक्रवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने आपको दिखाया कि कैसे महाराष्ट्र में ठाणे के पास मुंब्रा में पीएफआई के एक स्थानीय नेता ने कहा कि अगर मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर को किसी ने छेड़ा तो अंजाम ठीक नहीं होगा। उसने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे को भी धमकी दी और कहा कि अगर मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाए गए तो सबसे पहले पीएफआई इसका विरोध करेगी और पूरा मुस्लिम समदाय इसके लिए लड़ेगा। पीएफआई ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें मुसलमानों से ज्यादा से ज्यादा चंदा देने को कहा गया है। इस वीडियो में यह कहा गया है कि आरएसएस से लड़ना जरूरी है और इसके लिए ज्यादा से ज्यादा जकात की जरूरत है।
रामनवमी के मौके पर देश के कई शहरों में शोभायात्राओं पर पत्थरबाजी, आगजनी के पीछे भी पीएफआई की साजिश के सबूत मिले हैं। गृह मंत्रालय के पास कई राज्यों की तरफ से डोजियर पहुंच चुका है और इसके बाद सरकार पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है।
अपने शो ‘आज की बात’ में हमने आपको दिखाया कि ठाणे के पास मुंब्रा में स्थानीय पीएफआई यूनिट हेड अब्दुल मतिन शेखानी ने जुमे की नमाज के बाद भड़काऊ भाषण दिया। भारी भीड़ और भड़काऊ नारों के बीच अब्दुल मतिन शेखानी ने मस्जिदों और मदरसों से लाउडस्पीकर हटाने पर ‘अंजाम’ भुगतने की धमकी दी।
राजस्थान के करौली में 2 अप्रैल को हिंदू नववर्ष के लिए निकाली गई शोभायात्रा पर पत्थरबाजी की में भी पीएफआई का लिंक सामने आया था। पीएफआई ने इस हिंसा से दो दिन पहले ही राजस्थान के मुख्यमंत्री और डीजीपी को एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें हिंसा की आशंका जताई गई थी। लेकिन अब पीएफआई खुद को मासूम दिखा रहा है। शुक्रवार को पीएफआई ने जयपुर में करौली हिंसा को लेकर विरोध मार्च निकाला और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
पीएफआई का गठन वर्ष 2006 में हुआ था। देश में मुसलमानों की हिमायत करने और मुसलमानों के मुद्दों को उठाने के लिए पीएएफआई का गठन किया गया था। लेकिन वर्ष 2010 में इंटेलिजेंस ब्यूरो ने पीएफआई के खिलाफ सरकार को एक डोजियर सौंपा था। इस डोजियर में साफ-साफ कहा गया था कि पीएफआई की गतिविधियां ठीक नहीं हैं। यह संगठन देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त है इसलिए इसपर प्रतिबंध लगाया जाए। इसके बाद वर्ष 2017 में पीएफआई के खिलाफ एक और डोजियर केंद्र सरकार भेजा गया। इस डोजियर में केरल, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, एमपी, कर्नाटक, तमिलनाडु और राजस्थान में हुई सांप्रदायिक घटनाओं में पीएफआई का हाथ बताया गया था।
फिलहाल मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर को लेकर विवाद हो रहा है। इस विवाद से माहौल गर्मा गया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र में मस्जिदों के पास लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू कर दिया है वहीं इसके जवाब में शरद पवार की एनसीपी के कार्यकर्ताओं ने पुणे के सखली पीर में एक हनुमान मंदिर में मुसलमानों के लिए ‘इफ्तार पार्टी’ का इंतजाम किया। मुंबई, वाराणसी, अलीगढ़, भोपाल, लखनऊ सहित देश के कई शहरों में इस मुद्दे को लेकर तनाव फैल रहा है। मुंबई में बीजेपी के एक स्थानीय नेता ने शहर के कई मंदिरों में मुफ्त लाउडस्पीकर भेजा है। उसने दावा किया है कि मुफ्त लाउडस्पीकर की मांग के लिए विभिन्न मंदिर ट्रस्ट से 9 हजार से ज्यादा आवेदन मिले हैं।
अब असली बात यह है कि न तो पीएफआई के नेताओं की नीयत ठीक है और न राज ठाकरे के भाव भक्ति से भरे हैं। पीएफआई मुसलमानों को भड़काने की कोशिश कर रही है और राज ठाकरे हनुमान चालीसा की बात करके खुद अपने राजनीतिक अस्तित्व बचाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि न मुसलमानों को पीएफआई की बातों पर भरोसा है, न हिन्दू राज ठाकरे की बातों में आ रहे हैं। इसलिए मुझे लगता है कि समझदारी से इस विवाद को खत्म करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एक सीमा से ज्यादा तेज आवाज में लाउडस्पीकर नहीं बजाया जाना चाहिए। चाहे मस्जिद हो या मंदिर, वहां एक निश्चित डेसीबल पर ही लाउडस्पीकर बजाया जा सकता है। शोर के हाइलेवल पर पाबंदी है। यह सही है कि कई जगह मस्जिदों में काफी हाई डेसिबल पर लाउडस्पीकर से अजान दी जाती है लेकिन इसका जवाब मंदिर में लाउडस्पीकर लगाकर देना ठीक नहीं है। हनुमान चालीसा और अजान के नाम पर टकराव से माहौल बिगड़ता है। और जब माहौल बिगड़ता है तो सबसे ज्यादा नुकसान बेकसूर लोगों का होता है।
मैंने अपने रिपोर्टर पवन नारा को मध्य प्रदेश में खरगोन के दंगा प्रभावित इलाकों में भेजा। वहां के हालात वाकई चिंताजनक हैं। दर्जनों घरों को आग के हवाले कर दिया गया। सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं। हमारे रिपोर्टर ने बताया कि शोभायात्रा पर पथराव तो बहाना था। हकीकत यह है कि शोभायात्रा के रूट से दो-दो, तीन-तीन किलोमीटर दूर के इलाकों में भी पत्थरबाजी हुई। घरों को लूटा गया और जलाया गया। चुन- चुन कर हिन्दुओं के घरों पर हमला किया गया। खरगोन की तस्वीरों वाकई भयावह हैं।
मैं चाहूंगा कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी भीड़ द्वारा जलाए गए घरों की तस्वीरें देखें। इस अपराध में शामिल लोगों को जेल में डाल देना चाहिए। उन्हें सभ्य समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है। इंडिया टीवी रिपोर्टर पिछले दो दिनों से खरगोन में हैं और उन्होंने हिंसाग्रस्त इलाकों का जायजा लिया। उन परिवारों से मिले जिनके घरों में आगजनी की गई, गोलीबारी हुई। जमीनी हालात देखकर कोई भी कहेगा कि दंगे का रामनवमी की शोभायात्रा से कोई लेना-देना नहीं था। यह एक गहरी साजिश है।
खरगोन के काजीपुरा इलाके में दंगाइयों ने हिंदुओं के घरों पर पेट्रोल बम और पत्थर फेंके। सीसीटीवी कैमरों से खुद को बचाने के लिए ज्यादातर दंगाइयों ने नकाब पहन रखा था। 17 साल के एक लड़के ने हमारे रिपोर्टर को बताया कि जब हिंसा शुरू हुई उस रात वह अपने घर में था। उसके घर पर भी पेट्रोल बम से हमला किया गया। पेट्रोल बम उसके बिस्तर पर गिरा और आग लग गई। इस लड़के की पूरी पीठ जल गई। दुख की बात यह है कि 17 साल के इस लड़के को जिन लोगों ने ये जख्म दिए हैं वो उसके मोहल्ले के लड़के है। उसे सबके नाम मालूम हैं।
ऐसी एक नहीं दर्जनों कहानियां हैं और सैकड़ों तस्वीरें हैं। खरगोन में दंगाइयों ने उस शख्स का भी घर जला दिया जो दूसरों के घरों में लगी आग को बुझा रहा था। फायर ब्रिगेड के कर्मचारी सुभाष गांगले दूसरों के घरों में लगी आग को बुझाने के लिए जी-जान से जुटे थे लेकिन तभी उन्हें खबर मिली हि आनंद नगर में दंगाइयों ने उनका घर जला दिया है। सुभाष ने हमारे रिपोर्टर से बस इतना ही कहा कि उन्होंने आग बुझाते वक्त कभी यह नहीं देखा कि घर हिन्दू का है या मुसलमान का। वो अपनी ड्यूटी करते रहे लेकिन दंगाइयों ने उनके ही घर में आग लगा दी।
इन लोगों का दर्द और इनकी तकलीफें सुनकर दिल भर आता है। हमारे रिपोर्टर पवन नारा ने कई पीड़ितों से मुलाकात की। बहुत से परिवार तो ऐसे हैं जिनके पास कपड़े तक नहीं बचे। क्योंकि जब आगजनी हुई तो वे लोग जिस हालात में थे उसी हालत में भागे और जब लौटे तो कुछ नहीं बचा था। इनमें से कई खुले आसमान के नीचे सड़कों पर डेरा डाले हुए हैं। कुछ लोगों ने अपने दोस्तों के घरों में पनाह ले रखी है। हमारे रिपोर्टर ने खरगोन के भाटवाड़ी इलाके में दिलीप कानूनगो के परिवार से मुलाकात की। दिलीप कानूनगो की 4 साल पहले मौत हो गई थी। घर में मां, बेटा और बेटी हैं। इनका पूरा घर जला दिया गया। जब दंगाई उनके घर को जला रहे थे उस वक्त मां अपने बच्चों के साथ पड़ोस के घर में तीसरी मंजिल पर छुपी थी। वह अपने घर को जलता हुआ देख रही थी। अब ये लोग रिश्तेदार के यहां रह रहे हैं। सब कुछ खाक हो जाने का गम भी है और इस बात का गुस्सा भी कि जिन्हें अपना समझा वहीं दुश्मन निकले। उसने हमारे रिपोर्टर को बताया कि वह दंगाइयों में से कई को जानती थी, जो उसके पड़ोसी थे।
अब इसमें कोई शक नहीं है कि खरगोन में जो हुआ वह पूरी प्लानिंग से हुआ। दंगे की साजिश थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि खरगोन में दंगे के लिए लोग बाहर से भी लाए गए थे। यह अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने दंगे में घायल लोगों का मुफ्त इलाज करवाने का आदेश दिया है। साथ ही जिन लोगों के घर जल गए उनके घर फिर से बनवाने का वादा किया है। वहीं उन्होंने दंगाइयों के खिलाफ भी कड़ा रुख अपनाया है। दंगे के आरोपियों के घर स्थानीय प्रशासन की ओर गिराए गए हैं। शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई करना ‘राजधर्म’ का हिस्सा है।
Centre may ban PFI soon
The Centre is seriously considering a proposal to ban the Islamic radical outfit People’s Front of India (PFI) because of its alleged involvement in conspiracies for fomenting violence during Hindu Ramnavami processions in several cities.
