कोविड वैक्सीन के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए
भारत में कोरोना की पहली वैक्सीन दिए जाने से पहले ही राजनीतिक तूफान उठ खड़ा हुआ है। कई पार्टियों ने हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक की स्वदेशी Covaxin टीके को इमरजेंसी यूज के लिए दी गई मंजूरी पर सवाल उठाया है। इन दलों ने पूरे मसले का राजनीतिकरण शुरू कर दिया है। रविवार को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका एवं सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा तैयार ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ के ‘सीमित इस्तेमाल’ के लिए आपातकालीन मंजूरी देने का ऐलान किया।
कंट्रोलर जनरल वी जी सोमानी ने कहा कि दोनों दवा कंपनियों ने अपने ट्रायल रन का डेटा जमा कर दिया है और दोनों को परमिशन दे दी गई है। उन्होंने कहा कि कोविशील्ड 70.42 प्रतिशत तक प्रभावी है, जबकि कोवैक्सीन ‘सुरक्षित है और यह एक मजबूत इम्यून रेस्पॉन्स देता है।’ उन्होंने कहा, ‘अगर सुरक्षा को लेकर जरा-सी भी शंका होती तो हम किसी भी टीके को कभी मंजूरी न देते।’ उन्होंने उन अफवाहों को ’कोरी बकवास’ बताया कि वैक्सीन लोगों को नपुंसक बना सकती है।
इस बीच वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज की एक प्रोफेसर गगनदीप कंग ने कोवैक्सीन को दी गई मंजूरी को लेकर कुछ सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि उन्हें अभी तक कोई भी ऐसा प्रामाणिक डेटा नहीं मिला है जिससे यह पता चल सके कि कोवैक्सीन SARS-Cov-2 स्ट्रेन के खिलाफ प्रभावी है, यूके स्ट्रेन की तो बात ही छोड़ दीजिए। ऑल इंडिया ड्रग ऐक्शन नेटवर्क की मालिनी ऐसोला ने कहा कि रेग्युलेटर को चाहिए कि पारदर्शिता के लिए इमरजेंसी अप्रूवल देने के पीछे की वजहों को विस्तार से बताएं।
सोशल मीडिया पर कोवैक्सीन को मंजूरी दिए जाने को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म हो गया तो नेता भी मैदान में कूद पड़े। इसकी शुरुआत की समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने, जिन्होंने पहले तो इसे ‘बीजेपी की वैक्सीन’ बताया और बाद में अपने बयान से पलट गए। रविवार को अखिलेश यादव ने कहा था कि उन्हें कोरोना वायरस की वैक्सीन पर भरोसा नहीं है और वह इसे नहीं लगवाएंगे क्योंकी यह बीजेपी की वैक्सीन है। बाद में उन्होंने ट्वीट करके अपने बयान में थोड़ा सुधार करने की कोशिश की और कहा कि कोविड टीकाकरण एक संवेदनशील मुद्दा है और बीजेपी को इसे दिखावे का इवेंट नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह वैक्सीन पर काम करने वाले वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और स्वयंसेवकों के काम पर सवाल नहीं उठा रहे ।
कांग्रेस नेता शशि थरूर और जयराम रमेश भी मैदान में कूद गए। थरूर ने ट्वीट किया, ‘अगर कोवैक्सीन प्रभावी साबित नहीं हुई, तो इस तरह की बेवजह जल्दबाज़ी से टीकाकरण के क्षेत्र में भारत की अब तक की कायम अन्तरराष्ट्रीय साख पर बट्टा लगने का खतरा है। जो भी कोवैक्सीन का टीका लगाएंगे उन्हें पहले से ये समझ लेना चाहिए कि भारत सरकार ने इसे ‘क्लिनिकल ट्रायल के लिए ’ ‘इमरजेंसी’ इस्तेमाल की मंजूरी दी है। दूसरे शब्दों में कहा जाय तो जिन भारतीयों को ये टीका लगाया जाएगा वे बगैर अनिवार्य ‘सहमति’ के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए वॉलंटियर्स जैसे माने जाएंगे । एक तरह से यह बहुत ही असामान्य बात है और नैतिकता के लिहाज़ से संदिग्ध है ।’
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए कहा: ‘भारत बायोटेक प्रथम दर्जे की कंपनी है, लेकिन यह हैरान करने वाली बात है कि तीसरे चरण के ट्राल के लिए जो अंतरराष्ट्रीय मानक तय किये गए हैं उन्हें ‘कोवैक्सीन’ के मामले में संशोधित किया गया हैं। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को इस बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए।’
सोमवार को भारत बायोटेक के अध्यक्ष डॉक्टर कृष्णा एल्ला ने लोगों से इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करने की अपील की। डॉक्टर एल्ला ने कहा, ‘हम 200 फीसदी ईमानदार क्लिनिकल ट्रायल करते हैं और उसके बाद हमें ऐसी प्रतिक्रिया सुनने को मिलती है। अगर मैं गलत हूं, तो मुझे बताएं। कुछ कंपनियां हमारी वैक्सीन की तुलना पानी से कर रहे हैं। मैं इसे बिल्कुल गलत मानता हूं । हम आखिरकार वैज्ञानिक हैं।’
रविवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मालिक अदार पूनावाला ने कहा था कि ‘फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्रा-जेनेका द्वारा बनाई गई केवल 3 वैक्सीन अब तक प्रभावकारी साबित हुई हैं और बाकी सिर्फ ‘पानी की तरह ही सुरक्षित हैं।’ जवाब में डॉक्टर एल्ला ने कहा कि ब्रिटेन ने एस्ट्रेजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के जो परीक्षण डेटा दिए हैं, उन्हें अमेरिका और यूरोप ने मानने से इनकार कर दिया है क्योंकि ये डेटा ‘सही’ नहीं था, लेकिन भारत में कोई भी ऑक्सफोर्ड के डेटा पर सवाल नहीं उठा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि एस्ट्रेजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के ट्रायल के दौरान स्वयंसेवकों को शॉट देने से पहले पेरासिटामोल की गोली दी गई थी। डॉक्टर एला ने कहा, ‘हमने स्वयंसेवकों को पेरासिटामोल नहीं दिया , इसलिए जो भी प्रतिकूल प्रतिक्रिया होती है, वह शत प्रतिशत होती है भले ही वह अच्छी हो या बुरी। यह डेटा वास्तविक समय में दर्ज किया गया है।’
उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल एक अमेरिकी कंपनी IQVIA और IMS हेल्थ इंक द्वारा कराया जा रहा है। इस चरण के ट्रायल में वैक्सीन की डोज देने के बाद 12 महीने तक वॉलंटियर्स की निगरानी की जाएगी। डॉक्टर एल्ला ने कहा कि भारत बायोटेक एर भारतीय कंपनी है और वह वैक्सीन के मामले में एस्ट्राजेनेका या फाइजर जैसी मल्टीनेशनल कंपनियों को टक्कर दे रही है। उन्होंने कहा, कोवैक्सीन टीका से होने वाले प्रतिकूल असर 15 फीसदी से भी कम पाये गये हैं। हम 24,000 से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगा चुके हैं।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दो स्वदेशी कोविड वैक्सीन को सफलतापूर्वक विकसित करने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों की सराहना की और कहा कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू होने जा रहा है।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने सोमवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ‘अपने सहयोगियों जयराम रमेश और शशि थरूर के जरिए लोगों के बीच गलतफहमियां पैदा करने के लिए वैक्सीन के बारे में अफवाह फैला रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि जिस वैक्सीन पर कांग्रेस सवाल उठा रही है, उसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने पहले ही मंजूरी दे दी है। पात्रा ने कहा, ‘ऐसी लोचनाओं से केवल उन विदेशी ताकतों को फायदा पहुंचेगा जो भारत को आत्मनिर्भर नहीं बनने देना चाहते ।’
