सुशांत केस: सच्चाई से पर्दा उठाने में सीबीआई को अभी काफी वक्त लगेगा
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच के लिए गुरुवार को एसपी नुपुर प्रसाद की अगुवाई में सीबीआई की टीम मुंबई पहुंची। इस टीम में सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री (सीएफएसएल) के 12 एक्सपर्ट्स भी शामिल हैं। सीबीआई के अधिकारियों ने शुक्रवार सुबह बांद्रा में मुंबई पुलिस के डीसीपी से मुलाकात कर सुशांत मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों को अपने कब्जे में लिया। सीबीआई और मुंबई पुलिस के बीच किसी तरह का कम्युनिकेशन गैप न हो, कन्फ्यूजन न हो और बेहतर कोऑर्डीनेशन हो, इसके लिए सीबीआई की तरफ से डीआईजी रैंक के अफसर मोहम्मद शावेज हक को नोडल ऑफिसर बनाया गया है। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने सेंट्रल जांच एजेंसी के साथ सहयोग और बेहतर कोऑर्डीनेशन के लिए डीसीपी अभिषेक त्रिमुखे को नोडल ऑफिसर नियुक्त किया है।
सुशांत मामले में सच का पता लगाना सीबीआई के लिए एक बड़ी चुनौती है। सुशांत की मौत के बाद 68 दिनों का वक्त गुजर चुका है। फिर भी सीबीआई अधिकारियों को उम्मीद है कि वे इस मामले की तह तक पहुंचेंगे। सुशांत की मौत को लेकर लोगों के मन में शंकाएं बहुत गहरी हैं और सवाल भी बहुत सारे हैं। अब तक इतने किस्म की थ्योरीज दी जा चुकी हैं, इतने सारे दावे किए जा चुके हैं कि अब किसी बात पर यकीन करना मुश्किल है। सबसे बड़ा सवाल है कि सुशांत ने आत्महत्या की…या उसका मर्डर हुआ? ये सवाल इसलिए उठा क्योंकि दावा किया जा रहा है कि सुशांत जिस कमरे में पंखे से लटका, वहां बेड और पंखे के बीच की ऊंचाई सुशांत की हाइट से कम है, तो फिर सुशांत फांसी कैसे लगा सकता है? कहा गया कि सुशांत के गले में जो निशान है वो उस कुर्ते के कपड़े का नहीं है, जिससे सुशांत की बॉडी लटकी मिली। किसी ने सुशांत की बॉडी को लटके नहीं देखा। इसलिए सीबीआई को सबसे पहले वे ठोस सबूत तलाशने होंगे जिनके आधार पर वह अदालत में इस सवाल का जवाब देगी कि सुशांत की मौत हत्या थी या फिर स्यूसाइड।
सीबीआई की टीम अच्छी तरह से प्लानिंग करके मुंबई पहुंची है कि इस केस में कैसे आगे बढ़ना है। सबसे पहले सीबीआई की टीम मुंबई पुलिस से सारी जानकारी और डॉक्यूमेंटस लेगी, इसके बाद अपनी जांच शुरू करेगी। जांच टीम केस डायरी, पंचनामा, ऑटोप्सी रिपोर्ट, सुशांत की पांच पर्सनल डायरी के साथ ही और भी कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जांच करेगी। सीबीआई उन डॉक्टर्स से भी पूछताछ करेगी जिन डॉक्टर्स ने सुशांत की बॉडी का पोस्टमार्टम किया था। जांच टीम उस फ्लैट का मुआयना भी करेगी जिसमें सुशांत की मौत हुई। हालांकि, ये फ्लैट सुशांत ने किराए पर लिया हुआ था और अब इसमें से सामान भी शिफ्ट किया जा चुका है और फ्लैट बंद है। सीएफएसएल टीम को इस फ्लैट की सीलिंग की हाइट, बेड की हाइट, पंखे और मैट्रेसस के बीच की हाइट नापने से पता चलेगा कि क्या वाकई में उंचाई इतनी थी, जिसमें कोई शख्स फांसी पर लटक सकता है। इसलिए अंतिम नतीजे तक पहुंचना उतना आसान नहीं होगा जितनी उम्मीद की जा रही है।
इस बीच, सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीबीआई को सौंपने के आदेश के बाद गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार बैकफुट पर दिखी। सूत्रों की मानें तो सरकार अब सुशांत केस में सुप्रीम कोर्ट के सिंगल बेंच ऑर्डर के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल नहीं करेगी। वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश हमारे लिए सर आंखों पर। कोर्ट ने बोल दिया तो कोई अड़ंगा नहीं होगा । पूरी जांच सीबीआई करेगी, हम पूरा सहयोग करेंगे। महाराष्ट्र सरकार के एक और मंत्री एकनाथ शिंदे ने भी यही बात कही कि सीबीआई जांच करे, हमें कोई दिक्कत नहीं है, हम सहयोग करेंगे। वहीं महाराष्ट्र बीजेपी ने भी प्रदेश की गठबंधन सरकार को नसीहत दी है कि सुप्रीम कोर्ट में मुंहक़ी खा चुकी और पुलिस की किरकिरी करा चुकी ठाकरे सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर किसी तरह की राजनीति न करते हुए सीबीआई को सहयोग करे।
सुशांत सिंह राजपूत के केस में इतने किरदार हैं, इतनी स्क्रिप्ट है, इतनी अटकलें हैं, इतने सीन हैं, इतनी बातें हैं कि सीबीआई के लिए सबको समेटना आसान नहीं होगा। इसलिए अगर कोई ये उम्मीद कर रहा है कि अब सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है और सारा सच दो-चार दिन में या एक-दो हफ्ते में सामने आ जाएगा तो वो गलत है। अभी तो शुरुआत हुई है, इसका नतीजा आने में वक्त लगेगा। इसलिए सुशांत मामले का सच जानने के लिए हम सबको धैर्य रखना होगा और सीबीआई को थोड़ा वक्त देने की जरूरत है। जबतक ऐसे ठोस सबूत नहीं मिल जाते जो अदालतों में ठहर सकें, तबतक कोई भी प्रोफेशनल जांचकर्ता नतीजों तक पहुंचने का जोखिम नहीं उठाएगा। पुलिस की जांच भावनाओं के आधार पर नहीं होती, उसके लिए सबूत चाहिए होते हैं और सबूत इकट्ठा करने में, उसे कोर्ट में पेश करने में और कोर्ट में अपनी बात मनवाने में बहुत वक्त लगता है।
सीबीआई तो मुंबई फिल्म इंडस्ट्री की एक्ट्रेस जिया खान की मौत के मामले की जांच 2013 से कर रही है। पुलिस ने इसे आत्महत्या का केस बताया था, लेकिन जिया की मां ने अदालत में कहा कि ये मर्डर था। इसी तरह नोएडा में एमिटी छात्र जस्टिन जॉन जेवियर की मौत 2009 में हुई थी। 18 साल के लड़के का शव स्वीमिंग पूल से मिला था। इसे पुलिस ने हादसा कहा, जबकि परिवारों वालों का कहना था कि जस्टिन की हत्या हुई है। सीबीआई 2010 से इस मामले की जांच कर रही है लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में अभी तक किसी नतीजे तक नहीं पहुंची है। हम सभी को इसबार यह उम्मीद रखनी चाहिए कि सुशांत की मौत का रहस्य सीबीआई सुलझा लेगी।
Sushant’s case: Do not expect CBI to unravel the truth soon
A team of CBI officials led by SP Nupur Prasad along with 12 experts from Central Forensic Science Laboratory, landed in Mumbai on Thursday evening to probe the mystery behind Bollywood actor Sushant Singh Rajput’s death. The CBI officials on Friday morning met the Mumbai Police DCP in Bandra to take possession of all documents related to the case. CBI DIG Mohammed Suvez Haque has been appointed nodal officer to ensure smooth coordination, while Mumbai Police DCP Abhishek Trimukhe has been appointed by the state government as nodal officer to extend cooperation to the central agency team.
CBI faces a big challenge in reaching at the bottom of truth. Already 68 days have passed, but CBI officials appear to be optimistic. There are too many theories floating around about how and why Sushant died. Some say that the marks on his neck do not match with that of his kurta, some say nobody saw Sushant’s body hanging from the ceiling fan, some say the bed was not so high for Sushant to hang himself from the ceiling. CBI will have to find hard evidences to convince any court about its conclusion – whether it was a suicide or murder.
The CBI team has reached Mumbai with a well-prepared plan as to how to move ahead. The team will have to examine the case diary, panchnama, autopsy report, Sushant’s five personal diaries and several other vital documents. The team will have to question doctors who carried out post mortem examination of the body. Sushant was living in a rented apartment, and by now, most of the household items have been removed. The apartment is however locked at present. The CFSL team will have to examine the heights of the bed, the ceiling fan and the mattresses. Arriving at a final conclusion will not be as easy as is being expected.
Meanwhile, the Maharashtra government, according to sources, has decided not to seek review of the Supreme Court single bench order. Senior minister Chhagan Bhujbal has said that the state government will respect the SC verdict and extend cooperation to the CBI team. Another minister Eknath Shinde also spoke in the same vein. The Maharashtra BJP has asked the coalition government to extend all cooperation without indulging in any form of politics over this sensitive issue.
The onus is now on CBI to untangle the maze of theories full with different scripts, sundry characters and varying scenarios. To expect CBI to reach a conclusion within a week or two will be too premature and the team may take a longer time. All those who are interested to know the truth must exercise patience and allow the CBI sleuths to work. Until and unless concrete evidences are collected, no professional investigator will take risk to jump to conclusions that cannot stand in courts.
CBI has been investigating actor Jiah Khan’s death mystery since 2013, when her mother alleged that she was murdered. Similarly, CBI could not reach a conclusion in the case of the death of an Amity student Justin John Xavier in 2009. The 18-year-old youth’s body was found inside a swimming pool. Local police said it was an accident, but his family alleged that he was killed. CBI has been probing this case for the last ten years and yet it could not reach a conclusion because of lack of concrete evidence. Let us all hope that Sushant’s death mystery will be unraveled this time.