In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Friday night, we showed how a local leader of PFI in Mumbra near Thane, Maharashtra, threatened “consequences” if steps were taken to remove loudspeakers from mosques that exceed the permissible decibel limit. The PFI leader threatened Maharashtra Navnirman Sena chief Raj Thackeray and said that the Muslim community will fight back if the loudspeakers are removed. The outfit posted a video on social media appealing to Muslims to give more donations (zakat) “to fight the RSS”.
Meanwhile, several evidences have come to light that show that PFI was involved in carrying out stoning incidents during Ramnavami processions in several cities. The Home Ministry has prepared a dossier of reports received from several state governments, and a ban on PFI is on the anvil.
In my show ‘Aaj Ki Baat’ we showed Abdul Matin Shekhani, the head of the local PFI unit in Mumbra near Thane, giving a provocative speech after Friday prayers. In the midst of provocative slogans from a large crowd, Abdu Matin Shekhani threatened “consequences” if loudspeakers were removed from mosques and madrassas.
In Jaipur on Friday, PFI activists took out a protest march over Karauli violence and shouted anti-government slogans. There is evidence to show that PFI knew about violence going to happen in Karauli on April 2 during Hindu Nav Varsh procession. Two days before the procession, PFI had written a letter to Rajasthan chief minister expressing fears about violence during the procession.
PFI was set up in 2006 to raise Muslim issues in public. In 2010, Intelligence Bureau (IB) had submitted a dossier on PFI to the government, which clearly raised questions about the activities of PFI leaders. It said, some of these leaders were involved in anti-national activities, and the outfit should be proscribed. Another dossier was sent in 2017 to the Centre, which named PFI as the main hand behind communal incidents in Kerala, Andhra Pradesh, Manipur, MP, Karnataka, Tamil Nadu and Rajasthan.
Already the atmosphere is surcharged because of the controversy over loudspeakers. MNS activists have started reciting Hanuman Chalisa on loudspeakers near mosques in Maharashtra, and in response, Sharad Pawar’s NCP activists arranged ‘iftar party’ for Muslims at a Hanuman temple in Sakhli Pir, Pune. The tension is spreading to several cities like Varanasi, Aligarh, Bhopal, Lucknow and other cities. A local BJP leader in Mumbai has sent free loudspeakers to several temples in the city. He claimed that he has received more than 9,000 applications from temple trusts seeking free loudspeakers.
The point is: Neither the intent of PFI leaders is sincere, nor is that of MNS chief Raj Thackeray. PFI is trying to instigate Muslims on issues like ‘hijab’ and loudspeakers, while Raj Thackeray’s party is fighting for its political existence. Neither most of the Muslims trust PFI leaders, nor most of the Hindus trust Raj Thackeray’s sudden projection as a Hindutva leader. I think the loudspeaker controversy can easily be settled by following Supreme Court guidelines which have set a decibel limit. Reciting Hanuman Chalisa on loudspeakers is not the answer to mosques blaring Azaan at odd hours of night on loudspeakers. Such a confrontation can only lead to tension between Hindu and Muslim communities, and innocent people have to bear the consequences of communal violence.
I sent my reporter Pawan Nara to Khargone, MP, to visit the homes of affected people, who managed to save their lives from rioters. The situation there is truly alarming. Dozens of homes were set on fire, and several hundred people are now homeless. Our reporter described how homes on a stretch of two to three kilometres away from the place of stoning were set on fire by throwing petrol bombs.Hindu homes were targeted and looted by mobs. The images are really horrifying.
I would like Congress leader Digvijaya Singh and AIMIM chief Asaduddin Owaisi to see those visuals of homes burnt by mobs. Such criminals should be thrown into jail. They have no right to live in civil society. Our reporter, who has been in Khargone for the last two days, moved around localities and met families who have been shell-shocked after their homes were set on fire. The ground situation is such that it cannot be described as a result of stoning at a procession. The plot is deeper.
In Kazipura locality of Khargone, petrol bombs and stones were thrown by rioters on Hindu homes. Most of the rioters were masked, to protect themselves from cctv cameras. A 17-year-old youth told our reporter how he was in his house when the violence began. Petrol bombs were thrown at his house. One petrol bomb landed on his bed and the clothes caught fire. The youth said, he knew the attackers because they have been neighbours since childhood.
There are dozens of such instances. A fire brigade employee Subhash Gangle, who was busy dousing flames of others’ houses, returned to find his own house in Anand Nagar burnt by rioters. Subhash Gangle told our reporter, while working as a fire service personnel he never differentiated between houses of Hindus or Muslims, but this time his own house was targeted, because he was a Hindu.
Our reporter Pawan Nara met several victims who do not have even clothes to wear after their homes were gutted. Several of them are camping on streets under open sky, while some have gone to the homes of their friends. Our reporter went to the home of one Dilip Kanungo, in Bhatwadi locality of Khargone. Dilip had died four years ago, and his wife, son and daughter were staying in home. The entire home has now been reduced to ashes. The mother, along with her children, hid in the home of their neighbour, and from the third floor, she watched her home burnt by the mob. She told our reporter that she knew many among the rioters, who were her neighbours.
There is not an iota of doubt that the communal violence that took place in Khargone was pre-planned. People were brought from outside to take part in violence and arson. Chief Minister Shivraj Singh Chouhan has ordered free treatment for all injured people, and has also promised to rebuild the homes of the victims. He has also taken a tough line against rioters. Buildings of some riot accused have been razed by local officials. Chouhan said, taking action against rioters is part of “raj dharma”.
