Rajat Sharma

बिहार चुनाव में जातियां क्यों काफी मायने रखती हैं

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बिहार के चुनाव प्रचार में बीजेपी ने स्टार कैंपेनर्स की कॉरपेट बॉम्बिंग कर दी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव जैसे तमाम नेताओं की रैलियां हुई. नीतीश कुमार की भी जनसभाएं हुईं. लेकिन महागठबंधन की तरफ से अकेले तेस्जवी यादव ही मैदान में दिखाई दिए.
मोदी ने प्रचार के पहले ही दिन विपक्ष के खिलाफ सारे चुनावी अस्त्र चला दिए, महागठबंधन को लठबंधन बताया, कहा महागठबंधन चारा चोरों, नौकरी चोरों, ज़मानत पर घूम रहे अपराधियों की जमात है, ये जमात जनता का नहीं, सिर्फ अपना और अपने परिवार का भला कर सकती है, इसलिए जंगलराज वालों को सत्ता से दूर रखने में ही बिहार की भलाई है.
अमित शाह ने कहा कि अब बिहार बदल चुका है, सैकड़ों शहाबुद्दीन भी आ जाएं तो किसी का बाल भी बांका नहीं कर सकते.
दूसरी तरफ महागठबंध के लिए नई मुसीबत सामने आ गई. मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री का दावेदार घोषित किया गया तो अब दूसरी जातियों के लोग पूछ रहे हैं, उनकी जाति का उपमुख्यमंत्री क्यों नहीं बनेगा?
ओवैसी की पार्टी ने कहा कि अगर दो परसेंट आबादी वाला डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनेगा, तो मुसलमान क्या सिर्फ दरी बिछाने के लिए हैं?
तेजस्वी ने इन सवालों के जबाव दिए, NDA के नेताओं के हमलों पर पलटवार किया. कांग्रेस को पच्चीस साल के बाद सीताराम केसरी की याद आई. मोदी कर्पूरी ठाकुर के घर गए.
कर्पूरी ग्राम जाने वाले वो पहले प्रधानमंत्री हैं. कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न भी नरेन्द्र मोदी की सरकार ने ही दिया था. कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर इस वक्त मोदी सरकार में मंत्री हैं. चूंकि बिहार में कर्पूरी ठाकुर ही अति पिछड़ों को मुख्यधारा की राजनीति में लाए थे, अति पिछड़ों के लिए आरक्षण की व्यवस्था कर्पूरी ठाकुर ने ही की थी, इसलिए चुनाव के वक्त कर्पूरी ग्राम में जाकर मोदी ने बड़ा राजनीतिक संदेश दिया.
मोदी ने कहा कि अब कांग्रेस के लोग कर्पूरी ठाकुर की जननायक की उपाधि को चुराने की कोशिश कर रहे हैं. बेगूसराय की रैली में मोदी ने सीताराम केसरी का नाम लेकर कांग्रेस पर वार किया. शुक्रवार को सीताराम केसरी की पुण्यतिथि थी. इस मौके पर कांग्रेस के दफ्तर में सीताराम केसरी की फोटो लगाई गई. राहुल गांधी समेत कांग्रेस के नेताओं ने सीताराम केसरी को श्रद्धांजलि दी.
नोट करने वाली बात ये है कि सीताराम केसरी के निधन के पच्चीस साल हो गए. आज तक कांग्रेस ने उनकी कभी सुध नहीं ली लेकिन चूंकि बिहार में चुनाव है, सीताराम केसरी बिहार के बनिया समुदाय के थे, इसलिए इस बार कांग्रेस को सीताराम केसरी की याद आई.
मोदी ने याद दिलाय़ा कि कैसे कांग्रेस ने सीताराम केसरी को बेइज्जत करके अध्यक्ष पद से हटाया था, उन्हें कांग्रेस दफ्तर से निकाला गया था.
मोदी ने NDA और महागठबंधन में फर्क समझाया. मोदी ने कहा कि NDA का नेतृत्व स्पष्ट है, नीति तय है, नीयत साफ है, सब कुछ जनता के सामने स्पष्ट है, लेकिन “महागठबंधन लठबंधन बन गया है, सब एक दूसरे से लड़ रहे हैं.”
मोदी ने महागठबंधन के खिलाफ तीसरे हथियार का इस्तेमाल किया, भ्रष्टाचार और जंगलराज की बात की. कहा कि महागठबंधन “चोरों की जमात है, बिहार का सबसे भ्रष्ट लालू परिवार और देश के सबसे भ्रष्ट गांधी परिवार ने हाथ मिलाया है, ऐसे भ्रष्ट लोग न देश का भला कर सकते हैं, न बिहार का.”
तेजस्वी यादव ने सहरसा, मुजफ्फरपुर, उजियारपुर और दरभंगा में चुनाव सभाएं की. तेजस्वी ने जब पटना से उड़ान भरी तो उन्होंने हैलीकॉप्टर में तीन और नेताओं को बैठाया. इसकी फोटो भी जारी की.
तेजस्वी के बगल में निषाद समाज के मुकेश सहनी, सामने वाली सीट पर अति पिछड़ा वर्ग से Indian Inclusive Party के अध्यक्ष आई पी गुप्ता और गुप्ता जी के बगल में गोल टोपी लगाकर बैठे RJD के कारी शोएब. वैसे तो RJD में सबसे बड़ा मुस्लिम चेहरा अब्दुल बारी सिद्दीकी को माना जाता है, लेकिन तेजस्वी यादव की नजर इस बार नौजवान वोटर्स पर है, इसलिए तेजस्वी के हैलीकॉप्टर में कारी शोएब जैसे युवा मुस्लिम नेता को जगह मिली.
अपनी चारों रैलियों में तेजस्वी के निशाने पर नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और नीतिश कुमार रहे. चूंकि मोदी ने लालू यादव के परिवार को सबसे भ्रष्ट परिवार बताया था तो तेजस्वी ने कहा कि मोदी ने उनके परिवार के पीछे CBI, ED और इनकम टैक्स वालों को लगा दिया है, लेकिन वो डरने वाले नहीं हैं.तेजस्वी ने कहा कि वो बिहार के लोगों को बताएंगे कि मोदी फैक्ट्रियां गुजरात में लगाते है और उन फैक्ट्रियों में बिहार के लोगों को मजदूर बनाते हैं, ये अब नहीं चलेगा.
बिहार का कोई नेता खुलकर स्वीकार नहीं करता, लेकिन बिहार का चुनाव हर बार जाति के आधार पर लड़ा जाता है. इसीलिए नीतीश कुमार अब भी मुख्यमंत्री बने हुए हैं. इसीलिए अति पिछड़ों के नेता जननायक कर्पूरी ठाकुर का ज़िक्र आया.इसीलिए कांग्रेस को सीताराम केसरी की याद आई. इसीलिए तेजस्वी यादव ने मुकेश सहनी औऱ आईपी गुप्ता को हेलीकॉप्टर में बिठाकर तस्वीरें खिंचवाई.
एक फर्क ज़रूर आया है कि अब RJD और कांग्रेस जैसी पार्टियां खुलकर मुसलमानों की हिमायत नहीं करती. इन पार्टियों के नेता मानकर चलते हैं मुसलमान बीजेपी वाले खेमे में जा नहीं सकते, मज़बूरी में हमारे साथ आएंगे लेकिन ओवैसी ने मुसलमानों के बीच एक चिंगारी छोड़ दी है. वो पूछते हैं कि 2 परसेंट जाति वाला डिप्टी चीफ मिनिस्टर पद का दावा करेगा और 18 परसेंट वाला अब्दुल दरी बिछाएगा, ये कब तक चलेगा? ऐसी चुभने वाली बातों का अच्छा खासा असर होता है.