सुशांत केस- एक तेजतर्रार डीजीपी, सीबीआई और शिवसेना की चिंता
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की सीबीआई जांच का आदेश देने के साथ ही अब देश की प्रमुख जांच एजेंसी इस मामले की तहकीकात करने के लिए तैयार है। जस्टिस हृषिकेश रॉय की सिंगल जज बेंच ने संविधान के अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया, और इस तरह मुंबई पुलिस और बिहार पुलिस के बीच चल रही गंभीर तनातनी का अंत हो गया।
अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में बुधवार की रात मैंने बिहार पुलिस के महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडे का लाइव इंटरव्यू किया और मैंने उनसे पूछा कि वह इस मामले में पर्सनल इंटेरेस्ट क्यों ले रहे हैं। उनका जवाब सिंपल था: सुशांत बिहार का बेटा था। पूरे हिंदुस्तान की शान था। आप देख लीजिए निष्पक्ष भाव से बोल रहा हूं। ये सिर्फ बिहार के 12 करोड़ के आवाम की बात नहीं है। आज कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक और बंगाल से लेकर गुजरात तक किस कदर से लोगों का इमोशन जुड़ गया।’
डीजीपी ने पूरा मामला बताया कि कैसे वह सुशांत की मौत के अगले दिन बिहार के मुख्यमंत्री की ओर से शोक संवेदना लेकर सुशांत के पिता कमल किशोर सिंह से मिलने के लिए गए। गुप्तेश्वर पांडे ने कहा, ‘पहला दिन, जिस दिन मुंबई में ये घटना हुई, यह सूचना जैसे आती है, कौन आदमी है जो वहां गया? पहला आदमी मैं हूं जो वहां मिलने गया था। माननीय मुख्यमंत्री की शोक संवेदना लेकर गया था। मैं उस बूढ़े बीमार, लाचार, हताश आदमी को देख रहा था। मुझे लग रहा था कि कहीं ये आदमी, मैं सुशांत के पिता के बारे में कह रहा हूं, मुझे लगा कि कहीं ये आदमी अब आत्महत्या न कर ले। जिसके जीवन में कोई रोशनी नहीं है, जीने का कोई मकसद नहीं है। पत्नी पहले ही मर चुकी है, बेटियों की शादी हो चुकी है, पूरे परिवार में एक बेटा और एक बाप। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में इसका जिक्र किया है। मैं आधा घंटा बैठा, वह यही बोलते रहे कि मेरा सबकुछ खतम हो गया। अब तो जीने का कोई मतलब नहीं है। ये देख के मेरा कलेजा छलनी हो गया। मैंने सबसे पहले मुंबई पुलिस कमिश्नर को फोन लगाया। उन्होंने फोन नहीं लिया। उस समय तो हमलोग तो यही जानते थे कि यह सूसाइड का मामला है। मैंने फिर से पुलिस कमिश्नर से संपर्क करने की कोशिश की, मैंने खुद को इंट्रोड्यूस किया और पूछा कि सुशांत केस के बारे में जानना चाहता हूं, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। मेरे मन में उस समय से शक होने लगा।’
मैंने दूसरा सवाल किया कि अगर आपने मोर्चा नहीं खोला होता तो रिया चक्रवर्ती इस तरह से शक के घेरे में नहीं आती, गुप्तेश्वर पांडे ने कहा, ‘शक के घेरे में वह अपनी वजह से है। जब ये घटना होती है तो वह खुद ट्वीट करती है और भारत के गृह मंत्री से ये मांग करती हैं कि इस मामले का सीबीआई अनुसंधान करे। अब बिहार पुलिस जब जाती है, हम विभिन्न सूत्रों और चैनलों के जरिए उनतक सूचना देते हैं कि आप जरा आकर के हमारे पास भी अपनी बात रखिए। हमको बताइये कि आप कैसे निर्देष हैं। आप पर ये-ये आरोप लगे हैं। बार-बार विभिन्न सूत्रों और चैनल के माध्यम से अनुरोध, अनुनय, विनय के बाद भी वो आने से इनकार करती हैं। तो वो खुद सीबीआई की मांग भी करती हैं और जब बिहार सरकार ने सीबीआई के लिए अनुशंसा कर दी और भारत सरकार ने बिहार सरकार की अनुशंसा मान ली तो अब वो सुप्रीम कोर्ट में मूव करती हैं कि नहीं-नही, बिहार पुलिस नहीं, ये मुंबई पुलिस को करना चाहिए।’
मैंने बिहार के डीजीपी से पूछा कि क्या सुशांत की मौत के 66 दिन बाद भी सीबीआई रहस्य पर से पर्दा उठा पाने में कामयाब होगी। उन्होंने जवाब दिया, ‘ईमानदारी से अगर बोलूं तो बहुत मुश्किल काम है यह। अगर स्थानीय पुलिस कोऑपरेट न करे तो यह बहुत बड़ा चैलेंज है। यह चैलेंज तो मेरे लिए भी था। मेरे लिए तो यहां एफआईआर करना भी चैलेंज था। मेरे लिए तो टीम बनाना भी चैलेंज था। मेरे लिए तो मुंबई में जाकर इन्वेस्टिगेशन करना भी चैलेंज था। और जब मुंबई पुलिस इसको अदालत में ले गई तो सर्वोच्च न्यायालय से यह फैसला हुआ, यह भी मेरे लिए बहुत बड़ा चैलेंज था। जीवन में इतनी बड़ी चुनौती मैंने कभी नहीं फेस की। तो उनके लिए भी चैलेंज है, सीबीआई के लिए बहुत बड़ा चैलेंज है। बहुत बड़ी चुनौती है, लेकिन चूंकि बहुत प्रोफेशनल एजेंसी है, मुझे पूरा विश्वास है, एक से एक उसमें दक्ष पदाधिकारी हैं, वे बहुत तरीके से अगर लगेंगे, थोड़ी मुश्किल होगी, थोड़ी कठिनाई होगी, लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि सत्य को कहीं से भी निकाल लेंगे, और सत्य प्रकट जरूर होगा।’
जब मैंने बताया कि रिया के वकील सतीश मानशिंदे ने मंगलवार को एक बयान में सुशांत की बहन के खिलाफ आरोप लगाए थे, तो बिहार के पुलिस प्रमुख ने कहा, ‘मैं रिया से यह अनुरोध करता हूं कि वह ऐसा न करें। पता नहीं कौन उनको सलाह दे रहा है। इससे उनकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। यह लीगल लड़ाई है, लीगल फ्रेमवर्क में रहकर और लीगल बैटल को लीगल बैटल की तरह कोर्ट में लड़ें। वह कभी न भूलें कि वह केस की नामजद एफआईआर अक्यूज्ड हैं। वह सस्पेक्ट नहीं हैं। तो इस तरह का स्टेटमेंट सोशल मीडिया में दे करके अपनी प्रतिष्ठा बचाने या बढ़ाने से उनको कोई लाभ नहीं होगा। उनपर एक आरोप है, यह लीगल लड़ाई है, वह सीबीआई को कोऑपरेट करें और लीगल लड़ाई को बिल्कुल लीगल तरीके से कोर्ट में लड़ें। बाहर उनकी बात अब कोई सुनने वाला नहीं है क्योंकि अब उनके खिलाफ बहुत तरह के संदेह का घेरा आम पब्लिक में हो गया है, मतलब पब्लिक परसेप्शन उनके खिलाफ है।’
मैंने पांडे से पूछा कि क्या उन्होंने अपने पूरे करियर में सुशांत की मौत जैसा कोई मामला देखा है। उन्होंने जवाब दिया: एक से एक भयंकर स्थितियों को मैंने देखा है, एक से एक जनसंहार देखे हैं। मध्य बिहार में रहा, नक्सल प्रभावित जिलों में एसपी रहा, लेकिन जो ट्वीस्ट, टर्न और मिस्ट्री इस केस में देखी मेरे जीवन का यह पहला अनुभव है। 33-34 साल के अपने करियर में मैंने इतना रहस्यमय केस नहीं देखा। मैं तो जनता का डीजीपी हूं। मैं तो सीधा आदमी हूं, इमोशनल आदमी हूं, गरीब का बेटा हूं, गांव से आता हूं, किसान का बेटा हूं, मुझे तो यहां जनता का डीजीपी बोलते हैं। मैं किसानों के परिवार से हूं, मैं अपने खानदान में पहला आदमी हूं जो स्कूल गया और मैट्रिक पास किया, बीए पास किया और इस नौकरी में आया। मेरे यहां होली में, दशहरा में, दीपावली में कौन आते हैं? आसपास के झुग्गी-झोपड़ी वाले, वही मेरे रिश्तेदार हैं, जिनके साथ मैं होली मनाता हूं, दीवाली मनाता हूं, दशहरा मनाता हूं। निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई पर भरोसा है।’
इस बात में कोई शक नहीं कि बिहार के पुलिस प्रमुख एक नो-नॉनसेंस ऑफिसर हैं और वह जब भी बोलते हैं तो खुलकर बोलते हैं। वह कभी भी तथ्यों को छिपाने की कोशिश नहीं करते। वह अक्सर भावुक हो जाते हैं, लेकिन उनकी भावनाएं एक पुलिस प्रमुख के तौर पर उनके काम के आड़े नहीं आतीं। यह सच है कि वह शुरू से ही इस मामले में व्यक्तिगत रुचि ले रहे थे और उन्होंने सुशांत के परिवार को न्याय दिलाने का वादा किया था। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उनका खुश होना लाजिमी है। कुछ लोगों को लगता है कि DGP सियासत कर रहे हैं, लेकिन उनके धाराप्रवाह बोलने और बेहतर ढंग से अपनी बात रखने को राजनीति नहीं समझा जाना चाहिए।
इस केस की जांच सीबीआई को देना इसलिए जरूरी था क्योंकि लोगों को मुंबई पुलिस की नीयत पर शक होने लगा था। जिस तरह से मुंबई पुलिस ने जल्दबाजी में सुशांत की मौत को खुदकुशी करार दे दिया, जिस तरह उसने मामले में FIR दर्ज नहीं की, जिस तरह से मुंबई पुलिस ने बिहार पुलिस को जांच से रोकने की कोशिश की, जैसे बिहार के एक आईपीएस अफसर को आधी रात को क्वॉरन्टीन कर दिया- इन सब बातों से दुनियाभर में लोगों को लगा कि जैसे मुंबई पुलिस पर कोई प्रेशर है, जो कि अपने प्रोफेशनल रवैये के लिए जानी जाती है।
अगर बिहार पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज नहीं की होती, और उसने अपनी पुलिस को जांच के लिए मुंबई नहीं भेजा होता, तो हो सकता है कि मुंबई पुलिस इस केस को आत्महत्या करार देकर बंद कर देती। लोगों को यह शक होने लगा था कि मुंबई पुलिस रिया चक्रवर्ती को बचाने की कोशिश कर रही है। ऐसे भी सवाल उठे कि क्या कोई राजनेता दोषियों को बचाने की कोशिश कर रहा है। एक तरह से सीबीआई जांच मुंबई पुलिस के लिए एक राहत की बात है, क्योंकि इतने सवालों के उठने के बाद यदि उसने सही से भी जांच की होती तो लोगों के मन में शंका रह जाती।