भारत विरोधी साज़िश रचनेवालों से हिंदू, मुसलमान दोनों सतर्क रहें
इस साल भारत के कई शहरों में रामनवमी और हिंदू नव वर्ष के त्योहारों पर निकाले गए जुलूसों पर पत्थरबाजी हुई और ऐसा लगता है कि कुछ ताकतें देश में दंगे करवा कर सांप्रदायिक उन्माद बढ़ाना चाहते हैं।
2 अप्रैल को राजस्थान के करौली में एक मुस्लिम इलाके में हिंदू नव वर्ष की शोभायात्रा पर पहले तो पत्थर बरसाए गए, फिर बाद में छुरेबाजी और आगजनी तक हुई। इसके बाद 10 अप्रैल को मध्य प्रदेश के खरगोन और गुजरात के आणंद में रामनवमी के जुलूसों पर पथराव किया गया।
बुधवार की रात मेरे प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कि कैसे आणंद में एक दरगाह के मौलवी ने रामनवमी की शोभायात्रा पर पत्थरबाजी की साजिश को अंजाम दिया। इसके लिए एक-एक बात की जिम्मेदारी तय की गई कि किसको पैसों का इंतजाम करना है, किसको लड़कों का इंतजाम करना है और किसको पत्थरों की व्यवस्था करनी है। गुजरात पुलिस ने इस साजिश का पर्दाफाश करते हुए 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। स्थानीय मुसलमानों को इस बारे में कुछ नहीं बताया गया ताकि साजिश का खुलासा न हो सके।
पुलिस ने जो जानकारी दी, वह चौंकाने वाली है। 10 अप्रैल को हिंदुओं ने आणंद शहर के खंभात में एक जुलूस निकाला, जिस पर पथराव किया गया और जल्द ही आगजनी होने लगी। कई दुकानें जला दी गईं। आणंद में हर साल शांतिपूर्वक रामनवमी के जुलूस निकाले जाते थे, और मुसलमान कब्रिस्तान के पास इन जुलूसों का स्वागत करते थे, लेकिन इस बार एक खतरनाक साजिश रची गई थी।
इस पूरे प्लान का मास्टरमाइंड रज्जाक हुसैन पटेल उर्फ मौलवी अयूब मलिक था। उसने रामनवमी की शोभायात्रा पर पथराव की प्लानिंग एक हफ्ते पहले कर ली थी। अधिकारियों से इजाजत लेकर खानभाट में श्री राम सेना द्वारा जुलूस निकाला गया था। पुलिस की जांच में पता चला कि मौलवी रज्जाक ने अपने 2 सहयोगियों के साथ जुलूस में हिंसा करके उसे खत्म करने की साजिश रची गई थी। गिरफ्तार लोगों ने पुलिस को बताया कि उनका मकसद हिंदुओं के मन में डर पैदा करना था ताकि भविष्य में वे जुलूस निकालने की हिम्मत न करें।
गुजरात पुलिस ने बताया कि मौलवी रज्जाक की मदद माजिद, जमशेद जोरावर खान, मुस्तकीम उर्फ मौलवी यूनुस खान, मोहम्मद सईद और मतीन अल्टी ने की थी। मतिन ने पैसों का इंतजाम किया था, जबकि जमशेद, जोरावर खान और मौलवी यूनुस खान ने जुलूस पर पथराव करने के लिए बाहर से लड़के लेकर आए। आणंद जिले के एसपी अजित राजियान ने कहा कि शोभायात्रा पर पथराव के लिए कब्रिस्तान को चुना गया ताकि पत्थर आराम इकट्ठा किए जा सकें और पथराव करने वाले आसानी से भाग सकें। वे पूरे गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़काना चाहते थे।
इंडिया टीवी के रिपोर्टर निर्णय कपूर खंभात के शकरपुर इलाके में गए और ठीक उस जगह का दौरा किया जहां 10 अप्रैल को पत्थरबाजी हुई थी। मौलवी रज्जाक हुसैन कब्रिस्तान में ही बनी एक दरगाह में रहता है। साजिश का खुलासा तब हुआ जब गुजरात पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्ते ने जमशेद जोरावर खान को गिरफ्तार किया। जमशेद ने स्वीकार किया कि हिंसा से एक दिन पहले युवाओं को भरूच और अहमदाबाद से आणंद लाया गया था। आणंद के एसपी ने कहा कि पत्थरबाजों को पैसे दिए गए और पकड़े जाने पर कानूनी मदद का वादा किया गया।
यह पहली बार था जब आणंद में रामनवमी की शोभायात्रा पर हमला किया गया था। इस शहर में हिंदू और मुसलमान शांतिपूर्वक त्योहार मनाते आए थे। इस बार मकसद दोनों समुदायों के बीच एक दरार पैदा करने का था। साजिशकर्ता उस समय अपने मकसद में कुछ हत तक कामयाब भी हुए जब शांति से शोभायात्रा निकल रहे हिंदू पत्थरबाजी शुरू होने के बाद बदहवास होकर इधर-उधर भागने लगे। कई दुकानों में आग लगा दी गई और एक शख्स की जान चली गई। यह बड़ी बात है कि गुजरात पुलिस ने 72 घंटे के भीतर पूरी साजिश का पर्दाफाश कर दिया और सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
आणंद में तो माहौल अब शांत है, लेकिन साबरकांठाके हिम्मतनगर में लोग अब भी डरे हुए है। रामनवमी के दिन हिम्मतनगर में भी साजिश के तहत हिंसा हुई थी। पुलिस अब तक 40 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। हिम्मतनगर में दंगाइयों ने वंजारा समाज के भक्तों के घरों पर जमकर पत्थरबाजी की थी और पेट्रोल बम फेंके थे। अब हालत यह है कि डर और खौफ के कारण 8 वंजारा परिवारों ने अपना घर-बार छोडकर इस इलाके से पलायन करने की तैयारी कर ली थी। हालांकि जब इसकी खबर पुलिस और प्रशासन को मिली, तो अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्होंने लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया, तब जाकर वंजारा परिवार वहां रहने पर राजी हुए।
गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने मंगलवार को साबरकांठा का दौरा किया और स्थानीय पुलिस को पीड़ित परिवारों को पूरी सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया। हमले के बारे में बताते हुए एक पीड़ित ने कहा कि उनके घरों पर जमकर पत्थर बरसाए गए और पेट्रोल बम फेंके जाने के तुरंत बाद आग लग गई। उन्होंने कहा कि उनके घर आगजनी और पथराव के बावजूद इसलिए टिके रहे क्योंकि उनकी छतों पर लोहे की चादर लगी हुई थी। पीड़ितों में से एक ने कहा कि चांद नगर से करीब 500 लोगों की भीड़ आई थी।
मध्य प्रदेश के खरगोन में भी कई हिंदू परिवार पहले ही मुस्लिम इलाकों से पलायन कर चुके हैं। रामनवमी (10 अप्रैल) के बाद से अभी भी कर्फ्यू जारी है। मध्य प्रदेश पुलिस ने कहा कि दंगाइयों ने तालाब चौक इलाके में पत्थर जमा किए थे और उनमें से कई लाठी, चाकू, तलवार और बंदूकों से लैस थे। पुलिस को कई वीडियो मिले हैं जिनमें दंगाइयों के चेहरे साफ पहचाने जा सकते हैं। फिलहाल तो वहां शांति है, लेकिन हिंदुओं और मुसलमानों के बीच अभी भी अंदर ही अंदर तनाव फैला हुआ है।
इलाके में बड़ी संख्या में सशस्त्र पुलिस तैनात की गई है और सुरक्षा बढ़ा दी गई है। लोगों का कहना है कि अभी तो पूरे इलाके बड़ी तादाद में पुलिस तैनात है इसलिए शांति है, लेकिन पुलिस के जाने के बाद उनपर फिर खतरा पैदा हो जाएगा। उनका कहना है कि 10 साल में तीसरी बार दंगा हुआ है, और हर बार हिंदू त्योहारों के वक्त माहौल को खराब करने की कोशिश होती है। 2015 में विजयदशमी के मौके पर रावण दहन करके लौट रहे हिंदुओं पर पथराव किया गया था। 2018 में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी और इस साल रामनवमी के जुलूस पर पथराव किया गया और दुकानों को जला दिया गया। मुस्लिम इलाकों में हिंदू परिवार डर के साए में जी रहे हैं। पुलिस अधिकारी उन वीडियो के सहारे पत्थरबाजों को पहचानने की कोशिश कर रहे हैं, जिन्हें हमले के दौरान अपने घरों में दुबके लोगों ने बनाया था। इन वीडियो में दंगाई न सिर्फ जुलूस बल्कि हिंदुओं के घरों पर पथराव करते दिख रहे हैं।
कुछ दंगाइयों ने घरों में घुसने के लिए गेट तोड़ने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। हिंसा के हालात खुद-ब-खुद नहीं बने थे, बल्कि इसकी प्लानिंग पहले से ही की गई थी। दंगाइयों के पास पेट्रोल बम और बंदूकें थीं। स्थानीय एसपी के भी पांव में गोली लगी थी और वह घायल हो गए थे।
घायल एसपी ने इंडिया टीवी को बताया कि जब पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे तो दंगाइयों ने कैसे पेट्रोल बम से हमला किया। पेट्रोल बमों की मौजूदगी साफतौर पर पहले से ही हिंसा के इरादे की तरफ इशारा करती है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दंगाइयों द्वारा निजी और सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान का आकलन करने और 3 महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक ट्राइब्यूनल का गठन किया है। यह ट्राइब्यूनल, जिसमें रिडायर्ड जस्टिस शिव कुमार मिश्रा और पूर्व सचिव प्रभात पाराशर शामिल हैं, दंगाइयों से हर्जाना वसूलने के उपाय भी सुझाएगा।
अब तक स्थानीय अधिकारियों ने दंगाइयों के 16 घरों और 34 दुकानों पर बुलडोजर चलाया है और 95 दंगाइयों को जेल भेजा है। जब पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्राइब्यूनल के गठन का विरोध किया, तो मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पलटवार करते हुए कहा, ‘दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के दोहरे चरित्र को उजागर किया है। एक तरफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अपने कार्यकर्ताओं से रामनवमी और हनुमान जयंती मनाने को कहा है तो दिग्विजय सिंह उन लोगों का समर्थन कर रहे हैं जिन्होंने इन त्योहारों के दौरान हिंसा का सहारा लिया। हमारी सरकार दंगाइयों के खिलाफ कड़े कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी।’