पहली बात तो मुझे यह देखकर हैरानी हुई कि अखिलेश यादव जैसे पूर्व मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि वह कोरोना टीका नहीं लगवाएंगे क्योंकि यह बीजेपी की वैक्सीन है। वह भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं जहां बड़े पैमाने पर पोलियो और चेचक उन्मूलन के कार्यक्रम चलाए गये थे। अपने प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए उन्हें इतनी हल्की बात नहीं कहनी चाहिए थी।
कांग्रेस नेताओं के लिए मैं यह बताना चाहूंगा कि यदि ड्रग्स कंट्रोलर को फेज 1 और 2 का ट्रायल डेटा दिया जाता है तो उसके आधार पर आपातकालीन स्वीकृति देना एक सामान्य प्रोटोकॉल है। डॉक्टर कृष्णा एल्ला ने कहा कि फेज 1 और 2 के ट्रायल से जुड़ा सारा डेटा नामित संस्थानों के साथ शेयर किया गया है और तीसरे चरण में 26,000 वॉलंटियर्स पर ट्रायल हो रहा है। यह दुनिया का सबसे बड़ा क्लिनिकल ट्रायल है। इनमें से 24,000 वॉलंटियर्स पर ट्रायल पूरा हो चुका है और जहां तक सुरक्षा का सवाल है तो 10 प्रतिशत से कम वॉलंटियर्स में मामूली साइड इफेक्ट देखने को मिले हैं। उन्होंने कहा कि इस साल मार्च तक तीसरे फेज का पूरा ट्रायल डेटा मिल जाएगा।
डॉक्टर एल्ला ने कहा कि भारत बायोटेक की प्रतिष्ठा दुनिया भर में है और इसके पास 400 से भी ज्यादा पेटेंट हैं। उन्होंने कहा कि भारत में स्वदेशी रूप से विकसित कोवैक्सीन किसी भी मायने में फाइजर वैक्सीन से कम असरदार नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि हम एक भारतीय कंपनी हैं और हमारे वैज्ञानिक भारतीय हैं। एल्ला ने कहा कि इसीलिए हमारी छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है।
भले ही कुछ वैज्ञानिक कह रहे हों कि कोवैक्सीन टीका अभी पूरी तरह प्रामाणिक और परीक्षित नहीं है, और इसे अंतिम स्वीकृति नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन यह भी तथ्य है कि फेज 3 के ट्रायल जारी रहते हुए भी DGCI को इसे आपातकालीन स्वीकृति देने का पूरा अधिकार है। दूसरी बात कि इसे बैकअप वैक्सीन के तौर पर मंजूरी दी गई है। यदि कोरोना वायरस से संक्रमण के ऐक्टिव मामलों की संख्या में अचानक उछाल आता है, तो कोवैक्सीन का इस्तेमाल क्लिनिकल ट्रायल मोड में किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने जो सवाल उठाए थे उनके जवाब तो मिल गए, लेकिन जहां तक नेताओं द्वारा इसे ‘बीजेपी की वैक्सीन’ कहे जाने वाले बयानों का सवाल है, तो इन्हें नजरअंदाज किया जाए तो बेहतर है। इस ऐतिहासिक टीकाकरण मुहिम से राजनीति को दूर रखना चाहिए।
अन्त में मैं एक भूल सुधार करना चाहता हूं। अपने एक ट्वीट में मैंने कहा था कि कोवैक्सिन की 2 अरब डोज़ को दुनिया भर के 190 देशों ने बुक किया है। तथ्य यह है कि COVAX विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक कार्यक्रम है, जिसके तहत कोरोना वायरस वैक्सीन की 2 अरब खुराकें 190 देशों के संघ GAVI द्वारा सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से बुक की गई हैं। नामों की समानता के चलते हुई इस गलती के लिए मुझे खेद है।
Let us keep politics away from Covid vaccine issue
Even before the first Covid vaccine is yet to be given in India, political parties have already started politicizing the issue by questioning emergency approval given to the indigenous Covaxin vaccine developed by a Hyderabad company Bharat Biotech. On Sunday, the Drugs Controller General of India formally announced the emergency approval for ‘restricted use’ of Bharat Biotech’s Covaxin and the Covishield vaccine, developed by Oxford-AstraZeneca and Serum Institute of India.
The Controller General V G Somani said both the drug firms have submitted data on their trial runs and both have been granted permission. He said the overall efficacy of Covishield was 70.42 per cent, while Covaxin “is safe and it provides a robust immune response”. “We will never approve anything if there is slightest of safety concern”, he added. Rumours being spread that the vaccine could cause impotence is “absolutely rubbish”, he said.
Meanwhile, a professor of Christian Medical College, Vellore, Gagandeep Kang has raised questions about the approval given to Covaxin. She said, she was completely unaware of any data that suggest that Covaxin has any efficacy against SARS-Cov-2 strain, let alone the UK strain. Malini Aisola of All India Drug Action Network said, in the interest of transparency, the regulator must share detailed rationale behind the emergency approval.
The social media was soon agog with rumours about the approval given to the Covid vaccines and political leaders jumped into the fray. The political ball was set rolling by Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav who first described it as “BJP vaccine” and later retracted his remark. On Sunday, Yadav said he would not trust the Covid vaccine and would not take it because, he said, it was the BJP’s vaccine. Later he tried to modify his remark by tweeting that Covid vaccination was a sensitive issue and BJP should not make it a “cosmetic” event. He clarified that he was not questioning the work of scientists, researchers and volunteers who worked on the vaccines.
Congress leaders Shashi Tharoor and Jairam Ramesh also jumped into the fray. Tharoor tweeted to say “if Covaxin turns out to be ineffective, the unseemly haste risks jeopardizing (India’s reputation in the field of vaccination)… Any Covaxin user should note the govt’s approval is on the basis of ‘emergency’ and ‘on a clinical trial basis’. In other words those Indians who would be administered Covaxin would, in effect, be volunteers for the required third stage clinical trial – without the mandatory ‘informed consent’. This is, to put it mildly, highly unusual. It is also ethically dubious.”
Congress leader Jairam Ramesh tweeted to say: “Bharat Biotech is a first rate enterprise, but it is puzzling that internationally accepted protocols relating to phase 3 trials are being modified for Covaxin. The Health Minister should clarify.”
On Monday, Bharat Biotech chairman Dr Krishna Ella urged people to stop politicizing the issue. Dr Ella said, “We do 200 per cent honest clinical trials and yet we receive backlash. If I am wrong, tell me. Some companies have branded our vaccine like water. I want to deny this. We are scientists.”
