बेंगलुरु में हुई हिंसा की प्लानिंग सोच-समझकर की गई थी
पूर्वी बेंगलुरु में मंगलवार रात को हुई हिंसा में 3 लोगों की मौत हो गई और 60 से भी ज्यादा अन्य लोग घायल हो गए। इस पूर्व नियोजित हिंसा में घायल होने वाले लोगों में ज्यादातर पुलिसकर्मी थे। पुलिस ने इस मामले में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के प्रवक्ता मुजम्मिल पाशा को गिरफ्तार किया है। पाशा ने ही पुलिस से झड़प करने वाली और उनपर पथराव एवं आगजनी करने वाली भीड़ का नेतृत्व किया था। पुलिस ने 145 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है और कर्नाटक के गृह मंत्री ने कहा है कि बेंगलुरु हिंसा में हुए नुकसान की वसूली प्रदर्शनकारियों से की जाएगी।
ये सारा फसाद एक स्थानीय कांग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति के भांजे नवीन द्वारा फेसबुक पर पोस्ट की गई एक आपत्तिजनक टिप्पणी के चलते हुआ था, जिसमें उसने पैगंबर मोहम्मद का अपमान किया था। इस फेसबुक पोस्ट को मुजम्मिल पाशा और बाकी लोगों ने सर्कुलेट किया और लोगों से कहा कि वे पैगंबर मोहम्मद के अपमान का बदला लेने के लिए बाहर निकलकर प्रदर्शन करें। बेंगलुरु पुलिस ने फेसबुक पर अभद्र टिप्पणी पोस्ट करने वाले युवक को गिरफ्तार कर लिया है।
हिंसक भीड़ में से किसी ने भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि फेसबुक पर अभद्र कमेंट करने वाले लड़के के खिलाफ पुलिस ने क्या कार्रवाई की, और न ही किसी ने यह सोचा कि वे किसी एक शख्स के आपराधिक कृत्य का बदला लेने के लिए पुलिस स्टेशन को निशाना क्यों बनाएं। सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह थी कि कैसे सोशल मीडिया के जरिए भड़काऊ मैसेज भेजे जाने के कुछ ही देर बाद हजारों की भीड़ इकट्ठा हो गई। आगजनी को अंजाम देने के लिए दंगाइयों को फ्यूल और अन्य सामान किसने मुहैया कराया?
बेंगलुरु के हमारे रिपोर्टर टी. राघवन ने तथ्यों और घटनाओं को एक साथ पिरोया है ताकि इस घटना का सीक्वेंस समझा जा सके। शाम करीब 5 बजे फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट व्हाट्सऐप पर वायरल किया गया था। इस मैसेज को ज्यादातर मुसलमानों के पास भेजा गया जिसमें उनसे घरो से बाहर निकलने के लिए कहा गया। शाम 6 बजे मुजम्मिल पाशा अपने समर्थकों के साथ डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन पहुंचा और नवीन की गिरफ्तारी की मांग की। पुलिस ने उसकी शिकायत पर कार्रवाई करने का वादा किया।
इस बीच, एसडीपीआई कार्यकर्ता व्हाट्सएप पर मैसेज वायरल कर रहे थे जिनमें वे समर्थकों को इकट्ठा होने के लिए कह रहे थे। जल्द ही अफवाह फैल गई कि नवीन विधायक के घर में छिपा हुआ है। इतन सुनते ही भीड़ वहां इकट्ठी हो गई। इसके बाद भीड़ ने विधायक के ऑफिस में तोड़फोड़ की और उनके घर में आग लगा दी।
यह भीड़ उस भीड़ से अलग थी जो ‘अल्लाहु अकबर’ के नारे लगाते हुए डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन को आग लगाने के लिए गई थी। भीड़ पुलिस स्टेशन के अंदर घुसी और बाहर खड़ी अधिकांश गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। पुलिसवालों के मुकाबले भीड़ में ज्यादा लोग थे और वे एक्स्ट्रा फोर्स को आने के लिए रास्ता भी नहीं दे रहे थे। कोई रास्ता न देख पुलिस को गोलीबारी का सहारा लेना पड़ा। इसमें 3 लोगों की मौत हो गई और भीड़ पीछे हटने लगी। हालांकि तब तक पुलिस स्टेशन आग से जलकर लगभग पूरी तरह बर्बाद हो चुका था।
मैंने वह वीडियो देखा है जिसमें मुजम्मिल पाशा अपने समर्थकों को यह कहकर उकसा रहा था कि यह यूपी या बिहार नहीं है, और बेंगलुरु के मुसलमान अपने पैगंबर के अपमान का बदला लेकर लेंगे। विधायक के घर और दफ्तर में आग लगाने के बाद भीड़ ने आंजनेय स्वामी मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख मुनेगौड़ा के घर में भी तोड़फोड़ की। मुनेगौड़ा का विधायक या उनके भांजे के पोस्ट से कोई लेना-देना भी नहीं था, फिर भी उनके घर को निशाना बनाया गया।
पैगंबर मोहम्मद को बदनाम करना बेहद ही आपत्तिजनक है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। दुनिया को शांति और भाईचारे का पैगाम देने वाले पैगंबर का अपमान करके किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करना अपराध है। लेकिन, घरों, गाड़ियों और पुलिस स्टेशनों में आग लगाना पैगंबर के सच्चे अनुयायियों का काम नहीं हो सकता। 3 लोगों की मौत और 60 लोगों के घायल होने के जिम्मेदार लोग इस्लाम के सच्चे अनुयायी नहीं हो सकते।
मुझे बताया गया है कि किसी ने जन्माष्टमी के दौरान फेसबुक पर भगवान कृष्ण के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी पोस्ट की थी, और जवाब में विधायक के भांजे ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में यह आपत्तिजनक टिप्पणी पोस्ट की। ये दोनों कृत्य निंदनीय हैं और इनकी निंदा किए जाने की जरूरत है।
भगवान कृष्ण पर की गई अभद्र टिप्पणी को भी थोड़े-बहुत लोगों ने देखा और मोहम्मद साहब के बारे में किए गए कमेंट को भी गिने-चुने लोगों ने ही देखा। लेकिन इस टिप्पणी का स्क्रीनशॉट लेना और इसे सोशल मीडिया पर वायरल करके लोगों को बाहर आने और विरोध करने के लिए उकसाना एक आपराधिक कृत्य है। मजहब के नाम पर हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इन लोगों ने नफरत और हिंसा की चिंगारी को हवा दी और इन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए। ऐसे लोग आगजनी और हिंसा का सहारा लेकर इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं।
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Bengaluru violence: pre-meditated and pre-planned.
The violence that rocked East Bengaluru on Tuesday night leading to the death of three people and injuries to more than 60 others, mostly policemen, was pre-meditated, pre-planned. Police have arrested a spokesperson of Social Democratic Party of India (SDPI) Muzammil Pasha, who led the mob to carry out stoning, arson and clashes with police. More than 145 others have been arrested and the Home Minister of Karnataka has said that the protesters will be made to pay for the losses they have inflicted in India’s IT capital.
The immediate provocation for the violence was a derogatory Facebook comment posted by Naveen, a nephew of a local Congress MLA, Srinivasa Murthy, in which he insulted Prophet Mohammed. This FB post was circulated by Muzammil Pasha and others asking the devouts to come out and protest because the Prophet has been insulted. Bengaluru police have also arrested the youth who posted the derogatory comment on Facebook.
None among the violent mob tried to find out what action police took against the youth who posted the FB comment, nor did anybody give a thought to why they should attack police stations in retaliation over one individual’s criminal act.
The most surprising part was how thousands of people congregated all of a sudden in response to provocative messages forwarded through social media. Who provided the rioters with fuel and other incendiary material to carry out arson?
Our Bengaluru reporter T. Raghavan has pieced together facts and incidents to create a sequence of events. At around 5 pm, screenshot of the FB comment was viral on WhatsApp and was being forwarded mostly among Muslims, asking them to come out. At 6 pm, Muzammil Pasha went with his supporters to DJ Halli police station demanding Naveen’s arrest. Police took down their complaint and promised action. Meanwhile, SDPI workers were furiously circulating messages on WhatsApp asking supporters to congregate. Soon, rumours spread that Naveen was hiding in the MLA’s house, and the mob collected there. They ransacked his office and set fire to the house. This mob was different from the mob that had gone to set the DJ Halli police station on fire amidst chants of “Allahu Akbar”. The crowd entered the police station, and set fire to most of the vehicles parked outside. The police was vastly outnumbered by the mob, which was preventing additional forces from reaching the spot. It was then that the police had to resort to firing. Three people died and the crowd started retreating. By that time, the police station was mostly reduced to ashes.
I have seen the video in which Muzammil Pasha was inciting his supporters by saying that this was not UP or Bihar, and the Muslims of Bengaluru will take revenge for the insult heaped on our Prophet. After setting fire to the MLA’s house and office, the mob also ransacked the house of Munegowda, head of Anjaneya Swami Temple Trust. Munegowda had nothing to do with the MLA or his nephew’s post, but his house was attacked.
Denigrating Prophet Mohammed is highly objectionable and must not be condoned. It is a crime to hurt the religious feelings of a community by insulting the Prophet who has given the message of peace and brotherhood to the world. But, setting fire to homes, vehicles and police stations cannot be the work of true followers of the Prophet. Those responsible for the death of three persons and injuries to 60 others cannot be true believers of Islam.
