मंगलवार की रात मेरे प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में पंजाब के दूर दराज़ गांवों के किसानों ने खुलासा किया कि कैसे वामपंथी कार्यकर्ता बीते कुछ महीनों में गांव-गांव गए और किसानों को दिल्ली जाकर नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग उठाने के लिए लामबंद किया। हमारे रिपोर्टर्स ने संगरूर के एक किसान विजेन्द्र सिंह से बात की। विजेन्द्र सिंह ने खुलासा किया कि कैसे वामपंथी उनके गांव में आए और सिखी का वास्ता देकर, गुरु गोविंद सिंह जी का नाम लेकर किसानों को उकसाने की कोशिश की।
विजेन्द्र सिंह ने बताया कि कैसे वामपंथी कार्यकर्ताओं ने बुजुर्ग सिख किसानों की तस्वीरों को लेकर ग्रामीणों में यह अफवाह फैलाई कि वे दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान शहीद हो गए हैं, जबकि उनकी मौत प्राकृतिक कारणों से हुई थी। विजेन्द्र ने ये भी बताया कि जो ग्रामीण इस तरह के फर्जी प्रॉपेगैंडा का विरोध करते हैं, उन्हें कौम का दुश्मन बताकर उनके सामाजिक बहिष्कार की अपील की जाती है।
पंजाब के कई ऐसे किसानों ने मुझे वीडियो भेजे हैं, जो यह बताना चाहते थे कि किसानों के आंदोलन के नाम पर वामपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा गांवों में किस तरह से फर्जी प्रचार किय़ा जा रहा है। इन ग्रामीणों ने बताया कि किस तरह से उन्हें ‘सिखी’ का वास्ता दिया जाता है। कैसे इन किसानों को बताया गया कि गुरू गोविन्द सिंह जी महाराज ने मुगल शासकों से जमीन छीन कर हमारे पुरखों को दी, और अब मोदी सरकार पुरखों की जमीन छीन कर कॉर्पोरेट्स को देने की कोशिश कर रही है। किसानों से कहा गया कि अगर वे अभी सड़कों पर नहीं उतरे तो अपने खेत से हाथ धो बैठेंगे और सड़क पर आ जाएंगे। ग्रामीणों ने मुझे बताया कि वामपंथी दलों के लोग पिछले 5 महीनों से इस आंदोलन की हवा बना रहे थे, और किसानों को आंदोलन के लिए लामबंद कर रहे थे। इन वामपंथियों के खौफ और प्रतिशोध के डर से ज्यादातर ग्रामीण अपने नाम का खुलासा तक करने को तैयार नहीं थे।
विजेन्द्र सिंह ने संक्षेप में बताया कि क्यों पंजाब के किसान दिल्ली के धरने में शामिल हुए। उसने कहा कि लेफ्ट कार्यकर्ताओं ने एक बेहद ही आसान फॉर्मूले का इस्तेमाल किया, उन्होंने नए कृषि कानूनों को सिख किसानों की ‘इज्जत’ से जोड़ दिया। इसके बाद ज्यादातर किसान उनके बहकावे में आ गए और दिल्ली की तरफ कूच कर गए।
मैं आपको विजेन्द्र सिंह के बारे में कुछ जानकारी देता हूं। विजेन्द्र सिंह संगरूरर के रहने वाले हैं, और वे 2 भाई हैं। संगरूर में दोनों के पास 15 किले (लगभग 15 एकड़) जमीन है। इसी जमीन पर वे खेती करते हैं और इसके साथ पशुपालन का काम भी करते हैं। विजेंद्र सिंह ने खुलासा किया कि किस तरह लेफ्ट के नेता गांव-गांव घूमे और नए कृषि कानूनों के बारे में झूठी बातें फैलाईं। उन्होंने यह कहकर किसानों को भड़काने की कोशिश की कि MSP को खत्म कर दिया जाएगा। जब इससे भी बात नहीं बनी तो उन्होंने किसानों को ‘सिखी’ का वास्ता दिया। लेफ्ट पार्टियों के नेताओं ने आंदोलन शुरू करने के लिए किसानों से चंदे के तौर पर दो-दो सौ रुपये प्रति एकड़ की दर से पैसे भी इकट्ठा किए।
विजेन्द्र सिंह खुद एक छोटे से किसान हैं, पर उन्हें पता था कि वामपंथी नेताओं का मंसूबा क्या है । आंदोलन के दौरान दिल्ली में एक बुजुर्ग किसान की नैचरल डेथ हुई, और उन्हें तस्वीर में ‘शहीद’ बताकर सोशल मीडिया पर फैलाया गया। विजेन्द्र सिंह ने खुलासा किया कि पंजाब के आढ़तिये (बिचौलिये) खुलकर दिल्ली के धरना प्रदर्शन के लिए फंडिंग कर रहे हैं। आढ़तिये किसानों की फसल खरीदते हैं और उनको सरकार से जो कमीशन मिलता है, वह करीब 4000 करोड़ रुपये सालाना है। विजेंद्र सिंह ने कहा कि इसीलिए आढ़तिये चाहते हैं कि नए कानून निरस्त हो जाएं और यही वजह है कि वे आंदोलन के लिए सारे इंतजाम कर रहे हैं।