On Sunday, the owner of Serum Institute of India Adar Poonawala had said that “only three vaccines, made by Pfizer, Moderna and Astra-Zeneca, had proven efficacy and the rest were just safe like water.” In reply, Dr Ella said that the US and Europe had refused to accept Astra-Zeneca-Oxford vaccine trial data from the UK because it was “not clean”, but no one was questioning the Oxford data. He alleged that volunteers during Astra-Zeneca trials were given paracetamol tablets before being given the shot. “We haven’t given paracetamol to our volunteers, so whatever adverse reaction is captured it is exactly 100 per cent even if it is good or bad. It is captured in real time”, Dr Ella said.
He said that Covaxin Phase 3 trials were being handled by an American company IQVIA and IMS Health Inc and that patients in Phase 3 trials will be monitored for 12 months. Dr Ella said that as an Indian company Bharat Biotech has been struggling alone without any backup of multinationals like AstraZeneca or Pfizer.
He said, Covaxin had less than 15 per cent adverse effects “and we have vaccinated more than 24,000 people already”.
On Monday, Prime Minister Narendra Modi lauded Indian scientists for successfully developing two indigenous Covid vaccines and said that India is on the verge of starting the world’s largest vaccination drive.
BJP spokesperson Sambit Patra on Monday alleged that Congress leader Rahul Gandhi was “choreographing rumour mongering about the vaccine by enlisting his colleagues Jairam Ramesh and Shashi Tharoor to create confusion among the people”. He said, Indian Council of Medical Research and Central Drugs Standard Control Organization have already approved the vaccine that is being questioned by the Congress. “Such attacks can only help foreign forces which do not want India to be self-reliant”, he pointed out.
Firstly, I am astonished to find a former chief minister like Akhilesh Yadav saying in public that he would not take the vaccine because it was BJP’s vaccine. He was chief minister of India’s most populous state where massive polio and small pox eradication programmes were carried out. He should not have spoken so lightly, given his administrative experience.
As for Congress leaders, I want to point out that it is common protocol to give emergency approval if phase 1 and 2 trial data are given to the drugs regulator. Dr Krishna Ella has said that all the data relating to phase 1 and 2 trials have been shared with designated institutes and the phase 3 trial involves 26,000 volunteers. It is the world’s biggest clinical trial. Already the trial is over with 24,000 volunteers and as far as safety is concerned, less than 10 per cent volunteers had minor side effects. He said, the entire Phase 3 trial data will be received by March this year.
Dr Ella said Bharat Biotech has a worldwide reputation and it holds more than 400 patents. He said Covaxin, developed indigenously in India, is as efficacious as the Pfizer vaccine. ‘We are being targeted because we are an Indian company and we have Indian scientists, that is why our image is sought to be sullied’, he added.
Even if a few scientists may say that Covaxin is untested and unproven and that it should not have been given final approval, the fact remains that the DGCI has the powers to give emergency approval even if the phase 3 trial is under way. Secondly, it has been approved as a backup vaccine. If there is sudden flareup in the number of active Covid cases, Covaxin can be used in clinical trial mode. The questions raised by a few scientists have been replied to, but as far as loose remarks made by politicians about “BJP’s vaccine” is concerned, these deserve to be ignored. Let us keep politics away from vaccination.
As a footnote, I want to make a correction. In one of my tweets, I had said that Covaxin doses has been booked by 190 countries across the world. The fact is, COVAX is a WHO program, under which 2 billion doses of Covid vaccines have been booked by GAVI, a consortium of 190 countries, in association with Serum Institute of India and Bill and Melinda Gates Foundation. The error due to similarity of names, is deeply regretted.
नये साल की नई शुरुआत: कोरोना वैक्सीन के साथ
नए साल के पहले दिन एक अच्छी खबर आई । देश में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए कोरोना वैक्सीन को अप्रूव करने की सिफारिश कर दी गई है। यह ऐसी खबर है जिसका इंतजार पिछले नौ महीने से हर हिन्दुस्तानी को था। ये तय हो गया है कि देश में कोरोना के खिलाफ कोविशील्ड वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाएगा। शुक्रवार को कोविशील्ड को अप्रूवल देने की सिफारिश का फैसला एक्सपर्ट्स कमेटी की मीटिंग में किया गया। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) की एक्सपर्ट्स कमेटी ने पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में निर्मित ऑक्सफोर्ड-जेनेका कोविशिल्ड वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की सिफारिश कर दी। वैक्सीन को शर्तों के साथ इस्तेमाल की इजाजत दी गई है जिसमें कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने वाले हर शख्स को पहले एक फैक्टशीट दी जाएगी जिसमें टीके के बारे में पूरी जानकारी होगी। कंपनी को कहा गया है कि वह हर पखवाड़े वैक्सीन से हुए प्रतिकूल प्रभावों पर एक रिपोर्ट देगी । वैक्सीन लेनेवाले शख्स को 4 से 6 सप्ताह के अंतराल पर दो डोज दी जाएगी। अब ड्रग कन्ट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की मुहर लगने के बाद कोविशील्ड के इस्तेमाल का रास्ता साफ हो जाएगा। डीसीजीआई एक से दो दिनों में कोविशिल्ड की मार्केटिंग को मंजूरी दे देगा।
कोविशिल्ड वैक्सीन की पहली खुराक अगले सप्ताह किसी भी समय दी जाएगी। यह वैक्सीन सबसे पहले हेल्थ वर्कस्र के बीच दी जाएगी। प्राथमिकता के आधार पर करीब 30 करोड़ की आबादी को इस साल जुलाई तक वैक्सीन मिल जाएगी। इस वैक्सीन की 10 करोड़ डोज का पहला ऑर्डर पीएम केयर्स फंड के जरिए दिया जाएगा। जहां तक वैक्सीन के रख-रखाव का सवाल है तो इसे दो से आठ डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखा जा सकता है। यह वैक्सीन कंपनी की तरफ से सरकार को 225-250 रुपये में दी गई है और इसे 500 रुपये से 700 रुपये के बीच की कीमत में केमिस्ट की दुकानों में बेचा जाएगा।
