Rajat Sharma

हिम्मत न हारें, भारत जीतेगा, कोरोना हारेगा

akbदेशभर में बुधवार को कोरोना वायरस की वजह से 3,645 लोगों की जान गई और रिकॉर्ड 3,79,257 मामले दर्ज किए गए जिससे पूरा का पूरा हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर जबरदस्त प्रेशर में है। देश में अब कोरोना के कुल एक्टिव मामले बढ़कर 30,84,814 हो गया है, वहीं महानगरों और टियर टू सिटीज के अधिकांश अस्पताल बेड उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। महाराष्ट्र में लगातार केविड के सर्वाधिक नए मामले (63,309) सामने आ रहे हैं, उत्तर प्रदेश (29,824) और दिल्ली 25,986 नए मामले। बुधवार को अकेले महाराष्ट्र में 985 कोविड मरीजों की मौत हो गई।

बुधवार की रात मेरे प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कैसे महाराष्ट्र के बीड में एक एंबुलेंस के अंदर 22 शवों को श्मशान पहुंचाया गया। हमने शव के साथ बिस्तर पर लेटे हुए कोविड मरीज के डरावने दृश्य भी दिखाए। अहमदनगर के एक अस्पताल में आठ बैड के बॉर्ड में डॉक्टर्स तीस तीस मरीजों का इलाज कर रहे हैं। लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में कोरोना हॉस्पिटल के बाहर एक बेटा अपनी बीमार मां को गाड़ी की बैक सीट पर लिटाकर गाड़ी में ही ऑक्सीजन दे रहा था। हॉस्पिटल में एडमीशन नहीं मिल रहा था। बेटा क्या करता, न मां को छोड़कर हॉस्पिटल के अंदर किसी से बात करने जा सकता था और न किसी के आने के इंतजार में वक्त बर्बाद कर सकता था। उस बेटे की बेबसी का अंदाजा लगाइए।

इसी तरह दिल्ली के शाहदरा में एक ऑक्सीजन रिफिलिंग सेंटर के दुकान पर ताला लगाना पड़ा क्योंकि पिछले दो तीन दिनों से भीड ज्यादा हो गई थी, लोग दुकान के बाहर इकट्ठा होने लगे थे इसलिए अब वेटिंग हो गई। लोग सिलेंडर छोडकर जा रहे हैं और दो दिन बाद उन्हें रिफिल किया हुआ सिलेंडर मिल रहा है। साउथ दिल्ली में बनाए गए पटेल कोविड सेंटर का 48 घंटे के भीतर ये हाल है कि कल तक जिस हॉस्पिटल में मरीजों को लेकर एंबुलेंस की लाइन लगी थी, आज उसी कोविड केयर सेंटर के बाहर मरीजों के परिजन रो रहे हैं, बिलख रहे हैं। वो अपने परिवार वालों को कोविड केयर सेंटर से निकाल कर घर ले जाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लग रहा है कि कोविड केयर सेंटर से मरीज का जिंदा बाहर आना मुश्किल है। मरीज खुद परिवार वालों को फोन करके वापस ले जाने की गुहार लगा रहे हैं। मरीजों का कहना है कि कोविड केयर सेंटर के अंदर दवाएं तो दूर पानी भी नहीं है। पंचायती निरंजन अखाड़ा के प्रमुख, महंत लखन गिरि महाराज का कोविड के कारण एम्स, ऋषिकेश में निधन हो गया।

बुधवार को 18 साल से ऊपर की उम्र वाले लोगों के वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया। कोविन ऐप पर शाम चार बजे से रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ। वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह दिखा। यही वजह है कि कोविन पर रजिस्ट्रेशन शुरू होते ही पोर्टल पर ट्रैफिक इतना बढ़ा कि इसका सर्वर क्रैश कर गया। पहले दिन 1.2 करोड़ से अधिक लोगों ने CoWin ऐप पर अपना नाम रजिस्टर किया। केंद्र ने कहा है कि वैक्सीनेशन टीकाकरण केंद्रों की उपलब्धता पर निर्भर करेंगी। पहली बार अप्रैल में एक दिन, बुधवार को वैक्सीनेशन की संख्या 20 लाख से नीचे दर्ज की गई। यह मुश्किल से 19 लाख था। गुरुवार को केंद्र ने दावा किया कि उसने पहले ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 16.16 करोड़ खुराक की आपूर्ति कर दी है और अभी भी राज्यों के पास एक करोड़ से अधिक टीके पड़े हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अगले तीन दिनों में 20 लाख से अधिक खुराकें भेजी जाएंगी।