इस बीच भोपाल के शहर काज़ी ने इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए एक नया सुझाव दिया है। शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी ने सभी मस्जिदों के मौलानाओं से कहा है कि वे अपने यहां सीसीटीवी लगाएं, जिससे पता चले कि गड़बड़ी किन लोगों ने की। उन्होंने ये बातें खरगोन हिंसा और उसके बाद हो रहे एक्शन को लेकर मध्य प्रदेश के डीजीपी से मुलाकात के बाद कीं। नदवी ने कहा कि अगर मस्जिदों के बाहर CCTV लगा होगा, तो गड़बड़ी कौन कर रहा है इसकी हकीकत पता लग जाएगी,वरना इसी तरह मुसलमानों के घर पर बुलडोजर चलते रहेंगे।
रामनवमी के दिन साजिश के तहत खरगोन में हिंसा हुई, और साजिश के सबूत भी मिल गए। वीडियो फुटेज से आरोपियों की पहचान हुई, और सबूत मिलने के बाद आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चले तो अब यह फैलाया जा रहा है कि सरकार जानबूझकर मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चला रही है। ये गलत है, और जो लोग इस तरह की बातें फैला रहे हैं, वे मुसलमानों के दुश्मन हैं। खरगोन के एसपी के पैर में गोली लगी है, पुलिस वाले घायल हैं। दुकानों और गाड़ियों को जला दिया गया और ये सब एक पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा था। इसके बाद भी अगर सरकार की सख्त कार्रवाई पर सियासत हो तो यह दुख की बात है।
गुजरात और मध्य प्रदेश में दंगाई कम से कम गिरफ्तार तो किए गए, लेकिन राजस्थान के करौली में मुख्य साजिशकर्ता मतलूब अहमद अभी भी फरार है और उसे पकड़ा जाना बाकी है। 2 अप्रैल को करौली में हिंदू नव वर्ष की रैली के दौरान पथराव, आगजनी और हिंसा हुई थी। दंगाइयों की पहचान कर ली गई है, लेकिन मुख्य साजिशकर्ता अभी भी फरार है।
करौली अब कांग्रेस, बीजेपी और अन्य राजनीतिक दलों के लिए सियासी जंग का मैदान बन गया है। बुधवार को राजस्थान पुलिस ने बीजेपी की यूथ विंग के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पुनिया को करौली जाने से रोक दिया। पार्टी ने शहर में ‘न्याय यात्रा’ निकालने की योजना बनाई थी, लेकिन राज्य सरकार ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। करौली से करीब 30 किलोमीटर दूर हिंडन में बीजेपी कार्यकर्ताओं को रोका गया। बीजेपी नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, लेकिन जल्द ही उन्हें रिहा कर दिया गया।
बीजेपी के युवा नेता तेजस्वी सूर्या ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तीखा हमला करते हुए कहा, ‘क्या अब करौली पाकिस्तान में है? क्या हमें करौली जाने के लिए वीजा लेना पड़ेगा?’ राज्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा, ‘करौली जाने की इजाजत देने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन बीजेपी के इस जुलूस का मकसद और ज्यादा तनाव पैदा करना था। करौली में अब शांति है और बीजेपी को इसी बात का दुख है। यही वजह है कि बीजेपी के नेता न्याय यात्रा नहीं बल्कि दंगा यात्रा निकालने के लिए करौली जाना चाहते थे।’
करौली हिंसा के मामले में राजस्थान पुलिस ने अब तक 23 लोगों को गिरफ्तार किया है लेकिन हिंसा का मुख्य आरोपी और स्थानीय पार्षद मतलूब अहमद अब तक फरार है। वहां रह रहे 7 हिंदू परिवारों ने मुस्लिम इलाके को छोड़ दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा, कांग्रेस सरकार जुलूसों को रोकने के लिए धारा 144 लागू करती है, लेकिन साथ ही रमजान के दौरान मुस्लिम इलाकों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति का आदेश देती है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ‘मुसलमानों को खुश करने के लिए हिंदुओं के खिलाफ काम कर रही है।’ AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, गहलोत सरकार करौली में हिंसा को रोक सकती थी, लेकिन अब उसे कम से कम पीड़ितों को मुआवजा और दंगाइयों को सजा देनी चाहिए। ओवैसी को भी बुधवार को करौली जाने से रोक दिया गया था।
भारत में ज्यादातर हिंदू और मुसलमान शांति से रहना चाहते हैं। कोई नहीं चाहता कि दंगा-फसाद हो, खून-खराबा हो, लेकिन दोनों जगह थोड़े-बहुत ऐसे तत्व हैं जो नफरत फैलाते हैं, भावनाओं को भड़काते हैं, लोगों को लड़ाते हैं। गुजरात में, मध्य प्रदेश में, राजस्थान में रामनवमी के दिन ऐसे ही लोगों के कारनामों का एक सिलसिला दिखाई दिया। यह सिर्फ एक संयोग नहीं है कि उसी दौरान पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स ने सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया कि भारत में मुसलमानों पर जुल्म हो रहा है, जबकि इसका जमीनी हकीकत से कुछ लेना-देना नहीं है।
अमेरिका में हिजाब पहन कर खुद को इस्लाम की योद्धा के रूप में पेश करने वाली महिला सीनेटर इल्हान उमर ने प्रधान मंत्री मोदी की तुलना चिली के तानाशाह ऑगस्टो पिनोशे से करने की कोशिश की। उन्होंने यह तब किया, जब भारत के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री वॉशिंगटन में थे और शीर्ष स्तर के 2+2 संवाद में व्यस्त थे। सोशल मीडिया पर भारत विरोधी रिऐक्शन का ही असर था कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत में ‘मानवाधिकारों के हनन’ पर टिप्पणी की। भारत में लोगों को इन सारी बातों पर गौर करना चाहिए और साजिश करने वालों के इरादों को नाकाम करना चाहिए। हम सब मिलकर ये तय करें कि हिंदू और मुसलमान शांति से रहेंगे।
Why Hindus and Muslims must remain alert against Hate India conspirators
Processions on Ramnavami and Hindu New Year festivals were stoned in several cities of India this time. There seems to be some conspirators at work who want to foment communal violence.
On April 2, a Hindu New Year procession was stoned inside a Muslim locality in Karauli, Rajasthan, which led to stabbing and arson. This was followed by stoning of Ramnavami processions in Khargone, Madhya Pradesh and Anand, Gujarat on April 10. In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Wednesday night, we showed how the moulvi of a dargah in Anand, executed a plot to stone a Ramnavami procession, by assigning tasks of collecting stones, arranging finance and bringing in outsiders. Gujarat Police has arrested nine persons after unravelling this conspiracy. Local Muslims were completely kept out of this conspiracy, so that the plot was not leaked out.
The inputs that were gathered by police were amazing. On April 10, Hindus took out a procession in Khambhat of Anand town, it was stoned and this soon led to arson. Several shops were burnt. Ramnavami processions used to be taken out in Anand every year peacefully, and Muslims used to welcome thse processions near the graveyard, but this time, there was a sinister plot at work.
The mastermind was Razzaq Hussain Patel alias Moulvi Ayub Malik, who had planned the stoning a week ago. The procession as taken out by Sri Ram Sena in Khanbhat by taking prior permission from authorities. Police investigation showed that Moulvi Razzaq along with his two associates planned a violent end to the procession. Those arrested told police that their aim was to strike fear in the minds of Hindus so that they would refrain from taking out procession in future.
Gujarat police said, Moulvi Razzaq was helped by Majid, Jamshed Zorawar Khan, Mustaqueem alias Moulvi Yunus Khan, Mohammed Sayeed and Matin Alti. Matin arranged finance, while Jamshed, Zorawar Khan and Moulvi Yunus Khan arranged to bring outsiders to stone the procession. The location of graveyard was identified, so that stones could be collected and stone throwers could escape easily, said Ajit Rajian, SP of Anand district. The plan was to foment communal violence across Gujarat.
India TV reporter Nirnay Kapoor went to Shakkarpur locality in Khambhat and visited the spot where the stoning took place on April 10. Moulvi Razzaq Hussain stays in the dargah built at the kabristan (graveyard). The plot was unravelled when Gujarat Police anti-terrorist squad arrested Jamshed Zorawar Khan, who admitted that youths were brought in from Bharuch and Ahmedabad to Anand a day before the violence. The stone throwers were paid money, and were promised legal assistance if they were caught, Anand SP said.