इस मुद्दे के राजनीतिकरण के मसले पर मैं एक बात साफ करना चाहता हूं। सारे राजनेता जानते हैं कि सुशांत की मौत को लेकर सारी दुनिया में इमोशन है और लोग सच्चाई जानना चाहते हैं। जो राजनेता ये कह रहे हैं कि इस मुद्दे पर सियासत नहीं होनी चाहिए, असल में वे सबके सब इस मामले में राजनीति कर रहे हैं। चाहे वह बीजेपी हो, जेडीयू हो, कांग्रेस हो, शिवसेना हो या एनसीपी हो, ये सभी पार्टियां एक अभिनेता की मौत के इस मामले पर राजनीति कर रही हैं।
नारायण राणे और नितेश राणे जैसे राजनेताओं ने इस मामले में खुलकर आदित्य ठाकरे का नाम लिया, और नीतेश राणे ने तो ट्वीट भी किया, ‘अब बेबी पेंगुइन तो गियो! ’। चूंकि आदित्य ठाकरे एक मंत्री हैं, और मुख्यमंत्री के बेटे हैं, इसलिए उन्हें सफाई भी देनी पड़ रही है और मुंबई पुलिस के रुख को इसी से जोड़ कर देखा गया। जब महाराष्ट्र सरकार ने सीबीआई को जांच सौंपने का विरोध किया, तो बीजेपी और जेडी (यू) ने इसका फायदा उठाया और इसे बिहार की प्रतिष्ठा का मुद्दा बना दिया। शिवसेना इसलिए परेशान है क्योंकि आदित्य ठाकरे मुख्यमंत्री के बेटे हैं, और पार्टी नहीं चाहती कि उनकी छवि धूमिल हो। शिवसेना को बीजेपी या जेडी (यू) के बिहार में नफे या नुकसान की बिल्कुल भी चिंता नहीं है। शिवसेना इस बात से चिंतित हैं कि यदि सीबीआई आदित्य ठाकरे को इस मामले में पूछताछ के लिए बुलाती है तो इस मामले को कैसे संभाला जाएगा।
Sushant case: A feisty DGP, the CBI and Shiv Sena’s worry
With the Supreme Court ordering a CBI probe into the mysterious death of actor Sushant Singh Rajput, the stage is now set for the nation’s premier investigation agency to begin its probe. The single judge bench of Justice Hrishikesh Roy invoked Article 142 of the Constitution to hand over the probe to CBI, thus ending a bitter tussle between Mumbai Police and Bihar Police.
In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Wednesday night, I did a live interview with Bihar Director General of Police Gupteshwar Pandey and asked him why he was taking personal interest in this case. His reply was simple: “Sushant was ‘Bihar ka beta’. Not only 12 crore people of Bihar, but people from Kashmir to Kanyakumari and from Bengal to Gujarat were emotional over the death of their actor.”
The state police chief narrated how he went to meet Sushant’s father Kamal Kishore Singh the day after the actor’s death to convey condolence on behalf of Bihar chief minister. “The 74 year old man was completely heart broken. He was only saying ‘I have lost everything’. I feared whether the father may not commit suicide like Sushant. The next day I rang up Mumbai Police commissioner, but he did not take my call. I sent message to him requesting him to probe, but he did not respond. It was then that I began suspecting.”
My next question was, why as state police chief he had suspicions about Rhea Chakraborty. Pandey replied: “Rhea is facing the needle of suspicion because of her own behaviour. In the beginning, she tweeted to the Union Home Minister seeking a CBI probe, but when we requested the CBI to probe, she opposed and said she had faith in the probe by Mumbai Police.”
I asked the Bihar DGP whether CBI will succeed in unravelling the mystery 66 days after the actor’s death. His reply was: “To be honest, it is a difficult job. If the local police does not cooperate, then it will be a big challenge for CBI. Since it is a professional agency having the best of officers, I believe they will succeed in unravelling the truth from somewhere.”
When I pointed out that Rhea’s lawyer Satish Maneshinde in a statement on Tuesday had levelled allegations against Sushant’s sister, the Bihar Police chief says: “I will request Rhea not to take this course. I don’t know who is advising her. She will face more trouble if she makes such allegations through social media. She is not a suspect, she is the named accused. She must fight the legal battle in court in a legal manner and cooperate with CBI. Nobody is going to listen to her allegations outside.”
I asked Pandey whether he had seen any such case like Sushant’s death in his entire career. He replied: “In my 34 -year-long career, I handled several cases of massacre in Naxalite-infested districts as SP, but I never saw a case with so many twists, turns and mysteries. I am ‘janata ka DGP’. I come from a family of farmers, a family where I was the first to pass Matric, BA and then joined the police. During Holi and Diwali every year, people from nearby slums come to celebrate the festivals with me. I have full faith in CBI.”
No doubt, the Bihar police chief is a no-nonsense officer who does not minces his words when he speaks. He never tries to obfuscate and conceal facts. He often becomes emotional, but his emotions does not come in the way he functions as a police chief. It is a fact that he was taking personal interest in this case from the beginning and had promised to give justice to Sushant’s family. He was naturally elated after the Supreme Court gave its verdict. Some people suspect that the DGP is indulging in politics, but his manner of speaking without any compunctions must not be taken as part of any political gambit.
Handing over the probe to CBI was essential because people had started suspecting the role of Mumbai Police. The manner in which Mumbai Police declared the actor’s death as suicide in a hurry, the non-filing of FIR till date, the questionable manner in which Mumbai Police tried to stop Bihar Police from investigating, the midnight quarantine of an IPS officer from Bihar – all these indicated towards some sort of pressure being put on Mumbai Police, known for its professionalism.
Had the Bihar Police not registered an FIR, had it not sent its police to Mumbai to investigate, Mumbai Police would, by now, have closed this case declaring it as a suicide. People had started suspecting that Mumbai Police was trying to shield Rhea Chakraborty. Questions were raised whether any politician was trying to protect the culprits. In a way, the CBI probe has come as a welcome relief for Mumbai Police, because people would still have suspected if it had resumed investigation properly.
On politicizing this issue, I want to make one thing clear. All politicians know that there are too much emotions over Sushant’s death and people want to know the truth. Politicians who are saying that this issue must not be politicized, are themselves trying to grind their political axe. Whether it is BJP, or JD(U), or Congress, or Shiv Sena or NCP, all these parties are playing politics over this case of an actor’s death.
Politicians like Narayan Rane and Nitesh Rane openly named Aditya Thackeray in this case, with Nitesh Rane even tweeting “Ab Baby Penguin Toh Giyo !”. Since Aditya Thackeray is a minister, and the Chief Minister’s son, he had to give clarifications and Mumbai Police’s role is being viewed from this prism. When Maharashtra government opposed handing over the probe to CBI, BJP and JD(U) took advantage and made it an issue of Bihar’s prestige. Shiv Sena is worried because Aditya Thackeray is the chief minister’s son, and the party does not want his image to be dented. Shiv Sena is not worried at all about BJP or JD(U) taking advantage in Bihar. It is worried over how to handle the matter when CBI summons Aditya Thackeray for questioning in this case.