किसी भी वैक्सीन को अप्रूवल देने के लिए पांच चीजों का ध्यान रखा जाता है। पहली एफीकेसी यानि वैक्सीन कितनी प्रभावी है, दूसरी बात है सेफ्टी यानि वैक्सीन कितना सुरक्षित है, तीसरा अफोर्डेबिलिटी यानी क्या इसकी कीमत आम आदमी की पहुंच में है, चौथी बात है उपलब्धता…क्या लोगों को मिल पाएगी और पांचवीं चीज है ट्रांसपोर्टेबिलिटी यानी परिवहन। कोविशील्ड वैक्सीन इन पांचों मानकों पर खरी उतरी है। इसे दो से आठ डिग्री तक के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है। इस तापमान पर स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन आसान है। वैक्सीन के प्रभाव या असर की बात करें तो पहली डोज में 70 प्रतिशत और दूसरी डोज में 95 प्रतिशत तक प्रभावी है। अब तक के टेस्ट में वैक्सीन सुरक्षित है। हल्का बुखार, हल्का सिर दर्द जैसे लक्षण कुछ लोगों में आए हैं, इसके अलावा कोई साइड इफैक्ट अभी तक नहीं दिखा। कीमत के लिहाज से अन्य वैक्सीन की तुलना में यह बहुत सस्ती है। जहां तक उपलब्धता का सवाल है तो इसकी पांच करोड़ खुराक का उत्पादन हो चुका है। तीस जुलाई तक तीस करोड़ लोगों के वैक्सीनेशन की योजना है।
एक्सपर्ट्स कमेटी ने तीन कोरोना वैक्सीन ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और फाइजर बायोनटेक की वैक्सीन के प्रेजेंटेशन को देखा। तीनों की तरफ से जो आंकड़े दिए गया था उनका अध्ययन किया गया, तुलना की गई और कोविशील्ड को इमरजेंसी इस्तेमाल की सिफारिश करने का फैसला लिया गया। हालांकि अन्य दो वैक्सीन को खारिज नहीं किया गया है बल्कि उस पर आगे चर्चा होगी। भारत बायोटेक ने सरकार को 350 रुपये में कोवैक्सीन की पेशकश की है। हालांकि आगे कीमतों घट-बढ़ सकती हैं, लेकिन फिलहाल कोविशील्ड का नाम ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के पास फाइनल मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
वैक्सीनेशन के लिए अकेले दिल्ली में 48 सरकारी और 100 से ज्यादा प्राइवेट अस्पतालों में 1 हजार वैक्सीनेशन बूथ बनाए जाएंगे। कोविशिल्ड वैक्सीन को स्पेशल कार्गो विमानों द्वारा दिल्ली हवाई अड्डे पर लाया जाएगा और सबसे पहले राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और सिविल लाइंस में बनाए गए दो मुख्य स्टोरेज प्वाइंट में रखा जाएगा। फिर यहां से वैक्सीन को एक खास रेफ्रिजरेटेड वैन के जरिए 603 कोल्ड चेन प्वाइंट्स पहुंचाया जाएगा। कोल्ड चेन प्वाइंट्स से इन्हें अलग-अलग सेंटर्स पर डिस्ट्रीब्यूट किया जाएगा। वैसे मैं आपको बता दूं कि दिल्ली में शुरुआत में 51 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी।
दिल्ली के 11 जिलों में से प्रत्येक में 55 से 60 कोल्ड चेन प्वाइंट और 90 से 100 वैक्सीनेशन बूथ होंगे। हर बूथ पर एक दिन में 100 से ज्यादा वैक्सीन नहीं दिए जाएंगे। अब सोचिए अगर एक सेंटर पर एक दिन में सौ लोगों का वैक्सीनेशन होगा तो इसका मतलब हुआ कि दिल्ली में 1 दिन में ज्यादा से ज्यादा एक लाख लोगों का वैक्सीनेशन हो सकता है। दिल्ली में सबसे पहले तीन लाख स्वास्थ्यकर्मी, छह लाख फ्रंटलाइन वर्कर, 50 साल से ज्यादा की उम्र पार कर चुके या 50 से कम की उम्र के रोगग्रस्त 42 लाख लोगों को कोरोना की वैक्सीन दी जाएगी। जो लोग वैक्सीन लगवाना चाहते हैं उन्हें सबसे पहले कोविन (CoWin) नाम का एक एप डाउनलोड करने के बाद खुद को वैक्सीनेशन के लिए रजिस्टर करना होगा। रजिस्ट्रेशन के बाद वैक्सीनेशन से दो दिन पहले मैसेज के जरिए उन्हें यह सूचना दी जाएगी उन्हें कहां, किस समय और किस बूथ पर जाना है।
देशव्यापी टीकाकरण अभियान के लिए चार रीजनल कोविड वैक्सीन स्टोर करनाल (हरियाणा), मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में बनाए गए हैं। पूरे भारत में अब तक लगभग 96,000 लोगों को वैक्सीनेशन के लिए प्रशिक्षित किया गया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों की लिस्ट तैयार करने को कहा है जो पहले चरण में वैक्सीन देने का काम करेंगे।
शुक्रवार की रात अपने शो ‘आज की बात’ में हमने बेंगलुरु, लखनऊ, पटना, मुंबई, नागपुर, भोपाल और अन्य शहरों में कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर की जा रही तैयारियों पर रिपोर्ट दिखाई। यहां मैं एक बार लोगों को सावधान करना चाहता हूं कि वैक्सीनेशन शुरू हो जाने का मतलब ये नहीं कि कोरोना खत्म हो जाएगा। मैंने कई डॉक्टर्स से बात की और उनका कहना है कि ये सही है कि हमारे देश में कोरोना इस वक्त काबू में है और वैक्सीन लगने का काम छह जनवरी से शुरू हो जाएगा, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वायरस का खतरा टल गया है। डॉक्टर्स का कहना है ये बहुत खतरनाक और शरारती वायरस है, ये वापस भी आ सकता है, रूप भी बदल सकता है, वैज्ञानिकों को चकमा भी दे सकता है और सबसे बड़ी बात ये कि इतने बड़े देश में 130 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट करते-करते वक्त लगेगा। जब तक वैक्सीनेशन पूरा नहीं हो जाता, तब तक तो सावधानी ही बचने का एकमात्र तरीका है। लोग मास्क पहनें, सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाएं और हाथों को सैनिटाइज करते रहें।
अपने शो में हमने ये दिखाया कि कैसे हजारों लोग नए साल के मौके पर देश के विभिन्न मंदिरों में कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाते हुए पूजा करने पहुंचे। गोवा के समुद्री तटों और अन्य पर्यटन स्थलों पर छुट्टियां मनाने पहुंची लोगों की भीड़, नाचते-गाते लोगों की भीड़, बिना मास्क के और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते लोगों के दृश्य भी दिखाए। कुछ लोग आज भी खतरे को समझना नहीं चाहते। इस तरह की लापरवाही करने वालों से खतरा दूसरे लोगों को भी होता है। पूरे समाज को होता है। मुश्किल ये है कि जब लापरवाही करने वालों को कोई समझाता है तो वो कहता है कि जो ऊपर वाला चाहेगा वही होगा, इसलिए डरना क्या। सब कुछ भगवान भरोसे है। दरअसल यह ऐसा वायरस है। जो भक्त और भगवान के बीच की दूरी मिटा देता है। इसलिए मैं फिर कहूंगा कि भगवान भी नहीं चाहते कि भक्तों को दिक्कत हो। लेकिन जब भक्त खुद मुसीबत मोल लेने को तैयार हो तो भगवान भी क्या करेंगे? इसलिए सरकार की बात सुनिए और घर में रहिए। घर में रहकर भक्ति, भजन कीजिए। इससे आप भी सुरक्षित रहेंगे, आपका परिवार और समाज भी सुरक्षित रहेगा, भगवान भी खुश होंगे।
अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी के लोगों के बारे में सोचें जहां लोगों ने कोविड गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाई और अब खामियाजा भुगत रहे हैं। लापरवाही ऐसी हुई कि वहां अब मौत का मातम है। जिन देशों के लोगों ने सरकार के निर्देशों को हल्के में लिया, वो बड़े भारी खतरे में हैं। जो लोग क्रिसमस मनाने के लिए सड़कों पर निकले, अब उन्हें नए साल में लॉकडाउन जैसे हालात में घरों में कैद रहना पड़ा है। जब हम देश में कोरोना काबू में हैऔर वैक्सीन आ चुकी है, तब ऐसी गलती न करें। इस समय अत्यंत सावधानी बरतें। कृपया धैर्य और संयम बनाए रखें। हम निश्चित तौर पर कोरोना के खिलाफ जंग जीतने जा रहे हैं।
Covid vaccine rollout will augur a fresh beginning for all in India
As the world ushered in the New Year, there was good news on Day One. Every Indian was waiting for this news for the last nine months. The subject expert committee of the Drugs Controller General of India on Friday recommended Emergency Use Authorisation(EUA) for the Oxford-Zeneca Covishield vaccine manufactured at Serum Institute of India, Pune. This is a conditional approval that entails that every recipient of the vaccine shall be given a factsheet about the vaccine prior to inoculation. The company has been asked to submit reports on adverse events every fortnight. Two full doses of Covishield will be given to every recipient within a gap of 4-6 weeks. The DCGI is going to give marketing approval within a day or two.