This was the first time that a Ramnavami procession was attacked in Anand, where Hindus and Muslims used to celebrate the festival peacefully. The aim this time was to strike a wedge between both communities, and the plotters succeeded to some extent, when Hindus who took part in the peaceful procession, ran for their lives when stoning began. Several shops were set on fire and one person died. It goes to the credit of Gujarat Police that it unravelled the conspiracy and arrested all accused within 72 hours.
But in Himmatnagar of Sabarkantha district, people are still living in fear. Police arrested 40 persons after violence took place in Himmatnagar during Ramnavami. Stones and petrol bombs were thrown on the devotees. Eight Vanzara families decided to leave their localities out of fear, but later agreed to stay after local officials promised them adequate security.
Gujarat Home Minister Harsh Sanghvi visited Sabarkantha on Tuesday and ordered local police to provide full protection to affected families. Describing the attack, one of the affected persons said, huge stones were rained on their houses and soon after petrol bombs were thrown leading to fire. He said, their houses remained intact because the roofs were built with galvanized iron beams. One of them said, a mob of nearly 500 people came from Chand Nagar.
In Khargone, Madhya Pradesh, several Hindu families have already joined an exodus from Muslim localities. Curfew is still in place since Ramnavami (April 10). MP police alleged that the rioters had collected stones in Talab Chowk locality and many of them were armed with lathis, knives, swords and guns. Police have obtained several videos which clearly identify the faces of rioters. At present, there is peace but there is still an undercurrent of tension between Hindus and Muslims.
Armed police have been deployed in large numbers and security has been beefed up. Local residents say, this is the third time, riots have taken place in the last ten years, and every time, riots take place during Hindu festivals. In 2015, Hindus returning after Ravan Dahan on Vijaydashami festival were stoned. There was communal violence in 2018, and this year, Ramnavami procession was stoned and shops were burnt. Hindu families are living in fear inside Muslim localities. Police officials are going through videos made by people who were cowering in fear inside their homes, when rioters not only stoned the procession but also homes belonging to Hindus.
Some rioters tried to break over the gates to enter homes, but failed. This was, by no means, a spontaneous violence, but was carefully planned in advance. The rioters were armed with petrol bombs and guns. The local SP was injured when a bullet hit his foot.
The injured SP told India TV how rioters threw petrol bombs when police started firing tear gas shells to disperse the mob. The presence of petrol bombs clearly points towards a carefully planned conspiracy. MP chief minister Shivraj Singh Chouhan has set up a Tribunal consisting of Retd Justice Shiv Kumar Mishra and former Secretary Prabhat Parashar, to assess the damage caused to private and public properties by rioters and submit a report within three months. The tribunal will also suggest measures to collect damages from rioters.
Till now, 16 houses and 34 shops belonging to rioters have been destroyed by local authorities by using bulldozers. Ninety five rioters have been jailed. When former CM and Congress leader Digvijaya Singh opposed the setting up of tribunal, MP Home Minister Narottam Mishra retorted by saying, “Digvijaya Singh has exposed the double character of Congress. On one hand, state Congress chief Kamal Nath has asked his workers to celebrate Ramnavami and Hanuman Jayanti, Digivijay Singh is supporting those who resorted to violence during these festivals. Our government will not desist from taking stringent measures against rioters”.
Meanwhile, the city Kazi of Bhopal Syed Mushtaq Ali Nadvi has advised Maulanas of all mosques in the city to install CCTV cameras to record all violent activities. He said this after meeting the state police chief. The Kazi said that cctv cameras installed outside mosques will clearly identify the miscreants, otherwise Muslims will have to face bulldozers on their houses.
Whatever happened in Khargone on Ramnavami festival was part of a well-planned conspiracy. The videos clearly identify the rioters, and on the basis of this identification, local administration used bulldozers on the houses of those who indulged in stoning and arson. This is now being wrongly propagated as a questionable act against Muslims on the part of government. Those making such allegations are doing a disservice to Muslim community. The rioters shot the SP of Khargone in his leg, shops and vehicles were burnt and all these were part of a pre-planned conspiracy. It is unfortunate that action taken by the government is now being politicized.
At least, rioters were arrested in Gujarat and Madhya Pradesh, but in Karauli, Rajasthan, the main conspirator, Matlub Ahmed is still undergound, and is yet to be arrested. There was stoning, arson and violence during Hindu New Year rally in Karauli on April 2. The rioters have been identified, but the main conspirator is still at large.
Karauli has now become a political hot spot for Congress, BJP and other political parties. On Wednesday, Rajasthan Police prevented BJP’s youth wing president Tejaswi Surya and state BJP chief Satish Punia from going to Karauli. The party had planned to take out a ‘Nyay Yatra’ in the town, but the state government refused to grant permission. BJP workers were stopped at Hindon, nearly 30 km away from Karauli. BJP leaders were taken into custody by police but were released soon afterwards.
BJP youth leader Tejaswi Surya lashed out at Rajasthan chief minister Ashok Gehlot by saying: “Is Karauli now in Pakistan? Should we apply for visa to visit Karauli?” State Minister Pratap Singh Khachriawas said, “there is no problem in allowing entry to Karauli, but the objective of this BJP procession was intended to cause more tension. Since there is now peace in Karauli, BJP leaders want to take out ‘Danga Yatra’ and not ‘Nyay Yatra’”.
Till now, Rajasthan police has arrested 23 persons, but the main accused is still underground. Seven Hindu families have left the Muslim locality where they were staying. Former Union Minister Rajyavardhan Singh Rathore said, Congress government imposes Section 144 to stop processions, but simultaneously orders 24 hour power supply in Muslim localities during Ramzan. He alleged that the Congress government was “working against Hindus in order to appease Muslims.” AIMIM chief Asaduddin Owaisi said, Gehlot government could have prevented violence in Kasauli had it wanted so, but now it should at least give compensation to those affected and punish the rioters. Owaisi was also stopped from entering Kasauli on Wednesday.
Most of the Hindus and Muslims want to live in peace in India. Nobody wants riots, violence or bloodshed, but there are elements in both communities, who are trying to spread hatred and inflame passions. They try to pit one community against other. This was a clear, uniform pattern that has been noticed in Gujarat, Madhya Pradesh and Rajasthan during festival days. It is not a coincidence that violence took place at a time when handlers sitting in Pakistan are trying to mount Hate India campaign on international and social media. Their sole aim is to level charges that Muslims are under attack in India, which obviously, is not the ground reality.
The female US Senator Ilhan Omar, who wears a hijab in America, projects herself as a self-styled crusader for Islam. She has tried to compare PM Modi with dictators like Augusto Pinochet of Chile. She did this at a time, when India’s External Affairs Minister and Defence Minister were in Washington and were busy in top-level 2+2 dialogue. It was because of such reactions on social media, that US Secretary of State Antony Blinken spoke about “human rights abuses’ in India.
People in India and abroad should realize the nefarious objectives of such forces, and must nip their conspiracies in the bud. All of us must ensure that both Hindus and Muslims should live in peace.
पाकिस्तान ने सोशल मीडिया पर कैसे चलाया ‘हेट इंडिया’ कैंपेन
आज मैं यह बताना चाहता हूं कि कैसे पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में बैठे लोगों ने मंगलवार को सोशल मीडिया के जरिए पूरी दुनिया में ‘हेट इंडिया’ कैंपेन चलाया। उनका एकलौता मकसद दुनियाभर में भारत को बदनाम करना था। इस्लामाबाद में इसकी प्लानिंग की गई, कराची और रावलपिंडी में नफरत की फैक्ट्रियों को सक्रिय कर दिया गया। सोशल मीडिया पर भारत की छवि खराब करने के लिए, मुल्क को बदनाम करने के लिए झूठ फैलाया कि भारत में मुसलमानों पर जुल्म हो रहा है, उनका कत्लेआम हो रहा है, उनकी आजादी छीनी जा रही है। यह झूठ फैलाया गया कि भारत में मस्जिदें तोड़ी जा रही है।
मैंने इंडिया टीवी के रिपोर्ट्स से उन स्रोतों की गहन जांच करने को कहा, जहां से ये झूठ फैलाया गया था। मामले की तहकीकात के बाद जो पहली बात पता चली उसके मुताबिक यह पहले से ही तय कर लिया गया था कि भारतीय समयानुसार शाम 5 बजे #IndianMuslimsGenocide को ट्रेंड कराना है। इसके तुरंत बाद सऊदी अरब, पाकिस्तान, नीदरलैंड, जर्मनी, इटली, मलेशिया और अन्य देशों में बैठे पाकिस्तानी एजेंटों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत को बदनाम करने के लिए एक साथ हजारों ट्वीट किए।
ट्विटर पर मंगलवार को एक और हैशटैग #IndianMuslimsUnderAttack भी ट्रेंड कर रहा था। इस हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए करीब डेढ़ लाख ट्वीट्स किए गए थे। इन ट्वीट्स को पाकिस्तान, टर्की और कुछ खाड़ी के देशों से ट्रेंड करवाया जा रहा था। एनालिटिक्स से पता चला कि 30 फीसदी ट्वीट्स पाकिस्तान से किए गए थे, जबकि सऊदी अरब 18.5 फीसदी ट्वीट्स के साथ दूसरे नंबर पर था। इनके बाद नीदरलैंड (8 फीसदी), यूएई (3.9 फीसदी), इटली (3.6 फीसदी), जर्मनी (3.05 फीसदी), कनाडा (2.09 फीसदी), ब्रिटेन (2.9 फीसदी) और अन्य देश (22.5 फीसदी) थे।
आइए, मैं आपको कुछ ट्वीट्स के बारे में बताता हूं। खुद को कराची का पत्रकार होने का दावा करने वाले किसी बाबर मलिक ने ट्विटर पर लिखा, ‘नए इज़राइल में आपका स्वागत है। जितना तुम हमें दबाओगे, हम उतने ही मजबूत होंगे। मुसलमानों को एकजुट होने और इस हिंदुत्व आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का समय आ गया है।’ फर्जी वीडियो और तस्वीरों का इस्तेमाल करते हुए उसने यह भी लिखा: ‘भारत में मुसलमानों की दुकानें, उनके घर, यहां तक कि मस्जिदों को भी तोड़ा या जलाया जा रहा है। अब वे संगठन कहां हैं जो आतंकवाद और इस्लामोफोबिया को रोकने के दावे करते थे?’
रावलपिंडी के फरहान कुरैशी नाम के एक अन्य पाकिस्तानी यूजर ने #IndianMuslimsUnderAttack हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए ट्वीट किया, ‘Endia is an animal farm।’ भारत (India) के लिए उसने Endia स्पेलिंग इस्तेमाल की थी। इस हैशटैग के तहत पाकिस्तानी हैंडल्स से भारत की आलोचना करने वाले हजारों ट्वीट किए गए, जो जल्द ही टॉप पर ट्रेंड करने लगे। इनमें से ज्यादातर ट्वीट हिंदू विरोधी, भारत विरोधी और भारत के प्रति नफरत से भरे थे। अधिकांश ट्वीट पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और इसके आसपास के इलाकों (फेडरल कैपिटल टेरिटरी) से थे, जहां से लगभग 84 प्रतिशत पाकिस्तानियों ने भारत के खिलाफ जहर उगलते ट्वीट किए।
पाकिस्तान के बाद टर्की का नंबर आता है, जहां से हजारों भारत विरोधी ट्वीट किए गए। आखिर हाशमी नाम के एक ट्विटर यूजर ने अपने ट्वीट में आरोप लगाया कि भारत में मुसलमानों के धार्मिक स्थल अब सुरक्षित नहीं हैं। आखिर हाशमी भारतीय नहीं, बल्कि टर्की के नागरिक हैं जो इस्तांबुल में बैठकर हिंदुस्तान की छवि खराब कर रहा है। इस्तांबुल के ही एक अन्य यूजर ने लिखा कि भारत की मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतारे जा रहे हैं और मुसलमानों पर जुल्म हो रहा है। जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। भारत में किसी भी मस्जिद से लाउडस्पीकर नहीं हटाए गए। सबसे ज्यादा ट्वीट टर्की की राजधानी अंकारा और यहीं के एक अन्य शहर किरसेहिर से किए गए।
आप कहेंगे कि अगर कोई इस तरह के बकवास ट्वीट करता भी है कि तो इससे क्या फर्क पड़ता है? लेकिन मैं आपको बता दूं कि इस तरह की साजिश का बहुत असर होता है। ये ट्वीट भारत और अमेरिका के बीच वॉशिंगटन में 2+2 वार्ता समाप्त होने के तुरंत बाद आए, और अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से ट्विटर के इन ट्रेंडिंग टॉपिक्स के आधार पर भारत में मानवाधिकार के मुद्दों के बारे में पूछा गया। ब्लिंकन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हम सरकार, पुलिस और जेल के कुछ अधिकारियों द्वारा मानवाधिकार हनन के मामलों में वृद्धि समेत भारत में हाल के कुछ चिंताजनक घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं।’ बहरहाल, उन्होंने इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी।
हकीकत यह है कि भारत में किसी भी मस्जिद से एक भी लाउडस्पीकर नहीं हटाया गया, लेकिन विदेश में बैठे ये लोग सच्चाई जाने बगैर ट्वीट कर देते हैं और जिन्हें हकीकत मालूम नहीं है, वे इस झूठ को ही सच मान लेते हैं। यह सब काफी सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। इसकी टाइमिंग दिखाती है कि कैसे भारत विरोधी ताकतें झूठ पर पनप रहे एक भरे-पूरे इकोसिस्टम की मदद से देश को बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं। इसी के तहत विदेशी अखबारों और पत्रिकाओं में भारत के खिलाफ आर्टिकल और कॉलम लिखे जा रहे हैं।
इस काम के लिए अमेरिकी सांसदों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। उनमें से सबसे प्रमुख मिनेसोटा की सीनेटर इल्हान उमर हैं, जिन्होंने बायडेन-मोदी वर्चुअल समिट की पूर्व संध्या पर बायडेन प्रशासन से कहा कि वह भारत में मानवाधिकार कि रिकॉर्ड पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अपनी बात और जोरदार तरीके से रखे।
भारत के खिलाफ प्रॉपेगैंडा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाली इल्हान उमर ने हाउस फॉरेन रिलेशंस कमेटी के सामने गवाही देते हुए मोदी की तुलना चिली के तानाशाह ऑगस्टो पिनोशे से की। इल्हान उमर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि पिछले शीत युद्ध में एक गहरी, नैतिक और रणनीतिक गलती थी, एक साझा दुश्मन होने के नाम पर क्रूर तानाशाहों को हमारा समर्थन। मैं इतिहास में हुए जुल्म की कहानी दोहराना नहीं चाहती। मुझे चिंता इस बात की है कि इस बार हम मोदी को अपना नया पिनोशे बनने देना चाहते हैं…मैं पूछती हूं कि भारत में मोदी का क्या? मोदी को सपोर्ट करके हम ओपन और फ्री रीजन को कैसे प्रमोट कर सकते हैं? मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि बायडेन प्रशासन मानवाधिकार के मुद्दे पर मोदी सरकार की आलोचना करने से हिचकता क्यों है? मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि आखिर मोदी सरकार मुसलमानों पर कितना अत्याचार करेगी जिसके बाद हम उसकी आलोचना करेंगे?’
इल्हान उमर ने अपनी टिप्पणी में ‘नरसंहार’ (Genocide) शब्द का भी इस्तेमाल किया, और यह जल्द ही सोशल मीडिया पर #IndianMuslimsGenocide के रूप में ट्रेंड करने लगा। यह सब अपने आप नहीं हुआ था। इस हैशटैग को ट्रेंड करने के लिए बकायदा मुहिल चलाई गई थी। कई वेरिफाइड ट्विटर एकाउंट से एक फोटो पोस्ट की गई जिसमें लिखा गया था कि ‘#IndianMuslimsGenocideAlert हैशटैग को ट्विटर पर जमकर ट्रेंड कराया जाए।’
भारत में यह शाम 5 बजे ट्रेंड करने लगा, जबकि अमेरिका में यह 6.30 बजे CST और 7.30 बजे EST (अमेरिकी समय) पर ट्रेंड करने लगा। जल्द ही यह कनाडा और अमेरिका सहित उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप में ट्रेंड करने लगा। 2 साल पहले भारत में सीएए विरोधी आंदोलन शुरू होने पर भी इसी तरह का कैंपेन चलाया गया था। बीजेपी सोशल मीडिया आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब ‘हेट इंडिया कैंपेन’ चलाया गया है।
पिछले हफ्ते, भारत के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 36 ऐसे YouTube चैनलों को ब्लॉक कर दिया था, जो भारत और मोदी के बारे में फर्जी खबरें फैला रहे थे। इनमें 28 भारतीय और 8 पाकिस्तानी YouTube चैनल थे। ये चैनल भारत के खिलाफ नफरत फैला रहे थे और प्रधानमंत्री मोदी के बारे में फर्जी खबरें चला रहे थे। इन चैनलों ने ‘भारत ने फिलिस्तीन पर हमला किया’, ‘भारत में मुसलमानों की संपत्ति जब्त की जा रही है’ जैसे झूठ परोसे थे। इन YouTube चैनलों पर चली फेक न्यूज को कुल 147 करोड़ व्यूज मिले थे।
इन चैनलों का असल मकसद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को खराब करना है। एक तरफ इस्लामाबाद और रावलपिंडी में बैठे पाकिस्तानी आका भारत विरोधी अभियान तेज कर रहे हैं तो दूसरी तरफ उनके नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं। अगर दोस्ती निभाने का यही अंदाज है तो पाकिस्तान से दोस्ती करने के बजाय दुश्मनी अच्छी रहेगी।
ये वही भारत विरोधी ताकतें हैं जो मोदी का विरोध करने की आड़ में देश में ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग को बढ़ावा देती हैं, और हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तनाव पैदा करती हैं। यह एक सोची समझी साजिश है और हम सबको सावधान रहने की जरूरत है।
How Pakistan mounted Hate India campaign on social media
Today I want to reveal how people sitting in Islamabad, Pakistan, mounted a malicious worldwide Hate India campaign on Tuesday through social media. Their only aim was to defame India across the world. The planning was done in Islamabad, and hate factories in Karachi and Rawalpindi were activated. The lie was spread that Muslims in India are facing atrocities and massacres, and that they are being deprived of their basic rights. Lies were spread about mosques being demolished in India.
