पाकिस्तान के लिए कयामत की रात कभी भी आ सकती है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों सेनाओं को खुली छूट दे दी है. थल सेना, नौसेना और वायु सेना के चीफ को बुलाकर कहा है कि अब पहलगाम में आतंकवादी हमले का बदला लेने का वक्त आ गया है. सरकार की तरफ से सेनाओं को पूरी छूट है. वो लक्ष्य भी तय करेंगे, हमले का समय भी तय करेंगे और ऑपरेशन कैसे करना है ये भी तय करेंगे. बुधवार को Cabinet Committee on Security और Cabinet Committee on Political Affairs की भी बैठक हुई जिसमें हालात पर गौर किया गया. आधी रात के बाद पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरड़ ने कहा कि भारत 24 से 36 घंटे के भीतर किसी भी वक्त पाकिस्तान पर हमला कर सकता है. भारत पर आत्मा पर हमला करने वालों को अब उनके अंजाम तक पहुंचाने का काउंटडाउन शुरू हो गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों सेनाध्यक्षों से कहा कि भारत आंतकवाद के अड्डों को नेस्तनाबूद करेगा. पहलगाम में निर्दोष हिन्दुस्तानियों की हत्या करने वाले आतंकवादी जहां भी छुपे हैं, दहशतगर्दों को पाकिस्तान ने जहां भी छुपाया हो, उन्हें वहां खोजकर मारा जाए. इसके लिए आकाश पाताल एक करना पड़े, कहीं भी घुसकर मारना पड़े, शातिर जहां छिपे हैं, वहां से उन्हें खोजकर उनका खात्मा करना पड़े, इसके लिए तीनों सेनाओं को दिल्ली की तरफ देखने की जरूरत नहीं हैं. सरकार की तरफ से ग्रीन सिंग्नल है. इस्लामाबाद, लाहौर और कराची में खौफ का माहौल है. मोदी ने तीनों सेनाओं को आतंकवादियों के खिलाफ एक्शन लेने की खुली छूट दी, इस पर किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए. पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन तो होना ही है . मोदी जो कहते हैं, वो करते हैं. मोदी ने साफ कहा था कि पाकिस्तान ने जो नापाक हरकत की है, उसकी उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. मोदी के शब्दों के मुताबिक, पहलगाम के गुनहगारों को, उनके आकाओं को हमारी सेना धरती और पाताल से ढूंढ कर निकालेगी और सजा देगी. यही हिम्मत नरेंद्र मोदी को बाकी नेताओं से अलग बनाती है. पहले प्रधानमंत्री यही सोचते रहते थे कि ये करेंगे, तो वो हो जाएगा, वो करेंगे, तो ये हो जाएगा. इस चक्कर में फैसला नहीं हो पाता था. पर मोदी का ट्रैक रिकॉर्ड बिलकुल अलग है. वो बताकर मारते हैं, घर में घुसकर मारते हैं. पाकिस्तान को सबूत देने का ज़माना चला गया, राजनयिक परिपाटियों का वक्त चला गया. अब पाकिस्तान को एक बार फिर उसी की भाषा में जवाब दिया जाएगा और मोदी के बयान के मुताबिक, भारत के दुश्मनों को मिट्टी में मिला दिया जाएगा. अब वक्त आ गया है. पाकिस्तान के नेता भी बखूबी समझ रहे हैं. पाकिस्तान की सरकार को भी पता है कि अब पाकिस्तान के पास ज्यादा वक्त नहीं है.