I have been told that somebody posted an objectionable comment about Lord Krishna on Facebook during Janmashtami, and in response, the MLA’s nephew posted this objectionable remark about Prophet Mohammed. Both these acts are reprehensible and need to be condemned.
Only a few people read the objectionable FB comment on Lord Krishna, and similarly, a few people read the insulting comment about the Prophet. But, to take screenshot of this comment and making it viral on social media, and by inciting people to come out and protest, is a criminal act. Action must be taken against those who incited violence in the name of religion. These people fanned flames of hatred and violence, and they must be punished. Such people are bringing a bad name to Islam by resorting to arson and violence.
क्या अब कोविड वैक्सीन का इंतजार खत्म हो गया है?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा दुनिया की पहली COVID वैक्सीन की लॉन्चिंग की घोषणा एक राहत देने वाली खबर है। हालांकि इस वैक्सीन के असर को लेकर कुछ आशंकाएं भी हैं। यह गुड न्यूज एक ऐसे समय में आई है जब अमेरिका, ब्राजील, भारत, रूस और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में महामारी जंगल की आग की तरह फैल रही है।
अभी तक इस महामारी से कुल 2.05 करोड़ लोग संक्रमित हुए हैं जिनमें से लगभग 7.5 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। अमेरिका कोरोना वायरस से संक्रमण के 53.05 लाख मामलों और 1.67 लाख से ज्यादा मौतों के साथ लिस्ट में सबसे ऊपर है। अमेरिका के बाद ब्राजील का नंबर आता है जहां 31.12 लाख संक्रमितों में से लगभग एक लाख की मौत हो चुकी है। भारत इस लिस्ट में 23.3 लाख मामलों और 46 हजार से भी ज्यादा मौतों के साथ तीसरे स्थान पर आता है। महामारी का फैलाव जिस हिसाब से हुआ है, वह वाकई में डरावना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उन 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की, जहां महामारी तेजी से फैल रही है। मोदी ने बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों को युद्धस्तर पर कोरोना वायरस की टेस्टिंग करने, हॉटस्पॉट्स में महामारी को रोकने के लिए कड़ी मेहनत करने और 72 घंटे के भीतर संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करने के लिए कहा। इस समय भारत के कुल COVID मामलों में से 10 इन राज्यों में हैं। मोदी ने मुख्यमंत्रियों से मृत्यु दर को एक प्रतिशत तक लाने के लिए कहा, ताकि संक्रमण का जल्द पता लग सके और लोगों को समय पर इलाज मिले।
भारत में मंगलवार को कोरोना वायरस से संक्रमण के कुल 60,963 नए मामले सामने आए थे और 834 लोगों की मौत हुई थी। इसी के साथ COVID मामलों का कुल आंकड़ा 23,29,639 तक पहुंच गया है, जिसमें से 6,43,948 ऐक्टिव केस हैं और 16,39,600 लोग इस बीमारी से रिकवर हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 46,091 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, देश भर में 2.60 करोड़ सैंपल्स की टेस्टिंग की जा चुकी है। इनमें से 7,33,449 सैंपल्स की टेस्टिंग तो अकेले मंगलवार को ही हुई। ये आंकड़े पूरे भारत में बड़े पैमाने पर की जा रही टेस्टिंग को दर्शाते हैं।
इन सकारात्मक संकेतकों के बावजूद भारत अभी भी खतरे से बाहर नही है। लोग बेसब्री से एक कारगर वैक्सीन के सामने आने का इंतजार कर रहे हैं ताकि महामारी पर कंट्रोल किया जा सके। रूसी राष्ट्रपति ने कहा है कि उनके स्वास्थ्य मंत्रालय ने Sputnik V वैक्सीन को नियामक मंजूरी दे दी है, हालांकि अभी इसका फाइनल ट्रायल नहीं हुआ है। पुतिन ने दावा किया कि उनकी एक बेटी ने टीका लगवा लिया है और इसके बाद वह अच्छा महसूस कर रही हैं।
सिस्टेमा, जो कि एक रूसी बिजनस ग्रुप है, इस साल के अंत तक मॉस्को के गामालेया इंस्टिट्यूट द्वारा विकसित की गई इस वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू कर देगा। रूस के डॉक्टरों और शिक्षकों को इस महीने के अंत से टीका लगना शुरू हो जाएगा, और उम्मीद है कि अक्टूबर तक इसे बड़े पैमाने पर लोगों को लगाना शुरू कर दिया जाएगा। यदि पुतिन का दावा सही साबित होता है, और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इस टीके को मंजूरी दे देता है, तो यह पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी राहत होगी। डब्ल्यूएचओ का मानना है कि रूसी जल्दबाजी कर रहे हैं क्योंकि फाइनल ट्रायल, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं, होना अभी बाकी है।
रूस में दुनिया के शीर्ष दवा निर्माताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल ट्रायल ऑर्गनाइजेशन ने पहले ही अंतिम परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा होने तक अप्रूवल रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखा है। संगठन ने कहा है कि अब तक 100 से कम लोगों को टीका दिया गया है और ऐसे में सामूहिक टीकाकरण खतरनाक हो सकता है।
दुनिया में इस समय कम से कम 160 टीकों पर काम चल रहा है। इनमें से आधिकांश टीके अमेरिका, ब्रिटेन, इजरायल और चीन में बनाने की कोशिश की जा रही है। भारत में इस समय तीन टीके क्लिनिकल ट्रायल स्टेज पर हैं। भारत बायोटेक और कैडिला हेल्थकेयर स्थानीय रूप से विकसित वैक्सीन कैंडिड पर फेज 1 और फेज 2 का क्लिनिकल ट्रायल कर रहे हैं, जबकि पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी में विकसित वैक्सीन कैंडिडेट के लिए फेज 3 ट्रायल कर रहा है।
इस समय दुनियाभर में 19 टीकों पर फेज 1 का ट्रायल किया जा रहा है, 12 टीके फेज 2 के ट्रायल में हैं, और 5 टीकों का फेज 3 ट्रायल चल रहा है। 5 टीके अंतिम ट्रायल स्टेज में पहुंच चुके हैं और इनके शुरुआती नतीजे अक्टूबर तक आने की उम्मीद है। भारत सरकार, नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल की अध्यक्षता में, वैक्सीन ऐडमिनिस्ट्रेशन पर गठित अपनी नेशनल एक्सपर्ट कमिटी के जरिए अन्य देशों के साथ संपर्क में है। समिति में स्वास्थ्य सचिव, विदेश सचिव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव और आईसीएमआर एवं एम्स के प्रमुख शामिल हैं।
सरकार ने कहा है कि दुनियाभर में कहीं भी एक कारगर वैक्सीन सामने आती है तो उसे खरीदने और लोगों को उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश की जाएगी। हमें आशा करनी चाहिए कि एक प्रभावी वैक्सीन का इंतजार जल्द ही खत्म होगा और महामारी पर कंट्रोल कर लिया जाएगा।
Is wait for a COVID vaccine over ?
The announcement by Russian President Vladimir Putin about the launch of the world’s first COVID vaccine has come as a welcome news, tinged with some uncertainties about its efficacy. This good news comes at a time when the pandemic is spreading like wildfire in countries like the US, Brazil, India, Russia and South Africa.
So far, the pandemic has infected 2.05 crore causing nearly 7.5 lakh deaths. USA leads the list with 53.05 lakhs cases and more than 167,000 deaths. Brazil comes second with 31.12 lakhs and more than one lakh deaths. India is third in this list with 23.3 lakh cases and more than 46,000 deaths. The scale of the pandemic is, indeed, frightening.
On Tuesday, Prime Minister Narendra Modi held a video meeting with chief ministers of ten states where the spread of the pandemic is alarming. Modi asked the chief ministers of Bihar, Gujarat, UP, West Bengal and Telangana to ramp up testing on a war footing, work hard on containing the pandemic in hot spots and ensure contact-tracing within 72 hours of people who were close to infected persons. These ten states account for 80 percent of COVID cases in India at the moment.
Modi asked the chief ministers to reduce fatality rate to one percent, which would mean success in detecting infections early and ensuring timely treatment.
On Tuesday, there was a spike of 60,963 fresh COVID cases and 834 deaths reported in India. Total COVID case tally has gone up to 23,29,639, out of which 6,43,948 were active cases and 16,39,600 people recovered. Total death tally stands at 46,091. A huge 2.60 crore samples were taken across the country, according to Indian Council of Medical Research. Out of these, 7,33,449 samples were tested on Tuesday alone, indicating the scale of testing that is being carried out across India.
In spite of these positive indicators, India is still not out of the woods. People are impatiently waiting for a successful vaccine to be introduced so that the pandemic can be controlled. The Russian President has said that his health ministry has given regulatory approval to the Sputnik V vaccine, though it has not completed the final trials. Putin claimed that one of his daughters has taken the vaccine and felt good afterwards.
Sistema, a Russian business conglomerate, will put the vaccine, developed by Moscow’s Gamaleya Institute, into mass production by the end of this year. Doctors and teachers will be vaccinated from this month’s end, and mass roll-out is expected to begin in Russia by October.
If Putin’s claims prove true, and if WHO approves this vaccine, it will come as a big relief to the entire world. WHO believes that the Russians seem to be in a hurry as the final trials, involving thousands of people, are yet to take place.
Already, the Association of Clinical Trials Organisations, a body representing the world’s top drug makers in Russia, has written to the Health Ministry to postpone approval till the final trials are successfully completed. The organization has said that less than 100 people have been given the vaccine till now and therefore, mass vaccination could be hazardous.