The first shot of Covishield vaccine will be given any time next week, and the first in line will be the health workers. Nearly 30 crore ‘priority population’ will get the vaccine by July this year. The first order for 10 crore doses will be funded through PM Cares Fund. This vaccine can be stored and transported at a temperature of two to eight degree Celsius, ideal for Indian climatic conditions. The vaccine has been offered to the government at Rs 225-250 each and it will be sold in chemist shops within a price range of Rs 500 to Rs 700.
Five basic parameters were kept in mind while giving approval to vaccines: efficacy, safety, affordability, availability and transportability. The Covishield vaccine was selected based on these five parameters. On efficacy, the Covishield vaccine reported 70 per cent success for the first dose and 95 per cent success for the second dose. All the trials carried out till now have reported minimal side effects, like mild fever and headache. The vaccine is comparatively cheaper compared to other candidates and its availability is good. Already 5 crore doses are ready to be transported. By July, 30 crore Indians will be vaccinated, as per plan.
The subject expert committee considered three candidates, Covishield from Oxford-AstraZeneca, Covaxin from Bharat Biotech and Pfizer. The applications of the remaining two candidates are still being evaluated. Bharat Biotech has offered Covaxin at Rs 350 to the government. For the next lot, the prices may vary.
For the vaccination drive, 1,000 vaccination booths will be set up in 48 government and 100+ private hospitals in Delhi alone. Covishield vaccine vials will arrive at Delhi airport by special cargo planes and will first be taken to the two main storage points set up at Rajiv Gandhi Super Speciality Hospital and at Civil Lines. From there, the vaccine vials will be transported to 609 cold chain points in special refrigerated vans. From cold chain points, the vaccine vials will be distributed to vaccination booths set up across the capital. 51 lakh citizens will get the vaccine in Delhi in the first phase.
Each of the 11 districts in Delhi will have 55 to 60 cold chain points and 90 to 100 vaccination booths. Not more than 100 shots will be given at each booth. The priority recipients in Delhi will include three lakh healthcare workers, six lakh frontline workers, 42 lakh people aged above 50 years or below 50 with serious co-morbidities. Self-registration will start on CoWin App in a few days. SMS will be sent to recipients two days before vaccination. They will have to report at the vaccination booth at the appointment time.
For the nationwide vaccination drive, four regional Covid vaccine stores have been set up – Karnal (Haryana), Mumbai, Chennai and Kolkata. Nearly 96,000 vaccinators have been trained so far across India. The Centre has asked all the states to be ready with their lists of healthcare workers who will inoculated in the first phase.
In my show ‘Aaj Ki Baat’ on Friday night, we showed reports from Bengaluru, Lucknow, Patna, Mumbai, Nagpur, Bhopal and other cities on preparations being made for the Covid vaccination drive. Here, I want to sound a note of caution. Vaccination alone will not kill the pandemic that is still raging across the globe. I spoke to several medical experts. They said, the pandemic is presently under control in India, vaccination may start by January 6, but it does not mean the deadly virus will vanish. The doctors told me that the Coronavirus is both deadly and tricky, it is mutating into several strains and can even dodge scientists. In a vast country like India, the vaccination will take a long time for completion, and till each of the 130-plus crore Indians are inoculated, there should be no scope for laxity. Wearing masks, maintaining social distancing and frequent washing of hands are a must.
In my show, we telecasted visuals of how thousands of devotees flocked to major temples and shrines across India on New Year’s Day to seek Almighty’s blessings, but with utter disregard to Covid protocol. There were also visuals of holiday crowds thronging the sea beaches of Goa, and other tourist places, singing and dancing in crowds, without wearing masks or maintaining distance. These could be reasons for worry. The virus is still there and it can strike anybody.
I agree it is difficult to argue on matters relating to religious faith, but even the Almighty would not like devotees to mingle in crowds, particularly when the pandemic is still there. If devotees risk their lives by joining crowds, even the Almighty cannot help. Listen to the advice of doctors and scientists. Stay away from crowds to keep yourself and your family members safe. Almighty will be happy to see all of you safe.
Think about the people in the USA, UK and Germany, where people defied Covid norms and came out in crowds. These countries are now facing a second, severe wave of pandemic. They had to remain indoors during Christmas and New Year Eve, away from the mirth and celebrations. Utmost caution is the need of the hour. Please exercise social restraint and patience. We are going to win the war, for sure.
कोरोना वैक्सीन की उम्मीद के साथ नए साल का आग़ाज़
आप सभी को नए साल की शुभकामनाएं। 2020 बीत गया और यह डराने वाला साल था। ना अपनों को गले लगा सके, ना किसी के घर जा सके और ना किसी को मिलने बुला सके। मैंने 2020 के नौ महीने सिर्फ घर और इंडिया टीवी के स्टूडियो में गुजारे हैं। किसी से मुलाकात नहीं की । जो भी बात की वो वीडियो कॉल के जरिए फोन पर की। ब्रॉडकास्ट सेंटर के स्टूडियो में रोज जाता हूं पर करीब 280 दिन हो गए हैं, किसी से आमने-सामने नहीं मिला। सारी टीम से वीडियो कॉल के जरिए ही बात की।असल में ये कभी मेरा स्वभाव नहीं रहा। लोगों से मिलना- जुलना और दुख-सुख में अपनों के साथ खड़े होना मुझे अच्छा लगता है । इससे ऊर्जाऔर ताकत मिलती है। सीखने को मिलता है, पर क्या करते 2020 में हम सब मजबूर थे ।