अब सीबीआई के हवाले हुआ सुशांत सिंह राजपूत केस
ऐक्टर सुशांत सिंह राजपूत के परिवार को मिली एक बड़ी जीत में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जांच को बिहार से मुंबई ट्रांसफर करने की रिया चक्रवर्ती की याचिका को खारिज कर दिया और सीबीआई को मामले की जांच करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने मुंबई पुलिस से कहा कि वह सीबीआई को अब तक इकट्ठा किए गए सभी साक्ष्य सौंप दे।
शीर्ष अदालत ने माना कि बिहार सरकार के पास मामले की जांच को सीबीआई को ट्रांसफर करने का अधिकार है। जस्टिस हृषिकेश रॉय ने कहा कि यदि सुशांत सिंह राजपूत की मौत से संबंधित कोई अन्य मामला भी सामने आता है तो उसे भी जांच के लिए सीबीआई को ट्रांसफर करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मुंबई पुलिस का क्षेत्राधिकार आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत सीमित है और सीबीआई द्वारा की जा रही जांच वैध है। कोर्ट ने सुशांत के पिता के. के. सिंह की शिकायत के आधार पर पटना पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR को भी वैध माना।
इसके साथ ही अब मुंबई पुलिस, बिहार पुलिस और सीबीआई के बीच चल रही कानूनी रस्साकशी का अंत हो गया है। सीबीआई अब सुशांत की मौत की जांच करने के लिए स्वतंत्र है, हालांकि अब इस घटना को हुए 2 महीने से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है।
हम सबको उम्मीद करनी चाहिए कि अब सीबीआई द्वारा की जाने वाली जांच सही रुख अख्तियार करेगी। पिछले 2 महीनों से मुंबई पुलिस जिस तरह इस मामले को निपटा रही थी, उससे कई सवाल खड़े हो गए थे। इस मामले में पटना पुलिस के साथ-साथ बिहार के DGP गुप्तेश्वर पांडेय की तारीफ करनी चाहिए, जिन्होंने अपनी जांच टीम को मुंबई भेजा और पूरे इन्वेस्टिगेशन का रुख ही बदल दिया। मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार ने बिहार पुलिस को जांच में शामिल होने से रोकने की पूरी कोशिश की थी। यहां तक कि उन्होंने मामले की जांच के लिए पहुंचे बिहार के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को क्वॉरन्टीन भी कर दिया था।
दोनों राज्यों की पुलिस के बीच 2 महीने तक चली इस खींचतान के दौरान तमाम व्यक्तिगत हमले भी हुए जिनमें से कुछ निंदनीय थे। मंगलवार को रिया चक्रवर्ती के वकील सतीश मानशिंदे ने एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने सुशांत की बहन प्रियंका पर यह आरोप लगाया कि पिछले साल अप्रैल में प्रियंका ने रिया के साथ छेड़छाड़ की कोशिश की थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एक दिन पहले दिए गए इस बयान में रिया के वकील मानशिंदे ने कहा, ‘सुशांत फोन पर कई बार अपने परिवार को मुंबई छोड़ने के अपने फैसले के बारे में जानकारी दी थी और उनसे आकर मिलने के लिए कहा था। सुशांत के कई दिनों तक फोन करने और रोने के बाद उनकी बहन मीतू 8 जून 2020 को उनके साथ रहने के लिए तैयार हो गईं। इसी वजह से सुशांत ने रिया से कहा कि वह कुछ समय के लिए अपने माता-पिता के घर जाकर रहे।
बयान में कहा गया, ‘रिया खुद मानसिक तौर पर परेशान हो गई थी और उसे अक्सर पैनिक अटैक्स आते थे। सुशांत के व्यवहार ने उसकी परेशानियों को और बढ़ा दिया था। रिया अपने परिवार से मिलने जाना तो चाहती थी, लेकिन सुशांत की हालत देखकर खुद को रोके हुए थी। उसी दिन, 8 जून 2020 को, रिया ने डॉक्टर सुसान वॉकर के यहां खुद के लिए थेरेपी सेशन का अपॉइंटमेंट लिया और सुशांत से कहा कि वह इस थेरेपी के बाद घर से चली जाएगी। लेकिन सुशांत ने अपनी बहन मीतू के आने से पहले ही रिया को घर से चले जाने के लिए कहा। इस तरह रिया न चाहते हुए भी वहां से चली गई और सुशांत से कहा कि यदि उन्हें किसी तरह की जरूरत हो तो वह उसे या उसके भाई शौविक को बताएं।’
यह दावा इस तथ्य से बिल्कुल अलग है कि रिया ने झगड़े के उपरांत सुशांत का फ्लैट छोड़ने के बाद उनके नंबर को ब्लॉक कर दिया था। वकील के बयान में यह भी कहा गया है कि, ‘रिया न तो आदित्य ठाकरे को जानती है और न ही वह कभी उनसे मिली है। उसने फोन पर या अन्यथा उनसे कभी भी बात नहीं की है। हालांकि वह उन्हें शिवसेना के एक नेता के रूप में जानती है। वह डिनो मोरिया को जानती है और उनसे सोशली मिली भी है क्योंकि वह फिल्म इंडस्ट्री में उसके सीनियर हैं।’
आरोपों और प्रत्यारोपों को देखते हुए एक बात तो साफ है कि न तो वह सुशांत के परिजनों को पसंद करती थीं, और न तो सुशांत की जिंदगी और प्रॉपर्टी पर दखलअंदाजी के चलते रिया दिवंगत अभिनेता के परिजनों को पसंद थी। सुशांत का परिवार अभी भी अपने इस आरोप के साथ खड़ा है कि रिया और उसके घर के लोगों ने सुशांत के बैंक अकाउंट्स से 15 करोड़ रुपये निकाले हैं।
इस पूरे प्रकरण में सभी मुख्य किरदारों ने सुशांत की मौत के पीछे के कारणों को अपने व्यक्तिगत नजरिए से देखा है। फिर भी अभी तक यह एक रहस्य ही है कि क्या सुशांत ने आत्महत्या की, या उन्हें खुदकुशी के लिए मजबूर किया गया, या उनकी हत्या की गई।
अब एक बात तो साफ हो गई है कि रिया और सुशांत के परिवार के लोगों में झगड़ा चल रहा था और सुशांत बीच में फंस गए थे। अब यदि हम यह मान भी लें कि रिया और उसके घरवालों ने सुशांत के अकाउंट से पैसे उड़ाए हैं तो सवाल उठता है कि ऐसे में उनकी हत्या के पीछे क्या मकसद हो सकता है। दूसरा सवाल यह है कि मुंबई पुलिस ने जांच पूरी किए बिना ही इसे आत्महत्या कैसे घोषित कर दिया। एक सवाल यह भी है कि मुंबई पुलिस ने बिहार पुलिस को मामले की जांच क्यों नहीं करने दी और उनके साथ साक्ष्यों को साझा करने से इनकार क्यों कर दिया।
यह एक सच्चाई है कि किसी ने भी सुशांत के शव को पंखे से लटकते हुए नहीं देखा, और पुलिस के आने से पहले ही उनकी बॉडी बिस्तर पर रख दी गई थी। सवाल यह भी उठता है कि यदि सुशांत का करियर सफलता की राह पर आगे बढ़ रहा था और उनके परिवार से अच्छे रिश्ते थे तो उन्होंने आत्महत्या क्यों की?
लोग इन जरूरी सवालों के जवाब चाहते हैं। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच के निर्देश दे दिए हैं, हम सबको उम्मीद है कि मामला जल्द ही एक तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचेगा और सुशांत की मौत के पीछे के रहस्य पर से पर्दा उठेगा। इस पूरे मामले में मुंबई पुलिस की छवि को निश्चित रूप से एक धक्का लगा है और उसे जल्द से जल्द अपनी पुरानी प्रतिष्ठा हासिल करने की जरूरत है।
Sushant Rajput Case: Over to CBI now
In a big victory for actor Sushant Singh Rajput’s family, the Supreme Court on Wednesday rejected Rhea Chakraborty’s plea for transfer of probe from Bihar to Mumbai and directed the CBI to investigate. The court directed Mumbai Police to hand over all evidence collected so far to the CBI.
The apex court held that Bihar government was competent to transfer the case to CBI for investigation. Justice Hrishikesh Roy pointed out that if there was any other case relating to Sushant Rajput’s death, it must be transferred to the CBI for investigation.
The Supreme Court said, the jurisdiction of Mumbai Police was limited under Criminal Procedure Code and the ongoing probe being done by CBI was lawful.
The apex court held the FIR registered by Patna Police based on Sushant’s father K K Singh’s complaint as valid.
With this, the curtains have now been drawn over the legal tussle that was going on between Mumbai Police, Bihar Police and the CBI. The premier investigating agency will now be free to probe Sushant’s death, though more than two months have elapsed since then.
Let us all hope the investigation by CBI will now take a correct course. For the last two months, the slipshod manner in which the case was being handled by Mumbai Police raised several questions. One must praise Patna Police and the Bihar Police DGP Gupteshwar Pandey, who sent their investigation team to Mumbai and changed the course of the probe. Mumbai Police and the Maharashtra government tried their best to prevent Bihar police from joining the investigation, and in one incident, they confined a senior IPS officer from Bihar under quarantine.
Too many personal attacks, some of them vicious, were made in the last two months during the course of the tussle between the two state police. On Tuesday, Rhea Chakraborty’s lawyer Satish Maneshinde released a statement in which he quoted Rhea alleging that Sushant’s sister Priyanka had tried to molest her in an inebriated state in April last year.
In the statement timed a day before the Supreme Court verdict, the lawyer Maneshinde stated: “Sushant had been calling his family, informing them of his decision to move out of Mumbai and requesting them to come to meet him. After several days of Sushant calling and crying over the phone, his sister Meetu agreed to come live with him on 8th of June 2020. Due to this development, Sushant requested Rhea to live with her parents for the time being.
“Rhea had been suffering from her own anxiety issues and often endured panic attacks. Sushant’s conduct also aggravated these conditions. Even though Rhea was desirous of seeing her family, she was not at all comfortable with leaving Sushant. The very same day, 8th June 2020, Rhea had arranged to have a therapy session of her own with Dr Susan Walker and requested Sushant if she could leave after the session. However, Sushant told her to leave immediately before his sister Meetu arrived. Thus Rhea reluctantly left and informed Sushant to let her or her brother know about anything he required or in case he needed to talk.”
This assertion is completely different from the fact that it was Rhea who had blocked Sushant’s calls on her phone after she left his flat after a quarrel.
The lawyer’s statement also states: “Rhea does not know and has never met Aaditya Thackeray till today. Neither has she ever spoken to him telephonically or otherwise. Though she has heard of him as a leader of the Shiv Sena. She knows and has met Dino Morea socially as he is her Senior in the Film Industry.”
Going through the charges and counter-charges, it is now clear that Rhea disliked Sushant’s family members, while the latter disliked Rhea for exerting dominance on the actor’s life and assets. Sushant’s family still stands by its charge that it was Rhea and her family who had funnelled out money from Sushant’s accounts to the tune of Rs 15 crore.