Work is going on at least 160 vaccines across the world, mostly in US, UK, Israel and China. In India, three vaccines are in the clinical trial stage. Bharat Biotech and Cadila Healthcare are conducting Phase 1 and Phase 2 clinical trials on locally developed vaccine candidates, while Pune-based Serum Institute is doing Phase 3 trialsfor Oxford University’s vaccine candidate developed in UK.
At present, 19 vaccines across the world are undergoing Phase 1 trial, 12 vaccines are in Phase 2 trial, and five vaccines are in Phase 3 trial. Five vaccines have entered the final trial stage and the preliminary results are expected only in October.
The Indian government, through its national expert committee on vaccine administration, headed by Dr V K Paul, member, Niti Aayog, is in touch with other countries. The committee includes the health secretary, foreign secretary, biotechnology department secretary, and chiefs of ICMR and AIIMS.
The government has maintained that once an effective vaccine is available anywhere throughout the world, efforts will be made to procure them and make it available to the people. Let us hope that the wait for an effective vaccine will end soon and the pandemic will be brought under control.
सुशांत की मौत पर राजनीति न करें
बॉलीवुड अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती का मानना है कि बिहार के नेता वहां चुनाव की वजह से सुशान्त सिंह राजपूत की मौत के मामले को ज़रूरत से ज्यादा तूल दे रहे हैं । शिव सेना नेता संजय राउत का कहना है कि भाजपा और जद(यू) के नेता चुनाव में बिहार के मतदाताओं पर असर डालने के लिए इस केस का राजनीतिक इस्तेमाल कर रहे हैं। रिया के वकीलों का कहना है कि बिहार में यदि केस चला तो उसे वहां न्याय नहीं मिलेगा। शिव सेना के नेता मानते हैं कि मुम्बई पुलिस इस केस से निपटने के लिए सक्षम है। लेकिन दूसरे पक्ष का कहना है कि मुम्बई पुलिस कुछ खास लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है। इन सबका नतीजा अब ये हुआ कि सुशान्त की असामयिक और दुर्भाग्यजनक मौत का मामला राजनीतिक फुटबॉल बन कर रह गया है, जो कि वस्तुत: दुखद है।
रिया चक्रवर्ती ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उसे अपने पूर्व दोस्त सुशांत सिंह राजपूत की मौत की सीबीआई जांच पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सीबीआई जांच पटना कोर्ट के दायरे में न होकर मुंबई कोर्ट के दायरे में होनी चाहिए। रिया चक्रवर्ती को लगता है कि बिहार पुलिस सुशांत राजपूत के मामले को इसलिए ज्यादा तूल दे रही है कि क्योंकि वहां पर चुनाव होनेवाले हैं। वहीं शिवसेना नेता संजय राउत का मानना है कि बीजेपी और जेडी (यू) इस मामले का उपयोग बिहार चुनावों में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में रिया ने आरोप लगाया है कि बिहार सरकार ने इस मामले का ‘पूरी तरह से राजनीतिकरण’ कर दिया है क्योंकि यह घटना आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हुई है। उसने यह भी आरोप लगाया कि पटना में सुशांत के पिता के.के सिंह द्वारा दायर की गई एफआईआर ‘कथित तौर पर बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा इस केस में इंटरेस्ट दिखाने की वजह से हुई’।
सुशांत की मौत से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सोमवार को मुंबई में रिया और उसके परिवार के सदस्यों से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 9 घंटे तक पूछताछ की। ईडी के अधिकारियों ने रिया के बिजनेस मैनेजर श्रुति मोदी और सुशांत के रूममेट सिद्धार्थ पिठानी से भी पूछताछ की।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में नए-नए खुलासे हो रहे हैं लेकिन इस मामले में सियासी बयानबाजी अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। शिवसेना के नेता संजय राउत ने ऐसी बातें कहीं जिसकी उम्मीद कम से कम सरकार में शामिल पार्टी के नेता से नहीं की जाती। संजय राउत ने सुशांत सिंह राजपूत के पिता के बारे में…उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में कमेंट किए।
संजय राउत ने आरोप लगाया कि सुशांत सिंह राजपूत के पिता की दो शादियां हुई थीं। पिता की दूसरी शादी से सुशांत खुश नहीं था और वह ‘परेशान’ था। इसलिए पटना में परिवार वालों से उसके संबंध अच्छे नहीं थे। संजय राउत ने शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा कि इस पीड़ा ने सुशांत को बहुत मानसिक कष्ट पहुंचाया होगा और हो सकता है यही वजह हो कि अपने करियर के शिखर पर उन्हें आत्महत्या जैसे कदम उठाने पड़े । संजय राउत ने लिखा ‘सुशांत के उनके पिता से अच्छे संबंध नहीं थे। यह सच है। इसीलिए सुशांत सिंह पटना नहीं जाते थे….पिता से मिलते नहीं थे। सुशांत अपने पिता से मिलने के लिए कितनी बार पटना गए? मुझे उनके पिता के लिए सहानुभूति है लेकिन कई चीजें हैं जो सामने आएंगी।’
संजय राउत के इस विवादास्पद बयान की बिहार के राजनीतिक सर्किल में जबर्दस्त निंदा हुई। सभी दलों ने पार्टी लाइन से अलग हटकर संजय राउत के बयान की निंदा की। हालांकि सुशांत के पिता ने संजय राउत के बयान पर चुप्पी साध ली, लेकिन सुशांत के चचेरे भाई बीजेपी विधायक नीरज कुमार सिंह ‘बबलू’ इस तरह की ‘घटिया टिप्पणी’ को लेकर राउत पर जमकर बरसे। उन्होंने राउत के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दी। सुशांत के परिवार के करीबी सूत्रों ने इस बात से इंकार किया है कि उनके पिता ने 2002 में अपनी पत्नी के निधन के बाद दूसरी शादी कर ली थी। बबलू ने कहा, संजय राउत को एक बुजुर्ग व्यक्ति के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी करने के लिए शर्म आनी चाहिए जो कि अपने इकलौते बेटे की मौत से तबाह हो चुका है।
संजय राउत द्वारा एक अभिनेता की दुर्भाग्यपूर्ण मौत के मुद्दे को राजनीतिक खेल बनाना बेहद दुखद है। यह देखकर दुख होता है। एक ऐसे पिता की प्राइवेट लाइफ पर आरोप लगाना जिसने अपने बेटे को खो दिया.. यह उसकी प्रतिष्ठा का हनन है। बिहार के डीजीपी को बीजेपी या जेडीयू का एजेंट बताना आपत्तिजनक है। शिवसेना के नेताओं का आरोप है कि बिहार के नेता सुशांत की मौत का फायदा उठाना चाह रहे हैं क्योंकि वहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यह एक अजीब संयोग है कि रिया चक्रवर्ती भी बिहार सरकार पर इसी तरह के आरोप लगा रही है। लेकिन बिहार के नेताओं को मुंबई पुलिस की निष्पक्षता पर कोई भरोसा नहीं है। उनका मानना है कि मुंबई पुलिस किसी को बचाने की कोशिश कर रही है। अंतत: सुशांत की मौत एक राजनीतिक खेल की तरह बन गई है, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
इतनी कम उम्र में सुशांत की मौत वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है और लोग दुखी हैं… भावुक हैं। किसी को भी इस मुद्दे से राजनीतिक लाभ नहीं लेना चाहिए, चाहे वह JD (U) हो, या BJP या शिवसेना या कांग्रेस।अब सीबीआई ने मामले की जांच शुरू कर दी है और मामला सुप्रीम कोर्ट में है। इसलिए हम सभी को धैर्य रखना चाहिए।
इस बीच, मुंबई पुलिस के सूत्रों ने खुलासा किया है कि रिया और सुशांत का 8 जून को काफी झगड़ा हुआ था। झगड़ा परिवार वालों को लेकर ही था। उसने सुशान्त के परिवार वालों के लिए कुछ कहा जिसके बाद सुशान्त नाराज हो गया। बात हाथापाई तक पहुंच गई, जिसके बाद रिया ने फ्लैट छोड़ दिया था। पुलिस सोर्सेस का कहना है कि ये झगड़ा इतना बढ़ गया था कि मारपीट की नौबत तक आ गई थी। बस इसी झगड़े के बाद से रिया चक्रवर्ती सुशांत का घर छोड़कर चली गई थी और फिर सुशांत के फोन नबंर को भी ब्लॉक कर दिया था।
इंडिया टीवी के रिपोर्टर जयप्रकाश सिंह ने बताया कि सुशांत के फर्म Vividrage Rhealityx Pvt Ltd ने 17 बार अपने आईपी एड्रेस को चेंज किया। सुशांत की मौत के बाद आईपी एड्रेस को तीन बार बदला गया। इसमें आखिरी बदलाव सात अगस्त को किया गया। इस फर्म में रिया और सुशांत दोनों डायरेक्टर थे। बॉम्बे हाईकोर्ट के वकील चांदनी शाह ने कहा कि जब किसी के ट्रैक और ट्रांजेक्शन को कवर करना होता है, तो आईपी एड्रेस बदल दिया जाता है। शाह ने संदेह जताया कि आईपी एड्रेस को संभवत: मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामलों के कारण बदला जा रहा होगा।
सुशांत की मौत को लेकर कई सवाल हैं, सुशांत की मौत ने लोगों को हैरान कर दिया है। सुशांत की मौत से जुड़ी हर बात को लोग जानना चाहते हैं। यह सवाल उठाया जा रहा है कि इनकम के कम सोर्स के बाद भी रिया ने मुंबई में फ्लैट कैसे खरीदा? हालांकि इसका पता सीबीआई और ईडी को लगाना है। सबसे अहम सवाल यह है कि सुशांत ने खुदकुशी क्यों की? क्या वह डिप्रेशन में था, अगर ऐसा था तो फिर उसकी बीमारी किस तरह की थी? बीमारी का नेचर क्या था? चूंकि रिया सुशांत की लिव-इन पार्टनर थी, इसलिए ज्यादातर सवाल उसी पर उठ रहे हैं। रिया ही वह शख्स थी जो सुशांत और उसके घर की देखभाल करती थी। इसलिए यह सवाल भी उठ रहा है कि सुशांत की मौत में रिया का क्या रोल था?