जब कोरोना शुरू हुआ तो सलमान खान ने मुझसे कहा-‘सर, ये टाइम ऐसा है कि जो डर गया वो बच गया’। सब डर कर रहे। ना किसी की शादी में जा सके, ना किसी कि अंतिम यात्रा में कंधा दे सके। जीने का तरीका बदला, मरने का तरीका भी बदल गया। अब नए साल में दुआ करें कि ये डर मिट जाए, पाबंदियां हट जाए। हम अपनों का हाथ थाम सकें। जो तकलीफ में हो, उसे सीने से लगा कर हिम्मत दे सकें। जो खुशियां मनाना चाहता है उसके साथ हंस सकें और उसके उत्सव में शामिल हो सकें।
नए साल की बात अच्छी खबर से शुरू करते हैं। अच्छी खबर ये है कि देश नए साल का स्वागत कोरोना के वैक्सीन के साथ करेगा। सरकार ने फैसला किया है कि दो जनवरी से पूरे देश में वैक्सीनेशन (टीकाकरण) का ड्राई रन शुरू हो जाएगा और पूरी उम्मीद है कि नए साल के दूसरे हफ्ते से वैक्सीनेशन शुरू हो जाएगा। सरकार का पैनल ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और बायोटेक के दो अहम वैक्सीन की समीक्षा करेगा, जबकि फाइजर अपना प्रेजेंटेशन देगा। इन तीनों कंपनियों ने अपनी वैक्सीन के आपात इस्तेमाल के लिए भारत सरकार से मंजूरी मांगी है। लगता है आत्मनिर्भर भारत के जमाने में पहला शॉट स्वदेशी वैक्सीन का होगा। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को कोरोना से लड़ाई का अपडेट दिया और राज्यों से वैक्सीनेशन के लिए पूरी तरह तैयार रहने को कहा। उन्होंने कहा कि देश में बनी वैक्सीन देश के लोगों तक कम से कम समय में और सबसे पहले पहुंचे, इसके लिए युद्धस्तर पर तैयारियां की जा रही हैं।
इस वक्त पूरी दुनिया में खुशखबरी का मतलब एक ही है-कोरोना से निजात यानी कोरोना की वैक्सीन। दुनिया के कई मुल्कों में वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है। लेकिन हमारे यहां जिस तरह के हालात हैं और कोरोना को जिस तरह से काबू में रखा गया है उसे देखते हुए जल्दबाजी में फैसला लेने की जरूरत नहीं है। वैक्सीन को अपने सारे टेस्ट में पास होने के बाद ही मंजूरी मिलेगी। अभी तक ऐसा लगता है कि कोविशील्ड नाम की वैक्सीन को मंजूरी जल्दी मिल सकती है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशिल्ड वैक्सीन का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रहा है। कोविशील्ड की पांच करोड़ खुराक (डोज) पुणे में बनकर तैयार है। हर घंटे 5 लाख डोज का उत्पादन हो रहा है। इस महीने के अंत तक इस वैक्सीन का उप्तपादन बढ़कर दस लाख डोज प्रति घंटे हो जाएगा।
वैक्सीन आने और वैक्सीनेशन शुरू होने का मतलब ये कतई नहीं है कि कोरोना तुरंत खत्म हो जाएगा। कोरोना का खतरा रहेगा। खास तौर से कोरोना वायरस के नए रूप से सबको सतर्क रहने की जरूरत है। इसलिए कोरोना को लेकर अब नारा बदलना होगा। पीएम मोदी ने गुरुवार को कहा कि पहले नारा था,’जब तक दवाई नहीं तब तक ढ़िलाई नहीं’ लेकिन अब नारा है-दवाई भी और दवाई के साथ-साथ कड़ाई भी। यानि सावधानी जरूरी है।
पिछले कई वर्षों से पूरी दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम भारत में चल रहा है। दुनिया की दो तिहाई वैक्सीन का उत्पादन हमारे ही देश में होता है। एक बार जब भारत में कोरोना की वैक्सीन आ जाएगी तो यहां दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सिनेशन प्रोग्राम चलेगा। मोदी सरकार ने देशभऱ में 130 करोड से ज्यादा आबादी के वैक्सीनेशन की रणनीति तैयार की है। अब तक 50 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने की योजना तैयार कर ली गई है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने उम्मीद जताई है कि जुलाई तक कोविशील्ड वैक्सीन की 30 करोड खुराक तैयार हो जाएंगी। इसलिए देश के प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया का नर्व सेंटर (नब्ज) है। दुनिया भर को दवा देने के बाद भी इस खतरे से कोई भी देश अकेले नहीं लड़ सकता। मोदी ने कहा कि दुनिया भर की सेहत ठीक रखनी है तो बीमारियों से और कोरोना जैसे खतरों से दुनिया को एक होकर लड़ना होगा।
एक बात तो कहनी पड़ेगी कि नरेन्द्र मोदी ने वक्त पर कोरोना के खतरे की गंभीरता को समझा। देश के हालात को समझते हुए सही वक्त पर लॉकडाउन जैसा कड़ा फैसला लिया। 133 करोड़ के देश में लोगों को घर में रखना आसान काम नहीं है लेकिन मोदी ने राज्य सरकारों की मदद से ये कर दिखाया। कोई भूख ना रहे इसका इंतजाम किया। लोग कोरोना के खतरे से बच कर रहें इसके लिए लोगों को प्रेरित किया और रास्ता दिखाया। उन्होंने दस महीने दस बार देश को संबोधित किया। यही लीडर का काम होता है।
इसी का नतीजा है कि आज देश में हालात कमोबेश नियंत्रण में है। अकेले दिसंबर में कोरोना के मामले छह महीने के निचले स्तर 8.2 लाख तक गिर गए। दिसंबर महीने में 11,400 मौतें हुईं जो कि एक महीने में मई के बाद कोरोना से होनेवाली सबसे कम मौतों की संख्या है। मई महीने में कुल 4,267 लोगों की इस संक्रमण से मौत हुई थी। सितंबर में सबसे ज्यादा 33 हजार लोगों की मौत हुई थी। दिसंबर लगातार तीसरा ऐसा महीना रहा जिसमें मृत्यु दर में लगातार गिरावट दर्ज की गई। ऐसे समय में जब अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश महामारी से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, हमें इस समय बेहद सतर्क रहने और उम्मीद बनाए रखने की जरूरत है।
आज ज्यादातर विकसित राष्ट्र भारत की ओर देख रहे हैं कि हमारी सरकार इस महामारी से कैसे निपट रही है। ये मुल्क हमारी तरफ मदद के लिए देख रहे हैं और मोदी की रणनीति की तारीफ कर रहे हैं। चूंकि अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी में लोगों ने लॉकडाउन खुलने के बाद लापरवाही की तो कोरोना ने दोबारा हमला कर दिया। ये तमाम बड़े और पैसे वाले मुल्क परेशान हैं। इसीलिए मोदी ने कहा कि अब हमें वो गलती नहीं करनी है, जो दूसरों ने की।
अब नए साल में पूरा देश वैक्सीन से उम्मीद लगाए बैठा है। लेकिन सिर्फ वैक्सीन बन जाए और मिल जाए, ये काफी नहीं है।133 करोड़ लोगों के देश में सबतक वैक्सीन पहुंचाना बहुत बड़ा काम है। वैक्सीन बन जाने के बाद उसे स्टोर करने के लिए हर राज्य में हजारों कोल्ट स्टोरेज की जरूरत है। वैक्सीनेशन के लिए करोडों सीरिंज की जरूरत होगी। वैक्सीन लगाने वाले लाखों प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की जरूरत होगी। ये काम आसान नहीं है, लेकिन चूंकि नरेन्द्र मोदी ने पहले से प्लानिंग और तैयारी की, इसलिए हम दिशा में काफी आगे बढ़ चुके हैं। वैक्सीन को लेकर सरकार किस स्तर पर तैयारी कर रही है इसका अंदाजा आपको इस बात से होगा कि वैक्सीन को अभी मंजूरी नहीं मिली है,लेकिन वैक्सीनेशन के लिए सरकार 83 करोड़ सिरिंज का ऑर्डर दे चुकी है। कई कंपनियों में हर घंटे 1 लाख सीरिंज बनाई जा रही है। देश भऱ में वैक्सीनेशन की ट्रेनिंग दी जा रही है। 59 हजार तो सिर्फ ट्रेनर हैं जो हर जिले,हर तालुका में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर हॉस्पिटल्स तक में लोगों को वैक्सीनेशन के प्रोटोकॉल की ट्रेनिंग दे रहे हैं। वैक्सीन को स्टोर करने के लिए हर राज्य में हजारों कोल्ड स्टोर बनकर तैयार है। लेकिन सरकार कितनी भी तेजी कर ले, कितने भी संसाधनों का इस्तेमाल कर ले, जुलाई तक देश में सिर्फ 25 करोड़ लोगों का ही वैक्सीनेशन हो पाएगा।