Each major character in this entire episode viewed the reasons behind Sushant’s death from its own angle. Yet, the mystery still remains whether Sushant committed suicide, or was forced to commit suicide, or was murdered.
It is now an established fact that Rhea and Sushant’s family members were at loggerheads and Sushant was caught in the crossfire. Even if we accept that Rhea and her family swindled money from Sushant’s account, the question arises: what could be the motive behind murdering him. The other question that remains is why Mumbai police, without going into the circumstances, declared it as a suicide. The question remains why Mumbai Police did not allow Bihar police to join the probe and refused to share evidence with their Bihar counterparts. It is a fact that nobody saw Sushant’s body hanging from the ceiling fan, and the body was found lying on the bed. The question remains, if Sushant’s career was on a successful course and he had good relations with his family members, why did he commit suicide?
People want answers to these vital questions. With the Supreme Court directing the CBI to probe, let us all hope that the matter will reach a logical conclusion soon and the mystery behind Sushant’s death will be revealed. In this entire case, the Mumbai Police’s image has surely taken a beating and it needs to regain its old prestige, soon.
भारत में कैसे साजिश रचनेवाले सोशल मीडिया का दुरुपयोग करते हैं
फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म आजकल कुछ लोगों के लिए तरह-तरह की साजिशों को अंजाम देने का आसान साधन बन गए हैं। कुछ लोग डिटेक्टिव बन जाते हैं तो कोई हिन्दुओं का ठेकेदार बन जाता है तो कोई खुद को मुसलमानों का मसीहा बताता है। ऐसा देखा गया है कि अक्सर सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर दंगा फैलाए जाते हैं, सोशल मीडिया के जरिए मजहब के नाम पर लोगों की भावनाओं को भड़काया जाता है और आधा सच-आधा झूठ दिखाकर दंगा फसाद करवाने के लिए लोगों को उकसाया जाता है।
असल में सोशल मीडिया अब हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा हो गया है। पर्सनल लाइफ से लेकर पब्लिक लाइफ में….गवर्नेंस से लेकर इंटरनेशनल इश्यूज तक, इलैक्शन से लेकर सिलैक्शन तक, मार्केटिंग से लेकर ओपीनियन मेकिंग तक, हर जगह सोशल मीडिया का इस्तेमाल हो रहा है। चूंकि सोशल मीडिया में वैरीफिकेशन का कोई तरीका नहीं है, जो लिखा गया है, जो दिखाया गया है, वो कितना सच है कितना झूठ…इसका कोई पैमाना नहीं हैं…इसको जांचने का तरीका नहीं है। इसीलिए अब यह साजिशों का सेंटर बन गया है।
सोमवार को एक ऐसी ही पेंटिंग वायरल हुई जिसमें श्रीकृष्ण को बिकनी पहने गोपियों के साथ रासलीला करते दिखाया गया है। इस तस्वीर को बनाने वाला पेंटर मुस्लिम है और उसका नाम इकराम है। बाकायदा पेंटर का नाम लिखकर यह तस्वीर वायरल की गई। कहा गया कि श्रीकृष्ण की ये तस्वीर गुवहाटी की सरकारी आर्ट गैलरी में रखी गई है। ये तस्वीर सोशल मीडिया पर इतनी तेजी से फैली कि ट्रेंड करने लगी। इसकी चर्चा होने लगी और नाराज लोगों ने कमेंट करने शुरू कर दिए। चूंकि पेंटिंग को बनाने वाला शख्स मुस्लिम था। इसलिए मामला साम्प्रदायिक होने लगा। इस्कॉन ने तक इस पर रिएक्ट किया और असम सरकार से इस फोटो को बनाने वाले कलाकार के खिलाफ एक्शन की मांग की गई।
लेकिन अच्छी बात ये है कि इस तरह की साजिश को असम सरकार ने भी भांप लिया। असम सरकार के सीनियर मिनिस्टर हिमंत विश्वशर्मा ने टवीटर पर लिखा कि इस मामले को काफी पहले सुलझा लिया गया है। अब आर्ट गैलरी में ऐसी कोई पेंटिंग नहीं है। असम पुलिस ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर भी बताया गया। भगवान श्रीगृष्ण की जिस आपत्तिजनक पेंटिंग का जिक्र किया गया है। ये मामला 2015 का है। तब इस मामले में केस रजिस्टर किया गया था। आरोपी को 30 मई 2015 को अरेस्ट किया गया था और पेंटिंग को जब्त किया गया था। अब ये पेंटिंग डिसप्ले में नहीं है। कुल मिलाकर, यह सोशल मीडिया पर एक नई बोतल में पुरानी शराब की पैकेजिंग थी, और इसके पीछे का इरादा भी स्पष्ट था।
सोमवार को एक और वीडियो वायरल हुआ, एक मॉल में बुरका पहने कुछ महिलाओं का गणेश की मूर्तियों को तोड़ने का वीडियो सर्कुलेट किया गया। दावा किया गया कि यह घटना अपने देश में हुई है और यह वीडियो यहीं का है, लेकिन जांच में पता चला कि यह वीडियो बहरीन का है। बहरीन की सरकार ने इस घटना के लिए महिला के खिलाफ कार्रवाई भी की।बहरीन के आंतरिक मंत्रालय ने कहा, ‘मनामा में राजधानी पुलिस ने 54 वर्षीय महिला के खिलाफ जुफ़ेयर में एक दुकान को नुकसान पहुंचाने और एक संप्रदाय को बदनाम करने के लिए कानूनी कार्रवाई की”। इस मामले को पब्लिक प्रॉस्क्यूशन के लिए भेज दिया गया है। सोचिए इस वीडियो का इस्तेमाल हमारे देश में आग लगाने के लिए किया जा रहा है
इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 22 अगस्त को है, और त्योहार से पहले धार्मिक भावनाओं को भड़काने के लिए वीडियो को जानबूझकर सर्कुलेट किया गया।
पिछले हफ्ते बैंगलूरू में भी हजरत मोहम्मद साहब को लेकर फेसबुक इसी तरह एक मैसेज वायरल किया गया। फेसबुक के बाद तुरंत यह व्हाट्सएप पर सर्कुलेट होने लगा और वहां दंगे भड़क गए। भीड़ ने पुलिस थानों में तोड़फोड़ की और वाहनों में आग लगा दी। गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई और बेंगलुरु में 50 से अधिक लोग घायल हो गए।
रविवार को एक और बड़ा विवाद हुआ जिसे राहुल गांधी ने इश्यू बनाने की कोशिश की। राहुल गांधी का कहना है कि भारत में फेसबुक और व्हाटसएप के जरिए बीजेपी और RSS देश में नफरत फैलाते हैं। फर्जी खबरें सर्कुलट करते हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘वे इसके माध्यम से फर्जी खबरें और नफरत फैलाते हैं और इसका इस्तेमाल मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए करते हैं. आखिरकार, अमेरिकी मीडिया फेसबुक के बारे में सच्चाई के साथ सामने आया है।’
राहुल गांधी ने अपने इस इल्जाम के साथ अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट का हवाला दिया गया। इस रिपोर्ट में बीजेपी नेता टी.राजा सिंह का जिक्र है। उन्होंने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि रोहिंग्या मुसलमानों को गोली मार देनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने मुसलमानों को लेकर विवादास्पद बयान दिया था।
वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फेसबुक की इंटरनल टीम ने टी.राजा सिंह के खिलाफ हेट स्पीच के मामला को सही मानते हुए कार्रवाई की बात कही थी…लेकिन फेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर आंखी दास ने ये कहते हुए कार्रवाई में ढिलाई बरती कि इससे इंडिया में फेसबुक के कारोबार को नुकसान हो सकता है। कांग्रेस ने इसे सरकार की दखलंदाजी के तौर पर प्रौजैक्ट किया और इस मामले की जांच Joint Parliamentary Committee से कराने की मांग की। चूंकि राहुल गांधी समेत कांग्रेस के तमाम नेताओं ने इस खबर के आधार पर सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया कैंपेन चला दिया. फिर बीजेपी की तरफ से जबावी हमले भी हुए।
बीजेपी ने कांग्रेस नेताओं के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बेहतर होगा कि वे खुद अपने अंदर झांककर देखें। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए ट्विटर पर लिखा- ‘हारे हुए वो लोग जो अपनी ही पार्टी के लोगों पर कोई प्रभाव नहीं डाल पाते…कह रहे हैं कि पूरी दुनिया बीजेपी और RSS के कंट्रोल में है, चुनाव से पहले डाटा को हथियार बनाते हुए आप रंगे हाथ पकड़े गए थे, कैंब्रिज एनालिटिका और फेसबुक से आपका गठजोड़ पकड़ा गया था, ऐसे लोग आज बेशर्मी से आज हमसे सवाल कर रहे हैं।’
वॉल स्ट्रीट जनरल की इस रिपोर्ट के बाद फेसबुक की इंडिया साउथ एंड सेंट्रल एशिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर आंखी दास के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक कमेंट किए जाने लगे। ट्रोल्स उनके पीछे पड़ गए। जिसके बाद आंखी दास ने दिल्ली पुलिस साइबर सेल को एक चिट्ठी लिखकर एक्शन लेने की मांग की है। इस शिकायत में कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करने की अपील की गई है। आंखी दास ने लिखा है कि उनको जान से मारने की धमकी मिल रही है। आंखी दास को पीटने और बुरे अंजाम का अल्टीमेटम दिया जा रहा है। सरेआम फांसी पर लटकाने की बात कही जा रही है। आंखी दास 2011 से फेसबुक की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर हैं.. वह कोई पब्लिक फ़िगर नहीं हैं लेकिन ज़करबर्ग की टीम की एक मेंबर हैं। आंखी दास की प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक तस्वीर को वायरल किया जा रहा है। इस तस्वीर की हकीकत भी आपको बता दूं। प्रधानमंत्री मोदी के साथ जिस तस्वीर में आंखी दास दिखाई दे रही हैं, वो तस्वीर 2014 की है। तब फेसबुक के प्रमुख मार्क ज़करबर्ग भारत दौरे पर आए थेऔर प्रधानमंत्री मोदी से मिले थे।
आरोप लगे तो फेसबुक की तरफ से भी क्लैरीफिकेशन आया। मार्क ज़करबर्ग की कंपनी को कहना पड़ा कि फेसबुक की पॉलिसी किसी व्यक्ति….वो आम हो या खास…को देखकर फैसले लेने की नहीं हैं। हिंसा भड़काने वाले, नफरत फैलाने वाले कंटेंट पर रोक लगाना फेसबुक की ग्लोबल पॉलिसी का हिस्सा है।