इस बीच, विभिन्न देशों से आपातकालीन सहायता जारी रही। गुरुवार को दुनिया का सबसे बड़ा US C-5 सैन्य विमान 440 आक्सीजन सिलेंडर और रेगुलेटर लेकर ट्रैविस एयर फोर्स बेस से नई दिल्ली पहुंचा। रूस से दो उड़ानें, 20 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 75 वेंटिलेटर, 150 बेडसाइड मॉनिटर और दवाइयां लेकर गुरुवार सुबह दिल्ली पहुंचे। आज सुबह ब्रिटेन से 120 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पहुंचे।

इंडिया एयर फोर्स ने गुरुवार सुबह बैंकॉक से जामनगर एयरबेस तक चार खाली क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनरों को एयरलिफ्ट किया। यहां उन्हें मेडिकल ऑक्सीजन से भरा जाएगा और विभिन्न स्थानों पर भेजा जाएगा। IAF ने 13 कंटेनरों को भी एयरलिफ्ट किया। इनमें से दो कंटेनर आगरा से रांची, चंडीगढ़ से रांची, इंदौर से रायपुर, हिंडन एयरबेस (उ.प्र.) से रांची, जोधपुर से जामनगर, ग्वालियर से रांची और भोपाल से सूरत एक-एक कंटेनर मेडिकल ऑक्सीजन भरने के लिए एयरलिफ्ट किए गए जिन्हें विभिन्न जगहों पर भेजा जाएगा।

भारतीय सेना ने पुणे में ओल्ड कमांड हॉस्पिटल कॉम्प्लेक्स में एक कोविड चिकित्सा सुविधा की स्थापना की है। सेना के डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ कोविड मरीजों की देखभाल करेंगे। सेना ने गुजरात के अहमदाबाद में 900 बिस्तरों वाला अस्पताल और राजस्थान के बाड़मेर में 100 बिस्तरों आइसोलेशन केंद्र भी खोला है। सेना ने भोपाल, ग्वालियर और सागर में भी अस्पताल स्थापित किए हैं।

इंडिया टीवी के रिपोर्टर आम लोगों की पीड़ा आप तक पहुंचाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। उनके करीबी रिश्तेदार भी हैं, जो कोरोना पॉजिटिव हैं हॉस्पिटल में हैं लेकिन उनको छोड़कर वो बाहर निकले ताकि सच आप तक पहुंचे और ये सच सिर्फ अहमदनगर का, दिल्ली, लखनऊ का नहीं है। हमारे रिपोर्ट्स ने, मुंबई में, जयपुर में हर बड़े-बड़े शहर में जाकर ये रिपोर्ट भेजी लेकिन आज मेरे पास कानपुर, इटावा, औरैया, महारजगंज, शिवपुरी, धौलपुर, ऐसे शहरों से भी इसी तरह की तस्वीरें आई हैं जिन्होंने दिल तोड़ दिया। हर जगह हाहाकार मचा हुआ है। मरीज मुश्किल में हैं। हर जगह मरीजों के रिश्तेदार रो रहे हैं, बिलख रहे हैं। हर शहर की एक ही कहानी है। कोई किसी की मदद नहीं कर पा रहा और जाहिर है हॉस्पिटल्स में बैड की कमी है, ऑक्सीजन की कमी है, दवाओं की कमी है और अब तो हालत ये है कि डॉक्टर्स की भी कमी होने लगी है। डॉक्टर्स थकने लगे हैं टूटने लगे हैं। खुद कोरोना पॉजिटिव होने लगे हैं लेकिन मैं कहूंगा कि हमारे डॉक्टर्स, हमारी नर्सेज, हमारे हैल्थ वर्कर्स अपनी जान पर खेलकर दूसरों की जान बचाने में लगे हैं। डॉक्टर्स सबकुछ भूलकर सिर्फ अपना फर्ज निभा रहे हैं। अपनी जान को खतरे में डालकर दूसरों की जान बचाने में लगे हैं इसलिए इन डॉक्टर्स के, इन नर्सेज के जज्बे को सलाम करना चाहिए।

केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, एयरफोर्स, आर्मी जब सब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ेंगे तो हम ये जंग जरूर जीतेंगे। इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत इस बात की है कि आप हिम्मत ना हारें, धैर्य ना खोएं और ये मानकर चलें कि भारत जीतेगा, कोरोना हारेगा।

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