पाकिस्तान के सामने एक तरफ कुआं, दूसरी तरफ खाई

राजस्थान में पाकिस्तान से लगने वाली लोंगेवाला सीमा पर सेना की elite unit भैरव कमांडोज़ ने अपने हुनर दिखाए. ऑपरेशन थार शक्ति 2025 नाम के इस युद्धाभ्यास में भैरव कमांडोज़ के अलावा इन्फैंट्री, आर्टिलरी, आर्मी एयर डिफेंस यूनिट्स ने हिस्सा लिया.
ऑपरेशन थार शक्ति में टैंक कॉलम की मूवमेंट, तोपों से गोलीबारी, थल सेना को एयर सपोर्ट के ऑपरेशन की exercise की गई.
इस दौरान आर्मी एयर डिफेंस की टीम ने कामीकाज़े ड्रोन से दुश्मन पर अटैक का भी अभ्यास किया. ऑपरेशन थार शक्ति में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस पर आधारित टारगेटिंग सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर के सिस्टम, अर्जुन और T-90 टैंक, पिनाक रॉकेट सिस्टम जैसे स्वदेशी हथियारों को भी शामिल किया गया है. फ्यूचर वॉर में modern technology और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कैसे होगा, war exercise में इसी की प्रैक्टिस की गई.
ऑपरेशन थार शक्ति के दौरान तीनों सेनाओं में आपसी समन्वय, आत्मनिर्भरता और इनोवेशन पर फोकस किया गया था.
ऑपरेशन थारशक्ति के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को 1971 की लड़ाई और ऑपरेशन सिंदूर की याद दिलाई, कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में सेना ने पाकिस्तान की अक़्ल ठिकाने लगाने वाली dose दे दी है लेकिन अगर पाकिस्तान ने फिर से कोई हिमाकत की, तो इस बार पाकिस्तान तबाह हो जाएगा.
जैसलमेर में भारत की फौज का शौर्य देखकर पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को रात को नींद नहीं आएगी. वैसे मुनीर की नींद तो अफगानी फाइटर्स ने भी उड़ा दी है.
अफगानिस्तान के फौजी पाकिस्तान की सरहद पर बंदूकें और रॉकेट लॉन्चर लेकर खड़े हैं. वो मुनीर से कहते हैं कि अगर मां का दूध पिया है तो कभी इस तरफ भी आओ, हम तुम्हें जंग का मज़ा चखाएंगे.
अफगान तालिबान ने बार बार कहा है कि वो पाकिस्तान के साथ बॉर्डर तय करने वाली डूरंड लाइन को नहीं मानते. वो KPK को अपना सूबा मानते हैं. पाकिस्तानी फौज के Former Officers भी कहते हैं कि अफगानिस्तान ने मुनीर की पैंट उतार दी. अब पाकिस्तान के सामने एक तरफ कुआं है, तो दूसरी तरफ खाई.
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