अगर दुनिया में फेसबुक के यूजर्स की संख्या देंखे और भारत में फेसबुक के यूजर्स की तादाद देंखे तो फेसबुक की मजबूरी आपको समझ आ जाएगी। भारत में इस वक्त फेसबुक के 34 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं। दूसरे नंबर पर अमेरिका है..जहां फेसबुक के 19 करोड़ यूजर्स हैं। इसके बाद इंडोनेशिया और ब्राजील का नंबर आता है। इंडोनेशिया में फेसबुक के 14 करोड़ यूजर हैं। जबकि ब्राजील में फेसबुक के यूजर्स की संख्या करीब 13 करोड़ है। सोचिए अगर भारत में फेसबुक ने ज्यादा सख्ती दिखाई। सारे कॉन्टेंट को रोकना शुरू किया तो उसे नुकसान भी हो सकता है। लेकिन जिस आर्टिकल का जिक्र करके राहुल और कांग्रेस सरकार पर अटैक कर रही है उसी आर्टिकिल में फेसबुक के हवाले से बड़ी इंटरेस्टिंग बातें लिखी गईं। लिखा कि 2016 में फेसबुक भारत में एक फ्री टेलीकम्युनिकेशन सर्विस शुरू करना चाहती थी….लेकिन उसे सरकार से आजतक परमीशन नहीं मिली। इसी तरह व्हाट्सऐप, जो इसी ग्रुप का है…इसी कंपनी का हिस्सा है, भारत में पेमेन्ट गेटवे लाना चाहता है। लेकिन दो साल से उसे एप्रूवल नहीं मिला। अब फेसबुक का कहना है कि अगर वो सरकार, बीजेपी या RSS को फेवर कर रही थी तो सरकार भी तो उसे कुछ फेवर करती लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
मैं कांग्रेस पार्टी की मजबूरियों को समझता हूं। सोशल मीडिया पर नरेन्द्र मोदी दुनिया के सबसे पॉपुलर लीडर हैं। फेसबुक पर मोदी के 4.62 करोड़ फॉलोअर हैं और दूसरे नंबर पर अमेरिका के प्रेसीडेंट डोनॉल्ड ट्रंप (3.07 करोड़) हैं। जबकि राहुल गांधी के फॉलोअर्स की संख्या 37.5 लाख है। यानि मोदी के फॉलोअर्स राहुल से चौहद गुना ज्यादा हैं। इस लिहाज से फेसबुक पर नरेन्द्र मोदी का कब्जा तो है।
फेसबुक की तरह ट्वीटर को भी मोदी कन्ट्रोल तो करते हैं…क्योंकि ट्वीटर पर नरेन्द्र मोदी के 6 करोड़ 11 लाख से ज्यादा फॉलोअर हैं….और राहुल गांधी के फॉलोअर्स की संख्य़ा एक करोड़ छप्पन लाख है। यानि यहां भी नरेन्द्र मोदी के फॉलेअर्स राहुल गांधी से चार गुना ज्यादा हैं। इसके बाद भी राहुल गांधी पिछले एक साल से सिर्फ सोशल मीडिया के जरिए सियासत कर रहे हैं।
आपने देखा होगा कि कुछ महीनों से रोज सुबह एक ट्वीट करते हैं, सवाल पूछ लेते हैं। अब बीजेपी के नेता पूछते हैं कि मार्क जकरबर्ग ने कपिल मिश्रा के बयानों पर तो कमेंट किया ये कहकर कि उन्होंने दिल्ली में दंगे भड़काए..लेकिन सोनिया गांधी ने जो ‘आर-पार’ की लड़ाई की बात की थी उसका जिक्र तो नहीं किया।
दूसरी बात जो बीजेपी के नेता कह रहे हैं वो यह कि फेसबुक पर लाखों ऐसे पोस्ट मिल जाएंगे जिसमें हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाया गया है..हजारों ऐसे पोस्ट मिल जाएंगे जहां नरेन्द्र मोदी के लिए अभद्र भाषा का, गालियों का इस्तेमाल किया गया है। फेसबुक पर मोदी की ऐसी morphed तस्वीरें भी मैंने देखीं, जिसमें मोदी के हाथ में पाकिस्तान का झंडा दिखाया गया है। लेकिन कांग्रेस ने उसके बारे में सवाल नहीं उठाए। अगर निंदा करनी है, अगर सवाल उठाने हैं, तो सबके बारे में उठाने चाहिए, पॉलिसी तो सबके बारे में एक होनी चाहिए। (रजत शर्मा)
How conspirators are misusing social media in India
Social media outlets like Facebook, WhatsApp, Twitter have nowadays become easy tools for some people to carry out conspiracies. Some become detectives, some have become self-appointed guardians of Hindus, some project themselves as protectors of Muslims. More often social media is used to spread religious and regional hatred in order to foment violence. Readers are incited by showing partly true, partly false videos or texts.
It’s true social media has become an indispensable part of our daily life. From personal life to public life, from governance to international issues, from elections to selections, from marketing to opinion making, social media has become an important tool. Since verification methods hardly exist in social media, texts, images and videos are taken at face value, with nobody the wiser about whether they are true or false. Social media has thus become a den of conspiracies.
On Monday, a painting went viral showing Lord Krishna with bikini-clad beauties, the painter was a Muslim, Ikram Husain, and this name was prominently displayed to incite feelings of Hindus, particularly devotees of Lord Krishna. ISKCON demanded action. Later, Assam Police and the Assam deputy chief minister Himanta Biswa Sarma revealed that the objectionable painting was displayed at an exhibition in 2015, it was taken down from Guwahati Art Gallery and the painter was arrested. The painting was seized by police. All in all, it was packaging of old wine in a new bottle on social media, and the intent was obvious.
Another video went viral on Monday, showing a burqa-clad Muslim lady throwing away statues of Lord Ganesha from a shelf and breaking them into pieces inside a departmental store. It was claimed on social media that the incident happened in India, but on verification it was found that the video was from Bahrain. The Interior Ministry of Bahrain said, the “capital police in Manama took legal action against the woman, 54, for damaging a shop in Juffair and defaming a sect and its rituals”. The matter has been referred to Public Prosecution.
This year Ganesha Chaturthi falls on August 22, and the video was deliberately circulated to incite religious feelings before the festival.
Last week, an objectionable comment was made about Prophet Mohammed on Facebook, it was immediately circulated on WhatsApp and crowds ransacked police stations and set fire to vehicles. Three persons died in the firing and more than 50 people were injured in Bengaluru.
On Sunday, Congress leader Rahul Gandhi alleged that Facebook and WhatsApp are being controlled by BJP and RSS. “They spread fake news and hatred through it and use it to influence the electorate. Finally, the American media has come out with the truth about Facebook,” Gandhi tweeted.
Rahul Gandhi was referring to an article in ‘Wall Street Journal’ in which it was alleged that Facebook was going easy on hate speeches by members of ruling BJP. The Wall Street Journal report cited interviews with unnamed Facebook insiders to claim that the senior India Policy executive of Facebook, Ankhi Das, intervened in internal content reviewing processes to stop a ban on a BJP MLA in Telangana, who had made communally charged posts targeting Muslim community.
The Wall Street Journal report alleged that Ankhi Das told staff members that punishing violations by politicians from BJP would damage Facebook’s business prospects in India. The Congress promptly demanded a joint parliamentary committee probe into this matter.
BJP denied the allegation and said Congress leaders should better look within. Information Technology Minister Ravi Shankar Prasad hit back at Rahul Gandhi and said, “Losers who cannot influence people even in their own party keep cribbing that the entire world is controlled by BJP & RSS. You were caught red-handed in alliance with Cambridge Analytica & Facebook to weaponize data before the elections & now have the gall to question us.”
Soon after, social media was flooded with trolls targeting Ankhi Das, Public Policy director for India, South and Central Asia, and a torrent of abuses and threats followed. On Sunday, Ankhi Das complained to Delhi Police citing “violent (online) threats to life and body”. Police have registered a case and the cyber unit has begun its probe.
Ankhi Das has named some Facebook and Twitter accounts, from where she had been receiving violent threats since Friday evening and is “extremely disturbed” by relentless harassment meted out to her. Ankhi Das is Public Policy director of Facebook since 2011. She is not a public figure but is part of Mark Zuckerberg’s team. A 2014 picture of Ankhi Das with Prime Minister Modi is being circulated on social media. This picture was taken during Mark Zuckerberg’s meeting with Modi.
Facebook had to issue a clarification saying it does not discriminate on the basis of political ideology. “We prohibit hate speech and content that incites violence and we enforce these policies globally without regard to anyone’s political position or party affiliation. While we know there is more to do, we’re making progress on enforcement and conducting regular audits of our process to ensure fairness and accuracy,” said Facebook.
India today has more than 29 crore Facebook users. USA comes second with 19 crore users, followed by Indonesia and Brazil. The Wall Street Journal article, cited by Rahul Gandhi, also mentions that it was in 2016, during Modi’s rule, that Facebook was disallowed by the Indian government to launch a free telecom service. Similarly, WhatsApp, a Facebook affiliate, wants to launch a payment gateway in India, but its request is pending since last two years. Had Facebook been favouring the BJP and Modi government, it would have got these approvals by now, but this did not happen.