रिया ही वह पहली शख्स थी जिसने सुशांत की मौत की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी। रिया ने गृह मंत्री अमित शाह को ट्वीट करके सीबीआई जांच की मांग की थी और बाद में कहा कि वह मुंबई पुलिस की जांच से संतुष्ट है। और अब सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह मुंबई कोर्ट के दायरे में सीबीआई जांच चाहती हैं। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर उसके रुख में यह बदलाव क्यों?
सुशांत के परिवार वालों ने सुशांत के 15 करोड़ रुपये हड़पने के लिए रिया को दोषी ठहराया है। यह आरोप सुशांत के पिता द्वारा दायर एफआईआर में लगाए गए हैं, और इसलिए इस आरोप में वजह भी है। इन आरोपों की पूरी तरह से जांच करने की जरूरत है। कई लोगों को संदेह है कि रिया सुशांत के पैसे का दुरुपयोग करके संपत्ति खरीद रही थी। इन सभी सवालों के जवाब दिए जाने की जरूरत है। सुशांत की मौत की सच्चाई सामने आनी चाहिए। यह जितनी जल्दी हो, उतना अच्छा।
Sushant’s death : No politics please
Bollywood actor Rhea Chakraborty feels that Bihar police is blowing Sushant Rajput’s case out of proportion in order to use it for Bihar elections. Shiv Sena leader Sanjay Raut believes that BJP and JD(U) are planning to use this case to influence voters in coming Bihar elections. Rhea’s lawyers feel she won’t get justice in Bihar. Shiv Sena leaders feel that Mumbai police is competent enough to deal with this case. Those on the other side say that Mumbai police is trying to save some people. The result of all this is that Sushant’s unfortunate and untimely death has become a political football.
In her affidavit, she alleged that the case has been “heavily politicized” by the Bihar government as the incident has taken place just before the forthcoming Bihar assembly elections. She has also alleged that the FIR filed in Patna by Sushant’s father K. K. Singh “was purportedly because of interest shown by the Bihar chief minister.”
Rhea and her family members were interrogated by Enforcement Directorate for nine hours in Mumbai on Monday in connection with a money laundering case related to Sushant’s death. ED officials also grilled Rhea’s business manager Shruti Modi and Sushant’s roommate Sidharth Pithani.
Even as new facts are emerging in the case, political brownie point scoring has gone to a new low with Shiv Sena leader Sanjay Raut making comments about the personal life of Sushant’s father. Such comments are not expected from the senior leader of a ruling party.
Sanjay Raut has alleged that Sushant was ‘anguished’ over the second marriage of his father and did not have cordial relations with his family in Patna. He wrote in Shiv Sena mouthpiece ‘Saamna’ that the anguish might have caused mental distress to Sushant and driven him to suicide at the pinnacle of his career. In his piece, Sanjay Raut has written that “Sushant Singh Rajput was not on good terms with his father. It is true. How many times Sushant went to Patna to meet his father? I have sympathy for his father but there are many things that will come out in the open.”
The controversial remarks by Sanjay Raut drew condemnation from political circles in Bihar cutting across party lines. While Sushant’s father maintained a stoic silence over Raut’s remark, Sushant’s cousin BJP MLA Neeraj Kumar Singh ‘Babu’ lashed out at Raut for his ‘cheap comments’. He threatened to file a defamation suit against Raut. Sources close to Sushant’s family have denied that his father had tied the nuptial knot again after his wife died in 2002. Bablu said, Raut should be ashamed for making such a comment against an elderly person, that too who has been devastated by the death of his son.
I feel sad when I find Sanjay Raut making the issue of the unfortunate death of an actor as a political football game. Levelling charges on the personal life of a father, who has last his son, is demeaning. To describe Bihar police DGP as a BJP or JD(U) agent is objectionable. Shiv Sena leaders are alleging that leaders in Bihar are taking advantage of Sushant’s death because assembly polls are due. It is a strange coincidence that Rhea Chakraborty is also making similar allegations against Bihar government. But Bihar leaders have no faith in the impartiality of Mumbai Police. They believe that Mumbai Police is trying to save someone. Ultimately Sushant’s death has become a matter of political football, which is most unfortunate.
Sushant’s death at such a young age is really unfortunate and people are really sad and emotional. Nobody should take political advantage from this issue, whether from JD(U), or BJP or Shiv Sena or Congress. CBI has taken up the probe and the matter is in Supreme Court. All of us should exercise patience.
Meanwhile, Mumbai Police sources have revealed that Rhea and Sushant had a violent quarrel on June 8 over their respective families, after which Rhea left his flat. Sources said, Rhea and Sushant almost came to blows, after which Rhea left and blocked Sushant’s phone number.
India TV reporter Jaiprakash Singh reports that Sushant’s firm Vividrage Rhealityx Pvt Ltd had its IP address changed 17 times. Even after Sushant’s death, its IP address was changed thrice. The last change was made on August 7. Both Sushant and Rhea were directors in this firm. Bombay High Court lawyer Chandni Shah says that when anybody has to cover one’s tracks and transactions, IP address is changed. She suspected that IP addresses were being changed probably because of matters relating to money laundering.
Questions are many, and since Sushant’s death has shocked and puzzled most of the people, each and every bit of information counts. Questions are being raised as to how Rhea, who had less than adequate sources of income, bought flats in Mumbai. It is for the CBI and ED to find out. The moot point is why Sushant committed suicide? Was he suffering from mental depression, if so, what was the nature of his ailment? Since Rhea was his live-in partner, most of the questions are being directed at her, because it was she who was looking after him and his household. What was Rhea’s role in Sushant’s death?
Rhea was the first to demand CBI probe by tweeting to Home Minister Amit Shah, later she said she was satisfied with the probe by Mumbai Police, and now she has told the Supreme Court that she wants a CBI probe under Mumbai court jurisdiction. Why this change in stance?
Sushant’s family members have blamed Rhea for misappropriating his money to the tune of Rs 15 crore. These charges have been made in the FIR filed by Sushant’s father, and therefore carry weight. These charges need to be probed thoroughly. Many people suspect that Rhea was buying properties by misappropriating Sushant’s money. All these questions need to be answered. The truth about Sushant’s death must be revealed. The sooner, the better.
