पूरे देश में इस वक्त एक ही बात की चिंता है और वो है तेजी से फैल रही कोरोना महामारी। पिछले साल की तुलना में हालात काफी खराब हो रहे हैं। गुरुवार को देशभर में कोरोना के 1,31,968 नए मामले सामने आए। यह अबतक एक दिन में सबसे ज्यादा नए मामले मिलने का रिकॉर्ड है। गुरुवार को कोरोना से 780 लोगों की मौत हुई जो पिछले साल 18 अक्टूबर के बाद सबसे ज्यादा है। कोरोना के मामले पिछले 30 दिनों से हर दिन लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले तीन दिनों से रोजाना एक लाख से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं। कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या अब दस लाख (9,79,608) के आंकड़े को छूने वाली है। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक रिकवरी रेट गिरकर 91.22 प्रतिशत हो गई है।
देशभर में 100 से ज्यादा शहरों और कस्बों में नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है। मध्य प्रदेश के दमोह को छोड़कर बाकी सभी जिलों में वीकएंड (शनिवार और रविवार) लॉकडाउन लगा दिया गया है। कई शहरों में लॉकडाउन की अवधि 18 अप्रैल तक बढ़ा दी गई है। मुंबई, पुणे और सूरत से सैकड़ों प्रवासी मजदूर अपने घरों के लिए रवाना हो रहे हैं। यह पिछले साल के मजदूरों के पलायन की तरह ही हैं। महाराष्ट्र और गुजरात के कई अस्पतालों में ऑक्सीजन और वेंटिलेटर्स की कमी है। वहीं दिल्ली के अस्पतालों में आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए हजारों लोग उमड़ पड़े, अस्पतालों में लोगों की लंबी कतारें हैं। बेड की कमी के कारण एक बार फिर एक-एक बेड पर दो-दो मरीज दिखने लगे हैं। शमशान घाट और कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार के लिए कतार लगनी शुरू हो गई है। लखनऊ के श्मशान घाट में कोरोना पीड़ितों के दाह संस्कार के लिए रिश्तेदारों को टोकन दिए जा रहे हैं।
कहने का मतलब ये है कि कुल मिलाकर हम उस तरफ बढ़ रहे हैं जिस तरफ कोई नहीं जाना चाहता। महामारी तेज रफ्तार से फैल रही है। उत्तर प्रदेश में गुरुवार को 8,490 नए मामले दर्ज किए गए जिनमें सबसे ज्यादा 2,369 मामले लखनऊ के हैं। प्रयागराज में 1,040 नए मामले सामने आए। दिल्ली में 7,417 नए मामले आए और 24 लोगों की मौत हुई। मुंबई में 8,938 नए मामले आए और 23 मौतें हुईं। चेंबूर में एक रेजिडेंशियल सोसाइटी की बिल्डिंग में रहने वाले 24 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। गुजरात में 4,021 नए मामले सामने आए जबकि महाराष्ट्र में गुरुवार को सबसे ज्यादा 56,286 नए मामले आए और 376 मौतें हुईं।
छत्तीसगढ़, यूपी, गुजरात, राजस्थान और एमपी, इन 5 राज्यों में गुरुवार को एक दिन में अब तक के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए। गुरुवार शाम को मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बढ़ती महामारी से निपटने के लिए माइक्रो कन्टेन्मेंट जोन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से कहा कि कोरोना के मामले में वर्तमान उछाल पिछले साल के पीक से ज्यादा है। पिछले साल कोई टीका नहीं था और पर्याप्त ट्रैकिंग और टेस्टिंग की सुविधाएं नहीं थीं। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे टेस्टिंग को कई गुना बढ़ाएं और संख्याओं की चिंता न करें। उन्होंने कहा ‘जब आप केवल टेस्ट करेंगे, तो आप हालात से बाहर निकलने का रास्ता खोज लेंगे।’
मोदी ने यह स्पष्ट किया कि पूर्ण लॉकडाउन इस समस्या का आदर्श समाधान नहीं हो सकता है क्योंकि ऐसी स्थिति पिछले साल थी जब टेस्टिंग की सुविधाएं, पीपीई और वेंटिलेटर की कमी थी। ऐसे हालात में लॉकडाउन ही विकल्प था और लोगों को घर के अंदर रखना जरूरी था। उन्होंने कहा मौजूदा हालात को देखते हुए कोरोना वायरस को लेकर लोगों में जागरुकता पैदा करने के उद्देश्य से नाइट कर्फ्यू लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा- ‘आप इसे कोरोना कर्फ्यू कह सकते हैं’। उन्होंने मुख्यमंत्रियों को सलाह दी कि ज्योतिबा फुले और बाबासाहेब अम्बेडकर जैसे महापुरुषों के जन्मोत्सव के दौरान टीका उत्सव का आयोजन करें।