I asked India TV reporters to thoroughly investigate the sources from where these lies were disseminated. The first fact that emerged was that a timeline of 5 pm IST was fixed to make a hashtag #IndianMuslimsGenocide popular and trending within minutes on Twitter. Soon afterwards, Pakistani agents sitting in Saudi Arabia, Pakistan, Netherlands, Germany, Italy, Malaysia and other countries posted thousands of tweets defaming Prime Minister Narendra Modi and India.
There was another hashtag #IndianMuslimsUnderAttack that was trending too. Nearly 1.5 lakh tweets were posted on this hashtag. This was being controlled from Pakistan, Turkey and some Gulf countries. Analytics showed 30 pc of the tweets were from Pakistan, Saudi Arabia came second with 18.5 pc, followed by Netherlands (8 pc), UAE (3.9 pc), Italy (3.6 pc), Germany(3.05 pc), Canada (2.09 pc), Britain (2.9 pc) and other countries (22.5 pc).
Let me go through some of the tweets. One Babar Malik, claiming to be a journalist from Karachi, wrote on Twitter “Welcome to new Israel. The more you suppress us, the stronger we will be. Muslims it’s time to unite and fight against this Hindutva terrorism”. Using fake videos and stills, he also wrote: “In India, the shops of Muslims, their houses, even mosques are being demolished or burnt. Now where are those organisations today who used to make claims to stop terrorism and Islamophobia?”
Another Pakistani user named Farhan Qureshi from Rawalpindi used the hashtag #IndianMuslimsUnderAttack and tweeted “Endia is an animal farm”. His spelling for India was Endia. There were thousands of tweets from Pakistani handles lashing out at India under this hashtag , which soon started trending on top. Most of these tweets were anti-Hindu, anti-Indian and full of hatred towards India. Most of the tweets were from places near Islamabad, the Federal Capital Territory of Pakistan, from where nearly 84 per cent Pakistanis tweeted Hate India comments.
Next came Turkey, from were thousands of anti-India tweets were posted. A Twitter user named Aakhir Hashmi alleged in his tweet that Muslim religious shrines in India are no more safe. Aakhir Hashmi is not an Indian, but a Turkish national, sitting in Istanbul. Another user from Istanbul wrote alleging, loudspeakers from Indian mosques are being removed and Muslims are being subjected to atrocities. The ground reality is completely different. No loudspeaker was removed from any mosque in India. More tweets came from Turkish capital Ankara and another Turkish city Kirsehir.
One might ask, what’s the use of all these rubbish tweets? The ground reality is a bit different. These tweets came soon after the 2+2 dialogue between India and the US ended in Washington, and US Secretary of State Antony Blinken was asked about human rights issues in India, based on these trending topics. Blinken told a press conference, “We are monitoring some recent concerning developments in India, including a rise in human rights abuses by some government, police and prison officials”. He did not elaborate, nor did he provide any details about such abuses.
The fact is that not a single loudspeaker was removed from any mosque in India, but people living outside India are peddling untruths, which other believe to be true. All this is being done in a well-coordinated manner. The timing shows how anti-Indian forces are trying to discredit India, with a full-fledged ecosystem thriving on lies. Articles and columns against India are being written in foreign newspapers and magazines.
American members of Parliament are also being used for this purpose. The most prominent among them is Ilhan Omar, the Senator from Minnesota, who, on the eve of Biden-Modi virtual summit, asked the Biden administration to do more to confront Prime Minister Narendra Modi about India’s human rights record.
A known India baiter, Ilhan Omar, while testifying before the House Foreign Relations Committee, compared Modi with the Chilean dictator Augusto Pinochet. Ilhan Omar said, “One of the things I think was a profound, moral and strategic mistake in the last Cold War was our support for brutal dictators in the name of having a common enemy…. I do not want to repeat those historical injustices. What worries me is that this time we seem willing to let Modi be our new Pinochet…I ask what about Mod in India? How are we promoting a free and open region by supporting Modi? So, I ask you, why has the Biden administration been so reluctant to criticize Modi’s government on human rights?…..What does Modi need to do to India’s Muslim population before we will stop considering them a partner in peace?”
Ilhan Omar even used the word “genocide” in her remarks, and this soon trended on social media as #IndianMuslimsGenocide. All this was not spontaneous. There was a carefully coordinated campaign behind this attack. From several verified Twitter handles, a picture was posted asking users to “Storm Twitter with hashtag #IndianMuslimsGenocideAlert “.
In India it started trending at 5 pm, while in the US, it began trending at 6.30 am CST and 7.30 am EST (American time). Soon it started trending in the North American continent, including Canada and the US. A similar campaign was mounted when the anti-CAA movement was launched in India two years ago. BJP social media IT cell in-charge Amit Malviya says, this is not the first time when Hate India campaign was launched.
Last week, India’s Information & Broadcasting Ministry blocked 36 YouTube channels, which were peddling fake news about India and Modi. There were 28 Indian and eight Pakistani YouTube channels. These channels were spreading hate against India and fake news about Prime Minister Modi. Some examples of lies peddled by these channels include, ‘India has attacked Palestine’, ‘Properties of Muslims are being seized in India’. Some of these YouTube channels garnered 147 crore views.
The main aim of these channels is to tarnish India’s image on international level. On one hand, Pakistani handlers sitting in Islamabad and Rawalpindi are mounting anti-India campaign, and on the other hand, their new Prime Minister Shehbaz Sharif is offering a hand of friendship towards India. If this is the style of offering friendship, it would be better to have enmity rather than friendship with Pakistan.
These are anti-Indian forces who encourage the ‘tukde, tukde’ gangs inside India in the guise of opposing Modi, and are creating tension between Hindus and Muslims. It is a carefully planned conspiracy, and we in India need to be careful.