कोझिकोड विमान हादसे पर अटकलों से बचें, जांच एजेंसियों को अपना काम करने दें
कालीकट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (कोझिकोड) पर शुक्रवार की शाम एयर इंडिया एक्सप्रेस के बोईंग -737 विमान की क्रैश लैंडिंग की घटना से पूरे देशवासियों में शोक व्याप्त है। इस हादसे में विमान के दो पायलटों समेत 18 लोगों की मौत हो गई है।
यह विमान दुबई से 191 लोगों को लेकर आ रहा था और टेबल टॉप रनवे पर उतरते समय ओवरशूट कर गया। ओवरशूट होते ही यह विमान रनवे से 35 फीट नीचे ढलान वाली जगह पर जा गिरा और दो टुकड़ों में बंट गया। अच्छी बात ये रही कि विमान में आग नहीं लगी क्योंकि जिस वक्त यह हादसा हुआ उस वक्त मूसलाधार बारिश हो रही थी। इससे अधिकांश यात्रियों की जान बच गई। भारी बारिश के बीच विमान के पायलटों ने दो बार रनवे पर सेफ लैंडिंग की कोशिश की लेकिन तीसरे प्रयास में विमान रनवे पर ओवरशूट हुआ और यह हादसा हो गया।
इस विमान में सवार अधिकांश यात्री केरल के प्रवासी थे जो कोरोना वायरस महामारी के चलते विदेशों में फंसे हुए थे। इन यात्रियों को ‘वंदे भारत’ मिशन के तहत देश वापस लाया जा रहा था। विशेषज्ञों के मुताबिक विमान अपने टचप्वॉइंट से आगे जाकर लैंड किया और टेबलटॉप रनवे पर ओवरशूट कर गया।
हादसे के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने अपने अथक प्रयासों से घटनास्थल पर राहत और बचाव का काम किया जिससे हादसे के नुकसान को काफी कम किया जा सका। स्थानीय लोग अपनी गाड़ियों से घटनास्थल पर पहुंचे और घायलों को अस्पतालों में पहुंचाना शुरू कर दिया। स्थानीय लोगों के साथ एयरपोर्ट के कर्मचारी, फायर फाइटर्स, एम्बुलेंस कर्मियों और एयरपोर्ट पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने हाथ से हाथ मिलकर राहत और बचाव को अंजाम दिया।
दोनों पायलटों की मौत इस हादसे का दुखद पहलू है। कैप्टन दीपक वसंत साठे भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर रह चुके थे और 10 साल पहले सर्विस से रिटायर होने के बाद उन्होंने एयर इंडिया ज्वॉइन किया था। एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी) से 1981 में सोर्ड ऑफ ऑनर के साथ पास आउट होनेवाले साठे एक तेज-तर्रार अधिकारी थे। वहीं इस विमान के दूसरे पायलट अखिलेश कुमार की भी हादसे में मौत हो गई। इस हादसे में जिंदा बचे अधिकांश यात्रियों ने दोनों पायलटों की भूमिका की काफी तारीफ की जिन्होंने यात्रियों की जान बचाने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया।
यह विमान हादसा आज से 10 साल पहले मई 2010 में मैंगलोर एयरपोर्ट के टेबलटॉप रनवे पर हुए विमान हादसे के जैसा ही था। इस हादसे में भी विमान ओवरशूट होकर खाई में जा गिरा था और 158 लोगों की मौत हो गई थी। इस तरह के हादसों से बचने, इन्हें रोकने और उपाय सुझाने के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशक (DGCA) ने एक सुरक्षा सलाहकार समिति (कमिटी) का गठन किया था।
इस कमिटी ने तब खराब मौसम के दौरान टेबलटॉप रनवे पर असुरक्षित लैंडिंग को लेकर वॉर्निंग दी थी। रनवे के कई हिस्सों में दरारें और पानी जमा होने के अलावा रनवे पर ‘रबर के अत्यधिक जमा’ होने की समस्याएं भी थीं। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि मैंगलोर एयरक्रैश के बाद गठित कमिटी की वॉर्निंग्स की अनदेखी की गई।
हालांकि, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के चेयरमैन ने शनिवार को कहा कि DGCA के पास 2015 में टेबलटॉप रनवे को लेकर कुछ समस्याएं थीं लेकिन इनका हल करने के बाद पिछले साल टेबलटॉप रनवे को मंजूरी दी गई थी। AAI प्रमुख अरविंद सिंह ने कहा कि पायलटों ने पहले रनवे पर उतरने की कोशिश की लेकिन पहली लैंडिंग असफल होने के बाद उन्होंने दूसरे रनवे पर उतरने की कोशिश की जहां विमान हादसे का शिकार हो गया।
विमान का डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर मिल गया है और एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेंस्टीगेशन ब्यूरो (AAIB) ने इसकी जांच शुरू कर दी है। नागरिक उड्डयन मंत्री (सिविल एविएशन मिनिस्टर) हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार को हादसे की जगह का निरीक्षण किया। उन्होंने कैप्ठन साठे के बारे में कहा- ‘हमारे सबसे अनुभवी और प्रतिष्ठित कमांडरों में से एक थे जिन्होंने इस एयरपोर्ट के रनवे पर कम से कम 27 बार लैंड किया”। हरदीप पुरी ने कहा कि लोगों को हादसे की वजह को लेकर अटकलें लगाने से बचना चाहिए क्योंकि इस हादसे की जांच की जा रही है।
नागरिक उड्डयन मंत्री ने इस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 2 लाख रुपये और मामूली रूप से घायल लोगों को 50 हजार रुपये के मुआवजे का ऐलान किया। केरल के मुख्यमंत्री ने भी हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया है।
इस हादसे में मारे गए लोगों में से ज्यादातर लोग केरल के मलप्पुरम, पलक्कड़ और कोझीकोड जिलों के थे, जो संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में रहते थे। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शुक्रवार रात इंडिया टीवी पर लाइव इंटरव्यू में राहत और बचाव के काम में मदद के लिए कोझिकोड के स्थानीय नागरिकों की तारीफ की। इस हादसे में गंभीर रूप से घायल यात्रियों में ज्यादातर लोगों की रीढ़ की हड्डी में चोट है।
दुःख की इस घड़ी में हम हादसे के कारणों पर बेकार की अटकलों से बचें और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करें। मेरे पूरी संवेदना उन लोगों के परिवारों के साथ है, जिनकी इस हादसे में मौत हुई है।
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Avoid speculating on causes behind Kozhikode air crash, let investigators do their probe
The people of India mourn the tragic crash landing of Air India Express Boeing-737 plane at Calicut International Airport on Friday evening resulting in the death of more than a score of people, including the two brave pilots.
The plane, which was carrying 191 people of board, from Dubai, overshot the tabletop runway, broke into two pieces and fell 35 feet down a slope. Fortunately, the plane did not catch fire because of torrential rain, and the lives of most of the passengers were saved. The pilots tried twice to make a safe landing on the runway in heavy rain, but at the third attempt, it overshot the runway resulting in the mishap.
Most of the passengers were non-resident Keralites who were returning home as part of the ‘Vande Bharat’ repatriation mission due to COVID pandemic. According to experts, the aircraft was high on approach probably due to strong tailwinds, it landed beyond the touchpoint and overshot the tabletop runway.
The scale of the tragedy was lessened due to marathon efforts by local volunteers who rushed to the site in their vehicles, and started ferrying the injured people to hospitals. Local people, airport staff, firefighters, ambulance workers andsecurity personnel joined hands in carrying out rescue operations.
The saddest part of the tragedy was the death of both the pilots. Captain Deepak Vasant Sathe was a wing commander in the Indian Air Force from where he retired and joined Air India 10 years ago. A brilliant officer from National Defence Academy, Sathe passed out with a Sword of Honour in 1981. The other pilot Akhilesh Kumar also lost his life. Most of the survivors have praised the role of the two pilots who sacrificed their lives in order to save most of the passengers.
The air tragedy was similar to the air crash that took place on a tabletop runway in Mangalore airport ten years ago, in May 2010, in which 158 people died. A safety advisory committee was then formed after the air crash by the Director General of Civil Aviation to suggest ways and means to avoid such disasters.
The committee had then warned about unsafe landing conditions on tabletop runways in India during adverse weather conditions. There had been issues relating to “excessive deposits of rubber” on the runway, apart from finding cracks and stagnating water in several parts. Safety experts say, the committee’s warnings were ignored after the Mangalore air crash.
However, the Airports Authority of India chairman said on Saturday that the DGCA had some issues with the tabletop runway in 2015, but after resolving those issues, clearances were given last year. The AAI chief Arvind Singh said, that the pilots first tried to land on the runway where the aircraft was supposed to land, but after failing, they tried to land on another runway, where it crashed.
The Digital Flight Data Recorder and Cockpit Voice Recorder of the ill-fated aircraft have been recovered and Aircraft Accident Investigation Bureau has started its probe. Civil Aviation Minister Hardeep Singh Puri inspected the air crash site on Saturday. He described Captain Sathe as “one of our most experienced and distinguished commanders who landed on this airport runway at least 27 times in the past”. The minister said people must avoid speculating on the reasons of the crash as the cause of the air crash is being probed.
The Civil Aviation Minister announced a compensation of Rs 10 lakh to the kin of those killed, Rs 2 lakh to those seriously injured and Rs 50,000 who have suffered minor injuries. The Kerala chief minister has also announced Rs 10 lakh assistance to the families of those killed.
Most of those killed in the crash were residents of Malappuram, Palakkad and Kozhikode districts of Kerala, who lived in the UAE. Kerala Governor Arif Mohammed Khan, in live interview on India TV on Friday night, praised the citizens of Kozhikode for rising to the occasion by reaching the crash site in their vehicles and helped in transporting the injured passengers to hospitals. Most of the seriously injured passengers have spinal injuries.
In this hour of grief, let us avoid making baseless speculations on the causes behind the crash and pray for early recovery of those injured. My thoughts are with the families of those who died in the air crash.
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क्या कश्मीर में हालात बेहतर हो रहे हैं?
दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में गुरुवार तड़के आतंकवादियों ने एक बीजेपी सरपंच सज्जाद अहमद खांडे की हत्या कर दी। काजीगुंड ब्लॉक में उनका घर राष्ट्रीय राइफल्स के कैंप के करीब ही था। आतंकियों ने उन्हें बाहर बुलाया और गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। घाटी में बीजेपी के सरपंचों के खिलाफ 48 घंटों के भीतर यह दूसरी आतंकी वारदात थी। इस दौरान एक अन्य बीजेपी सरपंच आदिल अहमद को गोली मारी गई जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए। जम्मू और कश्मीर पुलिस ने बीजेपी के स्थानीय नेताओं को जैश और लश्कर के आतंकवादियों से बचाने के लिए पहलगाम और काजीगुंड के सुरक्षित मकानों में ट्रांसफर करना शुरू कर दिया है।
साफ है कि पिछले साल 5 अगस्त को हुए अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद केंद्र के एक साल के शासन दौरान स्थानीय कश्मीरियों में तेजी से घटते समर्थन के कारण घाटी के आतंकवादी अब हताश हो गए हैं। सीमा पार बैठे आतंकियों और उनके मास्टरमाइंड्स ने पिछले साल हुई केंद्र की इस कार्रवाई के खिलाफ भारी जनाक्रोश की उम्मीद की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके ठीक उलट केंद्र ने यहां कई विकास योजनाएं शुरू की हैं और जनता द्वारा चुने गए स्थानीय सरपंचों को ये योजनाएं उनके गांवों में लागू करने की शक्तियां दी हैं। इन योजनाओं के परिणामस्वरूप आम कश्मीरियों का जीवन बेहतर होने लगा है। कश्मीरी नौजवानों ने टेरर ग्रुप्स को जॉइन करना बंद कर दिया है और इस ट्रेंड ने पाकिस्तान में बैठे आतंक के आकाओं को बेचैन कर दिया है।
गुरुवार को अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में मैंने दिखाया कि कैसे स्थानीय कश्मीरी विकास के समर्थन में बोल रहे थे। मैंने अपने 2 संवाददाताओं को दक्षिणी और उत्तरी कश्मीर के सुदूर गांवों में लोगों का मूड भांपने के लिए भेजा था। अधिकांश लोगों ने इंडिया टीवी के संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि विकास का फल इतनी आसानी से उनके गांवों तक पहुंच जाएगा। मुझे याद है कि पिछले साल जब अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था तब भी हमने अपने संवाददाताओं को भेजा था। उस समय आम कश्मीरियों की बातों से साफतौर पर संदेह झलक रहा था। कश्मीरियों ने उस समय कहा था, ‘हमने कई पार्टियों को आते-जाते देखा है, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ’।
यह ट्रेंड अब बदल गया है। कश्मीरी अब आम लोगों से जुड़े विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मुद्दों पर बात कर रहे हैं। पिछले एक साल में 20,000 से भी ज्यादा छोटी-बड़ी विकास परियोजनाएं पूरी हुईं, नियंत्रण रेखा के पास स्थित गांवों में बिजली पहुंचाई गई, 1.3 करोड़ कश्मीरियों को आयुष्मान योजना का फायदा मिला है, स्कूली बच्चों की छात्रवृत्ति में 262 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, और लगभग 4 लाख डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी किए गए थे। राज्य प्रशासन ने अपनी उपलब्धियों की लंबी-चौड़ी लिस्ट तैयार की है, लेकिन हमने एक आम कश्मीरी की आवाज सुनने का फैसला किया।
घाटी में पिछले साल पंचायत चुनाव कराए गए थे और पंच एवं सरपंचों से यह सुनकर अच्छा लगा कि किस तरह विकास का फल अब उनके गांवों तक पहुंच गया है। केवल एक साल पहले यही लोग कैमरे पर बोलने से डरते थे, लेकिन इस बार वे खुलकर बोले। इंडिया टीवी ने जिन कश्मीरियों से बात की उनमें से अधिकांश ने कहा कि विकास के फायदे अब आम आदमी तक पहुंच रहे हैं। अनंतनाग, पुलवामा और शोपियां जैसी जगहों पर, जो आतंकवाद के गढ़ के रूप में कुख्यात हैं, आम लोग बाहर आए और अपनी बात कही। एक अधिकारी ने कहा कि आतंकी संगठनों को जॉइन करने वाले युवाओं की संख्या में लगभग 40 पर्सेंट की गिरावट आई है। आम कश्मीरी नौजवानों ने ‘गन कल्चर’ को छोड़ दिया है और अब अपने करियर पर फोकस कर रहे हैं। युवा कश्मीरी लड़कियां कंप्यूटर एजुकेशन सीख रही हैं और आईटी प्रोफेशनल बनना चाहती हैं।
घाटी में सुरक्षा बलों समेत सभी सरकारी एजेंसियां पूरे कोऑर्डिनेशन में काम कर रही हैं और ग्राउंड पर इसके नतीजे भी दिख रहे हैं। सरकारी अधिकारी, जो पहले शायद ही कभी सुदूर ग्रामीण इलाकों का दौरा करते थे, अब स्थानीय पंचायतों की मदद के लिए ज्यादा समय देने लगे हैं। लगभग हर गांव में स्थानीय लोगों की शिकायतों पर काम करने के लिए ग्राम पंचायत अब नोडल पॉइंट बन गई है।
एक साल पहले यहां के लोगों में सुरक्षा की भावना का पूर्ण अभाव था। सेना, जम्मू एवं कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ करीबी समन्वय में काम कर रहे हैं। उन्होंने आम लोगों से वादा किया है कि यदि आतंकवादी उनके घरों में घुसते हैं, तो सुरक्षा बल पहले गांववालों की रक्षा करने की कोशिश करेंगे, और फिर आतंकवादियों को निशाना बनाएंगे। कुलगाम के लकड़ीपोरा गांव में 20 जून को 2 आतंकवादियों ने एक घर में घुसकर हमला किया था। स्थानीय ग्रामीणों को डर था कि सुरक्षा बल पूरे घर को उड़ा देंगे जिसमें घरवालों की जान भी चली जाएगी, लेकिन जवानों ने बेहद शानदार काम किया। उन्होंने पहले परिवार के सदस्यों को बाहर आने के लिए कहा, उन्हें सुरक्षा दी और फिर दोनों आतंकवादियों को खत्म कर दिया। घर को कोई नुकसान नहीं हुआ। परिवार के सदस्य अब सुरक्षा बलों की तारीफ कर रहे हैं।
कश्मीर घाटी के अंदरूनी इलाकों में दूर-दूर के गांवों का दौरा करना और फिर स्थानीय लोगों से बात करना हमारे पत्रकारों मनीष प्रसाद और अमित पालित के लिए आसान काम नहीं था। उन्होंने जोखिम उठाया, गांवों में गए और आम लोगों से बात की। पिछले साल 5 अगस्त के बाद, जब अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया गया था, हमने अपने संवाददाताओं को गांवों में भेजा था। उस समय लोगों के मन में डर था, और उनमें से ज्यादातर ने तब कैमरे पर कहा था कि वे इस बात के लिए इंतजार करेंगे कि सरकार अपने वादों को पूरा करती है या नहीं। एक साल पहले आम कश्मीरियों को शायद ही कोई उम्मीद थी कि गांव की सड़कें बनेंगी, अस्पताल और स्कूल फिर से खुलेंगे और बिजली की सप्लाई दी जाएगी। अब, एक साल के बाद आम लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया है कि विकास के काम वाकई में शुरू हो गए हैं, चीजों में सुधार हो रहा है, लेकिन बहुत कुछ किया जाना अभी बाकी है।
आम कश्मीरियों को भी इस बात का एहसास है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण काम की रफ्तार में कमी आई है, लेकिन विकास के पहिये निश्चित रूप से आगे की तरफ बढ़ने लगे हैं। जम्मू-श्रीनगर रेलवे लाइन पर काम शुरू हो गया है और कई अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स पर काम हो रहा है।
अब जबकि केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल के तौर पर मनोज सिन्हा जैसे अनुभवी नेता को नियुक्त किया है, तो उम्मीद की जा रही है कि राजनीतिक प्रक्रियाएं भी शुरू होंगी। मनोज सिन्हा पूर्वी यूपी के गाजीपुर के रहने वाले हैं। वह एक अनुभवी राजनेता हैं और कई चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने केंद्र में दूरसंचार और रेलवे मिनिस्ट्री में भी काम किया है। सिन्हा के उपराज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालने के साथ ही हमें जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव की उम्मीद करनी चाहिए। हमें आशा है कि एक निर्वाचित सरकार निकट भविष्य में कार्यभार संभालेगी और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी।
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Are things changing for the better in Kashmir?
On early Thursday, terrorists killed a BJP sarpanch Sajjad Ahmed Khanday in Kulgam district of South Kashmir. His house in Qazigund block was close to the Rashtriya Rifles camp. The terrorists called him out and shot him dead. This was the second terror strike against BJP sarpanches in the Valley within a span of 48 hours, during which another BJP sarpanch Adil Ahmed was shot and critically injured. Jammu & Kashmir police have started shifting local BJP leaders to safe houses in Pahalgam and Qazigund to protect them from Jaish and Lashkar terrorists.
Clearly, terrorists in the Valley have now turned desperate because of fast dwindling support from local Kashmiris during the one year of Central rule, when Article 370 was abrogated on August 5 last year. The terrorists and their masterminds sitting across the border had expected a huge public upsurge against the Centre’s action last year but that did not happen.
On the contrary, the Centre has launched numerous development schemes and has given powers to local elected sarpanches to implement them in their villages. The lives of common Kashmiris have started to change for the better as a result of these schemes. Kashmiri youths have stopped joining the ranks of terrorists and this trend has irked the terror masterminds sitting in Pakistan.
In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Thursday I showed how local Kashmiris were speaking out in support of development. I had sent two of our reporters to villages in the interior of South and North Kashmir to gauge the mood of the people. Most of the people told India TV reporters that they have never expected in their wildest dreams that the fruits of development would reach their villages so easily.
I remember, last year when Article 370 was abrogated, we had sent our reporters and the common Kashmiris were then clearly sceptical in their views. They had then said, ‘we have seen so many political parties come and go, but nothing happened’.
This trend has now changed. Kashmiris are now speaking out on issues like development, education, health and other issues that relate to common people.
During the last one year, more than 20,000 big and small development projects were completed, electricity was provided to villages lying close to the Line of Control, 1.3 crore Kashmiris were enrolled in Ayushman Yojana, there was 262 per cent hike in scholarships for school children, and nearly four lakh domicile certificates were issued. The list of achievements prepared by the state administration is long, but we decided to hear the common Kashmiri’s voice.
Panchayat elections were conducted last year in the Valley and it was nice to hear from the panch and sarpanches how the fruits of development have now reached their villages.
Only a year ago, the same people were afraid to speak on camera, but this time, they were emphatic. Most of the Kashmiris, India TV reporters spoke to, said that benefits of development were now reaching the common man.
In places like Anantnag, Pulwama and Shopian, notorious for being hotbeds of terrorism, common people came out and spoke. An official said that there has been nearly 40 per cent dip in the number of youths joining the ranks of terrorists. The common Kashmiri youths have shunned ‘gun culture’ and are now concentrating on their careers. Young Kashmiri girls are learning computer education and want to become IT professionals.