प्रधानमंत्री ने वैक्सीन को लेकर केंद्र की रणनीति का बचाव करते हुए कहा कि यह वैश्विक मानदंडों के अनुरूप है। उन्होंने कहा, ‘हम सभी वैक्सीन स्टॉक को एक ही राज्य में स्टोर नहीं कर सकते, हमें सभी राज्यों के बारे में सोचना होगा।’ मोदी महाराष्ट्र और ओडिशा जैसे कई राज्यों से वैक्सीन की कमी की शिकायतों का जवाब दे रहे थे। वैक्सीन की कमी पर मोदी ने कहा, ‘जिन लोगों की आदत राजनीति करने की है, उन्हें ऐसा करने दें। मुझ पर गंभीर आरोप लगे हैं। हम उन लोगों को नहीं रोक सकते जो राजनीति करने पर आमादा हैं। हम मानव जाति की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं, और ऐसा करना जारी रखेंगे’। मोदी ने कहा कि सभी राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही वैक्सीन की रणनीति तैयार की गई और सभी योग्य आयु वर्गों के बीच पूर्ण टीकाकरण के प्रयास किए जाने चाहिए।
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने गुरुवार को आरोप लगाया था कि वैक्सीन की आपूर्ति के मुद्दे पर केंद्र उनके राज्य के साथ भेदभाव कर रहा है। उन्होंने कहा कि जब हमारे राज्य में सबसे ज्यादा कोरोना के मामले हैं तो फिर हमें वैक्सीन की कम डोज क्यों मिल रही है। राजेश टोपे ने कहा कि महाराष्ट्र का 7 लाख डोज से काम नहीं चलेगा। हमारे राज्य को कम से कम 40 लाख वैक्सीन की डोज दी जानी चाहिए। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री के आरोपों का केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जवाब दिया। जावड़ेकर ने कहा कि जब राजेश टोपे वैक्सीन की मांग कर रहे हैं तो उस वक्त भी महाराष्ट्र के पास 20 लाख से ज्यादा वैक्सीन की डोज है। ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वो वैक्सीन अपने जिलों में कैसे पहुंचाए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ट्वीट किया-‘चलिए,अब डर खत्म करते हैं! कोरोना वैक्सीन की कुल 9 करोड़ से ज्यादा डोज दी जा चुकी है। राज्यों के पास 4.3 करोड़ से ज्यादा डोज का स्टॉक है। फिर कमी का सवाल कहां है? हम लगातार निगरानी रखे हुए हैं और सप्लाई भी बढ़ा रहे हैं।’
मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई शहरों में नाइट कर्फ्यू, वीकेंड लॉकडाउन और बिजनेस पर पाबंदियों के कारण हजारों प्रवासी मजदूरों ने बसों और ट्रेनों से अपने घरों के लिए लौटना शुरू कर दिया है। गुरुवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने आपको मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस स्टेशन और पटना रेलवे स्टेशन पर अपने रिपोर्टर्स से बात करते हुए प्रवासी मजदूरों को दिखाया, उनकी बातें आपको सुनाई। उनमें से ज्यादातर लोगों ने कहा कि पिछले साल के लॉकडाउन से उन्हें सबक मिला था। अब वे और लॉकडाउन की पीड़ा नहीं झेलना चाहते। मुंबई, ठाणे, पुणे, अहमदाबाद और सूरत से सैकड़ों प्रवासी मजदूर अपने घर लौटने लगे हैं।
इस बीच, महाराष्ट्र के कई शहरों में दुकानदार और छोटे व्यापारी सड़कों पर उतरे। लॉकडाउन के बाद व्यापारियों ने नागपुर, मुंबई और ठाणे में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। कोई भी इन व्यापारियों की समस्याओं को समझ सकता है क्योंकि लॉकडाउन के चलते इन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, लेकिन सरकार के पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है। कोरोना से लोगों की जान भी बचानी है और महामारी को फैलने से रोकना भी है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने से भीड़ की स्थिति पैदा हो गई है। अस्पतालों में ऑक्सीजन,रेमेडिसविर इंजेक्शन और वेंटिलेटर की कमी होने लगी है। मरीजों की संख्या बढ़ने से कई अस्पतालों में आईसीयू बेड तक उपलब्ध नहीं हैं।