पाकिस्तान इस वक्त दुनिया में अलग-थलग है
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि अगले चार-पांच दिन पाकिस्तान पर भारी हो सकते हैं, क्योंकि जो होना है, वो चार-पांच दिन में हो जाएगा. ख्वाजा आसिफ ने कहा कि नरेन्द्र मोदी किसी भी हद तक जा सकते हैं, इसलिए पाकिस्तान ने पूरी तैयारी कर ली है. पाकिस्तान के तमाम मंत्रियों ने भी कहा कि अब ये तय है कि मोदी पाकिस्तान के खिलाफ जंग का एलान करने वाले हैं. बड़ी बात ये है कि पाकिस्तान के नेता भी ख्वाज आसिफ के बयान को पाकिस्तान के लिए बड़ी मुसीबत बता रहे हैं और मोदी की कूटनीति की तारीफ कर रहे हैं. पाकिस्तान की सीनेट में मांग उठी है कि पूर्व पीएम इमरान खान को जेल से जल्द रिहा किया जाय और उन्हें ऑल पार्टी मीटिंग में बुलाया जाय. इमरान खान की पार्टी के सांसद राजा नासिर अब्बास ने कहा कि जब मुल्क का रक्षा मंत्री दुनिया के सामने ये मान ले कि पाकिस्तान ने दहशतगर्दी के अड्डे खोल रखे हैं, तो कहने को क्या बचता है. राजा नासिर अब्बास ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी है और पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया है. पाकिस्तान के ज्यादा सीनेटर्स ने बार-बार भारत के मुसलमानों की बात की और दावा किया कि अगर पाकिस्तान पर हमला हुआ तो भारत के मुसलमान भी पाकिस्तान के साथ मिलकर मोदी को सबक सिखाएंगे. इसका करारा जवाब दिया AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने. ओवैसी ने कहा कि हिन्दुस्तान के मुसलमान पाकिस्तान को जूते की नोंक पर रखते हैं, पाकिस्तान ने पहलगाम में जिस तरह हिन्दुओं को चुन चुन कर मारा, उसकी सजा पाकिस्तान को मिलकर रहेगी, मोदी की सरकार पाकिस्तान के खिलाफ जो भी एक्शन लेगी, हर हिन्दुस्तानी उसके साथ होगा. असदुद्दीन ओवैसी ने जो कहा वो भारत के मुसलमानों की भावना है. पहलगाम नरसंहार के बाद जुमे के दिन श्रीनगर की जामा मस्जिद में जो दो मिनट का मौन रखा गया, उसका संदेश बिल्कुल साफ था. पहली बार मौलानाओं ने कहा कि मजहब पूछकर गोली मारना इस्लाम के खिलाफ है. पहली बार पाकिस्तान ने देखा कि हिंदू और मुसलमान दोनों मिलकर आतंकवाद के खिलाफ खड़े हैं. दोनों पाकिस्तान को उसके किए की सजा देना चाहते हैं. ओवैसी और उमर अब्दुल्ला जैसे नेताओं ने पाकिस्तान की साजिश को कामयाब नहीं होने दिया. ये पाकिस्तान के लिए चेतावनी है.
कांग्रेस को ओवैसी, उमर से सीखना चाहिए
कांग्रेस ने एक बार फिर पाकिस्तान को बोलने का मौका दिया. पहलगाम के आतंकी हमले को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. कांग्रेस पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से एक पोस्टर शेयर किया है. इसमें मोदी की तरफ इशारा करते हुए एक स्कैच बनाया गया, जिसका सिर नहीं है, हाथ-पैर भी गायब है और लिखा गया है- ‘जिम्मेदारी के समय गायब’. दिलचस्प बात ये है कि जैसे ही कांग्रेस ने मोदी का ये पोस्टर जारी किया, उसे पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद चौधरी ने रिट्वीट किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ऊट-पटांग बातें लिख दीं. बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि पाकिस्तान के अधिकारी लंदन में सिर तन से जुदा का इशारा करते हैं और भारत में कांग्रेस उसी लाइन को आगे बढ़ा रही है. शाम को ही कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल से ये पोस्ट डिलीट कर दी, लेकिन सौ जूते खाकर तौबा की, तो इसका क्या फायदा. ये बात सही है कि पाकिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ पूरे देश को एकजुट होना चाहिए. जब राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने सर्वदलीय बैठक में कहा था कि सरकार पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन ले, हम पूरी तरह साथ हैं, तो यही उम्मीद पुख्ता हुई थी. सबने कांग्रेस के स्टैंड की तारीफ की थी. फिर सिद्धरामैया, वडेट्टीवार जैसे नेताओं ने और रॉबर्ट वाड्रा जैसे गांधी परिवार के सदस्यों के बयान आए,जिनका पाकिस्तान ने फायदा उठाने की कोशिश की. कांग्रेस का औपचारिक बयान आया कि ये पार्टी लाइन नहीं है. पर मंगलवार को कांग्रेस ने जो पोस्टर जारी किया उसने किए कराये पर पानी फेर दिया. बीजेपी ने सवाल उठाए तो कांग्रेस ने कहा, हमने कब कहा कि पोस्टर में जिसे गायब कहा गया है वो मोदी के लिए है. पर उसी सांस में कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने पूछा कि मोदी जी सर्वदलीय बैठक से गायब क्यों थे. ये doublespeak नहीं है तो और क्या है? ये छल-कपट नहीं तो और क्या है? कहना कुछ और करना कुछ. कांग्रेस को ये समझना चाहिए कि ऐसी बातों से पाकिस्तान कितने मजे लेता है. बेकसूर नागरिकों की हत्याओं पर पूरा देश नाराज़ है, सब एक साथ हैं. वहां कांग्रेस को ये सब करने की क्या ज़रूरत है? ये सही है कि बीजेपी ने भी ओवर रिएक्ट किया. कांग्रेस को ‘पाकिस्तान का एजेंट’ कहा. ऐसी टिप्पणी न करते तो अच्छा होता. लेकिन संकट की इस घड़ी में कांग्रेस से ऐसी उम्मीद नहीं थी. अगर और कोई न मिले तो कांग्रेस को उमर अब्दुल्ला और ओवैसी से सीखना चाहिए कि जब मुकाबला देश के दुश्मन से हो, तो बयान किस अंदाज़ में देना चाहिए.