All the government agencies, including security forces, in the Valley are working in close coordination and the results are evident on the ground. Government officials, who rarely visited far-off rural places in the past, were now spending more time on helping local panchayats. In almost every village, the village panchayat has now become the nodal point for looking into grievances of local people.
One year ago, there was complete lack of sense of security among the people. The army, J&K Police and CRPF, are working in close coordination. They have promised the common people that if terrorists barge into their houses, security forces would first try to protect the villagers, and then target the terrorists. On June 20 in Lakdipora village of Kulgam, two terrorists had barged into a house. Local villagers feared that the security forces would blow up the house killing the family members, but the jawans did a great job. They first asked the family members to come out, gave them protection and then eliminated the two terrorists. No damage was caused to the house. The family members are now praising the security forces.
Visiting far-off villages in the interior of Kashmir valley and then speaking to local people was not an easy job for our reporters Manish Prasad and Amit Palit. They took risks, went to the villages and spoke to common people. After August 5 last year, when Article 370 was abrogated, we had sent our reporters to villages. At that time, there was widespread fear among the people, and most of them had then said on camera that they would wait to see whether the government fulfils its promises. One year ago, the common Kashmiris had hardly any hope that village roads will be built, hospitals and schools will reopen and that power supply will be provided. Now, after a year, the common people have started saying that development work has indeed begun, things are improving, but much more needed to be done.
The common Kashmiris do realize that the pace of development work has slowed down because of COVID pandemic, but the wheels of progress have surely started moving. Work on Jammu-Srinagar railway line has begun and several other infrastructure projects are on the anvil.
Now that the Centre has appointed an experienced political leader like Manoj Sinha as the new Lt. Governor of Jammu & Kashmir, the first steps towards a political process are expected to begin. Manoj Sinha hails from Ghazipur, eastern UP. He is an experienced politician who has won several elections, and also served in the Telecom and Railway ministries at the Centre. With Sinha taking over as L-G, we should expect early elections in Jammu & Kashmir. Let us hope an elected government will take over in the near future and fulfil the aspirations of the people.
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मोदी ने भगवान राम को राष्ट्रीय एकता, राष्ट्रीय शौर्य का प्रतीक क्यों बताया
पांच अगस्त को अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भूमि पूजन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो भाषण दिया, वह सारगर्भित और विलक्षण पांडित्य से भरा था। राम के विश्वव्यापी रूप की ऐसी व्याख्या शायद ही पहले किसी प्रधानमंत्री ने किया हो। अपने भाषण में मोदी ने भारत की सभ्यता, संस्कृति और लोकाचार में भगवान राम के महत्व पर बल दिया।
तुलसीदास के रामचरितमानस, गुरु गोविंद सिंह के उपदेशों और रामायण के कई अन्य संस्करणों में कही गई बातों का जिक्र करते हुए मोदी ने लोगों से भगवान राम की ‘मर्यादा’ का पालन करने और विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों के लोगों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने लोगों से दूसरों की भावनाओं को आहत न करने की भी अपील की और कहा कि भगवान राम केवल भारत के हिंदुओं के नहीं, बल्कि विभिन्न धर्मों के लोगों के हैं।
मोदी ने कहा, ‘ दुनिया में कितने ही देश राम के नाम का वंदन करते हैं, वहां के नागरिक खुद को श्रीराम से जुड़ा हुआ मानते हैं, विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या जिस देश में है, उस इंडोनेशिया में भारत की तरह काकाविन रामायण, स्वर्णदीप रामायण, योगेश्वर रामायण जैसी कई अनूठी रामायणें हैं। राम आज भी वहां पूजनीय हैं। कम्बोडा में रमकेर रामायण हैं, लाओस में फा लाक, फ्रा लाम रामायण है, मलेशिया में हिकायत सेरी राम, तो थाईलैंड में रामाकेन हैं। आपको ईरान और चीन में भी राम के प्रसंग तथा रामकथाओं का विवरण मिलेगा। ‘
“भगवान बुद्ध भी राम से जुड़े हैं तो सदियों से ये अयोध्या नगरी जैन धर्म की आस्था का केंद्र भी रही है। राम की यही सर्वव्यापकता भारत की विविधता में एकता का जीवन चरित्र है! तमिल में कंब रामायण तो तेलगू में रघुनाथ और रंगनाथ रामायण हैं। उड़िया में रूइपाद-कातेड़पदी रामायण तो कन्नड़ा में कुमुदेन्दु रामायण है। आप कश्मीर जाएंगे तो आपको रामावतार चरित मिलेगा, मलयालम में रामचरितम् मिलेगी। बांग्ला में कृत्तिवास रामायण है तो गुरु गोबिन्द सिंह ने तो खुद गोबिन्द रामायण लिखी है। अलग अलग रामायणों में, अलग अलग जगहों पर राम भिन्न-भिन्न रूपों में मिलेंगे, लेकिन राम सब जगह हैं, राम सबके हैं। इसीलिए, राम भारत की ‘अनेकता में एकता’ के सूत्र हैं।“
मोदी ने कहा – “जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है, जहां हमारे राम प्रेरणा न देते हों। भारत की ऐसी कोई भावना नहीं है जिसमें प्रभु राम झलकते न हों। भारत की आस्था में राम हैं, भारत के आदर्शों में राम हैं! भारत की दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्शन में राम हैं! हजारों साल पहले वाल्मीकि की रामायण में जो राम प्राचीन भारत का पथ प्रदर्शन कर रहे थे, जो राम मध्ययुग में तुलसी, कबीर और नानक के जरिए भारत को बल दे रहे थे, वही राम आज़ादी की लड़ाई के समय बापू के भजनों में अहिंसा और सत्याग्रह की शक्ति बनकर मौजूद थे! तुलसी के राम सगुण राम हैं, तो नानक और कबीर के राम निर्गुण राम हैं!”
प्रधानमंत्री ने राम जन्मभूमि मंदिर के लिए किए गए आंदोलन की तुलना भारत की स्वाधीनता के लिए किए गए संघर्षों से की।
मोदी ने कहा – “हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के समय कई-कई पीढ़ियों ने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया था। गुलामी के कालखंड में कोई ऐसा समय नहीं था जब आजादी के लिए आंदोलन न चला हो, देश का कोई भूभाग ऐसा नहीं था जहां आजादी के लिए बलिदान न दिया गया हो। 15 अगस्त का दिन उस अथाह तप का, लाखों बलिदानों का प्रतीक है, स्वतंत्रता की उस उत्कंठ इच्छा, उस भावना का प्रतीक है। ठीक उसी तरह, राम मंदिर के लिए कई-कई सदियों तक, कई-कई पीढ़ियों ने अखंड अविरत एक-निष्ठ प्रयास किया है। आज का ये दिन उसी तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है। राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण भी था, तर्पण भी था, संघर्ष भी था, संकल्प भी था। जिनके त्याग, बलिदान और संघर्ष से आज ये स्वप्न साकार हो रहा है, जिनकी तपस्या राम मंदिर में नींव की तरह जुड़ी हुई है, मैं उन सब लोगों को आज नमन करता हूँ, उनका वंदन करता हूं। संपूर्ण सृष्टि की शक्तियां, राम जन्मभूमि के पवित्र आंदोलन से जुड़ा हर व्यक्तित्व, जो जहां है, इस आयोजन को देख रहा है, वो भाव-विभोर है, सभी को आशीर्वाद दे रहा है।“
प्रधानमंत्री ने कहा – “राम हमारे मन में गढ़े हुए हैं, हमारे भीतर घुल-मिल गए हैं। कोई काम करना हो, तो प्रेरणा के लिए हम भगवान राम की ओर ही देखते हैं। आप भगवान राम की अद्भुत शक्ति देखिए। इमारतें नष्ट कर दी गईं, अस्तित्व मिटाने का प्रयास भी बहुत हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति का आधार हैं। श्रीराम भारत की मर्यादा हैं, श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।“
“ भारत आज भगवान भास्कर के सान्निध्य में सरयू के किनारे एक स्वर्णिम अध्याय रच रहा है। कन्याकुमारी से क्षीरभवानी तक, कोटेश्वर से कामाख्या तक, जगन्नाथ से केदारनाथ तक, सोमनाथ से काशी विश्वनाथ तक, सम्मेद शिखर से श्रवणबेलगोला तक, बोधगया से सारनाथ तक, अमृतसर से पटना साहिब तक, अंडमान से अजमेर तक, लक्ष्यद्वीप से लेह तक, आज पूरा भारत राममय है। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। आज पूरा भारत भावुक भी है। सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है। करोड़ों लोगों को आज ये विश्वास ही नहीं हो रहा कि वो अपने जीते-जी इस पावन दिन को देख पा रहे हैं।“
मोदी ने कहा, ‘बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे हमारे रामलला के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा। टूटना और फिर उठ खड़ा होना, सदियों से चल रहे इस व्यतिक्रम से रामजन्मभूमि आज मुक्त हो गई है। हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के समय कई-कई पीढ़ियों ने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया था। गुलामी के कालखंड में कोई ऐसा समय नहीं था जब आजादी के लिए आंदोलन न चला हो, देश का कोई भूभाग ऐसा नहीं था जहां आजादी के लिए बलिदान न दिया गया हो। 15 अगस्त का दिन उस अथाह तप का, लाखों बलिदानों का प्रतीक है, स्वतंत्रता की उस उत्कंठ इच्छा, उस भावना का प्रतीक है। ठीक उसी तरह, राम मंदिर के लिए कई-कई सदियों तक, कई-कई पीढ़ियों ने अखंड अविरत एकनिष्ठ प्रयास किया है। ये दिन उसी तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है।’