इसीलिए बार-बार कहा जा रहा है कि वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद लापरवाही नहीं करनी है क्योंकि अगर एक भी कोरोना का मरीज रह गया तो खतरा फिर बढ़ जाएगा। जब तक सब को वैक्सीन नहीं लग जाती मास्क हमारे साथ रहेगा। दो गज की दूरी बनी रहेगी। इसके साथ-साथ एक और सावधानी की जरूरत है, अफवाहों से दूरी बनाकर रखिए। न अफवाह पर यकीन करिए और न अफवाह को फैलाने में मदद करिए। क्योंकि अफवाहें कोरोना वायरस से भी ज्यादा तेजी से फैलती हैं। वैक्सीन आई नहीं लेकिन वैक्सीन के बारे में अफवाह घर-घऱ पहुंच गई। मैंने तो दो हफ्ते पहले आपको अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ दिखाया था कि मुंबई में दस मुस्लिम संगठनों के मौलानाओं और उलेमाओं की मीटिंग हुई थी। इसमें तय हुआ था कि जो वैक्सीन भारत में इस्तेमाल होगी उसके बारे में पहले मुस्लिम संगठन तसल्ली करेंगे। इस बात की जांच करेंगे कि उसमें कोई गैर हलाल मटीरियल यानी सूअर की चर्बी तो इस्तेमाल नहीं की गई।अगर ऐसा हुआ तो फिर मुसलमान वैक्सीन का बॉयकॉट करेंगे।इसीलिए गुरुवार को मोदी ने इन अफवाहों को लेकर साफ बात की। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2021 में कोरोना के अलावा वैक्सीन की अफवाहों से भी बचने की जरूरत है।सोशल मीडिया पर कोई भी मैसेज आता है तो उसपर आंख मूंद कर भरोसा ना करें क्योंकि ये अनजान दुश्मन कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। कोरोना वैक्सीनेशन के लिए सरकार की गाइडलाइंस का पालन कीजिए।
जो लोग वैक्सीन को लेकर इस तरह के सवाल उठा रहे हैं उन जैसे लोगों को जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जनरल सेक्रेटरी मौलाना महमूद मदनी की बात सुननी चाहिए। मौलाना मदनी से भी यही सवाल पूछा गया था कि क्या मुसलमानों में कोरोना वैक्सीन को लेकर कुछ गफलत है? मुसलमानों को क्या करना चाहिए? तो मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि वैसे तो इस्लाम में जो जायज नहीं है वो नहीं करना है,लेकिन जब और कोई विकल्प नहीं रह जाएगा, जान पर बन आएगी तो फिर हलाल और हराम का फर्क भूलना ही बेहतर है। वहीं देवबंद के मौलाना कारी इसहाक गोरा ने गुरुवार को साफ तौर पर कहा कि जान है तो जहान है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम भाई वैक्सीन को लेकर किसी तरह की अफवाहों पर यकीन ना करें। जान रहेगी तो इबादत भी कर पाएंगे और इंसानियत की खिदमत का फर्ज भी निभा पाएंगे। इसलिए जान बचाने के लिए जो करना पड़े, सब हलाल है।
इस तरह की अफवाह सिर्फ हमारे देश में नहीं बल्कि दुनिया के तमाम इस्लामिक मुल्कों में फैल रही है। हालत ये हो गई कि इंडोनेशिया की सरकार ने चीन से कोरोना वैक्सीन की 12 लाख डोज मंगवा ली लेकिन इस्तेमाल नहीं किया क्योंकि ये अफवाह फैल गई कि वैक्सीन में सुअर की चर्बी का इस्तेमाल हुआ है। जरा सोचिए, अफवाहों के सामने सरकारें भी बेबस हैं। इसीलिए अब दुनियाभर के मौलाना अफवाहों पर स्थिति साफ कर रहे हैं और लोगों को समझा रहे हैं। सऊदी अरब के बड़े मौलाना शेख आसिम बिन लुकमान अल-हकीम का कहना है कि अगर जान बचाने के लिए वैक्सीन जरूरी है और वैक्सीन में कोई ऐसी चीज है जिसका इस्तेमाल इस्लाम में हराम है तो भी उसका उपयोग करने में कोई हर्ज नहीं है।
अमेरिका में तो सोशल मीडिया पर बिल गेट्स के नाम से अफवाह उड़ा दी गई कि बिल गेट्स ने कहा है कि वैक्सीन का साइड इफेक्ट ऐसा होगा कि 7 लाख लोगों की जान चली जाएगी। जबकि बिल गेट्स ने तो सिर्फ इतना कहा था कि सात लाख लोगों को वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। एक और खतरा ये है कि वैक्सीन आने पर दुनिया के बड़े माफिया, साइबर क्राइम के क्रिमिनल गैंग एक्टिव हो गए हैं। ऐसे लोगों से भी सावधान रहने की जरूरत है। ऐसी कई शिकायतें मिली हैं जहां वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन के नाम पर लोगों से आधार कार्ड का नंबर या ओटीपी मांगा गया। बैंको में कई ग्राहक इस तरह की शिकायत लेकर आए हैं जहां वैक्सीन के नाम पर ओटीपी मांगा और बैंक एकाउंट साफ कर दिया। इसलिए मैं आपको आगाह करना चाहता हूं कि वैक्सीन रजिस्ट्रेशन कराने के बहाने आपका आधार नंबर, ई-मेल आईडी, ओटीपी मांगने वालों से सावधान रहें और अफवाहों पर भरोसा न करें। इस समय जरूरत इस बात की है कि खुद भी सावधान रहें और दूसरों को भी सावधान करें। कोरोना वायरस के गाइडलाइंस का पालन करें और सुरक्षित रहें। नया साल एक नई उम्मीद लेकर आया है। हमें साहस और दृढ़ विश्वास के साथ मानव जाति पर हुए इस घातक हमले का सामना करने लिए कोविड वैक्सीन का इंतजार करना होगा।
New Year dawns with hope of vaccines which will counter Covid pandemic
Let me begin the New Year by extending my best wishes to all of you. The year that has gone by, was one that frightened each and every one of us. We could not visit our near and dear ones, could not hug them, could not shake hands with them nor could we invite acquaintances to our homes. I spent nine months either at my home or in India TV studio. I avoided meeting people and communicated with all, either through phone or video calls. For the last 280 days I had been going to India TV Broadcast Centre, but did not meet anybody physically, face to face.
It has never been in my nature to communicate with others through phone or video only. I always preferred meeting people daily, looking into their eyes, while speaking to them like close friends. Meeting people, standing with them in times of joy and sorrow used to give me energy and strength. I learned a lot from such meetings, but in 2020, all of us were helpless.
When the Covid pandemic broke, actor Salman Khan told me “jo dar gaya, woh bach gaya” (only those who fear, will survive). Everybody across the world lived in a state of fear. People could not attend weddings, nor could attend the funerals of their near and dear ones. The very nature of living and dying underwent a fundamental change. In the New Year, let all of us pray, we will get rid of this state of fear and the restrictions that have been placed on us. Let’s hope we can again hold each other’s hands and hug them to give them strength, and heartily laugh with those who love to celebrate life.
Let me usher in the New Year with the good news that India will start a dry run for Covid vaccination from January 2. There is hope that vaccination will begin in India from the second week of this month. The government panel will review the two main vaccines Oxford-AstraZeneca and Biotech, while Pfizer will make their presentation. All the three have sought emergency approvals from the government to start vaccination. The first shot that will be given will be of an indigenous vaccine. Prime Minister Narendra Modi has said that the first vaccine that will be given will be the one that has been made in India and preparations are being made on a war footing to vaccinate people across India within the shortest time span.
We must not be in a tearing hurry to get the vaccine, until and unless they pass all tests. As of now, the Oxford-AstraZeneca Covishield vaccine manufactured with the help of Serum Institute of India will be the one that may be given first in India. More than 5 crore doses of this vaccine are ready in Pune. Every hour five lakh doses are being prepared and by the end of the month, 10 lakh doses per hour will be prepared.
Once vaccination starts, it does not mean that the pandemic will end soon. Everybody will have to be on guard against the virus that is mutating into new strains. On Thursday, Prime Minister Modi said, the slogan in 2020 was ‘jab tak dawai nahin, tab tak dhilai nahin’ (no laxity till the vaccine arrives), but now our slogan should be “dawai bhi, dawai ke saath kadaai bhi” (let’s have the vaccine, but continue to be strict).
India, over the years, had been carrying out the world’s largest vaccination campaign. More than two-thirds of the world’s vaccines are made in India. Once the vaccines are ready, India will launch the world’s biggest Covid vaccination programme. The Modi government intends to vaccinate all the 130 crore plus Indians, out of which plans are being rolled out to vaccinate 50 crore people in the first stage itself. By July, Serum Institute of India expects to prepare nearly 30 crore doses ready. That is why, the Prime Minister said on Thursday that India will be the nerve center for the worldwide vaccination programme. Even after supplying vaccines to the entire world, no country can claim to fight the pandemic alone. For the entire world to remain healthy, all countries must join hands to give the pandemic a collective fight, Modi said.
The credit goes to Modi, who assessed the dangers of the pandemic on time, and decided to impose a nationwide lockdown to stem the spread of the deadly virus. This decision was a bitter medicine for all, but ensuring that 133 crore Indians remain indoors, was not an easy task. He took the help of all state governments in ensuring that the lockdown was in place. He ensured that there was uninterrupted supply of food and essential commodities. He also ensured that no Indian should face hunger. He also motivated more than a billion Indians how to stay safe inside their homes. For ten months, he addressed the nation ten times. This is the hallmark of an astute and capable leader.
The outcome is there for all to see. The pandemic is, more or less, under control in India. Covid cases fell to a six-month low of 8.2 lakhs in December alone. December recorded the fewest number of deaths (11,400) since May (4,267). The highest death toll (33,000) was in September. December was also the third consecutive month of fall in cases and fatalities. At this moment, there is need for cautious optimism, even as countries like the USA and UK are struggling to cope with the pandemic.
Most of the developed nations are looking towards India to gauge how our government is dealing with the pandemic. They were initially sceptical, but are now openly praising Modi government for the manner in which he handled the nationwide lockdown. Countries like the USA, UK, France and Germany were lax while enforcing lockdown, and they are now facing a second wave of pandemic. These developed economies have huge resources, but because of mistakes, they are now facing fresh problems. That is why, on Thursday, Modi said, we in India must not commit the mistakes done by others, we must learn from past mistakes and must not relent in enforcing safety precautions.
Carrying out a gigantic vaccination programme throughout India is not an easy task. Thousands of cold storages have been set up in states to ensure that the entire population of 133 crore Indians get the vaccine. Millions of trained health workers and crores of syringes will be deployed to vaccinate people. Since Narendra Modi had made preparations well in advance, we are now in the stage of giving final touches to that plan. Even though the formal approval was given, 83 crore syringes had been ordered by the government. Several companies are manufacturing one lakh syringes per hour. 59,000 trainers are imparting training to millions of health workers how to vaccinate. In every district and taluka, in government primary health centres and district and sub-divisional hospitals, trainers are teaching health workers about following the Covid vaccination protocol. Even after such massive preparations, only 25 crore Indians will be vaccinated by July this year.
Until and unless the last Indian is vaccinated, the threat of the virus will remain. We must comply with the guidelines for wearing masks, frequent washing of hands and maintaining two-yard social distancing.
We must remain careful not to fall prey to baseless rumours being circulated by vested interests. Two weeks ago, in my prime time show ‘Aaj Ki Baat’, we showed how ten Muslim outfits in Mumbai decided to consult experts whether the Covid vaccine contained animal extract made from pork, which is considered un-Islamic? The Prime Minister, on Thursday referred to baseless rumours being spread by various people about the vaccine. He pleaded with people not to forward such baseless messages on social media, and following the government guidelines on Covid vaccination.
Imagine, on one hand, the government has to protect people by vaccinating them, and on the other hand, it has to protect people from baseless rumours about the vaccine. Rumour mongers will come in the form of specialists, experts, clerics and scholars. They will act as if they are speaking the truth, as if they are your well-wishers. The Raza Academy from Mumbai wrote a letter to World Health Organization seeking information about use of animal extract in Covid vaccines, but it is yet to get any reply from the WHO. Maulana Khalilur Rehman of Raza Academy on Thursday said he was waiting for the WHO’s reply. “We are against Covid vaccines, but till the time we do not get reply from WHO, Muslims will avoid taking the vaccine”, he said.
This is one insidious manner in which questions are being raised about the vaccine. He should take a leaf from Jamiat Ulema-e-Hind leader Maulana Mehmood Madni, who said, the question is not whether any medicine is ‘halaal’ or ‘haraam’. So long as the medicine can save lives, there is no harm in taking the medicine, he said.
Maulana Qari Ishaq Gora, a noted cleric of Darul Uloom, Deoband, said on Thursday ‘jaan hai, toh jahan hai’ (so long as you are safe and alive, the world is yours). He appealed to all Muslims not to believe in baseless rumours or speculations. “To save one’s life, everything is halaal (Islamic)”, he added.
The rumours emanated when Indonesia imported 12 lakh Chinese Sinopharm Covid vaccine, but it was later found that it contained animal extract from pork. Indonesian government decided not to use the vaccine. The Saudia Arabian cleric Sheikh Assim bin Luqman al-Hakeem has clearly said that even if a vaccine contained animal extract that is ‘haraam’(un-Islamic) it must be used if it can save people’s lives.
On social media, a rumour was circulated about Microsoft founder Bill Gates saying that the side effects of Covid vaccine will register deaths of seven lakh people. The fact is: Gates had only said that the Covid vaccine may cause side effects in seven lakh people. There are also reports of international cyber crime gangs operating, trying to fleece people by asking them to share their bank details and OTPs (one time passwords) for vaccination and then cleaning off their money from their bank accounts.
The need of the hour is to remain vigilant, avoid listening to baseless rumours, and stay safe by following Covid guidelines. The New Year has dawned with a new hope. Let us all wait for the vaccine and face the deadliest attack on mankind in recent history, with courage and conviction.