I understand the compulsions of Congress party. On social media, Prime Minister Narendra Modi is the most popular political leader in the world. Modi has 4.62 crore Facebook followers, followed by US President Donald Trump (3.07 crore). Rahul Gandhi has 37.5 lakh Facebook followers, meaning Modi has 14 times more followers than Rahul’s.
Like Facebook, Modi also dominates Twitter. Modi has 6 crore 11 lakh followers on Twitter, while Rahul Gandhi has 1 crore 56 lakh followers, meaning Modi has four times more followers than Rahul on Twitter.
In spite of his lesser number of followers, Rahul depends heavily on social media. All of you must have noticed that he posts one tweet daily in the morning posing a question to Modi. BJP leaders point out that Mark Zuckerberg had himself said that it was Kapil Mishra’s comments that incited communal riots in Delhi, but he never commented on Sonia Gandhi’s ‘aar-paar ki ladhai’.
BJP leaders also point out that there are thousands of posts on Facebook denigrating and insulting Hindu gods and goddesses, thousands of posts using abuses and threats to Prime Minister Modi. On Monday, I noticed an image of Modi holding a Pakistani flag in his hand on Facebook. But Congress leaders never raised such issues. If they have valid reasons for objections, they have to be fair and even-handed. Policy against hate speeches and statements must be applicable to all.
पीएम मोदी ने अपने भाषण में चीन और पाकिस्तान को दिया कड़ा संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार सातवीं बार स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से देश को संबोधित करते हुए अपने भाषण में चीन और पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा, “ भारत की संप्रभुता का सम्मान हमारे लिए सर्वोच्च है। इस संकल्प के लिए हमारे जवान क्या कर सकते हैं, देश क्या कर सकता है, ये लद्दाख में दुनिया ने देखा है।.. एलओसी से लेकर एलएसी तक, देश की संप्रभुता पर जिस किसी ने आंख उठाई है, देश ने, देश की सेना ने, उसका उसी भाषा में जवाब दिया है। “
हालांकि मोदी ने अपने भाषण में चीन और पाकिस्तान का नाम नहीं लिया लेकिन उनका इशारा स्पष्ट था। बेहद कड़े और संतुलित स्वर में उन्होंने अपनी बात कही। मोदी ने कहा, भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरा देश जोश से भरा हुआ है, संकल्प से प्रेरित है और अटूट श्रद्धा के साथ आगे बढ़ रहा है। मैं आज मातृभूमि पर न्यौछावर उन सभी वीर-जवानों को लालकिले की प्राचीर से आदरपूर्वक नमन करता हूं।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आतंकवाद और विस्तारवाद’ के खिलाफ भारत की लड़ाई जारी रहेगी।
पीएम मोदी ने यह भी कहा, ‘आज पड़ोसी सिर्फ वो ही नहीं हैं जिनसे हमारी भौगोलिक सीमाएं मिलती हैं, बल्कि वे भी हैं जिनसे हमारे दिल मिलते हैं। भारत ने पश्चिम एशियाई और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ किस तरह से सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए हैं, इसका उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने यह बात कही।
पीएम मोदी के भाषण का मूल विषय आत्मनिर्भरता पर केंद्रित था। उन्होंने आयात को कम करने, स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देने, आयात के लिए 100 से अधिक डिफेंस प्रोडक्ट्स की निगेटिव लिस्ट बनाने, किसानों को अपने उत्पादों को कहीं भी बेचने की अनुमति देने पर जोर दिया। वहीं उन्होंने मल्टी मॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास कर सड़क मार्ग, रेलवे, बंदरगाह, हवाई अड्डों के इंटरलिंकिंग की बात कही। ‘वोकल फॉर लोकल’ का जिक्र कर पीएम मोदी ने लोगों से ज्यादा से ज्यादा भारतीय सामान खरीदने और विदेशी सामानों से दूर रहने की अपील की।
पीएम मोदी ने सवालिया लहजे में कहा, हम देश से कब तक कच्चा माल विदेश भेजते रहेंगे… raw material कब तक दुनिया में भेजते रहें, और देखिए तो… raw material दुनिया में भेजना और finished goods दुनिया से वापस लाना, ये खेल कब तक चलेगा? हमें वैल्यू एडिशन की ओर बढ़ना होगा… और आत्मनिर्भरता की पहली शर्त है आत्मविश्वास।’
प्रधानमंत्री ने देश के सभी नागरिकों को हेल्थ आईडी मुहैया कराने के लिए डिजिटल हेल्थ मिशन और साइबर हमलों का मुकाबला करने के नेशनल साइबर पॉलिसी तैयार करने का ऐलान किया। कोरोना वायरस महामारी पर पीएम मोदी ने कहा, ‘देश में COVID के तीन-तीन टीके इस समय टेस्टिंग के चरण में हैं। वैज्ञानिकों से इसकी अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार किया जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि टीका तैयार हो जाने के बाद कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक यह पहुंचे, यह तय करने के लिए बड़े पैमाने पर उत्पादन का खाका भी हमने तैयार कर लिया है।
मोदी का भाषण इस मायने में दूरदर्शिता से भरा था कि राष्ट्रीय डिजिटल हेल्थ मिशन और नेशनल साइबर पॉलिसी जैसे प्रोजेक्ट आने वाले समय में देशवासियों के जीवन पर असर डालेंगे। इसी तरह, उन्होंने लक्षद्वीप आईलैंड को अंडर सी ऑप्टिकल फाइबर लिंक से जोड़ने का ऐलान किया। यह प्रोजेक्ट वैसा ही है जैसे हाल ही में चेन्नई और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने के काम का उद्घाटन हुआ है। इस काम के पूरा होने से भारत और इन आईलैंडस् के बीच कम्यूनिकेशन आसान हो जाएगा।
पीएम मोदी का इस मामले में स्पष्ट विचार है कि कैसे भारतीय किसानों को आजादी के बाद से लगाए गए सभी नियंत्रणों से मुक्त किया जाना चाहिए, ताकि वे अपनी आय को तेजी से बढ़ा सकें। उन्होंने अपने भाषण में यह भी बताया कि कैसे उनकी सरकार महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और समाज के अन्य वंचित तबकों की मदद करना चाहती है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री का भाषण आशावादी था। उन्होंने कहा कि कैसे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में 7 हजार नए प्रोजेक्ट्स की पहचान की गई है और लगभग 2 करोड़ परिवारों को कैसे नल के जरिये पीने का साफ पानी उपलब्ध कराया गया है। मोदी का यह भाषण लोगों को आश्वस्त करने वाला भाषण था। यह निश्चित रूप से उन लोगों का मनोबल बढ़ानेवाला है जो कोरोना जैसी महामारी और आर्थिक मंदी की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
How Modi sent strong messages to China, Pakistan in his I-Day speech
In his seventh consecutive Independence Day address from Red Fort, Prime Minister Narendra Modi on Saturday sent clear messages to both China and Pakistan saying that “our armed forces have replied in the same language to those who dared to challenge our sovereignty either on LoC (Line of Control) or LAC (Line of Actual Control)”.
He did not name China or Pakistan, but the allusion was clear. In a hard-hitting but balanced tone, Modi said, “the world has seen how our jawans displayed bravery in Ladakh. The whole of India stands united and resolute on this issue. I bow to our brave jawans from the ramparts of this historic Red Fort.” The Prime Minister said, India’s fight against “terrorism and expansionism” will continue
Modi also pointed out that “neighbours are not only those countries with whom we share our geographical borders, neighbours are those countries too with whom we connect with our hearts.” He was speaking in the context of how India has forged cordial relations with West Asian and South East Asian countries.
The underlying theme of Modi’s speech was self-reliance (atma nirbharta). He called for reducing imports, promoting indigenous industries, creating a negative list of more than 100 defence products for import, unshackling agriculture to allow farmers to sell their products anywhere, and interlinking of roads with railway and ports with airports through development of multi-modal infrastructure. By mentioning ‘vocal for local’, Modi was appealing to people to buy more and more Indian goods, and shun buying foreign products.
Modi asked: “For how long should we continue to export our raw materials and import finished products? We must proceed towards value addition now…The first condition for self-reliance is self-confidence (atmavishwas).”
The Prime Minister announced framing of a national cyber policy to counter cyberattacks and a national digital health mission to provide health IDs to all Indians. On the Coronavirus pandemic, Modi said, three anti-COVID vaccines are presently being developed in India and are awaiting final approval from scientists. “We have made all preparations for distribution of vaccines and the system is in place. The moment the vaccines are ready, we will provide it to our people.”
Modi’s speech was forward-looking in the sense that projects like National Digital Health Mission and National Cyber Policy will be impacting the lives of all Indians in the coming years. Similarly, he announced work on laying undersea optical fibre link with Lakshadweep Islands, like the one inaugurated recently between Chennai and Andaman and Nicobar Islands. Communications between mainland India and its islands will now become easier.
Modi has a clear idea of how the Indian farmers need to be freed from all shackles imposed since Independence, so that they can enhance their incomes rapidly. He also spoke of how his government intends to help women, Dalits, tribals and other downtrodden sections of society.
On the whole, the Prime Minister’s speech was optimistic when he mentioned how there has been 18 per cent increase in foreign direct investments in India, how 7,000 new projects in different sectors have been identified to give boost to infrastructure, and how nearly 2 crore households have been provided clean drinking water through taps. Modi’s Independence Day speech was reassuring and it is surely going to invigorate the people who are facing the twin challenges of pandemic and economic recession.