विजेंद्र ने खुलासा किया कि कैसे पंजाब के स्थानीय नेताओं ने किसानों को दिल्ली सीमा तक पहुंचाने के लिए गाड़ियां मुहैया करवाई । उन्होने किसानों से कहा कि जिन जगहों पर धरना होगा, वहां अच्छे टॉइलट, टैंट , अच्छे बिस्तर, फ्री खाना, जरूरी सामान और यहां तक कि वूफर वाले म्यूजिक का भी इंतज़ाम है। किसानों से कहा गया कि पुलिस भी उन पर लाठियां चलाने की हिम्मत नहीं करेगी।
विजेन्द्र सिंह ने यह भी खुलासा किया कि हाल ही में मोगा, पटियाला, भटिंडा, लुधियाना और अन्य शहरों में रिलायंस जिओ मोबाइल फोन टॉवरों पर हुए हमलों के पीछे लेफ्ट के ही लोगों का हाथ था । विजेंद्र का कहना था कि अगर लेफ्ट के कार्यकर्ताओं को रिलायंस जिओ से कोई दिक्कत है तो वे शांतिपूर्ण विरोध करते, स्कूली बच्चों के ऑनलाइन क्लासेज में रुकावटें क्यों पैदा की क्योंकि पंजाब के छात्र मोबाइल फोन के जरिए ऑनलाइन क्लास अटेंड करते हैं।
सवाल उठता है कि पंजाब में रिलायंस जिओ के टॉवर तोड़कर वामपंथी दल किसकी मदद कर रहे हैं, और कांग्रेस उन्हें मौन समर्थन क्यों दे रही है। गौर करने वाली बात है कि रिलायंस जियो पहली भारतीय कंपनी है जिसने अगले साल 5जी नेटवर्क लॉन्च करने का ऐलान किया है। अगर ये नेटवर्क भारत में आया तो सबसे ज्यादा नुकसान चीन की टेलिकॉम कंपनियों को होगा। ऐसे समय में जब अमेरिका और जापान जैसे देश मिलकर टेलिकॉम में चीन की ताकत को कम करने में लगे हैं, भारत में वामपंथी कार्यकर्ता जियो के सेलफोन इन्फ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों ने स्वामी रामदेव की पतंजलि के प्रॉडक्ट्स पर भी हमला किया है। रामदेव के पतंजलि ग्रुप ने भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों, विशेष रूप से चीनी कंपनियों को भारी नुकसान पहुंचाया है।
कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों को यह सोचना चाहिए कि जब उनके समर्थक पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर महीनों तक पटरियों पर बैठकर रेलों की आवाजाही को रोकते हैं तो वे किसकी मदद कर रहे होते हैं। जब हमारे बहादुर जवान पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों का सामना कर रहे हैं, उस समय इन पार्टियों के कार्यकर्ता सेना के लिए खाने-पीने का सामान, आवश्यक वस्तुए और हथियार ले जा रही मालगाड़ियों को पंजाब में क्यों रोक रहे हैं। इसके कारण हमारी सेना की सप्लाई लाइन बुरी तरह प्रभावित हुई ।
जब डोकलाम में भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने थीं, तब कांग्रेस नेता राहुल गांधी दिल्ली में चीनी राजदूत से छुप कर मुलाकात कर रहे थे। जब गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ हुई झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए, तो राहुल गांधी ने हमारी सेना की क्षमता पर सवाल उठाए । राहुल ने आरोप लगाया था कि चीन ने लद्दाख में भारत की कई हजार एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया है। राहुल के इस तरह के बयानों से किसकी मदद होती है, यह सोचने वाली बात है।
स्वतंत्रता संग्राम और 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान हमारी वामपंथी पार्टियों की भूमिका सभी को पता है। मुझे याद है कि 2017 में जब डोकलाम में चीन से टकराव हुआ था तो सीपीआई-एम ने कहा था कि भारत ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को जरूरत से ज्यादा महत्व देकर चीन को ‘चिढ़ाने’ का काम किया है। जब भारत और चीन की सेनाओं के बीच इस साल मई में गलवान घाटी में टकराव हुआ तो सीपीआई-एम ने इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया था। सवाल यह उठता है कि ये वामपंथी दल आखिर किसकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं?