आज सबसे पहले आपको उस खतरे के बारे में आगाह करना चाहता हूं जो आपके किचन तक पहुंच चुका है. आप जिस चमकदार, साफ सुथरे, बड़े लहसुन को अच्छा समझ कर खरीदते हैं, खाते हैं, असलियत में वो चीनी लहसुन है, जो कि धईमा ज़हर है और सेहत के लिए खतरनाक है. सरकार ने चाइनीज़ लहसुन के आयात पर रोक लगा रखी है, इसे बेचना मना है, पर ये नेपाल या अफगानिस्तान के रास्ते भारत पहुंच रहे हैं. आजकल हर सब्जी वाले की दुकान पर, चाइनीज लहसुन धडल्ले से बिक रहा है. इलाहबाद हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करके पूछा है कि जब चाइनीज लहसुन पर बैन है तो फिर ये देश में कैसे आ रहा है, खुलेआम कैसे बिक रहा है? इलाहबाद हाईकोर्ट में एक पेटिशनर चाइनीज लहसुन लेकर पहुंच गया. जज साहब से कहा कि इस लहसुन की बिक्री पर दस साल से पाबंदी है, इसका आयात भी गैरकानूनी है. ये कानून का उल्लंघन है और लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ है. हाईकोर्ट ने खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों को बुलाया और निर्देश दिया कि दो हफ्ते के अंदर लैब में इनकी जांच करने के बाद पूरी वस्तुस्थिति से अवगत कराएं. कोर्ट ने वक्त तो दे दिया लेकिन ये निर्देश भी दिया कि सरकार लोगों को चाइनीज लहसुन के खतरों से सावधान करे, एक हेल्पलाइन नंबर जारी करे, जिस पर फोन या मैसेज करके लोग इसकी शिकायत कर सकें कि चाइनीज लहसुन कहां बिक रहा है. दुनिया में लहसुन की पैदावार में चीन के बाद, भारत दूसरे नंबर पर है. बाज़ार में छोटी छोटी गांठों वाली जो लहसुन बिकती है, वो देसी है, और जो बिल्कुल सफेद और बड़ी बड़ी मोटी गांठों वाला लहसुन है, वो चीनी लहसुन है. कुछ लहसुन ईरान से भी इंपोर्ट होता है.वो भी आकार में बड़ा है, लेकिन हल्के गुलाबी रंग का होता है, जबकि चाइनीज़ लहसुन बिल्कुल सफेद होता है. ईरानी और चाइनीज लहसुन में फ़र्क़ करना मुश्किल है. इसलिए ईरानी लहसुन के नाम पर चाइनीज़ लहसुन धड़ल्ले से बिक रहा है. पता ये लगा है कि ज्यादातर चाइनीज़ लहसुन की सप्लाई नेपाल और अफगानिस्तान के रास्ते होती है. लहसुन को पहले चाइ से नेपाल की मंडियों में पहुंचाया जाता है. फिर वहां से आढ़ती और तस्करी करने वाले इसे चोरी छुपे सीमा पार करा कर भारत में ले आते हैं. गुरुवार को यूपी के महाराजगंज में पुलिस ने 110 बोरी चाइनीज़ लहसुन ज़ब्त किया था. 2014 में चीनी लहसुन की टेस्टिंग हुई थी. शुद्धता के जो मानक है, उस पर चाइनीज़ लहसुन खरा नहीं उतरा था, लैब टेस्ट में फेल हो गया था. चाइनीज़ लहसुन में तय मात्रा से ज़्यादा कीटनाशक मिले थे. जेनेटिकली मॉडीफाइड होने के कारण चीनी लहसुन में फंगल इन्फेक्शन भी जल्दी हो जाता है, इसलिए इसे खतरनाक माना गया और सरकार ने इस पर बैन लगा दिया.
कौन सोच सकता था कि छोटा सा लहसुन इतना बड़ा मुद्दा बन जाएगा, पर ये चाइनीज लहसुन है. इससे पहले चाइनीज चावल, चाइनीज अंडे और चाइनीज नूडल्स ने परेशान किया था. ये सब सेहत लिए खतरनाक थे. उसी तरह चाइनीज लहसुन को भी खतरनाक पाया गया. चीन विश्व में लहसुन का सबसे बड़ा उत्पादक है, पर उसमें सबसे ज्यादा कीटनाशक डाला जाता है, और इसे सैप्टिक टैंक के पानी से उगाया जाता है. हमारे देश में खास तौर पर आयुर्वेद में लहसुन को एक तरह की औषधि माना जाता है. ब्लड प्रेशर की हलात में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए लहसुन दिया जाता है पर अगर दवा ही ज़हर बन जाए तो मरीज का क्या होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. अब सवाल ये है कि चीनी लहसुन और देसी लहसून में क्या फर्क होता है और इसे कैसे पहचाना जा सकता है ? कुछ टिप्स मैं आपको दे देता हूं.. चीनी लहसुन आकार में बड़ा होता है, जबकि देसी लहसुन छोटा होता है. चीनी लहसुन की कलियां छोटी और मोटी होती हैं, जबकि देसी लहसुन की कलियां लंबी और पतली होती हैं. चीनी लहसुन आपको पूरी तरह सफेद मिलेगा जबकि देसी लहसुन मटमैला या पीला भी हो सकता है. चीनी लहसुन में गंध कम होती है और देसी लहसुन की गंध तेज होती है. इसी तरह चीनी लहसुन को छीलना बहुत आसान होता है लेकिन देसी लहसुन में छिलकों की इतनी परतें-दर-परतें होती है कि इसे पूरी तरह छीलने में वक्त लग जाता है. अब जब आप बाजार में जाएं तो इस आधार पर पहचान लें कि आप कौन सा लहसुन खरीद रहे हैं और कौन सा लहसुन खा रहे हैं, क्योंकि मार्केट में दोनों मिलते हैं. चीनी लहसुन थोड़ा सस्ता होता है, पर देसी लहसुन महंगा है. मेरी सलाह है कि आप सस्ते के चक्कर में ना पड़ें. जिस प्रोडक्ट के नाम के आगे चाइनीज लग जाता है, उसकी गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर शक तो वैसे ही होता है. इसीलिए संभल कर रहें..