मोदी का भाषण न केवल स्पष्ट और जानकारी से भरा था, बल्कि इसमें कहीं किसी किस्म की कड़वाहट लेशमात्र नहीं थी। पूरे भाषण के दौरान कहीं भी इस बात की आलोचना नहीं की गई कि बीते दिनों में अयोध्या विवाद को कैसे हैंडल किया गया, राम भक्तों पर पुलिस ने कैसे गोलियां बरसाईं और बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सरकारों को कैसे बर्खास्त किया गया।
मोदी ने कहा – “इस मंदिर के साथ सिर्फ नया इतिहास ही नहीं रचा जा रहा, बल्कि इतिहास खुद को दोहरा भी रहा है। जिस तरह गिलहरी से लेकर वानर और केवट से लेकर वनवासी बंधुओं को भगवान राम की विजय का माध्यम बनने का सौभाग्य मिला, जिस तरह छोटे-छोटे ग्वालों ने भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने में बड़ी भूमिका निभाई, जिस तरह मावले, छत्रपति वीर शिवाजी की स्वराज स्थापना के निमित्त बने, जिस तरह गरीब-पिछड़े, विदेशी आक्रांताओं के साथ लड़ाई में महाराजा सुहेलदेव के संबल बने, जिस तरह दलितों-पिछ़ड़ों-आदिवासियों, समाज के हर वर्ग ने आजादी की लड़ाई में गांधी जी को सहयोग दिया, उसी तरह आज देश भर के लोगों के सहयोग से राम मंदिर निर्माण का ये पुण्य-कार्य प्रारंभ हुआ है।“
यह कहकर मोदी ने प्रकारान्तर में कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा गढ़े गए उन सिद्धांतो को साफ तौर पर खारिज कर दिया जिनमें ये कहा गया था कि भगवान राम केवल ब्राह्मणों और अन्य उच्च जातियों के लिए एक प्रतीक थे।
करोड़ों भारतीयों ने मोदी को रामलला की मूर्ति के सामने साष्टांग दंडवत करते देखा। मोदी रामलला के मंदिर जाने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। भूमि पूजन समाप्त होने के बाद मोदी ने गर्भगृह से एक चुटकी मिट्टी ली और अपने माथे पर उसका तिलक लगाया। प्रधानमंत्री ने भूमि पूजन से पहले और बाद में जो कुछ किया, उसमें कई भावनाएं अन्तर्निहित थीं। एक मजबूत नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके मोदी एक साधारण भक्त के रूप में भगवान राम के सामने आए थे।
लोगों को यह समझना चाहिए कि मोदी ने दूसरों के प्रति भाईचारे, एकता और द्वेष न रखने के बारे में क्यों कहा। मैं बताता हूं। कुछ ही लोग जानते हैं कि मोदी निजी जीवन में मन और कर्म दोनों से एक धार्मिक व्यक्ति हैं। जब वह एक किशोर थे तो गुजरात में अपना घर छोड़कर ‘मोक्ष’ की तलाश में हिमालय के लिए निकल पड़े, बेलूर मठ में साधुओं के साथ रहे, वह न तो सांसारिक जीवन से भागे और न ही रोजमर्रा के जीवन में आने वाली समस्याओं से मुंह मोड़ा। वह साधुओं की संगत में जरूर रहे, लेकिन समाज में रहकर समाज की बुराइयों को दूर करने का सबक सीखा। वह राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े, लेकिन बिना किसी शोर-शराबे के। उन्होंने पृष्ठभूमि में ही रहना पसंद किया। एक न एक दिन राम मंदिर बनाने की कसम खाते हुए वह अपने संकल्प को मजबूत करते रहे।
पांच अगस्त को वह दिन आ गया। मोदी की इस दृढ़ इच्छाशक्ति ने जनता के मन में उनके प्रति यह विश्वास जगाया कि मोदी जो कहते हैं, उसे करके भी दिखाते हैं। मोदी जीत के मौके पर भी संतुलन रखना जानते हैं। उन्होंने इस जीत को दूसरों की हार के रूप में पेश करने से परहेज किया, और ‘सबका साथ, सबका विकास’ के तहत सबको गले लगाने की बात कही। इसीलिए मोदी ने बुधवार को भगवान राम के गुणों का वर्णन करने के लिए समय लिया। उन्होंने भगवान राम द्वारा एक शासक के कर्तव्यों के बारे में, लोगों से अपेक्षित अनुशासन के बारे में कही गई बातों के महत्व को रेखांकित किया।
इन सभी चीजों का हवाला देकर मोदी ने यह संदेश देने की कोशिश की कि राम मंदिर के निर्माण को हिंदुओं की जीत और मुसलमानों की हार के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। यही कारण है कि उन्होंने भगवान राम को भारतीय सभ्यता और संस्कृति के एक प्रतीक, एक आइकन के रूप में पेश किया। भगवान राम राष्ट्र की एकता, राष्ट्र की शक्ति और राष्ट्र की समृद्धि के प्रतीक हैं।
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Why PM Modi eulogized Lord Ram as a unifying force for all Indians
Prime Minister Narendra Modi’s historic speech after performing the Bhoomi Pujan at Ram Janmabhoomi in Ayodhya on August 5 emphasized the centrality of Lord Ram in Indian civilization, culture and its ethos.
In a speech laced with quotes from Tulsi Das’ Ramcharitmanas, Guru Gobind Singh’s teachings and several other versions of Ramayana, Modi exhorted the people to follow the ‘maryada’ of Lord Ram and promote brotherhood among people of different religions, castes and communities. He also appealed to people not to hurt the sentiments of others and said that Lord Ram belonged not only to Hindus of India, but to many people from different religions.
Modi described how Ramayana was popular as an epic in the world’s most populous Islamic nation Indonesia, in another Islamic country Malaysia and in countries of South-East Asia like Cambodia, Laos and Thailand. He referred to the different versions of Ramayana written in all Indian languages, including the one written by Guru Gobind Singh, to explain how Lord Ram’s popularity cut across religions and regions. He also mentioned how Ram was also popular in the Muslim Sufi shrine Ajmer Sharif and in Muslim-dominated Lakshadweep. Modi said, “Ram belongs to all, Ram lives in all.”
The Prime Minister also compared the agitation for Ram Janmabhoomi temple with the struggle for India’s independence. He said, the Bhoomi Pujan event marked the end of a centuries-long wait for a Ram temple at his birthplace.
“For years, Lord Ram had to stay inside a tent, but now he has finally been liberated from the cycle of destruction and construction. During our freedom struggle, many generations sacrificed all that they had and there was no part of India which did not witness sacrifice for the sake of freedom. Similarly, August 5 symbolizes the commitment, sacrifice and resolve of several generations, who struggled relentlessly for centuries for building a Ram temple with single-minded resolve”, Modi said.
He said, “millions will find hard to believe that they are actually witnessing the realization of their dream (for a Ram temple)”.
Modi’s speech was not only illuminating, but it was also marked by a complete lack of rancour. There was not an iota of criticism about how the Ayodhya dispute was handled in the past, how Ram Bhakts were fired upon by police, and how governments were dismissed after the Babri mosque was demolished by mobs.
Modi’s speech only encompassed the life and teachings of Lord Ram, how Ram worked for the lowest strata of society during his times and gave them pride of place. He referred to non-upper caste figures like forest-dweller Shabari, the boatman who took him, Laxman and Sita across the river, the bird Jatayu and the Vaanar Sena. By this way, he obliquely rejected the theories propounded by certain intellectuals who say that Lord Ram was an icon only for Brahmins and other upper castes.
Millions watched Modi lying prostrate in front of Ram Lalla idol, the first Prime Minister to visit the shrine. After the Bhoomi Pujan was over, Modi took a pinch of soil from the sanctum sactorum and applied it on his forehead as a ‘tilak’. The nuances were clear. There was a sense of devotion, faith, peace and brotherhood among those assembled at the event. A leader known for his strong leadership had appeared before Lord Ram as a simple devotee.
One should understand why Modi spoke about the need for brotherhood, unity and lack of ill-will towards others.
Let me reveal. Few people know that Modi, in private life, is a religious person, both with his mind and his work. When he was a teenager, he left his home in Gujarat for the Himalayas in search of ‘nirvana’, stayed with sadhus at Belur Math, he did not run away from worldly life, nor did he turn away from the problems of day-to-day life. He stayed with the monks but learnt the lessons of how to eradicate social evils. He joined the Ram Janmabhoomi movement, but without any pomp and show. He preferred to stay in the background. He steeled his will in course of the agitation, vowing to build a Ram temple some day.
That day arrived, on August 5. This strong will of Modi has endeared him to the masses who believe, Modi delivers what he promises. In the wake of victory, Modi knows how to retain his balance. He avoided projecting the victory as a defeat for others, he offered to embrace all with ‘sabka saath, sabka vikas’. That is why, Modi took time on Wednesday to explain the virtues and qualities of Lord Ram. He explained the significance of what Lord Ram said about the duties of a ruler, about the discipline expected from the people.
By enunciating all these, Modi tried to convey the message that building of Ram temple should not be taken as a victory for Hindus and defeat for Muslims. That is why he took pains in projecting Lord Ram as a symbol, an icon of Indian civilization and its ethos. Lord Ram is the symbol of national unity, national strength and the nation’s prosperity.
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