मोदी-बायडेन सम्मेलन: भारत अपनी स्वतंत्र नीति पर क़ायम रहेगा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन के बीच सोमवार को वर्चुअल मीटिंग हुई । इस मीटिंग में राष्ट्रपति बायडेन ने भारत के साथ आर्थिक, सामरिक और सामजिक रिश्तों को और मजबूत करने पर जोर दिया। वहीं दोनों देशों के विदेश और रक्षामंत्रियों के बीच भी बैठक हुई। दोनों देशों के नेताओं के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर खुले तौर पर बातचीत हुई। इस मीटिंग के बाद अमेरिकी अधिकारी ने कहा- ‘हम भारत को यह नहीं बताने जा रहे हैं कि क्या करना है’ (यूक्रेन मसले पर)। अधिकारी ने आगे कहा, अगर भारत ‘चीन और रूस के बीच घनिष्ठ संबंधों’ को देखता है तो ‘यह साफ तौर पर उसकी सोच को प्रभावित करेगा। ‘
इस वर्चुअल मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बायडेन से कहा कि उन्होंने रूस-यूक्रेन संकट को हल करने के लिए दोनों देशों के राष्ट्रपतियों के बीच सीधी बातचीत का सुझाव दिया था। मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति से कहा कि उन्हें यूक्रेन की मौजूदा स्थिति ‘बहुत चिंताजनक’ लगी। उन्होंने राष्ट्रपति बाइडेन से कहा-‘हाल में यूक्रेन के बूचा शहर में निर्दोष लोगों की हत्या बेहद चिंताजनक है। बूचा में जो हुआ उसकी हमने तुरंत निंदा की और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। मोदी ने कहा कि भारत यूक्रेन के लोगों की परेशानी को समझता है और मानवीय मदद के तौर पर उनके लिए खाना और दवाएं भेज रहा है। मोदी ने कहा, उन्हें अभी भी उम्मीद है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रही बातचीत से शांति का रास्ता निकल आएगा।
दोनों नेताओं की वर्चुअल मीटिंग के बाद व्हाइट हाउस के प्रवक्ता से जब यह पूछा गया कि क्या राष्ट्रपति बायडेन ने इस मामले में भारत को ‘एक ठोस रुख लेने के लिए कहा’, जवाब में कहा गया-‘भारत अपना फैसला खुद लेने जा रहा है… हाल के दिनों में भारत की ओर से कुछ अच्छे बयान आए हैं, नागरिकों की हत्या की निंदा करनेवाले बयान हों या फिर मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष करने का आह्वान। भारत यूक्रेन को दवा और अन्य मानवीय राहत सामग्री भी उपलब्ध करा रहा है.. मेरा मानना है कि भारत अपने फैसले खुद लेगा, लेकिन हम चर्चा जारी रखेंगे।’
चीन पर व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा, ‘..हम जानते हैं कि रूस और चीन के बीच संबंधों को लेकर भारत चिंतित है। निश्चित तौर पर भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा के आसपास बहुत तनावपूर्ण हालात का सामना कर रहा है। और जब भारत रूस और चीन के बीच घनिष्ठ संबंधों को देख रहा है, तो यह सौफ तौर पर उसकी सोच को प्रभावित करने वाला है। ‘
राष्ट्रपति बायडेन और पीएम मोदी के बीच वर्चुअल मीटिंग के बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बायडेन की मुलाकात हुई , जिसमें अमेरिकी विदेश मंत्री और रक्षा सचिव भी शामिल हुए। इस बैठक के बाद अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा, यह महत्वपूर्ण है कि ‘सभी देश इस युद्ध को खत्म करने के लिए पुतिन पर दबाव डालें , साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि सभी लोकतांत्रिक देश एक साथ खड़े हों और हमारे साझा मूल्यों की रक्षा के लिए एक आवाज़ में बोलें।’
वर्चुअल मीटिंग में बायडेन ने पीएम मोदी से कहा कि रूस से ज्यादा तेल खरीदना भारत के हित में नहीं होगा और यह यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका द्वारा उठाए गए कदमों को बाधित करेगा । लेकिन भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बाद में रिपोर्टर्स से कहा कि जहां तक रूस से तेल खरीदने का सवाल है, अमेरिका को यूरोप की तरफ देखना चाहिए न कि भारत की ओर। उन्होंने कहा- ‘ यूरोप एक दोपहर में रूस से जितना तेल खरीदता है, भारत एक महीने में उससे कम रूसी तेल खरीदता है। ‘
भारत-चीन मुद्दे पर अमेरिका के रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से कहा कि भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा के समय अमेरिका को अपने साथ खड़ा पायेगा। ऑस्टिन ने कहा कि चीन पूरे इंडो-पेसेफिक क्षेत्र में समस्या पैदा कर रहा है, वह भारतीय सीमा पर दोहरे उपयोग वाले बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है, तो दक्षिण चीन सागर में गैरकानूनी दावे कर रहा है। राजनाथ सिंह ने अमेरिकी कंपनियों से अपील की कि वो भारत में रक्षा उत्पादों के निर्माण के लिए उद्योग लगाएं ।
अमेरिका चीन के मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता में इसलिए उठा रहा है क्योंकि वह भारत को यह बताने की कोशिश कर रहा है कि रूस और चीन अब साथ-साथ है। भारत अब रूस की बजाए अमेरिका पर यकीन करे क्योंकि अब दुनिया के पावर इक्वेशन (शक्ति समीकरण) बदल चुके हैं। यह बात सही भी है कि अब वक्त बदल चुका है, दुनिया बदल चुकी है और तमाम देशों के आपसी समीकरण भी बदल चुके हैं। अब भारत अपनी बात अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूती से रखने लगा है।
रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद पिछले दो महीनों में जो घटनाक्रम हुए हैं उन पर ध्यान देना जरूरी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मोदी से जो वर्चुअल मीटिंग की, उसकी अपनी एक पृष्ठभूमि है। वाशिंगटन में राजनाथ सिंह और एस जयंशकर की अमेरिकी रक्षामंत्री और विदेश मंत्री से मीटिंग हुई। इससे पहले पुतिन ने मोदी से फोन पर बात की। रूस के विदेश मंत्री को भारत भेजा। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेन्सकी ने मोदी से फोन पर बात करके युद्ध रोकने की पहल करने की अपील की। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, जापाल और खुद चीन ने अपने बड़े नेताओं को भारत भेजा और यूक्रेन संकट पर बात की तथा भारत से मध्यस्थता की अपील की।
भारत एक जिम्मेदार वर्ल्ड पावर के नाते यूक्रेन संकट को खत्म करने के लिए अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रहा है। यूक्रेन युद्ध के कारण कई देशों में खाद्य संकट पैदा हुआ है और भारत ने अनाज के निर्यात का फैसला किया है। वहीं भारत घरेलू तेल की कीमतों पर काबू में रखने के लिए रूस और अन्य देशों से तेल का आयात कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रुख बिल्कुल साफ है – भारत अंतरराष्ट्रीय मसलों पर अपना रुख तय करते समय अपने हितों को सर्वोपरि रखेगा। साथ ही भारत यूक्रेन युद्ध का जल्द से जल्द अंत भी चाहता है।
Modi-Biden summit: India’s policy remains independent
In a significant virtual summit between Indian Prime Minister Narendra Modi and US President Joe Biden, joined by foreign and defence ministers of both countries, on Monday, both the leaders had “a candid exchange of views” on the Russia-Ukraine war. After the meeting, US officials said, “we are not going to tell India what to do (on Ukraine)”, but added, if India sees “tight links between China and Russia”, it will “obviously impact their thinking”.
During the virtual meeting, Prime Minister Modi told Biden that he had suggested direct talks between the Russian and Ukrainian presidents to resolve the crisis. Modi told the US President that he found the present situation in Ukraine “very worrying”. He told President Biden, “recently the news of killings of innocent civilians in Ukraine’s Bucha city was very worrying. We immediately condemned it and demanded a fair investigation. ..We have placed importance on the safety of the civilian population in Ukraine and the uninterrupted supply of humanitarian aid to them”. Modi said, he still hoped “ongoing talks between Russia and Ukraine will pave the way for peace.”
After the meeting, at the White House briefing, the spokesperson was asked whether President Biden “pushed for India to take a side”, the reply was, “India is going to make its own judgements…In recent days, India made some pretty strong statements in New York condemning the killing of civilians, supporting calls for an independent investigation. India is also providing humanitarian relief material to Ukraine including medicine and other supplies. …I think India will make its own decisions, but we are going to continue the discussions.”
On China, the White House official said, “..we know that India has concerns about the links between Russia and China. India, of course, is facing a very tense situation along the Line of Actual Control. And when India sees the tight links between Russia and China, that’s obviously going to impact their thinking”.
The virtual meeting between President Biden and PM Modi was followed by an in-person meeting with Indian External Affairs Minister S. Jayashankar and Defence Minister Rajnath Singh, joined by US Secretary of State and Defense Secretary. After the meeting Secretary of State Antony Blinken said, it was important that “all countries, especially those with leverage, press Putin to end the war, and it’s also important that democracies stand together and speak with one voice to defend the values that we share.”
At the virtual meeting, Biden told PM Modi that buying more oil from Russia was not in India’s interest and could hamper the American response to the Ukrainian war. Indian Minister of External Affairs S. Jayashankar later told reporters that the US focus should be on Europe and not in India, as far as buying oil from Russia is concerned. “Probably our total purchases for the month would be less than what Europe does in an afternoon”, he said.
On the India-China issue, US Defense Secretary Lloyd Austin told Defence Minister Rajnath Singh that America will continue to stand alongside India “as you defend your sovereign interest. China is eroding the security of the Indo-Pacific region from its contruction of dual-use infrastructure along Indian border to its unlawful claims in the South China Sea.” On his part, Rajnath Singh invited American companies to invest in setting up industries to manufacture defence products in India.
The US is raising the issue of China in bilateral talks because it wants to convey the message that both Russia and China have now joined hands, and it was in India’s interest to support the US on the Ukraine-Russia war issue. Power equation among superpowers have changed and along with this has changed the international foreign relations scenario. Equations between different countries have changed substantially and India has now started to express its opinion on international issues forcefully.
We should take into account the developments that have taken place in Europe during the last two months, after Russia attacked Ukraine. This virtual meeting between Modi and Biden has taken place in the context of India holding meetings with leaders from Russia, Ukraine, Germany, UK, France, Japan and Australia. Russian President Putin was the first to speak to Modi and he sent his Foreign Minister to Delhi. The Chinese Foreign Minister also paid a sudden visit to India. Ukrainian President Zelenskyy appealed to Modi to mediate and bring an end to the war that has been going on for nearly two months.
India, as a responsible world power, is trying its best to bring about cessation of hostilities in Ukraine. At the same time, it has decided to increase export of wheat to countries which are facing food shortage due to the Ukraine war. On its part, India is trying to keep a leash on domestic oil prices by importing it from Russia and other countries. Prime Minister Modi’s stand is quite clear: India will keep its own interests paramount while deciding its stand on international issues. At the same time, India wants an early end to the war in Ukraine.
Indo-Pacific region issues and matters relating to strategic and mutual economic interests. President Biden stressed on strengthening economic, strategic and social relationships between the US and India and mentioned how both the countries co-operate during the fight against Covid pandemic.