बेंगलुरु दंगों की साजिश रचने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए
मंगलवार की रात भीड़ द्वारा की गई हिंसा के मद्देनजर बेंगलुरु शहर के बनासवाड़ी पुलिस सब-डिविजन में कर्फ्यू लगा दिया गया है और कई इलाकों में 15 अगस्त तक के लिए धारा 144 लागू कर दी गई है। अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में मैंने कुछ ऐसे वीडियो दिखाए जिनसे पता चलता है कि ये हमले अचानक नहीं हुए थे बल्कि इनकी प्लानिंग पहले ही कर ली गई थी। इन फुटेज में साफ दिख रहा है कि कुछ लोग हथियारों से लैस भीड़ को पैकेट बांट रहे हैं। इसके कुछ ही देर बाद ये भीड़ जबर्दस्ती दोनों थानों में घुस जाती है।
दंगाइयों ने कई दिन पहले ही बेंगलुरु पुलिस पर हमला करने की प्लानिंग कर ली थी और ईशनिंदा वाली फेसबुक पोस्ट ने सिर्फ एक ट्रिगर पॉइन्ट के रूप में काम किया। वीडियो देखने से साफ तौर पर पता चलता है कि भीड़ आगजनी करने के लिए ही पुलिस थानों में आई थीं, हालांकि जाहिर यह किया गया कि वे फेसबुक पोस्ट करने वाले नवीन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने आए हैं। पुलिस जब नवीन को पकड़ने उसके घर गई हुई थी, तभी भीड़ ने पुलिसवालों पर धावा बोल दिया। ये तथ्य साफ इशारा करते हैं कि ये सब एक सुनियोजित साजिश के तहत हुआ था।
सीसीटीवी फुटेज में एक शख्स दोपहिया वाहन पर आता दिख रहा है और भीड़ में 2 लोगों को पैकेट दे रहा है। पुलिस ने अब इन दोनों लोगों की पहचान कर ली है। SDPI (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) नाम के एक मुस्लिम संगठन के नेता दावा कर रहे थे कि पुलिस विवादित फेसबुक पोस्ट करने वाले शख्स के खिलाफ कार्रवाई करने में आनाकानी कर रही थी, इसलिए भीड़ हिंसक हो गई।
बेंगलुरु पुलिस मुदस्सिर अहमद की तलाश में जुटी हुई है। यह वही शख्स है जिसने आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट अपने समर्थकों में सर्कुलेट किया था। मुदस्सिर अहमद ने अपने मैसेज में मुसलमानों से डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन में जल्द से जल्द जमा होने के लिए कहा। मुदस्सिर अहमद ने अपने मैसेज में लिखा कि कांग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति के भांजे ने हमारे नबी की शान में गुस्ताखी की है। लगभग एक दर्जन अन्य अकाउंट्स हैं जिनके जरिए मुसलमानों को उनके घरों से बाहर निकलने और प्रदर्शन करने के लिए उकसाया गया था। पुलिस इन सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच कर रही है।
इस मामले में स्थानीय कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई के बारे में भी एक ऐंगल सामने आया है। पुलिस द्वारा दर्ज की गई 3 FIRs में से एक में कलीम नाम के एक शख्स का नाम है जो इस इलाके का काउंसलर रह चुका है। फिलहाल कलीम की बीवी इरशाद बेगम इस इलाके की कांग्रेस पार्षद हैं। कांग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति पहले जनता दल (सेक्युलर) में थे, लेकिन 2 साल पहले पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। उन्होंने पुलकेशी नगर विधानसभा सीट से चुनाव में जीत दर्ज की।
कांग्रेस के स्थानीय नेता श्रीनिवास मूर्ति से नाराज हैं और वे उन्हें अपनी पार्टी में एक घुसपैठिए के रूप में देखते हैं। कलीम के कांग्रेस के बड़े नेताओं से अच्छे रिश्ते हैं। कलीम ने पूर्व गृह मंत्री के. जे. जॉर्ज के साथ भीड़ का हमला झेलने वाले दोनों पुलिस थानों, डीजे हल्ली और केजी हल्ली का दौरा किया था। भीड़ ने कांग्रेस विधायक के घर और दफ्तर में आग लगा दी, लेकिन अभी तक उन्होंने FIR दर्ज नहीं करवाई है। विधायक ने सिर्फ इतना कहा है कि दोषियों को भगवान सजा देंगे। श्रीनिवास मूर्ति का दावा है कि पिछले 10 साल से उनकी अपने भांजे नवीन से बातचीत नहीं हुई है। वह दंगों के लिए किसी भी राजनीतिक संगठन का नाम तक लेने से बच रहे हैं। साफ है कि मूर्ति मुसलमानों को नाराज करने का जोखिम नहीं लेना चाहते, जो कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं के एक बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।
पूर्वी बेंगलुरु में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और गुरुवार को अर्धसैनिक बलों को दंगा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च करना पड़ा। कर्फ्यू और प्रतिबंधात्मक आदेश अगले 2 दिनों तक जारी रहेंगे। मैंने कई इस्लामिक स्कॉलर्स से बात की है, जिन्होंने कहा कि उनके पैगंबर के खिलाफ कई भड़काऊ पोस्ट सोशल मीडिया पर मिल जाएंगी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लोगों को कानून अपने हाथ में ले लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक फेसबुक पोस्ट के चलते पुलिस स्टेशन में आग लगा देना, पुलिस के हथियार छीनने की कोशिश करना नाजायज है, गुनाह है।
इस्लामिक स्कॉलर्स ने ये भी कहा कि भतीजे द्वारा पोस्ट की गईं आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए विधायक को दोषी ठहराना गलत है। उन्होंने कहा कि उकसावे की चाहे जो वजह हो, घरों और गाड़ियों में आग लगाना गुनाह है। मौलानाओं ने कहा कि कुछ मुस्लिम नेता जिन्होंने भीड़ को उकसाया, इस्लाम के दुश्मन हैं। जब भी इस तरह की आगजनी और हिंसा होती है, तो उसमें सबसे ज्यादा नुकसान मुसलमानों को ही होता है। वे समाज के दूसरे लोगों की हमदर्दी खो देते हैं।
मुझे लगता है कि सही सोच वाले मुस्लिम स्कॉलर्स की बातों को उनके समुदाय के लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए, जो आसानी से भड़काने वालों की बातों में आ जाते हैं। हालांकि, उन लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए जिन्होंने बेंगलुरु में भीड़ द्वारा हमले की साजिश रची थी जिससे पुलिस और पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचा। उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए। उनकी असलियत सबके सामने लाने की जरूरत है।
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Bengaluru riots: Punish the Perpetrators
Curfew has been clamped in Banaswadi police sub-division of Bengaluru city and prohibitory orders under Sec 144 have been enforced in several areas till August 15 in view of violent attacks by mobs on Tuesday night. In prime time my show ‘Aaj Ki Baat’ I telecast videos to show how the attacks were not spontaneous but pre-planned. The videos show people distributing packets to armed mobs before they forcibly entered two police stations.
The perpetrators had planned to attack Bengaluru police several days ago and the blasphemous Facebook posting only acted as a trigger point. The videos clearly establish that mobs were brought to police stations to indulge in arson, though the ostensible reason was to file a complaint against the Facebook offender, Naveen. The mob started attacking police, even when policemen had gone out to Naveen’s home to pick him up. These facts clearly point towards a premeditated plan.
The CCTV footage shows a man coming on a two-wheeler and handing over packets to two persons in the mob. The two persons have now been identified by police. Leaders of SDPI (Social Democratic Party of India), a Muslim outfit, had been claiming that the mob became violent because police was dragging its feet over taking action against the Facebook offender.
Bengaluru police is hunting for Mudassir Ahmed, the man who took screen shot of the objectionable Facebook post and circulated among his supporters. The man, Mudassir Ahmed, in his messages, was appealing to Muslims to gather immediately at DJ Halli police station because a nephew of the local Congress MLA has denigrated the Prophet. There are almost a dozen other accounts through which Muslims were incited to come out of their homes and protest. Police is investigating all these social media accounts.
Another angle about local intra-Congress party rivalry has emerged. One of the three FIRs filed by police, names a man named Kaleem, a former councillor, whose wife Irshad Begum is presently the Congress councillor. The Congress MLA Akhanda Srinivasa Murthy, was earlier in Janata Dal (S), but left the party two years ago and contested on a Congress ticket. He won the elections from Pulakeshi Nagar assembly constituency.
Local Congress leaders are unhappy with the MLA whom they regard as an interloper. Kaleem has good contacts with top Congress leaders in the state. He, along with former Home Minister K. J. George, had visited the DJ Halli and KG Halli police stations, which bore the brunt of the mob’s attacks. The mobs set fire to the Congress MLA’s home and office, and yet he has not come forward to file FIRs. The MLA has only said that God will punish the culprits. Srinivasa Murthy claims that he has not met his nephew Naveen for the last ten years. He avoided naming any political outfit for the riots. Clearly, Murthy does not want to antagonize Muslims, who constitute a large chunk of voters in his constituency.
The situation in East Bengaluru continues to remain tense and on Thursday, paramilitary forces had to stage flag march in the riot-hit areas. Curfew and prohibitory orders will continue for the next two days.
I have spoken to several Islamic scholars, who said that there were umpteen number of objectionable posts on social media against their Prophet, but this does not mean that people should take law into their own hands. To set fire to a police station, trying to loot weapons from police because of an FB post, is nothing but a crime, they said.
The Islamic scholars said it was wrong to blame the MLA for the derogatory comment posted by his nephew. They said, whatever may be the provocation, setting fire to homes and vehicles is a crime. The Maulanas alleged that some Muslims leaders who incited the mobs were enemies of Islam. Whenever such arson and violence take place, the ultimate victims are Muslims, who lose sympathy of other communities.
I think the message from right-thinking Muslims scholars must be conveyed to those in their community, who are easily incited by provocative speeches. However, stringent punishment must be meted out to those who planned these mob attacks in Bengaluru causing damage to police stations and public property. They must not be spared. They need to be exposed publicly.
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