उधर, लखनऊ में मृतकों की संख्या बढ़ने के साथ श्मशान घाट पर शवों की कतार लगने लगी है। लिहाजा मृतकों को रिश्तेदारों को श्मशान पर टोकन दिया जा रहा है और अंतिम संस्कार के लिए 7 से 8 घंटे तक इतजार करना पड़ रहा है। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल, एम्स और लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में बड़ी संख्या में डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इस महामारी के कारण एम्स दिल्ली में सामान्य सर्जरी को फिलहाल बंद कर दिया गया है।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में रोजाना तेजी से बढ़ते मामलों से निपटने के लिए अब वैक्सीनेशन पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। देशभर में रोजाना औसतन 36 लाख कोरोना के टीके दिए जाते हैं। यदि वैक्सीनेशन के इसी दर को बनाए रखा जाता है तो 1.96 करोड़ वैक्सीन के डोज का पूरा स्टॉक (माल) साढ़े पांच दिनों तक चलेगा। इसके अलावा अतिरिक्त 2.45 करोड़ डोज पाइपलाइन (निर्माण और वितरण की प्रक्रिया) में है। यह संख्या एक सप्ताह के लिए पर्याप्त है। यदि आने वाले दिनों में वैक्सीनेशन की गति तेज हो जाती है तो यह स्टॉक निश्चित तौर पर खत्म हो जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक वैक्सीन की डोज चार से आठ दिनों के साइकल में भेजी जा रही है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि यह सारा काम राज्य सरकारों के साथ रोजाना चर्चा के आधार पर किया गया है।
मौजूदा समय में आंध्र प्रदेश में वैक्सीन की जो स्टॉक है वो 1.2 दिनों तक चलेगी लेकिन पाइपलाइन में जो वैक्सीन की स्टॉक है उससे प्रदेश में 13 दिनों तक वैक्सीनेशन का काम चल सकता है। वहीं बिहार में जो स्टॉक है उससे वैक्सीनेशन का काम तीन दिनों तक चल सकता है, बशर्ते जो स्टॉक पाइपलाइन में है वो समय पर पहुंच जाए। तमिलनाडु में 45 दिनों का स्टॉक है, क्योंकि वहां रोजाना केवल 37 हजार लोगों को वैक्सीन की डोज दी जाती है। महाराष्ट्र में रोजाना 3.9 लाख डोज दी जा रही है, जिसका मतलब है कि बची हुई 15 लाख वैक्सीन की स्टॉक तीन दिनों से भी कम समय में खत्म हो सकती है।
राज्यों की ओर से वैक्सीन की बढ़ती मांग साफ तौर पर इस बात का संकेत है कि अब लोगों के मन में कोरोना वैक्सीन को लेकर ज्यादा शंका नहीं है। मेरी आपसे अपील है कि अगर आपकी उम्र 45 साल से ज्यादा है तो तुरंत कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाइए और जैसे ही आपका नंबर आए बिना देर किए वैक्सीन लगवाइए। अगर वैक्सीन की दोनों डोज आपने लगवाई है तो आपको कोरोना का खतरा बहुत कम होगा और अगर हो भी गया तो वैक्सीन आपको बचा लेगी, आपकी जान पर नहीं बनेगी। इस वक्त कोरोना के पहले से ज्यादा मामले आ रहे हैं। लेकिन ये भी समझने की जरूरत है कि अब देश कोरोना से लड़ने के लिए पहले से ज्यादा तैयार है। अब ड़ॉक्टर, प्रशासन और हेल्थ वर्कर के पास अनुभव है। पहले ना तो पर्याप्त संख्या में टेस्टिंग लैब थे, ना PPE किट, ना सैनिटाइजर, ना वेटिंलेटर और ना ही पर्याप्त ऑक्सीजन का इंतजाम था। इसलिए लॉकडाउन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था।
अब हॉस्पिटल्स बेहतर हैं, डॉक्टर्स, हेल्थ वर्कर के पास पहले से ज्यादा अनुभव है। टेस्टिंग की सुविधा है और सबसे बड़ी बात कि अब वैक्सीन है, इसलिए लॉकडाउन की जरुरत तो नहीं होगी। लोगों को पहले की तरह डरने और निराश होने की जरूरत नहीं है। बस लापरवाही से बचने की जरूरत है। प्रशासन ढीला है तो उसे थोड़ा चुस्त-दुरुस्त करने की जरूरत है। वायरस को फैलने से रोकने के लिए टेस्टिंग को बढ़ाने की जरूरत है। लोगों को ये समझाने की जरूरत है कि अगर कोई कोरोना वायरस से संक्रमित है तो उसका पता लगाना और उससे दूर रहना कितना जरूरी है, हमारे लिए मास्क कितना जरुरी है, हाथों को धोते रहना और कुछ महीने संभलकर रहना कितना जरूरी है।